23 अगस्त 2022 : समाचार विश्लेषण

A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:

  1. भारत-ईरान ने नाविकों की आवाजाही में सहायता के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए:

C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E.सम्पादकीय:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

  1. म्यांमार में निष्पादन/कार्रवाई:

आपदा प्रबंधन:

  1. जोखिम में कारक:

अर्थव्यवस्था:

  1. केंद्र-राज्य के बीच बढ़ता हुआ टकराव:

शिक्षा:

  1. अभी नहीं बने शिक्षा के केंद्र:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. रंगनाथिट्टू पक्षी अभयारण्य:

G.महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. तकनीकी/टेक दिग्गजों को संसदीय पैनल का सम्मन:

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

भारत-ईरान ने नाविकों की आवाजाही में सहायता के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: भारत से जुड़े या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले द्विपक्षीय समझौते।

प्रारंभिक परीक्षा: नाविकों के प्रशिक्षण, प्रमाणन और निगरानी के मानकों पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (STCW) और चाबहार बंदरगाह से सम्बंधित तथ्य।

संदर्भ:

  • भारत और ईरान ने एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए, जो नाविकों (समुद्र से यात्रा करने वाले व्यक्तियों) की आवाजाही को सुगम करेगा।

विवरण:

  • भारत के बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री एवं ईरान के सड़क और शहरी विकास मंत्री के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
  • यह समझौता ज्ञापन असीमित यात्राओं में उस योग्यता प्रमाणपत्र को मान्यता देगा जो नाविकों के प्रशिक्षण, प्रमाणन और निगरानी के मानकों पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन, 1978 के प्रावधानों के अनुसार दोनों देशों के नाविकों को सहायता मिलेगी।

नाविकों के लिए प्रशिक्षण, प्रमाणन और निगरानी के मानकों पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (International Convention on Standards of Training, Certification and Watchkeeping for Seafarers (STCW)):

  • STCW पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन जुलाई 1978 में लंदन में अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (International Maritime Organization (IMO) ) सम्मेलन में अपनाया गया था और यह अप्रैल 1984 में लागू हुआ था।
  • यह सम्मेलन वैश्विक स्तर पर नाविकों के प्रशिक्षण, प्रमाणन और निगरानी की बुनियादी आवश्यकताओं को पटल पर रखने वाला पहला सम्मेलन था।
  • इस सम्मेलन (कन्वेंशन) पर हस्ताक्षर करने से पहले, अलग-अलग देशों द्वारा नाविकों के प्रशिक्षण, प्रमाणन और निगरानी के मानकों को तय किया गया था।
  • इस सम्मेलन (कन्वेंशन) में अब तक दो बार वर्ष 1995 और वर्ष 2010 में संशोधन किया जा चुका है।

भारतीय और ईरान के मंत्रियों के बीच हुई बैठक के प्रमुख निष्कर्ष:

  • मंत्रियों ने दोनों देशों के बीच मजबूत द्विपक्षीय संबंधों के महत्व को स्वीकार किया।
  • दोनों देशों ने बैठक में चाबहार बंदरगाह (Chabahar Por) के विकास के महत्व को भी दोहराया।
  • जिसमे कहा गया कि मध्य एशिया और दक्षिण एशिया के बीच तेज, किफायती व्यापार चैनल के रूप में कार्य करने के लिए चाबहार बंदरगाह की क्षमता का पूरी तरह से दोहन करने की आवश्यकता है।
  • चाबहार बंदरगाह के विकास से व्यापार और नौवहन की मात्रा में वृद्धि होगी।
  • इसके अलावा, ऐसा कहा जाता है कि जब से इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड (आईपीजीपीएल) ने शाहिद बेहेश्ती पोर्ट (चाबहार) में अपना परिचालन शुरू किया है, तब से इसने 4.8 मिलियन टन से अधिक बल्क कार्गो (बहुत अधिक संख्या में नौवहन) को संभाला है।
  • इसके अतिरिक्त, भारत ने चाबहार बंदरगाह के माध्यम से वर्ष 2020 में मानवीय सहायता के रूप में अफगानिस्तान को 75000 टन से अधिक गेहूं भेजा।
  • टिड्डियों की समस्या को दूर करने और क्षेत्र में खाद्य सुरक्षा में सुधार करने के लिए भारत ने चाबहार बंदरगाह के माध्यम से ईरान को लगभग 40,000 लीटर मैलाथियान 96% यूएलवी कीटनाशकों की आपूर्ति की।

सारांश:

  • भारत और ईरान के बीच एक समझौते का उद्देश्य दोनों देशों के बीच नाविकों की आवाजाही को सुगम बनाना और दोनों देशों के बीच समग्र द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करना है।

संपादकीय-द हिन्दू

सम्पादकीय:

म्यांमार में निष्पादन/कार्रवाई:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: भारत के हितों तथा प्रवासी भारतीयों पर विकसित एवं विकासशील देशों की नीतियां और राजनीति का प्रभाव।

मुख्य परीक्षा: सैन्य तख्तापलट के बाद म्यांमार में घटनाक्रम एवं भारत के लिए महत्वपूर्ण सिफारिशें।

संदर्भ:

  • हाल ही में म्यांमार की एक कंगारू अदालत ने आंग सान सू की को वर्तमान में 11 वर्षों के अतिरिक्त छह साल के कारावास की सजा सुनाई है।

पृष्ठ्भूमि:

  • वर्ष 2021 में म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद से, सत्ता पर कब्जा करने वाली तातमाडॉ (म्यांमार सेना) (military coup in Myanmar ) विपक्ष को कुचलने के लिए कड़े कदम उठा रही है।
  • लोकतंत्र कार्यकर्ताओं की फांसी, सू की की कैद, ऑस्ट्रेलियाई अर्थशास्त्री सीन टर्नेल की लंबे समय तक नजरबंदी और विपक्षी समूहों के खिलाफ भारी हथियारों का इस्तेमाल तातमाडॉ द्वारा उठाए गए कठोर कदम हैं।
  • इस मुद्दे के बारे में अधिक जानकारी के लिए 27 जुलाई 2022 का यूपीएससी परीक्षा व्यापक समाचार विश्लेषण देखें।

देश में बढ़ती अराजकता:

  • राष्ट्रीय एकता सरकार (National Unity Government (NUG)) नामक एक समानांतर सरकार की स्थापना वहां की विधायिकाओं के निर्वाचित सदस्यों द्वारा की गई है।
    • राष्ट्रीय एकता सरकार में एक सशस्त्र डिवीजन भी है जिसे पीपुल्स डिफेंस फोर्स (People’s Defence Force (PDF)) कहा जाता है, इसे सैन्य शासन के खिलाफ लड़ने वाले कई सशस्त्र जातीय समूहों द्वारा समर्थित और प्रशिक्षित किया जाता है।
  • जाति-आधारित सशस्त्र संगठन (Ethnic-based armed organisations (EAOs)) सेना के साथ संघर्ष में लंबे समय से शामिल रहे हैं,और तख्तापलट के बाद युद्धविराम वार्ता रोक दी गई है।
  • तातमाडॉ ने कथित तौर पर इस विद्रोह को कम करने के लिए अपने सैनिकों को जुटाया है।
  • हालांकि, सीमित संसाधनों के बावजूद, ईएओ और पीडीएफ शासन के सैन्य अभियानों से निपटने में लचीलापन दिखा रहे हैं।
  • ये सभी साबित करते हैं कि विपक्षी समूहों के बीच सक्रियता बढ़ी है।

चीन द्वारा समर्थन:

  • ज्ञातव्य हैं कि आसियान (ASEAN) के सदस्य देशों सहित विभिन्न देशों ने तातमाडॉ शासन पर प्रतिबंध लगा रखे हैं,साथ ही अधिक कठोर कदम उठाना चाह रहे हैं, लेकिन म्यांमार शासन चीन के समर्थन के कारण अपने अस्तित्व को बचाने में सफल हो रहा है।
  • कहा जाता है कि चीन म्यांमार के साथ अपने आर्थिक संबंधों को मजबूत करने में दिलचस्पी दिखा रहा है।
  • सैन्य तख्तापलट के बाद, चीनी विदेश मंत्री ने चीन में म्यांमार के विदेश मंत्री की अगवानी की और बाद में चीनी विदेश मंत्री ने म्यांमार का दौरा किया जो चीनी इरादों को दर्शाता है।

भारत के लिए सिफारिशें:

  • विशेषज्ञों ने भारत के लिए एक त्रि-स्तरीय रणनीति बनाने की सलाह दी है,जिसमें शामिल हैं:
    • आसियान देशों जैसे समान विचारधारा वाले देशों से अंतर्राष्ट्रीय समर्थन प्राप्त करना।
    • म्यांमार में सैन्य शासन से एक बहुत ही आवश्यक सुलह प्रक्रिया शुरू करना।
    • सीमा पार प्रभावित लोगों को मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए पूर्वोत्तर भारत में संसाधनों को मजबूत करना।

सारांश:

  • भारत के पड़ोस में राजनीतिक संकट और अस्थिरता का भारत पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा अतः ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए भारत को म्यांमार में स्थिरता और लोकतंत्र स्थापित करने के प्रयास शुरू करना महत्वपूर्ण है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3 से संबंधित:

आपदा प्रबंधन:

जोखिम में कारक:

विषय: आपदा और आपदा प्रबंधन।

मुख्य परीक्षा: पर्वतीय राज्यों की प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशीलता- योगदान कारक और कम करने वाली क्रियाएं।

संदर्भ:

  • हाल ही में हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में मूसलाधार बारिश के कारण अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन से लगभग 25 लोगों की मौत हो गई है।
    • हिमाचल प्रदेश के मंडी, कांगड़ा और चंबा जिले सबसे ज्यादा प्रभावित जिले रहे।

प्राकृतिक आपदा का प्रभाव:

  • जानमाल के नुकसान के अलावा राज्यों के बुनियादी ढांचे को भी भारी नुकसान हुआ है, कई पुल क्षतिग्रस्त हो गए हैं और महत्वपूर्ण सड़कें मलबे से अवरुद्ध हो गई।
  • आपदा के इन दृश्यमान नुकसानों के अलावा, इसके दीर्घकालिक और कई माध्यमिक प्रभाव पड़े हैं।
    • आम नागरिकों की संपत्ति को नुकसान पहुंचा है।
    • बारिश से किसानों की फसल और मवेशी बर्बाद हो गए हैं। इसका गरीब और कमजोर वर्गों की आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
    • साथ ही आपदा से सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को हुए नुकसान और प्रभावित लोगों के आवश्यक पुनर्निर्माण और पुनर्वास से सरकारी खजाने पर दबाव पड़ेगा।
    • परिवहन सुविधाओं की कमी से आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ेगा और स्कूलों के बंद होने से बच्चों की शिक्षा प्रभावित होगी।

आपदा के प्रति पर्वतीय क्षेत्रों की सुभेद्यता बढ़ाने वाले कारक:

  • हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों में अद्वितीय स्थलाकृति है जो प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूस्खलन और भूकंप हेतु स्वाभाविक रूप से सुमेद्य है। अपनी अनूठी स्थलाकृति के कारण वहाँ एक अस्थिर भूभाग है जिससे ये राज्य प्राकृतिक आपदाओं के प्रति अधिक संवेदनशील हैं।

इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए निम्नलिखित लेख पढ़े:

https://byjus.com/free-ias-prep/upsc-exam-comprehensive-news-analysis-aug21-2022/

  • भारत में मानसूनी वर्षा के दौरान चार महीनों के भीतर कुल वर्षा के लगभग 75 प्रतिशत से अधिक की वर्षा होती है। इस प्रकार बाढ़ और भूस्खलन जैसी आपदाओं की संभावना बढ़ जाती है।
  • जलवायु परिवर्तन भी यहां एक महत्वपूर्ण कारक है। मानसून की बारिश के पैटर्न में बाधा आ रही है जिससे बादल फटने जैसी घटनाओं और साथ ही उच्च ऊर्जा वाले चक्रवातों और सूखे की आवृत्ति में भी वृद्धि हो रही है।
  • भारत में मॉनसून वर्षा वर्ष के इस समय के लिए सामान्य से 8% अधिक है।
  • पिछले कुछ वर्षों में पर्वतीय क्षेत्रों के सतत विकास ने विभिन्न भौतिक प्रक्रियाओं के पारिस्थितिक संतुलन को बिगाड़ कर प्राकृतिक आपदाओं के प्रति इन क्षेत्रों की संवेदनशीलता को बढ़ा दिया है।

सुझाव:

  • मौसम के पूर्वानुमान और अचानक आने वाली बाढ़ एवं बिजली गिरने की चेतावनी से संबंधित पूर्व चेतावनी पूर्वानुमान की प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है। अधिकारियों को खुद को तैयार करने के लिए पर्याप्त समय प्रदान करना चाहिए।
  • जब इस क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास की बात आती है, तो स्थिरता सबसे महत्वपूर्ण कारक होना चाहिए। इस क्षेत्र में ढांचागत विकास भारी पर्यावरणीय लागत पर नहीं किया जा सकता है, यह देखते हुए कि इस तरह का विकास टिकाऊ नहीं होगा।
  • क्षेत्र में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के बढ़े हुए जोखिम और लागत पर सरकार को ध्यान देना चाहिए तथा विकास के संबंध में वैज्ञानिक सलाह का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए।

सारांश:

  • हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य प्राकृतिक एवं मानव निर्मित दोनों कारणों से प्राकृतिक आपदा की चपेट में हैं। ऐसी आपदाओं के मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव को देखते हुए इन प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम करने के लिए सभी प्रकार के उपाय किए जाने चाहिए।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था:

केंद्र-राज्य के बीच बढ़ता हुआ टकराव:

विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था और योजना, संसाधन जुटाने, विकास, विकास और रोजगार से संबंधित मुद्दे।

मुख्य परीक्षा: भारत में राजकोषीय संघवाद की चिंताएं।

सन्दर्भ:

  • हाल ही में प्रधान मंत्री की अध्यक्षता में नीति आयोग की बैठक में, कुछ राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने राज्य के राजस्व में कमी के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की है और करों के विभाज्य पूल में राज्यों को देय उच्च हिस्सेदारी और GST मुआवजे को बढ़ाने की मांग की है।

राज्य के वित्तीय स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले कारक:

  • उज्ज्वल डिस्कॉम आश्वासन योजना का कार्यान्वयन।
  • उज्जवल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना भारत सरकार द्वारा शुरू की गई भारत की बिजली वितरण कंपनियों के लिए वित्तीय बदलाव और पुनरुद्धार पैकेज है।
  • कुछ राज्य सरकारों द्वारा लागू की गई कृषि ऋण माफी योजना
  • 2019-20 में आर्थिक विकास में मंदी का असर राज्यों की कर राजस्व संभावनाओं पर पड़ रहा है।
  • महामारी के कारण खर्चो का बढ़ना।

राजकोषीय संघवाद के वर्तमान स्वरूप से जुड़ी चिंताएँ:

बड़ी व्यय जिम्मेदारी के बावजूद संसाधन जुटाने में कमी:

  • विभाज्य पूल में राज्यों की हिस्सेदारी कम बनी हुई है, बावजूद इसके कि उन्हें विकास एवं कल्याण संबंधी जिम्मेदारियों के संदर्भ में व्यय का अधिक बोझ उठाना पड़ता है।
  • राज्यों की तुलना में केंद्र सरकार के पास उच्च कराधान शक्तियां हैं। 15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार ने केंद्र और राज्यों द्वारा जुटाए गए कुल संसाधनों का 62.7%, जबकि राज्यों ने 2019 वित्तीय वर्ष के लिए कुल व्यय का 62.4% वहन किया है।

चित्र स्रोत: The Hindu

वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार राज्यों को अनिवार्य हस्तांतरण न कर पाना:

  • केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए वित्त आयोग की सिफारिशों के बावजूद राज्यों का वास्तविक हिस्सा कभी भी अनिवार्य स्तर तक नहीं पहुंचा। वास्तव में, वास्तविक हस्तांतरण और वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित स्तर के बीच का अंतर 11 प्रतिशत से अधिक हो गया है, जो कम से कम दो दशकों में सबसे अधिक है।
  • हालांकि लगातार वित्त आयोगों ने विभाज्य पूल में वृद्धि की सिफारिश की है, विभाज्य पूल में राज्यों की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 19 में 36.6% के उच्च स्तर पर पहुंचने के बाद लगभग 29% पर स्थिर रही है।

चित्र स्रोत: The Hindu

उपकर और अधिभार का बढ़ता उपयोग:

  • विगत कुछ वर्षों में, सकल कर राजस्व में उपकरों और अधिभारों का हिस्सा उल्लेखनीय रूप से बढ़ा है। केंद्र सरकार उपकर एवं अधिभार लगाकर अपने राजस्व को बढ़ाने में सक्षम है जो राज्यों के साथ साझा करने योग्य नहीं हैं।
  • यही कारण है कि 2020 और 2021 के वित्तीय वर्ष में सकल कर राजस्व में राज्यों की हिस्सेदारी में तीव्र गिरावट देखी गई, हालांकि केंद्र सरकार के हिस्से में वृद्धि जारी रही।

चित्र स्रोत: The Hindu

  • विशेष रूप से, विगत कुछ वर्षों में, लगाए गए उपकरों का एक बड़ा हिस्सा अभीष्ट उद्देश्य के लिए आरक्षित निधि में स्थानांतरित नहीं किया गया है।

भारत में राजकोषीय संघवाद के विषय पर अधिक जानकारी और संबंधित चिंताओं के लिए निम्नलिखित लेख पढ़े:

https://byjus.com/free-ias-prep/upsc-exam-comprehensive-news-analysis-jul28-2022/

सारांश:

  • विभाज्य पूल में राज्यों का कम हिस्सा खर्च का अधिक बोझ उठाने के बावजूद असंतुलन का परिणाम है जो भारत के विकास और वृद्धि के लिए अच्छा नहीं है। मुख्यमंत्रियों की चिंताएं वाजिब प्रतीत होती हैं तथा वर्तमान में इन्हें दूर करने की आवश्यकता है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित:

शिक्षा:

अभी नहीं बने शिक्षा के केंद्र:

विषय: सामाजिक क्षेत्र/शिक्षा से संबंधित सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।

मुख्य परीक्षा: प्रारंभिक बचपन की देखभाल एवं शिक्षा का महत्व तथा आंगनबाडी सेवा योजना।

संदर्भ:

  • इस लेख में आंगनवाड़ी केंद्रों के कामकाज का मूल्यांकन किया गया है।

पृष्टभूमि:

  • आंगनवाड़ी सरकार की एकीकृत बाल विकास योजना (ICDS) का एक हिस्सा है।
    • अम्ब्रेला ICDS महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित एक केंद्र प्रायोजित योजना है। ICDS योजना छह साल से कम उम्र के सभी बच्चों को उनके स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा की जरूरतों को पूरा करने के लिए डिज़ाइन की गई है।
  • आंगनवाड़ी सेवा योजना 0-6 वर्ष के बच्चों की प्रारंभिक बचपन की देखभाल और विकास हेतु एक कार्यक्रम है। योजना के तहत अन्य लाभार्थी के रूप में गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली माताएं शामिलहैं। इसके तहत छह सेवाओं अर्थात पूरक पोषण, स्कूल पूर्व अनौपचारिक शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा, टीकाकरण, स्वास्थ्य जांच और रेफरल सेवाओं का एक पैकेज प्रदान किया जाता है।
  • आंगनवाड़ी प्रणाली देश भर के 1.3 मिलियन केंद्रों में 3-6 आयु वर्ग के 30 मिलियन से अधिक बच्चों को सेवा प्रदान करती है।

चिंताए:

निम्नलिखित कारणों से आंगनवाड़ी योजना अभी तक अपनी क्षमता को पूरा नहीं कर पाई है।

उपस्थिति में कमी की समस्या :

  • जबकि पूरे भारत में 70% से अधिक बच्चे आंगनबाड़ियों में नामांकित हैं, फिर भी उनकी कम उपस्थिति एक बड़ा मुद्दा हैं। यह बच्चों की विकास प्रक्रिया पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है क्योंकि वे प्रारंभिक भाषा, प्रारंभिक संख्या, सामाजिक-भावनात्मक, कार्यकारी कार्य और मोटर कौशल विकसित करने में विफल रहते हैं।

अभिभावकों में आंगनबाड़ियों के प्रति खराब धारणा :

  • अधिकांश अभिभावक आंगनवाड़ी केंद्रों को शिक्षा का केंद्र नहीं मानते हैं।
  • माता-पिता के बीच इस धारणा के विपरीत, कि उनके बच्चों की शिक्षा के लिए अंग्रेजी और गणित कौशल सीखना आवश्यक है, जबकि आंगनवाड़ी 3-6 वर्ष के बच्चों को केवल स्थानीय भाषा एवं खेल तथा गतिविधि-आधारित शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करते है।

पूर्वस्कूलींग हेतु निजी स्कूलों की ओर झुकाव:

  • अभिभावक आंगनबाडी व्यवस्था छोड़कर अपने बच्चों को निजी प्रीस्कूलों में भेज रहे हैं। रटकर सीखने और अक्षरों एवं संख्याओं को याद रखने पर अत्यधिक ध्यान देना बच्चे के विकास के लिए अच्छा संकेत नहीं है।
    • भारत में 7 मिलियन से अधिक बच्चे निजी प्रीस्कूल में जाते हैं।

सुझाव:

बच्चों में संज्ञानात्मक, साक्षरता और संख्यात्मक कौशल सुनिश्चित करना:

  • आंगनबाडी केंद्रों को स्व-निर्देशित मुक्त खेल के आधार पर अपने नियमित दैनिक कार्यक्रम के अलावा, संज्ञानात्मक, साक्षरता और संख्यात्मक कौशल विकास पर केंद्रित शिक्षक-नेतृत्व वाली गतिविधियों को भी आयोजित करना चाहिए।
    • माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे अंग्रेजी भाषा सीखें ,उनकी इस आकांक्षा को पूरा करने के लिए आंगनवाड़ियों में नामांकित बच्चों को अंग्रेजी भाषा सिखाई जानी चाहिए- लेकिन उन्हें यह भी स्वीकार करना होगा कि घर पर बोली जाने वाली भाषा किसी अन्य भाषा में प्रवाह तक पहुंचने का सबसे अच्छा तरीका है।
    • लेखन के लिए बच्चों को दिन में कुछ मिनट के लिए पेंसिल का उपयोग करना चाहिए। इससे बच्चों लिखावट में सुधर आएगा।
    • गणित कौशल के संबंध में, शिक्षकों को अनुमान, तुलना, छँटाई और क्रमांकन जैसी मजेदार गतिविधियों के माध्यम से गणित के महत्व को समझाना चाहिए। यह बाद की कक्षाओं में गणित के डर और पक्षाघात को कम करने में मदद करेगा।

माता-पिता के साथ जुड़ाव:

  • आंगनवाड़ी में हो रही सीख को अभिभावक समुदाय पहुँचाने के लिए आंगनबाड़ियों को नियमित रूप से शिक्षा चौपाल (अभिभावक-शिक्षक बैठकें) आयोजित करनी चाहिए। इससे मूल समुदाय में आंगनवाड़ी प्रणाली पर विश्वास बढेगा।
  • साथ ही माता-पिता के साथ नियमित जुड़ाव के कारण घर में भी बच्चों की सीखने की प्रक्रिया का समर्थन करने में मदद मिलेगी।

सारांश:

  • बच्चे और समाज के विकास में प्रारंभिक बचपन की देखभाल एवं शिक्षा के महत्व तथा इसमें आंगनवाड़ी प्रणाली की भूमिका को देखते हुए,आंगनवाड़ी केंद्रों के कामकाज में सुधार के लिए सभी प्रयास किए जाने चाहिए।

प्रीलिम्स तथ्य:

1. रंगनाथिट्टू पक्षी अभयारण्य:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

पर्यावरण:

विषय: पर्यावरण संरक्षण।

प्रारंभिक परीक्षा: रंगनाथिट्टू पक्षी अभयारण्य से सम्बन्धित तथ्य।

संदर्भ:

  • कर्नाटक का रंगनाथिट्टू पक्षी अभयारण्य जिसे कृष्णराजा सागर (केआरएस) बांध से अतिरिक्त पानी छोड़ने के परिणामस्वरूप आयी बाढ़ के कारण एक महीने से अधिक समय तक बंद रखा गया था,उसे फिर पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है।

रंगनाथिट्टू पक्षी अभयारण्य (Ranganathittu Bird Sanctuary):

  • मांड्या जिले में स्थित रंगनाथिट्टू पक्षी अभयारण्य कर्नाटक का सबसे बड़ा पक्षी अभयारण्य है।
  • पक्षी अभयारण्य कावेरी नदी के तट पर स्थित है।
  • रंगनाथिट्टू पारिस्थितिक रूप से एक महत्वपूर्ण नदी की आर्द्रभूमि है,जो जैव विविधता में समृद्ध है,यहाँ पौधों की 188 से अधिक, पक्षियों की 225 से अधिक, मछलियों की 69, मेंढकों की 13 और तितलियों की 30 प्रजातियां पायी जाती हैं।
  • अभयारण्य को “पक्षी काशी” के रूप में माना जाता है।
  • रंगनाथिट्टू को यहाँ की स्थानीय पक्षियों की कई प्रजातियों के घर के रूप में जाना जाता है।
  • पेंटेड स्टॉर्क (Painted Stork), किंगफिशर (Kingfishers), जलकाग (Cormorants), डार्टर (Darter), बगुला(Herons), रिवर टर्न (River Tern), इंडियन रोलर (Indian Roller), ब्लैकहेडेड आइबिस (Blackheaded Ibis), स्पूनबिल (Spoonbill), ग्रेट स्टोन प्लोवर (Great Stone Plover) और स्पॉट-बिल्ड पेलिकन (Spot-billed Pelicans) यहाँ सबसे अधिक पाई जाने वाली पक्षी प्रजातियां हैं।
  • हाल ही में, रंगनाथिट्टू पक्षी अभयारण्य को रामसर स्थल (Ramsar site) घोषित किया गया था, जिससे यह कर्नाटक में रामसर स्थल के रूप में नामित होने वाली पहली आर्द्रभूमि बन गया हैं।

महत्वपूर्ण तथ्य:

1. तकनीकी/टेक दिग्गजों को संसदीय पैनल का सम्मन:

  • वित्त पर स्थायी समिति ने डिजिटल बाजार में “प्रतिस्पर्धी-विरोधी प्रथाओं” के लिए अमेज़ॅन, ट्विटर, नेटफ्लिक्स, गूगल, ऐप्पल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी प्रमुख तकनीकी फर्मों के शीर्ष अधिकारियों को तलब किया हैं।
  • पैनल ने इन तकनीकी दिग्गजों को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) के साथ अनुचित व्यावसायिक प्रथाओं और विचार-विमर्शकी कई प्रकार की शिकायतें मिलने के बाद तलब किया हैं।
  • प्रतिस्पर्धा (संशोधन) विधेयक, 2022 जिसे हाल ही में लोकसभा में पेश किया गया था,को भी पैनल के पास भेजा गया था।
  • इस विधेयक में सर्वोत्तम वैश्विक प्रथाओं जैसे मामलों का निपटान एवं प्रतिबद्धता और बढ़े हुए उदार प्रावधानों के साथ विलय तथा अधिग्रहण को मंजूरी देने के लिए अधिकतम समय को कम करने जैसे प्रावधानों को उधार लिया गया है।
  • नया विधेयक में “डील वैल्यू थ्रेसहोल्ड” (सौदा मूल्य सीमा: deal value threshold) की शुरूआत का भी प्रस्ताव है, जो फर्मों को बड़े मूल्य के लेनदेन के मामले में सीसीआई ( Competition Commission of India (CCI)) की मंजूरी को अनिवार्य बनाता है।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – मध्यम)

  1. कृषि लागत और मूल्य आयोग कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार का एक संबद्ध कार्यालय है।
  2. CACP प्रत्येक वर्ष मूल्य नीति रिपोर्ट के रूप में सरकार को अपनी सिफारिशें अलग-अलग वस्तुओं के पांच समूहों खरीफ फसलों, रबी फसलों, गन्ना, कच्चे जूट और खोपरा के लिए करता है।
  3. प्रमुख कृषि उत्पादों के लिए MSP प्रत्येक वर्ष आयोग की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा तय किया जाता है।

सही कथन का चयन कीजिए:

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 2 और 3

(c) केवल 1 और 3

(d) उपर्युक्त सभी

उत्तर: d

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार का एक संबद्ध/संलग्न कार्यालय है।
  • कथन 2 सही है: सीएसीपी हर साल मूल्य नीति रिपोर्ट के रूप में सरकार को अपनी सिफारिशें अलग-अलग वस्तुओं के पांच समूहों खरीफ फसलों, रबी फसलों, गन्ना, कच्चे जूट और खोपरा के लिए प्रस्तुत करता है।
  • कथन 3 सही है: प्रमुख कृषि उत्पादों के लिए एमएसपी आयोग की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए हर साल सरकार द्वारा तय किया जाता है।
  • अब तक, सीएसीपी 23 वस्तुओं के एमएसपी की सिफारिश करता है, जिसमें 7 अनाज, 5 दालें, 7 तिलहन और 4 वाणिज्यिक फसलें शामिल हैं।

प्रश्न 2. भारत में क्षेत्रीय परिषदों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – सरल)

  1. क्षेत्रीय परिषदें राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 के तहत स्थापित वैधानिक निकाय हैं।
  2. सभी क्षेत्रीय परिषदों का नेतृत्व प्रधानमंत्री करते हैं।
  3. केंद्रीय क्षेत्रीय परिषद में छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश राज्य शामिल हैं।

सही कथन का चयन कीजिए:

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 2 और 3

(c) केवल 1 और 3

(d) उपर्युक्त सभी

उत्तर: c

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: क्षेत्रीय परिषदें वैधानिक निकाय हैं और राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 द्वारा स्थापित की गई हैं।
  • कथन 2 सही नहीं है: केंद्रीय गृह मंत्री क्षेत्रीय परिषदों के सामान्य अध्यक्ष होते हैं।
  • कथन 3 सही है: केंद्रीय क्षेत्रीय परिषद में छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश राज्य शामिल हैं।

प्रश्न 3. नेपाल के गोरखा सैनिकों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – कठिन)

  1. रॉयल गोरखा राइफल्स (RGR) ब्रिटिश सेना की एक राइफल रेजिमेंट है, जिसमें नेपाल से सैनिकों की भर्ती की जाती है।
  2. परंपरागत रूप से, नेपाली सेना के सेनाध्यक्ष पद ग्रहण करने के बाद जल्द से जल्द भारत का दौरा करते हैं, जिसके दौरान उन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा भारतीय सेना के ‘मानद जनरल’ के पद से सम्मानित किया जाता है।
  3. भारतीय सेना में सेवारत नेपाल के गोरखा सैनिक परमवीर चक्र जैसे वीरता पदक के लिए पात्र नहीं हैं,क्योंकि वे भारतीय नागरिक नहीं हैं।

सही कथन का चयन कीजिए:

(a) केवल 1 और 3

(b) केवल 2

(c) केवल 1 और 2

(d) ऊपर के सभी

उत्तर: c

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: रॉयल गोरखा राइफल्स (RGR) ब्रिटिश सेना की एक राइफल रेजिमेंट है, जिसके लिए नेपाल से सैनिकों की भर्ती की जाती है।
  • कथन 2 सही है: दोनों देशों की सेनाओं के बीच मौजूद एक सदियों पुरानी परंपरा के आधार पर, नेपाल सेना प्रमुख पदभार ग्रहण करने के बाद भारत का दौरा करते हैं, और उन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा “भारतीय सेना के जनरल” के मानद रैंक से सम्मानित किया जाता हैं।
  • कथन 3 सही नहीं है: भारतीय सेना में सेवारत गोरखा सैनिक परमवीर चक्र जैसे वीरता पदक के पात्र हैं और अतीत में ऐसे कई पदक जीत चुके हैं।

प्रश्न 4. भारत चरण – VI उत्सर्जन मानदंडों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – मध्यम)

  1. BS-VI ईंधन में PM 2.5 की मात्रा 20 से 40 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक होती है जबकि BS-IV ईंधन में यह 120 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक होती है।
  2. BS- VI ग्रेड ईंधन के उत्पादन की लागत BS-IV ईंधन की तुलना में अधिक है।
  3. BS-VI अनुपालन वाले पेट्रोल और डीजल वाहनों में CNG और LPG किट के रेट्रोफिटमेंट की अनुमति नहीं है।

सही कथन का चयन कीजिए:

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 2 और 3

(c) केवल 1 और 3

(d) उपर्युक्त सभी

उत्तर: a

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: BS-VI ईंधन में, PM 2.5 की मात्रा 20 से 40 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के बीच होती है। जबकि बीएस-4 ईंधन में यह 120 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक है।
  • कथन 2 सही है: BS-VI ग्रेड के ईंधन की कीमत BS-IV ईंधन की तुलना में थोड़ी अधिक होगी।
  • कथन 3 सही नहीं है: सरकार ने पेट्रोल और डीजल वाहनों में सीएनजी और एलपीजी किट के रेट्रो फिटमेंट ( retro fitment) की अनुमति दी है जो बीएस-VI उत्सर्जन मानदंडों के अनुरूप हैं।

प्रश्न 5. ‘निकट क्षेत्र संचार (NFC) तकनीक’ के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (PYQ (2015)) (स्तर – सरल)

  1. यह एक संपर्क रहित संचार तकनीक है जिसमें विद्युत चुम्बकीय रेडियो क्षेत्रों का उपयोग किया जाता है।
  2. NFC को उन उपकरणों का उपयोग करने के लिए डिज़ाइन किया गया है जो एक दूसरे से एक मीटर की दूरी पर भी हो सकते हैं।
  3. संवेदनशील जानकारी भेजते समय NFC एन्क्रिप्शन का उपयोग किया जा सकता है।

निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए।

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 3

(c) केवल 1 और 3

(d) 1, 2 और 3

उत्तर: c

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: निकट क्षेत्र संचार/नियर फील्ड कम्युनिकेशन (Near Field Communication (NFC)) एक विद्युत चुम्बकीय रेडियो /इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडियो फ्रीक्वेंसी (electromagnetic radio frequency (RF)) पर आधारित एक संपर्क रहित संचार तकनीक है।
  • कथन 2 सही नहीं है: इसमें 13.56 मेगाहर्ट्ज की आधार आवृत्ति का उपयोग किया जाता है।
  • NFC तकनीक को एक साधारण संपर्क संकेत (touch gesture) के माध्यम से दो उपकरणों के बीच डेटा का आदान-प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
    • एनएफसी तकनीक को कुछ सेंटीमीटर की ऑपरेटिंग दूरी के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • कथन 3 सही है: संवेदनशील जानकारी भेजते समय एनएफसी एन्क्रिप्शन का उपयोग कर सकता है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

प्रश्न 1. पिछले कुछ वर्षों में पर्वतीय क्षेत्रों के वृहद स्तर पर हुए विकास ने हिमालय के संवेदनशील पारिस्थितिक संतुलन को बिगाड़ दिया है। इसके परिणामों को उदाहरण सहित समझाइए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस III – आपदा प्रबंधन)

प्रश्न 2. करों के विभाज्य पूल में राज्यों की हिस्सेदारी कम हो रही है, बावजूद इसके वे व्यय का अधिक बोझ उठा रहे हैं। कथन का परीक्षण कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस III – अर्थव्यवस्था)