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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 12 January, 2023 UPSC CNA in Hindi - Download PDF

12 जनवरी 2023 : समाचार विश्लेषण

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

आपदा प्रबंधन:

  1. जोशीमठ में जमीन क्यों धंस रही है ?

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

सामाजिक न्याय:

  1. बाल मृत्यु दर और मृत प्रसव (Stillbirths):

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

  1. चीन और तालिबान:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. इंडियन स्किमर:
  2. व्हाइट टफ्टेड रॉयल बटरफ्लाई/तितली :

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. भारत के महारजिस्ट्रार का कार्यालय अनुसूचित जनजातियों को परिभाषित करने के लिए ‘अप्रचलित’ मानदंड का पालन कर रहे हैं:
  2. यू.के., जापान ने रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए जो सेना की तैनाती की अनुमति प्रदान करता है:

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

जोशीमठ में जमीन क्यों धंस रही है ?

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

आपदा प्रबंधन:

विषय: आपदा और आपदा प्रबंधन

प्रारंभिक परीक्षा: भू-अवतलन/भूमि धंसाव (Land subsidence)

मुख्य परीक्षा: जोशीमठ में भूमि धंसाव – कारण, प्रभाव, परिणाम और इसके संभावित समाधान।

प्रसंग:

  • उत्तराखंड के जोशीमठ शहर के कुछ घरों में अक्टूबर 2021 में दरारें आनी शुरू हो गई थीं और जनवरी 2023 तक, 700 से अधिक घरों में बड़ी या छोटी दरारें आ गई थीं जिसकी वजह से145 से अधिक परिवारों को सुरक्षा उद्देश्यों से अस्थायी रूप से सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है।

जोशीमठ:

चित्र स्रोत: Times of India

  • जोशीमठ उत्तराखंड के चमोली जिले में 6,107 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।
  • इस शहर की आबादी लगभग 23,000 है लेकिन कम आबादी के बावजूद इस शहर में होटल, रिसॉर्ट और बाजारों की संख्या बहुत अधिक हैं, क्योंकि यह शहर बहुतायत में पर्यटकों, ट्रेकर्स और सेना तथा भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के कर्मियों की मेजबानी करता है।
  • 1962 के चीन-भारत युद्ध (Sino-Indian war of 1962) के बाद, जोशीमठ रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थान के रूप में उभरा है क्योंकि भारत-चीन सीमा के साथ लगते हुए इस शहर के आसपास बहुतायत में गांव मौजूद हैं।
    • जोशीमठ बाराहोती के मार्ग में स्थित है जो सीमा पर एक विवादित क्षेत्र है।
  • जोशीमठ उत्तराखंड के प्रमुख तीर्थ स्थलों और पर्यटन स्थलों जैसे बद्रीनाथ, हेमकुंड साहिब, औली के अंतर्राष्ट्रीय स्कीइंग स्थल और फूलों की घाटी जो यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल (UNESCO World Heritage site) है, के प्रवेश द्वार के रूप में भी कार्य करता है।
  • अक्टूबर 2021 में छावनी बाजार इलाके के पास भूमि धंसने का मामले पहली बार देखे गए थे और अब पूरे शहर में दरारें दिखाई देने लगी हैं।
    • वर्ष 2023 की शुरुआत में स्थिति और खराब हो गई, क्योंकि शहर के विभिन्न हिस्सों में अचानक जमीन धंसने लगी और घरों में बड़ी दरारें आने लगी।

भूमि धंसाव/भू-अवतलन (Land subsidence):

  • नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) जो यू.एस. की एक वैज्ञानिक और नियामक एजेंसी है, के अनुसार भू-अवतलन का तात्पर्य भूमिगत सामग्री के संचलन के कारण भूमि के धंसने से है।
  • भूमि अवतलन कई कारणों से हो सकता है जो मानव निर्मित होने के साथ-साथ प्राकृतिक भी हैं, जैसे कि खनन गतिविधियों के साथ-साथ पानी, तेल या प्राकृतिक संसाधनों का निष्कासन।
  • इसके अलावा, भूकंप, मिट्टी का कटाव और मिट्टी के संघनन जैसे कारकों को भी भूमि धंसाव का कारण माना जाता है।

जोशीमठ की संवेदनशीलता:

  • जोशीमठ शहर मेन सेंट्रल थ्रस्ट (MCT) और वैकृता थ्रस्ट (VT) नाम के दो थ्रस्ट के बीच स्थित है और MCT के कारण, जोशीमठ के आसपास का क्षेत्र ढलान की गतिशीलता के संबंध में भूकंपीय रूप से सक्रिय इलाका है।
  • जोशीमठ शहर भी एक पुराने भूस्खलन के निक्षेपों पर बना हुआ है, इस प्रकार मामूली ट्रिगर्स के कारण भी ढलानें अस्थिर हो सकती हैं।
  • इसके अलावा, जोशीमठ शहर को भारत की भूकंपीय क्षेत्रीकरण योजना के जोन V के तहत भी वर्गीकृत किया गया है, जो जोखिम के उच्चतम स्तर को दर्शाता है।
  • इसके अतिरिक्त जोशीमठ में मौसम की चरम स्थिति का अनुभव होता है और इस क्षेत्र में उच्च एवं तीव्र केंद्रित वर्षा होती है जिसके परिणामस्वरूप लगातार भूस्खलन हो सकते हैं।
    • सितंबर 2022 में उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (USDMA) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार जून 2013 और फरवरी 2021 के दौरान आई बाढ़ ने जोशीमठ क्षेत्र में कटाव बढ़ा दिया है। इसके अलावा, अक्टूबर 2021 में हुई भारी बारिश ने भू-अवतलन और भूस्खलन की चपेट में आने की समस्या को और बढ़ा दिया है।

जोशीमठ में भू-धंसाव के प्रमुख कारण:

  • NTPC की भूमिका: जोशीमठ के स्थानीय निवासियों का दावा है कि नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (NTPC) की 520-मेगावाट तपोवन विष्णुगढ़ जलविद्युत परियोजना के निर्माण कार्यों ने इस क्षेत्र में भू-धंसाव की स्थिति को ओर बदतर बना दिया है।
    • दिसंबर 2009 में एक टनल बोरिंग मशीन ने जोशीमठ के करीब स्थित एक क्षेत्र में एक जलभृत को छिद्रित कर दिया था और शोधकर्ताओं के अनुसार इस छिद्र ने प्रति सेकंड लगभग 700-800 लीटर पानी छोड़ा, जो हर दिन लगभग 20 लाख लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त था।
    • स्थानीय निवासियों का आरोप है कि इस घटना के बाद क्षेत्र के जल संसाधन सूखने लगे। हालांकि ऐसा कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिला है जो इस क्षेत्र में छिद्रित होने और भूमि के धंसने के बीच संबंध स्थापित करता हो।
  • चार धाम परियोजना कार्य: सीमा सड़क संगठन (BRO) द्वारा हेलंग-मारवाड़ी बाईपास का निर्माण कार्य, जो चार धाम परियोजना ( Char Dham project) का एक हिस्सा है, स्थानीय स्थलाकृति को अस्थिर करने के लिए जांच के दायरे में आ गया है।
    • भूवैज्ञानिकों ने परियोजना कार्यों के एक हिस्से के रूप में अवैज्ञानिक ढलान-कटाई की ओर इशारा किया है और कहा है कि भारी निर्माण कार्य जोशीमठ शहर की नींव को कमजोर कर रहे हैं।
  • जल निकासी और अपशिष्ट जल निपटान प्रणालियों की कमी: उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (USDMA) की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, जल निकासी और अपशिष्ट जल निपटान प्रणालियों की कमी ने भी भू-धंसाव की समस्या में योगदान दिया है।
    • विशेषज्ञ इस तथ्य पर प्रकाश डालते हैं कि शहर में लगभग 85% इमारतें जिसमें सेना की इमारतें भी शामिल हैं, सीवरेज सिस्टम से जुड़ी नहीं हैं, बल्कि इसके स्थान पर सोख्ता गड्ढे बनाये हुए हैं।
    • मिश्रा समिति की वर्ष 1976 की रिपोर्ट में कहा गया था कि सोख्ता गड्ढों की मौजूदगी मिट्टी और शिलाखंडों के बीच गुहाओं को जन्म दे सकती है जो अपर्याप्त जल निकासी व्यवस्था के परिणामस्वरूप भूस्खलन और भू-धंसाव का कारण हो सकता है।

जोशीमठ मुद्दे के संबंध में अधिक जानकारी के लिए निम्न वीडियो देखें: THE BIG NEWS: Why Is Joshimath Sinking?

सरकार द्वारा हस्तक्षेप:

  • दशकों पहले भूमि धंसने का अनुभव करने के बाद, तत्कालीन राज्य सरकार (उत्तराखंड तब उत्तर प्रदेश का एक हिस्सा था) ने कारणों का अध्ययन करने के लिए एम. सी. मिश्रा की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया।
    • 1976 की मिश्रा समिति की रिपोर्ट ने कस्बे में भारी और अवैज्ञानिक निर्माण के खिलाफ चेतावनी दी थी।
    • इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ब्लास्टिंग और भारी ट्रैफिक के कारण होने वाले कंपन से प्राकृतिक कारकों में भी असंतुलन पैदा हो गया है।
  • केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री ने जोशीमठ क्षेत्र में कई सूक्ष्म भूकंपीय वेधशाला प्रणालियों की स्थापना की घोषणा की है।
    • ये वेधशाला प्रणालियाँ इस तथ्य का अध्ययन करेंगी और जानकारी एकत्र करेंगी क्या इस क्षेत्र में छोटे भूकंप और कंपन आते रहे हैं।
    • यह पहला उदाहरण है कि सूक्ष्म भूकंपीय वेधशालाएं भारत के हिमालयी क्षेत्र में स्थापित की जा रही हैं।
  • इसके अलावा, पृथ्वी विज्ञान मंत्री ने हाल ही में नई दिल्ली में आयोजित भारत-यूके भू-विज्ञान कार्यशाला में कहा कि भू-पर्पटी और अधो-पर्पटी के नीचे भंगुर परतों के क्षरण के कारण होने वाली भौतिक प्रक्रियाओं पर विस्तारित शोध किया जाएगा।
  • उत्तराखंड सरकार ने ₹45 करोड़ की अंतरिम राहत की घोषणा की, जिसमें से जोशीमठ में रहने वाले 3,000 परिवारों में से प्रत्येक को ₹1.5 लाख दिए जायेंगे।
  • राज्य सरकार भी इस तरह से लोगों का पुनर्वास करने पर विचार कर रही है जो देश में एक मिसाल बने।

सारांश:

  • जोशीमठ की भूगर्भीय स्थिति के साथ-साथ शहर में अनियोजित और बड़े पैमाने पर निर्माण कार्यों के कारण इस क्षेत्र में गंभीर भू-धंसाव हुआ है। ऐसी आपदाओं को टालने के लिए ऐसी आपदाओं के पीछे की प्रक्रियाओं की वैज्ञानिक समझ महत्वपूर्ण हो गई है।

संपादकीय-द हिन्दू

संपादकीय:

बाल मृत्यु दर और मृत प्रसव (Stillbirths):

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

सामाजिक न्याय:

विषय: बच्चों से संबंधित मुद्दे।

मुख्य परीक्षा: भारत में उच्च बाल मृत्यु दर के बने रहने के कारण।

संदर्भ:

  • बाल मृत्यु दर आकलन के लिए संयुक्त राष्ट्र अंतर-एजेंसी समूह (UN IGME) ने हाल ही में बाल मृत्यु दर और मृत जन्म पर रिपोर्ट जारी की है।

रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएं:

  • 2021 में, जीवन के पहले महीने के दौरान लगभग 2.3 मिलियन बच्चों – या लगभग 6,400 बच्चे प्रतिदिन – की मृत्यु हुई।
    • ये मौतें 2021 में पाँच वर्ष से कम आयु में होने वाली 5 मिलियन मौतों का लगभग 47 प्रतिशत थीं।
  • 2021 में 5-24 वर्ष की आयु के अनुमानित 2.1 मिलियन बच्चों, किशोरों और युवाओं की मृत्यु हुई।
    • इनमें से आधी से अधिक मौतें 15-24 वर्ष की आयु के किशोरों और युवाओं में होती हैं।
    • पांच वर्ष से कम आयु की 80 प्रतिशत से अधिक मौतें और 5-24 वर्ष के बच्चों में सभी मौतों का लगभग 70 प्रतिशत उप-सहारा अफ्रीका और दक्षिणी एशिया में होती हैं।
  • वैश्विक स्तर पर, 2021 में पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 38 थीं।
    • उप-सहारा अफ्रीका में, मृत्यु दर प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 74 थी। 5 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चे और युवा भी उप सहारा अफ्रीका में मृत्यु की उच्चतम आशंका का सामना करते हैं।
    • कम आय वाले देशों में, 2021 में पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 67 थी, जबकि उच्च आय वाले देशों में मृत्यु दर प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर केवल 5 थी।
  • नाजुक और संघर्ष-प्रभावित स्थितियों के रूप में वर्गीकृत 37 देशों में पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर अन्य सभी देशों की तुलना में तिगुनी थी।

चित्र स्रोत: UN-IGME-Child-Mortality-Report

भारत में बाल मृत्यु दर:

  • संयुक्त राष्ट्र की उपर्युक्त रिपोर्ट के अनुसार, पाँच वर्ष की आयु पूर्ण करने से पहले मरने वाले कुल बच्चों में भारत की हिस्सेदारी 7,09,366; शिशु मृत्यु (पहले जन्मदिन से पहले मृत्यु) में 5,86,787; और नवजात मृत्यु में 4,41,801 थी।
  • सितंबर 2022 में जारी नमूना पंजीकरण प्रणाली (SRS) ने भारत में बाल मृत्यु दर में व्यापक अंतर-राज्य भिन्नता प्रदर्शित की।
  • प्रत्येक 1,000 जीवित जन्मों के लिए, मध्य प्रदेश में शिशु मृत्यु दर केरल की दर से छह गुना थी।
  • किसी भी आयु उपसमूह में ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों की मृत्यु दर उनके शहरी क्षेत्रों की तुलना में बहुत अधिक है।

इन मौतों के पीछे कारण:

  • अपरिपक्व जन्म: पहली चुनौती बच्चों का ‘बहुत जल्दी जन्म होना’ (अपरिपक्व जन्म) है, जिसका अर्थ है कि गर्भावस्था के 37 सप्ताह पूरे होने से पहले जीवित जन्म होना।
  • 37 सप्ताह के गर्भ के बाद जन्म लेने वाले बच्चों की तुलना में ‘समय से पहले जन्मे’ बच्चों में जन्म के बाद मृत्यु का जोखिम दो से चार गुना अधिक होता है। विश्व स्तर पर, प्रत्येक 10 जन्मों में से एक ‘अपरिपक्व जन्म’ होता है।
    • भारत में हर छह से सात जन्मों में से एक ‘अपरिपक्व जन्म’ होता है। भारत में समय पूर्व जन्मों का भारी बोझ है।
    • अध्ययनों से पता चला है कि पाँच वर्ष से कम आयु के मरने वाले हर छः में से एक बच्चे की मृत्यु का कारण ‘अपरिपक्व जन्म’ होता है। हालांकि, ‘अपरिपक्व जन्म’ से संबंधित जटिलताओं के कारण होने वाली हर चार मौतों में से तीन को रोका जा सकता है।
  • मृत प्रसव: एक बच्चा जो गर्भावस्था के 22 सप्ताह के बाद, जन्म से पहले या उसके दौरान, किसी भी समय मर जाता है तो उसे मृत प्रसव के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
    • विश्व स्तर पर, अनुमानित 2021 में 1.9 मिलियन मृत प्रसव हुए।
    • 2021 में, भारत में मृत प्रसवों की पूर्ण अनुमानित संख्या (2,86,482) 1-59 महीने की आयु के बच्चों की मृत्यु (2,67,565) से अधिक थी।
  • अपरिपक्व जन्म और मृत प्रसव पर उचित ध्यान न देने का एक कारण विस्तृत और विश्वसनीय डेटा की कमी है। दशकों से, जबकि देशों ने बाल मृत्यु दर पर नज़र रखने के लिए तंत्र को मजबूत किया है, मृत प्रसव और अपरिपक्व जन्म के आंकड़े बहुत कम हैं।
  • वैश्विक स्तर पर भी, मृत प्रसव पर पहली रिपोर्ट अक्टूबर 2020 में ही जारी की गई थी। विशेषज्ञों का मानना है कि समस्या ब्लॉक, जिला और राज्य स्तरों से मृत प्रसव से संबंधित यथासमय, विस्तृत डेटा की कमी है।
  • बुनियादी अधिकारों का अभाव: बच्चे गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल, टीकाकरण, उचित भोजन तथा स्वच्छ जल और स्वच्छता के अपने मूल अधिकार से वंचित हैं। कईं बच्चों की मृत्यु होती रहती हैं क्योंकि रोके जा सकने वाले संचारी और संक्रामक रोगों को दूर करने के प्रयास अपर्याप्त हैं।
  • कोविड-19 महामारी सहित संघर्ष और आपात स्थिति भी बच्चों के अस्तित्व के लिए खतरा बनी हुई है।

भावी कदम:

  • बाल मृत्यु दर के लिए प्रस्तावित SDG लक्ष्य का एक लक्ष्य 2030 तक नवजात शिशुओं और 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की रोकी जा सकने वाली मौतों को समाप्त करना है, सभी देशों का लक्ष्य नवजात मृत्यु दर को प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर कम करके 12 मौतों तक लाना और 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर को कम करके 25 मृत्यु प्रति 1,000 जीवित जन्मों तक लाना है।
  • गुणवत्ता डेटा बच्चों के अस्तित्व की निगरानी के लिए महत्वपूर्ण है।
    • विशेष रूप से संघर्ष-प्रभावित स्थितियों में डेटा संग्रह तंत्र और प्रणालियों में निवेश करना बच्चों के अधिकारों को साकार करने और SDG को प्राप्त करने का एक अनिवार्य घटक है।
  • मृत्य प्रसव और अपरिपक्व जन्म दोनों को कम करने के लिए, ध्यान:
    • परिवार नियोजन सेवाओं तक पहुंच बढ़ाने;
    • स्वास्थ्य और पोषण जैसी प्रसवपूर्व सेवाओं में सुधार करने, जिसमें गर्भवती माताओं द्वारा आयरन फोलिक एसिड का सेवन, स्वस्थ आहार के महत्व पर परामर्श प्रदान करना और इष्टतम पोषण शामिल है; और
    • जोखिम कारकों की पहचान और प्रबंधन पर होना चाहिए।
  • मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मोटापा और संक्रमण जैसी माताओं को उच्च जोखिम में डालने वाली बीमारियों को रोकने, उनका जल्दी पता लगाने और प्रबंधित करने के उपाय भी अपरिपक्व जन्म और मृत प्रसव को कम करने में मदद करेंगे।
  • श्रम और कार्यात्मक रेफरल लिंकेज की निगरानी और स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार से मृत प्रसवों को रोका जा सकेगा।
  • मातृ और प्रसवकालीन मृत्यु निगरानी दिशानिर्देशों को प्रभावी ढंग से लागू करने की आवश्यकता है और प्रसवकालीन मृत्यु दर के लिए रोगों की परिभाषा के अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण को अपनाया जाना चाहिए।
  • भारत को स्थानीय और लक्षित हस्तक्षेपों के लिए मृत प्रसव और अपरिपक्व जन्मों के हॉट स्पॉट समूहों की भी पहचान करनी चाहिए।
  • केंद्र सरकार 2025 तक स्वास्थ्य पर सकल घरेलू उत्पाद का 2.5% निवेश करने के 2017 की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति द्वारा निर्धारित लक्ष्य तक पहुंचने पर ध्यान केंद्रित करेगी।

सारांश:

  • दुनिया भर में बच्चों को जीवित रहने की बहुत अलग संभावना का सामना करना पड़ता है। अपरिपक्व जन्म और मृत प्रसव दोनों की दर और संख्या अस्वीकार्य रूप से अधिक है जो भारत में नवजात, शिशु और बाल मृत्यु दर को बढ़ाती है। रोकथाम योग्य मौतों को समाप्त करने और स्वस्थ वयस्कता के वादे को पूरा करने के लिए सबसे कमजोर बच्चों, किशोरों के अस्तित्व को सुनिश्चित करने के लिए केंद्रित उपायों की आवश्यकता है।

चीन और तालिबान:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: भारत के हितों पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव।

मुख्य परीक्षा: अफगानिस्तान में तालिबान शासन की प्रगति।

संदर्भ:

  • तालिबान ने अफगानिस्तान में बड़े विदेशी निवेश के लिए चीन के साथ पहला अंतरराष्ट्रीय समझौता किया।

भूमिका:

  • तालिबान (Taliban) के नेतृत्व वाले प्रशासन ने उत्तरी अफगानिस्तान के अमु दरिया बेसिन से तेल निकालने के लिए एक चीनी कंपनी के साथ अपने पहले अंतरराष्ट्रीय समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जो सरकार का पहला बड़ा विदेशी निवेश समझौता है।
    • अमु-दरिया बेसिन (‘दरिया’ नदी के लिए फारसी शब्द है) एक पेट्रोलियम-समृद्ध क्षेत्र है जो तुर्कमेनिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान के कुछ हिस्सों को कवर करता है।
  • झिंजियांग सेंट्रल एशिया पेट्रोलियम एंड गैस कंपनी (CAPEIC) के साथ 25 साल के लिए 540 मिलियन डॉलर के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए।
  • अनुबंध 2021 में काबुल में तालिबान द्वारा सत्ता पर कब्जा करने के बाद से पहला बड़ा विदेशी निवेश समझौता है।

चीन के लक्ष्य और चुनौतियां:

  • चीन ने औपचारिक रूप से तालिबान प्रशासन को मान्यता नहीं दी है, लेकिन उसने अफगानिस्तान के आर्थिक विकास पर इस्लामी शासकों के साथ समर्थन और काम करने का वादा किया है।
  • अफगानिस्तान में चीन के महत्वपूर्ण हित हैं क्योंकि यह अपनी बेल्ट एंड रोड इंफ्रास्ट्रक्चर पहल के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र के केंद्र में है।
  • इसलिए चीन अफगानिस्तान और मध्य एशिया को पश्चिमी देशों की पहुंच से दूर रखना चाहता है।
    • यह देखते हुए कि अमेरिका तालिबान के साथ संलग्न नहीं होगा, चीन के साथ उसके तनावपूर्ण संबंध हैं, और उसने रूस पर प्रतिबंध लगा दिया है, अमेरिका के पास इस क्षेत्र में सीमित नीतिगत विकल्प हैं।
  • चीन की प्राथमिक सुरक्षा चिंता अपेक्षाकृत छोटे पूर्व तुर्किस्तान इस्लामी आंदोलन (एक समूह जो झिंजियांग प्रांत और उईगुर लोगों को चीनी सरकार के नियंत्रण से मुक्त करना चाहता है और इस्लामी शासन लागू करना चाहता है) से संभावित खतरे हैं।
    • चीन ने तालिबान को अफगान क्षेत्र के अंदर सक्रिय इन उईगुर के नेतृत्व वाले आतंकवादी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए प्रेरित किया है।
  • चीन का लक्ष्य अफगानिस्तान में अपने मौजूदा निवेश और काम कर रहे नागरिकों की रक्षा करना भी है।
    • हाल के दिनों में चीनी कामगारों पर हमलों ने अफगानिस्तान में चीनी नागरिकों के खिलाफ संभावित आतंकवादी हमलों को लेकर बीजिंग की चिंताओं को बढ़ा दिया है।

तालिबान के हित:

  • अफगानिस्तान गंभीर आर्थिक कठिनाई का सामना कर रहा है। लंबे समय तक आर्थिक मंदी मौजूदा शासन के प्राधिकार को चुनौती देगी।
  • जैसा कि संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप से वित्त पोषण रुक गया है, निकट भविष्य में अफगानिस्तान की कुछ आर्थिक संभावनाओं में से एक चीनी निवेश और समर्थन है।
    • अफगानिस्तान में पिछली सरकार का 80% बजट समर्थन विदेशी सहायता से आया था। देश के सकल घरेलू उत्पाद में विदेशी सहायता का हिस्सा 40% था।
    • अफगानिस्तान पुनर्निर्माण के विशेष महानिरीक्षक के अनुसार, अप्रैल 2022 में, 24 मिलियन अफगानिस्तान निवासियों को अफगानिस्तान में मानवीय सहायता की सख्त जरूरत थी, जो 2021 में 18.4 मिलियन थी।
  • तालिबान भी एक सफल इस्लामिक अमीरात स्थापित करने का लक्ष्य बना रहा है, जिसे तालिबान आंदोलन के छत्र के भीतर राज्य और व्यक्तिगत गुटों को वित्तपोषित करने के लिए एक कार्यशील अर्थव्यवस्था की आवश्यकता है।
  • अफगानिस्तान में छोटे और मध्यम आकार के खनिज क्षेत्र हैं, जिनमें से अधिकांश अभी तक खोजे नहीं गए हैं। संबंधित बुनियादी ढांचे में चीनी निवेश द्वारा समर्थित लंबित परियोजनाओं के क्रियान्वयन से अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था को बहुत मदद मिलेगी।
    • उस समय, अमु दरिया में 87 मिलियन बैरल तक कच्चे तेल का अनुमान लगाया गया था।
    • पूर्वी लोगर प्रांत में एक तांबे की खदान के संचालन को लेकर एक चीनी राज्य के स्वामित्व वाली कंपनी तालिबान के नेतृत्व वाले प्रशासन के साथ भी बातचीत कर रही है।

सारांश:

  • तालिबान प्रशासन ने हाल ही में अफगानिस्तान में बड़े विदेशी निवेश के लिए चीन के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए है। सुरक्षा संबंधी वादों को पूरा करने की अफगानिस्तान की क्षमता अफगानिस्तान-चीन सहयोग के भविष्य को निर्धारित कर सकती है। लेकिन एक विदेशी शक्ति, जैसे कि चीन का घरेलू मामलों पर अधिक प्रभुत्व होना तालिबान के लिए हमेशा जोखिम भरा होता है।

भारत-अफगानिस्तान संबंधों पर और पढ़ें: India-Afghanistan Relations

भारत-चीन संबंधों पर और पढ़ें: India-China Relations

प्रीलिम्स तथ्य:

1.इंडियन स्किमर:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण:

विषय: जैव विविधता।

प्रारंभिक परीक्षा: इंडियन स्किमर (Indian Skimmer)।

प्रसंग

  • वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार आंध्र प्रदेश में गोदावरी मुहाना इंडियन स्किमर के लिए एक प्रमुख और सुरक्षित आवास बन गया है।

इंडियन स्किमर:

चित्र स्रोत: The Hindu

  • इंडियन स्किमर (रिन्कोप्स अल्बिकोलिस (Rynchops albicollis)) रिन्कोपिडी परिवार से संबंधित है।
  • एक समय में स्किमर प्रजातियां भारतीय उपमहाद्वीप, म्यांमार, चीन, कंबोडिया, लाओस और वियतनाम में विस्तृत तौर पर पाई जाती थीं।
    • हालाँकि इंडियन स्किमर की अधिकांश आबादी अब भारत और पाकिस्तान तक ही सीमित हो कर रह गई है।
  • भारत में स्किमर की इस प्रजाति के पक्षी पश्चिमी और पूर्वी भारत के तटीय मुहानो में पाए जाते हैं।
  • इंडियन स्किमर्स की लंबाई 40-43 सेंटीमीटर तक हो सकती है और इनकी पहचान काले ऊपरी हिस्से, सफेद माथे और एक लंबी, मोटी, चमकीली नारंगी चोंच से होती है।
  • यह प्रजाति सैंडबार्स वाली धीमी गति से बहने वाली नदियों को पसंद करती है, जिस पर वे कोलाहलमय कालोनियों का निर्माण करते हैं।
  • आईयूसीएन स्थिति: संकटग्रस्त ( Endangered )।

2.व्हाइट टफ्टेड रॉयल बटरफ्लाई/तितली:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण:

विषय: जैव विविधता।

प्रारंभिक परीक्षा: व्हाइट टफ्टेड रॉयल बटरफ्लाई/तितली।

प्रसंग:

  • शोधकर्ताओं को कन्नूर के कलियाड में एक व्हाइट टफ्टेड रॉयल बटरफ्लाई/तितली मिली है।

व्हाइट टफ्टेड रॉयल बटरफ्लाई/तितली:

चित्र स्रोत: The Hindu

  • व्हाइट टफ्टेड रॉयल बटरफ्लाई/तितली तितलियों की एक दुर्लभ प्रजाति है।
  • लाइकेनिड की दो उप-प्रजातियां, व्हाइट टफ्टेड रॉयल प्रताप देवा भारत में देखी जाती हैं।
    • प्रताप देवा देवा मूर, [1858] प्रायद्वीपीय भारत और श्रीलंका में देखी जाती है।
    • प्रताप देव लीला मूर, [1888] प्राय उत्तराखंड, पूर्वी हिमालय, पूर्वोत्तर भारत, म्यांमार और थाईलैंड में पाई जाती है।
  • इस तितली के पंखों का फैलाव सिर्फ 32-40 मिमी होता है।
  • तितली के लार्वा को स्कुरुला पैरासिटिका खाने के लिए जाना जाता है, जो लॉरेंथेसी परिवार से संबंधित एक परजीवी झाड़ी है।
    • तितलियों के इस जीनस के सदस्य अपने लार्वा मेजबान पौधों के रूप में लोरांथैसी परिवार की पौधों की प्रजातियों का उपयोग करने के लिए जाने जाते हैं।
  • वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की स्थिति: अनुसूची II के तहत सुरक्षित

महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. भारत के महारजिस्ट्रार का कार्यालय अनुसूचित जनजातियों को परिभाषित करने के लिए ‘अप्रचलित’ मानदंड का पालन कर रहा है:
  • हाल की रिपोर्टों के अनुसार भारत के रजिस्ट्रार-जनरल (RGI) का कार्यालय लगभग 60 साल पहले लोकुर समिति की रिपोर्ट द्वारा निर्धारित मानदंडों के सेट का पालन कर रहा है ताकि किसी भी नए समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) के रूप में परिभाषित किया जा सके।
  • मौजूदा प्रक्रियाओं के अनुसार, अनुसूचित जनजाति सूची में किसी भी समुदाय को शामिल करने के लिए RGI के कार्यालय द्वारा अनुमोदन अनिवार्य है।
  • अनुसूचित जनजाति जनजाति के रूप में एक समुदाय को परिभाषित करने के लिए लोकुर समिति की रिपोर्ट द्वारा निर्धारित मानदंडों में शामिल हैं:
  1. आदिम लक्षणों के संकेत।
  2. विशिष्ट संस्कृति।
  3. भौगोलिक अलगाव।
  4. बड़े पैमाने पर समुदाय के साथ संपर्क करने में झिझक।
  5. पिछड़ापन।
  • फरवरी 2014 में तत्कालीन जनजातीय मामलों के सचिव के नेतृत्व में स्थापित जनजातियों के निर्धारण पर एक टास्क फोर्स के अनुसार, लोकुर समिति द्वारा निर्धारित मानदंड “संक्रमण और संस्कृतिकरण की प्रक्रिया को देखते हुए अप्रचलित हो सकते हैं”।
    • टास्क फोर्स ने यह भी उल्लेख किया कि “आदिम जैसे शब्द और जनजाति होने के लिए आदिमता की विशेषता की आवश्यकता बाहरी लोगों द्वारा एक अपमानजनक रवैये को इंगित करती है” क्योंकि बाहरी लोग जिसे आदिम मानते हैं, उस पर स्वयं आदिवासियों द्वारा विचार नहीं किया जा सकता है।
  • टास्क फोर्स ने इन मानदंडों में बदलाव की सिफारिश की और जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने जून 2014 में एक कैबिनेट नोट का मसौदा तैयार किया जिसमें नए मानदंड प्रस्तावित किए गए जिनमें निम्न विषेशताओं को शामिल किया गया:
    • राज्य की शेष आबादी की तुलना में शैक्षणिक सहित सामाजिक-आर्थिक पिछड़ापन।
    • ऐतिहासिक भौगोलिक अलगाव जो आज हो भी सकता है और नहीं भी।
    • अलग भाषा/बोली।
    • जीवन-चक्र, विवाह, गीत, नृत्य, चित्रकला, लोककथाओं से संबंधित एक मूल संस्कृति की उपस्थिति।
    • सगोत्र विवाह या विजातीय विवाह के मामले में अन्य अनुसूचित जनजातियों के साथ वैवाहिक संबंध (यह मानदंड किसी समुदाय को अनुसूचित जनजातियों के रूप में निर्धारण करने के लिए है न कि किसी व्यक्ति की अनुसूचित जनजाति की स्थिति का निर्धारण करने के लिए)।
  • कैबिनेट नोट के मसौदे में यह भी प्रस्तावित किया गया है, कि “जिन समुदायों ने ‘हिंदू’ जीवन शैली अपनाई है, वे केवल इस आधार पर इस में शामिल होने के लिए अपात्र नहीं होंगे।”
  1. यू.के., जापान ने रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए जो सेना की तैनाती की अनुमति प्रदान करता है:
  • ब्रिटेन की “हिंद-प्रशांत की ओर झुकाव” (tilt towards the Indo-Pacific) नीति के अनुरूप, यूके और जापान ने एक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जो एक दूसरे के देशों में सैनिकों की तैनाती की अनुमति देगा और सुरक्षा सहयोग बढ़ाएगा।
  • ब्रिटेन के प्रधान मंत्री के अनुसार यह पारस्परिक पहुंच समझौता दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण होगा क्योंकि यह हिन्द-प्रशांत के प्रति प्रतिबद्धता को मजबूत करता है और आर्थिक सुरक्षा को मजबूत करने, रक्षा सहयोग बढ़ाने एवं कुशल रोजगार उत्पन्न करने वाले नवाचारों को गति प्रदान करने के संयुक्त प्रयासों को रेखांकित करता है।
  • वर्ष 1902 में आंग्ल-जापानी संधि पर हस्ताक्षर करने के बाद से इस नई संधि को दोनों देशों के बीच सबसे महत्वपूर्ण संधि माना जा रहा है।
  • इस समझौते से दोनों देशों को बड़े पैमाने पर जटिल सैन्य अभ्यास और तैनाती को डिजाइन करने और वितरित करने में मदद मिलने की उम्मीद है।
  • अभी हाल ही में, “ग्लोबल कॉम्बैट एयर प्रोग्राम” बनाने के लिए जापान के एफएक्स फाइटर जेट कार्यक्रम का यूके और इटली के “टेम्पेस्ट प्रोग्राम” में विलय कर दिया गया है।
  • इसके अलावा हाल के दिनों में, यूके और जापान ने सेमीकंडक्टर्स, साइबर लचीलापन और ऑनलाइन सुरक्षा में सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से एक डिजिटल साझेदारी भी शुरू की है।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. भारत के संविधान के अनुच्छेद 10 और अनुच्छेद 11 का संबंध है: (स्तर – मध्यम)

  1. एक निश्चित व्यक्ति के नागरिकता के अधिकार से जो पाकिस्तान से भारत आए हैं।
  2. नागरिकता के अधिकारों की निरंतरता।
  3. संसद कानून द्वारा नागरिकता के अधिकार को विनियमित करेगी।
  4. संपत्ति का अधिकार

सही विकल्प चुनिए:

(a) केवल 2 और 3

(b) केवल 1 और 2

(c) केवल 1, 2 और 3

(d) केवल 2 और 4

उत्तर: a

व्याख्या:

  • कथन 1 गलत है: अनुच्छेद 6 उन व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकारों से संबंधित है जो अब पाकिस्तान में शामिल क्षेत्र से भारत आ गए हैं।
  • कथन 2 सही है: अनुच्छेद 10 के अनुसार: कोई भी व्यक्ति जिसे इस भाग के किसी भी प्रावधान के तहत भारत का नागरिक माना जाता है, वह नागरिक बना रहेगा और संसद द्वारा बनाए गए किसी कानून के अधीन भी होगा।
  • कथन 3 सही है: अनुच्छेद 11 के अनुसार: संसद को नागरिकता के अधिग्रहण और समाप्ति तथा नागरिकता से संबंधित किसी भी अन्य मामले से संबंधित कोई भी प्रावधान करने का अधिकार है।
  • कथन 4 गलत है: 44वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1978 के द्वारा संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार की सूची से हटा दिया गया है।
    • हालाँकि, यह एक कल्याणकारी राज्य में एक मानवाधिकार और संविधान के अनुच्छेद 300 A के तहत एक संवैधानिक अधिकार बना हुआ है।
    • अनुच्छेद 300 A में प्रावधान है कि किसी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से विधि के प्राधिकार से ही वंचित किया जाएगा, अन्यथा नहीं।

प्रश्न 2. निम्नलिखित में से किस वन्यजीव अभ्यारण्य में आपको इंडियन स्किमर दिखाई देने की सर्वाधिक संभावना है? (स्तर – मध्यम)

(a) कोरिंगा वन्यजीव अभयारण्य

(b) नंधौर वन्यजीव अभयारण्य

(c) पेरियार वन्यजीव अभयारण्य

(d) घाटीगांव वन्यजीव अभयारण्य

उत्तर: a

व्याख्या:

  • इंडियन स्किमर कभी भारतीय उपमहाद्वीप, म्यांमार, चीन, कंबोडिया, लाओस और वियतनाम में वितरित थे।
  • हालाँकि, इंडियन स्किमर की अधिकांश आबादी अब भारत और पाकिस्तान तक सीमित है।
  • भारत में स्किमर की इस प्रजाति के पक्षी पश्चिमी और पूर्वी भारत के तटीय ज्वारनदमुखों में पाए जाते हैं।
  • वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, आंध्र प्रदेश में गोदावरी मुहाना इंडियन स्किमर के लिए एक प्रमुख और सुरक्षित आवास बन गया है। हाल ही में, कोरिंगा वन्यजीव अभयारण्य के दक्षिणी भाग में इंडियन स्किमर्स देखे गए थे।

प्रश्न 3. बेपोर उरु के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – कठिन)

  1. यह आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम में बनी दस्तकारी वाली लकड़ी की नाव है।
  2. बेपोर उरु के निर्माण में खलासी और ओडायी संलग्न हैं।
  3. यह पारंपरिक शिल्प भौगोलिक संकेत (GI) के रूप में संरक्षित है।

दिए गए कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 2 और 3

(c) केवल 3

(d) केवल 1

उत्तर: d

व्याख्या:

  • कथन 1 गलत है: बेपोर उरु केरल के बेपोर में कुशल कारीगरों और बढ़ई द्वारा हाथों से बनाया गया एक लकड़ी का जहाज / नौकायन नाव / नौकायन पोत है।
  • कथन 2 सही है: अभिलेखों के अनुसार उरु-निर्माण से पारंपरिक रूप से विभिन्न समुदाय जुड़े हैं। हालाँकि, ओडायिस और खलासी उरु-निर्माण से जुड़े प्रमुख समुदाय हैं।
  • कथन 3 गलत है: कोझिकोड की जिला पर्यटन संवर्धन परिषद ने हाल ही में बेपोर उरु के लिए भौगोलिक संकेत (GI) टैग हेतु आवेदन किया है।

प्रश्न 4. निम्नलिखित में से किसने स्वामी विवेकानंद को ‘आधुनिक भारत का निर्माता’ कहा था? (स्तर – मध्यम)

(a) नेताजी सुभाष चंद्र बोस

(b) महात्मा गांधी

(c) रामकृष्ण परमहंस

(d) रविंद्रनाथ टैगोर

उत्तर: a

व्याख्या:

  • नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने विवेकानंद को “आधुनिक भारत का निर्माता” कहा था।
  • भारत सरकार ने स्वामी विवेकानंद के सम्मान में 1984 में उनके जन्मदिन (12 जनवरी) को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में घोषित किया।

प्रश्न 5. कभी-कभी समाचारों में दिखाई देने वाले ‘घरेलू अंश आवश्यकता (डोमेस्टिक सामग्री रिक्वायरमेंट)’ पद का संबंध किससे है? (PYQ-2017) (स्तर – मध्यम)

(a) हमारे देश में सौर शक्ति उत्पादन का विकास करने से

(b) हमारे देश में विदेशी टी.वी. चैनलों को अनुज्ञप्ति प्रदान करने से

(c) हमारे देश के खाद्य उत्पादों को अन्य देशों को निर्यात करने से

(d) विदेशी शिक्षा संस्थाओं को हमारे देश में अपने परिसर स्थापित करने की अनुमति देने से

उत्तर: a

व्याख्या:

  • ‘घरेलू अंश आवश्यकता (डोमेस्टिक कन्टेंट रिक्वायरमेंट/DCR)’ नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) द्वारा निर्धारित विनिर्देशों और परीक्षण आवश्यकताओं के अनुसार घरेलू स्तर पर निर्मित सौर सेल और मॉड्यूल के उपयोग को अनिवार्य करती है।
  • घरेलू अंश आवश्यकता (DCR) श्रेणी, जिसके लिए भारत में सौर परियोजनाओं को घरेलू रूप से निर्मित सौर मॉड्यूल और सेल का उपयोग करने की आवश्यकता होती है, को जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन के साथ स्थापित किया गया था।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. अनुसूचित जनजातियों की पहचान के लिए मानदंड विकसित करने से यह सुनिश्चित करने में काफी मदद मिलेगी कि केवल पात्र व्यक्तियों को ही सरकारी लाभ प्राप्त हो। टिप्पणी कीजिए।

(250 शब्द; 15 अंक) (जीएस II – सामाजिक न्याय)

प्रश्न 2.जोशीमठ का धंसना एक बार फिर यह स्मरण कराता है कि आर्थिक विकास अक्सर भारी कीमत पर प्राप्त होता है। विस्तारपूर्वक व्याख्या कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस III – आपदा प्रबंधन)