गुप्त मतदान प्रणाली का अर्थ है ऐसी मतदान प्रणाली जो यह सुनिश्चित करती है कि सभी मत गुप्त रूप से डाले जाएँ, और मतदान के समय किसी को भी यह जानकारी न हो कि किस मतदाता ने किसे वोट दिया है। इसका उद्देश्य सुनिश्चित करना है कि मतदाता किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा डाले गये वोट से प्रभावित न हो और चुनाव निष्पक्ष एवं स्वतंत्र हो । भारत में गुप्त मतदान की शुरुआत वर्ष 1951 में पेपर बैलेट के साथ हुई थी । सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार मतदाता की पसंद की गोपनीयता चुनाव प्रणाली में अत्यंत महत्वपूर्ण होती है । हाल ही में अपने एक फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि जनप्रतिनिधित्व कानून (Representation of People’s Act, 1951) की धारा 94 के अनुसार गुप्त मतदान एक विशेषाधिकार है और इसके तहत कोई भी व्यक्ति मतदाता को अपने मत के बारे में खुलासा करने को मजबूर नहीं कर सकता । साथ ही, मतदाता स्वयं भी खुलासा नहीं कर सकता कि उसने किसे वोट दिया है। अर्थात मतदाता स्वयं भी इस विशेषाधिकार को छोड़ नहीं सकता ! भारत में राष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा और गुप्त मतदान द्वारा ही होता है।
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