Download the BYJU'S Exam Prep App for free IAS preparation videos & tests - Download the BYJU'S Exam Prep App for free IAS preparation videos & tests -

लोकसभा को भंग करने की शक्ति किसके पास होती है?

लोक सभा को भंग करने की शक्ति राष्ट्रपति के पास होती है । यह उसकी विधायी शक्ति (legislative power) है जो उसे संविधान द्वारा प्रदत्त है । राष्ट्रपति भारतीय संसद का एक अभिन्न अंग है । इसके अतिरिक्त राष्ट्रपति को निम्नलिखित विधायी शक्तियां (legislative power) प्राप्त हैं :- 

(i)  वह संसद की बैठक बुला सकता है अथवा कुछ समय के लिए स्थगित कर सकता है । वह संसद के संयुक्त अधिवेशन का आह्वान कर सकता है जिसकी अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष करता है ।

(ii) वह प्रत्येक नए चुनाव के बाद तथा प्रत्येक वर्ष संसद के प्रथम अधिवेशन को संबोधित कर सकता है । (iii) वह संसद में लंबित किसी विधेयक या अन्यथा किसी संबंध में संसद को संदेश भेज सकता है ।

(iv) यदि लोकसभा के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष दोनों के पद रिक्त हों तो वह लोकसभा के किसी भी सदस्य को सदन की अध्यक्षता सौंप सकता है । इसी प्रकार यदि राज्यसभा के सभापति व उप-सभापति दोनों पद रिक्त हों तो वह राज्यसभा के किसी भी सदस्य को सदन की अध्यक्षता सौंप सकता है ।

(v) वह साहित्य, विज्ञान, कला व समाज सेवा से जुड़े अथवा जानकार व्यक्तियों में से 12 सदस्यों को राज्यसभा के लिए मनोनीत करता है ।

(vi) वह लोकसभा में दो आंग्ल-भारतीय समुदाय के व्यक्तियों को मनोनीत कर सकता है । 

(vii) वह चुनाव आयोग से परामर्श कर संसद सदस्यों की निरर्हता के प्रश्न पर निर्णय करता है ।

(viii) संसद में कुछ विशेष प्रकार के विधेयकों को प्रस्तुत करने के लिए राष्ट्रपति की सिफारिश अथवा आज्ञा आवश्यक है। उदाहरणार्थ, भारत की संचित निधि से खर्च संबंधी विधेयक अथवा राज्यों की सीमा परिवर्तन या नए राज्य के निर्माण या संबंधी विधेयक ।

(ix) जब एक विधेयक संसद द्वारा पारित होकर राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है तो वह: (अ) विधेयक को अपनी स्वीकृति दे सकता है; अथवा (ब) विधेयक पर अपनी स्वीकृति सुरक्षित रख सकता है; अथवा (स) विधेयक को (बशर्ते की वह धन विधेयक न हो) संसद के पुनर्विचार के लिए लौटा सकता है ।

(x) राज्य विधायिका द्वारा पारित किसी विधेयक को राज्यपाल जब राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रखता है तब राष्ट्रपतिः (अ) विधेयक को अपनी स्वीकृति दे सकता है; अथवा (ब) विधेयक पर अपनी स्वीकृति सुरक्षित रख सकता है, अथवा; (स) राज्यपाल को निर्देश दे सकता है कि विधेयक (बशर्ते की वह धन विधेयक न हो) को राज्य विधायिका को पुनर्विचार हेतु लौटा दे।

(xi) वह संसद के सत्रावसान की अवधि में अध्यादेश जारी कर सकता है । यह अध्यादेश संसद की पुनः बैठक के छह हफ्तों के भीतर संसद द्वारा अनुमोदित करना आवश्यक है । वह किसी अध्यादेश को किसी भी समय वापस ले सकता है ।

(xii) वह महानियंत्रक व लेखा परीक्षक, संघ लोक सेवा आयोग, वित्त आयोग व अन्य की रिपोर्ट संसद के समक्ष रखता है ।

(xiii) वह अंडमान व निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, दादर एवं नागर हवेली एवं दमन व दीव में शांति, विकास व सुशासन के लिए विनियम बना सकता है । पुडुचेरी के लिए भी वह नियम बना सकता है परंतु केवल तब जब वहाँ की विधानसभा निलंबित हो अथवा विघटित अवस्था में हो ।

राजनीती विज्ञान के हमारे अन्य उपयोगी हिंदी लेख:

नोट : UPSC 2023 परीक्षा की तिथि करीब आ रही है, आप खुद को नवीनतम UPSC Current Affairs in Hindi से अपडेट रखने के लिए BYJU’S के साथ जुड़ें, यहां हम महत्वपूर्ण जानकारियों को सरल तरीके से समझाते हैं ।

हिंदी माध्यम में UPSC से जुड़े मार्गदर्शन के लिए अवश्य देखें हमारा हिंदी पेज  IAS हिंदी

अन्य महत्वपूर्ण लिंक :

UPSC Syllabus in Hindi UPSC Full Form in Hindi
UPSC Books in Hindi UPSC Prelims Syllabus in Hindi
UPSC Mains Syllabus in Hindi NCERT Books for UPSC in Hindi

 

Comments

Leave a Comment

Your Mobile number and Email id will not be published.

*

*