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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 10 February, 2023 UPSC CNA in Hindi

10 फरवरी 2023 : समाचार विश्लेषण

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:

  1. रूस-यूक्रेन युद्ध में चीन का रुख:

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

  1. भारत-फ्रांस साझेदारी:

अर्थव्यवस्था:

  1. भारत को एक दुःस्थान बनने से बचना चाहिए:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान-D2:

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. मैंग्रोव को बायपास करने के लिए बुलेट ट्रेन परियोजना सुरंग की लागत ₹10,000 करोड़ होगी:
  2. अमेरिका, भारत पर रूस से तेल खरीदने पर प्रतिबंध नहीं लगाएगा: वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

रूस-यूक्रेन युद्ध में चीन का रुख:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: विकसित एवं विकासशील देशों की नीतियां और राजनीति का प्रभाव।

मुख्य परीक्षा: रूस-यूक्रेन संघर्ष में चीन की भूमिका एवं उसका रुख और इसके पीछे के तर्क।

प्रसंग:

  • इस लेख में चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध में चीन के रुख और भूमिका की जांच और विश्लेषण किया गया है।

रूस-यूक्रेन युद्ध पर चीन का रुख:

  • चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध पर चीन का आधिकारिक रुख यह रहा है कि “सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिए” और “उन सभी प्रयासों को समर्थन दिया जाना चाहिए जो संकट को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने की कोशिश कर रहे हैं”।
  • चीन विभिन्न वैश्विक बहुपक्षीय संस्थानों में इस रुख को दोहराता रहा है।
  • ऐसा लगता है कि चीन “सभी देशों” शब्द पर जोर देकर खुद को दोनों युद्धरत देशों से समान रूप से अलग प्रदर्शित कर रहा है।
  • हालाँकि, इस प्रदर्शन के बावजूद विभिन्न विशेषज्ञों द्वारा संघर्ष पर चीन के रुख को “रूस समर्थक तटस्थता” माना गया है।
  • इसके अलावा रूस के खिलाफ पश्चिम द्वारा संयुक्त राष्ट्र महासभा, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) जैसे वैश्विक संस्थानों में मतदान के लिए रखे गए सात प्रस्तावों में से तीन में चीन ने इसके खिलाफ मतदान किया है और अन्य चार प्रस्तावों के मतदान में भाग नहीं लिया है।
  • हालांकि चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जिसमें रूस द्वारा मानवीय सहायता पर लाए गए प्रस्ताव का उल्लेख किया गया था।
  • यह सर्वविदित है कि रूस और चीन “एक नए युग के लिए समन्वय की व्यापक रणनीतिक साझेदारी” में शामिल हैं और चल रहे युद्ध के दौरान भी चीन रूस के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए आगे बढ़ रहा है।
  • इसके अलावा, चीन ने कई मौकों पर अमेरिका और नाटो को रूस-यूक्रेन संकट को भड़काने वाले बताकर रूस के रुख का समर्थन किया है।
  • इसलिए चीन के तटस्थ होने के दावे में कई विसंगतियां देखी जा रही हैं।

युद्ध में चीन का शामिल होना:

  • रूस-यूक्रेन संघर्ष में चीन की अब तक की कार्रवाइयाँ प्रत्यक्ष न होकर अप्रत्यक्ष रही हैं।
  • संघर्ष की शुरुआत के बाद से ही रूस से सस्ती कीमतों पर तेल और गैस की खरीद से चीन को काफी फायदा हुआ है।
  • चीन ने जर्मनी को रूसी तेल के सबसे बड़े खरीदार के रूप में प्रतिस्थापित किया है और रूस ने सऊदी अरब को चीन के कच्चे तेल के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता के रूप में विस्थापित किया है।
  • तेल, गैस और हाइड्रोकार्बन के अलावा चीन और रूस के बीच सहयोग सामग्री एवं प्रौद्योगिकी तक का आदान-प्रदान बढ़ा हैं।
  • वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार, चीन ने C4ADS नाम के एक अमेरिकी थिंक टैंक द्वारा संकलित रूसी सीमा शुल्क डेटा तक पहुंच प्रदान करके रूस को गुप्त समर्थन दिया था।
  • रिपोर्टों से यह भी पता चलता है कि चीन के रक्षा क्षेत्र के राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों ने नेविगेशन उपकरण, जैमिंग तकनीक, रडार सिस्टम और लड़ाकू-जेट पार्ट्स को रूस भेज दिया है।
  • रिपोर्टों में यह भी दावा किया गया है कि चीन ने लाखों चिप्स नष्ट कर दिए थे जो आधुनिक सैन्य उपकरणों का एक महत्वपूर्ण घटक है।
  • इसके अलावा यह कहा जा रहा है कि चीन द्वारा रूस को दोहरे उपयोग के सामानों की हजारों खेप भेजी गई हैं जो लगाए गए प्रतिबंधों के कारण या अन्य प्रकार से प्रतिबंधित थीं।
  • अमेरिका ने हाल ही में “स्पेसीटी चाइना” नामक चीन की एक उपग्रह कंपनी पर प्रतिबंध भी लगाया है। जो अप्रत्यक्ष रूप से “वैगनर ग्रुप” नामक एक रूसी निजी सैन्य बल को यूक्रेन की उपग्रह इमेजरी प्रदान कर रहा था।
  • हालाँकि, चीन ने इस तरह के आरोपों को खारिज कर दिया है और माना है कि इस तरह की खबरे सिर्फ अटकलें हैं।
  • चीन रूस को यह सहायता ऐसे समय में दे रहा है जब चीन खुद यह मांग कर रहा है कि पश्चिमी देश यूक्रेन को सैन्य सहायता न भेजें क्योंकि इससे जारी संघर्ष तेज हो रहा है।
  • रूस-यूक्रेन युद्ध से संबंधित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: Russia-Ukraine war

रुख में बदलाव:

  • जैसे-जैसे युद्ध आगे बढ़ रहा है, चीनी रुख में बदलाव होता दिख रहा है।
  • चीन के राष्ट्रपति ने नवंबर 2022 में जर्मन चांसलर के साथ अपनी बैठक के दौरान यूक्रेन को रूसी राष्ट्रपति के परमाणु खतरों का जिक्र करते हुए कहा था कि युद्ध को परमाणु सीमा को पार नहीं करना चाहिए।
  • इसके अलावा चीनी विदेश मंत्री ने एक लेख में कहा था कि यदि चीन को युद्ध के कारण होने वाले संकट के बारे में पता होता, तो चीन युद्ध को रोकने की कोशिश करता।
  • इसके अतिरिक्त चीनी सरकार के पदानुक्रम में कई नेता हैं जिन्होंने रूस के कार्यों की आलोचना की है।
  • नवंबर 2022 में बाली में आयोजित G-20 शिखर सम्मेलन के दौरान भी, युद्ध के संदर्भ में नेताओं के घोषणापत्र में G-20 के अधिकांश सदस्यों ने युद्ध की कड़ी निंदा की थी, केवल चीन द्वारा इस घोषणापत्र का समर्थन नहीं किया गया था, क्योंकि चीन को इस संघर्ष को “युद्ध” कहे जाने पर आपत्ति थी।
  • लेकिन चीन ने यहाँ केवल “युद्ध” शब्द के प्रयोग का विरोध किया और स्वयं संघर्ष की निंदा का विरोध नहीं किया।

भावी कदम:

  • रूस को चीन का सीधा समर्थन यूक्रेन के साथ-साथ यूरोपीय संघ (EU) के साथ उसके संबंधों को प्रभावित करेगा।
  • चीन रूस और यूक्रेन दोनों का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार देश है। जबकि यूक्रेन चीन का सबसे बड़ा मक्का आपूर्तिकर्ता देश है।
  • इसके अलावा, यूक्रेन चीन को सैन्य उपकरणों का तीसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता देश है और यूक्रेन चीन से रक्षा सामानों का सबसे बड़ा खरीददार देश है।
  • चीन का पहला विमानवाहक पोत, लिओनिंग, सोवियत संघ के विघटन के बाद यूक्रेन से खरीदा गया एक नवीनीकृत विमानवाहक पोत है।
  • वर्तमान में चीन के यूरोपीय संघ के साथ भी मजबूत आर्थिक संबंध हैं और वह इन संबंधों को जोखिम में नहीं डाल सकता।
  • चीन के लिए यह सुनिश्चित करना भी महत्वपूर्ण है कि रूस उसका करीबी सहयोगी बना रहे क्योंकि वैश्विक महाशक्ति के रूप में अमेरिका को विस्थापित करने की इसकी बड़ी वैश्विक महत्वाकांक्षा में रूस चीन का प्रमुख सहयोगी है।
  • इतना ही नहीं, चीन रूसी कार्ड का इस्तेमाल व्यापार और तकनीकी मोर्चों पर पश्चिम से रियायतें हासिल करने के लिए भी कर सकता है।
  • युद्ध ने चीन को रूस में पश्चिमी निवेश और प्रौद्योगिकी के वापस जाने पर उसका स्थान लेने का अवसर प्रदान किया है।
  • यूक्रेन में लंबे समय से चल रहे संघर्ष के कारण पश्चिमी देशों का हिंद-प्रशांत क्षेत्र से ध्यान हट गया है, जिससे चीन को इस क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने का अवसर मिल गया है।

सारांश:

  • रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हुए लगभग एक साल हो गया है और अभी भी युद्ध की तीव्रता कम होने या समाप्त होने के कोई संकेत नजर नहीं आ रहे हैं। इस संदर्भ में विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में अमेरिका के साथ शत्रुता की अपरिहार्य अवधि के लिए खुद को तैयार करने के लिए रूस और पश्चिम को विभाजित रखना चीन के हित में है।

संपादकीय-द हिन्दू

संपादकीय:

भारत-फ्रांस साझेदारी:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: फ्रांस के साथ द्विपक्षीय संबंध।

मुख्य परीक्षा: महामारी के बाद की दुनिया में भारत-फ्रांस साझेदारी का महत्व।

प्रसंग:

  • भारत-फ्रांस के बीच रणनीतिक साझेदारी के 25 साल।

भूमिका:

  • फ्रांस के साथ भारत की साझेदारी साझा मूल्यों और लक्ष्यों पर आधारित है। दोनों ने 26 जनवरी, 2023 को अपनी रणनीतिक साझेदारी के 25 साल पूरे होने का जश्न मनाया।
  • दोनों देशों ने 1998 में एक रणनीतिक साझेदारी और 1999 में एक रणनीतिक वार्ता पर हस्ताक्षर किए थे।
  • रणनीतिक साझेदारी गहरे और निरंतर आपसी विश्वास, रणनीतिक स्वायत्तता में स्थायी विश्वास, अंतर्राष्ट्रीय कानून के प्रति प्रतिबद्धता के आधार पर टिकी हुई है।
  • दोनों लोकतंत्र के साझा मूल्यों, मौलिक स्वतंत्रता, कानून के शासन और मानवाधिकारों के सम्मान के लिए प्रतिबद्ध हैं।
  • रक्षा, समुद्री, आतंकवाद और हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में उच्च स्तरीय भारत-फ्रांस राजनीतिक वार्ता चल रही है।
    • दोनों देश अब डिजिटलीकरण, साइबर, हरित ऊर्जा, एक नीली अर्थव्यवस्था, समुद्र विज्ञान और अंतरिक्ष जैसे मुद्दों में सहयोग के साथ आगे बढ़ रहे हैं।

भारत और फ्रांस के बीच व्यापार:

  • 2021-22 में 12.42 बिलियन डॉलर के वार्षिक व्यापार के साथ फ्रांस भारत के एक प्रमुख व्यापारिक भागीदार के रूप में उभरा है।
  • फ़्रांस अप्रैल 2000 से जून 2022 तक 10.31 बिलियन डॉलर के संचयी निवेश के साथ भारत में 11वां सबसे बड़ा विदेशी निवेशक है, जो भारत में कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्रवाह का 1.70% है।
  • उच्चतम FDI इक्विटी प्रवाह सेवा क्षेत्र (18.17%) में है, दूसरे स्थान पर सीमेंट और जिप्सम उत्पाद (9.43%) हैं, इसके बाद हवाई परिवहन (हवाई माल-परिवहन सहित) (7.72%), विविध उद्योग (7.38%) और पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस (7.22%) हैं।
    • ये पांच क्षेत्र अप्रैल 2000 से जून 2022 तक फ्रांस से कुल इक्विटी प्रवाह का 49.92% प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • आर्थिक और तकनीकी सहयोग के लिए भारत-फ्रांस संयुक्त समिति (JCETC) की स्थापना 26 जनवरी, 1976 को हुई थी, जो आर्थिक और तकनीकी क्षेत्र में सहयोग के लिए प्रमुख संस्थागत तंत्र है।
  • भारत में फ्रांसीसी कंपनियों और फ्रांस में भारतीय कंपनियों के लिए फास्ट-ट्रैक सिस्टम स्थापित करने के लिए एक संयुक्त घोषणा पर भी हस्ताक्षर किए गए, जिसे दिसंबर 2020 के अंत तक चालू किया जाना था।
  • कृषि और खाद्य प्रसंस्करण, आईटी और दूरसंचार, सड़क, सतत शहरी विकास और ऊर्जा सहित आर्थिक सहयोग के विशिष्ट पहलुओं से निपटने के लिए समझौता ज्ञापनों के माध्यम से वरिष्ठ आधिकारिक स्तर पर संयुक्त कार्य समूह (JWGs) भी गठित किए गए हैं।

रक्षा साझेदारी:

  • फ्रांस भारत के लिए एक प्रमुख रक्षा भागीदार है, यह 2017- 2021 में दूसरा सबसे बड़ा रक्षा आपूर्तिकर्ता है।
  • फ्रांस महत्वपूर्ण रक्षा सौदों और सेना से सैन्य जुड़ाव में वृद्धि के साथ भारत के लिए एक प्रमुख रणनीतिक साझेदार के रूप में उभरा है।
  • भारत ने 2005 के प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते के तहत भारत में निर्मित फ्रांसीसी स्कॉर्पीन पारंपरिक पनडुब्बियों को शामिल किया है।
  • दिसंबर 2022 में भारतीय वायुसेना को 36 राफेल लड़ाकू विमान मिले।
  • गुजरात के वड़ोदरा में C-295 सामरिक परिवहन विमान के निर्माण के लिए टाटा समूह एयरबस के साथ सहयोग कर रहा है।
    • फ्रांस के साथ एक संयुक्त उद्यम में अन्य नागरिक और सैन्य विमान निर्माण में इस लाइन का विस्तार होने की उम्मीद है।
  • दोनों देशों के पास सैन्य संवाद का एक मजबूत नेटवर्क भी है और दोनों देश नियमित रूप से संयुक्त अभ्यास – वरुण (नौसेना), गरुड़ (वायु सेना), और शक्ति (Shakti ) (थल सेना) आयोजित करते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय मंच पर सहयोग:

  • दोनों देशों ने अपने सहयोग को गहरा और विस्तारित करने का प्रयास किया है क्योंकि वैश्विक भू-राजनीतिक प्रणाली में जटिलताएं विकसित हुई हैं।
  • फ्रांस उन पहले देशों में शामिल था जिनके साथ भारत ने असैन्य परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
  • 1998 के परमाणु परीक्षणों के बाद अप्रसार क्रम में भारत के अलगाव को सीमित करने में फ्रांस ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
  • फ्रांस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council) की स्थायी सदस्यता के साथ-साथ परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (Nuclear Suppliers Group) में प्रवेश के लिए भारत की दावेदारी का भी समर्थन करता है।
  • भारत ने जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के प्रति अपनी मजबूत प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए पेरिस समझौते (Paris Agreement) में फ्रांस का समर्थन किया है।
  • भारत और फ्रांस ने जलवायु परिवर्तन पर अपने संयुक्त प्रयासों के तहत 2015 में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance) की शुरुआत की है।
  • दोनों देश चल रहे यूक्रेन युद्ध (Ukraine war) में रचनात्मक भूमिका निभाने के लिए समन्वय स्थापित करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।
  • दोनों देशों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में असंतुलन को रोकने के लिए सहयोग करने की प्रतिबद्धता जताई है।
  • क्षेत्रीय और विश्व स्तर पर चीन के उभार और उसके आक्रामक व्यवहार के बारे में दोनों देशों की साझा चिंताएँ हैं।

समुद्री संबंध:

  • भारत और फ्रांस हिंद महासागर और हिंद-प्रशांत क्षेत्र की रेजिडेंट शक्तियाँ हैं।
  • 2018 में, दोनों देशों ने “हिंद महासागर क्षेत्र में भारत-फ्रांस सहयोग की संयुक्त रणनीतिक दृष्टि” का स्वागत किया, जिसने संबंधों को मजबूत करने के लिए एक खाका प्रस्तुत किया था।
  • परिचालन रूप से, हिंद महासागर में फ्रांसीसी और भारतीय जहाजों द्वारा संयुक्त गश्त, नई दिल्ली की उन सहयोगियों के साथ काम करने की इच्छा दिखाती है जो वहां अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए अपने लक्ष्यों को साझा करते हैं।
  • समुद्री सुरक्षा को और गति मिली है क्योंकि दोनों देशों ने एक स्वतंत्र, निष्पक्ष और खुले हिंद-प्रशांत के लिए अपना साझा विज़न व्यक्त किया है।
  • दोनों देश हिंद-प्रशांत के लिए एक व्यापक रणनीति साझा करते हैं जिसका उद्देश्य समुद्री सुरक्षा, क्षेत्रीय सहयोग और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन के लिए व्यापक समाधान प्रदान करना है।
    • भारत और फ्रांस सितंबर 2022 में एक हिंद-प्रशांत त्रिपक्षीय विकास सहयोग कोष स्थापित करने पर भी सहमत हुए जो इस क्षेत्र के देशों के लिए स्थायी अभिनव समाधानों का समर्थन करेगा।
  • दोनों ने संयुक्त अरब अमीरात के साथ अफ्रीका के पूर्वी तट से सुदूर प्रशांत तक समुद्री डोमेन जागरूकता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक त्रिपक्षीय समूह का गठन किया है।

सारांश:

  • महामारी के बाद की दुनिया में, भारत और फ्रांस ने अपने सहयोग को और गहरा करके, उभरती चुनौतियों का सामना करने के लिए नए डोमेन में इसका विस्तार करके और अपनी अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी को व्यापक बनाकर रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखने और भविष्य के लिए एक साथ तैयार होने की अपनी प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की है।

भारत-फ्रांस संबंधों के बारे में अधिक जानकारी के लिए: India-France Relations

भारत को एक दुःस्थान बनने से बचना चाहिए:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था:

विषय:भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।

मुख्य परीक्षा: भारत के आर्थिक विकास के परिणाम।

प्रसंग:

  • इस लेख में भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास और उसके परिणामों पर चर्चा की गई है।

भूमिका:

  • 2023 में भारतीय अर्थव्यवस्था के आशावादी लेकिन चुनौतीपूर्ण होने की भविष्यवाणी की गई है। विश्व बैंक ने FY24 में 6.6% की आर्थिक वृद्धि की भविष्यवाणी की है। इसलिए 2047 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की भारत की राह पटरी पर आती दिख रही है।
  • 2023 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, अर्थव्यवस्था के 2022-23 में वास्तविक रूप से 7% बढ़ने की उम्मीद है।
  • अप्रैल-दिसंबर 2022 के लिए वाणिज्यिक निर्यात 332.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। यह 2021 से 16% की वृद्धि है।
  • भारत दुनिया का 7वां सबसे बड़ा सेवा निर्यातक है।
  • 2022-23 की पहली छमाही में GDP के प्रतिशत के रूप में वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात का हिस्सा 2016 के बाद सबसे अधिक रहा है।
  • आशावादी वृद्धि का अनुमान कई सकारात्मक बातों से उपजा है जैसे निजी उपभोग में वृद्धि, उत्पादन गतिविधि को बढ़ावा, उच्च पूंजीगत व्यय (कैपेक्स), सार्वभौमिक टीकाकरण कवरेज के माध्यम से लोगों को संपर्क-आधारित सेवाओं पर खर्च करने में सक्षम बनाना, कॉरपोरेट्स की बैलेंस शीट को मजबूत करना, अच्छी तरह से पूंजीकृत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का ऋण आपूर्ति बढ़ाने के लिए तैयार होना तथा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) क्षेत्र के लिए ऋण वृद्धि।
  • हालाँकि, भारत 2024-25 तक $ 5 ट्रिलियन प्राप्त करने के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने से बहुत दूर है। ब्रिटेन को पीछे छोड़कर भारत अब दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है।
  • सेंटर फॉर इकोनॉमिक्स एंड बिजनेस रिसर्च (CEBR) ने भविष्यवाणी की थी कि 2035 तक, भारत की अर्थव्यवस्था 10 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगी और 2037 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी।

भारत में पश्चिम के हित:

  • भारत विदेश और आर्थिक नीति के मामले में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक प्रमुख भागीदार बना हुआ है।
  • पहला, भारत के पास विनिर्माण वस्तुओं के भावी वैकल्पिक आपूर्तिकर्ताओं में से एक के रूप में उभरने के लिए एक बड़ी और बढ़ती श्रम शक्ति है, जो चीन पर दुनिया की निर्भरता को कम करती है।
  • दूसरा, भारत की ऊर्जा की जरूरतें तेजी से बढ़ रही हैं और इस प्रकार भारत को वैश्विक जलवायु चुनौती के किसी भी यथार्थवादी समाधान का हिस्सा बनना होगा।
  • अंत में, भारत, उभरते हिंद-प्रशांत क्षेत्र के केंद्र में दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले लोकतंत्र के रूप में नाजुक भू-राजनीतिक प्रणाली में एक महत्वपूर्ण स्थिरीकारक भागीदार के रूप में कार्य करता है।
  • पश्चिमी देशों को भारत के आर्थिक विकास के साथ भविष्य के लिए लोकतंत्र-लोकतंत्र की साझेदारी की भी आशा है।
  • यदि भारत 15 वर्षों में 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के रूप में विकसित होता है, तो वे भारत को अपने उत्पादों और निवेश गंतव्य के लिए एक विशाल बाजार के रूप में भी देखते हैं।
  • चीन के उदय को देखते हुए, भारत और पश्चिम के बीच साझा रणनीतिक हितों से भी कनेक्टिविटी, डिजिटलीकरण, परिवहन और समुद्री अर्थव्यवस्था जैसे क्षेत्रों में नई पहल की उम्मीद है, जो सहयोग को और गहरा करेगा।
  • पश्चिमी देशों द्वारा भारत को प्रदान की जाने वाली प्रौद्योगिकी हस्तांतरण कोरोनावायरस महामारी के बाद देश के आर्थिक सुधार में महत्वपूर्ण योगदान देगा।

भारत की अर्थव्यवस्था में विकास के प्रभाव:

रोजगार पर:

  • राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि ने रोजगार में समान वृद्धि उत्पन्न नहीं की है। पिछले एक दशक के भारत के अनुभव से पता चलता है कि बेरोजगार युवाओं के लिए पर्याप्त रोजगार पैदा किए बिना भारत की अर्थव्यवस्था विकसित हो सकती है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में।
  • सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 2022 के मध्य में शहरी पुरुषों में बेरोजगारी एक दशक पहले की तुलना में बहुत अधिक थी।
  • सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी प्राइवेट लिमिटेड नाम के निजी क्षेत्र के संगठन के आकड़ों से पता चलता है कि दिसंबर 2022 में रोज़गार में संलग्न लोगों की संख्या 2016 की तुलना में कम थी।
  • आज भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक देश का बड़ा अनौपचारिक कार्यबल है जो उच्च प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद की ओर बढ़ने से रोकता है।
    • इस अनौपचारिक कार्यबल में, 550 मिलियन लोग हमारे औसत प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद की सीमा से नीचे हैं।
  • औपचारिक रोजगार के बिना, कार्यबल को सामाजिक सुरक्षा लाभ जैसे मातृत्व अवकाश, ESIC, EPFO और अन्य समान सामाजिक सुरक्षा लाभ नहीं मिलते हैं।

पारिस्थितिकी पर:

  • आर्थिक विकास के पर्यावरणीय प्रभाव में गैर-नवीकरणीय संसाधनों की बढ़ती खपत, प्रदूषण के उच्च स्तर, ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरणीय आवासों के संभावित नुकसान शामिल हैं।
  • प्राकृतिक आवासों का बड़े पैमाने पर विनाश, विशेष रूप से खनन और बुनियादी ढांचे के विकास, कृषि और पशुपालन के निरंतर विस्तार और गहनता के कारण हो रहा है।
  • आर्थिक विकास के परिणामस्वरूप वनों की कटाई मिट्टी को नुकसान पहुँचाती है और क्षेत्रों को सूखे के प्रति अधिक संवेदनशील बनाती है।
  • अनियंत्रित खपत ने प्रकृति को अस्त-व्यस्त कर दिया है, वन्यजीवों, पशुओं, रोगजनकों और लोगों के बीच संपर्क बढ़ा है, जिससे महामारी की चपेट में आने की आशंका के लिए मंच तैयार हो गया है।
  • भीड़भाड़ और अनियंत्रित निर्माण, विशेष रूप से हिमालयी राज्यों में, सीवेज और ठोस अपशिष्ट निपटान के साथ-साथ ऊर्जा की खपत में वृद्धि की समस्याएँ पैदा हुई हैं।
    • इन राज्यों में हाल ही में भूस्खलन और बाढ़ की कईं घटनाएं घटी हैं, जिससे वहां रह रहे लोगों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा है।

भावी कदम:

  • कृषि में संकेन्द्रित अधिकांश बेरोजगारों के लिए रोजगार के अवसर तभी उत्पन्न होंगे जब उन उत्पादों की माँग में वृद्धि होगी जिनके उत्पादन में वे लोग भाग ले सकते हैं।
    • बड़े पैमाने पर उपभोग की वस्तुओं की बढ़ती मांग से श्रमिकों की मांग में विस्तार होगा।
    • इस मांग को बढ़ाने के लिए खाद्य कीमतों में वृद्धि से निपटना होगा तभी कम आय वाले परिवारों के पास अधिक निर्मित वस्तुओं को खरीदने के लिए पैसा होगा।
  • वर्तमान में, भारत में न तो केंद्र में और न ही राज्यों में कोई रोजगार नीति है। समेकित नीति फोकस भारत में रोजगार सृजन के लिए परिस्थितियों का निर्माण कर सकता है।
  • नीति निर्माताओं को विशेष रूप से रोजगार के औपचारिककरण के माध्यम से जनसंख्या में धन के वितरण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
  • सरकारों को यह सुनिश्चित करने के लिए नीतियों पर काम करना चाहिए कि आर्थिक विकास एक अच्छे जीवन के लिए आवश्यक सामाजिक और भौतिक आधारभूत संरचना उत्पन्न कर सके।

सारांश:

  • भारत के 2037 तक तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति और 2035 तक 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का अनुमान है। नीति निर्माताओं को आर्थिक असमानता को कम करने और विकास प्रक्रिया के रचनात्मक आर्थिक प्रबंधन के साथ पारिस्थितिक असुरक्षा से बचने के लिए इस आर्थिक विकास को चलाने की कोशिश करनी चाहिए।

प्रीलिम्स तथ्य:

1.लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान-D2:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

विषय: अंतरिक्ष के क्षेत्र में जागरूकता।

प्रारंभिक परीक्षा: लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान-D2 से संबंधित तथ्यात्मक जानकारी।

प्रसंग:

  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation (ISRO)) श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV)-D2 दूसरी विकास उड़ान भर रहा है।

विवरण:

  • SSLV-D2 का उद्देश्य ISRO के EOS-07, एंटारिस (U.S. स्थित फर्म) के जानूस-1 (Janus-1) , और चेन्नई स्थित अंतरिक्ष स्टार्ट-अप स्पेस किड्ज़ के आज़ादीसैट-2 (AzaadiSAT-2) उपग्रहों को इसकी 15 मिनट की उड़ान से 450 किलोमीटर की वृत्ताकार कक्षा में स्थापित करना है।
  • EOS-07 उपग्रह के विकास का उद्देश्य भविष्य के परिचालन उपग्रहों के लिए आवश्यक सूक्ष्म उपग्रह (microsatellite) प्रक्षेपण वाहनों और प्रौद्योगिकियों के साथ संगत पेलोड उपकरणों को डिजाइन और विकसित करना है।
  • आज़ादीसैट-2 (AzaadiSAT-2) को चेन्नई में स्पेस किड्ज़ इंडिया स्टार्ट-अप द्वारा निर्देशित भारत भर में लगभग 750 छात्राओं द्वारा विकसित किया गया है।

लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (Small Satellite Launch Vehicle (SSLV))-D2:

  • लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान “लॉन्च-ऑन-डिमांड” के आधार पर 500 किलोग्राम तक के लॉन्च सैटेलाइट को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित करता है।
  • SSLV छोटे पेलोड को कक्षा में स्थापित करने के लिए एक सस्ता विकल्प है और यह कई नैनो, सूक्ष्म और छोटे उपग्रहों को ले जा सकता है।
  • SSLV के माध्यम से प्रक्षेपण करने पर अंतरिक्ष में कम लागत में पहुंचने की सुविधा प्राप्त होती, इसमें टर्नअराउंड समय कम लगता है, इससे कई उपग्रहों को समायोजित करने में लचीलापन प्राप्त होता है, और इसके लिए केवल बुनियादी प्रक्षेपण अवसंरचना की आवश्यकता होती है।
  • केंद्र ने विकास परियोजना के लिए कुल ₹169 करोड़ मंजूर किए थे, जिसमें SSLV-D1, SSLV-D2 और SSLV-D3 नामक तीन नियोजित विकास उड़ानों के माध्यम से विकास की लागत, वाहन प्रणालियों की योग्यता और उड़ान प्रदर्शन शामिल हैं।
  • SSLV की पहली उड़ान SSLV-D1 अगस्त 2022 में हुई थी।
  • SSLV-D2 प्रक्षेपण यान तीन ठोस चरणों का उपयोग करता है, जिसके बाद एक तरल-ईंधन-आधारित वेलोसिटी ट्रिमिंग मॉड्यूल (VTM) द्वारा उपग्रहों को इच्छित कक्षाओं में स्थापित किया जाता हैं।
  • लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV) से संबंधित अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:Small Satellite Launch Vehicle (SSLV)

महत्वपूर्ण तथ्य:

1. मैंग्रोव को बायपास करने के लिए बुलेट ट्रेन परियोजना सुरंग की लागत ₹10,000 करोड़ होगी:

  • महाराष्ट्र के ठाणे क्रीक में लगभग 12 हेक्टेयर मैंग्रोव वनों की सुरक्षा के लिए बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए 7 किलोमीटर लंबी समुद्री सुरंग के निर्माण की योजना बनाई जा रही है।
  • सुरंग बनाने के इस कदम के परिणामस्वरूप मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर परियोजना के निर्माण की लागत में बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स स्टेशन से शिलफाटा तक 21 किलोमीटर की दूरी 100 करोड़ रुपये से बढ़कर 10,000 करोड़ रुपये हो जाएगी।
  • इसके अलावा ठाणे क्रीक में सुरंग का निर्माण भी एक चुनौतीपूर्ण कार्य होगा। क्योंकि इसमें दो टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) शामिल होंगी जो डॉकिंग नामक प्रक्रिया द्वारा सुरंग के दो हिस्सों को जोड़ने के लिए समुद्र के आधे रास्ते में मिलेंगी।
  • इसमें मुख्य चुनौती यह सुनिश्चित करना है कि पानी के दबाव के कारण सुरंग में पानी का रिसाव न हो।
  • परियोजना की कुल लागत 1.08 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है, जिसमें से नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) ने परियोजना के कार्यान्वयन के लिए लगभग 32,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।

2.अमेरिका, भारत पर रूस से तेल खरीदने पर प्रतिबंध नहीं लगाएगा: वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी

  • वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारियों ने कहा है कि अमेरिका रूसी तेल की निरंतर खरीद पर भारत पर प्रतिबंध नहीं लगाना चाहता है।
  • अधिकारियों के अनुसार भारत द्वारा प्राइस कैप गठबंधन में भागीदार नहीं होने के बावजूद, भारत द्वारा रूसी यूराल कच्चे तेल की खरीद दिसंबर में जी-7 देशों द्वारा निर्धारित $60 के “प्राइस कैप” से कम दरों पर की गई थी।
  • अधिकारियों का मानना है कि भारत के इस कदम से अमेरिका को यह सुनिश्चित करने के दोहरे लक्ष्यों में मदद मिली है कि बाजार में तेल की पर्याप्त आपूर्ति बनी रहे है और रूस को अपने निर्यात के लिए प्रीमियम मूल्य भी न प्राप्त हो।
  • रूस से तेल ख़रीद कम करने के लिए बाहरी दबाव बढ़ने के बावजूद, भारत सरकार ने दोहराया है कि वह “जहाँ से भी” ज़रूरत होगी, तेल ख़रीदेगा।
  • नवीनतम आंकड़ों (जनवरी) के अनुसार, भारत ने रूसी यूराल (मुद्रा) से लगभग 1.27 मिलियन बैरल तेल प्रति दिन (bpd) आयात किया है, जो पिछली जनवरी की तुलना में 30 गुना अधिक है, जब यह लगभग 40,000 bpd था।
  • रूस, जो भारत का 17वां सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता था, पिछले कुछ महीनों में सबसे बड़ा निर्यातक बन गया है।
  • यूक्रेन के साथ युद्ध से पहले केवल 0.2% की तुलना में अब रूस से भारत का तेल आयात लगभग 28% हिस्सा है।
  • अमेरिकी अधिकारियों ने यूक्रेन के वरिष्ठ सांसदों द्वारा चीन और भारत जैसे देशों के खिलाफ माध्यमिक प्रतिबंध लगाने के आह्वान को खारिज कर दिया है, जो यूक्रेन के अनुसार “रूसी अर्थव्यवस्था और रूसी सैन्य मशीन का वित्तपोषण” कर रहे हैं।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. राष्ट्रपति शासन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:(स्तर – मध्यम)

  1. इसे हर छह महीने में संसद की मंजूरी के साथ अधिकतम पांच साल की अवधि के लिए बढ़ाया जा सकता है।
  2. राष्ट्रपति शासन की उद्घोषणा या इसे जारी रखने का अनुमोदन करने वाला प्रत्येक प्रस्ताव संसद द्वारा विशेष बहुमत से पारित किया जाना चाहिए।
  3. इसका नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1

(b) केवल 1 और 2

(c) केवल 3

(d) 1, 2 और 3

उत्तर: c

व्याख्या:

  • कथन 1 गलत है: राष्ट्रपति शासन प्रारंभ में छह महीने की अवधि के लिए होता है। बाद में, इसे हर छह महीने में संसदीय स्वीकृति के साथ तीन साल की अवधि के लिए बढ़ाया जा सकता है।
  • कथन 2 गलत है: राष्ट्रपति शासन की घोषणा इसके जारी होने के दो महीने के भीतर संसद के दोनों सदनों में स्वीकृत होनी चाहिए। अनुमोदन एक साधारण बहुमत के माध्यम से होता है अर्थात सदन के उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के बहुमत से।
  • कथन 3 सही है: राष्ट्रपति शासन का नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

प्रश्न 2. लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एस.एस.एल.वी./SSLV) के संबंध में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (स्तर – सरल)

  1. एस.एस.एल.वी. ‘लॉन्च-ऑन-डिमांड’ के आधार पर पृथ्वी की निचली कक्षाओं में 500 किलोग्राम तक के उपग्रहों का प्रक्षेपण करता है।
  2. रॉकेट को तीन ठोस प्रणोदन चरणों और एक वेलोसिटी टर्मिनल मॉड्यूल के साथ कॉन्फ़िगर किया गया है।

विकल्प:

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) दोनों

(d) कोई नहीं

उत्तर: c

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: SSLV ‘लॉन्च-ऑन-डिमांड’ के आधार पर निम्न भू-कक्षाओं में 500 किलो तक के उपग्रहों का प्रक्षेपण करता है। यह अंतरिक्ष तक कम लागत वाली पहुंच प्रदान करता है।
  • कथन 2 सही है: SSLV तीन ठोस चरणों का उपयोग करता है जिसके बाद एक तरल-ईंधन-आधारित वेलोसिटी ट्रिमिंग मॉड्यूल (VTM) द्वारा उपग्रहों को इच्छित कक्षाओं में स्थापित किया जाता है।

प्रश्न 3. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए: (स्तर – कठिन)

लोक नृत्य राज्य

  1. डोल चोलम मणिपुर
  2. होजागिरी त्रिपुरा
  3. कालबेलिया राजस्थान
  4. ओट्टनथुल्लल केरल

उपर्युक्त युग्मों में से कितने सुमेलित हैं?

(a) केवल एक युग्म

(b) केवल दो युग्म

(c) केवल तीन युग्म

(d) सभी चारों युग्म

उत्तर: d

व्याख्या:

  • युग्म 1 सही सुमेलित है: ढोल चोलम ढोल नृत्य का एक रूप है जो मणिपुर राज्य में होली के दौरान किया जाता है।
  • युग्म 2 सही सुमेलित है: होजागिरी एक आदिवासी लोक नृत्य है जो होजागिरी त्योहारों या लक्ष्मी पूजा के अवसर पर ब्रू रियांग कबीले द्वारा त्रिपुरा राज्य में किया जाता है।
  • युग्म 3 सही सुमेलित है: कालबेलिया नृत्य राजस्थान में थार रेगिस्तान की सांप पकड़ने वाली जनजाति द्वारा किया जाने वाला एक लोक नृत्य है।
  • युग्म 4 सही सुमेलित है: ओट्टनथुल्लल केरल राज्य से संबंधित गायन और नृत्य कला-रूप है।

प्रश्न 4. दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार (RPwD) अधिनियम, 2016 के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (स्तर – कठिन)

  1. 6 से 18 वर्ष के बीच के बेंचमार्क विकलांगता वाले सभी बच्चों को मुफ्त शिक्षा का अधिकार होगा।
  2. दिव्यांग व्यक्तियों (PwD) के खिलाफ अपराधों का निपटारा करने के लिए राज्य के प्रत्येक जिले में विशेष न्यायालय स्थापित किए जाएंगे।
  3. RPwD अधिनियम में 21 प्रकार की विकलांगताओं को सूचीबद्ध किया गया है और राज्य सरकार के पास और अधिक प्रकार की विकलांगताओं को शामिल करने की शक्ति होगी।

विकल्प:

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 2 और 3

(c) केवल 1 और 3

(d) 1, 2 और 3

उत्तर: a

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार (RPwD) अधिनियम, 2016 के अनुसार, 6 से 18 वर्ष के बीच के बेंचमार्क विकलांगता वाले सभी बच्चों को मुफ्त शिक्षा का अधिकार होगा।
  • कथन 2 सही है: अधिनियम के अनुसार, दिव्यांग व्यक्तियों (PwD) के अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित मामलों का निपटारा करने के लिए प्रत्येक जिले में विशेष न्यायालयों को नामित किया जाता है।
  • कथन 3 गलत है: RPwD अधिनियम में 21 प्रकार की विकलांगताओं को सूचीबद्ध किया गया है और केंद्र सरकार के पास और अधिक प्रकार की विकलांगताओं को शामिल करने की शक्ति होगी।

प्रश्न 5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (PYQ (2007) (स्तर – मध्यम)

  1. लोक लेखा समिति के अध्यक्ष की नियुक्ति लोकसभा के अध्यक्ष द्वारा की जाती है।
  2. लोक लेखा समिति में लोकसभा के सदस्य, राज्य सभा के सदस्य तथा उद्योग और व्यापार क्षेत्र के कुछ प्रतिष्ठित व्यक्ति शामिल होते हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) 1 और 2 दोनों

(d) न तो 1, न ही 2

उत्तर: a

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: लोक लेखा समिति के अध्यक्ष की नियुक्ति लोकसभा के अध्यक्ष द्वारा की जाती है।
  • कथन 2 गलत है: लोक लेखा समिति में 22 सदस्य होते हैं। सभी सदस्यों को भारतीय संसद से शामिल किया जाता है।
    • 22 सदस्यों में से 15 लोक सभा से और 7 सदस्य राज्य सभा से निर्वाचित होते हैं।
    • एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से आनुपातिक प्रतिनिधित्व (PRSTV) के सिद्धांत के अनुसार समिति के सदस्यों का चुनाव संसद द्वारा वार्षिक रूप से किया जाता है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. रूस और चीन के बीच बढ़ती नजदीकियों का भारत पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। टिप्पणी कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस II – अंतर्राष्ट्रीय संबंध)

प्रश्न 2. प्रभावशाली विकास के बावजूद, भारत में रोजगार उसी गति से नहीं बढ़ा जिसकी कल्पना की गई थी। इसमें निहित कमियों के कारणों की विवेचना कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस III – अर्थव्यवस्था)