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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 11 May, 2022 UPSC CNA in Hindi

11 मई 2022 : समाचार विश्लेषण

A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:

  1. प्रकाशक-प्लेटफ़ॉर्म संबंधो को सयंत करना:

C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण:

  1. एक अध्ययन में पक्षियों के लिए गंभीर चेतावनी:

D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E.सम्पादकीय:

अर्थव्यवस्था:

  1. तरलता कार्रवाई द्वारा मुद्रास्फीति नियंत्रण:

भारतीय समाज और सामाजिक मुद्दे:

  1. परिवर्तन की माप:

रक्षा और आंतरिक सुरक्षा:

  1. यूक्रेन सीखने का मैदान:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. त्रिशूर पूरम दो साल के अंतराल के बाद मनाया गया:

G.महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. क्या देशद्रोह के आरोपियों को सुरक्षा मिल सकती है: सुप्रीम कोर्ट

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

प्रकाशक-प्लेटफ़ॉर्म संबंधों को सयंत करना:

विषय: भारत के हितों पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियां एवं राजनीति का प्रभाव

मुख्य परीक्षा: डिजिटल समाचार मध्यस्थों को विनियमित करना।

प्रसंग:

  • हाल ही में, कनाडा सरकार ने एक विधेयक पेश किया हैं जिसमें Google और Facebook जैसे इंटरनेट प्लेटफ़ॉर्म को अपनी सामग्री के उपयोग के लिए समाचार प्रकाशकों को भुगतान करने का प्रस्ताव है।

कनाडाई विधेयक से सम्बंधित प्रावधान:

  • बिल में यह सुनिश्चित किया गया है कि ये प्लेटफॉर्म समाचार प्रकाशकों के साथ वाणिज्यिक सौदों पर बातचीत करें।

इस कानून के निम्न लाभ है:

  1. डिजिटल प्लेटफॉर्म और समाचार आउटलेट के बीच निष्पक्ष व्यापार संबंध,
  2. समाचार पारिस्थितिकी तंत्र में स्थिरता,
  3. प्रेस की स्वतंत्रता को बनाए रखना,
  4. समाचार परिदृश्य में विविधता।

अन्य उदाहरण:

  • ऑस्ट्रेलिया:
    • ऑस्ट्रेलिया द्वारा इसी तरह का एक बिल डिजिटल प्लेटफॉर्म को प्रकाशकों को भुगतान करने के लिए पारित किया गया था।
    • ऑस्ट्रेलियाई प्रतिस्पर्धा और उपभोक्ता आयोग की 2019 की एक रिपोर्ट में इस अवधारणा की उत्पत्ति हुई थी,जिसमें Google और Facebook जैसे प्लेटफार्मों की “कई समाचार मीडिया व्यवसायों के संबंध में पर्याप्त सौदेबाजी की शक्ति” के रूप में पहचाना की गए थी।
  • फ्रांस:
    • फ्रांस एक और देश है जिसने इंटरनेट प्लेटफॉर्म को प्रकाशकों के साथ समझौते करने के लिए मजबूर किया है।
    • प्रकाशकों को सक्षम बनाने वाला यह कानून यूरोपीय संघ के कॉपीराइट नियमों पर आधारित है, जो प्रकाशकों को उनके समाचारों के लिए ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म से शुल्क की मांग करने की अनुमति देता है।

वर्तमान डिजिटल युग में प्रकाशक-प्लेटफ़ॉर्म संबंधों की प्रकृति:

  • Google और Facebook बहुत सारे पारंपरिक समाचार प्रकाशकों के लिए बहुत अधिक पाठक (traffic) प्रदान करते हैं। लेकिन जब प्रकाशक संघर्ष करते हैं,तो यह प्लेटफॉर्म इस व्यवस्था से काफी पैसा कमाने में सक्षम हो जाते हैं।
  • प्रकाशकों को प्लेटफ़ॉर्म एल्गोरिथम में बार-बार होने वाले परिवर्तनों से भी जूझना पड़ता है, क्योंकि उनके सामने अचानक बड़ी मात्रा में अपने पाठकों को खोने का खतरा पैदा हो जाता है।

इन विधेयकों के निहितार्थ:

  • डिजिटल समाचार मध्यस्थों को विनियमित करने के लिए लाये गए इन बिलों ने दुनिया भर में इंटरनेट प्लेटफार्मों को विनियमित करने की आवश्यकता पर एक बढ़ती बहस को जन्म दिया है।
  • ऐसे कयास लगाए जा रहे है कि यूके मीडिया उद्योग इस असंतुलन को ठीक करने के लिए नियमों पर विचार कर रहा है।
  • भारत में,भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने Google की जांच का आदेश दिया, जिसका आधार सौदेबाजी की शक्ति असंतुलन और विज्ञापन राजस्व में उचित हिस्सेदारी से इनकार करना था।
  • Google ने कनाडा के इस नए विधेयक पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि इस देश में समाचार और खोज के अनुभव पर प्रस्तावित ऑनलाइन समाचार अधिनियम के कुछ अनपेक्षित परिणामों से वह चिन्तित है।

सारांश:

  • डिजिटल दुनिया में, ये प्लेटफॉर्म विरासती समाचार मीडिया द्वारा निर्मित पत्रकारिता सामग्री के सबसे महत्वपूर्ण प्रवेश द्वार बन गए हैं। यह कनाडाई विधेयक समाचार मीडिया उद्योग की विषम प्रकृति को दर्शाता है। यह विधेयक दुनिया भर की सरकारों के लिए एक रुचिकर विषय है,जिनमें से कुछ ऐसे कानून पर विचार कर रहे हैं, साथ ही बड़े मीडिया उद्योग भी।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण:

एक अध्ययन में पक्षियों के लिए गंभीर चेतावनी:

विषय: पर्यावरण संरक्षण,प्रदूषण और निम्नीकरण।

प्रारंभिक परीक्षा: स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स बर्ड्स रिपोर्ट; पक्षियों की जैव विविधता को नुकसान पहुँचाने वाले कारक।

मुख्य परीक्षा: पारिस्थितिक तंत्र और संस्कृति के लिए पक्षियों का महत्व।

प्रसंग:

  • पक्षियों के बारे में पर्यावरण और संसाधनों की वार्षिक समीक्षा पत्रिका ‘स्टेट ऑफ दि वर्ल्ड बर्ड्स’ हाल ही में प्रकाशित की गई थी।

इस अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष:

  • ‘स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स बर्ड्स’ की हाल की नई समीक्षा के अनुसार दुनिया भर में मौजूदा पक्षी प्रजातियों की आबादी में लगभग 48% की गिरावट आई है या इसका संदेह जताया जा रहा है।
  • पक्षियों की 39% प्रजातियों में जनसंख्या बढ़ने की प्रवृत्ति स्थिर थी, वहीं 7% प्रजातियों की जनसंख्या बढ़ी, जबकि 37 प्रजातियों की जनसंख्या प्रवृत्ति अज्ञात थी।
  • वर्तमान में 13.5% पक्षी प्रजातियों का वैश्विक स्तर पर विलुप्त होने का खतरा है।
  • पक्षी प्रजातियों को गैर-यादृच्छिक (non-randomly) रूप से खतरा उत्पन्न हो गया है।
  • समशीतोष्ण अक्षांशों (31.7%) की तुलना में उष्णकटिबंधीय जलवायु में अधिक संकटग्रस्त पक्षी प्रजातियां (86.4%) पाई जाती हैं।
  • संकटग्रस्त प्रजातियों के लिए ये हॉटस्पॉट उष्णकटिबंधीय एंडीज, दक्षिणपूर्व ब्राजील, पूर्वी हिमालय, पूर्वी मेडागास्कर और दक्षिण पूर्व एशियाई द्वीपों में हैं।

पारिस्थितिक तंत्र और संस्कृति के लिए पक्षियों का महत्व:

  • पारिस्थितिकी की भूमिका:
    • पक्षी वास्तव में एक वैश्विक टैक्सोन (Taxon-एक वैज्ञानिक रूप से वर्गीकृत समूह या इकाई) हैं,जिसकी एक या एक से अधिक प्रजातियां पृथ्वी की स्थलीय सतह पर सभी आवासों पर कब्जा कर रही हैं, जिसमें शहरी वातावरण भी शामिल हैं, इनमे कोई प्राकृतिक एनालॉग (किसी व्यक्ति या वस्तु की तुलना दूसरे से करना)नहीं है।
    • पक्षी कई पारिस्थितिक तंत्र सेवाओं में योगदान करते हैं जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मानवता को लाभान्वित करता है।
  • कार्यात्मक भूमिका:
    • पारिस्थितिक तंत्र के भीतर परागणकों, बीज-फैलाने वाले, पारिस्थितिकी तंत्र इंजीनियरों, मैला ढोने वालों और शिकारियों के रूप में पक्षियों की कार्यात्मक भूमिका न केवल जैव विविधता के संचय बल्कि इसके रखरखाव के लिए भी जरुरी है।
    • अन्य जानवरों में वंश वृद्धि करने में सहायता करने के अलावा कीट नियंत्रण के माध्यम से स्थायी कृषि के लिए भी ये जरुरी हैं ।
  • सांस्कृतिक भूमिका:
    • अपने प्रतीकात्मक और कलात्मक मूल्यों से परे, पंछियों को देखना या निहारना (birdwatching)एक वैश्विक शगल है जिसे लाखों लोग करते हैं।गार्डन बर्ड-फीडिंग एक और मूल्यवान हिस्सा है।
    • पक्षियों को खिलाना प्रकृति के संतुलन के लिए जरुरी है।

पक्षी जैव विविधता के नुकसान में योगदान देने वाले खतरे:

  1. भूमि आच्छादन और भूमि उपयोग में परिवर्तन।
  2. मानव की आबादी में निरंतर वृद्धि प्राथमिक प्राकृतिक आवासों के रूपांतरण के परिणामस्वरूप जैव विविधता का नुकसान होता है।
  3. आवास विखंडन और गिरावट।
  4. आक्रामक विदेशी प्रजातियों और बीमारी का प्रभाव।
  5. बुनियादी ढांचा, ऊर्जा की मांग और प्रदूषण।
  6. एग्रोकेमिकल और फार्मास्युटिकल उपयोग।
  7. वैश्विक व्यापार टेलीकनेक्शन-यह वैश्विक व्यापार के परिणामस्वरूप गैर-सन्निहित भौगोलिक क्षेत्रों के बीच जलवायु परिवर्तनशीलता सम्बन्ध को संदर्भित करता है।
  8. जलवायु परिवर्तन।

निष्कर्ष:

  • तीव्र गति से मानव आबादी का पदचिह्न पक्षियों की जैव विविधता के लिए सबसे बड़ा खतरा है।
  • इसलिए समाधानों की सफलता इस बात पर निर्भर करती हैं कि इन्हे किस सामाजिक संदर्भ में लागू किया जाता हैं, साथ ही यह व्यक्तिगत और सामाजिक दृष्टिकोणों और व्यवहारों में परिवर्तन को प्रभावित करने की हमारी क्षमता पर निर्भर करता है ।
  • संरक्षण सामाजिक विज्ञान (conservation social science) की उभरती अवधारणाएं पक्षीयों की जैव विविधता की हानि को कम करने और अधिक टिकाऊ संरक्षण परिणामों को प्राप्त करने के प्रयासों को सूचित कर सकती हैं।

सारांश:

  • मानव गतिविधियों के कारण पक्षियों के प्राथमिक प्राकृतिक आवासों के निरंतर क्षरण को कम किया जाना चाहिए क्योंकि पक्षी कई पारिस्थितिक तंत्र सेवाओं में योगदान करते हैं जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मानवता को लाभान्वित करते हैं। अतः पक्षी सम्बन्धी जैव विविधता को संरक्षित करने की आवश्यकता है क्योंकि इसका मानव कल्याण और स्थिरता पर सीधा असर पड़ता है।

संपादकीय-द हिन्दू

सम्पादकीय:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था:

तरलता कार्रवाई द्वारा मुद्रास्फीति नियंत्रण:

विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था और योजना से संबंधित मुद्दे, संसाधन जुटाना, विकास और रोजगार।

प्रारंभिक परीक्षा: फिलिप्स कर्व, केनेसियन गुणक एवं धन गुणक तथा जीडीपी डिफ्लेटर

मुख्य परीक्षा: भारत में उच्च मुद्रास्फीति दर में योगदान करने वाले कारक और आवश्यक सुधारात्मक उपाय।

सन्दर्भ:

  • मौद्रिक नीति समिति (MPC)ने भारतीय अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति के दबाव को कम करने के लिए बेंचमार्क ब्याज दरों में वृद्धि की है।
    • उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) मुद्रास्फीति मार्च 2022 में 6.95% थी, और आगामी महीनों में इसके और बढ़ने की उम्मीद है। साथ ही थोक मूल्य सूचकांक (WPI)मुद्रास्फीति अप्रैल 2021 से दोहरे अंक में बनी हुई है।
    • 2021-22 के लिए GDP निहित मूल्य डिफ्लेटर-आधारित मुद्रास्फीति दर 9.6% है।
      • GDP अपस्फीतिकारक, जिसे निहित मूल्य अपस्फीतिकारकभी कहा जाता है, मुद्रास्फीति का मापक/निर्धारक है। यह वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य का वह अनुपात है जो अर्थव्यवस्था के किसी विशेष वर्ष में मौजूदा कीमतों पर उत्पादन करता है जो आधार वर्ष की प्रचलित कीमतों पर आधारित होता है।

इस विषय के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए निम्नलिखित लेख पढ़े:

https://byjus.com/free-ias-prep/upsc-exam-comprehensive-news-analysis-may05-2022/#RBI%20surprises%20with%2040%20bps%20rate%20increase,%20amid%20inflation%20%E2%80%98alarm%E2%80%99

  • यह कदम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि रेपो दर में यह वृद्धि अगस्त 2018 के बाद पहली बार हुई और यह देश में मुद्रास्फीति से निपटने में सहायक प्रतीत होती है।

पृष्टभूमि:

  • COVID-19 महामारी ने विश्व और साथ ही घरेलू स्तर पर व्यापक आर्थिक व्यवधान पैदा किया। भारत की GDP में भारी गिरावट आई है। भारत में आर्थिक विकास को पुनर्जीवित करने के लिए कई उपाय किए गए।

राजकोषीय उपाय और उनके परिणाम:

  • आर्थिक नीति निर्माताओं के प्रमुख फोकस क्षेत्रों में से एक था, मांग को पुनर्जीवित करना। इसे कीनेसियन गुणक सिद्धांत के अनुरूप सरकारी व्यय को बढ़ाकर प्राप्त करने की मांग की गई थी।
  • कीनेसियन गुणक एक सिद्धांत है जो बताता है कि सरकार के अधिक खर्च करने से अर्थव्यवस्था फलेगी-फूलेगी। इस सिद्धांत के अनुसार, सरकारी व्यय का शुद्ध प्रभाव सरकार द्वारा खर्च की गई डॉलर राशि से अधिक होता है।
  • राजकोषीय गुणक सरकारी खर्च में बदलाव से उत्पन्न होने वाली राष्ट्रीय आय में परिवर्तन का अनुपात है।
  • हालांकि, COVID-19 के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए गंभीर लॉकडाउन के कारण सरकारी खर्च में वृद्धि से उत्पादन में तुरंत वृद्धि नहीं हुई। क्योकि उत्पादन के कारकों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था इसलिए आपूर्ति बाधाओं ने कीनेसियन गुणक के प्रभाव को कम कर दिया।

मौद्रिक उपाय और उनके परिणाम:

  • मौद्रिक नीति का फोकस आर्थिक विकास को समर्थन देने हेतु ब्याज दर को कम रखने और मुद्रा बाजार में तरलता बढ़ाने पर रहा है।
  • हालांकि, खराब कारोबारी धारणा एवं निवेश माहौल के कारण, ऋण वृद्धि कम रही है। इसके परिणामस्वरूप धन गुणक सामान्य से कम रहा है।
    • मनी मल्टीप्लायर (धन गुणक) मौद्रिक अर्थशास्त्र का एक शब्द है जो अर्थव्यवस्था में क्रेडिट निर्माण के रूप में पैसा बनाने की एक प्रक्रिया, जो कि आंशिक आरक्षित बैंकिंग प्रणाली पर आधारित है। धन गुणक प्रभाव वाणिज्यिक बैंकों में देखा जाता है क्योंकि वे जमा स्वीकार करते हैं और एक निश्चित राशि को आरक्षित के रूप में रखने के बाद, वे अर्थव्यवस्था में तरलता को बढ़ानें के लिए धन को ऋण के रूप में वितरित करते हैं।
  • अर्थव्यवस्था में उच्च मुद्रास्फीति दर के लिए तरलता का उच्च स्तर एक प्रमुख कारक प्रतीत होता है।

फिलिप्स वक्र:

  • फिलिप्स वक्र ए डब्ल्यू फिलिप्स द्वारा विकसित एक आर्थिक अवधारणा है।
  • बेरोजगारी दर और मुद्रास्फीति के बीच के व्युत्क्रम संबंध को जब ग्राफिक रूप से चार्ट किया जाता है तो उसे फिलिप्स वक्र कहा जाता है।

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  • सिद्धांत कहता है कि मुद्रास्फीति की दर जितनी अधिक होगी, बेरोजगारी उतनी ही कम होगी अर्थात् ये दोनों एक दूसरे के व्युत्क्रम होगी। इस प्रकार, उच्च स्तर के रोजगार केवल मुद्रास्फीति के उच्च स्तर पर ही प्राप्त किए जा सकते हैं।
  • विशेष रूप से, फिलिप्स वक्र मुद्रास्फीतिजनित मंदी की स्थितियों को सही करने में विफल रहता है, जब मुद्रास्फीति और बेरोजगारी दोनों उच्च होती हैं।

मुद्रास्फीति पर लेखक के विचार:

  • प्रधान मंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के पूर्व अध्यक्ष और भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर सी. रंगराजन द्वारा लिखा गया लेख बेंचमार्क ब्याज दरों को बढ़ाने के RBI के कदम की प्रासंगिकता का विश्लेषण करता है।
  • मुद्रास्फीति के प्राथमिक कारण के रूप में कच्चे तेल जैसी व्यक्तिगत वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि को जिम्मेदार ठहराने के दृष्टिकोण के खिलाफ, लेखक का तर्क है कि इस तरह का दृष्टिकोण केवल व्यक्तिगत कीमतों के व्यवहार की व्याख्या कर सकता है, लेकिन मुद्रास्फीति के सामान्य मूल्य स्तर वृद्धि की नहीं।
  • लेखक का तर्क है कि भारत में मुद्रास्फीति को केवल ‘लागत-प्रेरित’ के रूप में वर्णितनहीं किया जा सकता है क्योंकि ऐसे कारक केवल मूल्य वृद्धि को बढ़ा सकते हैं और यह तरलता की प्रचुरता मुद्रास्फीति को बनाए रखती है। जबकि यह तर्क कि मुद्रास्फीति में कमी आएगी, यदि कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि का कुछ हिस्सा सरकार द्वारा वहाँ किया जाता है। यह तर्क कुछ प्रासंगिक हो सकता है, परन्तु यह अकेले मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा। लेखक का तर्क है कि तरलता को कम करने के प्रयासों के बिना, भारतीय अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति में कमी नहीं आएगी।
  • इस प्रकार लेखक रेपो दर और नकद आरक्षित अनुपात को बढ़ाने के लिए RBI के कदम का स्वागत करता है। विशेष रूप से, केवल रेपो दरों में वृद्धि वास्तविक ब्याज दरों को बढ़ाने के लिए पर्याप्त नहीं होती है। बढ़ी हुई CRR अर्थव्यवस्था में तरलता को अनुबंधित करेगी और इस प्रकार शेष अर्थव्यवस्था में मौद्रिक नीति के पूर्ण और कुशल संचरण को सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।

सारांश:

  • रेपो रेट और कैश रिजर्व रेशो (CRR) को बढ़ाने का कदम स्वागत योग्य है क्योंकि यह भारतीय अर्थव्यवस्था में तरलता को कम करने में मदद करेगा जो मौजूदा उच्च मुद्रास्फीति दरों का प्रमुख कारक है। यह कदम मुद्रास्फीति की चुनौती को दूर करने में मदद करेगा और मध्यम अवधि के आर्थिक विकास की संभावनाओं के साथ-साथ वित्तीय स्थिरता पर इसके प्रतिकूल प्रभाव को कम करेगा।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

भारतीय समाज और सामाजिक मुद्दे:

परिवर्तन की माप:

विषय: भारतीय समाज की मुख्य विशेषताएं तथा जनसंख्या एवं संबद्ध मुद्दे।

प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के बारे में

मुख्य परीक्षा: सामाजिक पहलुओं से संबंधित राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के निष्कर्ष।

सन्दर्भ:

  • हाल ही में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के पांचवें दौर की राष्ट्रीय रिपोर्ट जारी की गई।

सर्वेक्षण के बारे में विस्तृत जानकारी और पांचवें दौर की रिपोर्ट के निष्कर्षों के लिए निम्नलिखित लेख पढ़े:

https://byjus.com/free-ias-prep/upsc-exam-comprehensive-news-analysis-nov26-2021/

https://byjus.com/free-ias-prep/upsc-exam-comprehensive-news-analysis-may07-2022/

विवरण:

  • बच्चों का टीकाकरण, पंजीकृत अस्पताल सुविधाओं में जन्म और पोषण स्तर जैसे पारंपरिक स्वास्थ्य मानकों पर प्रकाश डालने के अलावा, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) का पांचवां संस्करण भारतीय समाज के वर्तमान व्यवहार और सामाजिक परिवर्तनों पर अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।

जनसंख्या प्रवृत्ति:

  • भारत में कुल प्रजनन दर में गिरावट आ रही है और यह टीएफआर 2.1 के प्रतिस्थापन स्तर से भी नीचे है। यह विकसित देशों में भी देखी गई जनसंख्या प्रवृत्तियों के अनुरूप है। यह प्रति व्यक्ति आय और जीवन स्तर में सुधार करने और अधिक लैंगिक समानता लाने में मदद कर सकता है।
  • यह इस तथ्य का भी परिचायक है कि जनसंख्या में गिरावट राज्य की सही नीतियों के बिना संभव नहीं है और परिवार नियोजन को भारतीय आबादी ने अंगीकार कर लिया है।

लिंग आधारित मुद्दे:

  • हाल की रिपोर्ट के निष्कर्षों के अनुसार, एक तिहाई से भी कम विवाहित महिलाएं काम कर रही हैं और लगभग 44% को अकेले बाजार जाने की आजादी नहीं है। यह भारत में महिलाओं के एक बड़े वर्ग की सामाजिक-आर्थिक स्वतंत्रता की कमी का संकेत है।
  • विशेष रूप से, सर्वेक्षण में शामिल 80% से अधिक महिलाओं ने कहा है कि वे अपने पति से सेक्स की मांग को ठुकरा सकती हैं, जबकि लगभग 72% भारतीय पुरुषों का मानना है कि अगर सेक्स से महिला इनकार करती है तो उस पर जबरदस्ती करना, धमकी देना या बल प्रयोग करना सही नहीं है। इन निष्कर्षों में वैवाहिक बलात्कार के संबंध में कानूनी निहितार्थ यह हैं कि पुरुषों को विवाह में समानता, पसंद और स्वतंत्रता के बारे में शिक्षित करने की आवश्यकता है।

सुझाव :

  • भारत को विभिन्न सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षणों जैसे NFHS, नमूना पंजीकरण सर्वेक्षण, जनगणना, श्रम और अन्य आर्थिक सर्वेक्षणों की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए सामाजिक संबंधित पहलुओं को भी शामिल करने के लिए अधिक और स्थायी रूप से निवेश करना चाहिए।

सारांश:

  • NFHS-5 के महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक निष्कर्षों के अनुसार साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण, मौजूदा कार्यक्रमों को सुदृढ़ करने और नीतिगत हस्तक्षेप के लिए नई रणनीतियों के निर्माण की अपार संभावनाएं हैं।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

रक्षा और आंतरिक सुरक्षा:

यूक्रेन सीखने का मैदान:

विषय: सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियाँ और उनका प्रबंधन।

मुख्य परीक्षा: रूस-यूक्रेन संघर्ष से रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में भारत के लिए सीख।

सन्दर्भ:

  • पूर्व एयर वाइस मार्शल, मनमोहन बहादुर द्वारा लिखे गए लेख में रक्षा और आंतरिक सुरक्षा के क्षेत्र में वर्तमान रूस-यूक्रेन संघर्ष से भारत को सीखने वाले कुछ महत्वपूर्ण सबकों का विश्लेषण किया है।

भारत के लिए महत्वपूर्ण सबक:

गठबंधन की आलोचना:

  • परस्पर जुड़ी हुई दुनिया में गठबंधन सबसे महत्वपूर्ण हैं, चाहे कोई देश कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो। उदहारण स्वरूप अपेक्षाकृत उच्च सैन्य शक्ति के बावजूद चीन को अपने पक्ष में करने के रूस के प्रयास।
  • यूक्रेन, मुख्यतः संघर्ष में यूरोप और नाटो द्वारा किये गए समर्थन के कारण रूसी सैन्य शक्ति का विरोध करने में सक्षम रहा है।
  • दो विरोधी पड़ोसी देशों से घिरे भारत द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों को देखते हुए, समान विचारधारा वाले राष्ट्रों के साथ मजबूत संबंध बनाना भारत के दीर्घकालिक हित में होगा।

खुफिया जानकारी का महत्व:

  • भारत के सुरक्षा हितों के लिए खुफिया जानकारी की उपलब्धता महत्वपूर्ण है।
  • भारत को उच्च-रिज़ॉल्यूशन उपग्रहों की एक प्रणाली स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित करना तथा दुश्मन के इलाके के भीतर से भी रणनीतिक खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के लिए पर्याप्त क्षमता का निर्माण करना चाहिए।

आत्मनिर्भरता:

  • कोई देश अपने महत्वपूर्ण हितों की रक्षा केवल तभी कर सकता है जब वह बढ़ती व्यापक राष्ट्रीय शक्ति (CNP) हो अर्थात् जो सामाजिक और राजनीतिक स्थिरता, आर्थिक ताकत, प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता, अनुसंधान एवं विकास क्षमता, विनिर्माण क्षमता और अपने राष्ट्रीय नेतृत्व की गुणवत्ता को ध्यान में रखता हो और इसको सर्वोच्च प्राथमिकता देता हो।
  • CNP एक राष्ट्र की प्रतिरोधक क्षमता और प्रतिरोध विफल होने पर लड़ने की उसकी क्षमता का संकेतक है।
  • इसकी प्राप्ति के लिए संसाधनों के पर्याप्त आवंटन के साथ आत्मानिर्भर भारत की दिशा में सरकार के प्रयासों को और मजबूत किया जाना चाहिए। इस लिहाज से रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता एक महत्वपूर्ण पहलू है।

इस विषय पर अधिक संबंधित जानकारी के लिए निम्नलिखित लेख पढ़े:

https://byjus.com/free-ias-prep/upsc-exam-comprehensive-news-analysis-mar15-2022/

सारांश:

  • अपने पड़ोस की चुनौतियों को देखते हुए, भारत को आत्मनिर्भरता पर जोर देकर अपनी व्यापक राष्ट्रीय शक्ति में सुधार करने की कोशिश करते हुए गठबंधन बनाने पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। यह भारत को दो विरोधी पड़ोसियों के प्रति आवश्यक प्रतिरोध क्षमता प्रदान करेगा।

प्रीलिम्स तथ्य:

1. त्रिशूर पूरम दो साल के अंतराल के बाद मनाया गया:

कला और संस्कृति:

विषय: भारतीय संस्कृति के प्राचीन से आधुनिक काल तक कला रूपों, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलु।

प्रारंभिक परीक्षा: त्रिशूर पूरम

प्रसंग:

  • हाल ही में, त्रिशूर पूरम दो साल के अंतराल के बाद मनाया गया।

त्रिशूर पूरम से सम्बंधित जानकारी :

  • त्रिशूर पूरम केरल में सात दिनों तक चलने वाला रंगारंग त्योहार है।
  • यह राज्य के विभिन्न मंदिरों में आयोजित एक हिंदू मंदिर उत्सव है, हालांकि आकर्षण का केंद्र वडक्कुनाथन मंदिर है।
  • इस उत्सव की शुरुआत 1798 में कोचीन सकथान थंपुरन के महाराजा राजा राम वर्मा ने की थी।
  • त्रिशूर पूरम में कोडियेट्टम (झंडा फहराना) समारोह और ताल वाद्य यंत्रों या हाथियों की परेड जैसे अनुष्ठान शामिल हैं।

महत्वपूर्ण तथ्य:

1. क्या देशद्रोह के आरोपियों को सुरक्षा मिल सकती है: सुप्रीम कोर्ट

  • सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से अगले 24 घंटों के भीतर जवाब देने को कहा कि वह भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए (देशद्रोह) के तहत पहले से ही गिरफ्तार और अभियोजन का सामना कर रहे लोगों के हितों की रक्षा कैसे करना चाहती है।
  • अदालत ने आगे सरकार से जवाब मांगा कि क्या पुनर्विचार प्रक्रिया के मद्देनजर ब्रिटिश काल के कानून के इस्तेमाल को निलंबित किया जा सकता है।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. सूर्य- सौर देवता को समर्पित यह मंदिर पांडौ लैदान के नाम से भी जाना जाता है। इसका निर्माण 8वीं शताब्दी ईस्वी में कर्कोटा राजवंश के ललितादित्य मुक्तापीड द्वारा किया गया था। उपरोक्त कथन में जिस मंदिर के बारे में बात की जा रही है वह है: (स्तर-मध्यम)

(a)मोढेरा सूर्य मंदिर

(b)कोणार्क सूर्य मंदिर

(c)मार्तंड सूर्य मंदिर

(d)कुंभकोणम सूर्यनार कोविला

उत्तर: c

व्याख्या:

  • भारत के जम्मू और कश्मीर में स्थित मार्तंड सूर्य मंदिर, अनंतनाग शहर के पास एक मध्ययुगीन हिंदू मंदिर है। यह हिंदू धर्म के सबसे बड़े सौर देवता सूर्य को समर्पित है।
  • मार्तंड सूर्य मंदिर, जिसे पांडौ लैदान के नाम से भी जाना जाता है, 8वीं शताब्दी में बनाया गया था।
  • मंदिर का निर्माण ललितादित्य मुक्तपीड़ा द्वारा करवाया गया था जो कर्कोटा शासन के तीसरे सम्राट थे।
  • अत: विकल्प C सही है।

प्रश्न 2. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (स्तर-मध्यम)

  1. जनसांख्यिकीय लाभांश एक देश में बदलती जनसंख्या आयु संरचना के परिणामस्वरूप पैदा होने वाली आर्थिक विकास क्षमता है।
  2. जब निर्भरता अनुपात न्यूनतम और आयु पिरामिड के मध्य भाग में उभार दिखता है तब ऐसा कहा जाता है कि देश ‘जनसांख्यिकीय लाभांश’ चरण में है।
  3. भारत में, 1921 को जनसांख्यिकीय विभाजन के वर्ष के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह जनगणना का वह वर्ष है जब जनसंख्या में अचानक वृद्धि हुई थी।

विकल्प:

(a)केवल 1 और 2

(b)केवल 3

(c)केवल 1

(d)1, 2 और 3

उत्तर: a

व्याख्या:

  • जनसांख्यिकीय लाभांश वह आर्थिक विकास क्षमता है जो जनसंख्या की आयु संरचना में बदलाव के परिणामस्वरूप पैदा होती है, मुख्य रूप से तब जब कामकाजी उम्र की आबादी का हिस्सा (15 से 64) गैर-कामकाजी हिस्से से बड़ा होता है (14 और छोटा, और 65 और अधिक उम्र का)। इसलिए कथन 1 सही है।
  • कई लोग तर्क देते हैं कि युवा और वृद्ध के बीच लाभांश के कारण,आर्थिक लाभ की काफी संभावनाएं हैं, जिसे “जनसांख्यिकीय उपहार” कहा गया है।
  • वर्ष 1921 को जनसांख्यिकीय विभाजन के वर्ष के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह एकमात्र जनगणना वर्ष है जब जनसंख्या वृद्धि में कमी आई थी। 1921 के बाद से जनसंख्या में लगातार वृद्धि हुई है। अतः कथन 3 सही नहीं है।

प्रश्न 3. निम्नलिखित युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं? (स्तर-कठिन )

साधन श्रेणी

  1. संतूर टाटा वाद्य
  2. कोलालु सुषिर वाद्य
  3. पखावज घाना वाद्य

विकल्प:

(a)केवल 1 और 2

(b)केवल 2 और 3

(c)केवल 1

(d)1, 2 और 3

उत्तर: a

व्याख्या:

  • संतूर एक टाटा वाद्य हैं। यह एक संगीत वाद्ययंत्र है जिसमें किसी तार के कंपन से ध्वनि उत्पन्न होती है। अत: युग्म 1 सही है।
  • कोलालू सुषिर वाद्य हैं। यह एक संगीत वाद्ययंत्र है जो काष्ठ वाद्य परिवार से संबंधित है।
  • इन उपकरणों में कई छिद्र होते हैं जिनके माध्यम से विभिन्न स्वर या ध्वनियाँ उत्पन्न होती है।
  • पखवाज एक अवनद्ध वाद्य हैं। यह लकड़ी, चर्मपत्र, चमड़े और काले पेस्ट से बना एक आघात-वाद्ययंत्र है। यह पारंपरिक वाद्य यंत्र उत्तर भारत के विभिन्न भागों में पाया जाता है। अत: युग्म 3 सही नहीं है।

प्रश्न 4. मरुस्थलीकरण का मुकाबला करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (स्तर-कठिन )

  1. UNCCD पर्यावरण और विकास को स्थायी भूमि प्रबंधन से जोड़ने वाला एकमात्र कानूनी रूप से बाध्यकारी अंतर्राष्ट्रीय समझौता है।
  2. यह तीन रियो सम्मेलनों में से एक है।
  3. भारत ने UNCCD पार्टियों के सम्मेलन के दो संस्करणों की मेजबानी की है।
  4. UNCCD, SDG संकेतक 15.3.1 हेतु संरक्षक एजेंसी है।

विकल्प:

(a)केवल 1, 2 और 3

(b)केवल 1, 2 और 4

(c)केवल 2 और 3

(d)केवल 3 और 4

उत्तर: b

व्याख्या:

  • UNCCD का मतलब मरुस्थलीकरण से निपटने हेतु एक संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन है।
  • 1994 में स्थापित,UNCCD एकमात्र कानूनी रूप से बाध्यकारी पर्यावरण सम्मेलन है जो विकास और पर्यावरण को स्थायी भूमि प्रबंधन से जोड़ता है। इसलिए कथन 1 सही है।
  • UNCCD तीन रियो सम्मेलनों में से एक है, अन्य दो हैं:
  • जैव विविधता पर कन्वेंशन (UNCBD)
  • जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) इसलिए कथन 2 सही है।
  • UNCCD COP 14 (पार्टियों के सम्मेलन का 14 वां संस्करण) 13 सितंबर 2019 को समाप्त हुआ। यह पहली बार था जब भारत ने UNCCD COP के एक संस्करण की मेजबानी की। अतः कथन 3 सही नहीं है।
  • यूएनसीसीडी एसडीजी संकेतक 15.3.1 के लिए संरक्षक एजेंसी है। इस सूचक पर UNCCD द्वारा 2018 से अपनी राष्ट्रीय रिपोर्टिंग और समीक्षा प्रक्रिया के माध्यम से और उसके बाद हर चार साल में नियमित रूप से जानकारी एकत्र की जाती है। अतः कथन 4 सही है।

प्रश्न 5. यदि किसी अर्थव्यवस्था में ब्याज दर में कम हो जाती है, तो इससे क्या होगा: PYQ (2014) (स्तर-मध्यम)

(a)अर्थव्यवस्था में उपभोग व्यय में कमी।

(b)सरकार के कर संग्रह में वृद्धि।

(c)अर्थव्यवस्था में निवेश व्यय में वृद्धि।

(d)अर्थव्यवस्था में कुल बचत में वृद्धि।

उत्तर: c

व्याख्या:

  • जब ब्याज दरें गिरती हैं, तो नागरिकों द्वारा बैंकों में अपना पैसा रखने की संभावना कम होती है क्योंकि उन्हें उच्च रिटर्न नहीं मिलेगा।
  • ऐसे समय में नागरिक अर्थव्यवस्था को प्रवाहमान रखते हैं।
  • ऐसे समय में वे या तो अपने पैसे का सदुपयोग कर सकते हैं या इसे दैनिक आधार पर खर्च कर सकते हैं। परिणामस्वरूप, जब किसी अर्थव्यवस्था में ब्याज दर कम हो जाती है, तो अर्थव्यवस्था का निवेश व्यय बढ़ जाता है।
  • अत: विकल्प C सही है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

प्रश्न 1. पीड़ितों के अधिकारों की मान्यता को सुगम बनाने और एक वैधानिक ढांचा तैयार करने के लिए सीआरपीसी में संशोधन की तत्काल आवश्यकता है। कथन की पुष्टि कीजिए। (10 अंक, 150 शब्द) (राजनीति)

प्रश्न 2. पक्षियों के पारिस्थितिक महत्व और पक्षी संबंधी जैव विविधता के नुकसान में योगदान करने वाले कारकों पर चर्चा कीजिए। (10 अंक, 150 शब्द) (पर्यावरण और पारिस्थितिकी)

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