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राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस (10 जुलाई)

हर साल 10 जुलाई को भारत में राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य देश में मछली किसानों, मछुआरों और मछली पालन से जुड़े अन्य हितधारकों के काम को सम्मान और समर्थन देना है। इस साल 2022 में पूरे देश में 22वां राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस मनाया गया।

मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय व राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (NFDB) ने पूरे देश के मछुआरों, मत्स्य किसानों और संबंधित हितधारकों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए इस साल 22वां राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस 10 जुलाई को मनाया।

देश में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने और ‘नीली क्रांति’ (Blue Revolution) द्वारा, भारत सरकार ने देश में आर्थिक क्रांति लाने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सरकार ने मछली उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि, गुणवत्ता में सुधार और अप​शिष्ट में कमी लाते हुए किसानों की आय बढ़ाने की परिकल्पना की है।  

देश में प्रेरित प्रजनन तकनीक ने जलीय कृषि क्षेत्र के विकास को पारंपरिक से व्यापक एक्वाकल्चर पद्धतियों में बदल दिया है। गुणवत्तापूर्ण बीज के उत्पादन के लिए सिंथेटिक हार्मोन विकसित होने से आधुनिक जलीय कृषि उद्योग सफलता की ओर अग्रसर है। 

यह एक महत्वपूर्ण विषय है। इससे संबंधित प्रश्न यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा के करंट अफेयर्स का इकॉनामी के सेक्शन में पूछे जाने की प्रबल संभावना है।

भारत में में विभिन्न प्रकार के अंतर्देशीय और समुद्री मत्स्य संसाधनों को स्थायी रूप से उपयोग करने की क्षमता के साथ, मछली पकड़ना और जलीय कृषि देश की महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधियों में से एक है।

देश में मछली पालन एक बहुत बड़ा उद्योग है। देशभर में लाखों लोग अपनी आजीविका के लिए मछली पालन और इससे संबंधित कार्यों पर निर्भर है। इसलिए राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस एक महत्वपूर्ण विषय है। UPSC प्रीलिम्स परीक्षा के इकोनॉमी या करेंट अफेयर्स सेक्शन में इस विषय से संबंधित प्रश्न पूछे जाने की प्रबल संभावना है।

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मत्स्य किसान दिवस का इतिहास

देश में पहली बार 10 जुलाई, 1957 को प्रोफेसर डॉ. हीरालाल चौधरी और उनके सहयोगी डॉ. अलीकुन्ही ने ओडिशा के अंगुल में प्रमुख कार्प्स के सफल प्रेरित प्रजनन में कार्प पिट्यूटरी हार्मोन को निकालने में सफलता हासिल की थी। 10 जुलाई, 1957 को दोनों वैज्ञानकों ने हाइपोफिजेशन का प्रदर्शन किया था, जो भारतीय मेजर कार्प्स में प्रजनन को प्रेरित करने की एक तकनीक है। प्रोफेसर चौधरी और डॉ अलीकुन्हीं के इस महत्वपूर्ण योगदान की याद में ही हर साल भारत में मत्स्य किसान दिवस का आयोजन किया जाता है।

पृष्ठभूमि

साल 2001 में, भारत सरकार ने 10 जुलाई को राष्ट्रीय मछली पालन दिवस के रूप में नामित किया था। इसका उद्देश्य एक्वाकल्चर में शामिल लोगों, जैसे-  मछुआरे, मछली किसान, मत्स्य विशेषज्ञ और अन्य हितधारकों के प्रति के लिए समर्थन व्यक्त करना था। इसके बाद साल 2001 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की देखरेख में देश का पहला राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस समारोह मनाया गया। इस महत्वपूर्ण समारोह में मत्स्य पालन शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी संस्थान, सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ फिशरीज एजुकेशन ने भी भाग लिया था। 

नोट – वैज्ञानिकों डॉ के एच अलीकुन्ही और डॉ एच एल चौधरी द्वारा हाइपोफिजेशन का प्रदर्शन को प्रदर्शित करने की याद में हर साल राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस मनाया जाता है।

राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस का उद्देश्य

राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस मनाने का उद्देश्य देश के मत्स्य उद्योग के विकास के लिए मछली किसानों, एक्वाप्रेन्योर (जल क्षेत्र में व्यवसायी) और मछुआरों द्वारा किए गए योगदान को पहचानना है और स्थायी मत्स्य पालन स्टॉक और मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र सुनिश्चित करने के लिए, देश को अपने मत्स्य पालन संसाधनों का प्रबंधन करने के तरीके को बदलने की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।

राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस का महत्व

मत्स्य उद्योग से राष्ट्र की अर्थव्यवस्था और सामान्य विकास बहुत प्रभावित होता है। मत्स्य उद्योग, जिसे कभी नवोदित विकासशील उद्योग (sunrise sector) के रूप में जाना जाता है, विकास के माध्यम से भारी क्षमता पैदा करने की स्थिति में है जो न्यायसंगत और समावेशी दोनों है।  

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भारत के मत्स्य पालन उद्योग से जुड़े मुख्य तथ्य

  • भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है।
  • जलीय कृषि के मामले में भारत का विश्व में दूसरा स्थान है।
  • राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड के एक हालिया अनुमान के अनुसार, अकेले मछली पकड़ने के उद्योग से 334.41 अरब रुपए का निर्यात राजस्व हासिल हुआ है। इसमें 145 मिलियन लोग कार्यरत हैं, और इसका भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 7% योगदान है।
  • 2.8 करोड़ से अधिक मछुआरे, किसान, कर्मचारी, विक्रेता और अन्य लोग अपने जीवन यापन के लिए सीधे मछली पालन उद्योग पर निर्भर हैं।
  • 2014 से 2020 के बीच, सामान्य आर्थिक मंदी के बावजूद, मछली पालन उद्योग ने 10% से अधिक की वार्षिक विकास दर बनाए रखी।
  • COVID-19 महामारी का भारत के मत्स्य निर्यात पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है।
  • 2019-2020 में वैश्विक मत्स्य निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 8.0% थी। 
राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (NFDB) क्या है? 

राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (NFDB) की स्थापना 2006 में मत्स्य पालन विभाग, मत्स्य पालन मंत्रालय, पशुपालन और डेयरी, भारत सरकार के प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र के तहत एक स्वायत्त संगठन के रूप में की गई थी। 

यह स्वायत्त संगठन, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत काम करता है। इसका उद्देश्य देश में मछली उत्पादन बढ़ाने के लिए और एकीकृत और व्यापक तरीके से मत्स्य उन्नति का समन्वय करना है।

राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी) के कार्य

  • मत्स्य पालन और जलीय कृषि (उत्पादन, प्रसंस्करण, भंडारण, परिवहन और विपणन) पर विशेष ध्यान देना।

  • जलीय प्राकृतिक संसाधनों का सतत प्रबंधन और संरक्षण करना।
  • अधिक से अधिक मछली उत्पादन के लिए के लिए बुनियादी ढांचा तंत्र की स्थापना करना और उसका प्रभावी प्रबंधन करना।
  • मछली पकड़ने के उद्योग के लिए महिलाओं को प्रशिक्षित कर उन्हें सशक्त बनाना, साथ ही साथ इस क्षैत्र में बड़ी मात्रा में रोजगार सृजन करना।
  • खाद्य और पोषण सुरक्षा में मछलियों का (भोजन के रूप में) योगदान बढ़ाना।

राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी) के उद्देश्य

देश में जलीय कृषि और मत्स्य पालन से संबंधित कार्यों को पेशेवर तरीके से करने के लिए प्रोत्साहित करना।

केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों द्वारा की जाने वाली मत्स्य पालन संबंधी गतिविधियों का प्रबंधन करने के साथ-साथ राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की सरकारों के साथ समन्वय स्थापित करना।

देश में मछली पकड़ने और मछली पालन के उत्पादन का प्रसंस्करण, विपणन और भंडारण करने की क्षमता विकसित करना।

मछली के भंडार की व्यवस्था विकसित करना और प्राकृतिक जलीय संसाधनों का स्थायी प्रबंधन और संरक्षण करना।

मत्स्य पालन उत्पादकता और उत्पादन बढ़ाने के लिए जैव प्रौद्योगिकी जैसी समकालीन अनुसंधान और विकास प्रौद्योगिकियों को लागू करना।

मत्स्य पालन के बेहतर प्रबंधन और सर्वोत्तम उपयोग को सक्षम बनाने के लिए आधुनिक बुनियादी ढांचा प्रणाली विकसित करना।

रोजगार में उल्लेखनीय वृद्धि करने के लिए

मछली पकड़ने के उद्योग में महिलाओं को प्रशिक्षण और रोजगार देकर उन्हें आगे बढ़ाना।

खाद्य और पोषण सुरक्षा में मछली प्रोडक्ट के योगदान को बढ़ाना। 

विश्व मत्स्य दिवस (World Fisheries Day) 

हर साल पूरे विश्व में 21 नवंबर को विश्व मत्स्य दिवस (WFD) मनाया जाता है। यह दिवस दुनिया भर के मछुआरों, मछली किसानों और मछली पालन उद्योग से जुड़े लोगों के प्रति सम्मान और एकजुटता दर्शाने के लिए मनाया जाता है। 

विश्व मत्स्य दिवस की शुरुआत 

विश्व मत्स्य दिवस की शुरूआत साल 1997 में हुई थी। इस के लिए ‘वर्ल्ड फोरम ऑफ फिश हार्वेस्टर्स एंड फिशवर्कर्स’ (World Forum of Fish Harvesters & Fish Workers) की एक मीटिंग नई दिल्ली में हुई थी। इस दौरान 18 देशों के प्रतिनिधियों ने ‘वर्ल्ड फिशरीज़ फोरम’ (World Fisheries Forum) का गठन किया गया था। इस सभा में समुद्री और अंतर्देशीय संसाधनों की स्थिरता के लिए अत्यधिक मछली पकड़ने की गतिविधियों, आवास विनाश और अन्य गंभीर खतरों पर ध्यान आकर्षित करने और मछली पकड़ने की नीतियों के वैश्विक जनादेश की वकालत करने के लिए घोषणा पर हस्ताक्षर किए गए थे।

राष्ट्रीय मछली किसान दिवस के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

मछली किसान दिवस क्यों मनाया जाता है?

देश में पहली बार ओडिशा के अंगुल में 10 जुलाई, 1957 को प्रमुख कार्पों के सफल प्रेरित प्रजनन को प्राप्त करने में योगदान देने के लिए प्रोफेसर डॉ. हीरालाल चौधरी और उनके सहयोगी अलीकुंही की याद में हर साल यह वार्षिक कार्यक्रम मनाया जाता है।

विश्व मत्स्य दिवस क्या है?

हर साल 21 नवंबर को दुनिया भर में मछुआरा समुदाय, विश्व मत्स्य दिवस मनाते हैं। यह दिवस इस बात को रेखांकित करने के लिए मनाया जाता है कि दुनिया के मत्स्य पालन उद्योग की सुरक्षा और स्वस्थ समुद्री पारिस्थितिक तंत्र को बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है।

मछली उत्पादन में प्रथम राज्य कौन सा है ?

आंध्र प्रदेश ने अंतर्देशीय मछली (34.50 लाख टन उत्पादन) का उच्चतम उत्पादन दर्ज किया है, जबकि गुजरात देश में समुद्री मछली (7.01 लाख टन उत्पादन) में अग्रणी राज्य है।

मत्स्य वैज्ञानिक किसे कहते हैं?

मत्स्य वैज्ञानिक को इचथोलॉजिस्ट कहा जाता है। ये मछली जीव विज्ञान के सभी पहलुओं का अध्ययन करते हैं, जिसमें मछलियों की शारीरिक रचना, व्यवहार और मछलियों के अन्य जीवों के साथ व्यवहार शामिल हैं।

एमपेडा (MPEDA) का फुल फॉर्म क्या होता है?

MPEDA का फुल फार्म- मरिन प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमें अथारिटी (समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण) है। इसकी स्थापना, समुद्री उत्पादों के निर्यात के विशेष संदर्भ में, विकास को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण अधिनियम 1972 के तहत की गई थी।

जलीय कृषि क्या है और यह महत्वपूर्ण क्यों है?

जलीय कृषि (एक्वाकल्चर) का मतलब मछली, शंख और जलीय पौधों का प्रजनन, पालन-पोषण और कटाई से है। मूल रूप से इसका मतलब जल में खेती करना है।

मछली का सबसे बड़ा निर्यातक देश कौन सा है ?

मात्रा और मूल्य दोनों के संदर्भ में, चीन अभी भी समुद्री भोजन का सबसे बड़ा निर्यातक है, जिसके बाद नॉर्वे का स्थान है।

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