हालाँकि जैविक कृषि (organic farming) से हम सदियों से परिचित रहे हैं, आधुनिक युग में ब्रिटिश वनस्पति शास्त्री सर अल्बर्ट हॉवर्ड को अक्सर आधुनिक जैविक कृषि का जनक कहा जाता है । हावर्ड, भारत में एक कृषि शोधकर्ता के रूप में काम कर रहे थे, उन्होंने यहाँ की पारंपरिक और टिकाऊ कृषि पद्धतियों से बहुत प्रेरणा प्राप्त की और पश्चिम में उन्हें अपनाने की वकालत की । सुभाष पालेकर को भी भारत में जैविक कृषि को अत्यधिक लोकप्रिय बनाने का श्रेय दिया जाता है ।
जैविक कृषि क्या है ?
जैविक कृषि ऐसी कृषि तकनीक है जिसमें रासायनिक उर्वरकों/कीटनाशक का प्रयोग न कर हरित उर्वरकों/कीटनाशक का प्रयोग किया जाता है । यह किसी भी अकार्बनिक रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों या किसी अन्य आनुवंशिक रूप से संशोधित जीवों का उपयोग किए बिना खेती या फसलों और अन्य पशुओं को पालने का अभ्यास है । जैविक खेती के साथ, आर्थिक विकास के साथ- साथ कृषि क्षेत्रों की धारणीयता में वृद्धि होती है, इस प्रकार एक सतत पर्यावरण की उम्मीद की जा सकती है । हम उर्वरकों और अन्य रसायनों के हानिकारक और जहरीले प्रभावों से अवगत हैं । नतीजतन, जैविक खेती वर्तमान समय की मांग है । इसके निम्नलिखित लाभ हैं :-
- जैविक कृषि मिट्टी की उर्वरता में सुधार करता है और जैविक विविधता को बनाए रखता है ।
- यह पर्यावरण के लिए लाभदायक है क्योंकि इसमें रासायनिक उर्वरकों/कीटनाशक का प्रयोग न कर हरित उर्वरकों/कीटनाशक का प्रयोग किया जाता है ।
- इस तकनीक के द्वारा उत्पादित उपज मानव और पशु उपभोग के लिए स्वस्थ है ।
- यह मिट्टी के कटाव, क्षरण और फसल की विफलता को रोकता है ।
- यह प्रदूषण कम कर, खेती को नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर आसानी से निर्भर बना सकता है ।
- यह मिट्टी की उर्वरता में सुधार करता है और इसके रासायनिक और भौतिक गुणों को बढ़ाता है ।
हालाँकि से जुड़ी हुई कई चुनौतियाँ भी हैं । इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए नीचे लिंक किये गये लेख को देखें ।
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- जैविक खेती के क्या नुकसान हैं
- यूपीएससी भूगोल का पाठ्यक्रम
- कृषि वानिकी
- UPSC भूगोल की पुस्तक सूचि
- चक्रवात एवं प्रति- चक्रवात में अंतर
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