11 दिसंबर 2022 : समाचार विश्लेषण

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था:

  1. राज्यपालों की नियुक्ति और पदच्युति

सामाजिक न्याय:

  1. सम्मति आयु (सहमति की आयु) का मुद्दा

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

अंतरराष्ट्रीय संबंध:

  1. रूसी तेल पर मूल्य सीमा क्यों?

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. नि-क्षय मित्र

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. जापानी इंसेफेलाइटिस
  2. मानवाधिकार दिवस
  3. मैस्टोडॉन (Mastodon)
  4. बद्री नस्ल की गाय

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था:

राज्यपालों की नियुक्ति और पदच्युति

विषय: संघीय ढांचे से संबंधित मुद्दे और चुनौतियाँ

मुख्य परीक्षा: संघीय ढांचे में राज्यपाल की भूमिका से संबंधित विभिन्न मुद्दे

संदर्भ:

  • राज्यसभा सांसद पी. विल्सन ने राज्यपालों के संबंध में दिशानिर्देश निर्धारित करने के लिए एक संवैधानिक संशोधन विधेयक पेश किया है।

भूमिका:

  • राज्य सभा के सदस्य पी. विल्सन राज्यपालों की नियुक्ति और पदच्युति के लिए दिशानिर्देश निर्धारित करने हेतु एक निजी विधेयक के रूप में संसद में एक संवैधानिक संशोधन विधेयक पेश किया है।
  • इस विधेयक का उद्देश्य राज्यपालों की शक्तियों के संबंध में संविधान में मौजूद कुछ अपरिभाषित क्षेत्रों को परिभाषित करना है।
  • विल्सन का मानना है कि केंद्र को राज्यपाल नियुक्त करने से पहले राज्य के संबंधित मुख्यमंत्री से परामर्श करना चाहिए।
  • हाल ही में, पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु और राजस्थान जैसे कई राज्यों ने राज्यपालों की शक्तियों को लेकर चिंता जताई है।

विधेयक का मुख्य विवरण:

  • विधेयक के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी राज्य का राज्यपाल रह चुका है, तो वह संसद के किसी भी सदन का सदस्य बनने से अयोग्य हो जाएगा।
  • इसमें कहा गया है कि किसी राज्य के राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा राज्य के मुख्यमंत्री की सहमति प्राप्त करने के बाद हस्ताक्षर और मुद्रा सहित अधिपत्र द्वारा की जाएगी।
  • इसमें यह भी कहा गया है कि एक राज्यपाल को उसके कार्यकाल की समाप्ति से पहले मुख्यमंत्री की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा पद से हटाया जा सकेगा।
  • विधेयक अनुच्छेद 157 में संशोधन का प्रस्ताव करता है ताकि कोई भी व्यक्ति राज्यपाल के रूप में नियुक्ति के लिए तब तक पात्र न हो सके जब तक कि वह जीवन के किसी क्षेत्र में प्रतिष्ठित व्यक्तित्व न रखता हो।
  • इसके अनुसार, व्यक्ति को अयोग्य घोषित किया जाएगा यदि उसकी 75 वर्ष की आयु पूरी हो गई हो या पिछले 10 वर्षों में संघ या राज्य सरकारों या किसी स्थानीय प्राधिकरण के सेवायोजन में रहा हो।
  • यह उस व्यक्ति को भी राज्यपाल के रूप में नियुक्ति से प्रतिबंधित करता है जो पिछले 10 वर्षों में संघ, किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की सरकार में मंत्री, या संसद या विधानसभाओं का सदस्य, या उच्च न्यायालयों में न्यायाधीश, या स्थानीय सरकारों का सदस्य रहा हो।
  • यह विधेयक उन लोगों को राज्यपाल के रूप में सेवा करने से रोकता है जो पिछले दस वर्षों में किसी पंजीकृत या मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल में किसी पद पर रहे हैं, या उसे एक अदालत द्वारा नैतिक अधमता से जुड़े अपराध का आरोपी सिद्ध किया गया है, या एक साल की जेल की सजा वाले अपराध का दोषी पाया गया है, या एक सक्षम अदालत द्वारा मानसिक रूप से अयोग्य घोषित किया गया है।

सारांश:

  • भारतीय संविधान के तहत राज्यपालों की नियुक्ति और कार्य करने के तरीके से संबंधित कई मुद्दे हैं। हाल ही में संसद में पेश किए गए निजी सदस्य विधेयक में राज्यपालों की नियुक्ति और पदच्युति के लिए कई दिशानिर्देश निर्धारित किए गए हैं।

राज्य सरकार बनाम राज्यपालों के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक कीजिए: State government V/s Governors

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

सामाजिक न्याय:

सम्मति आयु (सहमति की आयु) का मुद्दा

विषय: महिलाओं और बच्चों से संबंधित मुद्दे

मुख्य परीक्षा: POCSO अधिनियम के तहत सम्मति आयु और संबंधित चिंताएँ।

संदर्भ:

  • भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने 10 दिसंबर, 2022 को संसद से सम्मति आयु के मुद्दे पर फिर से विचार करने की अपील की।

भूमिका:

  • भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने संसद से यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम, 2012 के तहत सम्मति आयु के मुद्दे पर फिर से विचार करने की अपील की, क्योंकि इससे न्यायाधीशों को सहमति से यौन संबंध बनाने वाले किशोरों के मामलों की जांच करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
  • वर्ष 2012 में, पॉक्सो अधिनियम के तहत सम्मति आयु को बढ़ाकर 18 वर्ष कर दिया गया था, जो कि वर्ष 1940 से 16 वर्ष थी।
  • किशोर न्याय पर सर्वोच्च न्यायालय की समिति द्वारा पॉक्सो अधिनियम पर एक राष्ट्रीय हितधारकों के परामर्श का आयोजन किया जा रहा है और यह इसके वार्षिक हितधारकों की बैठक का हिस्सा है।

सम्मति आयु को कम करने का मामला:

  • एनफोल्ड प्रोएक्टिव हेल्थ ट्रस्ट, बेंगलुरु द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि पॉक्सो के तहत विचारित 93.8% “प्रेम प्रसंग संबंधी मामले” दोषमुक्त साबित हुए और इन मामलों में प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दाखिल करने से लेकर न्यायालयों द्वारा निपटान तक 1.4 से 2.3 वर्ष का औसत समय लगा।
  • मद्रास उच्च न्यायालय ने हाल ही में कहा था कि वह पॉक्सो अधिनियम के तहत सम्मति आयु को वर्तमान 18 वर्ष से कम करने के लिए विधायिका के निर्णय की प्रतीक्षा कर रहा है।
  • सबरी बनाम इंस्पेक्टर ऑफ़ पुलिस मामले में, मद्रास उच्च न्यायालय ने सम्मति आयु को संशोधित कर 16 वर्ष करने की सिफारिश की थी।

सारांश:

  • किशोरों के बीच सहमति के साथ यौन गतिविधियों वाले “प्रेम प्रसंग संबंधी मामले” से निपटने में अदालतों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। भारत के मुख्य न्यायाधीश ने संसद को पॉक्सो अधिनियम के तहत सम्मति आयु के संबंध में बढ़ती चिंताओं पर विचार करने के लिए कहा है, जो वर्तमान में 18 वर्ष है।

सम्मति आयु के मुद्दे पर अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक कीजिए:Age of Consent Issue

संपादकीय-द हिन्दू

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित

अंतरराष्ट्रीय संबंध:

रूसी तेल पर मूल्य सीमा क्यों?

विषय: भारत के हित पर विकसित देशों की नीतियों का प्रभाव।

मुख्य परीक्षा: रूसी तेल पर मूल्य सीमा और उसके परिणाम।

प्रारंभिक परीक्षा: यूराल कच्चा तेल

संदर्भ:

  • रूसी कच्चे तेल पर मूल्य सीमा का लागू किया जाना।

विवरण:

  • G7 राष्ट्रों, यूरोपीय संघ (EU) और ऑस्ट्रेलिया सहित पश्चिमी देशों ने समुद्री रूसी कच्चे तेल के लिए प्रति बैरल 60 डॉलर की मूल्य सीमा निर्धारित करने पर सहमति व्यक्त की है।
  • रूस को यूक्रेन पर हमला करने के लिए दंडित करने और तेल निर्यात से रूस को होने वाले मुनाफे को सीमित करने के प्रयास में, पश्चिमी देशों ने यह मूल्य सीमा लगाई है। हालाँकि, वे रूसी तेल की उपलब्धता वैश्विक बाज़ार में कुछ हद तक बनाए रखना चाहते हैं ताकि आपूर्ति पर भारी प्रभाव न पड़े और ऊर्जा की कीमतों में और वृद्धि न हो।
  • इसलिए, मूल्य सीमा की अवधारणा प्रस्तावित की गई है, जिसके ऊपर रूसी तेल ले जाने वाले मालवाहकों को जहाज बीमा, पोत क्लीयरेंस आदि जैसी सहायक सेवाएं प्रदान नहीं की जाएंगी। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि टन भार के हिसाब से माल ढुलाई के लिए वैश्विक बीमा प्रदान करने में संलग्न कंपनियों में से लगभग 95% कंपनियां यूरोपीय देशों, विशेष रूप से यूनाइटेड किंगडम से हैं।

यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक कीजिए: Russia’s Invasion of Ukraine 2022 [UPSC Notes]

रूस की प्रतिक्रिया:

  • रूस ने शुरूआत में यह कहते हुए प्रतिक्रिया दी कि उसके उत्पादन पर इस मूल्य सीमा का प्रभाव न्यूनतम होगा।
  • हालाँकि, बाद में रूसी मीडिया के माध्यम से यह जानकारी सामने आई कि इस मूल्य सीमा का समर्थन करने वाले देशों को होने वाले तेल निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के लिए रूस में एक तंत्र पर काम किया जा रहा है और इसे 2022 के अंत तक लागू किया जाएगा।
  • आगे यह बात भी सामने आई कि वैश्विक खपत और आर्थिक विकास के लिए रूसी तेल की मांग हमेशा बनी रहेगी। हालांकि, आपूर्ति श्रृंखला में बदलाव देखने को मिल सकता है।
  • इसके अलावा, रूस इस मूल्य सीमा के जबाव के तौर पर निम्नतम निर्धारित कीमत (फ्लोर प्राइस – सबसे कम कीमत जिस पर कोई उत्पाद बेचा जा सकता है) पर भी विचार कर रहा है।
    • निम्नतम निर्धारित कीमत में यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाता है कि यह मूल्य सीमा (प्राइस कैप) स्तर से नीचे नहीं बिके।
    • दोनों गुटों के इस विपरीत दृष्टिकोण ने रूसी तेल खरीदारों, जो यूरोपीय बीमा और अन्य सेवाओं को जारी रखना चाहते हैं, को एक गंभीर बंधन में डाल दिया होगा।

रूसी तेल पर मूल्य सीमा के बारे में अधिक जानकारी के लिए, यहां क्लिक कीजिए: 3 Dec 2022: UPSC Exam Comprehensive News Analysis

वर्ष 2022 में रूस का उत्पादन:

  • वैश्विक मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, जनवरी से नवंबर 2022 के बीच रूस का तेल उत्पादन 2% बढ़कर लगभग 488 मिलियन टन हो गया था।
  • भारत और चीन ऐसे देश हैं जिन्होंने रियायती तेल खरीदा। यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि फ्रांस और प्रमुख तेल उत्पादक देश सऊदी अरब ने भी रूस से तेल खरीदा था।
    • सऊदी अरब ने अपने बिजली संयंत्रों को संचालित करने हेतु तेल खरीदने के लिए रियायती मूल्य का लाभ उठाया और दुनिया को अपना महंगा तेल बेचा।
  • इसके अलावा, भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस बात पर प्रकाश डाला कि 24 फरवरी से 17 नवंबर के बीच रूस से यूरोपीय संघ के तेल आयात की मात्रा भारत द्वारा किए गए इस तेल के आयात की तुलना में छह गुना अधिक थी।
  • 2021-2022 में भारत का रूसी तेल आयात कुल तेल आयात का लगभग 0.2% ही था। हालांकि, रूस की स्थिति अक्टूबर और नवंबर में भारत के शीर्ष तेल आपूर्तिकर्ता के रूप में थी। यह जानकारी सामने आई कि नवंबर में, भारत ने रूस द्वारा निर्यात किए जाने वाले कुल समुद्री यूराल कच्चे तेल का 53% या लगभग 3.7 मिलियन टन खरीदा।

वैश्विक तेल कीमतों में उतार-चढ़ाव:

  • oilprice.com के मुताबिक, यूराल कच्चा तेल 8 नवंबर को 73 डॉलर प्रति बैरल के मुकाबले करीब 53 डॉलर पर पहुंच गया।
  • अलग-अलग वैश्विक खींचतान के कारण तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव हो रहा है। दिसंबर की शुरुआत में कीमतें इस आशा की पृष्ठभूमि में तय हुईं कि चीन विरोध के निदान के तौर पर प्रतिबंधों को कम करेगा और इससे तेल की मांग की वृद्धि में मदद मिलेगी।
  • वहीं कजाख तेल ले जाने वाले जहाज तुर्की के बंदरगाहों से गुजरने के लिए बड़ी संख्या में इकट्ठा हो रहे हैं क्योंकि तुर्की मालवाहकों से बीमा के प्रमाणपत्र पर जोर दे रहा है, जिसके सत्यापन में समय लग रहा है, परिणामस्वरूप जहाज़ों की लंबी कतारें लग रही हैं।

संबंधित लिंक:

Russian Oil Price Cap: Sansad TV Perspective Discussion of 25 Nov 2022

सारांश:

  • महीनों के विचार-विमर्श के बाद, पश्चिमी देशों ने रूसी तेल पर मूल्य सीमा लगा दी है। रूस ने भी इन पश्चिमी प्रतिबंधों का मुकाबला करने के लिए एक तंत्र पर काम करके इस कदम का जवाब दिया है। विभिन्न प्रकार की वैश्विक खींचतान की घटनाएँ तेल बाजार को बड़े स्तर पर प्रभावित कर रही हैं और इसके परिणामस्वरूप तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव हो रहा है।

प्रीलिम्स तथ्य:

  1. नि-क्षय मित्र:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

स्वास्थ्य:

विषय: स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे

प्रारंभिक परीक्षा: तपेदिक और संबंधित सरकारी नीतियां

संदर्भ:

  • लॉन्च होने के तीन महीने के भीतर, 52,000 से अधिक नि-क्षय मित्र पंजीकरण हो चुके हैं।

मुख्य विवरण:

  • टीबी रोगियों के बीच पोषण सुधार पर अधिक ध्यान देने के साथ, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) के हिस्से के रूप में 2018 में नि-क्षय पोषण योजना की शुरूआत की थी, जिसके तहत उपचार पर टीबी रोगियों को प्रति माह 500 रुपये का प्रत्यक्ष नकद लाभ हस्तांतरण प्रदान किया जाता है।
  • जन भागीदारी टीबी रोगियों को अतिरिक्त सहायता प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान का मूल सिद्धांत है।
  • कुपोषण और टीबी एक प्रकार के दुष्चक्र की तरह है। खराब पोषण की स्थिति किसी व्यक्ति को बीमारी से संक्रमित होने या चिकित्सकीय रूप से प्रत्यक्ष होने वाली निष्क्रिय बीमारी होने का पूर्वाभास कराती है। टीबी से पोषक तत्वों का भंडार समाप्त हो जाता है और कुपोषण बढ़ जाता है।
  • टीबी रोगियों को इष्टतम पोषण प्राप्त होने से वजन बढ़ाने, चिकित्सा अनुपालन, मांसपेशियों को मजबूत बनाने, जीवन की गुणवत्ता सुनिश्चित करने, मजबूत सुधार और कम मृत्यु दर में सहायता मिलती है।

नि-क्षय मित्र:

  • इस नीति के तहत नि-क्षय मित्र टीबी रोगियों को गोद ले सकते हैं और उनकी देखभाल कर सकते हैं।
  • नि-क्षय मित्र स्वयंसेवक हैं जो व्यक्ति, गैर-सरकारी संगठन, सहकारी समितियां, कॉर्पोरेट और यहां तक कि राजनीतिक दल भी हो सकते हैं।
  • ये टीबी रोगियों को पोषण संबंधी सहायता, पूरक आहार, अतिरिक्त जांच और व्यावसायिक सहायता के माध्यम से मदद करते हैं।
  • एक टीबी रोगी की मदद करके उसकी मजदूरी के नुकसान के कारण परिवार की बर्बादी को रोका जा सकता है। लोगों के मानवीय सहयोग से टीबी रोगी की जान बचाई जा सकती है।

तपेदिक के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक कीजिए: Tuberculosis

महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. जापानी इंसेफेलाइटिस:
  • केरल में हाल ही में एक 10 वर्षीय लड़के में जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई।
  • यह एक पीत विषाणु (फ्लेविवायरस) के कारण होने वाली बीमारी है जो मस्तिष्क के आसपास की झिल्लियों को प्रभावित करती है।
  • जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस (JEV) भी भारत में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) का एक प्रमुख कारण है।
  • यह रोग क्यूलेक्स प्रजाति के संक्रमित मच्छरों के काटने से मनुष्यों में फैलता है।

चित्र स्रोत: agriculture.gov.au

  1. मानवाधिकार दिवस:
  • मानवाधिकार दिवस हर साल 10 दिसंबर को मनाया जाता है। इसी दिन संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1948 में मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (UDHR) को अपनाया था।
  • मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (UDHR) एक मील का पत्थर दस्तावेज है जिसमें उन अधिकारों की घोषणा है जो हर किसी को एक इंसान होने के नाते जाति, रंग, धर्म, लिंग, भाषा, राजनीतिक, देश, मूल और जन्म या अन्य स्थिति के निरपेक्ष मिलते हैं।
  • मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा के पाठ का 500 से अधिक भाषाओं में अनुवाद किया गया है। इसके साथ ही यह इतिहास में सबसे अधिक अनुवादित दस्तावेज भी है।
  • मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा की 75वीं वर्षगांठ 10 दिसंबर 2023 को मनाई जाएगी।
  • इस वर्ष का विषय है ‘डिग्निटी, फ्रीडम एंड जस्टिस फॉर ऑल’ यानी गरिमा, स्वतंत्रता और सभी के लिए न्याय’।
  1. मैस्टोडॉन (Mastodon):
  • ग्रीनलैंड के उत्तर-पूर्वी छोर पर जमी हुई मिट्टी और रेत के 100 मीटर-मोटे निक्षेप से दो मिलियन वर्ष पुराने DNA अनुक्रम प्राप्त किए गए हैं, जो अब तक के सबसे पुराने डीएनए अनुक्रम हैं।
  • इससे पता चलता है कि यह क्षेत्र कभी मैस्टोडॉन और हिरन का घर था जो एक जंगली पारिस्थितिकी तंत्र में घूमते-फिरते थे।
  • मैस्टोडॉन विलुप्त हो चुके मैमथ वंश से संबंधित प्रोबोसीडिया (हाथी गण) है।
  • मैस्टोडॉन मियोसीन युग या प्लायोसीन युग के दौरान और प्लेस्टोसीन युग के अंत में अपने विलुप्त होने तक उत्तरी और मध्य अमेरिका में रहते थे।
  • ये झुंड में रहते थे और मुख्य रूप से जंगली जानवर थे।
  1. बद्री नस्ल की गाय:
  • उत्तराखंड सरकार बद्री गायों की उत्पादिता बढ़ाने के लिए उनकी आनुवंशिक वृद्धि की योजना बना रही है।
  • अधिकारियों ने एक उच्च आनुवंशिक स्टॉक के अधिक मवेशियों को प्राप्त करने के लिए बहुगुणित अण्डोत्सर्ग भ्रूण स्थानांतरण (MOET) विधि का चयन करने का प्रस्ताव दिया है।
    • इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) में अंडाणु संग्रह दूसरी तकनीक थी जिसका इस्तेमाल प्रतिफल बढ़ाने के लिए किया जाएगा।
  • पशुपालन विभाग ने छोटे बद्री मवेशियों की संख्या में सुधार के लिए लिंग-वर्गीकृत (sex-sorted) सीमन तकनीक का उपयोग करने का भी प्रस्ताव दिया है।
    • लिंग-वर्गीकृत सीमन के उपयोग से अनुत्पादक नर आबादी कम होती है और भ्रूण स्थानांतरण प्रौद्योगिकी के माध्यम से सीमन उत्पादन के लिए गुणवत्ता वाले बद्री नस्ल की संख्या बढ़ती है।
  • वर्तमान में, उत्तराखंड में लगभग सात लाख बद्री मवेशी हैं, जिनमें से 4.79 लाख गाय हैं।
  • बद्री नस्ल का नाम बद्रीनाथ स्थित चार धाम के पवित्र मंदिर से लिया गया है।
  • मवेशियों की यह नस्ल लंबी टांगों और विभिन्न रंगों – काले, भूरे, लाल, सफेद या भूरे रंग के साथ आकार में छोटी होती है। यह नस्ल तुलनात्मक रूप से रोगों के प्रति अधिक प्रतिरोधी है, क्योंकि इसकी आहार की आदतें कुछ अलग होती हैं।
  • बद्री गायें हिमालय में उगने वाली जड़ी-बूटियाँ खाती हैं और पॉलिथीन तथा अन्य हानिकारक चीजों को निगलती नहीं हैं, और इस प्रकार जहरीले प्रदूषण से दूर हैं।
  • इसके दूध में भरपूर औषधीय सामग्री और उच्च जैविक मूल्य होता है। इसके आहार और निवास स्थान के कारण इसके मूत्र का अधिक महत्व है। दुद्ध प्राप्ति 547 किलोग्राम से 657 किलोग्राम तक होती है, जिसमें दूध वसा की औसत मात्रा 4% होती है।
  • बद्री गाय उत्तराखंड की पहली पंजीकृत मवेशी नस्ल है और इसे राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो द्वारा प्रमाणित किया गया है।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. भारतीय शास्त्रीय संगीत के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर-कठिन)

  1. वीणा और मैंडोलिन ऐसे वाद्य यंत्र हैं जो हिंदुस्तानी संगीत के परिपूरक हैं।
  2. हिंदुस्तानी और कर्नाटक संगीत दोनों में ही स्वरमान (पिच-pitch) के लिए तानपुरा का उपयोग होता है।
  3. भारतीय संगीत के इतिहास की जानकारी भरत मुनि द्वारा लिखित नाट्य शास्त्र से प्राप्त हो सकती है।

उपर्युक्त कथनों में से कितना/कितने गलत है/हैं?

  1. केवल एक कथन
  2. केवल दो कथन
  3. केवल तीन कथन
  4. इनमें से कोई भी नहीं

उत्तर: a

व्याख्या:

  • कथन 1 गलत है: कर्नाटक संगीत में प्रयुक्त होने वाले मुख्य वाद्ययंत्र मृदंगम, वीणा और मैंडोलिन हैं।
  • कथन 2 सही है: तानपुरा हिंदुस्तानी और कर्नाटक दोनों प्रणालियों में प्रचलित भारतीय संगीत का एक स्वरद उपकरण है। यह आधार स्वर (अधारस्वर) प्रदान करके और मंच पर एक सौंदर्यपूर्ण वातावरण का निर्माण करके शास्त्रीय संगीत के संगीत समारोह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • कथन 3 सही है: नाट्यशास्त्र संगीत और नाटक पर सबसे पुराना साहित्य है जिसे भरत मुनि द्वारा लगभग 500 ईसा पूर्व में लिखा गया था। नाट्यशास्त्र छत्तीस अध्यायों और संस्कृत में 6000 दोहों वाला एक ग्रन्थ है जिसका मुख्य जोर नृत्य और नाटक पर था और इसमें संगीत का वर्णन एक सहायक के रूप में किया गया है।

हिंदुस्तानी और कर्नाटक संगीत के बीच अंतर के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक कीजिए: Difference between Hindustani and Carnatic Music

प्रश्न 2. ग्रेट इंडियन हॉर्नबिल निम्नलिखित में से कितने राज्यों का राज्य पक्षी है? (स्तर – मध्यम)

  1. केरल
  2. अरुणाचल प्रदेश
  3. नागालैंड
  4. सिक्किम
  5. तमिलनाडु

विकल्प:

  1. केवल एक
  2. केवल तीन
  3. केवल दो
  4. केवल चार

उत्तर: c

व्याख्या: हॉर्नबिल अरुणाचल प्रदेश और केरल दोनों का राज्य पक्षी है।

भारत के राज्य पक्षियों के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक कीजिए: State Birds Of India

प्रश्न 3. हाल ही में चर्चा में रही मालमपंदरम (Malampandaram) जनजाति निम्नलिखित में से किस राज्य से संबंधित है? (स्तर- कठिन)

  1. तमिलनाडु
  2. कर्नाटक
  3. केरल
  4. तेलंगाना

उत्तर: c

व्याख्या:

  • मालमपंदरम जनजाति एक छोटा, खानाबदोश समुदाय है जो केरल के सुदूर जंगलों में निवास करती है।
  • मछली पकड़ना और जंगल से फल तथा अन्य खाद्य पदार्थ इकट्ठा करना इस समुदाय का मुख्य व्यवसाय है जो अपनी सभी जरूरतों के लिए जंगल पर निर्भर है।

प्रश्न 4. निम्नलिखित कथनों में से कितना/कितने गलत है/हैं? (स्तर- मध्यम)

  1. भारत दुनिया में बाजरा के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है और वैश्विक बाजरा उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी 50% से अधिक है।
  2. भारत में उगाई जाने वाली बाजरा फसल में सबसे अधिक हिस्सेदारी पर्ल बाजरा की है।
  3. बाजरा फसल जलवायु परिवर्तन के प्रति प्रतिरोधक्षमतापूर्ण होती है और प्रकाश-असंवेद्य (photo-insensitive) होती है।
  4. बाजरे के सेवन से एनीमिया, पेलाग्रा जैसी स्थितियों से प्रभावी ढंग से निपटा जा सकता है।

विकल्प:

  1. केवल एक कथन
  2. केवल दो कथन
  3. केवल तीन कथन
  4. इनमें से कोई भी नहीं

उत्तर: a

व्याख्या:

  • कथन 1 गलत है: वैश्विक उत्पादन में लगभग 41 प्रतिशत की अनुमानित हिस्सेदारी के साथ भारत दुनिया में बाजरा के अग्रणी उत्पादकों में से एक है।
  • कथन 2 सही है: भारत में उगाई जाने वाली प्रमुख बाजरा फसलें और उनके उत्पादन का प्रतिशत हिस्सा निम्नवत है:
  • पर्ल बाजरा (बाजरा) – 61%, ज्वार (सोरघम) – 27%, और फिंगर बाजरा (मंडुआ/रागी) – 10%।
  • कथन 3 सही है: बाजरा प्रकाश-असंवेद्य और जलवायु परिवर्तन के प्रतिरोधी होता है। यह कठोर, प्रतिरोधी फसल है जिसमें कम कार्बन होता है और जल पदचिह्न (water footprint) भी बहुत कम होता है।
  • कथन 4 सही है: पेलाग्रा (नियासिन की कमी), एनीमिया (लौह की कमी) की समस्या, बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन की कमी का निदान कम खर्चीले लेकिन पोषण से भरपूर खाद्यान्न जैसे बाजरा के सेवन से प्रभावी ढंग से किया जा सकता है।

प्रश्न 5. मणिपुरी संकीर्तन के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (विगत वर्ष के प्रश्न-20177) (स्तर- मध्यम)

  1. यह गीत और नृत्य का प्रदर्शन है।
  2. केवल करताल (सिम्बल) ही वह एकमात्र वाद्ययंत्र है जो इस प्रदर्शन में प्रयुक्त होता है।
  3. यह भगवान कृष्ण के जीवन और लीलाओं को वर्णित करने के लिए प्रदर्शित किया जाता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

  1. 1, 2 और 3
  2. केवल 1 और 3
  3. केवल 2 और 3
  4. केवल 1

उत्तर: b

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: मणिपुरी संकीर्तन प्रदर्शन कला का एक रूप है जिसमें भारत के मणिपुर राज्य में मंदिरों और घरेलू स्थानों में किए जाने वाले अनुष्ठान गायन, ढोल और नृत्य शामिल हैं। यह मुख्य रूप से मणिपुर में वैष्णव समुदाय द्वारा किया जाता है।
  • कथन 2 गलत है: केवल करताल (सिम्बल) ही एकमात्र वाद्ययंत्र नहीं हैं क्योंकि इस प्रदर्शन में ड्रम का भी उपयोग किया जाता है।
  • कथन 3 सही है: अनूठे धार्मिक भक्ति और ऊर्जा प्रदर्शित करने वाले प्रदर्शनों के माध्यम से, कलाकार कृष्ण की कई कहानियाँ सुनाते हैं।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. राज्य सरकारों और राज्यपालों के बीच आपसी विवाद की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए राज्यपालों की भूमिका और आचरण पर चर्चा कीजिए और परीक्षण कीजिए कि क्या मुख्यमंत्रियों को अपने राज्यों में राज्यपालों की नियुक्ति के संबंध में अपनी बात रखनी चाहिए। (GSII- राजव्यवस्था) (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न 2. रूसी तेल पर मूल्य सीमा क्या है? क्या इसका प्रभाव रूस और भारत पर पड़ेगा? समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। (GSII- अंतर्राष्ट्रीय संबंध) (10 अंक, 150 शब्द)