एक अवगुण वस्तु या बहिष्कृत माल (Demerit Goods) को अर्थशास्त्र में एक ऐसी वस्तु या सेवा के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसका उपभोग अस्वास्थ्यकर, अपमानजनक या सामाजिक रूप से अवांछनीय और अनुचित माना जाता है। इसके उपभोग से स्वयं उपभोक्ताओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। तंबाकू, मादक पेय पदार्थ, ड्रग्स, जुआ, जंक फूड इसके कुछ उदाहरण हैं। इन सामानों की प्रकृति के कारण, सरकारें इन सामानों पर विशेष कर लगाती हैं। कुछ मामलों में इन वस्तुओं के उपभोग या विज्ञापन को भी विनियमित या प्रतिबंधित किया जाता है।
इस टॉपिक से संबंधित प्रश्न UPSC प्रीलिम्स के इकोनॉमी या करंट अफेयर्स के सेक्शन में पूछे जाने की बहुत अधिक संभावना है।
नोट: UPSC 2023 करीब आ रही है, इसलिए आप BYJU’S द्वारा द हिंदू अखबार के मुफ्त दैनिक वीडियो विश्लेषण के साथ अपनी तैयारी को पूरा करें।
अवगुण वस्तु या बहिष्कृत माल के बारे में संकल्पना
बहिष्कृत माल के उपयोग में एक बहुत बड़ा वैचारिक मतभेद भी देखने को मिलता है। कुछ अवगुण वाले पदार्थों में बाहरीय नकारात्मकता का गुण मौजूद रहता है। जब भी किसी वस्तु की खपत का उन लोगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है जो उसका उपभोग नहीं करते हैं, तो इसे बाह्य नकारात्मकता के रूप में जाना जाता है। बाहरी नकारात्मकता का उत्कृष्ट उदाहरण प्रदूषण है। उदाहरण के लिए, वाहनों से निकलने वाला प्रदुषण उन लोगों को भी प्रभावित करना है, जो उसका उपयोग नहीं करते हैं। दूसरी ओर, एक अवगुण वाली या बहिष्कृत वस्तु को अवांछनीय माना जाता है क्योंकि इसके उपभोग का उपभोक्ता पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है, जैसे –सिगरेट का सेवन। इसमें दोनों अवगुण होते हैं, यह धूम्रपान करने वाले को भी नुकसान पहुंचाती है और धुएं के माध्यम से इसका सेवन नहीं करने वाले को भी नुकसान पहुंचाती है।
कल्याणवाद (welfarism) के साथ-साथ पितृवाद (paternalism), कल्याणकारी अर्थशास्त्र के दो प्रमुख विचार, अवगुण वाली वस्तुओं की उनकी वैचारिक व्याख्या में भिन्न होते हैं। इसमें किसी माल के उपयोग में, कल्याणवाद उस व्यक्ति के लिए अच्छे की उपयोगिता के अंतिम निर्णय के रूप में किसी माल की उपयोगिता के बारे में व्यक्ति की अपनी धारणा होती है। इस तरह कोई व्यक्ति अवगुण वाले सामान (बाहरी नकारात्मकताओं के विश्लेषण की अनुमति देते हुए) की अवधारणा को अस्वीकार कर देता है।
सीधे शब्दों में कहें तो, कल्याणवाद किसी व्यक्ति की अपनी उपयोगिता की भावना को उस व्यक्ति के लिए उस वस्तु के मूल्य के अंतिम निर्णय के रूप में देखता है, इसलिए एक ‘अगुण माल‘ की धारणा को समाप्त करता है (नकारात्मक बाहरीताओं के विश्लेषण की अनुमति देते हुए) दूसरी ओर, पितृत्ववाद (paternalism), यह निर्णय करता है, कि हेरोइन आपके लिए अच्छी नहीं है।
नोट: UPSC 2023 परीक्षा करीब आ रही है, इसलिए आप खुद को नवीनतम UPSC Current Affairs in Hindi से अपडेट रखने के लिए BYJU’S को फॉलो करें, यहां हम महत्वपूर्ण जानकारियों को सरल तरीके से समझाते हैं।
बाहरी नकारात्मकता
नकारात्मक बाहरीता तब उत्पन्न होती है जब किसी माल या सेवा के उत्पाद और/या खपत का किसी तीसरे पक्ष पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जोकि इस व्यवहार में शामिल नहीं है। एक विशिष्ट लेन-देन की अवधारणा में दो पक्ष होते हैं, लेन-देन में पहला और दूसरा पक्ष, जिन्हें क्रमशः लेनदेन में पहले और दूसरे गुट के रूप में संदर्भित किया जाता है। तीसरा पक्ष वह है जो लेन-देन में शामिल नहीं है, लेकिन इसमें रुचि रखता और इससे प्रभावित हो सकता है।
डिमेरिट गुड्स या अवगुण वस्तु के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
क्या एक अवगुण वस्तु में हमेशा बाह्य नकारात्मकताएं होती हैं?
अवगुण वस्तुओं में आमतौर पर बाहरी नकारात्मकताएं होती हैं- जहां खपत तीसरे पक्ष पर हानिकारक प्रभाव डालती है, लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता है।
अवगुण वस्तुएं समाज को किस प्रकार प्रभावित करती हैं?
अवगुण वस्तु के सेवन से आसपास की जगहों और वहां रहने वाले लोगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई वाहन चालक अत्यधिक शराब का सेवन करके वाहन चलाता है और किसी निर्दोष वाहन चालक से टकरा जाता है जिससे उनके वाहन को नुकसान होता है, तो इसे बाहरी नकारात्मकता उत्पन्न होती है।
अवगुण वस्तुएं बाजार की विफलता का कारण कैसे बनती हैं?
इस प्रकार के सामानों में निर्मित बाजार की विफलता सीमांत निजी लाभ और सीमांत सामाजिक लाभ वक्रों के बीच विचलन के कारण होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि जब व्यक्ति अवगुण वस्तुओं का उपभोग करते हैं तो वह समाज पर बाहरी नकारात्मक प्रभाव छोड़ते हैं।
नोटः आप अपनी IAS परीक्षा की तैयारी शुरू करने से पहले UPSC Exam Pattern in Hindi को गहराई से समझ लें और उसके अनुसार अपनी तैयारी की योजना बनाएं।
अन्य सम्बंधित लिंक्स :
Comments