03 जून 2023 : समाचार विश्लेषण
A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: अर्थव्यवस्था:
D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: अंतरराष्ट्रीय संबंध:
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
अमेरिकी ऋण सीमा सौदा
विषय: भारत के हितों पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव
मुख्य परीक्षा: संभावित तौर पर अमेरिका के डिफॉल्ट होने के वैश्विक निहितार्थ
संदर्भ: संघीय ऋण सीमा को निलंबित करके यू.एस. ने पहली बार डिफ़ॉल्ट की स्थिति को टाल दिया है।
भूमिका:
- अमेरिकी सीनेटरों ने ट्रेजरी की समय सीमा से कुछ दिन पहले क्रेडिट डिफॉल्ट के जोखिम को टालते हुए, संघीय ऋण सीमा को अस्थायी रूप से निलंबित करने के पक्ष में मतदान किया है।
- अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी थी कि देश को 05 जून, 2023 तक अपने बिलों का भुगतान करने के लिए धन की कमी का सामना करना पड़ सकता है। अर्थशास्त्रियों ने राजकोषीय उत्तरदायित्व अधिनियम को पारित करने की तात्कालिकता पर भी प्रकाश डाला।
- यह कानून संघीय खर्च को कम करते हुए सरकार के उधार लेने के अधिकार को 2024 तक बढ़ाता है।
- प्रतिनिधि सभा में सुचारू रूप से पारित होने के बाद राष्ट्रपति जो बाइडेन और रिपब्लिकन के बीच हुए द्विदलीय समझौते को सीनेट में 36 के मुकाबले 63 मत प्राप्त हुआ।
अमेरिकी ऋण सीमा क्या है?
- ऋण सीमा वह राशि है जिसे अमेरिकी सरकार देश के बिलों का भुगतान करने के लिए उधार ले सकती है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका में, कांग्रेस (हाउस और सीनेट) देश को चलाने के लिए कार्यकारी शाखा के लिए बजट और धन को मंजूरी देती है।
- ऋण सीमा का मुद्दा इस तथ्य से उत्पन्न हुआ है कि संयुक्त राज्य अमेरिका 2001 से राजकोषीय घाटे में है।
- इस उधार की एक सीमा होती है जिसे समय-समय पर बढ़ाया जाता है ताकि सरकार अधिक उधार ले सके और काम करना जारी रख सके।
- यदि ऋण सीमा को बढ़ाया या निलंबित नहीं किया जाता है, तो सरकार उधार लेने और अपनी बकाया राशि का भुगतान करने में सक्षम नहीं होगी।
- अब तक ऐसी स्थिति केवल एक बार 1979 में लेखांकन त्रुटि के कारण हुई है, न कि राजनीतिक संकट के।
संभावित तौर पर अमेरिका के डिफॉल्ट होने का प्रभाव:
- अमेरिका द्वारा अपने ऋण को चुकाने में असमर्थ होने से अर्थव्यवस्था के लिए विनाशकारी परिणाम होंगे। मूडीज एनालिटिक्स के अनुसार, केवल एक सप्ताह के लिए ऋण सीमा के उल्लंघन से अमेरिकी अर्थव्यवस्था तेजी से और गंभीर रूप से कमजोर हो जाएगी, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 1.5 मिलियन नौकरियों का नुकसान होगा।
- शेयर बाजारों में बड़ी अस्थिरता के साथ, संयुक्त राज्य अमेरिका में आर्थिक मंदी की स्थिति देखी जाएगी।
- लंबे समय तक डिफ़ॉल्ट के गंभीर परिणाम हो सकते हैं और संभावित रूप से 24 ट्रिलियन डॉलर का ट्रेजरी ऋण बाजार अस्थिर हो सकता है, जिससे वित्तीय बाजारों में स्थिरता आ सकती है, और एक अंतरराष्ट्रीय संकट शुरू हो सकता है।
- दुनिया के केंद्रीय बैंकों के पास मौजूद सभी विदेशी मुद्रा भंडार में, अमेरिकी डॉलर का 58 प्रतिशत हिस्सा है।
- फेडरल रिजर्व के शोधकर्ताओं ने गणना की है कि 1999 से 2019 तक, अमेरिका में 96 प्रतिशत व्यापार अमेरिकी डॉलर में किया गया था। इसी तरह एशिया में 74 प्रतिशत व्यापार अमेरिकी डॉलर में किया गया था। यूरोप के बाहर कहीं और, जहां यूरो का प्रभुत्व है, वहां व्यापार में डॉलर की हिस्सेदारी 79 प्रतिशत है।
- डॉलर के मूल्य में वृद्धि दूसरे देशों से निवेश आकर्षित करके और डॉलर-मूल्यवर्ग के ऋणों को चुकाने की उनकी लागत को बढ़ाकर विदेशों में संकट पैदा कर सकता है।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
अर्थव्यवस्था:
उड़ीसा ट्रेन दुर्घटना: भारत में रेलवे सुरक्षा
विषय: अवसंरचना-रेलवे
मुख्य परीक्षा: भारत में रेलवे सुरक्षा के विभिन्न पैरामीटर
संदर्भ: उड़ीसा ट्रेन दुर्घटना में 70 लोगों की मौत।
भूमिका:
- 02 जून 2023 को उड़ीसा में एक बड़ी रेल दुर्घटना हुई, जिसके परिणामस्वरूप कम से कम 70 यात्रियों की मृत्यु हो गई और 350 से अधिक लोग घायल हो गए।
- चूंकि राहत और बचाव कार्य जारी है, ऐसे में मरने वालों की संख्या और अधिक बढ़ने की आशंका है।
- कोरोमंडल एक्सप्रेस, जो पश्चिम बंगाल से तमिलनाडु तक जाती है, से मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल के काम करने वाले या बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए यात्रा करने वाले लोग यात्रा करते हैं।
- इस दुर्घटना को हाल के दिनों में सबसे गंभीर दुर्घटनाओं में से एक माना जा रहा है। यह वर्ष 2013 में उड़ीसा के जाजपुर जिले में हुई पिछली दुर्घटना के समान है।
भारत में रेलवे सुरक्षा:
- भारत का रेलवे नेटवर्क दुनिया के सबसे बड़े नेटवर्क में से एक है, जो प्रतिदिन लाखों यात्रियों को सेवा प्रदान करता है। जबकि रेलवे परिवहन के लिए एक जीवन रेखा के रूप में कार्य करती है, ऐसे में यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना सर्वोपरि है।
- हालाँकि, भारतीय रेलवे प्रणाली को विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे कि पुराना हो चुका बुनियादी ढाँचा, उन्नत तकनीक की कमी, अपर्याप्त नियम और सीमित सुरक्षा जागरूकता।
- रेलवे दुर्घटनाओं में योगदान करने वाले कारक हैं- बुनियादी ढांचे की कमी, मानवीय कारक, जैसे कि ट्रेन ऑपरेटर की त्रुटियां, सिग्नल की गलत व्याख्या, थकान और लापरवाही, भीड़भाड़ और यात्रियों का व्यवहार जैसे पटरियों को अनधिकृत रूप से पार करना, उचित बैरिकेड्स की कमी, अपर्याप्त चेतावनी सिग्नल और लेवल क्रॉसिंग पर सड़क उपयोगकर्ताओं के बीच अपर्याप्त जागरूकता, तोड़फोड़ के प्रयास, बर्बरता और आतंकवादी गतिविधियां सुरक्षा जोखिम पैदा कर सकती हैं।
- अधिकांश दुर्घटनाएँ रेलगाड़ी के पटरी से उतरने (60%) के कारण हुईं हैं, इसके बाद लेवल क्रॉसिंग (33%) के कारण दुर्घटनाएँ हुईं हैं।
- पिछले एक दशक में इन दोनों कारणों से होने वाली दुर्घटनाओं में लगभग 50 प्रतिशत की कमी आई है।
- रेलवे की स्थायी समिति ने रेलवे में सुरक्षा की जांच करते समय टिप्पणी की थी कि पटरी से उतरने के प्रमुख कारणों में से एक ट्रैक या कोचों में खराबी है।
- समिति ने सिफारिश की थी कि भारतीय रेलवे को पूरी तरह से लिंके हॉफमैन बुश (LHB) कोचों का उपयोग करना चाहिए क्योंकि ये कोच पटरी से उतरने के दौरान एक-दूसरे पर अधिव्यापित नहीं होते हैं और इसलिए कम नुकसान पहुंचाते हैं।
रेलवे सुरक्षा की दिशा में सरकार की पहलें:
- भारत सरकार ने रेलवे नेटवर्क की सुरक्षा और संरक्षा को बढ़ाने के लिए एकीकृत रेलवे सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली (IRSMS) की शुरुआत की है। यह सुरक्षा के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण सुनिश्चित करने हेतु ट्रेन संचालन, रखरखाव और बुनियादी ढांचे के प्रबंधन सहित सुरक्षा से संबंधित विभिन्न कार्यों को एकीकृत करता है।
- ट्रेन सुरक्षा और चेतावनी प्रणाली (TPWS) एक ट्रेन सुरक्षा प्रणाली है जिसे भारतीय रेलवे द्वारा मानव त्रुटि या ओवरस्पीडिंग के कारण होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए लागू किया गया है। यदि ट्रेन की गति पूर्व-निर्धारित गति सीमा से अधिक हो जाती है या सिग्नल मानदंडों का उल्लंघन करती है, तो यह स्वचालित रूप से ब्रेक लगा देता है, जिससे सुरक्षा बढ़ जाती है।
- राष्ट्रीय रेल सुरक्षा कोष (RRSK) महत्वपूर्ण सुरक्षा-संबंधित बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए भारत सरकार द्वारा बनाया गया एक समर्पित कोष है। इसका उद्देश्य मानव रहित लेवल क्रॉसिंग को खत्म करना, ट्रैक और ब्रिज सुरक्षा को मजबूत करना और सिग्नलिंग सिस्टम में सुधार करना है।
- भारत सरकार ने दुर्घटनाओं के प्रति अत्यधिक प्रवण मानव रहित लेवल क्रॉसिंग को समाप्त करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इसने सड़क और रेल उपयोगकर्ताओं दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मानव रहित लेवल क्रॉसिंग को या तो रोड ओवरब्रिज या अंडरपास से बदलने का लक्ष्य रखा है।
- लिंके हॉफमैन बुश (LHB) कोच पारंपरिक कोचों की तुलना में अधिक सुरक्षित और तकनीकी रूप से उन्नत होते हैं। दुर्घटनाओं या पटरी से उतरने के दौरान यात्री सुरक्षा में सुधार के लिए भारत सरकार धीरे-धीरे पुराने कोचों को LHB कोचों से बदल रही है।
- सुरक्षा बढ़ाने के लिए भारतीय रेलवे के चुनिंदा खंडों में स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (ATP) प्रणाली लागू की जा रही है। इसमें सुरक्षित ट्रेन संचालन सुनिश्चित करने के लिए निरंतर गति की निगरानी, ओवरस्पीड सुरक्षा और आपातकालीन ब्रेकिंग जैसी विशेषताएं शामिल हैं।
- भारतीय रेलवे संभावित सुरक्षा खतरों की पहचान करने और सुधारात्मक उपाय करने के लिए नियमित रूप से सुरक्षा ऑडिट और निरीक्षण करता है। ये ऑडिट ट्रैक रखरखाव, सिग्नलिंग सिस्टम, रोलिंग स्टॉक और अन्य सुरक्षा संबंधी पहलुओं से संबंधित मुद्दों की पहचान करने और उनका समाधान करने में मदद करते हैं।
- सरकार ने ट्रेन नियंत्रण में सुधार और दुर्घटनाओं की संभावना को कम करने के लिए यूरोपीय ट्रेन नियंत्रण प्रणाली (ETCS) जैसी उन्नत सिग्नलिंग प्रणाली की तैनाती शुरू की है। ये प्रणालियां ट्रेनों और नियंत्रण केंद्रों के बीच वास्तविक समय की निगरानी और संचार को सक्षम बनाती हैं, जिससे सुरक्षा और दक्षता बढ़ती है।
सारांश:
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आगे पढ़ें, Indian Railways
संपादकीय-द हिन्दू
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतरराष्ट्रीय संबंध:
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में कार्बन की समस्या
विषय: विकसित दुनिया की नीतियों और राजनीति का प्रभाव
प्रारंभिक परीक्षा: कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (CBAM)
मुख्य परीक्षा: यूरोपीय संघ का कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (CBAM)
संदर्भ: यूरोपीय संघ की कार्बन सीमा समायोजन तंत्र।
विवरण:
- भारत यूरोपीय संघ के कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (CBAM) जिसमें भारत के कार्बन-गहन उत्पादों के निर्यात को पंगु बनाने की क्षमता है, को लेकर आशंकित है।
- भारत ने CBAM को संरक्षणवादी और भेदभावपूर्ण बताया है। भारत विश्व व्यापार संगठन (WTO) के विवाद निपटान निकाय में इस कानून को चुनौती देने पर भी काम कर रहा है।
- हालांकि, यूरोपीय संघ को भारत का निर्यात केवल 1.8% है तथा यह केवल एल्यूमीनियम, लोहा और इस्पात तक ही सीमित है।
- हालांकि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार व्यवस्था देशों को पर्यावरण की सुरक्षा के लिए एकतरफा उपायों को अपनाने की अनुमति देती है, लेकिन इसका उपयोग व्यापार संरक्षणवाद के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (CBAM):
- यूरोपीय संघ ने 2005 में उत्सर्जन व्यापार प्रणाली (ETS) को अपनाया।
- यह एक बाजार-आधारित तंत्र है जिसमें ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन को कम करने का उद्देश्य निहित है, जो कि GHG उत्सर्जित करने वाले निकायों को आपस में इन उत्सर्जन के क्रय और विक्रय करने को सक्षम बनाता है।
- ETS अब अपने चौथे चरण में है।
- यूरोपीय संघ चिंतित है कि ETS तंत्र घरेलू उद्योगों को नुकसान में डाल सकता है।
- यह इसको लेकर भी चिंतित है कि कार्बन-गहन क्षेत्रों में काम करने वाली यूरोपीय कंपनियां संभवतः कम कठोर GHG उत्सर्जन मानदंड वाले देशों में स्थानांतरित हो सकती हैं। इस घटना को ‘कार्बन रिसाव’ कहा जाता है।
CBAM पर अधिक जानकारी के लिए, यहां पढ़िए: Carbon Border Adjustment Mechanism [UPSC Notes]
विश्व व्यापार संगठन का रुख:
- विश्व व्यापार संगठन कानून गैर-भेदभाव के मौलिक सिद्धांत पर आधारित है। यह ‘समान’ उत्पादों के साथ उनके मूल देश (मोस्ट-फेवर्ड नेशन क्लॉज) से परे समान व्यवहार की सुविधा प्रदान करता है।
- देशों को विदेशी-निर्मित ‘समान’ उत्पादों के प्रति वैसी ही व्यवस्था रखने की आवश्यकता होती है, जैसा कि वे घरेलू उत्पादों (राष्ट्रीय उपचार/व्यवहार सिद्धांत) के प्रति रखते हैं।
संबद्ध चिंताएं:
- उत्पत्ति-तटस्थ होने के बावजूद, अपर्याप्त कार्बन मूल्य निर्धारण नीति के कारण CBAM से विभिन्न देशों के सामानों के बीच भेदभाव देखने को मिल सकता है।
- इसके अलावा, इस बात को लेकर चिंता है कि जिन कार्बन-गहन उत्पादों पर CBAM लागू होता है, वे ‘समान’ हैं या नहीं। उदाहरण के लिए,
- विद्युत चाप भट्ठी (Electric arc furnace) द्वारा स्टील का उत्पादन वात्या भट्ठी या ब्लास्ट फर्नेस (Blast furnace) में उत्पादित स्टील की तुलना में कम कार्बन-गहन होता है।
- इसने प्रक्रियाओं और उत्पादन विधियों के आधार पर उत्पादों की तुलना पर चर्चा-परिचर्चा को फिर से प्रज्वलित कर दिया है।
- यह तर्क दिया जाता है कि CBAM शामिल उत्सर्जन के आधार पर यूरोपीय संघ और विदेशी उत्पादों के बीच भेदभाव करके WTO कानून का उल्लंघन करता है।
- हालांकि, प्रशुल्क और व्यापार पर सामान्य समझौते (GATT) के अनुच्छेद XX में दिए गए सामान्य अपवाद खंड के तहत CBAM को सही ठहराने का दावा किया जा सकता है।
- अनुच्छेद XX के अनुसार, देशों द्वारा किए गए उपाय जो अन्यथा गैट दायित्वों का उल्लंघन करते हैं, की अनुमति है यदि:
- वे सूचीबद्ध नीति आधारों में से एक के अंतर्गत आते हैं।
- वे अनुच्छेद XX के परिचयात्मक खंड की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं, जिसे चपाऊ (chapeau) कहा जाता है।
- अनुच्छेद XX के अनुसार, देशों द्वारा किए गए उपाय जो अन्यथा गैट दायित्वों का उल्लंघन करते हैं, की अनुमति है यदि:
- टिप्पणीकारों का तर्क है कि CBAM केवल ‘स्पष्ट’ कार्बन कीमतों पर विचार करता है और कुछ देशों में उत्पन्न होने वाले उत्पादों द्वारा वहन की गई ‘निहित’ लागत (गैर-मूल्य-आधारित लागत) को शामिल नहीं करता है।
- यह समान पर्यावरणीय परिस्थितियों वाले देशों के बीच भी मनमाने ढंग से भेदभाव करता है।
साथ ही, इसे भी पढ़िए: UPSC Exam Comprehensive News Analysis. May 10th, 2023 CNA. Download PDF
निष्कर्ष:
भारत को CBAM पर लाभ सुरक्षित करने और द्विपक्षीय व्यापार के माध्यम से भारतीय निर्यातकों के लाभों को अधिकतम करने में मदद करने के लिए यूरोपीय संघ के साथ विचार-विमर्श करना चाहिए।
संबंधित लिंक:
UPSC Exam Comprehensive News Analysis. May 18th, 2023 CNA. Download PDF
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
अच्छा और बुरा
विषय: विज्ञान और प्रौद्योगिकी का अनुप्रयोग
प्रारंभिक परीक्षा: कृत्रिम बुद्धिमत्ता
मुख्य परीक्षा: जेनरेटिव AI और संबंधित चिंताएं
भूमिका:
- जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) उस प्रकार के AI को संदर्भित करता है जो नया डाटा तैयार कर सकता है। वर्तमान में, इसका उपयोग उपयोगकर्ताओं के अनुरोध पर विषय, छवि और कोड तैयार करने के लिए किया जा रहा है।
- उदाहरण के लिए, OpenAI का ChatGPT चैटबॉट मिमिकिंग इंटेलिजेंस बड़े पैमाने पर जेनरेटिव AI की क्षमताओं का पर्याय बन गया है।
- न्यूरल नेटवर्क द्वारा समर्थित और बड़े डेटासेट के माध्यम से प्रशिक्षित AI मॉडल का उपयोग नए एंटीबायोटिक्स, मिश्र धातु आदि खोजने के लिए किया गया है। इसका उपयोग मनोरंजन और कई साधारण कार्यों के लिए भी किया गया है।
- कई आलोचकों ने आगाह किया है कि “महामारी और परमाणु युद्ध जैसे अन्य सामाजिक-स्तर के जोखिमों के साथ-साथ AI से अस्तित्व मिट जाने के जोखिम को कम करना एक वैश्विक प्राथमिकता होनी चाहिए।”
साथ ही, इसे भी पढ़िए: ChatGPT [UPSC Notes]
संबद्ध चिंताएं:
- AI मॉडल के आंतरिक कामकाज की रहस्यमयता।
- कॉपीराइट डेटा का उपयोग तथा मानवीय गरिमा और गोपनीयता से जुड़ी चिंताएँ।
- गलत सूचना भी एक गंभीर मुद्दा है।
- यह तर्क दिया जाता है कि नए कामकाजी मॉडल उपरोक्त जोखिमों की उपेक्षा करते हैं।
भावी कदम:
- जेनरेटिव AI को विनियमित करना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह देश के लिए गंभीर जोखिम पैदा कर सकता है।
- भारत सरकार को निम्नलिखित पहलें करनी चाहिए:
- एक ओपन-सोर्स AI रिस्क प्रोफाइल को सक्रिय रूप से लॉन्च करना और बनाए रखना।
- संभावित उच्च जोखिम वाले AI मॉडल का परीक्षण करने के लिए सैंडबॉक्स वाले अनुसंधान एवं विकास (R&D) परिवेश स्थापित करना।
- व्याख्या योग्य AI के विकास को प्रोत्साहित करना।
- हस्तक्षेप के परिदृश्य और दृष्टिकोण को परिभाषित करना।
संबंधित लिंक:
Artificial Intelligence Conundrum: Sansad TV Perspective Discussion of 12th Apr 2023
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
- ओवर-द-टॉप (OTT) के लिए सैटेलाइट बैंडविड्थ
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
प्रारंभिक परीक्षा: भारत में OTT प्लेटफॉर्म;
संदर्भ: ओवर-द-टॉप स्ट्रीमिंग की प्रमुख कंपनियों ने भारत में सैटेलाइट बैंडविड्थ के उपयोग में वृद्धि की वकालत की है।
भूमिका:
- नेटफ्लिक्स, अमेज़ॅन और डिज़नी+ हॉटस्टार जैसी प्रमुख OTT स्ट्रीमिंग कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाले एशिया वीडियो इंडस्ट्री एसोसिएशन (AVIA) ने भारत में सैटेलाइट बैंडविड्थ के उपयोग में वृद्धि की वकालत की है।
- AVIA ने इस बात पर जोर दिया है कि लाखों भारतीय मनोरंजन, सूचना, शिक्षा और धार्मिक भागीदारी सहित विभिन्न उद्देश्यों के लिए मीडिया उद्योग पर निर्भर हैं और इन उपभोक्ताओं तक पहुंचने के लिए उपग्रह आधारित वितरण महत्वपूर्ण है।
- AVIA ने चिंता व्यक्त की है कि सैटेलाइट फ्रीक्वेंसी की नीलामी और एक उपयोगकर्ता को विशेष अधिकार देने से मौजूदा व्यापक पुन: उपयोग कम हो जाएगा और भारत के उपलब्ध स्पेक्ट्रम संसाधनों में काफी कमी आएगी।
- इसके बजाय, AVIA ने सरकार से सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सिस्टम को बढ़ावा देने का आग्रह किया है, जिसमें इंटरनेट से जुड़े उपग्रहों के समूह का उपयोग दूरस्थ क्षेत्रों तक इंटरनेट पहुंच प्रदान करने के लिए किया जाता है।
- वर्तमान में, भारत मुख्य रूप से लक्षद्वीप जैसे स्थानों में “बैकहॉल” (backhaul) के रूप में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड का उपयोग करता है, जो अभी तक स्थलीय नेटवर्क या समुद्री केबल से जुड़े नहीं हैं।
OTT के लिए सैटेलाइट बैंडविड्थ का महत्व:
- सैटेलाइट उच्च बैंडविड्थ क्षमता प्रदान करते हैं, जिससे डेटा की तेज़ और अधिक विश्वसनीय स्ट्रीमिंग हो पाती है। यह बफ़रिंग या रुकावट का अनुभव किए बिना उच्च-गुणवत्ता वाले वीडियो, फिल्म और टीवी शो को स्ट्रीम करने में मदद करता है।
- सैटेलाइट एक विस्तृत भौगोलिक क्षेत्र में कवरेज प्रदान कर सकते हैं, जिससे दूरस्थ और ग्रामीण स्थानों में स्ट्रीमिंग सुलभ हो सकती है जहाँ पारंपरिक इंटरनेट बुनियादी ढाँचा सीमित है।
- मांग के आधार पर सैटेलाइट बैंडविड्थ को आसानी से बढ़ाया या घटाया जा सकता है। स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म अपने उपयोगकर्ताओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने बैंडविड्थ आवंटन को समायोजित कर सकते हैं और चरम उपयोग अवधि के दौरान भी एक सहज स्ट्रीमिंग अनुभव सुनिश्चित कर सकते हैं।
- सैटेलाइट एक वैश्विक पदचिह्न प्रदान करता है, जिससे स्ट्रीमिंग सेवाओं को दुनिया भर के दर्शकों तक पहुंचने में सक्षम बनाया जाता है। यह सामग्री निर्माताओं और वितरकों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है जो स्थानीय बुनियादी ढांचे पर निर्भरता किए बिना वैश्विक दर्शकों तक अपनी पहुंच का विस्तार करना चाहते हैं।
- सैटेलाइट बैंडविड्थ हाई-डेफिनिशन और यहां तक कि अल्ट्रा-हाई-डेफिनिशन स्ट्रीमिंग को सुलभ बना सकता है, जो दर्शकों को एक व्यापक और विस्तृत स्ट्रीमिंग अनुभव प्रदान कर सकताहै।
आगे पढ़ें: Satellite Communication in India
महत्वपूर्ण तथ्य:
- समवत/डीम्ड विश्वविद्यालयों के लिए नए नियम:
- केंद्र सरकार ने डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा देने के लिए नए दिशानिर्देशों की घोषणा की।
- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने 2019 के पिछले नियमों की जगह यूजीसी (समवत विश्वविद्यालय संस्थान) विनियम, 2023 पेश किया है।
- यूजीसी अधिनियम 1956 में प्रावधान है कि केंद्र सरकार विश्वविद्यालय के अलावा किसी भी संस्थान को समवत विश्वविद्यालय संस्थान का दर्जा प्रदान करने की घोषणा कर सकती है,जिसमें उसे धारा 2 (f) के अर्थ में एक विश्वविद्यालय माना गया हो।
- ऐसा संस्थान घोषणा किए जाने पर समवत विश्वविद्यालय माना जाएगा।
- नए नियमों का उद्देश्य 2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उद्देश्यों के अनुरूप पारदर्शी तरीके से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर केंद्रित अधिक डीम्ड विश्वविद्यालयों की स्थापना की सुविधा प्रदान करके उच्च शिक्षा में गुणवत्ता, उत्कृष्टता, अनुसंधान को बढ़ावा देना है।
- डीम्ड यूनिवर्सिटी दर्जे के लिए आवेदन करने के पात्रता मानदंड को संशोधित किया गया है, जिसके लिए संस्थानों को NAAC ग्रेडिंग, NIRF रैंकिंग और NBA मान्यता जैसी विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने की आवश्यकता है।
- बीमा वाहक:
- भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने बीमा वाहक- बीमा समावेशन और भारत में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक पहल- के लिए मसौदा दिशानिर्देश जारी किए हैं।
- बीमा वाहक, जिन्हें “बीमा स्वयंसेवक” के रूप में भी जाना जाता है, का लक्ष्य देश भर में भौगोलिकस्थिति के निरपेक्ष बीमा कवरेज का विस्तार करना है।
- दिशानिर्देश में बीमा की पहुंच और उपलब्धता में सुधार के लिए ग्राम पंचायतों के भीतर एक समर्पित वितरण चैनल स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
- दो प्रकार के बीमा वाहकों को परिभाषित किया गया है: कॉर्पोरेट बीमा वाहक (बीमाकर्ताओं द्वारा पंजीकृत संस्थाएँ) और व्यक्तिगत बीमा वाहक (बीमाकर्ताओं या कॉर्पोरेट बीमा वाहकों द्वारा नियुक्त)।
- बीमाकर्ता बीमा व्यवसाय, पॉलिसी और दावों के निपटान के लिए बीमा वाहकों को संलग्न कर सकते हैं, लेकिन उनके कार्यों के लिए पूरी जिम्मेदारी उनकी होगी।
- दिशानिर्देशों में नियुक्ति, प्रशिक्षण, आचार संहिता, प्रौद्योगिकी उपयोग और डेटा प्रबंधन के लिए विभिन्न आवश्यकताओं और नीतियों को कवर किया गया है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- सांची के विशाल स्तूप को यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया है। इसे सम्राट अशोक के शासनकाल में बनवाया गया था।
- अशोक ने बौद्ध धर्म के बारे में सिर्फ अपने सह-धर्मावलंबी से चर्चा की, दूसरों से नहीं।
- द्वितीय बौद्ध संगीति का आयोजन अशोक के संरक्षण में हुआ था।
उपर्युक्त कथनों में से कितना/कितने सही है/हैं?
- केवल एक
- केवल दो
- सभी तीन
- इनमें से कोई नहीं
उत्तर: (b)
व्याख्या:
- कथन 01 सही है, विशाल स्तूप और सांची के अन्य बौद्ध स्मारकों को सामूहिक रूप से 1989 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित किया गया था। विशाल स्तूप (जिसे स्तूप संख्या 1 भी कहा जाता है) मूल रूप से मौर्य सम्राट अशोक द्वारा तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में बनाया गया था और इसे बुद्ध के अवशेष के लिए जाना जाता है।
- कथन 02 सही है, राजा अशोक ने बौद्ध धर्म के बारे में केवल अपने सह-धर्मावलंबी से चर्चा की, दूसरों से नहीं। उन्होंने सभी धार्मिक संप्रदायों के प्रति सम्मान की नीति अपनाई और उन्हें अपने स्वयं के सिद्धांतों के अनुसार जीने की पूर्ण स्वतंत्रता की गारंटी दी, लेकिन अशोक ने उनसे “अपनी आंतरिक योग्यता की वृद्धि” के लिए स्वयं के स्तर पर प्रयास करने का भी आग्रह किया।
- कथन 03 गलत है, दूसरी बौद्ध संगीति का आयोजन शिशुनाग वंश के राजा कालाशोक के संरक्षण में किया गया था। यह 383 ईसा पूर्व यानी बुद्ध की मृत्यु के सौ साल बाद हुआ था।
भारत में विश्व विरासत स्थलों पर और जानकारी के लिए इसे पढ़िए: World Heritage Sites in India
प्रश्न 2. बीमा क्षेत्र के संदर्भ में, निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए:
- बीमा सुगम- एक ऑनलाइन पोर्टल जो बीमा संबंधी सभी प्रश्नों के लिए वन-स्टॉप शॉप है।
- बीमा वाहक- उन्हें सरल पैरामीट्रिक बंडल बीमा उत्पादों को बेचने और सेवा प्रदान करने का काम सौंपा गया है।
- बीमा विस्तार- एक सामाजिक सुरक्षा जाल उत्पाद जो अभी तक उपयोग में नहीं आए भौगोलिक क्षेत्रों को लक्षित करता है।
उपर्युक्त युग्मों में से कितना/कितने सुमेलित है/हैं?
- केवल एक
- केवल दो
- सभी तीन
- इनमें से कोई नहीं
उत्तर: (c)
व्याख्या:
- बीमा सुगम- यह एक ऑनलाइन पोर्टल है जो बीमा संबंधी सभी प्रश्नों, पॉलिसी खरीद, दावा निपटान और बीमा सलाह के लिए वन-स्टॉप शॉप है। इसकी परिकल्पना IRDAI द्वारा एक विश्वसनीय मंच के रूप में की गई है।
- बीमा वाहक- बीमा वाहक, जिन्हें “बीमा स्वयंसेवक” के रूप में भी जाना जाता है, का लक्ष्य देश भर में भौगोलिक स्थिति से परे बीमा कवरेज का विस्तार करना है।
- बीमा विस्तार एक सामाजिक सुरक्षा जाल उत्पाद है जो अभी तक उपयोग में नहीं आए भौगोलिक क्षेत्रों को लक्षित करता है। इसका विकास बाढ़ और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में ग्रामीण आबादी के लिए एक किफायती, सुलभ और व्यापक कवर के रूप में किया गया है।
प्रश्न 3. निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (स्तर – मध्यम)
- प्रथम विधि आयोग की स्थापना 1833 के चार्टर अधिनियम के तहत ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा की गई थी।
- विधि आयोग द्वारा रिपोर्ट में की गई सिफारिशें बाध्यकारी होती हैं।
विकल्प:
- केवल 1
- केवल 2
- दोनों
- इनमें से कोई नहीं
उत्तर: (a)
व्याख्या:
- कथन 01 सही है, प्रथम विधि आयोग की स्थापना 1833 के चार्टर अधिनियम के तहत ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा की गई थी।
- कथन 02 गलत है, विधि आयोग की सिफारिशें बाध्यकारी नहीं होती हैं।
प्रश्न 4. मौद्रिक नीति समिति (MPC) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- यह RBI की बेंचमार्क ब्याज दरें तय करती है।
- यह RBI के गवर्नर सहित 12 सदस्यों वाला निकाय है और हर साल इसका पुनर्गठन किया जाता है।
- यह केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता में कार्य करता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
- केवल 1
- केवल 2 और 3
- केवल 1 और 3
- 1, 2 और 3
उत्तर: (a)
व्याख्या:
- कथन 01 सही है, मौद्रिक नीति समिति (MPC) मुद्रास्फीति लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक बेंचमार्क ब्याज दरों का निर्धारण करती है।
- कथन 02 गलत है, समिति में 6 सदस्य (अध्यक्ष सहित) होते हैं: तीन RBI अधिकारी और 3 सरकार द्वारा मनोनीत बाहरी सदस्य। सरकार द्वारा मनोनीत सदस्य चार साल की अवधि के लिए या अगले आदेश जारी होने तक, जो भी पहले हो, पद पर बने रहेंगे।
- कथन 03 गलत है, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर MPC के अध्यक्ष होते हैं।
प्रश्न 5. एक नाभिकीय रिऐक्टर में भारी जल का क्या कार्य होता है? (स्तर:कठिन) (PYQ-CSE-2011)
(a) न्यूट्रॉन की गति को कम करना
(b) न्यूट्रॉन की गति को बढ़ाना
(c) रिऐक्टर को ठंडा करना
(d) नाभिकीय क्रिया को रोकना
उत्तर : (a)
व्याख्या: न्यूट्रॉन मंदक के रूप में परमाणु रिएक्टरों में भारी जल का प्रयोग होता है, जिससे न्यूट्रॉन की उत्पत्ति धीमी हो जाती है और विखंडन प्रतिक्रिया में स्थिरता आता है। भारी जल एक उत्कृष्ट मंदक है क्योंकि यह उच्च तापमान पर काम कर सकता है और न्यूट्रॉन द्वारा इसके अवशोषण की कम संभावना होती है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. हाल के सभी उपायों के बावजूद भारत में रेलवे सुरक्षा एक प्रमुख चिंता बनी हुई है। समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक) (GSIII-अर्थव्यवस्था/आपदा प्रबंधन)
प्रश्न 2. जेनरेटिव AI के उद्भव से उत्पन्न होने वाले जोखिम और चिंताएं क्या हैं? परीक्षण कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक) (GSIII – विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी)