18 अप्रैल 2023 : समाचार विश्लेषण
A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: सामाजिक न्याय:
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: पर्यावरण:
D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
---|
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
समलैंगिक विवाह से संबंधित याचिकाएँ:
सामाजिक न्याय:
विषय: कमजोर वर्गों की सुरक्षा और बेहतरी के लिए गठित तंत्र, कानून, संस्थाएं और निकाय।
मुख्य परीक्षा: भारत में समलैंगिक विवाहों के वैधीकरण से जुड़े मुद्दे।
प्रसंग:
- भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पांच-न्यायाधीशों की एक खंडपीठ 18 अप्रैल 2023 को भारत में समलैंगिक विवाह को मान्यता देने वाली याचिकाओं की एक श्रृंखला पर सुनवाई करेगी।
विभिन्न याचिकाएँ:
- समलैंगिक विवाह का समर्थन करने वाले याचिकाकर्ताओं का मुख्य तर्क यह है कि समलैंगिक विवाह को मान्यता न देना भेदभाव करने जैसा है जिसने LGBTQIA+ जोड़ों की गरिमा और उनकी स्वयं की संतुष्टि को नकारात्मक तौर पर प्रभावित किया है।
- दायर की गई इन याचिकाओं के अनुसार, LGBTQ+ नागरिक भारत में कुल आबादी का लगभग 7% से 8% हिस्सा हैं और वेतन, ग्रेच्युटी, दत्तक ग्रहण, सरोगेसी आदि के अधिकारों की गारंटी देने वाले विभिन्न मौजूदा कानूनी संरक्षण LGBTQIA+ नागरिकों के लिए उपलब्ध नहीं हैं।
- इसके अलावा, दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (DCPCR) ने कहा है कि समलैंगिक जोड़े विषमलैंगिक माता-पिता के समान ही अच्छे माता-पिता बनेंगे।
- इस बयान का हवाला देते हुए याचिकाओं में कहा गया है कि समलैंगिक विवाहों को कानूनी दर्जा देने से वंचित करके सरकार बच्चे को दोहरे पितृत्व और अभिभावकता की कानूनी सुरक्षा से वंचित कर रही है।
- 2000 के बाद से, जब नीदरलैंड ने समलैंगिक विवाहों को वैध किया, तो उसके बाद 34 से अधिक देशों ने समलैंगिक विवाहों को वैध कर दिया।
- वर्तमान में, 50 से अधिक देश समलैंगिक जोड़ों को कानूनी रूप से बच्चों को गोद लेने की अनुमति देते हैं।
- अमेरिकन सोशियोलॉजिकल रिव्यू द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, जन्म से ही समलैंगिक माता-पिता द्वारा पाले गए बच्चों के शैक्षणिक परिणाम विषमलैंगिक माता-पिता वाले बच्चों की तुलना में बेहतर देखे गए हैं।
सरकार का रुख:
- केंद्र सरकार के अनुसार समलैंगिक विवाह का विचार केवल एक “शहरी अभिजात्य दृष्टिकोण” है और समलैंगिक विवाह जैसी “नई सामाजिक संस्था” का न्यायिक निर्माण के अधिकार के रूप में दावा नहीं किया जा सकता है।
- सरकार ने माना है कि समलैंगिक विवाह भारत में एक जैविक पुरुष और महिला के बीच विवाह के “पवित्र मिलन” के समक्ष संकट उत्पन्न करते हैं और कहा है कि समलैंगिक विवाहों के संबंध में निर्णय लेने की शक्तियाँ संसद के पास है न कि न्यायालयों के पास।
- इसके अलावा, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने तर्क दिया है कि समलैंगिक विवाह किशोर न्याय अधिनियम, 2015 ( Juvenile Justice Act, 2015) के प्रावधानों का उल्लंघन करता है।
- वर्ष 2015 का किशोर न्याय अधिनियम एक अकेले पुरुष द्वारा एक लड़की को गोद लेने पर रोक लगाता है।
- NCPCR ने कैथोलिक यूनिवर्सिटी ऑफ अमेरिका द्वारा किए गए एक अध्ययन का भी हवाला दिया। इसके अनुसार, विषमलैंगिक माता-पिता द्वारा पाले गए बच्चों की तुलना में समलैंगिक जोड़ों द्वारा पाले गए बच्चों ने भावनात्मक समस्याओं का दो गुना अधिक अनुभव किया।
विभिन्न धार्मिक निकायों और गैर सरकारी संगठनों का मत/विचार:
- श्री सनातम धर्म प्रतिनिधि सभा के अनुसार, समलैंगिक विवाहों को वैधता प्रदान करना “विनाशकारी” होगा और इसका भारतीय संस्कृति और समाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
- जमीयत-उलमा-ए-हिंद ने भी समलैंगिक विवाह के वैधीकरण पर चिंता जताई है और कहा है कि विपरीत लिंग के बीच विवाह, विवाह की एक “मूल विशेषता” है।
- तेलंगाना मरकज़ी शिया उलेमा काउंसिल के अनुसार, समलैंगिक जोड़े द्वारा पाले गए बच्चे या व्यक्ति सबसे अधिक अवसाद, कम शैक्षणिक उपलब्धि, बेरोजगारी आदि से पीड़ित होंगे।
- कंचन फाउंडेशन ने कहा है कि गहरी जड़ें जमा चुकी रूढ़िवादिता और मानसिक एवं सामाजिक बाधाओं को एक न्यायिक फैसले से खत्म नहीं किया जा सकता है और कहा कि भारतीय समाज को समलैंगिक विवाहों को स्वीकार करने के लिए समय की आवश्यकता है।
- कॉल फॉर जस्टिस NGO के अनुसार, “शादी प्राकृतिक कानून से चलती है” और विपरीत लिंगों के बीच विवाह की सदियों पुरानी संस्था में कोई भी बदलाव केवल विधायिका के माध्यम से एक लोकप्रिय इच्छा के माध्यम से होना चाहिए।
- इस मुद्दे पर अधिक जानकारी के लिए 28 नवंबर 2022 का UPSC परीक्षा विस्तृत समाचार विश्लेषण का आलेख देखें।
- संसद टीवी परिप्रेक्ष्य: समलैंगिक विवाह को वैध बनाना-से संबंधित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:Sansad TV Perspective: Legalising Same-Sex Marriage
सारांश:
|
---|
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
समुद्र में प्लास्टिक के मलबे पर तटीय प्रजातियां कैसे निवास कर रही हैं:
पर्यावरण:
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण
प्रारंभिक परीक्षा: ग्रेट पैसिफिक गारबेज पैच के बारे में
मुख्य परीक्षा: समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण से जुड़ी प्रमुख चुनौतियाँ
प्रसंग
- अप्रैल 2023 में लिंसे ई. हरम, और अन्य द्वारा ‘उत्तरी प्रशांत उपोष्णकटिबंधीय चक्र में प्लास्टिक के मलबे पर तटीय प्रजातियों का विस्तार और प्रजनन’, का प्रकाशन किया गया।
मुख्य विवरण:
- विभिन्न वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के इतिहास में एक नई अवधि के लिए “एंथ्रोपोसीन युग” नाम का प्रस्ताव दिया है, जिसे ग्रह के भूविज्ञान और इसके पारिस्थितिक तंत्र पर एक प्रजाति (यानी होमो सेपियन्स) के प्रभाव के रूप में चिन्हित किया गया है।
- विशेषज्ञ यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि वास्तव में एंथ्रोपोसीन युग कब प्रारंभ हुआ था क्योंकि कुछ का मानना है कि यह तब प्रारंभ हुआ था जब पहले परमाणु हथियार का परीक्षण किया गया था जबकि अन्य का मानना है कि यह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद तीव्र औद्योगिकीकरण के चरण के दौरान प्रारंभ हुआ था।
- कुछ शोधकर्ताओं और पर्यावरणविदों का मत है कि प्लास्टिक कचरे के निर्माण को भी युग की शुरुआत माना जा सकता है।
- प्लास्टिक अपशिष्ट या कचरा अब शहरी क्षेत्रों, नदियों और जंगलों में भी प्रचुर मात्रा में फ़ैल गया है।
- सबसे ऊंची चोटियों के ढलानों से लेकर रसातल की खाइयों की गहराई तक प्लास्टिक के अपशिष्ट देखे जा सकते हैं।
- कनाडा, नीदरलैंड और अमेरिका के शोधकर्ताओं द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन में, यह पाया गया कि तटीय जीवनरूप ग्रेट पैसिफिक गारबेज पैच में प्लास्टिक की वस्तुओं पर आवास बना रहे हैं।
द ग्रेट पैसिफिक गारबेज पैच:
चित्र स्रोत: National Geographic
- द ग्रेट पैसिफिक गारबेज पैच उत्तरी प्रशांत महासागर में समुद्री मलबे का एक संग्रह है।
- द ग्रेट पैसिफिक गारबेज पैच को पैसिफिक ट्रैश वोर्टेक्स के नाम से भी जाना जाता है।
- इस क्षेत्र या स्थान में दिखाई देने वाले कचरे के ढेर में उत्तरी प्रशांत उपोष्णकटिबंधीय चक्र के अंदर मलबे के दो अलग-अलग संग्रह होते हैं।
- समुद्र में पानी की धाराएँ होती हैं जो मुख्य रूप से हवाओं और कोरिओलिस बल के कारण लूप बनाती हैं। इन्हें जायर (Gyre) कहा जाता है।
- उत्तरी प्रशांत उपोष्णकटिबंधीय चक्र प्रशांत महासागर में भूमध्य रेखा के उत्तर में स्थित एक जायर है।
- जायर में कुरोशियो, उत्तरी प्रशांत, कैलिफोर्निया और उत्तरी भूमध्यरेखीय धाराओं जैसी समुद्री धाराएँ होती हैं और यह दक्षिणावर्त दिशा में चलती हैं।
- उत्तरी प्रशांत उपोष्णकटिबंधीय जायर के अंदर, हवाई के ठीक उत्तर में, मलबे की एक लंबी पूर्व-पश्चिम पट्टी है जो वर्षों से समुद्र की धाराओं द्वारा एकत्र की गई है।
- अनुमान के मुताबिक, ग्रेट पैसिफिक गारबेज पैच में लगभग 45,000 से 1,29,000 मीट्रिक टन प्लास्टिक है, जो मुख्य रूप से माइक्रोप्लास्टिक्स के रूप में है।
एक नवीनतम अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष:
- शोधकर्ताओं के अनुसार, 2011 में आई जापानी सूनामी ने मलबे के ढेर में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
- 2017 तक शोधकर्ताओं ने उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी तट पर मलबे को प्रवाहित होते हुए देखा था जिसमें मूल रूप से जापान में पाए जाने वाले जीवित जीवनरूप उपस्थित थे।
- नवंबर 2018 से जनवरी 2019 के बीच, शोधकर्ताओं ने पैच के पूर्वी हिस्से से लगभग 105 प्लास्टिक के मलबे के टुकड़ों को एकत्रित किया और इस पर अध्ययन किया गया।
- अध्ययनों से पता चला है कि मलबे में पाई गई वस्तुओं में से करीब 98% में अकशेरूकीय जीव थे।
- शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि 94.3% वस्तुओं पर पेलेजिक प्रजातियाँ (यानी खुले समुद्र की प्रजातियाँ) पाई गईं और 70.5% वस्तुओं पर तटीय प्रजातियाँ पाई गईं।
- इसके अलावा, आर्थ्रोपोड्स और मोलस्क जैसी तटीय प्रजातियों को ऐसे मानव निर्मित प्लास्टिक के अपशिष्ट के द्वीपों पर तैरते करते हुए देखा गया, जिनकी संख्या पेलेजिक प्रजातियों की तुलना में तीन गुना अधिक थी।
- कुल मिलाकर लगभग 46 वर्गों से संबंधित जीव पाए गए, जिनमें से 37 तटीय थे और बाकी पेलेजिक थे।
- तटीय प्रजातियाँ मछली पकड़ने के जालों पर सबसे अधिक देखी गईं, जबकि पेलेजिक प्रजातियाँ क्रेट पर पाई गईं।
- पाई जाने वाली सभी प्रजातियों में, क्रस्टेशियंस (अर्थात आमतौर पर कठोर आवरण वाले जीव जैसे केकड़े, झींगा मछली, झींगा, आदि) सबसे आम प्रजातियाँ थीं।
निष्कर्षों की प्रासंगिकता:
- रिपोर्ट में कहा गया है कि 1950 के दशक से अपेक्षाकृत स्थायी मानवजनित प्लास्टिक पैच के विशाल क्षेत्र के निर्माण से खुले समुद्र में एक नए प्रकार के स्थायी तटीय समुदाय का विकास हुआ है जिसे “नियोपेलैजिक समुदाय” नाम दिया गया है।
- शोधकर्ताओं के अनुसार, नियोपेलैजिक समुदाय तटीय प्रजातियों की तरह अन्यत्र-स्थानिक नहीं है, जिन्हें अतीत में मानव निर्मित वस्तुओं पर देखा गया था, क्योंकि नियोपेलैजिक प्रजातियां अब कचरे के ढेर में प्लास्टिक की वस्तुओं पर पनपती हैं, जिसमें उसी स्थान पर उनका प्रजनन भी शामिल है।
- शोधकर्ताओं ने पाया कि इस तरह के कचरे के पैच पर 68% तटीय प्रजातियाँ और 33% पेलजिक प्रजातियाँ अलैंगिक रूप से प्रजनन करते हैं।
- शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि पॉलीथीन फिल्मों ने चीन में चट्टानों के साथ रासायनिक रूप से बंध का निर्माण कर लिया था। इससे हमें अन्य उदाहरणों के गठन को समझने में मदद मिलती है जैसे:
- ब्राजील का “एंथ्रोपोक्विनास” जहां तलछटी चट्टानें प्लास्टिक की बालियों से युक्त पाई गईं।
- हवाई के “प्लास्टिग्लोमेरेट्स” जहां समुद्र तट के तलछट कार्बनिक मलबे, बेसाल्टिक लावा और पिघले हुए प्लास्टिक के साथ पाए गए थे।
सारांश:
|
---|
संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
अरुणाचल प्रदेश पर चीन की चाल:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध।
मुख्य परीक्षा: भारत-चीन संबंध।
प्रसंग:
- चीन की सरकार ने घोषणा की कि वह अरुणाचल प्रदेश में 11 स्थानों के नामों का “मानकीकरण” करेगी।
भूमिका:
- चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने अरुणाचल प्रदेश में 11 स्थानों के लिए नए नाम जारी किए हैं।
- कुछ पुनर्नामित स्थान पंगचेन-तवांग-जंग-सेला अक्ष पर स्थित हैं। जबकि अन्य ऊपरी सुबनसिरी जिले में पुराने बौद्ध तीर्थ सर्किट के पास, पश्चिम सियांग में मेनचुका-तातो तहसील, और लोहित और अंजॉ जिले (वालोंग के पास) में स्थित हैं।
- इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए 09 अप्रैल 2023 का UPSC परीक्षा विस्तृत समाचार विश्लेषण का आलेख देखें।
पृष्ठभूमि विवरण:
- इससे पहले 2020 में, चीन ने दक्षिण चीन सागर (South China Sea) में पैरासेल्स और स्प्रैटली में लगभग 80 भौगोलिक स्थानों को नामित किया था।
- विशेष रूप से, इसने 1983 में दक्षिण चीन सागर में 287 भौगोलिक स्थानों का नामकरण किया था।
- 1950 के दशक में, जापान के साथ विवाद से बहुत पहले, चीन ने पूर्वी चीन सागर में सेनकाकू द्वीप के लिए “दियाओयुताई” का उपयोग करना शुरू कर दिया था।
- यह तर्क दिया जाता है कि यह एक चीनी रणनीति है जहां यह विदेशी क्षेत्रों के काल्पनिक नामकरण के दृष्टिकोण को अपनाता है और फिर “तीन युद्ध” अर्थात् भ्रामक प्रचार, मनोवैज्ञानिक और कानूनी युद्ध की रणनीति अपनाता है।
- गौरतलब है कि चीन ने हिंद महासागर में महासागर के नीचे स्थित कईं संरचनाओं का भी नामकरण किया है। इसमें चीनी वाद्य यंत्रों के नामों का प्रयोग किया गया है।
- चीन ने 1986 में नामकरण, नाम बदलने और मानकीकरण अभ्यास के लिए भौगोलिक नाम विनियमन की पुरःस्थापना की थी। मई 2022 में इसमें संशोधन किया गया था।
- चीनी सरकार ने “संप्रभुता” (बल के उपयोग के साथ भी) की रक्षा के लिए फरवरी 2021 में एक नया तटरक्षक कानून बनाया था।
- इसी तरह, इसने एक नया भूमि सीमा कानून भी पारित किया (1 जनवरी 2022 से प्रभावी)।
- 2017 के बाद से, चीन लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक भारत की सीमा से सटे क्षेत्रों में दोहरे उद्देश्य वाले गांवों का निर्माण कर रहा है, जिन्हें ज़ियाओकांग गांव कहा जाता है।
- भारत सरकार ने क्षेत्रों के नाम बदलने को सिरे से खारिज कर दिया है और इस बात पर प्रकाश डाला है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य अंग है।
ऐतिहासिक पहलू:
- ह्यूग एडवर्ड रिचर्डसन (तिब्बत और इसका इतिहास) के अनुसार, छठे दलाई लामा (1683-1706) के बाद उत्तराधिकार संघर्ष के दौरान तिब्बत में किंग (Qing) की उपस्थिति का 1720 के आसपास उदय हुआ था।
- इस प्रकार, तवांग पर चीनी दावे का कोई आधार नहीं है।
- अरुणाचल प्रदेश (पहले नॉर्थ-ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी के रूप में जाना जाता था) विभिन्न जनजातियों का घर रहा है और यह भारत की सभ्यतागत विरासत का एक हिस्सा है।
- महाभारत, रामायण, कालिका पुराण, विष्णु पुराण, योगिनी पुराण और कालिदास के रघुवंश जैसे विभिन्न प्राचीन ग्रंथों में इन जनजातियों के संदर्भ हैं।
- कुछ उदाहरण जो अरुणाचल प्रदेश के इतिहास को दर्शाते हैं:
- यह उल्लेख किया गया है कि प्रागज्योतिष और कामरूप के राज्यों की सीमाओं में पूरा अरुणाचल प्रदेश शामिल था।
- ज़ीरो (Ziro) में शिव लिंग, परशुराम कुंड, और मालिनीथन के मंदिर के खंडहर इस क्षेत्र में एक प्राचीन हिंदू प्रभाव को दर्शाते हैं।
- कुछ मिश्मी राजा भीष्मक के वंशज होने का दावा करते हैं और कुछ अका राजा भालुका के वंशज होने का दावा करते हैं।
- इस क्षेत्र से प्राप्त कई चांदी के सिक्के और शिलालेख बंगाल के एक मुस्लिम शासक से जुड़े हुए हैं।
- भालुकपोंग, इटा और भीष्मकनगर (10वीं और 16वीं शताब्दी के बीच निर्मित) जैसे क्षेत्र की वास्तुकला रामायण, महाभारत और अर्थशास्त्र में उल्लिखित वास्तु सिद्धांतों से अत्यधिक प्रेरित प्रतीत होती है।
निष्कर्ष:
- अरुणाचल प्रदेश भारत की बेहतरीन सांस्कृतिक और सभ्यतागत विरासत का प्रतिनिधित्व करता है।
- यह अनुशंसा की जाती है कि सरकार को चीन के अवैध कब्जे वाले स्थानों और क्षेत्रों को भारतीय नाम देना चाहिए। उदाहरण के लिए अक्साई चिन का नाम बदला जा सकता है।
संबंधित लिंक:
Types of Constitutional Bodies in India (UPSC Indian Polity)
सारांश:
|
---|
भीषण गर्मी की समस्या:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण:
विषय: जलवायु परिवर्तन।
मुख्य परीक्षा: मौसम परिवर्तनशीलता और नगरीय ऊष्मा द्वीप प्रभाव।
प्रारंभिक परीक्षा: नगरीय ऊष्मा द्वीप प्रभाव।
विवरण:
- यह रेखांकित किया गया है कि भारत में लगभग 350 मिलियन लोग अप्रैल और मई 2022 के बीच अत्यधिक गर्मी से प्रभावित थे।
- 1990 से 2019 की अवधि के दौरान, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और बिहार राज्यों में ग्रीष्म ऋतु के औसत तापमान में 0.5-0.9 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई।
- अनुमान है कि 2021 से 2050 के बीच अधिकतम तापमान 100 जिलों में 2-3.5 डिग्री सेल्सियस और लगभग 455 जिलों में 1.5-2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाएगा।
- इसी तरह का पैटर्न लगभग 485 जिलों के शीत ऋतु के तापमान में भी देखा जाएगा।
- जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के रूप में, अप्रैल-मई का तापमान हर तीन साल में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच जाएगा।
यह भी पढ़ें: Climate Change In India [UPSC Notes GS III]
मौसम की परिवर्तनशीलता पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव:
- भारतीय शहर नगरीय ऊष्मा द्वीप प्रभाव (urban heat island effect) का सामना कर रहे हैं।
- इसके अलावा, आर्द्रता महसूस होने वाले तापमान को बढ़ा देती है, कई शहरों में आर्द्र बल्ब का तापमान 32 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच गया है।
- उत्तरी भारत में मौसम परिवर्तनशीलता के एक उदाहरण में, जनवरी 2023 (शीत ऋतु) के बाद फरवरी और मार्च की शुरुआत में हीट वेव चली। इसके अलावा, अप्रैल 2023 की शुरुआत में ओलावृष्टि और भारी बारिश का अनुभव किया गया था।
मौसम की परिवर्तनशीलता का प्रभाव
- यह कृषि को प्रभावित करता है। उदाहरण के लिए, पिछले कुछ महीनों में गुजरात और राजस्थान (जीरे का 90% उत्पादन करने वाला क्षेत्र) में मौसम की परिवर्तनशीलता ने जीरे की अधिकांश फसलों को नष्ट कर दिया है।
- इसके परिणामस्वरूप सूखे की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
- यह उच्च मृत्यु दर के लिए जिम्मेदार है।
- बढ़ता तापमान शहरों को तेजी से अनुपयोगी बना रहा है।
- यह श्रम उत्पादकता को प्रभावित करता है। एक अध्ययन के अनुसार, हीट के संपर्क में आने से मजदूरों को प्रति वर्ष 162 घंटे का नुकसान हो सकता है।
- सीमांत किसान, निर्माण स्थलों पर मजदूर, रेहड़ी-पटरी वाले और यहां तक कि गिग-अर्थव्यवस्था के कामगार भी प्रभावित होते हैं।
भावी कदम:
- अत्यधिक गर्मी की समस्या को कम करने के लिए प्रत्येक शहरी नागरिक को शहरी परिदृश्य में कम से कम सात पेड़ लगाने चाहिए।
- टीयर 2 और टीयर 3 शहरों के लिए विकास योजनाओं में शहरी वनों के घनत्व और क्षेत्र को बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए।
- आर्द्रभूमि का विस्तार किया जाना चाहिए और मृत और खस्ताहाल जल निकायों को बहाल किया जाना चाहिए।
- नगरीय ऊष्मा द्वीप प्रभाव को कम करने के लिए, नागरिक बुनियादी ढांचे और आवासीय निर्माण में पारगम्य सामग्रियों का उपयोग किया जा सकता है।
- वाहनों और कारखानों से मानवजनित ऊष्मा उत्सर्जन को कम किया जाना चाहिए।
- अन्य उपायों में वेंटिलेशन के लिए ईंट की जालियों और गर्म हवा से बचने के लिए टेराकोटा टाइलों का उपयोग शामिल है।
- ऊष्मा-अवशोषक गैल्वेनाइज्ड लोहे और धातु की रूफ़ शीट्स के उपयोग को प्रतिबंधित करने के लिए शहरी भवन मानकों को अपग्रेड किया जाना चाहिए।
- खाना पकाने के स्वच्छ ईंधन से घर के अंदर वायु प्रदूषण कम होगा।
- कुछ और विधियों में शामिल हैं:
- सार्वजनिक परिवहन को अपनाना और निजी वाहन के उपयोग को कम करना।
- लैंडफिल के आकार को कम करना।
- स्रोत पर ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के साथ-साथ अपशिष्ट पृथक्करण।
- पूर्वानुमान क्षमता में सुधार किया जाना चाहिए।
- राज्य, जिला, शहर और नगरपालिका वार्ड स्तरों पर मौसम की परिवर्तनशीलता और शहरी ताप प्रबंधन पर विस्तृत नीतियां और दिशानिर्देश तैयार किए जाने चाहिए।
- नीति निर्माताओं को भारत को ऐसी स्थितियों के अनुकूल बनाने में मदद करने के लिए निवारक उपाय करने चाहिए और संरचनात्मक बुनियादी ढाँचे का निर्माण करना चाहिए।
चंडीगढ़ की केस स्टडी
|
---|
संबंधित लिंक:
Heat wave risk reduction, Causes of Rising Heat across Northwest India
सारांश:
|
---|
प्रीलिम्स तथ्य:
1. मैंग्रोव पिट्टा (Mangrove Pitta ):
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
जैव विविधता:
विषय: जैव विविधता संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण।
प्रारंभिक परीक्षा: मैंग्रोव पिट्टा से संबंधित तथ्यात्मक जानकारी।
प्रसंग:
- मैंग्रोव पिट्टा पक्षियों की पहली जनगणना ओडिशा के दो तटीय जिलों में की गई और लगभग 179 ऐसे पक्षी देखे गए हैं।
मैंग्रोव पिट्टा:
चित्र स्रोत: eBird.org
- मैंग्रोव पिट्टा (पिट्टा मेघरेंचा) एक छोटी पक्षी प्रजाति है जो कि पिट्टीडी (Pittidae) परिवार से संबंधित है, यह प्रजाति पूर्वी भारतीय उपमहाद्वीप और पश्चिमी दक्षिणपूर्व एशिया की मूल निवासी है।
- मैंग्रोव पिट्टा प्रजाति भारत, बांग्लादेश, म्यांमार, थाईलैंड, मलेशिया, सिंगापुर और इंडोनेशिया में पायी जाती है।
- यह पक्षी प्रजाति भारत के तटीय मैंग्रोव जंगलों जैसे ओडिशा में भितरकनिका और पश्चिम बंगाल में सुंदरबन में पाई जाती है।
- मैंग्रोव पिट्टा पक्षी काले मास्क, हरे-और-काले पंखों और पीले पेट के साथ चमकीले रंग का होता है।
- मैंग्रोव पिट्टा आम तौर पर क्रस्टेशियन, मोलस्क और कीड़ों को खाता है।
- IUCN रेड लिस्ट स्थिति: संकटासन्न (Near Threatened )
- WPA अनुसूची: पिट्टीडी (Pittidae) परिवार से संबंधित पिट्टा पक्षी को अनुसूची IV के तहत सूचीबद्ध किया गया है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
1.छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने नौवीं अनुसूची में उच्च कोटा विधेयकों को शामिल करने की मांग करते हुए PM को पत्र लिखा:
- छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में उच्च कोटा की अनुमति देने वाले दो संशोधन विधेयकों को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग करते हुए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा।
- नौवीं अनुसूची में केंद्रीय और राज्य कानूनों की एक सूची शामिल है जिन्हें अदालतों में चुनौती नहीं दी जा सकती है।
- छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में राज्य की जनसांख्यिकी पर प्रकाश डालते हुए बताया कि “राज्य के ओबीसी लोगों की सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक स्थिति अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के लोगों की तरह कमजोर है क्योंकि इन वर्गों में से तीन-चौथाई किसान, सीमांत और छोटे किसान हैं और उनमें से बड़ी संख्या में खेतिहर मजदूर हैं”।
- उन्होंने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य की विशेष परिस्थितियों को देखते हुए संविधान की नौवीं अनुसूची में संशोधन को शामिल करने की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पिछड़े वर्ग के लोगों को न्याय मिले।
- सितंबर 2022 में, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने 2013 के राज्य सरकार के 58% कोटा की अनुमति देने के आदेश को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि 50% की सीमा से ऊपर आरक्षण प्रदान करना “असंवैधानिक” है।
- तब राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण) संशोधन विधेयक और छत्तीसगढ़ शैक्षिक संस्थान (प्रवेश में आरक्षण) संशोधन विधेयक पारित किया था, जिस पर राज्य के राज्यपाल ने हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था।
- भारतीय संविधान की अनुसूचयों से संबंधित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: Schedules of Indian Constitution
2. IT टैरिफ लाइन के संबंध में भारत, यूरोपीय संघ और अन्य के खिलाफ WTO पैनल के नियम:
- विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization (WTO)) के एक पैनल ने यह माना है कि IT उत्पादों पर आयात शुल्क को लेकर यूरोपीय संघ (EU), जापान और ताइवान के साथ विवाद में भारत ने वैश्विक व्यापार नियमों का उल्लंघन किया है।
- WTO पैनल की रिपोर्ट ने भारत को अपने दायित्वों के अनुरूप ऐसे उपायों को लाने की सिफारिश की है।
- वर्ष 2019 में, यूरोपीय संघ ने भारत द्वारा IT उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए 7.5% और 20% के बीच आयात शुल्क लगाने को यह कहते हुए चुनौती दी थी कि वे अधिकतम दर से अधिक हैं, जिसमें मोबाइल फोन और एकीकृत सर्किट जैसे घटक शामिल थे।
- बाद में जापान और ताइवान ने भी इसी तरह की शिकायतें दर्ज कराईं।
- पैनल ने आगे कहा कि भारत ने वैश्विक व्यापार नियमों के अनुरूप कुछ चुनौतीपूर्ण शुल्कों में पहले ही बदलाव कर दिया था और जापान के इस दावे को भी खारिज कर दिया था कि भारत की सीमा शुल्क अधिसूचना में “पूर्वानुमेयता” का अभाव है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. हाल ही में चर्चा में रहा “एक सप्ताह-एक प्रयोगशाला” कार्यक्रम क्या है? (स्तर – कठिन)
- दुनिया भर में सूक्ष्म जीव विज्ञान प्रयोगशालाओं में एंटी-माइक्रोबियल प्रतिरोध के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए WHO द्वारा एक कार्यक्रम।
- भारत में CSIR प्रयोगशालाओं द्वारा किए गए कार्यों को उजागर करने के लिए राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला द्वारा पहल।
- कृत्रिम रूप से विकसित रोगजनकों के खिलाफ आसूचना विकसित करने के लिए वैश्विक सहयोग।
- LIGO नेटवर्क के माध्यम से गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पता लगाने की पहल।
उत्तर: b
व्याख्या:
- “एक सप्ताह एक प्रयोगशाला” अभियान प्रौद्योगिकी, नवाचार और स्टार्टअप में भारत की वैश्विक उत्कृष्टता पर प्रकाश डालता है।
- वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की 37 प्रयोगशालाएँ देश भर में फैली हुई है, जो काम के एक अलग विशिष्ट क्षेत्र के लिए समर्पित है, जिसे इसके द्वारा किए जा रहे कार्यों को प्रदर्शित करने के लिए “एक सप्ताह एक प्रयोगशाला” के तहत एक अवसर दिया जाएगा।
प्रश्न 2. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सत्य है/हैं? (स्तर – सरल)
- गोल्डन ट्राएंगल भारत के पूर्व में स्थित है जबकि गोल्डन क्रीसेंट हमारे पश्चिम में स्थित है।
- केंद्र सरकार ने समुद्री मार्गों से मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने के लिए एक बहु-एजेंसी समिति का गठन किया है।
विकल्प:
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1, न ही 2
उत्तर: c
व्याख्या:
- कथन 1 सही है:
चित्र स्रोत: India Today
- कथन 2 सही है: केंद्र सरकार ने मुख्य रूप से समुद्री मार्ग से देश में मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने के लिए सभी बंदरगाहों पर जाँच तंत्र की समीक्षा करने और खामियों को दूर करने के लिए कई जांच एजेंसियों के वरिष्ठ प्रतिनिधियों वाली एक समिति का गठन किया है।
- खुफिया ब्यूरो (IB), स्वापक नियंत्रण ब्युरो (NCB), राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI), नौसेना और भारतीय तट रक्षक जैसी एजेंसियों के अधिकारी बहु-एजेंसी समिति का हिस्सा हैं।
प्रश्न 3. गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETFs) के बारे में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (स्तर – मध्यम)
- वे इलेक्ट्रॉनिक स्वर्ण का एक रूप हैं, जो वास्तविक स्वर्ण से समर्थित होते हैं।
- भारत में इन्हें 2007 में प्रस्तुत किया गया था।
- शेयर बाजारों में इनके व्यापार की अनुमति नहीं है, लेकिन इन्हें बैंकों में भुनाया जा सकता है।
विकल्प:
- केवल एक कथन
- केवल दो कथन
- सभी तीनों कथन
- कोई भी नहीं
उत्तर: b
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड निवेशकों को ETFs की इकाइयों के रूप में डिजिटल रूप में सोना खरीदने की अनुमति देते हैं और गोल्ड ETFs की कीमतें सोने की कीमत पर आधारित होती हैं।
- कथन 2 सही है: गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स को भारत में 2007 में पेश किया गया था।
- कथन 3 गलत है: गोल्ड ETFs को डीमैट खाते और ट्रेडिंग खाते का उपयोग करके ब्रोकर के माध्यम से स्टॉक एक्सचेंज में बेचा जा सकता है और स्टॉक एक्सचेंज पर इकाइयों को बेचकर भुनाया जा सकता है।
प्रश्न 4. स्टारशिप के बारे में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (स्तर – मध्यम)
- यह ESA के सहयोग से NASA द्वारा विकसित अब तक का सबसे शक्तिशाली रॉकेट है।
- इसका उपयोग NASA के आर्टेमिस III मिशन के तहत अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर ले जाने के लिए किया जाएगा।
विकल्प:
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1, न ही 2
उत्तर: b
व्याख्या:
- कथन 1 गलत है: स्टारशिप एक सुपर हेवी-लिफ्ट प्रक्षेपण वाहन है जिसे स्पेसएक्स (SpaceX) द्वारा विकसित किया जा रहा है।
- स्पेस एक्सप्लोरेशन टेक्नोलॉजीज कॉर्प (SpaceX) एक अमेरिकी अंतरिक्ष यान निर्माता, प्रक्षेपक और उपग्रह संचार कंपनी है जिसकी स्थापना 2002 में इलोन मस्क ने की थी।
- कथन 2 सही है: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने आर्टेमिस III मिशन के एक भाग के रूप में 2025 के अंत में अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर ले जाने के लिए स्टारशिप अंतरिक्ष यान को चुना है।
प्रश्न 5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: PYQ 2017 (स्तर – मध्यम)
- भारत का निर्वाचन आयोग पाँच-सदस्यीय निकाय है।
- संघ का गृह मंत्रालय, आम चुनाव और उप-चुनावों दोनों के लिए चुनाव कार्यक्रम तय करता है।
- निर्वाचन आयोग मान्यता-प्राप्त राजनीतिक दलों के विभाजन/विलय से संबंधित विवाद निपटाता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
- केवल 1 और 2
- केवल 2
- केवल 2 और 3
- केवल 3
उत्तर: d
व्याख्या:
- कथन 1 गलत है: 1950 में अपनी स्थापना के बाद अक्टूबर 1989 तक, भारत का निर्वाचन आयोग (ECI) एक सदस्यीय निकाय था, जिसके एकमात्र सदस्य के रूप में केवल मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) होते थे।
- अक्टूबर 1989 में, ECI तीन सदस्यीय निकाय बन गया क्योंकि अब इसमें एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) और दो निर्वाचन आयुक्त (EC) शामिल हैं।
- कथन 2 गलत है: आम चुनाव और उपचुनावों दोनों के लिए चुनाव कार्यक्रम भारत का निर्वाचन आयोग तय करता है।
- कथन 3 सही है: निर्वाचन आयोग मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के विभाजन/विलय से संबंधित विवादों का समाधान करता है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. चीन के ‘नाम बदलने वाले भ्रामक प्रचार (प्रोपगैंडा)’ पर भारत की प्रतिक्रिया वैसा ही कदम होना चाहिए न कि चुप्पी। क्या आप इससे सहमत हैं? चर्चा कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) [जीएस-2, अंतर्राष्ट्रीय संबंध]
प्रश्न 2. हम भारत में शहरी क्षेत्रों में अत्यधिक गर्मी के प्रभाव को कैसे कम कर सकते हैं? (250 शब्द; 15 अंक) [जीएस-3, पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण]