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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 15 September, 2023 UPSC CNA in Hindi

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

शासन:

  1. जल जीवन मिशन:

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

पर्यावरण:

  1. 2030 वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को सुलझाना:

शासन:

  1. नया डाकघर विधेयक, 2023:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना:

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. सरकार ने गेहूं की भंडारण सीमा को सीमित करने हेतु संशोधित किया:
  2. राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड:
  3. लीबिया में बाढ़:

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

जल जीवन मिशन:

शासन:

विषय: सरकारी नीतियों और हस्तक्षेपों का उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में विकास और उनके डिजाइन और कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे हैं।

प्रारंभिक परीक्षा: जल जीवन मिशन से सम्बन्धित जानकारी।

मुख्य परीक्षा: जल जीवन मिशन का प्रभाव।

प्रसंग:

  • इस लेख में भारत की हर घर जल पहल के परिवर्तनकारी प्रभाव की पड़ताल की गई है, जिसका उद्देश्य हर ग्रामीण घर में पाइप से पानी उपलब्ध कराना है।

विवरण:

  • हर घर जल पहल, जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य भारत के प्रत्येक ग्रामीण घर में पाइप से पीने योग्य पानी उपलब्ध कराना है।
  • इस पहल ने लाखों ग्रामीण भारतीयों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है, जिससे पानी के लिए हैंडपंपों पर उनकी निर्भरता कम हो गई है।

स्वच्छ जल तक पहुंच में सुधार:

  • इस पहल से पहले, ग्रामीणों को पीने और खाना पकाने के पानी के लिए हैंडपंपों से पानी लाने के लिए कई बार जाना पड़ता था।
  • हैंडपंप अक्सर अविश्वसनीय होते थे, इसलिए उन्हें बार-बार रखरखाव की आवश्यकता होती थी।
  • हर घर जल पहल ने हर घर तक नल का पानी पहुंचाया है एवं जल की पहुंच और सुविधा में सुधार किया है।
  • जल जीवन मिशन- हर घर जल से सम्बन्धित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:Jal Jeevan Mission- Har Ghar Jal

महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय लक्ष्य:

  • 2019 में, प्रधान मंत्री मोदी ने 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण घर में पाइप से पानी उपलब्ध कराने के लक्ष्य की घोषणा की।
  • सितंबर 2023 तक, इस पहल का दावा है कि लगभग 67% लक्षित घरों को पानी का कनेक्शन प्रदान किया गया है, जिनमें से अकेले उत्तर प्रदेश में 1.5 करोड़ पानी के कनेक्शन हैं।

हैंडपंपों की महत्वपूर्ण भूमिका:

  • भूजल उपलब्ध कराने के लिए हैंडपंप महत्वपूर्ण रहे हैं, विशेषकर पथरीले उपसतह वाले बुंदेलखण्ड जैसे क्षेत्रों में।
  • वे ग्रामीण समुदायों के लिए जीवन रेखा रहे हैं लेकिन उन्हें तेजी से टूट-फूट जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता हैं।
  • इंडिया मार्क-2 हैंड पंप, जो कि यूनिसेफ (UNICEF) और अन्य लोगों का एक सहयोगात्मक प्रयास है, ने इसकी विश्वसनीयता में काफी सुधार किया है।

हैंडपंपों से दूर हटना:

  • हर घर जल पहल का उद्देश्य पाइप से जल कनेक्शन प्रदान करके हैंडपंपों को अप्रचलित बनाना है।
  • यह भूजल पर व्यक्तिगत निर्भरता को कम करता है, और घटते जल स्तर के बारे में चिंताओं को दूर करता है।

जल उपचार संयंत्र:

  • इस पहल के तहत विभिन्न जिलों में करोड़ों रुपये के जल उपचार संयंत्र स्थापित किये गये हैं।
  • इन संयंत्रों का लक्ष्य घरों को स्वच्छ और उपचारित पानी उपलब्ध कराना है।
  • इससे सम्बन्धित चुनौतियों में रखरखाव के दौरान आपूर्ति में रुकावट और अनुपचारित भूजल के लिए ग्रामीणों की प्राथमिकता को संबोधित करना शामिल है।

चुनौतियाँ एवं प्राथमिकताएँ:

  • नलों की मौजूदगी के बावजूद, जल की स्वाद प्राथमिकताओं के कारण कुछ ग्रामीणों के लिए हैंडपंप पानी का पसंदीदा स्रोत बने हुए हैं।
  • कई ग्रामीण क्षेत्रों में पाइप से पानी पहुंचाने के लिए भंडारण टैंकों की कमी है, जिससे आपूर्ति अनियमित हो जाती है।
  • पाइप के पानी को एक उपयुक्त पेयजल स्रोत के रूप में स्वीकार करना एक क्रमिक प्रक्रिया है।

निष्कर्ष:

  • हर घर जल पहल ने भारत में ग्रामीण घरों में पाइप से पानी उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण प्रगति की है।
  • हालाँकि इससे सुविधा में सुधार हुआ है और हैंडपंपों पर निर्भरता कम हुई है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ पानी तक लगातार और स्वीकार्य पहुंच सुनिश्चित करने में चुनौतियाँ बनी हुई हैं।

सारांश:

  • हर घर जल पहल, जल जीवन मिशन का हिस्सा है, जो हैंडपंपों को पाइप से पानी के कनेक्शन से बदलकर ग्रामीण भारत में पानी की पहुंच को नया आकार दे रही है, हालांकि स्वीकृति और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने में अब भी चुनौतियां बनी हुई हैं।

संपादकीय-द हिन्दू

संपादकीय:

2030 वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को सुलझाना:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

पर्यावरण:

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण।

मुख्य परीक्षा: नवीकरणीय ऊर्जा परिवर्तन (संक्रमण), पर्यावरण न्याय में विकसित और विकासशील देशों की भूमिका।

विवरण:

  • यूएनएफसीसीसी (UNFCCC) के 28वें कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (28th Conference of Parties) (CoP28) में 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा (RE) क्षमता को तीन गुना करने का वैश्विक लक्ष्य प्रस्तावित है।
  • इस लक्ष्य का उल्लेख जी-20 (G-20) घोषणापत्र में भी है लेकिन इसे आकांशी माना जाता है।
  • हालाँकि देखने में यह प्रस्ताव आकर्षक लगता है, लेकिन बारीकी से जाँच करने पर कई चुनौतियाँ और असमानताएँ सामने आती हैं।

नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy (RE)) क्षमता की वर्तमान स्थिति:

  • 2021 में, बिजली उत्पादन के लिए वैश्विक स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 3026 गीगावॉट थी, जिसमें कुल क्षमता का 39% शामिल था।
  • हालाँकि, नवीकरणीय ऊर्जा ने कुल बिजली उत्पादन में केवल 28% का योगदान दिया।
  • नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में जलविद्युत/पनबिजली का वर्चस्व रहा, जिसमें सौर और पवन ऊर्जा का संयुक्त योगदान 36% था।

तीन गुना नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता और इसके निहितार्थ:

  • 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने का अर्थ है लगभग 6000 गीगावॉट जोड़ना, जो 2021 में सभी स्रोतों से कुल क्षमता को पार कर गया हैं।
  • इस क्षमता का अधिकांश हिस्सा सौर और पवन ऊर्जा से उपलब्ध होने की उम्मीद है।
  • सौर और पवन ऊर्जा को संयुक्त रूप से 25% क्षमता उपयोग कारक मानने का मतलब अकेले नवीकरणीय ऊर्जा से 13,000 TWh बिजली पैदा करना है।
  • इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए वैश्विक बिजली उत्पादन का 38% नवीकरणीय ऊर्जा से प्राप्त करने की आवश्यकता होगी।

विद्युत मांग में क्षेत्रीय असमानताएँ:

  • वैश्विक बिजली की मांग देशों और क्षेत्रों के बीच काफी भिन्न होती है।
  • चीन और भारत जैसे विकासशील देशों में बिजली की मांग में तेजी से वृद्धि (6.6% और 6.3% सालाना) का अनुभव होता है, जबकि यूरोपीय संघ और अमेरिका जैसे विकसित क्षेत्रों में इसकी मांग में धीमी वृद्धि या गिरावट होती है।
  • लक्ष्य को पूरा करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है।

विकसित बनाम विकासशील देशों की भूमिका:

  • अमेरिका और यूरोपीय संघ (EU) जैसे विकसित देश जीवाश्म ईंधन क्षमता को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करके और नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को जोड़कर, उचित बोझ साझा करके लक्ष्य को पूरा कर सकते हैं।
  • जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त किए बिना, अमेरिका को अतिरिक्त 6000 गीगावॉट के केवल 0.4% की आवश्यकता होगी, जबकि भारत को 12% की आवश्यकता होगी।
  • विकासशील देशों को ग्रिड बुनियादी ढांचे और वित्तपोषण के लिए पर्याप्त समर्थन के बिना नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता बढ़ाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य की उत्पत्ति:

  • वैश्विक आरई लक्ष्य के स्रोत में पारदर्शिता का अभाव है लेकिन यह अंतर्राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी (International Renewable Energy Agency (IRENA)) से प्रभावित है।
  • अंतर्राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी (IRENA’s) का परिदृश्य एक असमान प्रक्षेपण के साथ संरेखित है, जिसमें विकासशील क्षेत्र अधिकांश नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का वहन करते हैं।
  • पूर्ण क्षमता अनुमान ऊर्जा मांग वृद्धि को नजरअंदाज करते हैं और सापेक्ष लक्ष्यों की तुलना में जोखिम भरे होते हैं।

समानता और संसाधन की कमी सम्बन्धी चुनौतियाँ:

  • विकासशील देश आपूर्ति स्थिरता और पर्याप्त भंडारण समाधान के लिए गैर-नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के बिना इस नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता वृद्धि को प्राप्त नहीं कर सकते हैं।
  • अपर्याप्त जलवायु वित्त संसाधनों को देखते हुए, इस पैमाने पर राष्ट्रीय ग्रिड का निर्माण वित्तीय चुनौतियों का सामना करता है।

विकसित बनाम विकासशील राष्ट्रों के लिए लक्ष्य:

  • अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसे विकसित देशों में घरेलू स्तर पर पूर्ण नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों का अभाव है, जो सरकारी हस्तक्षेप के बजाय बाजार संकेतों पर निर्भर करते हैं।
  • विकासशील देशों, विशेषकर भारत को वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य पर तभी विचार करना चाहिए, जब विकसित देश पेरिस समझौते के तहत न्यायसंगत और पूर्ण लक्ष्यों के लिए प्रतिबद्ध हों।

सारांश:

  • 2030 तक वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने का प्रस्ताव निष्पक्षता, पारदर्शिता और व्यवहार्यता के बारे में चिंता पैदा करता है। नवीकरणीय ऊर्जा/अक्षय ऊर्जा में निष्पक्ष और प्रभावी परिवर्तन के लिए बिजली की मांग में क्षेत्रीय असमानताओं और विकसित देशों द्वारा पूर्ण लक्ष्यों के प्रति प्रतिबद्धता को संबोधित किया जाना चाहिए।

नया डाकघर विधेयक, 2023:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

शासन:

विषय: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां और हस्तक्षेप एवं उनके डिजाइन और कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

मुख्य परीक्षा: 1898 के भारतीय डाकघर अधिनियम से संबंधित मुद्दे और नया डाकघर विधेयक, 2023 इसे कैसे संबोधित करता है।

प्रसंग:

  • सन 1898 का भारतीय डाकघर अधिनियम मुख्य रूप से पारंपरिक डाक सेवाओं पर केंद्रित था।
  • इसमें नागरिक-केंद्रित सेवाओं की पेशकश में डाकघरों की उभरती भूमिका के प्रावधानों का अभाव था।
  • राज्यसभा (Rajya Sabha) ने 2023 में संसद के मानसून सत्र के दौरान नया डाकघर विधेयक पेश किया।
  • नए विधेयक का उद्देश्य नागरिक-केंद्रित सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करने में डाकघरों की बदलती भूमिका को पहचानते हुए पुराने 1898 अधिनियम को प्रतिस्थापित करना है।

नए डाकघर विधेयक में बदलाव और प्रावधान:

  • विस्तारित भूमिका और लचीलापन:
    • नया विधेयक डाक सेवा महानिदेशक को पारंपरिक डाक से परे विभिन्न सेवाओं के लिए नियम बनाने का अधिकार देता है।
    • यह लचीलापन डाक विभाग को प्रतिस्पर्धी बने रहने और बाजार की मांगों पर तेजी से प्रतिक्रिया देने के लिए सेवा मूल्यों को समायोजित करने की अनुमति देता है।
  • केंद्र सरकार को सशक्त बनाना:
    • केंद्र सरकार, नए विधेयक के माध्यम से, राष्ट्रीय सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था या अन्य आपात स्थितियों के हित में डाक वस्तुओं को रोकने, खोलने या रखने की शक्ति प्रदान करती है।
    • इस प्रावधान का उद्देश्य डाक पार्सल के माध्यम से तस्करी और प्रतिबंधित सामग्री के गैरकानूनी प्रसारण से निपटना है।
  • कूरियर फर्मों पर सीमाएँ:
    • हालांकि नया विधेयक भारतीय डाक को सशक्त बनाता है, लेकिन इस संदर्भ में कूरियर फर्म काफी हद तक अनियमित हैं।
    • कूरियर/एक्सप्रेस/पार्सल (CEP) उद्योग में भारतीय डाक की बाजार हिस्सेदारी 15% से कम है, जो इस प्रावधान की प्रभावशीलता को सीमित करती है।
  • छोटे कूरियर खिलाड़ियों का पंजीकरण:
    • इस विधेयक में छोटे कूरियर ऑपरेटरों के लिए निर्दिष्ट प्राधिकरणों के साथ पंजीकरण करने के प्रावधानों का अभाव है।
    • इस तरह का प्रावधान कूरियर उद्योग के भीतर पार्सल में वर्जित वस्तुओं को नियंत्रित करने की विधेयक की क्षमता को मजबूत कर सकता है।
  • भविष्योन्मुखी डाक वितरण:
    • नया विधेयक वस्तुओं को संबोधित करने, पता पहचानकर्ताओं और पोस्टकोड के उपयोग के लिए मानक पेश करता है।
    • इस कदम से परिसर की पहचान करने के लिए भू-स्थानिक निर्देशांकों का उपयोग करके डिजिटल संबोधन को अपनाया जा सकता है।
    • डिजिटल संबोधन में छँटाई बढ़ाने और सटीक ड्रोन वितरण को सक्षम करने की क्षमता है।
  • विशिष्ट विशेषाधिकार समाप्त करना:
    • नए विधेयक में सबसे महत्वपूर्ण बदलाव केंद्र सरकार को पत्र भेजने और संबंधित सेवाओं को करने का विशेष विशेषाधिकार देने वाले प्रावधान को समाप्त करना है।
    • यह परिवर्तन उभरते संचार परिदृश्य को दर्शाता है, आज के मोबाइल प्रौद्योगिकी के युग में पत्रों के माध्यम से लिखित व्यक्तिगत संचार कम आम हो गया है।
    • नए अधिनियम के तहत ‘पत्र’ और ‘दस्तावेज़’ के बीच अंतर कम प्रासंगिक हो जाएगा।
  • बदलती वास्तविकताओं को स्वीकार करना:
    • नए विधेयक में सबसे महत्वपूर्ण बदलाव केंद्र सरकार को पत्र भेजने और संबंधित सेवाओं को करने का विशेष विशेषाधिकार देने वाले प्रावधान को समाप्त करना है।
    • यह परिवर्तन मोबाइल प्रौद्योगिकी के युग में पत्रों के माध्यम से लिखित व्यक्तिगत संचार कम आम होने के साथ, विकसित संचार परिदृश्य को दर्शाता है।
    • यह कानूनी ढांचे को संचार और सेवा वितरण की आधुनिक वास्तविकता के साथ संरेखित करता है।

सारांश:

  • नया डाकघर विधेयक (2023) डाकघरों की उभरती भूमिका को पहचानता है, बढ़ी हुई सुरक्षा के प्रावधान पेश करता है, कूरियर उद्योग में चुनौतियों का समाधान करता है और भारत में संचार की बदलती गतिशीलता को स्वीकार करता है।

प्रीलिम्स तथ्य:

1. प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

विषय: सरकारी योजनाएं।

प्रारंभिक परीक्षा: प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना।

विवरण:

  • 2020 में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्लू इकोनॉमी (Blue Economy) की क्षमता का दोहन करने के लिए भारतीय मत्स्य पालन क्षेत्र में सुधारों की शुरुआत की थी।
  • कोविड-19 महामारी (COVID-19 pandemic) के बावजूद, प्रधान मंत्री मोदी ने मत्स्य पालन क्षेत्र के लिए आत्मनिर्भर भारत पैकेज की घोषणा की।
  • प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana (PMMSY)) के लिए 20,050 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, जो भारतीय मत्स्य पालन में अब तक का सबसे बड़ा निवेश है।

मत्स्य पालन मूल्य श्रृंखला में महत्वपूर्ण अंतराल को संबोधित करना:

  • पीएमएमएसवाई का उद्देश्य मत्स्य पालन क्षेत्र में प्रमुख चुनौतियों का समाधान करना है।
  • पहचाने गए रणनीतिक प्राथमिकता वाले क्षेत्र: समुद्री मत्स्य पालन, अंतर्देशीय मत्स्य पालन, मछुआरों का कल्याण, बुनियादी ढाँचा, फसल कटाई के बाद का प्रबंधन, ठंडे पानी में मत्स्य पालन, सजावटी मत्स्य पालन, जलीय स्वास्थ्य प्रबंधन और समुद्री शैवाल की खेती।
  • मछली उत्पादन, उत्पादकता, गुणवत्ता, प्रौद्योगिकी, बुनियादी ढांचे और विपणन में सुधार पर ध्यान केंद्रित करना।

युवाओं और उद्यमियों को सशक्त बनाना:

  • पीएमएमएसवाई ने युवाओं को मत्स्य पालन में उद्यम करने के लिए प्रेरित किया।
  • उदाहरण: कश्मीर में युवा महिला उद्यमी पुनर्चक्रण जलीय कृषि /रीसर्क्युलेटरी एक्वाकल्चर का उपयोग करके ठंडे पानी में रेनबो ट्राउट का पालन कर रही हैं।
  • नेल्लोर में एक्वाप्रिन्योर बायोफ्लॉक खेती वाले झींगे के माध्यम से सफल निर्यातक बन गए।

गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में मत्स्य पालन का विस्तार:

  • गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में मत्स्य पालन का विस्तार करने का प्रयास।
  • हरियाणा और राजस्थान में खारी बंजर भूमि को उत्पादक जलीय कृषि क्षेत्रों में बदलना।
  • लगभग 20,000 हेक्टेयर ताजा तालाब क्षेत्र अंतर्देशीय जलीय कृषि के लिए समर्पित है।

मछुआरों को सशक्त बनाना और आजीविका में विविधता लाना:

  • पीएमएमएसवाई मछली पकड़ने वाले समुदायों में महिलाओं को सजावटी मत्स्य पालन, मोती की खेती और समुद्री शैवाल की खेती जैसी गतिविधियों में शामिल होने सहित लाभदायक विकल्पों और आय के विविध स्रोतों की तलाश करने में सक्षम बनाता है।
  • एक अच्छे उदाहरण में तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में हाल ही में लॉन्च किया गया ₹127 करोड़ का समुद्री शैवाल पार्क शामिल है।

अनुसंधान और बुनियादी ढांचे के लिए समर्थन:

  • 900 मत्स्य आहार संयंत्रों और 755 हैचरी की स्थापना।
  • भारतीय सफेद झींगा विकास, रोगाणु मुक्त वंश और बाघ झींगा पालन सहित अनुसंधान और आनुवंशिक सुधार के लिए समर्थन।

उपलब्धियां:

  • भारत अब मछली और जलीय कृषि उत्पादन में दुनिया के शीर्ष तीन देशों में शामिल है।
  • भारत दुनिया का सबसे बड़ा झींगा निर्यातक है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

1.सरकार ने गेहूं की भंडारण सीमा को सीमित करने हेतु संशोधित किया:

  • भारत सरकार बढ़ती कीमतों के कारण त्योहारी सीजन से पहले गेहूं की जमाखोरी को रोकने के लिए कार्रवाई कर रही है।
  • सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में व्यापारियों, थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं और प्रोसेसरों के लिए गेहूं की स्टॉक सीमा 3,000 मीट्रिक टन से घटाकर 2,000 मीट्रिक टन कर दी गई है।
  • बढ़ती कीमतों के लिए कुछ संस्थाओं द्वारा “कृत्रिम कमी” को जिम्मेदार ठहराया जाता है।
  • गेहूं-स्टॉकिंग संस्थाओं को गेहूं स्टॉक सीमा पोर्टल पर पंजीकरण करना होगा और साप्ताहिक रूप से स्टॉक अपडेट करना होगा; अनुपालन न करने पर आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 (Essential Commodities Act, 1955) के तहत दंडात्मक कार्रवाई हो सकती है।
  • स्टॉक सीमा से अधिक वाली संस्थाओं को 30 दिनों के भीतर स्टॉक कम करना होगा।
  • केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारी कृत्रिम कमी को रोकने के लिए प्रवर्तन की बारीकी से निगरानी करेंगे।
  • सरकार को उम्मीद है कि खुदरा बाजार में कीमतों में बढ़ोतरी का असर देखने को मिल सकता है।
  • त्योहारों से पहले खाद्यान्न, चीनी और खाद्य तेल जैसी आवश्यक वस्तुओं की खुदरा कीमतें स्थिर रहने की उम्मीद है।
  • आवश्यक वस्तुओं का पर्याप्त भंडार सुनिश्चित किया गया है और जमाखोरी के खिलाफ सतर्कता बरती जा रही है।
  • चीनी की कमी की अफवाहों के कारण कुछ क्षेत्रों में कीमतें बढ़ गई हैं, लेकिन 85 लाख टन का पर्याप्त स्टॉक है।
  • अगस्त में दो लाख टन चीनी जारी की गई, जो सामान्य रिलीज से अधिक है।
  • अनुकूल कृषि उत्पादन का अनुमान है, आगामी ख़रीफ़ सीज़न में चावल का बंपर उत्पादन और कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में गन्ने का अच्छा उत्पादन होने की उम्मीद है।

2. राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड:

  • सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दाखिल मामलों और निपटान पर वास्तविक समय का डेटा अब राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (NJDC) के माध्यम से जनता के लिए उपलब्ध है।
  • भारत के मुख्य न्यायाधीश D.Y. चंद्रचूड़ द्वारा यह घोषणा की गई हैं।
  • एनजेडीजी एक राष्ट्रीय भंडार है जिसमें भारतीय अदालतों में मामलों का डेटा शामिल है।
  • यह कदम ‘ओपन डेटा पॉलिसी’ पर आधारित है और इसमें एनजेडीजी के लिए दैनिक अपडेट शामिल है।
  • उपयोगकर्ता आसानी से प्रकार, वर्ष, चरण और कोरम के आधार पर मामला संस्थान, निपटान और विचाराधीनता के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
  • यह पहल न्यायपालिका के भीतर समन्वय, सूचित निर्णय लेने और कुशल संसाधन आवंटन को बढ़ावा देती है।
  • एनजेडीजी-एससीआई पोर्टल पर उपलब्ध डेटा में पिछले महीने के सिविल और आपराधिक मामलों, फाइलिंग और निपटान के वर्तमान लंबित आंकड़े शामिल हैं।
  • 2023 तक, उच्चतम न्यायालय में 64,854 पंजीकृत और 15,490 अपंजीकृत मामले लंबित हैं।
  • लंबित मामलों में विभिन्न पीठ विन्यास/बेंच कॉन्फ़िगरेशन शामिल हैं, जिनमें तीन-न्यायाधीश, पांच-न्यायाधीश और नौ-न्यायाधीश पीठ/बेंच शामिल हैं।
  • लंबित मामलों में तेजी लाने के लिए, मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने अतिरिक्त विशेष तीन-न्यायाधीश पीठ स्थापित करने की योजना बनाई है।

3. लीबिया में बाढ़:

  • लीबिया में अचानक आई भीषण बाढ़ के कारण कम से कम 4,000 लोगों की मौत हो गई और हजारों लोग लापता हो गए।
  • संयुक्त राष्ट्र (UN) ने इस उच्च मृत्यु दर के लिए इस क्षेत्र में वर्षों के युद्ध और अराजकता के बाद के हालात को जिम्मेदार ठहराया हैं।
  • यह बाढ़ तूफ़ान के पानी के बढ़ने के कारण आई हैं, जिसने नदी के ऊपर बने दो बांधों को तोड़ दिया, जिससे डर्ना शहर तबाह हो गया था।
  • संयुक्त राष्ट्र विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organization (WMO)) ने कहा कि बेहतर प्रारंभिक चेतावनी और आपातकालीन प्रबंधन प्रणालियों से अधिकांश हताहतों को रोका जा सकता था।
  • डर्ना अब तबाही की स्थिति में है, सड़कों पर शवों की कतार है और निवासी लापता प्रियजनों की तलाश कर रहे हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ और कई मध्य पूर्वी और उत्तरी अफ्रीकी देशों सहित अंतर्राष्ट्रीय संगठन और राष्ट्र, भोजन, पानी की टंकी, आपातकालीन आश्रय, चिकित्सा आपूर्ति और बॉडी बैग सहित बचाव दल और सहायता भेज रहे हैं।
  • सड़कों, पुलों, बिजली और फोन लाइनों सहित बुनियादी ढांचे के नष्ट हो जाने के कारण पूर्व में डर्ना तक पहुंच बहुत ही मुश्किल है।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?

(a) यह सरकार को आवश्यक वस्तुओं के उत्पादन, वितरण और मूल्य निर्धारण को विनियमित और नियंत्रित करने का अधिकार देता है।

(b) यह केवल खाद्य पदार्थों और कृषि उत्पादों पर लागू होता है।

(c) यह मुख्य रूप से आवश्यक वस्तुओं के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए अधिनियमित किया गया था।

(d) इसमें विशेष रूप से सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करने का उल्लेख नहीं है।

उत्तर: a

व्याख्या:

  • आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955, सरकार को आवश्यक वस्तुओं के उत्पादन, वितरण और मूल्य निर्धारण को विनियमित और नियंत्रित करने का अधिकार देता है ताकि आम जनता को उचित मूल्य पर उनकी उपलब्धता सुनिश्चित हो सके।

प्रश्न 2. राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (NJDC) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

1. एनजेडीजी लंबित मामलों और निपटान की निगरानी करता है।

2. यह आदेशों और निर्णयों का एक व्यापक डेटाबेस प्रदान करता है।

3.यह सर्वोच्च न्यायालयों और संबंधित उच्च न्यायालयों जैसे प्रबंधन प्राधिकरणों के लिए एक निर्णय समर्थन प्रणाली के रूप में कार्य करता है।

उपर्युक्त कथनों में से कितने सही है/हैं?

(a) केवल एक

(b) केवल दो

(c) सभी तीनों

(d) कोई नहीं

उत्तर: c

व्याख्या:

  • तीनों कथन सही हैं।

प्रश्न 3. गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

1. केंद्र सरकार यूएपीए के तहत संगठनों और व्यक्तियों को आतंकवादी के रूप में नामित कर सकती है।

2. यूएपीए के तहत उच्चतम सजा में मृत्युदंड और आजीवन कारावास शामिल हैं।

3. यूएपीए के तहत केवल भारतीय नागरिकों पर ही आरोप लगाया जा सकता है।

उपर्युक्त कथनों में से कितने गलत है/हैं?

(a) केवल एक

(b) केवल दो

(c) सभी तीनों

(d) कोई नहीं

उत्तर: a

व्याख्या:

  • यूएपीए के तहत भारतीय और विदेशी दोनों नागरिकों पर आरोप लगाए जा सकते हैं। अपराधियों ने चाहे वह कृत्य भारत के बाहर किसी विदेशी भूमि में किया गया हो तब भी उन पर उसी तरीके से आरोप लगाए जाएंगे।

प्रश्न 4. प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के सम्बन्ध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

1. इस योजना का उद्देश्य फसल कटाई के बाद प्रबंधन और गुणवत्ता वृद्धि पर ध्यान केंद्रित करके मूल्य श्रृंखला को आधुनिक बनाना है।

2. यह कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तहत एक प्रमुख योजना है

3. यह मत्स्य पालन क्षेत्र के सतत विकास पर केंद्रित है।

उपर्युक्त कथनों में से कितने सही है/हैं?

(a) केवल एक

(b) केवल दो

(c) सभी तीनों

(d) कोई नहीं

उत्तर: b

व्याख्या:

  • मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना को लागू की जा रही है।

प्रश्न 5. निम्नलिखित देशों पर विचार कीजिए:

1. अल्जीरिया

2. ट्यूनीशिया

3. मोरक्को

4. लीबिया

5. मिस्र

6. सूडान

उपर्युक्त में से कितने देश उत्तरी अफ्रीका के माघरेब क्षेत्र का हिस्सा हैं?

(a) केवल दो

(b) केवल तीन

(c) केवल चार

(d) केवल पाँच

उत्तर: c

व्याख्या:

  • माघरेब क्षेत्र (Maghreb region) उत्तरी अफ्रीका में है और इसमें अल्जीरिया, ट्यूनीशिया, मोरक्को, लीबिया और मॉरिटानिया जैसे देश शामिल हैं।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. जल जीवन मिशन की मुख्य विशेषताओं पर चर्चा करते हुए इसकी प्रगति की जांच कीजिए। (Discuss the salient features of the Jal Jeevan Mission and examine its progress.) (250 शब्द, 15 अंक) [जीएस: II- सामाजिक न्याय]

प्रश्न 2. भारत में डाक के इतिहास की जाँच और नए डाकघर विधेयक, 2023 के प्रावधानों का मूल्यांकन कीजिए। (Examine the history of posts in India and evaluate the provisions of the new Post Office Bill, 2023.) (250 शब्द, 15 अंक) [जीएस: II- शासन]

(नोट: मुख्य परीक्षा के अंग्रेजी भाषा के प्रश्नों पर क्लिक कर के आप अपने उत्तर BYJU’S की वेव साइट पर अपलोड कर सकते हैं।)