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यूपीएससी भूगोल पाठ्यक्रम [UPSC Geography Syllabus in Hindi]

यूपीएससी सिविल सेवा मुख्य परीक्षा में कुल 26 वैकल्पिक विषयों की सूचि में भूगोल  सबसे लोकप्रिय विषयों में से एक  है | एक अध्ययन के अनुसार मुख्य परीक्षा में शामिल होने वाले कुल अभ्यर्थियों में से लगभग 30% अभ्यर्थी भूगोल का चयन करते हैं | मुख्य परीक्षा में इस विषय के 250-250 अंकों के 2 प्रश्न पत्र होते हैं | प्रथम पत्र में भौतिक एवं वैश्विक  भूगोल, जबकि द्वितीय पत्र में भारत के भूगोल तथा समसामयिक मुद्दों से जुड़े सवाल पूछे जाते हैं | इस लेख में आप मुख्य परीक्षा के लिए भूगोल के दोनों प्रश्न पत्रों के सम्पूर्ण पाठ्यक्रम की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं | भूगोल के महत्वपूर्ण पुस्तकों की जानकारी के लिए  नीचे  दी गई तालिका देखें | पाठक  लिंक किए गए लेख में आईएएस हिंदी के बारे में जानकारी पा सकते हैं।

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मुख्य परीक्षा के लिए वैकल्पिक विषयों की सूचि 
(i) कृषि  विज्ञान (ii) पशुपालन एवं पशुचिकित्सा विज्ञान (iii) नृविज्ञान (iv) वनस्पति विज्ञान (v) रसायन विज्ञान (vi) सिविल इंजीनियरिंग (vii) वाणिज्य शास्त्र तथा लेखा विधि  (viii) अर्थशास्त्र (ix) विद्युत् इंजीनियरिंग (x) भूगोल (xi) भू-विज्ञान (xii) इतिहास (xiii) विधि

(xiv) प्रबंधन (xv) गणित  (xvi) यांत्रिक  इंजीनियरिंग (xvii) चिकित्सा विज्ञान  (xviii) दर्शन  शास्त्र (xix) भौतिकी (xx) राजनीति विज्ञान एवं अतर्राष्ट्रीय  संबंध |

(xxi) मनोविज्ञान (xxii) लोक प्रशासन (xxiii) समाज  शास्त्र (xxiv) सांख्यिकी (xxv) प्राणी विज्ञान  (xxvi) निम्नलिखित भाषाओं में से किसी एक भाषा का साहित्य : असमिया , बंगाली, बोडो, डोगरी, गुजराती, हिंदी,कन्नड़, कशमीरी, कोंकणी, मैथिलि , मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़िया , पंजाबी , संस्कृत, संथाली, सिन्धी , तमिल , तेलुगू, उर्दू व अंग्रेज़ी।

वैकल्पिक विषय के तौर पर भूगोल

चूँकि भूगोल विषय  की प्रकृति वैज्ञानिक है, अतः  विज्ञान पृठभूमि से आने वाले कई अभ्यर्थी भी वैकल्पिक विषय के तौर पर भूगोल का चयन करते  हैं | हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों के लिए भी इस विषय में  भरपूर अध्ययन सामग्री उपलब्ध है | भूगोल के विद्यार्थियों  को प्रारंभिक परीक्षा तथा मुख्य परीक्षा  के अलावा अर्थशास्त्र,पर्यावरण अध्ययन तथा निबंध लेखन में भी काफी मदद मिलती है | किंतु इस विषय के चयन से पहले यह अवश्य ध्यान में रखना चाहिए कि भूगोल का पाठ्यक्रम काफी विस्तृत है | साथ ही, जैसा कि हम जानते हैं इस विषय में प्रतियोगिता बहुत ज्यादा है | अतः यदि आपने स्नातक स्तर पर भूगोल का अध्ययन किया है और विषय में आपकी अभिरुचि है तभी इसका चयन वैकल्पिक विषय के तौर पर करें |

हिंदी माध्यम में भूगोल के महत्वपूर्ण पुस्तकों की सूचि

हिंदी माध्यम में भूगोल के महत्वपूर्ण पुस्तकों की सूचि
NCERT 11वीं एवं 12वीं की किताबें
भारत एवं विश्व का भूगोल माजिद हुसैन
मानव भूगोल माजिद हुसैन
भारत का भूगोल माजिद हुसैन
भौतिक एवं मानव भूगोल शीलवंत सिंह / कीर्ति रस्तोगी /  सारिका
भूगोल : एक समग्र अध्ययन महेश वर्णवाल
भौतिक,आर्थिक  एवं मानव भूगोल डी.आर.खुल्लर
भौतिक एवं मानव भूगोल जी.सी.लिओंग
भारत का भूगोल आर.सी.तिवारी
मानचित्र ऑक्सफ़ोर्ड/ओरिएंट  प्रकाशन
पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी रवि अग्रहारी
पर्यावरण अध्ययन पी.सी.मिश्रा
पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी माजिद हुसैन
पर्यावरण अध्ययन इराक भरुचा
नोट : भूगोल की तैयारी  में मानचित्र अध्ययन की अहम् भूमिका होती है |

भूगोल का पाठ्यक्रम

प्रश्न पत्र- 1

भूगोल के सिद्धांत 

प्राकृतिक भूगोल 

  1. भू -आकृति विज्ञान : भू -आकृति विकास के नियंत्रक कारण; अंतर्जात एवं बहिर्जात बल: भू -पर्पटी का उद्गम एवं विकास: भू-चुंबकत्व के मूल सिद्धांत: पृथ्वी के अंतरंग की प्राकृतिक दशाएं।

भू-अभिनतिः महाद्वीपीय विस्थापनः समस्थितिः प्लेट विवर्तनिकीः पर्वतोत्पति के संबंध मैं अभिनव विचार: ज्वालामुखी: भूकम्प एवं सुनामी: भू- आकृतिक चक्र एवं दृश्यभूमि विकास की संकल्पनाएं, अनाच्छादन कालानुक्रमः जलमार्ग आकृतिक विज्ञान: अपरदन पृष्ठः प्रवणता विकास: अनुप्रयुक्त भू- आकृति विज्ञान: भू- जल विज्ञान, आर्थिक भू- विज्ञान एवं पर्यावरण।

  • जलवायु विज्ञान: विश्व के ताप एवं दाब कटिबंध, पृथ्वी का तापीय बजट: वायुमंडल परिसंचरण, वायु मंडल स्थिरता एवं अनस्थिरता, भू- मंडलीय एवं स्थानीय पवन: मानसून एवं जेट प्रवाहः वायु राशि एवं वाताग्रजननः शीतोष्ण एवं उष्णकटिबंधीय चक्रवात : वर्षण के प्रकार एवं वितरण : मौसम एवं जलवायु : कोपेन, थॉर्नवेट एवं त्रैवार्धा का विश्व जलवायु परिवर्तन में मानव की भूमिका एवं अनुक्रिया, अनुप्रयुक्त जलवायु विज्ञान एवं नगरी जलवायु ।
    1. समुद्र विज्ञान: अटलांटिक, हिंद एवं प्रशांत महासागरों की तलीय स्थलाकृति : महासागरों का ताप एवं लवणता : उष्मा एवं लवण बजट, महासागरी निक्षेप : तरंग धाराएं एवं ज्वार भाटा : समुद्रीय संसाधन जीवीय, खनिज एवं ऊर्जा संसाधन, प्रवाल भित्तियां : प्रवाल विरंजन : समुद्र परिवर्तन : समुद्र नियम एवं समुद्री प्रदूषण ।
  • जीव भूगोल : मृदाओं की उत्पति, मृदाओं का वर्गीकरण एवं वितरण : मृदा परिच्छेदिका : मृदा अपरदन : न्यूनीकरण एवं संरक्षण :  पादप एवं जन्तुओं के वैश्यिक वितरण को प्रभावित करने वाले कारक : वन अपरोपण की समस्याएं एवं संरक्षण के उपाय : सामाजिक वानिकी :  कृषि वानिकी :  वन्य जीवन: प्रमुख जीन पूल केंद्र।
  • पर्यावरणीय भूगोल : पारिस्थितिकी के सिद्धांत : मानव पारिस्थितिक अनुकूलन : परिस्थितिकी एवं पर्यावरण पर मानव का प्रभाव: वैश्विक एव क्षेत्रीय पारिस्थितिक परिवर्तन एवं असंतुलन: पारितंत्र उनका प्रबंधन एवं संरक्षण: पर्यावरणीय निम्नीकरण, प्रबंध एवं संरक्षण: जैव विविधता एवं संपोषण विकास: पर्यावरणीय शिक्षा एवं विधान |
  • मानव भूगोल : 
  1. मानव भूगोल में संदर्श : क्षेत्रीय विभेदन; प्रादेशिक संश्लेषण, द्विभाजन एवं द्वैतवाद: पर्यावरणवाद; मात्रात्मक क्रांति  एवं अवस्थिति विश्लेषण; उग्रसुधार, व्यावहारिक, मानवीय एवं कल्याण उपागमः भाषाएं, धर्म एवं निरपेक्षीकरण; विश्व के सांस्कृतिक  प्रदेश ; मानव विकास सूचक।
  2. आर्थिक भूगोल : विश्व आर्थिक विकास : माप एवं समस्याएं; विश्व संसाधन एवं उनका वितरण, ऊर्जा संकट :  संवृद्धि की सीमाएं; विश्व कृषि : कृषि प्रदेशों की प्रारूपता : कृषि निवेश एवं उत्पादकता; खाद्य एवं पोषण समस्याएं; खाद्य सुरक्षा; दुर्भिक्ष कारण, प्रभाव एवं उपचार, विश्व उद्योग, अवस्थानिक प्रतिरूप एवं समस्याएं; विश्व व्यापार के प्रतिमान |
  3. जनसंख्या एवं बस्ती भूगोल :  विश्व जनसंख्या की वृद्धि और वितरण; जनसांख्यिकी गुण, प्रवासन के कारण एवं परिणाम; अतिरेक- अल्प एवं अनुकूलतम जनसंख्या की संकल्पनाएं; जनसंख्या के सिद्धांत; विश्व जनसंख्या समस्याएं और नीतियां; सामाजिक कल्याण एवं जीवन गुणवत्ता; सामाजिक पूंजी के रूप में जनसंख्या, ग्रामीण बस्तियों के प्रकार एवं प्रतिरूप; ग्रामीण बस्तियों के पर्यावरणीय मुद्दे, नगरीय बस्तियों का पदानुक्रम; नगरीय आकारिकी; प्रमुख शहर एवं श्रेणी आकार प्रणाली की संकल्पना; नगरों का प्रकार्यात्मक वर्गीकरण: नगरीय प्रभाव क्षेत्र; ग्राम नगर उपांत; अनुषंगी नगर, नगरीकरण की समस्याएं एवं समाधान; नगरों का संपोषणीय विकास |
  4. प्रादेशिक आयोजन : प्रदेश की संकल्पना; प्रदेशों के प्रकार एवं प्रदेशीकरण की विधियां : वृद्धि केन्द्र तथा वृद्धि ध्रुवः प्रादेशिक असंतुलन, प्रादेशिक विकास कार्यनीतियां; प्रादेशिक आयोजना में पर्यावरणीय मुद्दे संपोषणीय विकास के लिए आयोजना |
  5. मानव भूगोल में मॉडल, सिद्धांत एवं नियम : मानव भूगोल में प्रणाली विश्लेषण; माल्थस का, मार्क्स का और जनसांख्यिकीय संक्रमण मॉडल: क्रिस्टावर एवं लॉश का केन्द्रीय स्थान सिद्धांत; पेरू एवं बूदेविए; वॉन थूनेन का कृषि अवस्थान मॉडल; वेबर का औद्योगिक अवस्थान मॉडल, ओस्तोव का वृद्धि अवस्था माडल; अंत: भूमि एवं बहि: भूमि सिद्धांत; अंतर्राष्ट्रीय सीमाएं एवं सीमांत क्षेत्र के नियम ।

प्रश्न पत्र -2

भारत का भूगोल 

  1. भौतिक विन्यास : पड़ोसी देशों के साथ भारत का अंतरिक्ष संबंध; संरचना एवं उच्चावच; अपवाह तंत्र एवं जल विभाजक; भू-आकृतिक प्रदेश; भारतीय मानसून एवं वर्षा प्रतिरूपः ऊष्णकटिबंधीय चक्रवात एवं पश्चिमी विक्षोभ की क्रिया विधि; बाढ़  एवं अनावृष्टिः जलवायवी प्रदेश, प्राकृतिक वनस्पतिः मृदा प्रकार एवं उनका वितरण |
  2. संसाधन : भूमि, सतह एवं भौमजल, ऊर्जा, खनिज, जीवीय एवं समुद्री संसाधन, वन एवं वन्य जीवन संसाधन एवं उनका संरक्षण, ऊर्जा संकट |
  3. कृषि : अवसंरचनाः सिंचाई, बीज, उर्वरक, विद्युत; संस्थागत कारक: जोत भू-धारण एवं भूमि सुधारः शस्यन प्रतिरूप, कृषि उत्पादकता, कृषि प्रकर्ष, फसल संयोजन, भूमि क्षमता, कृषि एवं सामाजिक वानिकी; हरित क्रांति एवं इसकी सामाजिक आर्थिक एवं पारिस्थितिक विवक्षा, वर्षाधीन खेती का महत्व; पशुधन संसाधन एवं श्वेत क्रांति: जल कृषि; रेशम कीटपालन, मधुमक्खी पालन एवं कुक्कुट पालन, कृषि प्रादेशीकरण, कृषि जलवायवी क्षेत्र; कृषि पारिस्थितिक प्रदेश |
  4. उद्योग : उद्योगों का विकास कपास, जूट, वस्त्रोद्योग, लोह एवं इस्पात, अलुमिनियम, उर्वरक, कागज, रसायन एवं फार्मास्युटिकल्स, आटोमोबाइल, कुटीर एवं कृषि आधारित उद्योगों के अवस्थिति कारक, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों सहित औद्योगिक घराने एवं संकुल; औ‌द्योगिक प्रादेशीकरण, नई औद्योगिक नीतियां; बहुराष्ट्रीय कंपनियां एवं उदारीकरण, विशेष आर्थिक क्षेत्र; पारिस्थितिकी पर्यटन समेत पर्यटन ।
  5. परिवहन, संचार एवं व्यापार : सड़क, रेलमार्ग, जलमार्ग, हवाई मार्ग एवं पाइपलाइन, नेटवर्क एवं प्रादेशिक विकास में उनकी पूरक भूमिका, राष्ट्रीय एवं विदेशी व्यापार वाले पतनों का बढ़ता महत्व, व्यापार संतुलन, व्यापार नीति, निर्यात प्रकमण क्षेत्र; संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी में आया विकास और अर्थव्यवस्था तथा समाज पर उनका प्रभाव; भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम |
  6. सांस्कृतिक विन्यास : भारतीय समाज का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य ; प्रजातीय, भाषिक एवं नृजातीय विविधताएं; धार्मिक अल्पसंख्यक, प्रमुख जनजातियां, जनजातियां क्षेत्र तथा उनकी समस्याएं, सांस्कृतिक प्रदेश: जनसंख्या की संवृद्धि, वितरण एवं घनत्व: जनसांख्यिकीय गुणः लिंग अनुपात, आयु संरचना, साक्षरता दर, कार्यबल, निर्भरता अनुपात, आयुकाल: प्रवासन (अंतः प्रादेशिक, प्रदेशांतर तथा अंतर्राष्ट्रीय) एवं इससे जुड़ी समस्याएं, जनसंख्या समस्याएं एवं नीतियां, स्वास्थ्य सूचक |
  7. बस्ती : ग्रामीण बस्ती के प्रकार, प्रतिरूप तथा आकारिकी; नगरीय विकास; भारतीय शहरों की आकारिकी; भारतीय शहरों का प्रकार्यात्मक वर्गीकरण; सत्रनगर एवं महानगरीय प्रदेश ; नगर स्वप्रसार गंदी बस्ती एवं उससे जुड़ी समस्याएं; नगर आयोजना; नगरीकरण की समस्या एवं उपचार ।
  8. प्रादेशिक विकास एवं आयोजना : भारत में प्रादेशिक आयोजना का अनुभव; पंचवर्षीय योजनाएं; समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रमः पंचायती राज एवं विकेंद्रीकृत आयोजना; कमान क्षेत्र विकास, जल विभाजन प्रबंध; पिछड़ा क्षेत्र, मरुस्थल, अनावृष्टि प्रबण, पहाड़ी,  जनजातीय क्षेत्र विकास के लिए आयोजना;  बहुस्तरीय योजना ; प्रादेशिक योजना एवं द्वीप क्षेत्रों का विकास।
  9. राजनैतिक परिप्रेक्ष्य : भारतीय संघवाद का भौगोलिक आधार; राज्य पुनर्गठन, नए राज्यों का आविर्भाव;  प्रादेशिक चेतना एवं अंतर्राज्य मुद्दे; भारत की अंतर्राष्ट्रीय सीमा और संबंधित मुद्दे: सीमापार आतंकवाद, वैश्विक मामलों में भारत की भूमिका, दक्षिण एशिया एवं हिंद महासागर परिमंडल की भू-राजनीति |
  10. समकालीन मुद्दे :  पारिस्थितिक मुद्दे पर्यावरणीय संकट: भू-स्खलन, भूकंप, सुनामी, बाढ़  एवं अनावृष्टि, महामारी, पर्यावरणीय प्रदूषण से संबंधित मुद्दे, भूमि उपयोग के प्रतिरुप में बदलाव, पर्यावरणीय प्रभाव आकलन एवं पर्यावरण प्रबंधन के सिद्धांत; जनसंख्या विस्फोट एवं खाद्य सुरक्षा, पर्यावरणीय निम्नीकरण, वनोन्मूलन, मरुस्थलीकरण एवं मृदा अपरदन, कृषि एवं औद्योगिक अशांति की समस्याएं ,आर्थिक विकास में प्रादेशिक असमानताएं; संपोषणीय वृद्धि एवं विकास की संकल्पना, पर्यावरणीय संचेतना; नदियों का सहवर्धन भूमंडलीकरण एवं भारतीय अर्थव्यवस्था ।

टिपण्णी : अभ्यर्थियों को इस प्रश्न पत्र में लिए गये विषयों से संगत एक अनिवार्य मानचित्र आधारित प्रश्न का उत्तर देना अनिवार्य है |

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