15 फरवरी 2023 : समाचार विश्लेषण
A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: अर्थव्यवस्था:
D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: सामजिक न्याय:
भारतीय संविधान एवं राजव्यवस्था:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
जम्मू-कश्मीर के लिथियम भंडार का लाभ उठाना/इस्तेमाल:
अर्थव्यवस्था:
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास और रोजगार से संबंधित विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) और दुनिया भर में मौजूद लिथियम भंडार से संबंधित जानकारी।
मुख्य परीक्षा: भारत में लिथियम भंडार की खोज – भू-रणनीतिक एवं सामाजिक-पर्यावरण महत्व, और भावी कदम।
प्रसंग:
- भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (Geological Survey of India (GSI)) ने घोषणा की है कि जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले के सलाल-हैमाना क्षेत्र में अनुमानित 5.9 मिलियन टन के लिथियम संसाधनों की खोज की गई है।
इस खोज का महत्व:
- लिथियम लिथियम-आयन बैटरी के निर्माण के लिए सबसे महत्वपूर्ण घटकों में से एक है, जो पवन टर्बाइनों, सौर पैनलों और इलेक्ट्रिक वाहनों में बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है जो हरित अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- विश्व बैंक के अनुसार, लिथियम (Li) और कोबाल्ट जैसी महत्वपूर्ण धातुओं की मांग 2050 तक लगभग 500% बढ़ने की उम्मीद है।
- इसके अलावा, वैश्विक इलेक्ट्रिक वाहन बाजार 2030 तक $823.75 बिलियन के आंकड़े को पार करने का अनुमान है, जो 2021 से 2030 तक 18.2% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) प्राप्त कर रहा है। अनुमान है कि भारत का बाजार भी 2028 तक 23.76% CAGR हासिल कर लेगा।
- इस संदर्भ में, लिथियम की खोज से भारत को अपनी महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति सुरक्षित करने और इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
- वर्तमान में, भारत अपनी जरुरत का सभी लिथियम ऑस्ट्रेलिया और अर्जेंटीना से तथा लिथियम-आयन सेल का लगभग 70% चीन और हांगकांग से आयात करता है।
- भारत में लिथियम भंडार की खोज घरेलू बैटरी-निर्माण उद्योग को बहुत आवश्यक बढ़ावा देगी और आयात प्रतिस्थापन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
- इसके अतिरिक्त, घरेलू लिथियम भंडार सरकार की 2030 तक निजी कारों में 30%, वाणिज्यिक वाहनों में 70% तथा दोपहिया और तिपहिया वाहनों में 80% इलेक्ट्रिक वाहन शामिल करने की महत्वाकांक्षी योजना को गति प्रदान करने में मदद करेगा और परिवर्तनकारी गतिशीलता और बैटरी भंडारण पर भारत के राष्ट्रीय मिशन को मजबूत करने में मदद करेगा।
- लिथियम भंडार की खोज के महत्व के बारे में अधिक जानकारी के लिए 11 फरवरी 2023 का यूपीएससी परीक्षा विस्तृत समाचार का लेख देखें।
भू-रणनीतिक चिंताएँ:
- शुद्ध-शून्य कार्बन ऊर्जा प्रणालियों की ओर परिवर्तन में महत्वपूर्ण खनिज संसाधनों पर निर्भरता अभी भी एक प्रमुख भू-रणनीतिक चिंता बनी हुई है।
- लिथियम और अन्य महत्वपूर्ण संसाधनों के लिए चीन पर उच्च स्तर की निर्भरता महत्वपूर्ण ऊर्जा सुरक्षा जोखिम उत्पन्न करती है।
- चीन वर्तमान में वैश्विक लिथियम-आयन बैटरी निर्माण क्षमता का 77% से अधिक नियंत्रित करता है और दुनिया की 10 विनिर्माण कंपनियों में से छह चीन में ही स्थित हैं।
- इस चुनौती से पार पाने के लिए, अमेरिका, कनाडा, भारत और यूरोपीय संघ के देश वैकल्पिक आपूर्ति का लाभ उठाने के प्रयास कर रहे हैं जो चीन के भू-राजनीतिक प्रभुत्व को चुनौती दे सकते हैं।
- क्षेत्रीय विवाद में वृद्धि के मद्देनजर चीन के साथ बढ़ता भू-राजनीतिक तनाव, भारत के लिए इस संबंध में तुरंत कार्रवाई करना और भी महत्वपूर्ण बना देता है।
- चीन पर अपनी निर्भरता को कम करने के लिए, भारत सरकार और घरेलू उद्योग एक “दुर्लभ मृदा खनिज मिशन” पर जोर देने की कोशिश कर रहे हैं जो देश में महत्वपूर्ण खनिज भंडार का दोहन करने में मदद करता है।
- हालाँकि, भारत में लिथियम भंडार की नई खोज में इसके स्थान की भू-राजनीतिक संवेदनशीलता को देखते हुए भू-रणनीतिक निहितार्थ भी उपस्थित हैं।
- जम्मू-कश्मीर क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पार तनाव का स्थल रहा है। यह क्षेत्र घरेलू विद्रोह और आतंकवाद के कारण भी प्रभावित हुआ है।
- इसके अलावा, यदि स्थानीय आबादी लिथियम निष्कर्षण परियोजना में शामिल नहीं होता है तो सामाजिक-पर्यावरणीय संघर्ष के जोखिम से संबंधित चिंताएं भी विद्यमान हैं।
पर्यावरणीय परिणाम:
- अक्षय ऊर्जा बुनियादी ढांचे में लिथियम के अनुप्रयोगों की व्यवहार्यता पर अक्सर बहस हुई है क्योंकि इसके पर्यावरणीय परिणामों पर चिंता जताई गई है।
- कठोर चट्टानी खानों से लिथियम के निष्कर्षण में ओपन-पिट-माइनिंग का प्रयोग किया जाता है, इसके बाद जीवाश्म ईंधन का उपयोग करके अयस्क को रोस्ट किया जाता है।
- विशेषज्ञों के अनुसार, इस प्रक्रिया में 170 क्यूबिक मीटर से अधिक पानी की आवश्यकता होती है और प्रत्येक टन लिथियम निकालने में यह लगभग 15 टन कार्बन-डाइ-ऑक्साइड छोड़ता है।
- इसके साथ ही ओपन-पिट-माइनिंग और शोधन की प्रक्रियाओं में उत्पन्न कचरे के निपटान से पर्यावरण का क्षरण होता है।
- इस प्रकार के अपशिष्ट जलमार्ग और भूजल को दूषित करते हैं, जैव विविधता का क्षरण करते हैं और महत्वपूर्ण मात्रा में वायु प्रदूषक उत्सर्जित करते हैं।
- साथ ही भूवैज्ञानिक संदर्भ में, ऑस्ट्रेलिया (जिसमें हार्ड रॉक खानों में सबसे बड़ा लिथियम भंडार है) तथा जम्मू और कश्मीर में किये जाने वाले खनन के बीच भारी अंतर है।
- ऑस्ट्रेलिया में, पिलबारा और यिल्गारन क्रैटन के प्राचीन भूगर्भीय क्षेत्रों में लिथियम युक्त पेग्मेटाइट निक्षेप पाए जाते हैं, जिनकी महाद्वीपीय चट्टानें एक अरब से अधिक वर्षों से स्थिर हैं।
- हालाँकि, हिमालय क्षेत्र, जो दुनिया की सबसे छोटी पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है, में पाया जाने वाला लिथियम भंडार बहुत ही अस्थिर है।
केस स्टडी: दक्षिण अमेरिका में लिथियम खनन
- बोलीविया और चिली जैसे दक्षिण अमेरिकी देशों में, लिथियम निष्कर्षण या तो राज्य द्वारा ही किया जाता है या खनन कंपनियों को इसके खनन के लिए राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों के साथ अनुबंध करना अनिवार्य है।
- वर्ष 2019 में, चिली में नीति निर्माताओं ने लीथियम माइनर SQM के लिए $25 मिलियन की अनुपालन योजना को मंज़ूरी दी थी, जिस पर सालार डी अटाकामा साल्ट फ्लैट से लिथियम युक्त ब्राइन निकालने का आरोप लगा था।
- वर्ष 2022 में, चिली के अधिकारियों ने $52 मिलियन मूल्य की एक अद्यतन अनुपालन योजना को मंजूरी दी और प्रस्तावित किया कि लिथियम माइनर को पर्यावरणीय उल्लंघनों से बचने के लिए नियामक के साथ-साथ स्थानीय समुदायों दोनों के साथ काम करना चाहिए।
- इसके अलावा, लिथियम खनन के पर्यावरणीय परिणामों के बारे में स्वदेशी प्रतिरोध और बढ़ती जागरूकता ने मर्सिडीज-बेंज और फ़ोक्सवैगन जैसे ऑटोमोबाइल निर्माताओं को सबसे कम सामाजिक-पारिस्थितिक प्रभाव वाले लिथियम खनन की तलाश करने के लिए मजबूर किया है।
- इन मामलों के अध्ययन से पता चलता है कि लिथियम खनन से जुड़े पर्यावरण और सामाजिक परिणामों को संबोधित करने के लिए मजबूत नियामक तंत्र की आवश्यकता है।
- भारत के लिए दक्षिण अमेरिकी देशों में ऐसे अनुभवों से सीखना महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से “लिथियम त्रिकोण” जिसमें बोलीविया, चिली और अर्जेंटीना शामिल हैं।
- लिथियम त्रिकोण में दुनिया के ज्ञात लिथियम का करीब 50% हिस्सा पाया जाता है।
स्थानीय हितों की रक्षा करना:
- खनन में स्थानीय समुदायों को शामिल करने के साथ-साथ स्थानीय हितों की रक्षा के महत्व को स्वीकार करते हुए, लोकसभा ने 2015 में खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम 1957 में संशोधन किया और इन संशोधनों के जरिये जिला खनिज फाउंडेशन (DMF) की स्थापना के प्रावधान पेश किए गए।
- DMF देश के हर जिले में स्थापित एक गैर-लाभकारी वैधानिक ट्रस्ट है जो खनन से प्रभावित हितधारकों के लिए काम करता है।
- DMF को खनन से संबंधित कार्यों से प्रभावित व्यक्तियों, और क्षेत्रों के हित और लाभ के लिए काम करना अनिवार्य है।
- जम्मू-कश्मीर में राज्य सरकार के अधिकारियों ने घोषणा की है कि स्थानीय समुदायों को शामिल करने की योजना पर काम चल रहा है, जिन्हें अन्वेषण और खान विकास में नौकरियों के लिए प्राथमिकता दी जाएगी।
- हालांकि, आलोचकों का अभी भी मानना है कि खनन क्षेत्र में रोजगार के अवसर प्रदान करना स्थानीय कृषि, पशुपालन और पर्यटन क्षेत्रों पर खनन के परिणामों को पूरी तरह से नकार नहीं सकता है।
- खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक, 2015 से संबंधित अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Mines and Minerals (Development and Regulation) Amendment Bill, 2015
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
अधिक दिव्यांग-अनुकूल डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र को आकार देना:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
सामजिक न्याय:
विषय: आबादी के कमजोर वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं।
मुख्य परीक्षा: एक दिव्यांग-अनुकूल शिक्षा प्रणाली का निर्माण।
विवरण:
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) के अनुसार, वैश्विक जनसंख्या का 16% दिव्यांग है।
- हालाँकि, भारत में जनगणना 2021 में अनुमानित दिव्यांग आबादी को सकल रूप से 2.21% कम करके आंका गया है।
- प्रौद्योगिकी में दिव्यांगों के लिए समान अवसर उपलब्ध कराने की काफी क्षमता है। हालाँकि, यदि प्रौद्योगिकी को दिव्यांगों की आवश्यकताओं के अनुसार डिज़ाइन न किया जाए तो यह बाधाओं को भी बढ़ा सकती है।
- यह पाया गया कि 2020 में भारत में 750 मिलियन इंटरनेट/स्मार्टफोन उपयोगकर्ता हैं।
- यदि 16% का आंकड़ा लागू किया जाता है, तो इसका तात्पर्य है कि लगभग 12 करोड़ दिव्यांग इंटरनेट/स्मार्टफोन उपयोगकर्ता हैं।
यह भी पढ़ें: Persons With Disability – Types and Act of Government
एक अध्ययन के माध्यम से स्थिति का आकलन:
- प्रौद्योगिकी की स्थिति और दिव्यांग वर्ग के लिए इसकी पहुंच के साक्ष्य-आधारित मूल्यांकन के लिए एक रिपोर्ट तैयार की गई थी।
- अध्ययन में, पांच क्षेत्रों में व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले दस ऐप्स का अध्ययन किया गया। ये ऐप हैं ज़ोमैटो, स्विगी, पेटीएम, फोनपे, अमेज़न, फ्लिपकार्ट, उबर, ओला, व्हाट्सएप और टेलीग्राम।
- इसके अलावा, ऐप का मूल्यांकन करने के लिए वेब कंटेंट एक्सेसिबिलिटी दिशानिर्देशों का उपयोग किया गया था।
- वेब कंटेंट एक्सेसिबिलिटी दिशानिर्देश किसी ऐप या वेबसाइट की दिव्यांग-अनुकूल विशेषताओं को निर्धारित करने के लिए विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त मापदंडों का एक सेट है।
- यह पाया गया कि 4 ऐप्स को एक्सेसिबिलिटी में “निम्न” और 5 ऐप्स को “मध्यम” रैंक प्रदान की गई।
- परिणाम दिव्यांगों के अनुकूल आधारभूत संरचना (भौतिक और डिजिटल दोनों) बनाने के लिए काम करने की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालते हैं।
- इस रिपोर्ट और रेटिंग सूचकांक को लॉन्च करने का मकसद डिजिटल पहुंच, उत्पाद डिजाइन और विकास की प्रक्रिया पर चर्चा शुरू करना है।
- इस रिपोर्ट के दूसरे चरण में, अनुसंधान समूह सेवा प्रदाताओं के साथ सहयोग करेगा और ऐप की पहुंच में सुधार के लिए प्रथाओं और प्रक्रियाओं को डिजाइन करने में मदद करेगा और हितधारकों को दिव्यांग लोगों के बारे में शिक्षित करेगा।
- यह अक्षमता के प्रति दृष्टिकोण को बदलने में मदद करेगा, विशेष रूप से व्यावसायिक समुदाय के भीतर, क्योंकि इससे वे दान-आधारित दृष्टिकोण से अधिकार-आधारित और निवेश दृष्टिकोण की ओर बढ़ेंगे।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग:
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) अभिगम्यता परीक्षण प्रक्रिया को स्वचालित करने में और मदद कर सकता है।
- यह डेवलपर्स और निर्माताओं को अंतर्दृष्टि प्रदान करने के लिए अक्षम उपयोगकर्ताओं से फीडबैक का विश्लेषण करने में भी मदद कर सकता है।
संबंधित लिंक:
Sansad TV Perspective: Episode on 02nd Dec, 2021: Enable the Disabled
सारांश:
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महिलाओं की वैवाहिक आयु का निर्धारण धन से अधिक, शिक्षा द्वारा होता है:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
सामजिक न्याय:
विषय: महिलाओं और बच्चों से संबंधित मुद्दे।
मुख्य परीक्षा: बाल विवाह।
प्रसंग:
- बाल विवाह पर असम सरकार नकेल कस रही है।
विवरण:
- असम सरकार बाल विवाह पर नकेल कस रही है। हालांकि कुछ कार्यकर्ताओं ने इस कदम का समर्थन किया है, दूसरों का तर्क है कि इस मुद्दे का मूल कारण जो महिलाओं के बीच शिक्षा तक सीमित पहुंच है, का अभी भी समाधान नहीं किया गया है।
- NFHS-5 के आंकड़ों के अनुसार, यह पाया गया है कि बेहतर रूप शिक्षित महिलाओं का इस बात पर अधिक प्रभाव होता है कि उन्हें कब शादी करनी है।
- 2019-21 में विभिन्न संपत्ति पंचकों में महिलाओं की शादी की उम्र और स्कूली शिक्षा के वर्षों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए एक सर्वेक्षण किया गया था।
असम मामले पर अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें: https://byjus.com/free-ias-prep/upsc-exam-comprehensive-news-analysis-feb11-2023/#The%20battle%20against%20child%20marriage
सर्वेक्षण के निष्कर्ष:
- जिन महिलाओं ने 11 साल की स्कूली शिक्षा पूरी कर ली है और वर्तमान में 25-29 और 45-49 आयु वर्ग में है, उनकी शादी की औसत उम्र क्रमश: 23 और 22.5 थी।
- इसका तात्पर्य यह है कि शिक्षा लंबे समय से एक महिला की वैवाहिक आयु तय करने में एक नियंत्रक कारक रही है।
- हालाँकि, जब घर की संपत्ति पर विचार किया गया तो परिणाम आश्चर्यजनक थे। यह पाया गया कि सबसे अमीर 20% घरों से संबंधित महिलाओं, जो वर्तमान में 25-29 और 45-49 आयु वर्ग में थीं, की शादी की औसत आयु क्रमशः 22.8 और 19 थी।
- इसका तात्पर्य यह है कि पहले धनी परिवारों में भी महिलाओं की शादी कम उम्र में हो जाती थी।
- धन ने हाल ही में एक महिला की वैवाहिक आयु तय करने में एक नियंत्रक कारक के रूप में प्रासंगिकता प्राप्त की है।
- इसके अलावा, सबसे धनी परिवारों की महिलाओं की शादी की औसत उम्र 11 साल से अधिक की स्कूली शिक्षा पूरी करने वाली महिलाओं की तुलना में अभी भी कम थी।
- जाति और स्थान के संबंध में, यह पाया गया कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित महिलाओं के लिए शादी की औसत उम्र युवा पीढ़ियों में भी 20 से कम थी, जबकि गैर-एससी/एसटी/ओबीसी महिलाओं की उम्र 20 से ऊपर थी।
- ग्रामीण और शहरी महिलाओं की औसत आयु में अंतर युवा पीढ़ी (25-29 आयु वर्ग) के बीच व्यापक था।
- इसका मतलब यह है कि ग्रामीण महिलाओं की तुलना में शहरी महिलाओं के परिजनों को सहमत करने की क्षमता में काफी तेजी से सुधार हुआ है।
- पुरुषों के लिए एक समान विश्लेषण से पता चला है कि:
- पुरुषों की शादी की उम्र बढ़ाने में शिक्षा एक प्रमुख कारक नहीं है।
- इसके अलावा, सभी पृष्ठभूमियों में महिलाओं के सापेक्ष पुरुषों के बीच विवाह की औसत आयु कानूनी आयु (21 वर्ष) से अधिक थी, जहां यह महिलाओं की सभी श्रेणियों के बीच 18 (भारत में कानूनी उम्र) से कम है।
- पिछले कुछ दशकों में एक नया चलन भी देखा गया है कि गरीब परिवारों के और कम वर्षों की स्कूली शिक्षा प्राप्त करने वाले पुरुष पहले की तुलना में कम उम्र में शादी कर रहे हैं।
संबंधित लिंक:
Prohibition of Child Marriage Act [UPSC Notes]
सारांश:
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लद्दाख, एक संवेदनशील क्षेत्र, हेतु स्वायत्तता की आवश्यकता:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
भारतीय संविधान एवं राजव्यवस्था:
विषय: सरकार की नीतियां और हस्तक्षेप।
मुख्य परीक्षा: लद्दाख को विशेष संवैधानिक दर्जा देने की मांग।
प्रसंग:
- लद्दाख के निवासी विशेष संवैधानिक दर्जे की मांग कर रहे हैं।
विवरण:
- लद्दाख के निवासी दिल्ली में (15 फरवरी 2023 को) एकत्र होंगे, क्योंकि वे लद्दाख के लिए एक विशेष संवैधानिक दर्जे के लिए आंदोलन कर रहे हैं।
- क्षेत्र के लिए एक विशेष संवैधानिक दर्जा इसके निवासियों को एक विकसित दृष्टिकोण पर निर्णय लेने की अनुमति देगा जो लद्दाख की नाजुक पारिस्थितिक और सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करता है।
- इस दिशा में हाल के विकास:
- प्रसिद्ध शिक्षाविद् और आविष्कारक सोनम वांगचुक ने 26 जनवरी 2023 को उप-शून्य तापमान में खुले में उपवास शुरू किया।
- 31 जनवरी 2023 को 20000 से अधिक लोगों के साथ एक बड़ा प्रदर्शन किया गया। इस प्रदर्शन से लगभग एक पखवाड़े पहले, लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस (दो सबसे शक्तिशाली राजनीतिक और सांस्कृतिक संगठन) ने दर्जे के संबंध में मुद्दे की जांच के लिए स्थापित एक समिति को खारिज कर दिया।
- इसके अलावा, छात्र समूहों और नागरिक समाज समूहों ने संवैधानिक सुरक्षा उपायों की अपनी मांग को तेज कर दिया है।
यह भी पढ़ें: Former Special Status of Jammu and Kashmir | UPSC | BYJU’s
लद्दाख का पृष्ठभूमि विवरण:
- लद्दाख लगभग 1000 वर्षों तक एक स्वतंत्र राज्य था। इसे बाद में जम्मू और कश्मीर (J & K) में एकीकृत कर दिया गया।
- इसमें एक शीत मरुस्थली पारिस्थितिकी तंत्र है जो दुर्लभ स्तनधारियों जैसे कि जंगली याक और हिम तेंदुए (snow leopard) के अलावा विविध वनस्पतियों को आश्रय प्रदान करता है।
- क्षेत्र की अर्थव्यवस्था और समाज मुख्य रूप से उच्च तुंगता वाले पशुचारण, कृषि और व्यापार पर निर्भर हैं।
संबद्ध चिंताएं:
- लद्दाख के लोग हमेशा से केंद्र शासित प्रदेश के दर्जे की मांग करते रहे हैं। हालाँकि, 2019 में इसे केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा प्रदान किए जाने के बाद, यह जल्द ही महसूस किया गया कि स्थानीय रोजगार के पर्याप्त अवसरों के साथ अपेक्षाकृत मुक्त और स्वायत्त क्षेत्र की वास्तविक आवश्यकता एक दूर का स्वप्न था।
- केंद्र सरकार ने 2019 में घोषणा की कि लद्दाख को विशेष संवैधानिक दर्जा दिया जाएगा। यहां तक कि इस क्षेत्र को छठी अनुसूची (Sixth Schedule) का दर्जा देने का भी वादा किया गया था।
- नाजुक पारिस्थितिक तंत्र के कारण, यह क्षेत्र भारी मानवीय गतिविधि को सहन नहीं कर सकता है। इसके अतिरिक्त, यह पहले से ही भारी बुनियादी ढाँचे के विकास, सशस्त्र बलों की अत्यधिक उपस्थिति और अत्यधिक पर्यटन के दबाव से जूझ रहा है। उदाहरण के लिए,
- इस क्षेत्र में पर्यटन, खनन, जल विद्युत और अन्य प्राकृतिक संसाधनों में व्यावसायिक रुचि बढ़ रही है।
- बड़ी कंपनियां अपना निवेश बढ़ा रही हैं।
- एक नए हवाईअड्डे का निर्माण किया जा रहा है और अप्रयुक्त ज़ांस्कर क्षेत्र में सड़क मार्गों को भी बढ़ाया गया है।
- चांगथांग के पारिस्थितिक रूप से नाजुक क्षेत्र में एक बड़ी मेगा-सौर ऊर्जा परियोजना भी प्रस्तावित है।
- इस तरह के विकास ने भूस्खलन (landslides), कटाव, वन्य जीवन की क्षति आदि के जोखिमों को बढ़ा दिया है।
- 2019 में कल्पवृक्ष के एक अध्ययन के अनुसार, यह पाया गया कि 1995 से एक स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद (AHDC) होने के बावजूद, निर्णय निर्माण में मुख्य रूप से श्रीनगर और दिल्ली का वर्चस्व रहा है।
भावी कदम:
- लद्दाख और दिल्ली को मिलकर काम करना चाहिए। उदाहरण के लिए, लद्दाख में जैविक कृषि के लिए पहाड़ी परिषद् के फैसले को सशस्त्र बलों को स्थानीय रूप से उगाई और निर्मित वस्तुओं की खरीद को प्रोत्साहित कर केंद्र द्वारा समर्थन दिया जा सकता है।
- वन अधिकार अधिनियम (Forest Rights Act) के माध्यम से समुदायों को घास के मैदानों पर उनके सामूहिक अधिकारों का समर्थन किया जाना चाहिए।
- क्षेत्र में पर्यटन को पारिस्थितिक संवेदनशीलता पर विचार करना चाहिए और इसे मुख्य रूप से समुदाय द्वारा संचालित किया जाना चाहिए।
- लद्दाख की पारिस्थितिकी के प्रति संवेदनशील आजीविका, विकेन्द्रीकृत सौर ऊर्जा, और क्षेत्र की खाद्य और कृषि विरासत को बनाए रखने जैसी पहलों का समर्थन किया जाना चाहिए।
संबंधित लिंक:
Part XXI of the Constitution | Article 371 | Special Provisions for States
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
1. मारबर्ग वायरस रोग (MVD):
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
विषय: विभिन्न रोगों के बारे में जागरूकता।
प्रारंभिक परीक्षा: मारबर्ग वायरस रोग से संबंधित जानकारी।
प्रसंग:
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इक्वेटोरियल गिनी में मारबर्ग रोग के पहले प्रकोप की पुष्टि की है।
मारबर्ग वायरस रोग (MVD):
- मारबर्ग एक अत्यधिक संक्रामक वायरल रोग है जो रक्तस्रावी बुखार का कारण बनता है।
- मारबर्ग वायरस रोग (MVD) को पहले मारबर्ग रक्तस्रावी बुखार के रूप में जाना जाता था।
- इस बीमारी की पहली बार पहचान 1967 में हुई थी।
- मारबर्ग वायरस उसी परिवार से संबंधित है जो इबोला (Ebola) का कारण बनता है।
संचरण:
- मारबर्ग विषाणु फल एवं चमगादड़ से लोगों में संचरित हो सकता है, और संक्रमित लोगों, सतहों और सामग्रियों तथा शारीरिक तरल पदार्थों के माध्यम से सीधे संपर्क के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है।
- लक्षण: तेज बुखार, तेज सिरदर्द, गंभीर अस्वस्थता, गंभीर रक्तस्रावी लक्षण आदि।
- उपचार: वर्तमान में, इस बीमारी के इलाज के लिए कोई टीका या एंटीवायरल उपचार स्वीकृत नहीं है।
- हालांकि, रोगियों को लक्षण-विशिष्ट उपचार दिया जाता है जैसे कि मौखिक या अंतःशिरा तरल पदार्थों के साथ पुनर्जलीकरण।
- मारबर्ग विषाणु रोग (MVD) से संबंधित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:Marburg virus disease (MVD)
महत्वपूर्ण तथ्य:
- रईसी के साथ बैठक में, शी ने ‘अडिग’ समर्थन का संकल्प लिया:
- चीनी राष्ट्रपति ने बीजिंग का दौरा करने वाले ईरानी राष्ट्रपति को “अडिग” समर्थन का आश्वासन दिया है और दोनों देशों ने अमेरिकी प्रतिबंधों के खतरे के बावजूद व्यापार संबंधों को बढ़ाने के उपाय करने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
- चीनी राष्ट्रपति ने कहा है कि चीन ने हमेशा रणनीतिक दृष्टिकोण से ईरान के साथ अपने संबंधों को देखा और विकसित किया है और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्थिति कैसे बदलती है, चीन ईरान के साथ मैत्रीपूर्ण सहयोग विकसित करेगा।
- चीन से ईरानी परमाणु मुद्दे के शीघ्र समाधान और 2015 के परमाणु समझौते के कार्यान्वयन के लिए वार्ता का समर्थन करने की भी उम्मीद है और चीन ने समझौते से अमेरिका की वापसी की आलोचना की है।
- 2021 में हस्ताक्षर किए गए 25 साल के सहयोग समझौते पर चर्चा एजेंडे में थी, जिसे अभी लागू किया जाना बाकि है।
- इस समझौते के अनुसार, चीन ईरानी तेल की आपूर्ति के बदले में ईरान की अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों जैसे बुनियादी ढांचा, तेल और गैस में 400 अरब डॉलर तक के दीर्घकालिक निवेश पर विचार करेगा।
- चीनी संचालित ग्लोबल टाइम्स ने आगे उल्लेख किया है कि “ईरान अभी भी अमेरिका द्वारा गंभीर प्रतिबंधों के अधीन था और अमेरिकी रणनीतिक दमन का मुख्य लक्ष्य चीन है”।
- सरकार ने दो नैनो यूरिया इकाइयों का उद्घाटन किया:
- केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री ने उत्तर प्रदेश के आंवला और फूलपुर में दो इफको नैनो तरल यूरिया संयंत्रों का उद्घाटन किया है।
- मंत्री के अनुसार, आने वाले समय में नैनो यूरिया किसानों की प्रगति को सुगम बनाएगा और उनकी आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, और यह किसानों के भविष्य को बदलने में उत्प्रेरक का काम करेगा।
- नैनो यूरिया के फायदों पर प्रकाश डालते हुए मंत्री ने इसे सर्वश्रेष्ठ हरित प्रौद्योगिकी माना है क्योंकि यह न केवल मिट्टी को प्रदूषण से बचाता है बल्कि मिट्टी की उत्पादकता भी बढ़ाता है।
- नैनो यूरिया की तरह ही सरकार की विशेषज्ञ समिति ने नैनो DAP (डायअमोनियम फॉस्फेट) की स्वीकृति भी प्रदान की है जो DAP की आधी कीमत पर उपलब्ध होगा।
इफको के तरल नैनो यूरिया के बारे में अधिक जानकारी के लिए: IFFCO’s Nano Urea Liquid
- अमेरिकी वायु सेना का B-1B लांसर बेंगलुरु में एयरो इंडिया 2023 में उतरा:
- यूनाइटेड स्टेट्स एयर फ़ोर्स (USAF) ने एयरो इंडिया 2023 में अपने बेड़े में दो और विमान जोड़े हैं, दो सुपरसोनिक भारी बमवर्षक, B-1B लांसर बेंगलुरु में उतरे।
- B-1B लांसर, जिसे “Bone (B-one के लिए)” भी कहा जाता है, USAF में निर्देशित और बिना निर्देशित दोनों तरह के हथियारों का सबसे बड़ा पारंपरिक पेलोड ले जाता है।
- B-1B लांसर को अमेरिका की लॉन्ग रेंज बॉम्बर फोर्स की रीढ़ भी माना जाता है।
- B-1B लांसर ने 2021 में एयरो इंडिया के पिछले संस्करण के दौरान भी भाग लिया था और अमेरिका के महावाणिज्य दूत के अनुसार एयरो इंडिया 2023 में भाग लेने के लिए इस लंबी दूरी के, सुपरसोनिक, भारी बमवर्षक की वापसी भारत के साथ बढ़ती रणनीतिक साझेदारी पर संयुक्त राज्य अमेरिका के महत्व को रेखांकित करती है।
- सहायक उप अवर सचिव (अंतर्राष्ट्रीय मामले), USAF ने कहा कि B-1 वरिष्ठ नेताओं और कमांडरों को लचीले विकल्प प्रदान करता है और हाल के वर्षों में पूरे क्षेत्र में हमारे सहयोगियों और भागीदारों के साथ बढ़ा हुआ एकीकरण अधिक अंतर-क्षमता की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. रेल कौशल विकास योजना के संबंध में कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं? (स्तर – मध्यम)
- यह रेलवे कर्मचारियों के बेरोजगार जीवनसाथी/बच्चों को व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करता है।
- इसमें उम्मीदवारों को रोजगार प्रदान करने का प्रावधान शामिल नहीं है।
विकल्प:
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1, न ही 2
उत्तर: b
व्याख्या:
- कथन 1 गलत है: रेल कौशल विकास योजना का उद्देश्य देश भर में रेलवे प्रशिक्षण संस्थानों के माध्यम से रेलवे के लिए प्रासंगिक नौकरियों पर विशेष ध्यान देने के साथ प्रवेश स्तर का प्रशिक्षण प्रदान करना है।
- 10वीं कक्षा उत्तीर्ण कर चुके और 18-35 वर्ष की आयु के उम्मीदवार इस योजना के लिए आवेदन करने के पात्र हैं।
- कथन 2 सही है: इस योजना के प्रतिभागियों को इस प्रशिक्षण के आधार पर रेलवे में रोजगार पाने का कोई दावा नहीं होगा।
प्रश्न 2. राज्यों के विशेष प्रावधानों के संबंध में निम्नलिखित में से कौन से अनुच्छेद सुमेलित हैं?(स्तर – मध्यम)
- 371 B- अरुणाचल प्रदेश
- 371 C- मणिपुर
- 371 F- सिक्किम
- 371 H- गोवा
विकल्प:
- केवल 1 और 3
- केवल 2 और 3
- केवल 3 और 4
- केवल 2, 3 और 4
उत्तर: b
व्याख्या:
- युग्म 1 सुमेलित नहीं है: अनुच्छेद 371B असम राज्य के संबंध में विशेष प्रावधान से संबंधित है।
- युग्म 2 सुमेलित है: संविधान का अनुच्छेद 371C मणिपुर राज्य के संबंध में विशेष प्रावधान से संबंधित है।
- युग्म 3 सुमेलित है: अनुच्छेद 371F सिक्किम राज्य के संबंध में विशेष प्रावधान से संबंधित है।
- युग्म 4 सुमेलित नहीं है: संविधान का अनुच्छेद 371Hअरुणाचल प्रदेश राज्य के संबंध में विशेष प्रावधान से संबंधित है।
प्रश्न 3. निम्नलिखित में से किस एजेंसी ने “वैश्विक समुद्र स्तर में वृद्धि और प्रभाव” रिपोर्ट जारी की?(स्तर – सरल)
- विश्व बैंक
- विश्व आर्थिक मंच
- विश्व मौसम विज्ञान संगठन
- ग्रीन पीस
उत्तर: c
व्याख्या:
- “वैश्विक समुद्र-स्तर में वृद्धि और प्रभाव” पर रिपोर्ट विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) द्वारा जारी की गई थी।
- नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, भारत, चीन, बांग्लादेश और नीदरलैंड वैश्विक स्तर पर समुद्र के स्तर में वृद्धि के उच्चतम खतरे का सामना कर रहे हैं।
प्रश्न 4. भू-विरासत स्थलों के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सत्य है/हैं? (स्तर – मध्यम)
- उनकी घोषणा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा की जाती है।
- संसद ने ऐसे स्थलों की सुरक्षा के लिए “भू-विरासत स्थल और भू-अवशेष (संरक्षण और रखरखाव) अधिनियम” कानून पारित किया है?
विकल्प:
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1, न ही 2
उत्तर: d
व्याख्या:
- कथन 1 गलत है: भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) भारत में भू-विरासत स्थलों की घोषणा करता है।
- GSI ने अब तक 32 भू-विरासत स्थलों की घोषणा की है जिनमें शिवालिक जीवाश्म पार्क, हिमाचल प्रदेश; स्ट्रोमेटोलाइट जीवाश्म पार्क, उदयपुर जिले में झरमारकोटरा रॉक फास्फेट निक्षेप, जैसलमेर में अकल जीवाश्म काष्ठ पार्क।
- कथन 2 सही नहीं है: केंद्रीय खान मंत्रालय ने भू-विरासत स्थलों और भू-अवशेष (संरक्षण और रखरखाव) विधेयक, 2022 का एक मसौदा तैयार किया है जिसका उद्देश्य देश में भू-विरासत स्थलों की रक्षा करना है।
- मसौदा विधेयक अभी संसद में पारित होना बाकी है।
प्रश्न 5. गुप्त वंश के पतन से लेकर आरंभिक सातवीं शताब्दी में हर्षवर्धन के उत्थान तक उत्तर भारत में निम्नलिखित में से किन राज्यों का शासन था? (PYQ 2021) (स्तर – कठिन)
- मगध के गुप्त
- मालवा के परमार
- थानेसर के पुष्यभूति
- कन्नौज के मौखरी
- देवगिरि के यादव
- वल्लभी के मैत्रक
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।
- केवल 1, 2 और 5
- केवल 1, 3, 4 और 6
- केवल 2, 3 और 4
- केवल 5 और 6
उत्तर: b
व्याख्या:
- उत्तर भारत में गुप्तों के पतन से लेकर हर्षवर्धन के उदय तक सबसे प्रमुख राज्य मगध के उत्तरवर्ती गुप्त, थानेश्वर की पुष्यभूति, कन्नौज की मौखरि, वल्लभी की मैत्रक थे।
- मालवा के परमारों ने 9वीं और 14वीं शताब्दी के बीच पश्चिम-मध्य भारत के क्षेत्रों पर शासन किया।
- देवगिरि के यादवों ने दक्कन क्षेत्र के पश्चिमी भाग पर 850 ईस्वी से 1334 ईस्वी के बीच शासन किया था।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. लद्दाख की संवैधानिक स्वायत्तता की मांग इसकी अनूठी सांस्कृतिक और पारिस्थितिक आवश्यकताओं से प्रेरित है। विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक) (जीएस II – राजव्यवस्था)
प्रश्न 2. जम्मू-कश्मीर में लिथियम भंडार की खोज एक भू-रणनीतिक अवसर और साथ ही एक सामाजिक-पर्यावरणीय चुनौती प्रस्तुत करती है। चर्चा कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक) (जीएस II – अर्थव्यवस्था)