25 जनवरी 2023 : समाचार विश्लेषण
A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: भूगोल:
B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: भारतीय संविधान एवं राजव्यवस्था:
भारतीय अर्थव्यवस्था:
शिक्षा:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:
केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना में क्या कमी है?
भूगोल:
विषय: जल संसाधन और जल-निकाय।
प्रारंभिक परीक्षा: केन-बेतवा नदी परियोजना से संबंधित तथ्यात्मक जानकारी।
मुख्य परीक्षा: केन-बेतवा नदी परियोजना से जुड़ी चिंताएं और भावी कदम।
प्रसंग:
- हाल ही में केन-बेतवा लिंक परियोजना की संचालन समिति ने नई दिल्ली में अपनी तीसरी बैठक की।
केन-बेतवा लिंक परियोजना:
- केंद्र सरकार ने दिसंबर 2021 में केन-बेतवा लिंक परियोजना को कुल 44,605 करोड़ रुपये की लागत से मंजूरी प्रदान की थी।
- केन-बेतवा लिंक परियोजना को संशोधित राष्ट्रीय योजना के तहत पहली नदी जोड़ो परियोजना के रूप में पेश किया गया था।
- इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य केन नदी से अतिरिक्त पानी को बेतवा बेसिन में स्थानांतरित करना है।
- इस परियोजना के तहत केंद्र और मध्य प्रदेश सरकार केन नदी को बेतवा नदी से जोड़ेंगे ताकि उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में पानी की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके, जो भारत में सबसे अधिक सूखा प्रभावित क्षेत्रों में से एक है।
- दोनों नदियों को जोड़ने वाली नहर के रूप में केन पर बना दौधन बांध पन्ना टाइगर रिजर्व के भीतर बनेगा।
- केंद्र सरकार के अनुसार, बांध से 103 मेगावाट पनबिजली पैदा करने में भी मदद मिलेगी।
- इसके अलावा इन दो नदियों के बीच निर्मित नहर छतरपुर, टीकमगढ़ और झांसी जिलों से होकर निकलेगी/बहेगी और इस परियोजना से सालाना 6.3 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई करने में मदद मिलने की उम्मीद है।
परियोजना से जुड़ी चिंताएँ:
- सरप्लस और डेफिसिट मॉडल पर चिंता: विभिन्न हाइड्रोलॉजिकल और पारिस्थितिक विशेषज्ञों ने परियोजना पर नाराजगी व्यक्त की है क्योंकि उनका मानना है कि सरकार द्वारा प्रस्तावित “सरप्लस और डेफिसिट” मॉडल में वैज्ञानिक आधार बहुत कम है।
- विशेषज्ञों का मानना है कि बेतवा नदी की मांगों को पूरा करने के लिए केन, जो एक गैर-बारहमासी नदी है, में पर्याप्त पानी होने की सम्भावना कम है।
- पन्ना टाइगर रिजर्व पर प्रभाव को लेकर चिंता: इसके अतिरिक्त, पर्यावरणविदों ने इस बार पर चिंता जताई है कि या परियोजना पन्ना टाइगर रिजर्व की जल सुरक्षा को प्रभावित करगी।
- पन्ना को यहाँ स्थित गहरी घाटियों के कारण एक असाधारण बाघ निवास स्थान माना जाता है।
- हालांकि अगर नया बांध बनाया जाता है तो रिजर्व की ऐसी घाटियां डूब जाएंगी।
- इसके अलावा केन घड़ियाल अभयारण्य पन्ना नेशनल के डाउनस्ट्रीम (बहाव के मार्ग पर स्थित हैं) में स्थित है, जिसे गंभीर रूप से लुप्तप्राय गंगा घड़ियाल (Gharial) के संरक्षण के लिए स्थापित किया गया था जिस पर इस बांध के निर्माण के विनाशकारी प्रभाव स्पष्ट नहीं है।
केन-बेतवा लिंक परियोजना से संबंधित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: Ken-Betwa Link Project
परियोजना को प्राप्त मंजूरी एवं इससे संबंधित मुद्दे:
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 (Wildlife (Protection) Act 1972) की धारा 18 और 35 वन्यजीवों के महत्व के क्षेत्रों को “अभयारण्य” और “राष्ट्रीय उद्यान” के रूप में अलग करने के प्रावधानों से संबंधित हैं।
- इसके अलावा, अधिनियम की धारा 29 और 35(6) पूर्व अनुमोदन के बिना ऐसे क्षेत्रों में मानवीय गतिविधियों को प्रतिबंधित करती हैं।
- अभयारण्य या राष्ट्रीय उद्यान के भीतर या बाहर पानी के प्रवाह को मोड़ने या रोकने की अनुमति नहीं है जब तक कि ऐसा करना वन्य जीवन के प्रबंधन में सुधार के लिए आवश्यक न समझा जाता हो।
- केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC) के अनुसार राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (National Board for Wildlife (NBWL) की स्थायी समिति द्वारा परियोजना को दी गई मंजूरी वन्यजीवों के बेहतर प्रबंधन के लिए आवश्यक साबित नहीं हुई है, जैसा कि वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 अधिनियम की धारा 35(6) में कहा गया है।
- केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC) ने उल्लेख किया है कि NBWL की स्थायी समिति ने डाउनस्ट्रीम घड़ियाल अभयारण्य पर इस परियोजना के प्रभाव पर विचार नहीं किया है।
- CEC ने यह रिपोर्ट अगस्त 2019 में सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की है, क्योंकि यह मुद्दा अभी भी विवादास्पद बना हुआ है।
- केन-बेतवा लिंक परियोजना को अभी तक पूर्ण वन स्वीकृति प्राप्त नहीं हुई है, और इसकी पर्यावरणीय स्वीकृति को चुनौती देने वाली एक याचिका राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (National Green Tribunal (NGT)) के समक्ष भी लंबित है और NGT का मानना है कि परियोजना को पहले वन मंजूरी प्राप्त करनी चाहिए।
भावी कदम
- अभयारण्य के बाहर और पानी के प्रवाह पर प्रस्तावित बांध के संभावित प्रतिकूल प्रभाव का पूरी तरह से अध्ययन किया जाना चाहिए।
- इसके साथ ही विशेषज्ञों ने यह भी सुझाव दिया है कि बुंदेलखंड क्षेत्र में चंदेल-युग की झीलों और तालाबों की बहाली और पुनरुद्धार से क्षेत्र में पानी की कमी की समस्या का अधिक किफायती और तीव्र समाधान होगा क्योंकि क्षेत्र में पर्याप्त वार्षिक वर्षा प्राप्त होती है।
- केन नदी का एक स्वतंत्र हाइड्रोलॉजिकल अध्ययन किया जाना चाहिए जिसमें यह देखा जाना चाहिए कि कोई भी विकासात्मक परियोजना देश के किसी भी नाजुक पारिस्थितिक तंत्र और महत्वपूर्ण बाघ अभयारण्यों की पारिस्थितिकी को प्रभावित न करे।
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
‘हम लोग’ (We the People) की नई और गूढ़ व्याख्या:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
भारतीय संविधान एवं राजव्यवस्था:
विषय: भारतीय संविधान की महत्वपूर्ण विशेषताएं।
मुख्य परीक्षा: शक्तियों का पृथक्करण और संबंधित चुनौतियाँ।
प्रारंभिक परीक्षा: राज्यपाल।
प्रसंग:
- राजस्थान के जयपुर में पीठासीन अधिकारियों के 83वें अखिल भारतीय सम्मेलन में उपराष्ट्रपति के भाषण को लेकर विवाद।
विवरण:
- 11 जनवरी 2023 को राजस्थान के जयपुर में पीठासीन अधिकारियों के 83वें अखिल भारतीय सम्मेलन में उपराष्ट्रपति द्वारा दिए गए भाषण ने ‘हम लोग’ (We the People) के अर्थ को लेकर विवाद खड़ा कर दिया है।
- उनके विचार में ‘हम लोग’ (We the People) वाक्यांश संसद और राज्य विधानसभाओं ( Parliament and the State legislatures) के निर्वाचित सदस्यों को प्रधानता देता है। आगे यह कहा गया कि शक्तियों का पृथक्करण लोकतंत्र के तीन स्तंभों (संसद, न्यायपालिका और कार्यपालिका) को समान नहीं बनाता है और चूंकि न्यायपालिका और कार्यपालिका को नियुक्त किया जाता है (इनका लोगों निर्वाचन द्वारा नहीं होता), वे निर्वाचित सदस्यों की तुलना में निम्न होते हैं।
- यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि भारत का संविधान ‘लोगों’ (People) को परिभाषित नहीं करता है, लेकिन इसका अर्थ नागरिकों से है न कि किसी विशेष समूह या संस्था से। इस प्रकार लेखक द्वारा यह सुझाव दिया गया है कि विधायिका में निर्वाचित प्रतिनिधियों को लोगों के एकमात्र प्रतिनिधियों के रूप में पहचानना एक मज़ाक है।
- इसके अलावा, शक्तियों के पृथक्करण का सिद्धांत किसी भी लोकतांत्रिक समाज का आधार है।
यह भी पढ़ें: Separation of Powers – Relationship between Executive, Legislature & Judiciary – Indian Polity
अन्य देशों के साथ तुलना:
- संयुक्त राज्य अमेरिका में, राष्ट्रपति न्यायाधीशों की नियुक्ति करते हैं (हालांकि यह निर्णय कांग्रेस द्वारा समर्थित होता है)। इसके अलावा, जैसा कि अमेरिका में राष्ट्रपति सीधे निर्वाचित होता है, उसके पास कुछ विशेष अधिकार होते हैं। नामांकित उम्मीदवारों की उपयुक्तता की जांच के लिए न्यायिक समीक्षा (Judicial review) का भी प्रावधान है।
- यूनाइटेड किंगडम में, संसद की प्रधानता के बावजूद, सम्मेलनों की एक अनुल्लंघनीय परंपरा है। अध्यक्ष हाउस ऑफ कॉमन्स से चुने जाते हैं और इस प्रकार वे एक गैर-दलीय व्यक्ति बन जाते हैं।
- भारत में सभापति अपनी पार्टियों से इस्तीफा देने के लिए अनिच्छुक होते हैं।
- स्वतंत्र भारत में संसद के पहले दो अध्यक्ष जी.वी. मावलंकर और एम. अनंतशयनम अयंगर और बाद में नीलम संजीव रेड्डी ने निष्पक्षता की भावना सुनिश्चित करने के लिए सत्तारूढ़ पार्टी से इस्तीफा दे दिया था।
यह भी पढ़ें: Office of Speaker of Lok Sabha [Article 93-96] (UPSC Polity Notes)
संबद्ध चिंताएं:
- लेखक द्वारा यह तर्क दिया गया है कि न्यायपालिका पर हमला प्रतिनिधि सभाओं को दिए गए संवैधानिक अधिकार पर आधारित है। यह आगे तर्क दिया गया है कि कई जांच एजेंसियों को सत्तारूढ़ दल द्वारा उनकी संवैधानिक और कानूनी जिम्मेदारियों से वंचित कर दिया गया था।
- विभिन्न राज्य सरकारों और राज्यपालों के बीच एक आभासी युद्ध चल रहा है जिसने राज्यपाल (Governors) के पद पर भी सवाल खड़ा कर दिए है।
- यह सुझाव दिया जाता है कि शक्ति पृथक्करण का सिद्धांत जो संघ में स्वीकार्य है, राज्यों पर लागू नहीं होता है। यह विभिन्न उदाहरणों में स्पष्ट है, नियुक्त राज्यपाल अक्सर राज्य सरकार और राज्य विधानमंडल दोनों की अवहेलना करता है।
- राज्य की दो मुख्य सत्ताओं के बीच संघर्ष शासन की प्रक्रिया को खतरे में डालते हैं।
- विधायिका द्वारा अतिक्रमण के एक स्पष्ट मामले से बचा जाना चाहिए और इस प्रकार भारतीय संविधान की मूल संरचना (basic structure) की रक्षा की जानी चाहिए।
- ऐसी आशंकाएँ हैं कि धर्मों, राज्यों और क्षेत्रों के बीच विभाजनकारी संघर्ष उभर सकते हैं।
संबंधित लिंक:
Constitutional Discretion of Governor – Indian Polity
सारांश:
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भारत की छवि प्रदर्शित करने के लिए कंधे से कंधा मिलाकर काम करना:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
भारतीय अर्थव्यवस्था:
विषय: पर्यटन।
मुख्य परीक्षा: भारत में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार के कदम।
प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय पर्यटन दिवस।
प्रसंग:
- राष्ट्रीय पर्यटन दिवस 25 जनवरी को मनाया जाता है।
विवरण:
- राष्ट्रीय पर्यटन दिवस (25 जनवरी) के अवसर पर रेल मंत्रालय और पर्यटन मंत्रालय जगन्नाथ यात्रा ट्रेन पैकेज लॉन्च करेंगे।
- इस पैकेज में दिल्ली से शुरू होकर काशी, बैद्यनाथ धाम, जगन्नाथ पुरी, भुवनेश्वर और कोणार्क की यात्रा का आठ दिवसीय यात्रा पैकेज का प्रावधान किया गया है। इसका समापन गया के विष्णुपद मंदिर में होगा।
- यह भारत गौरव ट्रेनों (Bharat Gaurav Trains) (या थीम-आधारित पर्यटक सर्किट ट्रेनों) से जुड़ा है जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और इतिहास को प्रदर्शित करता है।
- यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि पर्यटन उद्योग पूर्व-महामारी के स्तर पर पहुंच गया है। 2022 में लगभग 1.84 करोड़ घरेलू पर्यटकों ने जम्मू और कश्मीर का दौरा किया।
पर्यटन क्षेत्र में सरकार की पहल:
- पर्यटन मंत्रालय देश में पर्यटन को बढ़ावा देने और विकसित करने के लिए केंद्र सरकार के 20 से अधिक मंत्रालयों के साथ मिलकर काम कर रहा है।
- अक्टूबर 2022 में, पर्यटन मंत्रालय ने गृह मंत्रालय के साथ मिलकर पर्यटक-विशिष्ट पुलिसिंग के निर्माण के लिए पर्यटक पुलिस पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। सम्मेलन का उद्देश्य पुलिस के साथ काम करना और पर्यटकों (विदेशी और घरेलू दोनों) की जरूरतों और चिंताओं को दूर करने के लिए उन्हें संवेदनशील बनाना था।
- शिक्षा मंत्रालय के सहयोग से पर्यटन मंत्रालय भारतीय पर्यटन के युवा राजदूतों के पोषण के लिए ‘युवा पर्यटन’ क्लब स्थापित कर रहा है।
- इसी तरह, बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय भारत को क्रूज पर्यटन के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनाने का इरादा रखता है।
- पर्यटन मंत्रालय ने विदेश मंत्रालय के सहयोग से उन देशों में 20 भारतीय मिशनों में पर्यटन अधिकारियों को तैनात किया है जो विदेशी पर्यटकों के सबसे बड़े स्रोत हैं।
- इसके अलावा, रोडवेज मंत्रालय और पेट्रोलियम मंत्रालय राजमार्गों और ईंधन स्टेशनों में साफ़-सुथरे स्वच्छता बुनियादी ढांचे के लिए उपाय कर रहे हैं।
- नागरिक उड्डयन मंत्रालय भी कई वाणिज्यिक उड़ान मार्गों को वित्तपोषित करके पर्यटन का समर्थन कर रहा है।
- मसौदा राष्ट्रीय पर्यटन नीति 2022 का उद्देश्य स्थानीय, राज्य और केंद्र सरकार के स्तरों पर समवर्ती और समन्वित कार्रवाई करने के लिए एक संस्थागत संरचना को शामिल करना है।
- सरकार ने ‘संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण’ अपनाया है।
- कोपेनहेगन (डेनमार्क) में, भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय प्रवासियों से कम से कम 5 गैर-भारतीय मित्रों को भारत (मई 2022) आने के लिए प्रेरित करने का आह्वान किया था।
- पर्यटन मंत्रालय ने “विजिट इंडिया ईयर 2023” घोषणापत्र जारी किया। इसका उद्देश्य विभिन्न पर्यटन स्थलों और उत्पादों को बढ़ावा देना है जो वैश्विक पर्यटन बाजार में भारत की हिस्सेदारी में सुधार कर सकते हैं।
यह भी पढ़ें: National Tourism Policy [UPSC Notes]
निष्कर्ष:
- भारत में पर्यटन अनुभव आत्म-अन्वेषण और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है।
- कई विदेशी यात्री अतीत में भी भारत आए थे। उदाहरण के लिए, मेगस्थनीज, ह्वेन-सांग, मार्को पोलो और फाह्यान।
संबंधित लिंक:
Road Ahead for Tourism & Hospitality Industry: RSTV- Big Picture
सारांश:
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बिना किसी बाधा के विद्यालयों को विकसित करना:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
शिक्षा:
विषय: शिक्षा के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।
मुख्य परीक्षा: लोगों के कमजोर वर्ग के लिए कल्याणकारी योजनाएँ।
विवरण:
- विकलांग बच्चों (CWD) को अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है, विशेष रूप से सुलभ स्थानों और मार्गदर्शक बुनियादी ढांचे के मामले में।
- यूनेस्को (UNESCO) (2019) की एक रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया था कि CWD में भारत की कुल बाल आबादी का 1.7% (जनगणना 2011) शामिल है।
- CWD को शारीरिक, संस्थागत, सामाजिक आर्थिक और संचार बाधाओं जैसे कई मुद्दों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, पांच साल के विकलांग बच्चों में से लगभग 70% ने कभी किसी शैक्षणिक संस्थान में पढ़ाई नहीं की है। बड़े होने पर वे स्कूल भी छोड़ देते हैं।
यह भी पढ़ें: Persons With Disability – Types and Act of Government
विकलांग बच्चों के लिए चुनौतियाँ:
- अवसरों तक पहुँचने में उनकी भागीदारी को बाधित करने वाली कुछ बाधाओं में स्कूल बसों, पीने के पानी की सुविधा, कैंटीन और शौचालय जैसी अगम्य सुविधाएं; और बैठने की जगह जैसी अनुपयुक्त अवसंरचना, आदि शामिल हैं।
- शिक्षकों, कर्मचारियों, माता-पिता और समुदायों के बीच व्यवहार और धारणाओं से बच्चे का भावनात्मक विकास और बाधित होता है।
- अन्य चुनौतियों में शिक्षण और अधिगम की प्रथाओं की कमी शामिल है जिसमें बच्चों की सहायता के लिए सहायक उपकरणों जैसे समावेशी तकनीकों और डिजिटल उपकरणों को शामिल किया गया है।
- यूएन-हैबिटेट (UN-Habitat) इंडिया और आईआईटी खड़गपुर द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक प्रशिक्षण कार्यक्रम में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि स्कूलों के भीतर रैंप या टेक्टाइल पथ जैसे सुलभ बुनियादी ढांचे की कमी है।
मौजूदा प्रावधान और सरकारी पहल:
- शिक्षा के लिए मौजूदा प्रावधान: अनुच्छेद 21A और बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (Right of Children to Free and Compulsory Education Act, 2009)।
- सरकार ने विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए “शून्य अस्वीकृति नीति” अपनाते हुए एक सर्व शिक्षा अभियान भी शुरू किया था।
- इसके अलावा, भारत ने विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UN Convention on the Rights of Persons with Disabilities) की पुष्टि की। इसी दिशा में 2015 में सुगम्य भारत अभियान की शुरुआत की गई।
- भारत सरकार ने “किसी को पीछे मत छोड़ो” (LNOB) के सिद्धांत का समर्थन किया, जो 2030 के लिए सतत विकास एजेंडे का केंद्रीय बिंदु है।
- IIT खड़गपुर और समाज कल्याण विभाग, दिल्ली सरकार के माध्यम से दिल्ली के दो स्कूलों में पहुंच बढ़ाने और समावेशन के लिए पायलट प्रशिक्षण पहल की गई थी।
- सहानुभूति निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न इंटरैक्टिव प्रशिक्षण सत्र और सिमुलेशन अभ्यास भी आयोजित किए गए हैं।
यह भी पढ़ें: Accessible India Campaign | Sugamya Bharat Abhiyan | Ministry of Social Justice & Empowerment
भावी कदम:
- यह सुझाव दिया जाता है कि सुलभ बुनियादी ढांचे के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
- इसके अलावा, माता-पिता, देखभाल करने वालों, शिक्षकों, स्कूल प्रबंधन अधिकारियों और स्थानीय सरकारी विभागों को शामिल किया जाना चाहिए और उन्हें संवेदनशील बनाया जाना चाहिए।
- यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि समावेशी और सुलभ विद्यालयों की स्थापना करके शून्य-अस्वीकृति नीति को वास्तविक रूप दिया जा सकता है।
- CWD के सशक्तिकरण के लिए एक सक्षम वातावरण प्रदान करने के लिए एक बहु-आयामी भागीदारी दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए। इसमें निम्नलिखित उपाय शामिल हो सकते हैं:
- जागरूकता और संवेदीकरण कार्यक्रम।
- स्कूल फैकल्टी और विशेष शिक्षकों का कौशल बढ़ाकर प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण देना।
- आधुनिक शिक्षण टूलकिट और सामग्री तक पहुंच प्रदान करना।
- स्थानीय सरकारी विभागों के लिए तकनीकी प्रशिक्षण।
- ज्ञान साझा करने के लिए एक सह-शिक्षण मंच।
- इसके अलावा, समानता, प्रयोज्यता और स्थायित्व, सामर्थ्य, सांस्कृतिक अनुकूलनशीलता के पांच सिद्धांतों को नियोजन, कार्यान्वयन और मूल्यांकन चरणों में शुरू किया जाना चाहिए।
संबंधित लिंक:
Rights of Persons with Disabilities Act, 2016
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
1.ओलिव रिडले कछुए:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण:
विषय: जैव विविधता।
प्रारंभिक परीक्षा: ओलिव रिडले कछुए।
प्रसंग
- आंध्र प्रदेश के गोदावरी क्षेत्र में चल रहे वार्षिक प्रजनन के मौसम के दौरान कई ओलिव रिडले कछुए काकीनाडा और अंतरवेदी से लगे समुद्र तट पर प्रक्षालित हो गए।
- हाल के दिनों में साखिनेतिपल्ली, मलिकिपुरम, ममिदिकुदुरु और अल्लावरम जैसे प्रजनन क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर कछुओं की मौत हुई है।
- कछुओं की सामूहिक मृत्यु दर का मुख्य कारण एक्वा तालाबों से निकलने वाले अपशिष्टों और तटवर्ती तेल अन्वेषण सुविधाओं की पाइपलाइनों से होने वाले निर्वहन को माना जाता है।
ओलिव रिडले कछुए:
- कछुओं की इस प्रजाति का नाम इसके दिल के आकार के खोल के जैतूनी हरे रंग का होने के कारण पड़ा है।
- ओलिव रिडले कछुए दुनिया के सबसे छोटे समुद्री कछुओं में से हैं।
- यह प्रजाति मुख्य रूप से प्रशांत, हिन्द और अटलांटिक महासागरों के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाई जाती है।
- ओलिव रिडले कछुए सर्वाहारी होते हैं।
- ओलिव रिडले कछुए घोंसले बनाने के लिए हर साल नवंबर और दिसंबर के बीच भारत के पूर्वी तट पर समुद्र तटों पर आते हैं।
- गहिरमाथा समुद्र तट जो ओडिशा में भितरकनिका वन्यजीव अभयारण्य का एक हिस्सा है, भारत में ओलिव रिडले कछुओं के लिए सबसे बड़ा सामूहिक घोंसला बनाने वाला स्थान है।
- IUCN स्थिति: सुभेद्य
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची I
- भारत में पाई जाने वाली समुद्री कछुओं की सभी पाँच प्रजातियाँ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची I के तहत कानूनी रूप से संरक्षित हैं।
- CITES सम्मेलन: परिशिष्ट I
ओलिव रिडले कछुओं के बारे में अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:: Olive Ridley Turtles
महत्वपूर्ण तथ्य:
- तमिलनाडु जलक्षेत्र के बाहर पर्स सीन मत्स्ययन की आंशिक रूप से अनुमति:
- सर्वोच्च न्यायालय ने तमिलनाडु तट पर पर्स सीन मत्स्ययन की अनुमति दी है। हालांकि, शीर्ष अदालत ने तमिलनाडु से 12-समुद्री-मील की सीमा के बाहर पर्स सीन मत्स्ययन की सीमा को विनियमित करने के लिए सख्त नियम लागू किए हैं।
- इन कड़ी शर्तों में निम्न शामिल हैं:
- पर्स सीन मत्स्ययन की अनुमति सप्ताह में केवल दो बार, यानी सोमवार और गुरुवार को दी जाएगी।
- इसके अलावा, इन दिनों में केवल सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे के बीच ही इसकी अनुमति दी जाएगी।
- समुद्री मत्स्ययन विनियमन कानूनों के तहत पंजीकृत जहाजों को ही पर्स सीन मत्स्ययन की अनुमति होगी।
- इन नावों में ट्रैकिंग डिवाइस भी लगाए जाएंगे।
- अदालत ने ऐसे मत्स्ययन जहाजों के लिए एक रंग कोड भी निर्धारित किया है।
- पर्स सीन मत्स्ययन मछली पकड़ने का एक तरीका है जिसमें न केवल लक्षित मछली बल्कि कछुओं जैसी लुप्तप्राय प्रजातियों को भी आकर्षित करने के लिए एक विस्तृत जाल का उपयोग करना शामिल है।
- पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार पर्स सीन जाल का मुंह लगभग एक हेक्टेयर का होता है और इसमें समुद्र के तल से सब कुछ खींच लेने की क्षमता होती है।
- तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी, ओडिशा, दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह जैसे राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में पर्स सीन मत्स्ययन के अभ्यास पर उनके संबंधित क्षेत्रीय जल में 12 समुद्री मील तक प्रतिबंध लगा दिया गया है और और गुजरात, आंध्र प्रदेश, गोवा, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों ने ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है।
- केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय से कहा है कि कुछ तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा पर्स सीन मत्स्ययन पर लगाया गया प्रतिबंध उचित नहीं है और पर्स सीन मत्स्ययन के लिए एक समान राष्ट्रीय योजना तैयार करने के लिए छह महीने की अवधि की मांग की गई है।
- सेवाओं का निर्यात वित्त वर्ष 2023 के 300 अरब डॉलर के लक्ष्य को पार करने के करीब है:
चित्र स्रोत: The Hindu
- केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री के अनुसार, देश की सेवाओं का निर्यात “बेहद अच्छा” प्रदर्शन कर रहा है और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बावजूद निर्यात लगभग 20% बढ़कर $300 बिलियन के लक्ष्य को पार करने की उम्मीद है।
- मंत्री ने आगे कहा कि व्यापारिक मोर्चे पर भी निर्यात वैश्विक आर्थिक मंदी, बढ़ते मुद्रास्फीति के दबाव और विभिन्न वस्तुओं के ओवरस्टॉकिंग के बावजूद अच्छी वृद्धि दर्ज कर रहा है।
- रिपोर्टों के अनुसार, अप्रैल-दिसंबर 2022-23 की समयावधि के दौरान भारत का निर्यात वार्षिक आधार पर 9% बढ़ा है।
- 2021-22 में 184.65 बिलियन डॉलर की तुलना में अप्रैल-दिसंबर 2022-23 की अवधि के दौरान सेवा निर्यात बढ़कर 235.81 बिलियन डॉलर हो गया है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. एम्फ़ेक्स (AMPHEX) क्या है?(स्तर – मध्यम)
- यह पश्चिमी घाटों में उभयचरों की नई प्रजातियों का पता लगाने के लिए IISc द्वारा विकसित एक तकनीक है।
- यह पनडुब्बियों को विकसित करने के लिए फ्रांस के साथ एक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण मिशन है।
- यह भारत का एक त्रि-सेवा संयुक्त अभ्यास है।
- यह दुनिया में मेंढकों की रक्षा के लिए एक वैश्विक पहल है।
उत्तर: c
व्याख्या:
- एम्फ़ेक्स (AMPHEX) भारत का द्विवार्षिक त्रि-सेवा एम्फीबियस अभ्यास है।
- AMPHEX का उद्देश्य अंतर्संचालनियता और तालमेल बढ़ाने के लिए जल-थल-नभ अभियानों के विभिन्न पहलुओं में तीनों सेवाओं के अंगों का संयुक्त प्रशिक्षण है।
प्रश्न 2. नोरोवायरस के संबंध में कौन से कथन सत्य हैं? (स्तर – मध्यम)
- यह भोजन को साझा करने से फैलता है।
- यह आंत्रशोथ (गैस्ट्रोएंटेराइटिस) का कारण बनता है।
- यह सर्दियों के दिनों में अधिक होता है।
विकल्प:
- 1 और 2
- 2 और 3
- 1 और 3
- 1, 2 और 3
उत्तर: d
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: नोरोवायरस मुख्य रूप से मल-मौखिक मार्गों से फैलता है जैसे:
- संक्रमित व्यक्ति से सीधा संपर्क।
- दूषित पानी या भोजन का सेवन करना।
- दूषित सतहों को छूना और बिना धुले हाथों का उपयोग करना।
- कथन 2 सही है: नोरोवायरस एक मानव आंतों का रोगज़नक़ है जो तीव्र आंत्रशोथ का कारण बनता है।
- कथन 3 सही है: नोरोवायरस को “विंटर वोमिटिंग बग” के रूप में भी जाना जाता है और यह सर्दियों के दौरान आम है।
प्रश्न 3. इनमें से कौन सा/से कथन सही है/हैं? (स्तर – सरल)
- DGCA भारत सरकार की एक स्वतंत्र एजेंसी है।
- यह देश में नागरिक वायु सुरक्षा मानकों को लागू करता है।
विकल्प:
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1, न ही 2
उत्तर: b
व्याख्या:
- कथन 1 गलत है: नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) नागरिक उड्डयन मंत्रालय, भारत सरकार का एक संलग्न कार्यालय है।
- कथन 2 सही है: DGCA नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में नियामक निकाय है जो मुख्य रूप से सुरक्षा मुद्दों से निपटता है।
- DGCA भारत के भीतर हवाई परिवहन सेवाओं के नियमन और नागरिक हवाई नियमों, हवाई सुरक्षा और उड़ान योग्यता मानकों को लागू करने के लिए भी जिम्मेदार है।
प्रश्न 4. कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?(स्तर – सरल)
- वर्ष 2024 को संयुक्त राष्ट्र द्वारा “मोटे अनाजों का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष” घोषित किया गया है।
- भारत दुनिया में मोटे अनाजों का सबसे बड़ा उत्पादक है।
विकल्प:
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1, न ही 2
उत्तर: d
व्याख्या:
- कथन 1 गलत है: मार्च 2021 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने वर्ष 2023 को मोटे अनाजों के अंतर्राष्ट्रीय वर्ष के रूप में घोषित किया है।
- कथन 2 सही है: भारत दुनिया में मोटे अनाजों का सबसे बड़ा उत्पादक है।
- भारत में प्रमुख मोटे अनाज उत्पादक राज्य राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना हैं।
प्रश्न 5. गुप्त काल के दौरान भारत में बलात् श्रम (विष्टि) के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है? (PYQ 2019) (स्तर – कठिन)
- इसे राज्य के लिए आय का एक स्रोत, जनता द्वारा दिया जाने वाला एक प्रकार का कर, माना जाता था।
- यह गुप्त साम्राज्य के मध्य प्रदेश तथा काठियावाड़ क्षेत्रों में पूर्णतः अविद्यमान था।
- बलात् श्रमिक साप्ताहिक मजदूरी का हकदार होता था।
- मजदूर के ज्येष्ठ पुत्र को बलात् श्रमिक के रूप में भेज दिया जाता था।
उत्तर: a
व्याख्या:
- विष्टि को राज्य के लिए आय का एक स्रोत माना जाता था, जो लोगों द्वारा द्वारा दिए जाने वाला एक प्रकार का कर था।
- जूनागढ़ शिलालेख में विष्टी को कर के एक रूप के रूप में वर्णित किया गया है, जो इंगित करता है कि यह गुजरात और मालवा क्षेत्र से वसूला वसूला जाता था।
- किसी को भी विष्टि के लिए श्रमिक के रूप में भेजा जा सकता था, जरूरी नहीं वह कि श्रमिक का सबसे बड़ा बेटा ही हो।
- बलात् श्रमिक किसी भी साप्ताहिक मजदूरी के हकदार नहीं थे।
- इसलिए विकल्प a सही है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. चर्चा कीजिए कि क्या संविधान द्वारा किए गए प्रावधान के अनुसार भारत में शक्ति का पृथक्करण कठोर है और क्या यह शक्ति के पृथक्करण के बजाय कार्यों का पृथक्करण अधिक है?
(250 शब्द; 15 अंक) (जीएस II – राजव्यवस्था)
प्रश्न 2. नदियों को जोड़ने का विचार भारत में कहाँ तक सफल हुआ है? केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना के पर्यावरणीय प्रभावों को भी रेखांकित कीजिए।(250 शब्द; 15 अंक) (जीएस I – भूगोल)