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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 14 July, 2023 UPSC CNA in Hindi

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

  1. सियाचिन का पहला जीएसआई सर्वेक्षण:

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

राजव्यवस्था:

  1. संवैधानिक दृष्टि से अस्वीकार्य निर्णय:
  2. वैज्ञानिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आवश्यकता है:

अर्थव्यवस्था:

  1. जीएसटी परिषद की 50वीं बैठक:

अंतरराष्ट्रीय संबंध:

  1. नाटो और यूक्रेन:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र:

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. रक्षा अधिग्रहण परिषद ने राफेल-एम लड़ाकू विमानों और पनडुब्बियों की खरीद को मंजूरी दी:
  1. यमुना नदी:

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

सियाचिन का पहला जीएसआई सर्वेक्षण:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: भारत और उसके पड़ोसी।

प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, सियाचिन ग्लेशियरों से संबंधित जानकारी।

मुख्य परीक्षा: सियाचिन ग्लेशियरों पर पाकिस्तान का दावा।

प्रसंग:

  • इस लेख में 1958 में सियाचिन ग्लेशियर के पहले GSI (Geological Survey of India (GSI)) सर्वेक्षण पर प्रकाश डाला गया है, जो इसके ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डालता है और इस क्षेत्र में पाकिस्तानी उपस्थिति के दावों का खंडन करता है।
  • सियाचिन ग्लेशियर से सम्बन्धित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: Siachen Glacier.

विवरण:

  • भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) द्वारा सियाचिन ग्लेशियर को 5Q 131 05 084 नंबर दिया गया है।
  • सियाचिन का पहला GSI सर्वेक्षण 1958 में एक भारतीय भूविज्ञानी वी. के. रैना के नेतृत्व में हुआ था।
  • सर्वेक्षण महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और भू-रणनीतिक महत्व रखता है।

पहला सियाचिन सर्वेक्षण:

  • GSI के सहायक भूविज्ञानी वी. के. रैना ने जून 1958 में सर्वेक्षण किया था।
  • रैना ने पहले नुब्रा घाटी का अध्ययन किया था और प्रस्तावित लेह-मनाली राजमार्ग के भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण में भाग लिया था।
  • वर्ष 1958 में अंतर्राष्ट्रीय भूभौतिकीय वर्ष में GSI ने हिमालयी ग्लेशियर प्रणालियों के अध्ययन की योजना बनाई थी।
  • रैना की टीम ने सियाचिन, चोंग कुमदान, मैमोस्टोंग, किचिक कुमदान और अकताश ग्लेशियरों का सर्वेक्षण किया था।
  • इस सर्वेक्षण में सर्वेक्षण और चित्र बिंदु स्थापित करना, बड़े पैमाने पर मानचित्र तैयार करना और विभिन्न अध्ययन करना शामिल था।

सियाचिन ग्लेशियर का विवरण:

  • ग्लेशियर का उभरा हुआ भाग व्यावहारिक रूप से बर्फ का एक अव्यवस्थित पिंड था।
  • ग्लेशियर में केंद्र की ओर एक चाप जैसा खड्ड और दो किलोमीटर ऊपर की ओर एक स्पष्ट सफेद धारा मौज़ूद थी।
  • दो बर्फ की गुफाएँ मौजूद थीं: एक गुफा पठार से नीचे की ओर दिखाई देती है और दूसरी पूर्वी दीवार पर ऊपर की ओर जाने पर दिखाई देती है।
  • स्थान निर्धारित करने और छवियों को कैप्चर करने के लिए केयर्न मार्क्स, संदर्भ स्टेशन और फोटोग्राफिक स्टेशन स्थापित किए गए थे।

पाकिस्तान की बेपरवाही:

  • तीन महीने के सर्वेक्षण के दौरान किसी भी पर्वतारोहण अभियान या आगंतुक का रैना की टीम से सामना नहीं हुआ।
  • ग्लेशियर पर भारत की मौजूदगी पर पाकिस्तान ने कोई विरोध नहीं जताया या कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।
  • वर्ष 1949 के कराची युद्धविराम समझौते में युद्धविराम रेखा का चित्रण किया गया, जिससे यह संकेत मिलता है कि यह क्षेत्र भारतीय क्षेत्र में आएगा।
  • अन्वेषणों और वैज्ञानिक दौरों से कोई खतरा नहीं था या उनसे भौतिक कब्जे का भी कोई ख़तरा नहीं था, इसलिए उन्हें कोई महत्व नहीं दिया गया।

ग्लेशियर पर कोई दावा नहीं:

  • वर्ष 1958 के GSI अभियान पर पाकिस्तान की चुप्पी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह इस क्षेत्र से उसकी अनुपस्थिति को स्थापित करती है।
  • यह अभियान इस दावे का खंडन करता है कि पाकिस्तान शुरू से ही ग्लेशियर पर मौजूद था या यह ग्लेशियर उसके नियंत्रण में था।
  • पाकिस्तान ने 25 साल बाद अगस्त 1983 के अपने विरोध नोट में नियंत्रण रेखा का विस्तार करके औपचारिक रूप से इस क्षेत्र पर अपना दावा पेश किया।
  • पाकिस्तान के दावे के जवाब में भारत ने 13 अप्रैल, 1984 को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण साल्टोरो हाइट्स (पहाड़ियां) पर कब्ज़ा कर लिया।

सारांश:

  • वी. के. रैना के नेतृत्व में 1958 में सियाचिन ग्लेशियर का GSI सर्वेक्षण, पाकिस्तान की चुप्पी को उजागर करता है और इस पर उसके दावे का खंडन करता है तथा अभियान के ऐतिहासिक और भू-रणनीतिक महत्व को उजागर करता है।

संपादकीय-द हिन्दू

संपादकीय:

संवैधानिक दृष्टि से अस्वीकार्य निर्णय:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था:

विषय: कार्यपालिका और न्यायपालिका का संगठन और कार्य।

मुख्य परीक्षा: लिव-इन रिलेशनशिप का मुद्दा और स्वतंत्रता की सुरक्षा।

प्रसंग:

  • हाल ही में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक निर्णय जारी कर लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले एक अंतर-धार्मिक जोड़े को सुरक्षा देने से इनकार कर दिया।
  • यह फैसला व्यक्तिगत स्वायत्तता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के संवैधानिक सिद्धांतों की उपेक्षा करता है, और इसके बजाय पारंपरिक सामाजिक नैतिकता का पक्ष लेता है।

मौलिक अधिकारों पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले:

  • मौलिक अधिकारों ( fundamental rights ) पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले देश की सभी अदालतों पर बाध्यकारी हैं।
  • शीर्ष अदालत की भूमिका संवैधानिक अधिनिर्णयन में संलग्न होना है, न कि सामाजिक प्रथाओं या व्यक्तिगत आचरण को प्रोत्साहित या हतोत्साहित करना।

व्यक्तिगत स्वतंत्रता को कायम रखना:

  • सर्वोच्च न्यायालय के पिछले फैसले, जिनका हवाला इलाहाबाद के फैसले में दिया गया है, ने व्यक्तिगत स्वतंत्रता को बरकरार रखा है।
  • इन निर्णयों ने व्यक्तियों को अपना साथी चुनने और सहमति से संबंध बनाने के अधिकार को मान्यता दी है।
  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 – जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार से सम्बन्धित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:Article 21 of the Indian Constitution – Right to Life and Personal Liberty

संवैधानिक नैतिकता की उपेक्षा:

  • उच्च न्यायालय (High Court) ने संवैधानिक सिद्धांतों को कायम रखने के बजाय पारंपरिक सामाजिक नैतिकता पर ध्यान केंद्रित किया।
  • यह व्यक्तिगत संबंधों में संवैधानिक नैतिकता के महत्व की सर्वोच्च न्यायालय की बार-बार की गई पुष्टि को पहचानने में विफल रहा।

सर्वोच्च न्यायालय की मिसालों की अवहेलना:

  • उच्च न्यायालय ने लिव-इन रिलेशनशिप पर सर्वोच्च न्यायालय के कई फैसलों का हवाला देने के बावजूद उनकी अवहेलना की।
  • इसने शीर्ष अदालत के इन फैसलों के पूर्ववर्ती मूल्य को खारिज करने के लिए अस्थिर कारण प्रदान किए।

विवाह से संबंधित व्यक्तिगत कानूनों पर अप्रासंगिक विचार:

  • उच्च न्यायालय ने विवाह से संबंधित व्यक्तिगत कानूनों पर आश्रित होकर अपने अधिकार क्षेत्र को पार कर लिया, जो मामले के लिए अप्रासंगिक थे।
  • इसमें विवाह से संबंधित मामला नहीं होने के बावजूद, पत्नियों के भरण-पोषण से संबंधित आपराधिक प्रक्रिया संहिता ( Criminal Procedure Code (CrPC)) की धारा 125 का अनावश्यक संदर्भ दिया गया।

रूढ़िवाद की ओर झुकाव:

  • फैसले से सामाजिक रूढ़िवादिता और धार्मिक पुनरुत्थानवाद के प्रति स्पष्ट झुकाव का पता चलता है।
  • न्यायालय ने अपने रिट क्षेत्राधिकार के भीतर व्यक्तिगत स्वतंत्रता और स्वायत्तता के सिद्धांतों की अनदेखी करते हुए एक धार्मिक निकाय के रूप में कार्य किया।

सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणियों की गलत व्याख्या:

  • इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गलत दावा किया कि सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणियाँ मामलों के तथ्यों के लिए विशिष्ट थीं।
  • न्यायालय को मौलिक अधिकारों के मामलों पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित कानून के स्थापित प्रस्तावों की अवहेलना नहीं करनी चाहिए थी।

मौलिक अधिकारों को कायम रखने में विफलता:

  • याचिकाकर्ताओं ने यातना से मुक्त होने के अपने अधिकार का दावा करते हुए पुलिस उत्पीड़न से सुरक्षा की मांग की।
  • उच्च न्यायालय को व्यक्तिगत कानूनों का अप्रासंगिक विश्लेषण करने के बजाय युगल के मौलिक अधिकारों का समर्थन करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए था।

निष्कर्ष:

  • इलाहाबाद उच्च न्यायालय का निर्णय न्यायिक अनुशासनहीनता के मामले का प्रतिनिधित्व करता है। इसने गलती से संवैधानिक सिद्धांतों पर व्यक्तिगत कानूनों की नैतिक शिक्षाओं को प्राथमिकता दे दी। सर्वोच्च न्यायालय से अपेक्षा की जाती है कि वह इस न्यायिक अनिष्ट को तुरंत सुधारेगा।

सारांश:

  • इलाहाबाद उच्च न्यायालय का हालिया फैसला, जिसने लिव-इन रिलेशनशिप में अंतर-धार्मिक जोड़े को सुरक्षा देने से इनकार कर दिया, संवैधानिक सिद्धांतों और सर्वोच्च न्यायालय के उदाहरणों की अवहेलना करता है, जो सामाजिक रूढ़िवाद के प्रति एक चिंताजनक झुकाव को उजागर करता है।

वैज्ञानिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आवश्यकता है:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था:

विषय: भारतीय संविधान-विशेषताएँ, महत्वपूर्ण प्रावधान।

मुख्य परीक्षा: क्या वैज्ञानिकों को बोलने और अभिव्यक्ति की आज़ादी है?,अंतर-विषयक दृष्टिकोण का महत्व।

प्रसंग:

  • पिछले हफ्ते, 500 से अधिक वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों ने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (Unlawful Activities Prevention Act) पर चर्चा पर रोक लगाने के लिए भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) की आलोचना की।
  • पंजाब के मोहाली में भारतीय विज्ञान, शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (IISER) ने पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले दो फैकल्टी सदस्यों को कारण बताओ नोटिस जारी करके प्रतिक्रिया व्यक्त की।

सामाजिक चर्चाओं में भाग लेने का वैज्ञानिकों का संवैधानिक अधिकार:

  • वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थान समाज का हिस्सा हैं, और उनके सदस्यों को अन्य लोगों की तरह सामाजिक चर्चा में शामिल होने का समान संवैधानिक अधिकार है।
  • ये संस्थाएँ सार्वजनिक समर्थन पर निर्भर हैं, जिसमें सार्वजनिक हित के मामलों पर शिक्षित करने और राय व्यक्त करने की जिम्मेदारी शामिल है।
  • सामाजिक उथल-पुथल के समय न्याय के लिए खड़े होने में असफल होना इस जिम्मेदारी से विमुख होना होगा।

विज्ञान और इसकी अनेक कड़ियाँ:

  • वैज्ञानिकों को केवल विज्ञान तक सीमित रखना और सामाजिक प्रश्नों से बाहर रखना एक कृत्रिम दृष्टिकोण है।
  • विभिन्न वैज्ञानिक क्षेत्र स्वाभाविक रूप से व्यापक मुद्दों के साथ जुड़ते हैं, वैज्ञानिक फोकस को आकार देते हैं तथा असमानता, न्याय और नैतिकता के सवाल उठाते हैं।
  • जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा नीति और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (artificial intelligence ) जैसे क्षेत्र विज्ञान और सामाजिक संदर्भों के अंतर्संबंध को प्रदर्शित करते हैं।

वैज्ञानिक प्रगति, सामाजिक प्रगति और जिम्मेदारी:

  • वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए उदार सार्वजनिक समर्थन, जैसे कि राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (national quantum mission), सार्वजनिक लाभ की अपेक्षा पर आधारित है।
  • हालाँकि, वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति या तो सामाजिक प्रगति में योगदान कर सकती है या उत्पीड़न और असमानता को सुविधाजनक बना सकती है।
  • वैज्ञानिकों को इस जिम्मेदारी को पूरी तरह से बाहरी ताकतों पर छोड़ने से रोकने के लिए विज्ञान को लागू करने से संबंधित निर्णयों में खुद को शामिल करने की आवश्यकता है।

सामाजिक मुद्दों से जुड़ाव:

  • भारत में वैज्ञानिकों की एक समृद्ध परंपरा है जो लोगों के विज्ञान आंदोलनों सहित सामाजिक मुद्दों से जुड़े रहे हैं।
  • केरल शास्त्र साहित्य परिषद और ऑल इंडिया पीपुल्स साइंस नेटवर्क जैसे उदाहरण सामाजिक लाभ के लिए वैज्ञानिकों के योगदान को उजागर करते हैं।

वैज्ञानिक प्रशासकों का दबाव और चिंताएँ:

  • सरकारी प्रतिक्रिया के डर के कारण वैज्ञानिक प्रशासक अक्सर अपने संस्थानों के भीतर राजनीतिक चर्चाओं को लेकर असहज रहते हैं।
  • कुछ प्रशासक चर्चाओं को सीमित करने के लिए सरकारी नौकरशाहों के लिए बनाए गए नियमों, जैसे केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम, का इस्तेमाल करते हैं।

निष्कर्ष:

  • वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थानों में सामाजिक और राजनीतिक चर्चा को प्रोत्साहित करना वैज्ञानिकों के लिए समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण है। विज्ञान और व्यापक मुद्दों के अंतर्संबंध को पहचानकर, वैज्ञानिक सामाजिक प्रगति में योगदान दे सकते हैं और वैज्ञानिक प्रगति के दुरुपयोग को रोक सकते हैं।

सारांश:

  • चर्चाओं को प्रतिबंधित करने के लिए भारतीय अनुसंधान संस्थानों द्वारा की जा रही आलोचना के बीच, यह पहचानना महत्वपूर्ण है कि सामाजिक और राजनीतिक बहस में वैज्ञानिकों की भागीदारी न केवल उनका अधिकार है, बल्कि सूचित निर्णय लेने और सामाजिक प्रगति के लिए भी आवश्यक है।

जीएसटी परिषद की 50वीं बैठक:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था:

विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।

मुख्य परीक्षा: जीएसटी परिषद की बैठक के नतीजे, जीएसटी कर दर में हालिया बदलाव का ऑनलाइन गेमिंग उद्योग पर प्रभाव।

प्रसंग:

  • वस्तु एवं सेवा कर ( Goods and Services Tax (GST) Council’s) परिषद की 50वीं बैठक में अपीलीय न्यायाधिकरणों के गठन और ऑनलाइन गेमिंग उद्योग के लिए कर उपचार सहित महत्वपूर्ण मुद्दों को संबोधित किया गया।

अपीलीय न्यायाधिकरण:

  • न्यायाधिकरण के सदस्यों के लिए नियुक्ति मानदंडों को मंजूरी दे दी गई है।
  • न्यायाधिकरणों का पहला सेट 4-6 महीनों में परिचालित हो जाएगा।
  • राज्यों ने अपनी राजधानियों और उच्च न्यायालय की पीठों वाले शहरों में 50 न्यायाधिकरण पीठों के चरणबद्ध कार्यान्वयन का प्रस्ताव रखा।
  • जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण से सम्बन्धित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: GST Appellate Tribunal.

ऑनलाइन गेमिंग उद्योग के लिए कर उपचार:

  • ऑनलाइन गेम, कैसीनो और घुड़दौड़ में दांव के अंकित मूल्य पर 28% GST लगाने के निर्णय को अंतिम रूप दिया गया। हालांकि, उद्योग जगत ने इसे क्षेत्र और नौकरियों के लिए हानिकारक बताते हुए चिंता व्यक्त की है।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ऑनलाइन गेमिंग के लिए आगे की समीक्षा की संभावना के साथ नीति बना रहा है।

कर छूट, दर में कटौती, और स्पष्टीकरण:

  • सिनेमा हॉल में भोजन और पेय पदार्थों, बिना तले हुए स्नैक पेलेट्स, मछली घुलित पेस्ट और नकली ज़री धागे पर 5% GST कम किया गया।
  • पिछले कर भुगतान की विसंगतियों के सुधार तथा कैंसर और दुर्लभ बीमारियों के लिए आयातित दवाओं पर छूट दी गई।

निष्कर्ष:

  • जीएसटी परिषद की 50वीं बैठक में अपीलीय न्यायाधिकरण और ऑनलाइन गेमिंग के लिए कर उपचार जैसी महत्वपूर्ण चिंताओं को संबोधित किया गया। इसने कर छूट दी और दरों को स्पष्ट किया, लेकिन दर समायोजन में देरी और व्यापक सुधारों पर ध्यान न देने को लेकर चिंताएं बनी हुई हैं।

सारांश:

  • जीएसटी परिषद की 50वीं बैठक में अपीलीय न्यायाधिकरण और ऑनलाइन गेमिंग करों से संबंधित मुद्दों का समाधान किया गया। छूट और दर समायोजन के माध्यम से राहत प्रदान करते समय, विलंबित सुधारों और गेमिंग उद्योग पर उनके संभावित प्रभाव के बारे में चिंताएं बनी हुई हैं।

नाटो और यूक्रेन:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतरराष्ट्रीय संबंध:

विषय: वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।

मुख्य परीक्षा: नाटो का विस्तार और वैश्विक शांति पर इसका प्रभाव।

प्रसंग:

  • यूक्रेन के लिए सैन्य और वित्तीय सहायता का आकलन करने के लिए नाटो सदस्यों ने लिथुआनिया में बैठक की।
  • यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने निराशा व्यक्त की क्योंकि यूक्रेन को नाटो में शामिल करने के लिए कोई समय सीमा प्रस्तावित नहीं की गई है।

नाटो (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन)

  • नाटो (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) 1949 में गठित एक अंतरसरकारी सैन्य गठबंधन है।
  • इसका प्राथमिक उद्देश्य अपने सदस्य देशों की सामूहिक रक्षा और सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
  • नाटो में वर्तमान में 31 सदस्य देश हैं, जिनमें मुख्य रूप से उत्तरी अमेरिका और यूरोप से हैं।
  • संगठन सामूहिक रक्षा के सिद्धांत पर काम करता है, जिसका अर्थ है कि एक सदस्य पर हमला सभी पर हमला माना जाता है।
  • नाटो अपने सदस्यों के बीच राजनीतिक और सैन्य सहयोग को बढ़ावा देता है और यूरो-अटलांटिक क्षेत्र में स्थिरता को बढ़ावा देता है।
  • गठबंधन के पास एक एकीकृत सैन्य कमान संरचना है और यह संयुक्त सैन्य अभ्यास और अभियान संचालित करता है।
  • नाटो वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए अन्य देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ साझेदारी में भी संलग्न है।
  • संगठन ने आतंकवाद, साइबर खतरों और हाइब्रिड युद्ध का मुकाबला करने सहित बदलती सुरक्षा गतिशीलता को अपना लिया है।
  • नाटो के सदस्य देश रक्षा खर्च में योगदान करते हैं और अपने सकल घरेलू उत्पाद का एक निश्चित प्रतिशत रक्षा के लिए आवंटित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
  • तेजी से जटिल होते वैश्विक सुरक्षा माहौल में अपने सदस्य देशों की सुरक्षा और स्थिरता की रक्षा के लिए नाटो एक महत्वपूर्ण गठबंधन बना हुआ है।

लिथुआनिया बैठक के नतीजे:

  • नाटो सदस्यों ने रूसी आक्रामकता के मुकाबले यूक्रेन के लिए सैन्य और वित्तीय सहायता का आकलन करने के लिए लिथुआनिया में बैठक की।
  • हालाँकि, यूक्रेन को नाटो में शामिल करने के लिए कोई समय सीमा प्रस्तावित नहीं की गई, जिससे यूक्रेनी राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की को निराशा हुई।
  • फ़िनलैंड की हालिया सदस्यता और स्वीडन के आसन्न विलय ने निराशा को और बढ़ा दिया।

यूक्रेन पर नाटो का बयान:

  • नाटो ने यूक्रेन को सीधे तौर पर महत्वपूर्ण सहायता प्रदान की है और उसकी सदस्यता कार्य योजना की आवश्यकताओं में छूट दे दी है।
  • योजना यह सुनिश्चित करती है कि नए सदस्यों में कामकाजी लोकतंत्र, बाजार अर्थव्यवस्था, सेना पर नागरिक नियंत्रण, संघर्ष समाधान के प्रति प्रतिबद्धता, अल्पसंख्यकों के साथ निष्पक्ष व्यवहार और नाटो संचालन में योगदान करने की इच्छा हो।

नाटो के दृष्टिकोण में विरोधाभास:

  • नाटो नेताओं ने यूक्रेन संघर्ष ( Ukraine conflict.) के मूल कारणों को संबोधित करने की आवश्यकता को नजरअंदाज कर दिया है।
  • संगठन में शामिल करने के अभियानों पर ध्यान केंद्रित करना एक विवादास्पद मुद्दा है, जिसे रूस ने आक्रामकता के लिए एक तर्क के रूप में इस्तेमाल किया है।
  • बहस यह सवाल उठाती है कि क्या नाटो को आगे के संघर्षों को भड़काने से बचने के लिए विस्तार को धीमा करने पर विचार करना चाहिए।
  • सैन्य तनाव बढ़ाने के बजाय, नाटो को युद्धविराम और शत्रुता की अस्थायी समाप्ति के संभावित रास्ते तलाशने चाहिए।
  • कूटनीति और संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान पर जोर देना महत्वपूर्ण है। वर्तमान दृष्टिकोण आगे सैन्य वृद्धि और क्रूरता के लिए मंच तैयार करने का जोखिम बढ़ाता है।

निष्कर्ष:

  • बाजार अर्थव्यवस्था, लोकतंत्र, मानवाधिकार और शांति के लिए प्रतिबद्ध समूह के रूप में नाटो को उस प्रतिमान को बदलने की दिशा में काम करना चाहिए जिसने संघर्ष को जन्म दिया। हालाँकि, राष्ट्रपति पुतिन की क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाएं और क्रेमलिन राजनीति जारी रह सकती है, लेकिन नाटो को अपने मूल्यों को प्राथमिकता देनी चाहिए और टाले जा सकने वाले संघर्षों को रोकने का प्रयास करना चाहिए। मूल कारणों को संबोधित करना और शांतिपूर्ण समाधान को बढ़ावा देना क्षेत्र में दीर्घकालिक स्थिरता के लिए आवश्यक कदम हैं।

सारांश:

  • लिथुआनिया में नाटो की हालिया बैठक में यूक्रेन को शामिल करने के लिए समय सीमा प्रस्तुत करने में संगठन की विफलता और प्रतिमान में बदलाव की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया। मूल कारणों को संबोधित किए बिना संगठन में शामिल करने के अभियानों पर जोर देने से संघर्ष के और बढ़ने का खतरा है।

प्रीलिम्स तथ्य:

1.विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

प्रारंभिक परीक्षा: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण संस्थान, प्रौद्योगिकी का स्वदेशीकरण।

विवरण:

  • सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से भारत के तीसरे चंद्रमा मिशन के आगामी प्रक्षेपण में थुंबा में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) में महत्वपूर्ण संचालन शामिल होंगे।
  • VSSC का वर्चुअल लॉन्च कंट्रोल सेंटर (VLCC) चंद्रयान -3 (Chandrayaan-3 ) अंतरिक्ष यान ले जाने वाले शक्तिशाली लॉन्च व्हीकल मार्क-III (LVM3) का सुरक्षित प्रक्षेपण सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

सिस्टम चेकआउट में VLCC की भूमिका:

  • VLCC भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( Indian Space Research Organisation (ISRO)) को प्रत्येक मिशन से पहले लॉन्च वाहन पर दूर से सिस्टम चेकआउट करने में सक्षम बनाता है।
  • 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2.35 बजे होने वाले प्रक्षेपण से पहले, लिफ्टऑफ़ से 14 मिनट 30 सेकंड पहले तक सभी सिस्टम चेकआउट VLCC से किए जाएंगे।
  • VSSC अधिकारी बताते हैं कि VLCC इलेक्ट्रॉनिक्स, एक्चुएटर्स और कमांड के उचित कामकाज को सुनिश्चित करता है, जबकि लॉन्च कमांड श्रीहरिकोटा से दिया जाएगा।

VSSC और LVM3 का महत्व:

  • VSSC प्रक्षेपण वाहनों के लिए इसरो की प्रमुख इकाई है और LVM3 (LVM3) (पूर्व में GSLV Mk-III) प्रक्षेपण यान के डिजाइन और विकास के लिए जिम्मेदार है।
  • चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान में प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर और रोवर घटक शामिल हैं।

महामारी के दौरान आभासी संचालन:

  • थुम्बा में VLCC का संचालन कोविड-19 महामारी (COVID-19 pandemic) के दौरान किया गया था जब अंतरिक्ष अभियानों के लिए कर्मियों की बड़े पैमाने पर आवाजाही प्रतिबंधित थी।
  • इकाई का प्रबंधन करने वाले वैज्ञानिकों के एक छोटे समूह के साथ, अक्टूबर 2022 में LVM3 M2/OneWeb India-1 मिशन सहित विभिन्न मिशनों के लिए इसका सफलतापूर्वक उपयोग किया गया है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. रक्षा अधिग्रहण परिषद ने राफेल-एम लड़ाकू विमानों और पनडुब्बियों की खरीद को मंजूरी दी:

राफेल-एम लड़ाकू विमानों के लिए मंजूरी:

  • रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद (Defence Acquisition Council (DAC)) ने 26 राफेल-एम लड़ाकू विमानों की खरीद को हरी झंडी दे दी, जो विमान वाहक से संचालित होंगे।
  • एक अंतर-सरकारी समझौते के माध्यम से लड़ाकू विमानों को फ्रांस से मंगाया जाएगा।
  • इस खरीद में भारतीय नौसेना के लिए आवश्यक अतिरिक्त वस्तुओं की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है, जिसमें सहायक उपकरण, हथियार, रसद समर्थन, चालक दल प्रशिक्षण, दस्तावेज़ीकरण, स्पेयर और सिम्युलेटर शामिल हैं।

अतिरिक्त पनडुब्बियों की खरीद:

  • DAC ने खरीद (भारतीय) श्रेणी के तहत तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन श्रेणी की डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों की खरीद को भी मंजूरी दे दी।
  • इन पनडुब्बियों का निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स द्वारा किया जाएगा और इनमें उच्च स्वदेशी सामग्री होगी।
  • इस खरीद का उद्देश्य घरेलू स्तर पर रोजगार के अवसर पैदा करते हुए भारतीय नौसेना के आवश्यक बल स्तर और परिचालन तत्परता को बनाए रखना है।

स्वदेशी सामग्री के लिए दिशानिर्देश:

  • DAC ने सभी पूंजी अधिग्रहण मामलों में स्वदेशी सामग्री प्राप्त करने के लिए दिशानिर्देश निर्धारित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
  • यह कदम महत्वपूर्ण विनिर्माण प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने और रक्षा प्लेटफार्मों और उपकरणों के जीवनचक्र को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।

राफेल-एम लड़ाकू विमानों का विवरण:

  • 26 राफेल-एम लड़ाकू विमानों में से 22 सिंगल-सीटर जेट और चार ट्विन-सीटर ट्रेनर होंगे।
  • हालाँकि, प्रशिक्षक विमान वाहक के साथ संगत नहीं होंगे।
  • राफेल-एम का चयन नौसेना की आवश्यकताओं को पूरा करते हुए भारतीय वायु सेना के साथ इसकी समानता (सुविधाओं या विशेषताओं को साझा करने की स्थिति) पर आधारित था।

स्वदेशी डेक-आधारित लड़ाकू विमान:

  • रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation (DRDO)) के तहत एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) एक स्वदेशी ट्विन इंजन डेक-आधारित लड़ाकू विमान विकसित कर रही है।
  • यह लड़ाकू विमान विमानवाहक पोत से संचालित होगा और स्वदेशी ट्विन इंजन डेक-आधारित लड़ाकू विमान के पूरा होने तक यह इसकी कमी को पूरा करेगा क्योंकि तब तक मौजूदा MiG-29K विमानों को शायद संचालन से बाहर कर दिया जाएगा।
  • भारतीय नौसेना वर्तमान में आईएनएस विक्रमादित्य (INS Vikramaditya) और आईएनएस विक्रांत विमान वाहक का संचालन करती है।

स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की स्थिति:

  • प्रोजेक्ट-75 के तहत, मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स वर्तमान में नौसेना समूह से हस्तांतरित प्रौद्योगिकी के साथ छह स्कॉर्पीन पनडुब्बियों का निर्माण कर रहा है।
  • 2005 में हस्ताक्षरित 3.75 बिलियन डॉलर के समझौते के माध्यम से शुरू की गई यह परियोजना अपने समापन के अंतिम चरण में है।
  1. यमुना नदी:

भूमिका:

  • इस मानसून के मौसम में दिल्ली में भारी वर्षा के बावजूद, विशेषज्ञ शहर में बाढ़ के लिए कई मानव निर्मित कारकों को जिम्मेदार मानते हैं।
  • यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र पर अवैध निर्माण को समस्या का एक महत्वपूर्ण कारण माना जाता है।

बाढ़ के मैदानों पर अवैध संरचनाएँ:

  • निजी व्यक्तियों और धार्मिक स्थलों ने बाढ़ के मैदानों पर अवैध संरचनाओं का निर्माण किया है।
  • आउटर रिंग रोड जैसी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं ने भी बाढ़ के मैदानों पर अतिक्रमण किया है।

नदी का संकुचन:

  • बाढ़ के मैदानों पर कंक्रीट संरचनाओं के कारण नदी संकरी हो गई है।
  • यह संकुचन इन क्षेत्रों और पूर्वी दिल्ली के कुछ हिस्सों में बाढ़ को बढ़ा देता है।

कंक्रीटीकरण के विरुद्ध चेतावनी:

  • सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट ने रिवरफ्रंट विकास परियोजनाओं के लिए नदी तटों के कंक्रीटीकरण के खिलाफ चेतावनी दी है।
  • मौजूदा संकट को बाढ़ के मैदानों पर आगे के अतिक्रमण के खिलाफ चेतावनी के रूप में काम करना चाहिए।

दिल्ली-विशिष्ट मुद्दा:

  • बांधों, नदियों और लोगों पर दक्षिण एशिया नेटवर्क के अधिकारी इस बात पर जोर देते हैं कि बाढ़ का मुद्दा दिल्ली के लिए विशिष्ट है।
  • हथिनीकुंड और पुराने रेलवे ब्रिज के बीच छह बैराज होने के बावजूद बाढ़ केवल दिल्ली में आती है।
  • 1978 और वर्तमान में छोड़े गए पानी की मात्रा की तुलना करने पर, यह स्पष्ट है कि कम पानी के कारण दिल्ली में अधिक बाढ़ आ रही है।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. DAC का गठन 2001 में ‘राष्ट्रीय सुरक्षा प्रणाली में सुधार’ पर मंत्रियों के समूह द्वारा की गई सिफारिशों के बाद किया गया था।
  2. यह तीनों सेनाओं के लिए नई नीतियों और पूंजी अधिग्रहण पर निर्णय लेने के लिए रक्षा मंत्रालय में सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है।
  3. इसका नेतृत्व एकीकृत रक्षा स्टाफ के प्रमुख द्वारा किया जाता है।

उपर्युक्त कथनों में से कितने गलत है/हैं?

  1. केवल एक
  2. केवल दो
  3. सभी तीनों
  4. कोई नहीं

उत्तर: a

व्याख्या:

  • कथन 3 गलत है क्योंकि रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) का नेतृत्व रक्षा मंत्री द्वारा किया जाता हैं।

प्रश्न 2. यमुना नदी के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. गंगा के बाद यमुना नदी भारत की दूसरी सबसे लंबी नदी है।
  2. यमुना नदी उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश राज्यों से होकर बहती है।
  3. यमुना नदी, गंगा नदी की एक प्रमुख सहायक नदी है और क्षेत्र की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

उपर्युक्त कथनों में से कितने सही है/हैं?

  1. केवल एक
  2. केवल दो
  3. सभी तीनों
  4. कोई नहीं

उत्तर: b

व्याख्या:

  • कथन 1 गलत है, यमुना नदी वास्तव में भारत की चौथी सबसे लंबी नदी है।

प्रश्न 3. वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा गलत है?

  1. जीएसटी परिषद वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम के तहत स्थापित एक संवैधानिक निकाय है।
  2. जीएसटी परिषद कर दरों, छूट और सीमा – रेखाओं सहित जीएसटी से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर सिफारिशें करने के लिए जिम्मेदार है।
  3. वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की सिफारिशें राज्यों के लिए बाध्यकारी होती हैं।
  4. केंद्रीय वित्त मंत्री जीएसटी परिषद के अध्यक्ष होते हैं।

उत्तर: c

व्याख्या:

  • वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की सिफारिशें केवल प्रेरक मूल्य वाली हैं, और केंद्र और राज्यों पर बाध्यकारी नहीं हो सकती हैं।

प्रश्न 4. भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. जीएसआई एक सरकारी एजेंसी है जो भारत में भूवैज्ञानिक मानचित्रण और खनिज संसाधन मूल्यांकन के लिए जिम्मेदार है।
  2. यह नियामक संस्था है जो भारत में खनन गतिविधियों के लिए लाइसेंस देती है।

निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. 1 और 2 दोनों
  4. न तो 1, न ही 2

उत्तर: a

व्याख्या:

  • कथन 2 गलत है क्योंकि भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) खनन गतिविधियों को विनियमित करने या खनन लाइसेंस देने में शामिल नहीं है।

प्रश्न 5. विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. वीएसएससी इसरो का प्रमुख केंद्र है जो प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी के डिजाइन और विकास के लिए जिम्मेदार है।
  2. यह एयरोस्पेस संरचनाओं, प्रणोदन, सामग्री और एवियोनिक्स सहित अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास करता है।
  3. इसके विस्तार केंद्रों में तंत्र, वाहन एकीकरण और परीक्षण के लिए प्रमुख सुविधाएं हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कितने गलत है/हैं?

  1. केवल एक
  2. केवल दो
  3. सभी तीनों
  4. कोई नहीं

उत्तर: d

व्याख्या:

  • तीनों कथन सही हैं।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. भारत में लिव-इन संबंधों की कानूनी वैधता पर टिप्पणी कीजिए। क्या आपको लगता है कि राज्य को नागरिकों के व्यक्तिगत संबंधों को विनियमित करने में भूमिका निभानी चाहिए? (Comment on the legal validity of live-in relationships in India. Do you think the state must play a role in regulating the personal relations of the citizens?)

(250 शब्द, 15 अंक) [जीएस-2: भारतीय संविधान]

प्रश्न 2. सियाचिन ग्लेशियर के सामरिक महत्व तथा भारत और पाकिस्तान के बीच इसके इर्दगिर्द विवाद का मूल्यांकन कीजिए। (Evaluate the strategic significance of the Siachen glacier and the dispute around it between India and Pakistan.)

(250 शब्द, 15 अंक) [जीएस-2: अंतर्राष्ट्रीय संबंध]