14 दिसंबर 2022 : समाचार विश्लेषण
A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: पर्यावरण:
भारतीय अर्थव्यवस्था:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
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यू. एस.-चीन द्विपक्षीय संबंधों का विश्लेषण
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव।
मुख्य परीक्षा: यू. एस.-चीन संबंधों की प्रवृत्ति
संदर्भ
अमेरिका और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंधों में हाल के वर्षों में अभूतपूर्व गिरावट देखी गई है।
पृष्ठभूमि
- शीत युद्ध के उत्तरवर्ती दौर में अमेरिका और चीन के बीच राजनयिक संबंध स्थापित किए गए थे।
- तब से, दोनों देशों ने आर्थिक संपूरकता और रणनीतिक अभिसरण की रणनीतियों के अनुरूप अपनी आर्थिक प्रणालियों को एकीकृत करने की दिशा में काम किया है।
- आर्थिक प्रणालियों के एकीकरण ने चीन को दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने में मदद की और चीन ने खुद को वैश्विक अर्थव्यवस्था में शामिल कर लिया, जिससे चीन की महत्वपूर्ण आर्थिक वृद्धि हुई और राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं में वृद्धि हुई।
- बढ़ती महत्वाकांक्षाओं और शक्ति के साथ, चीन ने अपने सैन्य एवं कूटनीतिक माध्यमों से अमेरिका के वैश्विक प्रभुत्व की उपेक्षा करना शुरू कर दिया।
- इसके अलावा, यह ऐसे समय में हुआ जब वैश्विक वित्तीय संकट तथा अफगानिस्तान और इराक के “चिरकालीन युद्धों” में अमेरिका की भागीदारी के कारण इसके पतन के बारे में धारणाएं प्रबल हो रही थीं।
हाल के वर्षों में अमेरिका-चीन द्विपक्षीय संबंधों में गिरावट
- शी जिनपिंग के नेतृत्व में चीन की मुखरता तथा वैश्विक भू-राजनीति पर हावी होने की उसकी महत्वाकांक्षा और बढ़ गई। इसके अलावा, अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रम्प के कार्यकाल के दौरान चीन से खतरे के बारे में चिंता गंभीर स्तर पर पहुंच गई।
- ट्रम्प प्रशासन ने चीन के खिलाफ विभिन्न टकरावों की शुरुआत की।
- अमेरिका द्वारा चीन के निर्यात पर शुल्क लगाने से इसने एक “व्यापार युद्ध” का रूप ले लिया जिसने अमेरिका-चीन संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला।
- इसके अलावा, बाइडेन के प्रशासन संभालने के बाद भी चीन के संबंध में नीति में कोई विशेष परिवर्तन नहीं आया है और द्विपक्षीय संबंधों में गिरावट आने की गति लगातार बढ़ती जा रही है।
- शिनजियांग और हांगकांग प्रांतों में चीन की कार्रवाई और कोविड-19 के दौरान अपनाई गई उसकी “वुल्फ वारियर कूटनीति” ने देशों के बीच तनाव को बढ़ा दिया है क्योंकि दोनों देश आरोप-प्रत्यारोप के खेल में शामिल थे।
- वर्ष 2022 में संबंधों में निम्नलिखित के कारण अभूतपूर्व स्तर तक गिरावट देखी गई:
- रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान चीन ने सीधे रूस का समर्थन किया।
- अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष की ताइवान यात्रा ऐसे समय में हुई जब चीन ने ताइवान के प्रति अपने आक्रामक रुख में वृद्धि की है ।
- अमेरिका द्वारा चौथी औद्योगिक क्रांति में चीन के तकनीकी प्रभुत्व को सीमित करने के लिए अमेरिका द्वारा चीन के सेमीकंडक्टर उद्योग पर भारी प्रतिबंध लगाना।
अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष की ताइवान यात्रा के बारे में और पढ़ें:
UPSC Exam Comprehensive News Analysis dated 04 Aug 2022
G-20 से इतर द्विपक्षीय चर्चा
- दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनजर, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने नवंबर 2022 में बाली में G-20 शिखर सम्मेलन के अवसर पर अपनी पहली व्यक्तिगत बातचीत की थी।
- दोनों नेताओं ने बाली में अमेरिका-चीन द्विपक्षीय संबंधों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।
- यह बताया गया कि दोनों नेता तनाव कम करने और संचार माध्यमों को फिर से खोलने पर सहमत हुए।
- अमेरिका के राष्ट्रपति ने कहा कि दोनों देशों को प्रतिस्पर्धा को जिम्मेदारी से प्रबंधित करना चाहिए तथा संचार रेखाएं खुली रखनी चाहिए तथा उन्होंने स्पष्ट किया कि अमेरिका चीन के साथ संघर्ष नहीं चाहता है लेकिन अमेरिका चीन के साथ जोरदार प्रतिस्पर्धा करना जारी रखेगा।
- अमेरिकी राष्ट्रपति ने जलवायु परिवर्तन, वैश्विक व्यापक आर्थिक स्थिरता, वैश्विक स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा जैसे मुद्दों पर देशों के बीच सहयोग बढ़ाने का भी आग्रह किया।
- इसके अलावा, चीनी राष्ट्रपति ने अमेरिका से संबंधों को “लोकतंत्र बनाम अधिनायकवाद” के चश्मे से नहीं देखने का आग्रह किया।
- चीनी राष्ट्रपति ने चीन के मूल हितों और चीन-अमेरिका संबंधों की राजनीतिक आधार के कोर के रूप में ताइवान की स्थिति पर फिर से जोर दिया।
- चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने “पंच नेति” (five noes) का भी उल्लेख किया, जिनका उल्लेख पहले जो बाइडेन ने किया था – नया शीत युद्ध शुरू न करना; चीन की व्यवस्था को बदलने की कोशिश नहीं करना; चीन के खिलाफ अपने गठबंधनों को पुनर्जीवित नहीं करना; क्रॉस-स्ट्रेट की यथास्थिति में अवरोध न डालना; और चीन के साथ संघर्ष की स्थिति निर्मित न करना।
भावी कदम
- देशों के दोनों नेताओं के बीच बैठक ने संकेत दिया कि अंतराल को पाटने और द्विपक्षीय संबंधों में अधिक स्थिरता सुनिश्चित करने के प्रयास किए गए हैं।
- हालाँकि, इस तरह के कदमों की सफलता की संभावित सीमा पर अभी भी कोई स्पष्टता नहीं है क्योंकि चीन अभी भी वैश्विक व्यवस्था में केंद्रीयता के अपने दीर्घकालिक लक्ष्य को प्राप्त करने के अपने उद्देश्यों से दूर नहीं हुआ है जो संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने में एक प्रमुख बाधा रही है।
- चीन ने मुख्य भूमि के साथ ताइवान के पुन: एकीकरण की अपनी महत्वाकांक्षा को भी दोहराया है जो अमेरिका और चीन के बीच मौजूदा तनाव को बढ़ा सकता है।
- दूसरी ओर, यहां तक कि अमेरिकी प्रशासन ने भी चीन के साथ अपने संघर्ष को तेज करना जारी रखा है और इसे व्यापार से परे प्रौद्योगिकी और राजनीतिक स्वतंत्रता जैसे अन्य पहलुओं में विस्तारित किया है।
- अमेरिका क्वाड (Quad) को मजबूत करने और हिन्द-प्रशांत आर्थिक फ्रेमवर्क शुरू करने जैसे विभिन्न बहुपक्षीय दृष्टिकोणों का भी उपयोग कर रहा है।
- इसके अलावा, मई 2022 में जारी अपनी चीन नीति में अमेरिकी प्रशासन ने चीन को अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के लिए “सबसे गंभीर दीर्घकालिक चुनौती” माना था और चीन के प्रति तीन-स्तंभ दृष्टिकोण को रेखांकित किया था जिसमें “निवेश, सहयोग, प्रतिस्पर्धा” शामिल थे।
- यह अनैच्छिक संघर्ष शुरू किए बिना चीन द्वारा उत्पन्न खतरे को दूर करने के अमेरिकी प्रशासन के इरादे को दर्शाता है।
सारांश: अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव की संभावित विश्रांति का संकेत देने वाली हालिया चर्चाओं के बावजूद, दोनों देशों के दीर्घकालिक प्रक्षेपवक्र संभावित ठहराव का संकेत नहीं देते हैं, बल्कि इसके बजाय दोनों अनावश्यक जोखिमों को कम करने के लिए प्रक्रिया को टाल रहे हैं।
संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
वन अधिकारों को खतरे में डालने वाला एक संरक्षण विधेयक
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित
पर्यावरण
विषय: पर्यावरण संरक्षण।
मुख्य परीक्षा: वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन विधेयक 2021 के परिणाम।
संदर्भ: राज्यसभा में वन्य जीव (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2021 पारित।
विवरण:
- संसद के शीतकालीन सत्र में राज्यसभा में वन्य जीव (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2021 पारित हो गया। मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में विधेयक पहले ही पारित हो चुका था।
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (WPA), 1972 (Wildlife Protection Act (WPA), 1972) ने सभी प्रकार के शिकार पर रोक लगाकर और वन्यजीव संरक्षण के लिए ‘अक्षत क्षेत्रों’ (Inviolate areas) का निर्माण करके कई जंगली जानवरों और पौधों की प्रजातियों का संरक्षण किया।
- हाल के संशोधन ने संरक्षित क्षेत्रों की अवधारणा को और अधिक विस्तारित किया है तथा दंडात्मक प्रावधानों को बढ़ाते हुए नई प्रजातियों को संरक्षित किया गया है।
आपराधिक कानून और वन्यजीव संरक्षण:
- WPA द्वारा अपनाए गए आपराधिक कानूनी ढांचे के प्रभाव के बारे में कम ही लोग जानते हैं। WPA की सहायता के रूप में आपराधिक कानून की आवश्यकता काफी सीमा तक अप्रतिवादित रही है।
- संशोधन में सामान्य उल्लंघनों के लिए दंड को लगभग चार गुना बढ़ाने का प्रस्ताव है, अर्थात इसे ₹25,000 से बढ़ाकर ₹1,00,000 कर दिया गया है। सबसे अधिक सुरक्षा प्राप्त करने वाले पशुओं के लिए इसे ₹10,000 से बढ़ाकर ₹25,000 कर दिया गया है।
- जुर्माने में यह वृद्धि WPA द्वारा उत्पन्न पुलिसिंग की प्रकृति के बारे में प्रश्न उठाती है।
मध्य प्रदेश के एक अध्ययन का विश्लेषण:
- आपराधिक न्याय और पुलिस जवाबदेही (CPA) परियोजना ने मध्य प्रदेश में पुलिस और वन विभाग के प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR), गिरफ्तारी रिकॉर्ड, अपराध रिकॉर्ड की जांच की।
- अध्ययन में यह पाया गया कि वन्यजीव संबंधी अपराधों में आरोपी व्यक्तियों में से अधिकांश अनुसूचित जनजाति (ST) तथा अन्य वन-निवास समुदायों जैसे उत्पीड़ित जातियों/समुदायों के लोग थे।
- यह भी पाया गया कि वन विभाग ने समुदाय के सदस्यों को मुखबिरों के रूप में उपयोग करने और उन्हें दैनिक मजदूरी के आधार पर नियुक्त करके उनकी निष्ठा को आकर्षित करने के लिए एक प्रणाली तैयार करने के बजाय सहयोग के लिए अपराधीकरण के भय का इस्तेमाल किया।
- इसके अलावा, WPA के तहत दायर किए गए अधिकांश मामले कम गंभीर अपराध थे जैसे संरक्षित क्षेत्रों (PAs) से लकड़ी, शहद तथा यहां तक कि मशरूम इकट्ठा करना।
- वन विभाग द्वारा दायर किए गए लगभग 95 प्रतिशत मामले अभी भी लंबित हैं।
- 2016-20 के बीच ‘शिकार’ किए गए पशुओं में से लगभग 17.47% जंगली सूअर जैसे अनुसूची III और IV में सूचीबद्ध पशुओं के विरुद्ध शिकार के अपराध दर्ज किए गए थे।
- यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि अनुसूची III और IV पशुओं को बाघों तथा हाथियों की तुलना में कम सुरक्षा प्राप्त है।
- रोचक बात यह है कि दायर किए गए मामलों में से 8% से अधिक मछली पकड़ने से संबंधित थे। मछली की केवल कुछ प्रजातियों को अनुसूची I में रखा गया है। मध्य प्रदेश में पिछले दशक में मत्स्यन से संबंधित लगभग 133 मामले (अनुसूची V प्रजातियों के रूप में गलत तरीके से वर्गीकृत) दर्ज किए गए थे।
- वन अधिकार अधिनियम (FRA) तथा WPA के अतिव्यापन (Overlap) को FRA को WPA के अधीनस्थ बनाकर हल किया गया था।
- वन अधिकार अधिनियम (FRA) ने वन-निर्भर आजीविका को मान्यता की पहचान कर वन शासन कानूनों द्वारा किए गए अन्याय को सुधारने के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक दोनों अधिकारों को वास्तविक रूप प्रदान किया।
- यह देखा गया कि यद्यपि बफर जोन (उदाहरण के लिए, कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में) में व्यक्तिगत वन अधिकारों को मान्यता दी गई थी, वहीं वन संसाधनों के उपयोग के सामूहिक अधिकारों, मत्स्यन तथा वन संसाधनों की रक्षा हेतु ऐसा नहीं था।
केस स्टडी: मत्स्य पालन आदिवासी समुदायों के लिए निर्वाह का एक महत्वपूर्ण घटक है। हालाँकि, WPA के तहत नियमित रूप से इसका अपराधिकारण किया गया है। वन विभाग द्वारा दर्ज मामलों में, तथ्य यह है कि अपराध संरक्षित क्षेत्र में हुए थे जिसके कारण अपराध 3 से 7 वर्षों तक दंडनीय हो गए। 2016 में, 5 लोग जिनके पास मछली थी, आग के पास बैठे थे। उन्हें एक रेंज अधिकारी तथा बीट गार्ड द्वारा पकड़ा गया और WPA प्रावधानों के तहत एक वन्यजीव निवास स्थान को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया, इस तथ्य के बावजूद कि मछली का वजन 500 ग्राम से कम था। मामला अभी निचली अदालत में लंबित है। |
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संबद्ध चिंताएं:
- यह देखा गया है कि विभाग द्वारा दर्ज किए गए आपराधिक मामलों को शायद ही कम किया जाता है क्योंकि उनका उद्देश्य समुदायों में भय पैदा करके एक ‘निवारक प्रभाव’ उत्पन्न करना है।
- भय एक तरीका है जिसके द्वारा विभाग संरक्षित क्षेत्रों में शासन की मध्यस्थता करता है। इसके अलावा, वन अधिकारियों द्वारा शक्ति के निरंकुश उपयोग की कभी जाँच नहीं की जाती है।
- WPA तथा अन्य वन कानूनों द्वारा अधिकृत अनियंत्रित विवेकाधीन पुलिसिंग ने FRA की बंधन मुक्त क्षमता को कम कर दिया है।
- किसी भी नए संशोधन में गलत मामलों (जैसे मछली पकड़ने का मामला) और इसके परिणामस्वरूप वन में रहने वाले समुदायों के अधिकारों और अपराधीकरण पर भी विचार किया जाना चाहिए।
संबंधित लिंक:
Rights of Forest Dwellers: RSTV – In Depth; Read the RSTV discussion gist on forest act, etc.
सारांश
वन्य जीव (संरक्षण) संशोधन विधेयक लोकसभा और राज्यसभा दोनों से पारित हो चुका है। हालांकि, प्रस्तावित विधेयक और अन्य वन कानूनों द्वारा अनुमति दी गई प्रतिगामी पुलिसिंग के संबंध में आशंकाएं हैं जो वन के पूर्ण और लाभकारी दायरे में बाधा डालती हैं। किसी भी नए संशोधन में मौजूदा नीतियों और उनके परिणामों के उचित मूल्यांकन के साथ सभी पहलुओं पर विचार किया जाना चाहिए।
ग्रामीण विनिर्माण का उदय
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित
भारतीय अर्थव्यवस्था
विषय: औद्योगिक विकास।
मुख्य परीक्षा: विनिर्माण क्षेत्र का ग्रामीण भारत की ओर स्थानांतरण।
विवरण:
- विभिन्न अध्ययनों और साक्ष्यों से पता चलता है कि भारत बड़े शहरों से छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों की ओर विनिर्माण गतिविधि और रोजगार में बदलाव (Shift) का अनुभव कर रहा है।
- 2012 में विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में पहली बार शहरी क्षेत्रों से विनिर्माण की प्रवृत्ति को उजागर किया गया था। अध्ययन ने औपचारिक और अनौपचारिक दोनों क्षेत्रों से उद्यम डेटा को जोड़कर भारतीय विनिर्माण क्षेत्र के शहरीकरण की जांच की। ऐसा पाया गया कि:
- औपचारिक क्षेत्र में विनिर्माण संयंत्र शहरी क्षेत्रों से ग्रामीण क्षेत्रों की ओर जा रहे हैं।
- जबकि अनौपचारिक क्षेत्र ग्रामीण से शहरी स्थानों की ओर बढ़ रहा है।
- यह उच्च शहरी-ग्रामीण लागत अनुपात का परिणाम है।
- इसी तरह, उद्योगों के वार्षिक सर्वेक्षण 2019-20 के आंकड़े इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में ग्रामीण क्षेत्र का योगदान उल्लेखनीय है। यह बताया गया कि 42% कारखाने और 62% अचल पूंजी ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। यह लगभग दो दशकों से ग्रामीण स्थानों में लगातार निवेश का परिणाम है।
- इसके अलावा, उत्पादन और मूल्यवर्धन के संदर्भ में, ग्रामीण कारखानों ने कुल क्षेत्र में लगभग आधे का योगदान दिया। जबकि रोजगार के मामले में ग्रामीण क्षेत्रों की हिस्सेदारी 44% है। हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों में सेक्टर की कुल मजदूरी का केवल 41% हिस्सा था।
इस संबंध में अधिक जानकारी हेतु इस लिंक को क्लिक कीजिए: What is manufacturing industry? What are its types? Answer at BYJU’S IAS
ग्रामीण विनिर्माण में वृद्धि के कारण:
- अधिकांश महानगरीय क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरी, भूमि और संपत्ति की लागत कम होती है, जो निर्माण फर्मों को आकर्षित करती है।
- उत्पादन की बढ़ी हुई पूंजी गहनता:
- स्थानांतरण के लिए प्रमुख स्पष्टीकरणों में से एक फैक्ट्री फ्लोरस्पेस की बाधा है। जैसे-जैसे ये स्थान अधिक शहरीकृत तथा भीड़भाड़ वाले होते जाते हैं, स्थान की कमी बढ़ती जाती है।
- हालांकि, बदलाव के पीछे प्रेरक शक्ति नई उत्पादन तकनीक की मशीनरी द्वारा श्रम का निरंतर विस्थापन है। इस प्रकार शहरों में कारखानों का एक सीमा से अधिक विस्तार नहीं किया जा सकता है।
- उत्पादन लागत भिन्नताएं:
- कई कंपनियां शहरी क्षेत्रों में काफी अधिक परिचालन लागत का अनुभव करती हैं जिसका फर्म की लाभप्रदता तथा प्रतिस्पर्धात्मकता पर प्रभाव पड़ता है।
- पूंजी के पुनर्गठन की संभावना:
- पूंजी पुनर्गठन कट्टरपंथी तथा मार्क्सवादी भूगोलवेत्ताओं द्वारा समर्थित एक दृष्टिकोण है।
- इस दृष्टिकोण के अनुसार बड़े निगमों द्वारा पूंजी संचय और केंद्रीकरण में वृद्धि की प्रवृत्ति है। कम कुशल, कम संगठित और कम खर्चीले श्रम की उपलब्धता का लाभ उठाने के लिए बड़ी फर्में जानबूझकर शहरी क्षेत्रों से उत्पादन स्थानांतरित करती हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में विनिर्माण क्षेत्र के स्थानांतरण के परिणाम:
- इस बदलाव ने ग्रामीण भारत में आजीविका विविधीकरण के स्रोत के रूप में विनिर्माण के महत्व को बनाए रखने में सहायता की है।
- इसने कुछ पारंपरिक ग्रामीण उद्योगों में रोजगार के नुकसान की भरपाई करने में भी सहायता की है।
- इसके अलावा, ग्रामीण विनिर्माण का विकास रोजगार सृजित करके कृषि से संक्रमण के लिए एक आर्थिक आधार प्रदान करता है।
- यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बदल सकता है तथा बेहतर विकास सुनिश्चित कर सकता है।
भावी चुनौतियां:
- हालांकि फर्मों को कम किराए के माध्यम से लागत में कमी का लाभ होता है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाली फर्मों के लिए पूंजी की लागत अधिक लगती है। उदाहरण के लिए, ग्रामीण क्षेत्र में भुगतान किए गए कुल किराए का केवल 35% हिस्सा था, जबकि इसमें ब्याज भुगतान कुल भुगतान का 60% था। इस प्रकार, यह देखा गया कि एक स्रोत से प्राप्त लाभ दूसरे मोर्चे द्वारा प्रतिसंतुलित हो जाता है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में “कौशल की कमी” एक प्रमुख मुद्दा है। विनिर्माण क्षेत्र को नई तकनीकों के लिए अत्यधिक कुशल श्रमिकों की आवश्यकता होती है।
- इस मुद्दे का समाधान ग्रामीण श्रमिकों के लिए बेहतर शिक्षा और कौशल है। यह उच्च विश्वसनीयता और उत्पादकता सुनिश्चित करेगा और कृषि से उच्च कमाई वाली आजीविकाओं की ओर बढ़ने की प्रक्रिया को तेज करेगा।
संबंधित लिंक:
Making India a Manufacturing Hub: RSTV – Big Picture Analysis for UPSC IAS exam.
सारांश:
शहरी क्षेत्रों से ग्रामीण क्षेत्रों में विनिर्माण क्षेत्र के स्थानांतरण की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बदलने की क्षमता रखता है। हालाँकि, इस प्रवृत्ति में कुछ चुनौतियाँ मौजूद हैं जिनका सामना ग्रामीण आबादी की शिक्षा और कौशल से किया जा सकता है।
प्रीलिम्स तथ्य:
- विश्व बंदर दिवस:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विषय: पर्यावरण और जैव विविधता।
प्रारंभिक परीक्षा: विश्व बंदर दिवस।
विश्व बंदर दिवस
- दुनिया भर में हर साल 14 दिसंबर को बंदर दिवस मनाया जाता है।
- बंदरों के लिए आधुनिक खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ाने तथा बंदरों और “ऑल थिंग्स सिमियन” का उत्सव मनाने के लिए बंदर दिवस मनाया जाता है, जिसमें अन्य गैर-मानव प्राइमेट्स जैसे कि वानर, टार्सियर और लेमूर शामिल हैं।
- बंदर दिवस की शुरुआत 2000 में समकालीन कलाकारों केसी सोर्रो और एरिक मिलिकिन ने की थी और इसे लोकप्रिय बनाया था।
- तब से, यह दिवस दुनिया भर में पशु अधिकार और पर्यावरण कार्यकर्ताओं, दृश्य कलाकारों और कला संस्थानों द्वारा मनाया जाता है।
- यह दिवस चिकित्सा अनुसंधान, पशु अधिकार और विकास जैसे मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करता है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
- मंत्रालय ने लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग पर सीधे जवाब से बचने का प्रयास किया:
- केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लद्दाख को संविधान की पांचवीं/छठी अनुसूची के तहत शामिल किए जाने की संभावना पर जवाब देने से बचते हुए कहा कि छठी अनुसूची के तहत आदिवासी आबादी को शामिल करने का मुख्य उद्देश्य समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास सुनिश्चित करना है और लद्दाख का प्रशासन इसकी स्थापना के समय से ही इसकी देखभाल कर रहा है।
- पूर्ववर्ती जम्मू और कश्मीर राज्य को जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख नामक दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया था और वर्तमान में लद्दाख में कोई विधान सभा नहीं है।
- विशेष दर्जा हटाने के बाद, लद्दाख में विभिन्न राजनीतिक समूह छठी अनुसूची के तहत भूमि, रोजगार और सांस्कृतिक पहचान की सुरक्षा की मांग कर रहे हैं।
- 2021 में, लोकसभा में लद्दाख के एकमात्र सदस्य ने लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी जिला परिषद अधिनियम में संशोधन करके संवैधानिक सुरक्षा उपायों की मांग की।
- बाद में, आदिवासी आबादी की विकासात्मक आवश्यकताओं को स्वीकार करते हुए, गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति ने राज्यसभा में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें सिफारिश की गई थी कि केंद्र शासित प्रदेश को विशेष दर्जा दिया जा सकता है।
- यदि किसी क्षेत्र को छठी अनुसूची के तहत शामिल किया जाता है, तो उस क्षेत्र की जनजातीय आबादी को स्वायत्त विकास परिषदों के निर्माण के माध्यम से समुदायों को स्वायत्तता प्रदान करके संरक्षित किया जाएगा, जो भूमि, सार्वजनिक स्वास्थ्य और कृषि पर कानून बना सकती हैं।
संविधान की छठी अनुसूची के बारे में और पढ़ें – Sixth Schedule of Constitution
- विकलांगता केंद्रों की स्थापना पर हाउस पैनल ने सरकार के ‘लापरवाह दृष्टिकोण’ का मुद्दा उठाया:
- सामाजिक न्याय और अधिकारिता पर संसदीय स्थायी समिति ने लोकसभा में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में कहा है कि निर्दिष्ट जिलों में लक्षित 269 जिला विकलांगता पुनर्वास केंद्रों (DDRC) में से केवल लगभग 55-60 को ही अभी तक कार्यात्मक बनाया गया है।
- समिति ने यह भी कहा है कि DDRC स्थापित करने के कार्य को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार अपने दृष्टिकोण में “किंचित लापरवाह” है।
- समिति ने आगे कहा कि सरकार को लक्ष्य के अनुसार देश के प्रत्येक जिले में DDRC स्थापित करने के लिए आवश्यक कार्य के निष्पादन के लिए पर्याप्त समयसीमा के साथ एक उचित रोड मैप तैयार करना चाहिए।
- देश भर में स्थापित DDRC पिछले बीस वर्षों से विकलांग व्यक्तियों को प्रभावी पुनर्वास सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।
- DDRCs का प्रबंधन जिला कलेक्टर या जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता वाली एक जिला प्रबंधन टीम की देखरेख में किया जाता है और इसमें समाज कल्याण, स्वास्थ्य, पंचायती राज, महिला एवं बाल कल्याण विभागों के जिला अधिकारी, क्रियान्वयन एजेंसी से एक नोडल अधिकारी और प्रतिष्ठित गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि होते हैं।
- मॉडर्ना, मर्क ने कैंसर के टीके के सकारात्मक परिणाम प्राप्त किए:
- मॉडर्ना और मर्क दवा निर्माताओं ने घोषणा की है कि उन्हें एक परीक्षण से सकारात्मक परिणाम मिले हैं जिसमें मैसेंजर आरएनए (mRNA) तकनीक का पहली बार त्वचा कैंसर रोगियों के लिए व्यक्तिगत टीके बनाने के लिए उपयोग किया गया था।
- प्रारंभिक परीक्षण के एक भाग के रूप में लगभग 150 व्यक्तियों को जिनके मेलेनोमा ट्यूमर को शल्यचिकित्सा से हटा दिया गया था, उन्हें त्वचा कैंसर उपचार कीट्रूडा (Keytruda) के साथ प्रायोगिक टीके की खुराक दी गई थी।
- अध्ययनों में पाया गया है कि केवल कीट्रूडा (Keytruda) से इलाज कराने वाले रोगियों की तुलना में मृत्यु या प्रत्यावर्तन के जोखिम में 44% की कमी आई है।
- मैसेंजर आरएनए (mRNA) कोशिकाओं के भीतर एक अणु होता है जो केंद्रक में डीएनए से प्रोटीन संश्लेषण स्थलों तक कोड ले जाता है।
- mRNA तकनीक ने कोविड-19 टीकों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है तथा शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों ने अन्यविषाणुओं तथा कैंसर जैसे रोगों से लड़ने के लिए mRNA प्रौद्योगिकी को अपनाने की संभावनाओं पर प्रकाश डाला है।
mRNA टीकों के बारे में और जानें: mRNA Vaccines
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. हाल ही में चर्चा में रहा ‘3200 फेथॉन’ है: (स्तर – मध्यम)
- एक क्षुद्रग्रह
- एक जापानी चंद्र लैंडिंग मिशन
- प्लूटो के पास देखा गया एक प्राकृतिक उपग्रह
- एक रैंसमवेयर क्रिप्टोवर्म
उत्तर: a
व्याख्या:
- 3200 फेथॉन अक्टूबर 1983 में खोजा गया एक क्षुद्रग्रह है।
- इसका नाम ग्रीक पौराणिक कथाओं के पात्र फेथॉन के नाम पर रखा गया है, जो सूर्य देव हिलियस के पुत्र हैं।
- 3200 फेथॉन को सूर्य का एक चक्कर पूरा करने में करीब 1.4 वर्ष लगता है।
प्रश्न 2. उन्होंने युगांतर पत्रिका में लेख लिखे जिसने कई युवाओं को भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान क्रांतिकारी काम करने के लिए प्रेरित किया। उनका राष्ट्रवाद का सिद्धांत वेदांत दर्शन पर आधारित था जो मनुष्य और ईश्वर में समानता और ऐक्य देखता है। उनकी सबसे बड़ी साहित्यिक उपलब्धि ‘सावित्री’ थी, जो एक महाकाव्य कविता थी। (स्तर – मध्यम)
परिच्छेद में वर्णित व्यक्ति है:
- खुदीराम बोस
- अरबिंदो घोष
- प्रफुल्ल चाकी
- रविंद्रनाथ टैगोर
उत्तर: b
व्याख्या:
- अरबिंदो घोष ने युगांतर पत्रिका में लेख लिखे जिसने कई युवाओं को भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान क्रांतिकारी काम करने के लिए प्रेरित किया।
- अरबिंदो घोष का राष्ट्रवाद का सिद्धांत वेदांत दर्शन पर आधारित था जो मनुष्य और ईश्वर में समानता और ऐक्य देखता है।
- अरबिंदो घोष ने ‘सावित्री’ लिखा और इसे उनकी सबसे बड़ी साहित्यिक उपलब्धि माना जाता है। उन्होंने एक प्रकार का योग भी विकसित किया जिसे ‘पूर्ण योग’ कहा जाता है।
प्रश्न 3. निम्नलिखित में से किस संरक्षित क्षेत्र में आपको ग्रेट इंडियन बस्टर्ड दिखाई देने की सबसे अधिक संभावना है? (स्तर – कठिन)
- मरुभूमि राष्ट्रीय उद्यान
- पोबितोरा वन्यजीव अभयारण्य
- हिरपोरा वन्यजीव अभयारण्य
- फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान
विकल्प:
- केवल एक
- केवल दो
- केवल तीन
- सभी चारों
उत्तर: a
व्याख्या:
- राजस्थान के जैसलमेर में मरुभूमि राष्ट्रीय उद्यान ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के लिए प्रसिद्ध है।
- मरुभूमि राष्ट्रीय उद्यान के अलावा, ग्रेट इंडियन बस्टर्ड अधिकांशतः गुजरात, मध्य प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में पाए जाते हैं।
चित्र स्रोत: IUCN
प्रश्न 4. निम्नलिखित में से कितने व्यावसायिक रोग सुमेलित हैं? (स्तर – कठिन)
रोग व्यवसाय
- बाइसिनोसिस कपड़ा श्रमिक
- न्यूमोकोनियोसिस कोयला खदान श्रमिक
- एस्बेस्टॉसिस निर्माण श्रमिक
विकल्प:
- केवल एक
- केवल दो
- सभी तीनों
- उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर: c
व्याख्या:
- युग्म 1 सही है: बाइसिनोसिस एक ‘वृत्तिक’ (Occupational) फेफड़े की बीमारी है जो अपर्याप्त हवादार काम के वातावरण में कपास या जूट की धूल में साँस लेने के कारण होती है।
- युग्म 2 सही है: न्यूमोकोनियोसिस एक ‘वृत्तिक’ (Occupational) फेफड़ों की बीमारी है जो फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने वाले कुछ प्रकार के धूल कणों जैसे कोयले की धूल में सांस लेने के कारण होती है।
- इस बीमारी को कोयला श्रमिक न्यूमोकोनियोसिस भी कहा जाता है।
- युग्म 3 सही है: एस्बेस्टॉसिस एक प्रकार का फेफड़ों का रोग है जो एस्बेस्टॉस धूल और रेशों में सांस लेने के कारण होता है। निर्माण श्रमिकों को‘वृत्तिक’ (Occupational) एस्बेस्टॉसिस होने का जोखिम अधिक होता है।
प्रश्न 5. निम्नलिखित कथनो पर विचार कीजिए: (PYQ-2017) (स्तर – मध्यम)
- उष्णकटिबंधीय प्रदेशों में, ज़ीका वाइरस रोग उसी मच्छर द्वारा संचरित होता है जिससे डेंगू संचरित होता है।
- ज़ीका वाइरस रोग का लैंगिक संचरण होना संभव है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1 और न ही 2
उत्तर: c
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में, ज़ीका वायरस मुख्य रूप से एक संक्रमित एडीज प्रजाति के मच्छर के काटने से फैलता है, जो वही मच्छर हैं जो डेंगू और चिकनगुनिया वायरस फैलाते हैं।
- कथन 2 सही है: ज़ीका वायरस रोग का यौन संचरण संभव है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
- छठी अनुसूची में शामिल करने की लद्दाख की मांग संविधान की कसौटी पर खरी नहीं उतरती। क्या आप सहमत हैं? विस्तारपूर्वक समझाइए।(250 शब्द; 15 अंक) (जीएस II – राजव्यवस्था)
- विनिर्माण को ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानांतरित करने की अपनी चुनौतियाँ और अवसर हैं। समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस III – अर्थशास्त्र)