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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 14 February, 2023 UPSC CNA in Hindi

14 फरवरी 2023 : समाचार विश्लेषण

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

पर्यावरण:

  1. भू-विरासत स्थल और भू-अवशेष (संरक्षण और रखरखाव) विधेयक, 2022 का मसौदा:

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

आपदा प्रबंधन:

  1. पहाड़ी हो या शहर, शहरी नियोजन एक पश्चातवर्ती विचार नहीं हो सकता:

भारतीय संविधान एवं राजव्यवस्था:

  1. पद का सम्मान:

राजव्यवस्था एवं शासन:

  1. अप्राप्य स्वप्न नहीं:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. आदि महोत्सव उत्सव:

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. शीर्ष अदालत ने जम्मू-कश्मीर परिसीमन पैनल के गठन को बरकरार रखा:
  2. जनवरी में खुदरा मुद्रास्फीति तीन महीने के उच्च स्तर (6.52%) पर पहुंच गई:
  3. विदेश सचिव क्वात्रा ने काठमांडू में नेपाल के प्रधानमंत्री से मुलाकात की:

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

भू-विरासत स्थल और भू-अवशेष (संरक्षण और रखरखाव) विधेयक, 2022 का मसौदा:

पर्यावरण:

विषय: पर्यावरण संरक्षण।

प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण।

मुख्य परीक्षा: भू-विरासत स्थल और भू-अवशेष (संरक्षण और रखरखाव) विधेयक का मसौदा- इसकी मुख्य विशेषताएं, महत्व एवं इससे जुडी विभिन्न चिंताएं।

प्रसंग:

  • देश के भू-विज्ञान और जीवाश्म विज्ञान के विशेषज्ञों ने भू-विरासत स्थलों और भू-अवशेष (संरक्षण और रखरखाव) विधेयक, 2022 के मसौदे पर चिंता जताई है, क्योंकि उनका मानना है कि यह विधेयक पूरी तरह से भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (Geological Survey of India (GSI)) के हाथों में शक्तियां सौंप देता है।

भू-विरासत स्थल और भू-अवशेष (संरक्षण और रखरखाव) विधेयक, 2022 का मसौदा:

  • विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत के संरक्षण पर यूनेस्को कन्वेंशन के हस्ताक्षरकर्ता के रूप में, भारत को देश की भू-विरासत की रक्षा और संरक्षण के लिए कानून बनाने की आवश्यकता थी।
  • इस संदर्भ में केंद्रीय खान मंत्रालय ने भू-विरासत स्थलों और भू-अवशेष (संरक्षण और रखरखाव) विधेयक, 2022 का मसौदा तैयार किया है।
  • विधेयक का उद्देश्य भूवैज्ञानिक अध्ययन, अनुसंधान और भू-विरासत स्थलों और राष्ट्रीय महत्व के भू-अवशेषों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए ऐसे स्थलों की घोषणा करना, परिरक्षण, संरक्षण और रखरखाव का प्रावधान करना है।
  • भू-विरासत स्थल वे स्थल हैं जो दुर्लभ और अद्वितीय भूवैज्ञानिक एवं भू-आकृति विज्ञान संबंधी महत्व के हैं, जिनका भू-आकृति विज्ञान, खनिज विज्ञान, पेट्रोलॉजिकल (शैल विद्या संबंधी), पेलियोन्टोलॉजिकल (पुरापाषाणकालीन) और स्ट्रैटिग्राफिक (स्तरीकृत) महत्व है।
  • भू-अवशेष वे अवशेष या सामग्री हैं जो भूवैज्ञानिक महत्व या राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व के हैं जैसे कि विभिन्न खनिज, उल्कापिंड आदि।
  • विधेयक के तहत संरक्षण गुफाओं, जीवाश्मों, तलछटी चट्टानों, प्राकृतिक चट्टानों की आकृतियों, प्राकृतिक संरचनाओं आदि तक भी विस्तारित है।
  • मसौदा विधेयक में आगे उल्लेख किया गया है कि भू-विरासत और भू-अवशेष महत्व की ऐसी सामग्री के क्षरण से भारतीय उपमहाद्वीप की प्राकृतिक विरासत में हानिकारक रूप से क्षीणता आएगी, जो उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य की अद्वितीय भूवैज्ञानिक विशेषताओं को प्रदर्शित करता है।

मसौदा विधेयक की मुख्य विशेषताएं:

  • यह मसौदा विधेयक केंद्र सरकार को एक भू-विरासत स्थल को राष्ट्रीय महत्व का स्थल घोषित करने का अधिकार देता है।
  • ऐसे स्थलों की घोषणा करते समय केंद्र सरकार को घोषणा से पहले दो महीने का नोटिस देना और संबंधित आपत्तियों पर विचार करना आवश्यक है।
  • विधेयक ने केंद्र सरकार को भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन में उचित मुआवजे और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013 के प्रावधानों के तहत एक भू-विरासत स्थल के तहत एक क्षेत्र का अधिग्रहण करने का अधिकार दिया है।
  • प्रत्येक भू-विरासत स्थल के संरक्षण और अनुरक्षण के लिए केंद्र सरकार और GSI दोनों को उपाय करने की आवश्यकता है, और वे निरीक्षण, सर्वेक्षण, माप और नमूने एकत्र करने, अन्वेषण करने, दस्तावेजों की जांच करने आदि के लिए भी अधिकृत हैं।
  • विधेयक भू विरासत स्थल क्षेत्र के भीतर किसी भी इमारत के निर्माण, पुनर्निर्माण, मरम्मत या नवीनीकरण पर रोक लगाता है, सिवाय भू-विरासत स्थल के संरक्षण और रखरखाव के उद्देश्य को छोड़कर या यदि ऐसा निर्माण जनता के लिए आवश्यक है।
  • यह विधेयक आगे भू-विरासत स्थलों और भू-अवशेषों को नष्ट करने, हटाने, विरूपित करने एवं दुरुपयोग करने के लिए दंड का प्रावधान करता है।

GSI को दी प्रदान की गई शक्तियां:

  • “भू-विरासत” मूल्य वाले स्थलों की पहचान करना और घोषित करना।
  • निजी हाथों में पड़े अवशेषों को अपने कब्जे में लेना।
  • भू-विरासत स्थलों के आसपास लगभग 100 मीटर के दायरे में निर्माण पर रोक लगाना।
  • तोड़फोड़, विरूपण, और किसी साइट के निर्देशों के उल्लंघन के खिलाफ दंड लगाना।

संबद्ध चिंताएं:

  • विशेषज्ञ, एक भू-विरासत विधेयक का स्वागत करने के बावजूद, मानते हैं कि GSI के महानिदेशक को सभी अधिकार प्रदान करने के बजाय, कई संस्थानों से विशेषज्ञों की एक व्यापक समिति बनाने के प्रावधान होने चाहिए।
  • विशेषज्ञों की राय है कि पूरी तरह से GSI के हाथों में शक्तियों का विस्तार करके, विधेयक ने उन शोधकर्ताओं के हितों और कठिनाइयों की उपेक्षा की है जो वास्तव में इस क्षेत्र में अध्ययन करते हैं।
  • इसके अलावा, विशेषज्ञों के अनुसार GSI भू-विरासत संरक्षण के ऐसे कार्यों का प्रबंधन करने के लिए अधिकृत नहीं है, क्योंकि यह मुख्य रूप से एक शोध निकाय है।
  • उनका मानना है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archeological Survey of India (ASI) ) के पास कलाकृतियों और स्थलों के परिरक्षण, संरक्षण और पुनरोद्धार का अधिक अनुभव है।
  • यह नया विधेयक केंद्र सरकार को सार्वजनिक परामर्श के बिना किसी प्रावधान के मौजूदा भू-विरासत स्थलों को गैर-अधिसूचित करने का अधिकार भी देता है, अगर सरकार को ऐसा लगता है कि ऐसे स्थल अब राष्ट्रीय महत्व के नहीं रह गए हैं।
  • विधेयक अन्य विभागों के साथ सहयोग का प्रावधान करने में विफल है, और राज्य सरकारों की शक्तियों को भी कम करता है जो वर्तमान में अधिकांश भौगोलिक स्मारकों का प्रबंधन कर रही हैं।

सारांश:

  • भारतीय उपमहाद्वीप की भू-विविधता 4.5 अरब वर्ष पुरानी बताई जाती है और यहाँ दुनिया की कुछ सबसे महत्वपूर्ण भूवैज्ञानिक घटनाओं का रिकॉर्ड है जिन्हें भूवैज्ञानिक अध्ययन और अनुसंधान उद्देश्यों के लिए परिरक्षित और संरक्षित करने की आवश्यकता होती है। इस संबंध में, ऐसे स्थलों के संरक्षण के लिए एक मसौदा विधेयक तैयार करना एक स्वागत योग्य कदम है, लेकिन इसे कानून के रूप में पारित करने से पहले विधेयक से जुड़ी विभिन्न चिंताओं को अच्छी तरह से संबोधित किया जाना चाहिए।

संपादकीय-द हिन्दू

संपादकीय:

पहाड़ी हो या शहर, शहरी नियोजन एक पश्चातवर्ती विचार नहीं हो सकता:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

आपदा प्रबंधन:

विषय: आपदा प्रबंधन और शहरी नियोजन।

मुख्य परीक्षा: पहाड़ी क्षेत्रों के लिए शहरी नियोजन और बाढ़ प्रबंधन।

पृष्ठभूमि विवरण:

  • जोशीमठ (उत्तराखंड) में एक टनल बोरिंग मशीन गलती से एक जलभृत से टकरा गई। नतीजतन, प्रति सेकंड 800 लीटर पानी का नुकसान हो गया। इतनी बड़ी मात्रा में पानी लगभग 30 लाख लोगों की दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त है।
  • धीरे-धीरे, क्षेत्र में भूजल स्रोत सूखने लगे, जबकि पानी का प्रवाह कभी बंद नहीं हुआ। इसके अलावा, जोशीमठ में जल संसाधनों के प्रबंधन के लिए एक मजबूत प्रणाली नहीं है और सोक-पिट तंत्र के बड़े पैमाने पर उपयोग से भूमि धंसने की आशंका बढ़ जाती है।
  • यह तर्क दिया जाता है कि चल रही बुनियादी ढांचा परियोजनाएं (तपोवन विष्णुगढ़ बांध और हेलंग-मारवाड़ी बाईपास सड़क) स्थिति को और खराब कर देंगी।

यह भी पढ़ें: Joshimath Land Subsidence

पहाड़ी शहरी क्षेत्रों में मुद्दे:

  • भारत के पहाड़ी शहरी क्षेत्रों में भूमि धंसने की घटनाओं की आवृत्ति बढ़ रही है।
  • यह अनुमान लगाया गया है कि देश में लगभग 12.6% भूमि क्षेत्र भूस्खलन (landslides) के लिए प्रवण है, विशेष रूप से सिक्किम, पश्चिम बंगाल और उत्तराखंड में।
  • राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान और राष्ट्रीय भूस्खलन जोखिम प्रबंधन रणनीति (2019) के अनुसार, शहरी नीति स्थिति को बदतर बना रही है।
  • हिमालय और पश्चिमी घाटों में स्थानीय भूवैज्ञानिक और पर्यावरणीय कारकों को दरकिनार कर निर्माण गतिविधि ढलान की अस्थिरता को बढ़ाती है। इसके अतिरिक्त, सुरंग निर्माण चट्टान के गठन को और कमजोर करता है।
  • नतीजतन, भूस्खलन भेद्यता तेजी से बढ़ जाती है।

पहाड़ी शहरी क्षेत्रों के लिए उपाय:

  • शहरी लचीलेपन में सुधार लाने के लिए पहला कदम विश्वसनीय डेटा प्राप्त करना है।
    • इस संबंध में, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (Geological Survey of India) ने 0.5 किमी के लिए 1 सेंटीमीटर को दर्शाते हुए एक राष्ट्रीय मानचित्रण अभ्यास किया है।
  • भूस्खलन जोखिम का सूक्ष्म स्तर पर मानचित्रण किया जाना चाहिए। शहरी नीति निर्माताओं को इसे अतिरिक्त स्थानीय विवरण के साथ पूरा करना चाहिए।
  • उच्च भूस्खलन जोखिम वाले क्षेत्रों में बड़े बुनियादी ढांचे का विस्तार नहीं किया जाना चाहिए, क्षेत्र की वहन क्षमता का पालन किया जाना चाहिए और मानवीय हस्तक्षेप को कम किया जाना चाहिए।
  • भूवैज्ञानिकों द्वारा किसी भी निर्माण गतिविधि का मूल्यांकन मिट्टी और ढलान की उपयुक्तता के संदर्भ में किया जाना चाहिए।

केस स्टडी 1

  • आइजोल (मिजोरम) एक खड़ी ढलान पर बना है और ‘भूकंपीय क्षेत्र V’ में स्थित है। रिक्टर पैमाने पर 7 से अधिक तीव्रता वाला भूकंप संभावित रूप से 1000 से अधिक भूस्खलनों को ट्रिगर कर सकता है और बड़े पैमाने पर तबाही का कारण बन सकता है। हालाँकि, शहर ने एक भूस्खलन कार्य योजना विकसित की है और शहरी भूस्खलन नीति समिति की स्थापना की है। समिति क्रॉस-डिसिप्लिनरी प्रकृति की है और इसमें नागरिक समाज और छात्र शामिल हैं।

केस स्टडी 2

  • गंगटोक (सिक्किम) में अमृता विश्व विद्यापीठम ने वास्तविक समय में भूस्खलन की निगरानी और प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली स्थापित करने में मदद की है। यह प्रणाली वर्षा जल रिसाव, जल प्रवाह और ढलान अस्थिरता के प्रभाव का आकलन करती है।

बाढ़:

  • मौसमी वर्षा की बढ़ती तीव्रता के कारण देश के कई क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा बढ़ रहा है। पिछले कुछ वर्षों में बाढ़ के कुछ उदाहरण: डोंबिवली, महाराष्ट्र (अगस्त 2019); पंजिम बाढ़, गोवा (जुलाई 2021); आदि।
  • शहरी बाढ़ की बढ़ती घटनाओं के पीछे खराब शहरी नियोजन, प्राकृतिक खतरों के प्रति चिंता की कमी और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव प्रमुख कारक हैं।
  • जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के अंतर सरकारी पैनल (Intergovernmental Panel on Climate Change (IPCC) ) की मार्च 2022 की रिपोर्ट ने समुद्र के स्तर में वृद्धि के कारण कोलकाता के सामने आने वाले जोखिम पर प्रकाश डाला। दिल्ली में, 9350 परिवार यमुना के डूब क्षेत्र में रहते हैं और बाढ़ के प्रति सुभेद्य हैं।

बाढ़ के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें: Floods – Definition, Causes & Impact

बाढ़ से निपटने के उपाय:

  • भारतीय शहरों को बाढ़ रोधी होना चाहिए। शहरी नियोजकों को जल निकायों, नहरों और नालों का भराव से बचाव करना चाहिए।
  • सीवरेज और तूफानी जल निकासी नेटवर्क में सुधार किया जाना चाहिए। इसके अलावा, मौजूदा सीवरेज नेटवर्क पर फिर से काम किया जाना चाहिए और निचले इलाकों में अपशिष्ट जल निकासी को सक्षम करने के लिए इसका विस्तार किया जाना चाहिए।
  • उफान पर बहने वाली नदियों को डी-सिल्ट किया जाना चाहिए।
  • नदी के तटबंधों, बाढ़ आश्रयों और बाढ़ चेतावनी प्रणालियों जैसे बाढ़-प्रतिरोधी संरचनाओं पर व्यय बढ़ाया जाना चाहिए।
  • “ब्लू इन्फ्रा” क्षेत्रों को संरक्षित किया जाना चाहिए।
    • “ब्लू इन्फ्रा” वे स्थान हैं जो सतही अपवाह को अवशोषित करने के लिए प्राकृतिक स्पंज के रूप में कार्य करते हैं, जिससे भूजल को रिचार्ज किया जा सकता है।
  • शहरी प्राधिकरणों को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की पहचान करने और बाढ़ जोखिम मानचित्रण में निवेश करना चाहिए।

भावी कदम:

  • शहरों को पर्यावरण नियोजन शामिल करना चाहिए और प्राकृतिक खुली जगहों का विस्तार करना चाहिए।
  • शहरी नियोजन में जलवायु परिवर्तन और चरम मौसमी प्रभाव को शामिल किया जाना चाहिए। इसे समय-समय पर आपदा जोखिमों और तैयारियों का आकलन और उनका अद्यतन करना चाहिए।
  • देश के प्रत्येक शहर में आपदा प्रबंधन ढांचे के साथ एक बहु-पीढ़ीगत प्रक्रिया होनी चाहिए।

संबंधित लिंक:

Urban Planning and Development in India

सारांश:

  • चूंकि भू-धंसाव, भूस्खलन और बाढ़ की घटनाएं बढ़ रही हैं, खासकर शहरी भारत में, यह समय शहरी नियोजन की समीक्षा करने का है। शहरों को कोई भी नई बुनियादी ढांचा परियोजना शुरू करने से पहले जलवायु परिवर्तन और भूगर्भीय कारकों के प्रभावों का आकलन करना चाहिए।

पद का सम्मान:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

भारतीय संविधान एवं राजव्यवस्था:

विषय: विभिन्न संवैधानिक पदों पर नियुक्ति।

मुख्य परीक्षा: राज्यपाल की नियुक्ति और संबंधित चिंताएं।

प्रारंभिक परीक्षा: राज्यपाल।

प्रसंग:

  • केंद्र द्वारा नए राज्यपालों की नियुक्ति।

विवरण:

  • 12 फरवरी 2023 को केंद्र द्वारा कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के राज्यपालों और उपराज्यपालों की नियुक्ति और फेरबदल किया गया।
  • लोकतंत्र में मनोनीत राज्यपाल की वैधता पर आजादी के बाद संविधान सभा में तीखी बहस हुई थी।
  • यह निर्णय लिया गया (संविधान सभा में) कि राज्यपाल का नाम निर्देशन (मनोनयन) जारी रहेगा और वह केंद्र और राज्य के बीच एक गतिशील कड़ी के रूप में कार्य करेगा।

राज्यपालों के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें: Governor – Appointment, Term, Functions & Discretion – Indian Polity

संबद्ध चिंताएं:

  • यह तर्क दिया जाता है कि पिछले कुछ वर्षों में झारखंड, केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल जैसे कुछ राज्यों में राज्यपालों ने राजनीतिक भूमिका निभाई,जिससे कुछ विवाद पैदा हुए।
  • सर्वोच्च न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश और एक पूर्व भारतीय सेना कमांडर की हाल ही में नियुक्ति ने राजनीतिक कार्यपालिका के साथ सेना और न्यायपालिका की भूमिकाओं और संबंधों के बारे में चिंताओं को जन्म दिया है।
  • इसने न्यायिक नियुक्तियों को कॉलेजियम (collegium) द्वारा अनुशंसित नियुक्तियों में चयनात्मक देरी या तेजी के माध्यम से नियंत्रित करने के लिए राजनीतिक कार्यपालिका की उत्सुकता के मुद्दे को भी उजागर किया है।
  • अक्सर यह तर्क दिया जाता है कि राज्यपालों की हद से ज्यादा पहुंच केंद्र-राज्य संबंधों को बिगाड़ सकती है और लोकतंत्र पर प्रश्नचिन्ह लगा सकती है।
  • यह भी कहा जाता है कि अपनी वर्तमान भूमिकाओं/नौकरियों में राजनीति से दूर रहने वाले अधिकारियों को सेवानिवृत्ति के बाद अवसर देने (एक राज्यपाल के रूप में) से वर्तमान और भावी पदों की गरिमा कम होगी।
  • इस विषय से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए 23 जनवरी, 2023 का यूपीएससी परीक्षा विस्तृत समाचार विश्लेषण देखिए।

सारांश:

  • विभिन्न राज्यों में राज्यपाल-राज्य सरकार के रिश्तों ने राज्यपाल के पद की वैधता के बारे में चिंताओं को जन्म दिया है। राज्यपाल के पद पर पूर्व न्यायाधीशों और सेना के पूर्व कमांडरों की हालिया नियुक्ति ने इस मुद्दे को फिर से सुर्खियों में ला दिया है। यह सुझाव दिया जाता है कि पद की वैधता और गरिमा को बनाए रखने के लिए भविष्य के लिए इस तरह के उदाहरण स्थापित नहीं किए जाने चाहिए।

अप्राप्य स्वप्न नहीं:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था एवं शासन:

विषय: सरकार की नीतियां और हस्तक्षेप।

मुख्य परीक्षा: जल जीवन मिशन और संबंधित चिंताएं।

प्रारंभिक परीक्षा: जल जीवन मिशन।

प्रसंग:

  • जल जीवन मिशन के लिए बजट परिव्यय में वृद्धि।

विवरण:

  • जल जीवन मिशन (JJM) का उद्देश्य 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण परिवार को कार्यात्मक नल से जल उपलब्ध कराना है।
    • पूरी तरह कार्यात्मक नल के पानी के कनेक्शन का मतलब है कि एक परिवार को साल भर प्रति व्यक्ति प्रति दिन कम से कम 55 लीटर पीने योग्य पानी मिलता है।
  • बजट 2023-24 ने योजना के लिए लगभग 69684 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। यह 2022 के संशोधित अनुमान (₹54808 करोड़) की तुलना में 27% अधिक है।
  • हालांकि, यह तर्क दिया जाता है कि लक्षित 19.3 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से केवल 3.2 करोड़ को अगस्त 2019 में नल से जल प्राप्त हुआ था,और जल शक्ति मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर JJM डैशबोर्ड से पता चलता है कि लगभग 11 करोड़ घरों (लक्षित लाभार्थियों का 57%) के पास नल का जल है (फरवरी 2023 तक)।
  • इसमें केवल 12 महीने शेष है, और यह सुनिश्चित करना कि शेष 47% को भी कवर कर लिया जाए, कठिन होगा।
  • योजना का राज्यवार विवरण:
    • जिन राज्यों ने पात्र घरों को 100% नल जल कवरेज कर दिया है, वे हैं गोवा, गुजरात, हरियाणा और तेलंगाना।
    • पंजाब और हिमाचल प्रदेश में लगभग 97% कवरेज है।
    • उपरोक्त के अलावा, केवल 10 और राज्य 60% कवरेज तक पहुँचे हैं।
    • उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे बड़े और आबादी वाले राज्यों ने केवल 30% कवरेज प्रदान किया है। मध्य प्रदेश ने लक्षित लाभार्थियों में से लगभग 47% को कवर किया है।

संबद्ध चिंताएं:

  • यह सुझाव दिया गया है कि नल कनेक्शन होने के बावजूद, आपूर्ति किए गए नल के पानी की अपर्याप्त गुणवत्ता के कारण ग्रामीण परिवार अपने स्थानीय भूजल संसाधनों पर निर्भर हैं।
  • लगभग 3 लाख पात्र परिवारों के एक नमूना सर्वेक्षण (जल संसाधन मंत्रालय द्वारा किए गए) के अनुसार केवल तीन-चौथाई लोगों ने ही यह बताया कि उन्हें सप्ताह में सातों दिन पानी उपलब्ध कराया जाता है। यह भी पाया गया कि औसतन दिन में केवल तीन घंटे ही पानी की आपूर्ति की जाती थी।
  • 90% से अधिक संस्थानों (आंगनवाड़ी और स्कूल) ने नल के पानी तक पहुंच की सूचना दी। हालांकि, उनमें से कई ने जीवाणु संदूषण के अलावा क्लोरीन के उच्च स्तर की शिकायत की।
  • यह भी पाया गया है कि वर्तमान आँकड़े स्व-रिपोर्टिंग पर आधारित हैं और किसी तीसरे पक्ष द्वारा प्रमाणित नहीं हैं।
  • बिहार जैसे कुछ राज्यों ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि उनके अधिकांश कनेक्शन JJM के बजाय राज्य निधि के माध्यम से प्रदान किए गए थे।

भावी कदम:

  • संख्यात्मक लक्ष्य निर्धारित करने के बजाय, सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों में नल के पानी की गुणवत्ता और निरंतरता सुनिश्चित करने पर ध्यान देना चाहिए।
  • इसके अलावा, केंद्र को उन राज्यों पर जो लक्ष्य को प्राप्त करने के करीब हैं, पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय सबसे अभिग्रहण वाले और सबसे बड़ी आबादी वाले राज्यों की भी मदद करनी चाहिए।

संबंधित लिंक:

AIR Spotlight -Jal Jeevan Mission: Har Ghar Jal Download PDF.

सारांश:

  • जल जीवन मिशन ने यह स्वीकार किया है कि कार्यात्मक नल जल एक बुनियादी आवश्यकता है जिसे सभी घरों को प्रदान किया जाना चाहिए। हालाँकि, अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में केवल एक वर्ष शेष होने के साथ, स्थायी नल के पानी की गुणवत्ता और स्थिरता सुनिश्चित करने के अलावा बहुत सारे अंतरालों को भरने की आवश्यकता है।

प्रीलिम्स तथ्य:

1.आदि महोत्सव उत्सव:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

विषय: भारतीय समाज।

प्रारंभिक परीक्षा: आदि महोत्सव उत्सव और ट्राइफेड (TRIFED)।

प्रसंग:

  • भारत के प्रधानमंत्री 16 फरवरी 2023 को नई दिल्ली के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में आदि महोत्सव उत्सव का उद्घाटन करेंगे।

आदि महोत्सव उत्सव:

  • आदि महोत्सव उत्सव जनजातीय संस्कृति, शिल्प, भोजन और वाणिज्य की भावना का उत्सव है।
  • आदि महोत्सव उत्सव भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास महासंघ लिमिटेड (TRIFED) का एक प्रमुख कार्यक्रम है।
  • आदि महोत्सव राष्ट्रीय जनजातीय शिल्प एक्सपो है जो देश की जनजातीय आबादी को अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने और उन्हें मुख्यधारा की आबादी से जोड़ने में मदद करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
    • इस प्रकार, आदि महोत्सव आदिवासी समुदायों और बड़े मेट्रो शहरों और राज्यों की राजधानियों में स्थित प्रत्यक्ष बाजार के बीच सीधा संबंध स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • आदि महोत्सव में प्रदर्शित विभिन्न आदिवासी कला और शिल्प में हथकरघा, चित्रकला, आभूषण, बेंत और बांस, मिट्टी के बर्तन, भोजन, प्राकृतिक उत्पाद, आदिवासी व्यंजन आदि शामिल हैं।

महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. शीर्ष अदालत ने जम्मू-कश्मीर परिसीमन पैनल के गठन को बरकरार रखा:
  • सर्वोच्च न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग के गठन को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया हैं।
  • सर्वोच्च न्यायालय की खंडपीठ के अनुसार, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 2 और 3 संसद को नए राज्य और केंद्र शासित प्रदेश बनाने का अधिकार देते हैं, जिसके आधार पर दो नए केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख बनाए गए हैं।
    • इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम ने दो नए संघ शासित प्रदेशों के निर्माण के अलावा परिसीमन अधिनियम, 2002 के तहत परिसीमन आयोग (Delimitation Commission) को निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्समायोजन की भूमिका भी सौंपी है।
  • सर्वोच्च न्यायालय की खंडपीठ ने यह भी कहा कि संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत बनाए गए विधान परिसीमन आयोग के माध्यम से नवगठित राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों में निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्समायोजन के लिए हमेशा प्रावधान कर सकते हैं और इसलिए जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग के गठन में कोई अवैधता नहीं है।
  • हालाँकि, जम्मू-कश्मीर के विभिन्न दलों ने जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग के गठन को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करने के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर नाराजगी व्यक्त की है।

अधिक जानकारी के लिए, निम्न वीडियो देखें:

  1. जनवरी में खुदरा मुद्रास्फीति तीन महीने के उच्च स्तर (6.52%) पर पहुंच गई:

चित्र स्रोत: The Hindu

  • राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत की खुदरा मुद्रास्फीति दो महीनों तक 6% अंक के नीचे बने रहने के बाद जनवरी 2023 में एक बार फिर बढ़कर 6.52% हो गई, इसका कारण मुख्य रूप से अनाज और उत्पादों की उच्च कीमतों से प्रेरित खाद्य मुद्रास्फीति में वृद्धि है।
    • संयुक्त मूल्य सूचकांक (संयुक्त) पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर 2022 में घटकर 5.72% हो गई थी।
    • साथ ही, संयुक्त खाद्य मूल्य मुद्रास्फीति (CFPI) जनवरी 2023 में बढ़कर 5.94% हो गई, जबकि दिसंबर 2022 में यह 4.19% और एक साल पहले की अवधि में 5.43% थी।
  • इसके अलावा, ग्रामीण मुद्रास्फीति ने हाल के महीनों में शहरी मुद्रास्फीति को पीछे छोड़ दिया है क्योंकि यह दिसंबर 2022 में 6.05% से बढ़कर जनवरी 2023 में 6.85% हो गई है।
    • जबकि शहरी उपभोक्ताओं ने दिसंबर 2022 में 5.4% की तुलना में जनवरी 2023 में खुदरा कीमतों में 6% सीमा के साथ वृद्धि का अनुभव किया है।
  • अर्थशास्त्रियों का मानना है कि उत्पादकों द्वारा उच्च इनपुट लागतों को जारी रखने, सेवाओं की मांग में वृद्धि होने जो आरबीआई को अपनी अगली मौद्रिक नीति समीक्षा में एक बार फिर से दर वृद्धि पर विचार करने के लिए मजबूर कर सकता है, के कारण जनवरी की कीमतों में अपेक्षा से अधिक वृद्धि कुछ और महीनों तक जारी रह सकती है।
  • नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, प्रमुख राज्यों में तेलंगाना ने जनवरी में उच्चतम मुद्रास्फीति 8.6% दर्ज की, जिसके बाद आंध्र प्रदेश (8.25%), मध्य प्रदेश (8.13%), उत्तर प्रदेश (7.45%) और हरियाणा (7.05%) का स्थान रहा।
  • इसके अलावा, कोर मुद्रास्फीति जिसमें गैर-खाद्य और गैर-ईंधन घटक शामिल हैं, जनवरी 2023 में 6.1% पर स्थिर रही, जो आपूर्तिकर्ताओं और निर्माताओं की मूल्य निर्धारण शक्ति को इंगित करती है।
  1. विदेश सचिव क्वात्रा ने काठमांडू में नेपाल के प्रधानमंत्री से मुलाकात की:
  • भारत के विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने काठमांडू में नेपाल के नए प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ से मुलाकात की, जिसने दिसंबर 2022 में नेपाल में नई सरकार के कार्यभार संभालने के बाद दोनों देशों के बीच पहली उच्च-स्तरीय बातचीत को चिह्नित किया।
  • बैठक के दौरान नेपाल-भारत संबंधों के संदर्भ में बिजली क्षेत्र में सहयोग, व्यापार, पारगमन, शिक्षा, संस्कृति, स्वास्थ्य देखभाल और कनेक्टिविटी अवसंरचना जैसे कई पहलुओं पर चर्चा की गई।
  • बताया जाता है कि नेपाल के लिए विकास सहायता बढ़ाने, भारतीय निवेश बढ़ाने, कनेक्टिविटी से जुड़ी चुनौतियों का समाधान करने और द्विपक्षीय व्यापार जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हुई।
  • इसके अलावा, नेपाल के विदेश मंत्री ने भारतीय विदेश सचिव से नए शुरू हुए गौतम बुद्ध अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (सिद्धार्थनगर) और पोखरा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (पोखरा, गंडकी प्रांत) के प्रभावी संचालन के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय हवाई मार्ग प्रदान करने का आग्रह किया है।

भारत-नेपाल संबंधों के बारे में अधिक जानकारी के लिए: India- Nepal Relations

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. उड़ान योजना के बारे में निम्नलिखित कथनों में से कौन से सत्य हैं?(स्तर – मध्यम)

  1. यह नागरिक उड्डयन मंत्रालय के तहत एक क्षेत्रीय संपर्क योजना है।
  2. इसका उद्देश्य देश के केवल अप्रयुक्त हवाई अड्डों को कनेक्टिविटी प्रदान करना है।
  3. इस योजना में अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी को भी बढ़ाने का प्रावधान है।

विकल्प:

  1. 1 और 2
  2. 2 और 3
  3. 1 और 3
  4. 1, 2 और 3

उत्तर: c

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: “उड़े देश का आम नागरिक” या उड़ान योजना नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा संचालित एक क्षेत्रीय संपर्क योजना है।
  • कथन 2 गलत है: इस योजना का उद्देश्य छोटे क्षेत्रीय हवाई अड्डों को विकसित करना है ताकि आम नागरिकों तक विमानन सेवाओं को आसानी से पहुँचाया जा सके। देश में सैकड़ों निम्न सेवित या अप्रयुक्त हवाई अड्डों का संचालन और विकास इसके प्राथमिक उद्देश्यों में से एक है।
  • कथन 3 सही है: अंतर्राष्ट्रीय उड़ान घरेलू उड़ान योजना का एक विस्तार है जिसका उद्देश्य सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए चयनित अंतर्राष्ट्रीय गंतव्यों के साथ देश के कुछ राज्यों से हवाई संपर्क को बढ़ाना है।

प्रश्न 2. सही कथनों की पहचान कीजिए:(स्तर – सरल)

  1. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़े जारी किए जाते हैं।
  2. कोर मुद्रास्फीति में केवल खाद्य और ईंधन क्षेत्र की मुद्रास्फीति शामिल होती है।

विकल्प:

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. 1 और 2 दोनों
  4. न तो 1, न ही 2

उत्तर: a

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: भारत में खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़े राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी किए जाते हैं।
  • कथन 2 गलत है: कोर मुद्रास्फीति में गैर-खाद्य और गैर-ईंधन घटक शामिल हैं।

प्रश्न 3. निम्नलिखित में से कौन सा एक संवैधानिक निकाय है?(स्तर – मध्यम)

  1. राष्ट्रीय महिला आयोग
  2. राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग
  3. राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग

विकल्प:

  1. 1 और 2
  2. 2 और 3
  3. 1 और 3
  4. 1, 2 और 3

उत्तर: b

व्याख्या:

  • राष्ट्रीय महिला आयोग राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम, 1990 के तहत 1992 में स्थापित एक सांविधिक निकाय (statutory body) है।
  • राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग एक भारतीय संवैधानिक निकाय है जिसकी स्थापना अनुसूचित जातियों के शोषण के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने के लिए की गई थी।
    • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 338 राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग से संबंधित है।
  • राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) को शुरू में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम, 1993 के प्रावधानों के तहत एक सांविधिक निकाय के रूप में गठित किया गया था।
    • हालाँकि, NCBC को 102वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 2018 के माध्यम से संवैधानिक दर्जा दिया गया है।

प्रश्न 4. निम्नलिखित में से कौन से सुमेलित हैं? (स्तर – मध्यम)

आई पी सुरक्षा करता है:

  1. कॉपीराइट साहित्यिक और कलात्मक कार्य की
  2. पेटेंट आविष्कार की
  3. ट्रेडमार्क किसी उद्यम की वस्तुओं या सेवाओं की

विकल्प:

(a) 1 और 2

(b) 2 और 3

(c) 1 और 3

(d) 1, 2 और 3

उत्तर: d

व्याख्या:

  • युग्म 1 सुमेलित है: भारतीय कॉपीराइट कानून साहित्यिक कार्यों, संगीत कार्यों, नाटकीय कार्यों, कलात्मक कार्यों, ध्वनि रिकॉर्डिंग और छायांकन का संरक्षण करते हैं।
  • युग्म 2 सुमेलित है: आविष्कारों को पेटेंट द्वारा संरक्षित किया जाता है।
  • युग्म 3 सुमेलित है: ट्रेडमार्क एक उद्यम की वस्तुओं या सेवाओं को अन्य उद्यमों से अलग करता है।

प्रश्न 5. निम्नलिखित जैव भूरासायनिक चक्रों में से किसमें, चट्टानों का अपक्षय चक्र में प्रवेश करने वाले पोषक तत्व के निर्मुक्त होने का स्रोत है? (PYQ 2021) (स्तर – सरल)

  1. कार्बन चक्र
  2. नाइट्रोजन चक्र
  3. फॉस्फोरस चक्र
  4. सल्फर चक्र

उत्तर: c

व्याख्या:

  • फॉस्फोरस चक्र में, फॉस्फोरस जलमंडल, स्थलमंडल और जीवमंडल के माध्यम से स्थानांतरित होता है।
  • फॉस्फोरस चट्टानों के अपक्षय द्वारा निर्मुक्त होता है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. जम्मू-कश्मीर में परिसीमन अभ्यास के इर्दगिर्द के विवाद का विस्तारपूर्वक परीक्षण कीजिए।

(250 शब्द, 15 अंक) (जीएस II – राजव्यवस्था)

प्रश्न 2. भू-विरासत स्थल और भू-अवशेष (संरक्षण और रखरखाव) विधेयक, 2022 के मसौदे का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक) (जीएस III – पर्यावरण)