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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 19 December, 2022 UPSC CNA in Hindi

19 दिसंबर 2022 : समाचार विश्लेषण

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

भारतीय राजव्यवस्था:

  1. केंद्र के लोकपाल की तर्ज पर महाराष्ट्र में लोकायुक्त कानून:

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

  1. डीपफेक तकनीक: कैसे और क्यों चीन इसे विनियमित करने की योजना बना रहा है?

पर्यावरण:

  1. भारत का नए जैव विविधता कोष पर जोर:

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

भारतीय राजव्यवस्था:

  1. भारत के न्यायालयों में लंबित मामलों की भारी संख्या को घटाने हेतु लीक से हटकर सुधार की आवश्यकता:

शासन:

  1. पारम्परिक तरीकों से परे सुशासन:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. 3 देशों के 6 अल्पसंख्यक समूहों के लिए नागरिकता का रास्ता आसान होगा:

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. मिसाइल विध्वंसक INS मोरमुगाओ को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया:
  2. ऑनलाइन डिलीवरी हेतु 3,000 से अधिक सरकारी सेवाओं को जोड़ा जाएगा:

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

केंद्र के लोकपाल की तर्ज पर महाराष्ट्र में लोकायुक्त कानून:

भारतीय राजव्यवस्था:

विषय: सरकार की नीतियां और हस्तक्षेप।

प्रारंभिक परीक्षा: लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम।

मुख्य परीक्षा: महाराष्ट्र में लोकायुक्त कानून।

विवरण:

  • महाराष्ट्र सरकार ने केंद्र के लोकपाल अधिनियम की तर्ज पर राज्य में लोकायुक्त की शुरुआत करने पर अन्ना हजारे समिति की रिपोर्ट को मंजूरी दे दी है। पैनल की इस समिति की सिफारिशों को पूरी तरह से स्वीकार कर लिया गया है।
  • इससे संबंधित एक विधेयक राज्य विधानसभा के शीतकालीन सत्र में लाया जाएगा।
  • मुख्यमंत्री और कैबिनेट को भी लोकायुक्त के दायरे में लाया जाएगा।
  • यह लोकायुक्त सर्वोच्च न्यायालय (न्यायाधीश) या उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश होंगे। उनके साथ रिटायर्ड जजों समेत 5 लोगों की एक टीम होगी।
  • एंटी करप्शन एक्ट (भ्रष्टाचार विरोधी अधिनियम) को भी नए कानून का हिस्सा बनाया जाएगा।
  • महाराष्ट्र को “भ्रष्टाचार मुक्त” बनाने के लिए लोकायुक्त कानून प्रस्तावित किया गया है।
  • लोकपाल और लोकायुक्त से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Lokpal & Lokayuktas: RSTV – The Big Picture; read more on the RSTV discussion

सारांश:

  • पारदर्शिता बढ़ाने और महाराष्ट्र को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए महाराष्ट्र सरकार राज्य विधानसभा में लोकपाल विधेयक पेश करेगी।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

डीपफेक तकनीक: कैसे और क्यों चीन इसे विनियमित करने की योजना बना रहा है?

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में जागरूकता।

प्रारंभिक परीक्षा: डीपफेक तकनीकी।

मुख्य परीक्षा: डीपफेक टेक्नोलॉजी और इससे निपटने हेतु नीतियां।

संदर्भ:

  • वर्तमान में चीन डीपफेक तकनीक को विनियमित करने की योजना बना रहा है।

विवरण:

  • चीन का साइबरस्पेस प्रशासन डीप सिंथेसिस तकनीक के इस्तेमाल पर अंकुश लगाने और इसके दुष्प्रचार को रोकने के लिए इन नए नियमों को 10 जनवरी, 2022 से प्रभावी रूप से लागू करेगा।
  • डीप सिंथेसिस को आभासी दृश्य बनाने के लिए मूलपाठ, चित्र, ऑडियो और वीडियो उत्पन्न करने के लिए डीप लर्निंग और संवर्धित वास्तविकता ( augmented reality) सहित प्रौद्योगिकियों के उपयोग के रूप में परिभाषित किया गया है।
  • डीपफेक इस तकनीक का सबसे कुख्यात अनुप्रयोग है जहां सिंथेटिक मीडिया का उपयोग एक व्यक्ति के चेहरे या आवाज को दूसरे व्यक्ति से बदलने के लिए किया जाता है।
  • इसका इस्तेमाल अश्लील वीडियो बनाने, फर्जी खबरें बनाने और वित्तीय धोखाधड़ी करने के लिए किया जाता है।
  • चीन द्वारा जारी किये गए नए नियमों के दिशानिर्देशों के अनुसार इस तकनीक का उपयोग करने वाली कंपनियों/प्लेटफॉर्मों को अपनी छवि या आवाज को संपादित करने से पहले पहले उन व्यक्तियों से सहमति प्राप्त करनी होगी।
  • डीपफेक तकनीक के सम्बन्ध में अधिक जानकारी के लिए 29 अक्टूबर 2020 का UPSC परीक्षा विस्तृत समाचार विश्लेषण पढ़ें।

डीपफेक (Deepfake):

  • डीपफेक को कृत्रिम छवियों और ऑडियो के संकलन के रूप में परिभाषित किया जाता हैं, जो गलत सूचना फैलाने और वास्तविक व्यक्ति की उपस्थिति, आवाज आदि को बदलने के लिए मशीन-लर्निंग (machine-learning) एल्गोरिदम का उपयोग करने हेतु एक साथ रखे गए हैं।
  • इस शब्द की उत्पत्ति वर्ष 2017 में हुई थी जब “डीपफेक” नाम के एक अनाम Reddit उपयोगकर्ता ने अश्लील वीडियो बनाने और पोस्ट करने के लिए गूगल (Google’s) के ओपन-सोर्स, डीप-लर्निंग तकनीक में हेरफेर किया था।
  • अब इस तकनीक का उपयोग घोटालों और धोखाधड़ी, सेलिब्रिटी पोर्नोग्राफी (प्रसिद्ध व्यक्तियों के अश्लील वीडियो बनाने), चुनाव में हेरफेर करने, और सोशल इंजीनियरिंग, स्वचालित गलत सूचना हमलों, पहचान की चोरी आदि जैसी वित्तीय धोखाधड़ी के लिए किया जा रहा है।

डीपफेक पर लगाम लगाने हेतु चीन की नई नीति:

  • चीन के साइबरस्पेस प्रशासन ने चिंता जताई कि अनियंत्रित तरीके से इसके विकास और गहन संश्लेषण के उपयोग से आपराधिक गतिविधियों में इसका उपयोग किया जा सकता है।
  • इस नीति का उद्देश्य किसी भी प्रकार की ऑनलाइन सामग्री को बदलने के लिए डीप लर्निंग या आभासी वास्तविकता का उपयोग करने वाले प्लेटफार्मों द्वारा प्रदान की जाने वाली गतिविधियों से उत्पन्न होने वाले जोखिमों पर अंकुश लगाना है।

नीति से सम्बंधित विभिन्न प्रावधान:

  • नई नीति गहन संश्लेषण सेवा प्रदाताओं और उपयोगकर्ताओं को इस तथ्य को सुनिश्चित करना आवश्यक बनाती है कि किसी भी छेड़छाड़ की गई सामग्री को स्पष्ट रूप से वर्गीकृत (लेबल) किया गया है ताकि उसके स्रोत का पता लगाया जा सकें।
  • नई नीति इस तकनीक का उपयोग करने वाले लोगों को किसी की छवि या आवाज को संपादित करने से पहले उस व्यक्ति विशेष को पहले सूचित करने और उसकी सहमति लेने के लिए भी अनिवार्य बनाती/करती है।
  • तकनीक के माध्यम से बनाई गई खबरों को दोबारा पोस्ट करने के मामले में उपयोग किये गए स्रोतों का वर्णन कड़ाई से सरकार द्वारा अनुमोदित समाचार आउटलेट की सूची से होना चाहिए।
  • इसके अलावा, गहन संश्लेषण सेवा प्रदाताओं को स्थानीय कानूनों का पालन करना चाहिए, नैतिकता का सम्मान करना चाहिए और “सही राजनीतिक दिशा और सही जनमत अभिविन्यास” बनाए रखना चाहिए।

डीपफेक से निपटने हेतु अन्य देशों द्वारा किये गए प्रयास:

  • यूरोपीय संघ (European Union (EU)):
    • यूरोपीय संघ ने वर्ष 2018 में दुष्प्रचार पर आचार संहिता की शुरुआत की थी।
    • इसे Facebook, Google, Twitter, Mozilla (2018), Microsoft (2019), और TikTok (2020) जैसे ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म द्वारा हस्ताक्षरित किया गया था।
    • विज्ञापन उद्योग में विज्ञापनदाताओं और अन्य खिलाड़ियों द्वारा भी इस पर हस्ताक्षर किए गए थे।
    • हालाँकि इस संहिता के मूल्यांकन में कुछ खामियाँ सामने आईं हैं।
    • इस प्रकार आयोग द्वारा कोड को अद्यतन और मजबूत किया गया। संहिता के संशोधन की प्रक्रिया जून 2022 में पूरी हुई थी।
    • संशोधित कोड/सहिता टेक (तकनीकी) कंपनियों को अपने प्लेटफॉर्म पर डीपफेक और नकली खातों का मुकाबला करने या उन्हें रोकने के लिए वांछित उपाय करने के लिए बाध्य करता है।
    • सम्बंधित कंपनियों को इन उपायों को लागू करने के लिए छह महीने का समय दिया गया है,तथा इन नियमों के गैर-अनुपालन के मामले में, इन कंपनियों को उनके वार्षिक वैश्विक कारोबार के 6% तक के जुर्माने का सामना करना पड़ेगा।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका:
    • डीपफेक तकनीक का मुकाबला करने के लिए डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (Department of Homeland Security (DHS)) की सहायता के लिए अमेरिका द्वारा द्विदलीय डीपफेक टास्क फोर्स एक्ट लाया गया हैं।
    • अमेरिका द्वारा निर्धारित उपायों के अनुसार डीएचएस को डीपफेक का वार्षिक तौर पर अध्ययन करना चाहिए, ताकि प्रौद्योगिकी का आकलन किया जा सकें साथ ही विदेशी और घरेलू संस्थाओं द्वारा इसके उपयोग को ट्रैक करना चाहिए और प्रत्युपायों का सुझाव देना चाहिए।
    • संयुक्त राज्य अमेरिका के कुछ राज्यों जैसे कैलिफ़ोर्निया और टेक्सास ने ऐसे कानून पारित किए हैं जो चुनाव परिणामों को प्रभावित करने वाले डीपफेक वीडियो के प्रकाशन और वितरण को अपराध मानते हैं।
    • इसी तरह, वर्जीनिया में कानून गैर-सहमति वाले डीपफेक पोर्नोग्राफी के वितरण पर आपराधिक दंड लगाता है।
  • भारत:
    • भारत में डीपफेक तकनीक के इस्तेमाल के खिलाफ कोई कानूनी प्रावधान नहीं बनाया गया है।
    • हालांकि, प्रौद्योगिकी के दुरुपयोग से निपटने के लिए कॉपीराइट उल्लंघन, मानहानि और साइबर गुंडागर्दी/घोर अपराध जैसे कुछ कानूनों का उपयोग किया जा सकता है।
  • कनाडा:
    • डीपफेक के संबंध में कनाडा का कोई नियम नहीं है, लेकिन यह डीपफेक के खिलाफ पहल का नेतृत्व करने की विशिष्ट स्थिति में है।
    • कनाडा की सरकार ने कई घरेलू और विदेशी अभिकर्ताओं के साथ अत्याधुनिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence(AI) ) अनुसंधान को नियोजित किया है।
  • इसके अलावा, कनाडा कई संबंधित बहुपक्षीय पहलों में एक सक्रिय सदस्य देश एवं नेता है, जैसे पेरिस कॉल फॉर ट्रस्ट एंड सिक्योरिटी इन साइबरस्पेस, नाटो सहकारी साइबर डिफेंस सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर ग्लोबल पार्टनरशिप ( Global Partnership on Artificial Intelligence)।

सारांश:

  • डीपफेक तकनीक साइबर स्पेस में गंभीर खतरा पैदा करती है। वर्तमान में चीन भी यूरोपीय संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका कि तरह डीपफेक के उपयोग को विनियमित करने की योजना बना रहा है। हालाँकि, भारत में अभी ऐसा कोई कानून नहीं है और भारत को निकट भविष्य में इस कार्य करना होगा ताकि भारत गलत सूचना, पोर्नोग्राफी और वित्तीय धोखाधड़ी जैसे खतरेों से निपटने के लिए तैयार रहें।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

भारत का नए जैव विविधता कोष पर जोर:

पर्यावरण:

विषय: जैव विविधता संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय समझौता।

प्रारंभिक परीक्षा: जैव विविधता COP 15 पर सम्मेलन।

मुख्य परीक्षा: जैव विविधता COP 15 पर सम्मेलन।

संदर्भ:

  • CBD COP 15 का आयोजन मॉन्ट्रियल, कनाडा में किया जा रहा है।

विवरण:

  • जैवविविधता पर संयुक्त राष्ट्र का सबसे महत्वपूर्ण सम्मेलन कॉप 15 (Convention on Biological Diversity (CBD)) 7 दिसंबर 2022 से शुरू हुआ था यह सम्मेलन 19 दिसंबर 2022 तक चलेगा जिसका आयोजन कनाडा के मॉन्ट्रियल शहर में किया जा रहा है।
  • CBD COP 15, मॉन्ट्रियल (कनाडा) में चल रहे कन्वेंशन (सम्मेलन) में 196 पक्षकार देश वर्ष 2020 के बाद के ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क (GBF) पर बातचीत को अंतिम रूप देने की उम्मीद कर रहे हैं।
  • GBF जैव विविधता के नुकसान को रोकने और उलटने के लिए लक्ष्यों और उदेश्यों का एक नया समूह है।
  • संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता सम्मेलन में भारत ने जैव विविधता के नुकसान को रोकने और उलटने के लिए 2020 के बाद के वैश्विक ढांचे को सफलतापूर्वक लागू करने में विकासशील देशों की सहायता के लिए एक नया और समर्पित कोष बनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला हैं।
  • भारत ने आगे कहा कि जैव विविधता का संरक्षण भी साधारण लेकिन अलग-अलग जिम्मेदारियों और संबंधित क्षमताओं (CBDR) पर आधारित होना चाहिए क्योंकि जलवायु परिवर्तन प्रकृति को भी प्रभावित करता है।
  • जब CBD (CBD) के सदस्य GBF को अंतिम रूप दे रहे हैं,ऐसे में वित्त संबंधी लक्ष्यों में CBDR सिद्धांत को शामिल करने के लिए बार-बार मांग की गई है।
  • CBDR को वर्ष 1992 में पृथ्वी शिखर सम्मेलन में अपनाए गए रियो घोषणा के सातवें सिद्धांत के रूप में स्थापित किया गया था।
  • यह इस तथ्य को स्वीकार करता है कि वैश्विक पर्यावरणीय क्षरण में विभिन्न योगदानों के मद्देनजर देशों की साझा लेकिन अलग-अलग जिम्मेदारियां हैं।
  • यह ध्यान देने योग्य बात हैं कि वैश्विक पर्यावरण सुविधा (Global Environment Facility(GEF)) जैव विविधता संरक्षण के लिए वित्त पोषण का एकमात्र स्रोत है।
  • वैश्विक पर्यावरण सुविधा यूएनएफसीसीसी और यूएन कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन जैसे अन्य सम्मेलनों की भी पूर्ति करता है।
  • दुनिया भर के विकासशील देश एक नए और समर्पित जैव विविधता कोष की मांग कर रहे हैं, क्योंकि मौजूदा बहुपक्षीय स्रोत जीबीएफ की आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम नहीं हैं।
  • इस मुद्दे पर अमीर देशों के साथ मतभेदों ने विकासशील देशों के प्रतिनिधियों को महत्वपूर्ण वित्तपोषण वार्ता से बाहर निकलने के लिए प्रेरित किया हैं।
  • यह देखा गया है कि जैव विविधता संरक्षण के लिए CBDR सिद्धांत को लागू करना कठिन है, क्योंकि विश्व के उत्तर और दक्षिण देशों के बीच बार-बार असहमति देखने को मिलती है।
  • भारत के केंद्रीय पर्यावरण मंत्री श्री यादव ने कहा कि जैव विविधता संरक्षण के लिए पारिस्थितिक तंत्र को समग्र रूप से संरक्षित और पुनर्स्थापित करने की आवश्यकता है।
  • UNFCCC से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: UNFCCC – United Nations Framework Convention on Climate Change [UPSC GS-III]

CBD COP 15 की अन्य मांगें:

  • पर्यावरण के लिए हानिकारक सब्सिडी, जैसे कि जीवाश्म ईंधन उत्पादन, कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन के लिए सालाना कम से कम $500 बिलियन की सब्सिडी को खत्म करने और जैव विविधता संरक्षण के लिए इस धन का उपयोग करने के लिए कई देशों द्वारा आम सहमति बनाने का भी प्रयास किया जा रहा है।
  • भारत विभिन्न राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के कारण कृषि संबंधी सब्सिडी को कम करने और जैव विविधता संरक्षण के लिए बचत को पुनर्निर्देशित करने के प्रस्ताव के खिलाफ है।

सारांश:

  • जैव विविधता कानूनों को रोकने और उलटने के लिए, विकासशील देश पार्टियों के जैव विविधता सम्मेलन के सम्मेलन में एक नए और समर्पित फंड तंत्र पर जोर दे रहे हैं। साथ ही भारत ने जैव विविधता संरक्षण में सामान्य लेकिन विभेदित जिम्मेदारियों के सिद्धांत को शामिल करने का भी सुझाव दिया।

संपादकीय-द हिन्दू

संपादकीय:

भारत के न्यायालयों में लंबित मामलों की भारी संख्या को घटाने हेतु लीक से हटकर सुधार की आवश्यकता:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

भारतीय राजव्यवस्था:

विषय: भारतीय न्यायपालिका।

प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय न्यायपालिका।

मुख्य परीक्षा: भारत की न्याय वितरण प्रणाली में सुधार की आवश्यकता।

विवरण:

  • भारत की न्याय वितरण प्रणाली में देरी के संबंध में, भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा है कि न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाने से लंबित मामलों की समस्या का समाधान नहीं होगा और वर्तमान परिदृश्य में उच्च न्यायालय को अच्छे न्यायाधीशों को तलाशना मुश्किल है।
  • कानून और न्याय पर संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष, श्री सुशील कुमार मोदी ने भी इसी तरह की चिंताओं को जाहिर किया है और चिंता को दूर करने के लिए लीक से हटकर सोचने का आह्वान किया है।

भारतीय न्यायपालिका के बारे में अधिक जानकारी के लिए, यहाँ पढ़ें: Indian Judiciary – Supreme Court, High Court, District & Subordinate Courts – Indian Polity Notes

चिंताओं को दूर करने के लिए किए जाने वाले उपाय:

  • न्यायालयों के मूल्यवान संसाधनों को वापस लाना:
    • बड़ी संख्या में अनुभवी और अच्छे न्यायाधीश प्रत्येक साल उच्च न्यायालयों (HC) से सेवानिवृत्त होते हैं जब उनकी आयु 62 वर्ष की हो जाती है। विशेष अनुमति याचिकाओं (SLPs) पर सुनवाई के लिए उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को वापस लाया जाना चाहिए।
      • निचली अदालतों और न्यायाधिकरणों के सभी प्रकार के आदेशों के विरुद्ध विशेष अनुमति याचिकाएं (SLPs) दायर की जाती हैं।
      • ये न्याय के लिए सबसे बड़े रोड़े हैं, क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीशों का आधा इसमें चला जाता है।
    • 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होने के कारण सर्वोच्च न्यायालय कई न्यायाधीशों का अनुभव बेकार चला जाता है। ये न्यायाधीश SLP का काम अपने हाथ में ले सकते हैं, क्योंकि यह उनके लिए बेहतर काम होगा और ये मध्यस्थता के मामलों की तरह जिला जजों की जांच के दायरे में नहीं आएंगे।
    • सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के लिए काम के घंटे और समय भी लचीले ढंग से तैयार किए जा सकते हैं। नतीजतन, वर्तमान न्यायाधीश पर्याप्त पीठ की संख्या और संयोजन के साथ महत्वपूर्ण मामलों पर सुनवाई कर सकते हैं।
    • इसे एक योजना तैयार करने के लिए भी उपयोग किया जा सकता है जहां अनुभवी उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता सप्ताह में एक बार दूसरे राज्य के उच्च न्यायालय से मामलों की सुनवाई के लिए न्यायाधीश के रूप में बैठ सकते हैं।
  • ऑनलाइन न्याय व्यवस्था को सशक्त करने की आवश्यकता:
    • इन तदर्थ न्यायाधीशों को न्यूनतम सहायक कर्मचारियों के साथ घर से ऑनलाइन काम करने में सक्षम बनाना मानव और प्रौद्योगिकी दोनों संसाधनों का दोहन करने का एक उत्कृष्ट तरीका है।
    • इससे बड़ी संख्या में मामलों को कुशलतापूर्वक निपटाने में मदद मिलेगी।
  • मध्यस्थता:
    • विवाद समाधान की एक विधि के रूप में मध्यस्थता मुकदमेबाजी से कहीं बेहतर है। इसमें व्यक्तिगत और वैवाहिक से लेकर नागरिक, वाणिज्यिक और संपत्ति विवादों तक के मुद्दों की एक विस्तृत श्रृंखला को शामिल किया जा सकता है।
    • भारत ने सफलतापूर्वक मध्यस्थता की शुरुआत की और दो दशकों से भी कम समय में लाखों मामलों को संभालने वाले हजारों प्रशिक्षित वकीलों और अन्य मध्यस्थों के साथ मध्यस्थता योजनाओं में खुद को मजबूती से स्थापित किया है।
    • यदि इसे सुनियोजित रूप में क्रियान्वित किया जाता है, तो मध्यस्थता के माध्यम से लंबित मामलों के आधे भार को कम करने किया जा सकता है।
    • मध्यस्थता के कई फायदे हैं, जैसे:
      • लागत बहुत कम आती है
      • समय की बचत होती है
      • एक ऐसा समाधान लाता है जिसपर सभी पक्ष सहमत होते हैं
      • अपील की आवश्यकता को दूर करता है
      • यदि आवश्यक हो तो लागू करना आसान है
      • रिश्तों का सम्मान बचा रहता है और उन्हें पुनर्स्थापित करता है
    • इसे पेशेवर रूप से आकर्षक विकल्प बनाना महत्वपूर्ण है। न्यायिक सेवा की तर्ज पर भारतीय मध्यस्थता सेवा गठित की जा सकती है।

वैकल्पिक विवाद समाधान के बारे में अधिक जानकारी के लिए, यहां पढ़ें: Sansad TV Perspective – Judicial Reforms in India

निष्कर्ष:

  • पारंपरिक सुधार में अधिक न्यायाधीशों, अधिक अदालतों, अधिक कर्मचारियों और अधिक बुनियादी ढांचे की आवश्यकता होती है, लेकिन वित्त और मानव संसाधनों की कमी होती है। उपरोक्त सुझाव एक अलग दृष्टिकोण प्रदान करते हैं जो तकनीकी और व्यक्तिगत दोनों उपलब्ध संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग करता है और भारतीय न्याय प्रणाली पर एक बड़ा प्रभाव डाल सकता है।

संबंधित लिंक:

Sansad TV Perspective – Judicial Reforms in India

सारांश:

  • वित्तीय और मानव संसाधन दोनों की कमी के कारण, देश की न्यायपालिका में लीक से हटकर सुधार करने की आवश्यकता है। इससे न केवल लंबित मामलों को कम करने में मदद मिलेगी, बल्कि न्याय वितरण प्रणाली को भी मजबूती मिलेगी।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

शासन:

पारम्परिक तरीकों से परे सुशासन:

विषय: शासन के महत्वपूर्ण पहलू- सफलता, सीमाएँ और क्षमता।

मुख्य परीक्षा: सुशासन।

संदर्भ:

  • सुशासन सप्ताह 19 दिसंबर से 25 दिसंबर 2022 तक मनाया जा रहा है।

विवरण:

  • विंस्टन चर्चिल ने (खराब) शासन की निम्नलिखित परिभाषा दी है:

“वे [सरकार] एक अजीब से विरोधाभास में रहकर कार्य करते हैं, केवल अनिर्णीत रहने का ही निर्णय लेते हैं, लेकिन अडिग रहने के लिए संकल्पित होते हैं, एक मंद/कमजोर वैचारिक बहाव के प्रति अडिग होते हैं, तथा सामान्य वैचारिक बहाव के प्रति दृढ़ होते हैं, जबकि शक्तिहीनता दिखाने में सर्वशक्तिमान होते हैं”।

सुशासन की दिशा में भारत सरकार की पहलें:

  • विभिन्न अधिनियमों और कानूनों का निरसन:
    • पिछले कुछ वर्षों में लगभग 2,000 अधिनियमों, कानूनों और अधीनस्थ विधानों को निरस्त कर दिया गया है। इनमें से कुछ कानून विनियोग अधिनियम, उत्पाद शुल्क अधिनियम 1863, विदेशी भर्ती अधिनियम 1874, हाथी संरक्षण अधिनियम 1879 और बंगाल जिला अधिनियम, 1836 हैं।
    • हालाँकि, इस संबंध में और भी बहुत कुछ किया जा सकता है, विशेषकर राज्य सरकारों द्वारा।

कर्नाटक का केस स्टडी:

  • कर्नाटक 20.50 लाख करोड़ रूपये के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) और लगभग 38.34 लाख उद्यमों के साथ भारत के सबसे तेजी से विकसित हो रहे राज्यों में से एक है। यह आईटी सेवाओं का सबसे बड़ा निर्यातक भी है।
    • हालांकि, 2019 बिजनेस रिफॉर्म्स एक्शन प्लान (BRAP) की राष्ट्रीय रैंकिंग में कर्नाटक 17वें स्थान पर था।
    • भारतीय राज्यों में उद्योगों और अनुपालन की जांच करने वाले अवन्तीस रेगटेक (Avantis RegTech) के एक अध्ययन के अनुसार, अनुपालन बोझ के मामले में कर्नाटक भारत के शीर्ष पांच राज्यों में से एक है।
    • यह रिपोर्ट पूरे भारत में लगभग 26,134 आपराधिक धाराओं पर प्रकाश डालती है और लगभग 40% अनुपालन के तहत एक उद्यमी को जेल भेजा जा सकता है।
  • कर्नाटक में, नियोक्ताओं को कुल 1,175 राज्य-विशिष्ट जेल खंडों (clauses) का सामना करना पड़ता है।
    • राज्य में कार्यरत एक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) को श्रम, वित्त, कराधान, आदि जैसी विभिन्न श्रेणियों में सालाना लगभग 778 अनुपालनों से निपटना पड़ता है।
  • लगभग 30 वर्षों (1998 से) तक किसी भी निजी पक्ष से प्राप्त होने वाले किसी भी तरह के आर्थिक लाभ को लोक सेवक द्वारा आपराधिक कदाचार के रूप में माना जाता था। उदाहरण के लिए, एक विक्रेता से किसी विभाग के लिए एक लैपटॉप खरीदना और यदि यह लैपटॉप किसी अन्य विक्रेता द्वारा थोड़ी कम कीमत पर पेश किया जाता था, तो अधिकारी की जाँच की जा सकती थी।
    • भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के इस प्रावधान को समाप्त कर दिया गया है और अधिकारियों को बिना किसी भय के कार्य करने और सुशासन सुनिश्चित करने की अनुमति दी गई है।
  • सुशासन की दिशा में एक और कदम डिजिलॉकर है। केंद्र और राज्य दोनों सरकारें छोटे या बड़े व्यवसायों के सुचारू संचालन के लिए आवश्यक सभी दस्तावेजों को संग्रहीत करने के लिए उद्यम डिजिलॉकर स्थापित कर सकती हैं।
    • कर्नाटक ने सुशासन के लिए इस तरह की कई पहलों को लागू किया है। कुछ लोकप्रिय उदाहरण हैं:
      • कुटुम्ब (KUTUMBA)- परिवार लाभार्थी डेटाबेस
      • फ्रूट्स (FRUITS)- किसान पंजीकरण और एकीकृत लाभार्थी सूचना प्रणाली
      • स्वामित्व (SVAMITVA)- ड्रोन-आधारित संपत्ति और भूमि मानचित्रण, या गांवों की आबादी का सर्वेक्षण और ग्राम क्षेत्रों में उन्नत प्रौद्योगिकी के साथ मानचित्रण
      • ग्रामवन (GraamaOne)- पंचायत स्तर पर नागरिक केंद्रित गतिविधियों के लिए एकल बिंदु सहायता केंद्र
  • सुशासन के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग महत्वपूर्ण है। सरकार ने इसके लिए विभिन्न मशीन लर्निंग तकनीकों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस दृष्टिकोणों को नियोजित किया है।

भावी कदम:

  • एक सार्वजनिक पोर्टल का निर्माण किया जा सकता है और इस पर किसी विशेष उद्योग के लिए सभी अनुपालनों के साथ-साथ सरकारी आदेशों या अदालत के फैसलों को सूचीबद्ध किया जा सकता है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि वर्तमान में राज्य या केंद्र स्तर पर ऐसा कोई पोर्टल नहीं है।
  • सुशासन देश के नागरिकों की भी जिम्मेदारी है और इस प्रकार उन्हें भी इसमें योगदान देना चाहिए।

संबंधित लिंक:

Indian Polity Notes on Good Governance [UPSC GS-II]

सारांश:

  • भारत ने सुशासन पर बहुत प्रगति की है, लेकिन यह यात्रा अंतहीन है। इसमें राज्य सरकारों और यहां तक कि देश के नागरिकों सहित सभी हितधारकों के योगदान की आवश्यकता है।

प्रीलिम्स तथ्य:

1. 3 देशों के 6 अल्पसंख्यक समूहों के लिए नागरिकता का रास्ता आसान होगा:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

भारतीय राजव्यवस्था एवं शासन:

विषय: नागरिकता और संबंधित मुद्दे।

प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय नागरिकता।

विवरण:

  • भारत सरकार का गृह मंत्रालय पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश से आए छह अल्पसंख्यक समुदायों – हिंदू, सिख, पारसी, ईसाई, बौद्ध और जैन – के सदस्यों के नागरिकता आवेदन को आगे बढ़ाने के लिए सहायक दस्तावेज़ के रूप में एक्सपायर्ड पासपोर्ट और वीज़ा को स्वीकार करने के लिए नागरिकता पोर्टल में बदलाव करने वाला है,जिनके पासपोर्ट और वीजा भारत में रहने के दौरान वैध नहीं रह गए हैं।
  • इन तीन देशों के हिंदुओं, सिखों, पारसियों, ईसाइयों, बौद्धों और जैनियों के नागरिकता आवेदन को संसाधित करने के लिए सहायक दस्तावेजों के रूप में समाप्त हो चुकी वैधता वाले पासपोर्ट और वीजा को स्वीकार करने के लिए नागरिकता पोर्टल को नया रूप दिया जाएगा।
  • वर्तमान में यह पोर्टल केवल पाकिस्तान और अफगानिस्तान के उन हिंदू और सिख आवेदकों के लिए समाप्त पासपोर्ट स्वीकार करता है, जिन्होंने 31 दिसंबर, 2009 से पहले भारत में प्रवेश किया था।
  • वर्ष 2015 में 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश करने वाले छह समुदायों से संबंधित प्रवासियों के ठहरने को वैध बनाने के लिए इन नागरिकता नियमों में संशोधन किया गया था।
  • उन्हें पासपोर्ट अधिनियम और विदेशी अधिनियम के प्रावधानों से छूट दी गई थी, जब उनके पासपोर्ट की अवधि समाप्त हो गई थी।

नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act (CAA) ) की स्थिति:

  • नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), 2019 अभी तक लागू नहीं हुआ है, क्योंकि कानून को नियंत्रित करने वाले नियमों को अभी तक अधिसूचित नहीं किया गया है।
  • CAA के कार्यान्वयन से प्रलेखित अल्पसंख्यक प्रवासियों के आवेदन को तेजी से ट्रैक करने में मदद मिलेगी, क्योंकि यह नागरिकता के लिए पात्र होने के लिए भारत में 11 साल के कुल प्रवास की अनिवार्य आवश्यकता को घटाकर पांच साल कर देता है।
  • एक रिपोर्ट (2021-22) के अनुसार अप्रैल से दिसंबर 2021 तक पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यक समूहों के लगभग 1414 सदस्यों को भारत की नागरिकता दी गई थी।
  • CAA से सम्बंधित नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) 2019, की पृष्ठभूमि और विवाद पर अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:Citizenship Amendment Act (CAA) 2019 – Background & Controversies

महत्वपूर्ण तथ्य:

1. मिसाइल विध्वंसक INS मोरमुगाओ को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया:

  • आईएनएस मोरमुगाओ, प्रोजेक्ट-15बी के तहत बनाए जा रहे चार स्टील्थ-गाइडेड मिसाइल विध्वंसक में से दूसरा हैं,जिसे भारतीय नौसेना में कमीशन किया गया था।
  • इसका नाम पश्चिमी तट पर ऐतिहासिक बंदरगाह शहर गोवा के नाम पर रखा गया है।
  • इस जहाज को पुर्तगाली शासन से गोवा की मुक्ति (liberation of Goa ) की 60वीं वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर कमीशन किया गया था।
  • 7,400 टन के डिस्प्लेसमेंट (पूर्ण भार विस्थापन) के साथ लंबाई में 163 मीटर और चौड़ाई में 17 मीटर के आईएनएस मोरमुगाओ को बनाने में 75 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है।
  • इसे चार शक्तिशाली गैस टर्बाइनों द्वारा चलाया जाता है, जो 30 समुद्री मील से अधिक की गति प्राप्त करने में सक्षम हैं।

प्रोजेक्ट-15बी:

  • प्रोजेक्ट-15बी के तहत चार जहाजों के निर्माण के अनुबंध पर जनवरी 2011 में लगभग ₹30,000 करोड़ की परियोजना लागत पर हस्ताक्षर किए गए थे।
  • वे कोलकाता श्रेणी के विध्वंसक के अनुवर्ती हैं और भारत के चारों कोनों (विशाखापत्तनम, मोरमुगाओ, इंफाल और सूरत) के प्रमुख शहरों के नाम पर हैं।
  • INS विशाखापत्तनम को 2021 में कमीशन किया गया था।
  • ये जहाज ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों (BrahMos supersonic cruise missiles ) और लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों से लैस हैं।

2.ऑनलाइन डिलीवरी हेतु 3,000 से अधिक सरकारी सेवाओं को जोड़ा जाएगा:

  • कार्मिक मंत्रालय ने कहा हैं की देश में 19 दिसंबर से शुरू हो रहे पांच दिवसीय ‘सुशासन सप्ताह’ के दौरान ऑनलाइन डिलीवरी के लिए 3,100 से अधिक नयी सेवाओं को शामिल किया जाएगा।
  • सुशासन के राष्ट्रव्यापी अभियान के तहत विभिन्न गतिविधियों की योजना बनाई गई है। यह ‘प्रशासन गांव की ओर’ (गवर्नेंस टूवार्ड्स विलेज) थीम पर आधारित है।
  • पांच दिवसीय ‘प्रशासन गांव की ओर’ अभियान का उद्घाटन केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्री द्वारा किया जाएगा।
  • सुशासन सप्ताह से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए 17 दिसंबर 2022 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. दिए गए कथनों में से कौन सा प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (Pradhan Mantri Matru Vandana Yojana) का सबसे अच्छा वर्णन करता है: (स्तर – मध्यम)

(a) यह 19 वर्ष या उससे अधिक आयु की गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के पहले जीवित जन्मे बच्चे के लिए एक सशर्त नकद हस्तांतरण योजना है।

(b) यह संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए शुरू किए गए राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत एक सुरक्षित मातृत्व हस्तक्षेप है।

(c) यह एक ऐसी योजना है जो सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों में प्रसव कराने वाली सभी गर्भवती महिलाओं को सिजेरियन सेक्शन सहित बिल्कुल मुफ्त और बिना किसी खर्च के प्रसव कराने का अधिकार प्रदान करती है।

(d) यह 19 वर्ष या उससे अधिक आयु की गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के प्रत्येक गर्भधारण के लिए एक सशर्त नकद हस्तांतरण योजना है।

उत्तर: a

व्याख्या:

  • प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) वर्ष 2017 से देश के सभी जिलों में लागू किया जा रहा एक मातृत्व लाभ कार्यक्रम है।
  • यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसका उद्देश्य 19 वर्ष या उससे अधिक आयु की गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं के पहले पहले जीवित जन्मे बच्चे के लिए एक सशर्त नकद हस्तांतरण योजना है।
  • यह कार्यक्रम बच्चे के जन्म के दौरान और बाद में चाइल्डकैअर (नवजात शिशु की देखभाल) के दौरान मजदूरी के नुकसान के लिए आंशिक मुआवजा प्रदान करता है।
  • इसका उद्देश्य राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के अनुसार माँ और बच्चे के लिए अच्छे आहार और पोषण के बारे में जानकारी प्रदान करना है।

प्रश्न 2. जिला खनिज फाउंडेशन योजना (District Mineral Foundation Scheme) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – कठिन)

  1. डीएमएफ एक वैधानिक प्राधिकरण है जिसकी स्थापना राज्य सरकार द्वारा खनन से प्रभावित जिलों में की जाती है।
  2. डीएमएफ प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना (Pradhan Mantri Khanij Kshetra Kalyan Yojana (PMKKKY)) को लागू करने के लिए जिम्मेदार योजना हैं।
  3. खनन कंपनियों द्वारा खनन पट्टों के लिए उनकी रॉयल्टी राशि के 30% के योगदान द्वारा वित्त पोषित किया जाता है।

दिए गए कथनों में से कितने सही है/हैं?

(a) केवल एक कथन

(b) केवल दो कथन

(c) सभी तीनों कथन

(d) इनमें से कोई भी नहीं

उत्तर: c

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: डीएमएफ एक वैधानिक प्राधिकरण हैं जिन्हें राज्य सरकार खनन से प्रभावित जिलों में स्थापित करती है। इन निकायों को खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 और 2015 में इसमें किये गए संशोधन के तहत धारा 9बी से वैधता प्रदान की गई है।
  • कथन 2 सही है: एक जिला खनिज फाउंडेशन (District Mineral Foundation (DMF)) प्रधान मंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना (PMKKKY) और अन्य योजनाओं को उन क्षेत्रों में लागू करने के लिए जिम्मेदार है जहां खनन किया जाता है।
  • कथन 3 सही है: खनन कंपनियाँ रॉयल्टी राशि का 30% योगदान करती हैं जहाँ वे सरकार को उस जिले में डीएमएफ ट्रस्ट को भुगतान करती हैं जहां वे काम कर रहे हैं।

प्रश्न 3. संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन/ संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण सम्मेलन (UNCCD) के संबंध में दिए गए कथनों में से कितने सही हैं/हैं? (स्तर-मध्यम)

  1. यह एकमात्र कानूनी रूप से बाध्यकारी अंतर्राष्ट्रीय समझौता है जो पर्यावरण और विकास को स्थायी भूमि प्रबंधन से जोड़ता है।
  2. यह तीन रियो सम्मेलनों में से एक है।
  3. भारत ने पार्टियों के यूएनसीसीडी सम्मेलन के तीन संस्करणों की मेजबानी की है।

विकल्प:

(a) केवल एक कथन

(b) केवल दो कथन

(c) सभी तीनों कथन

(d) इनमें से कोई भी नहीं

उत्तर: b

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: UNCCD की स्थापना वर्ष 1994 में की गई थी। यह पर्यावरण और विकास को स्थायी भूमि प्रबंधन से जोड़ने वाला एकमात्र कानूनी रूप से बाध्यकारी अंतर्राष्ट्रीय समझौता है।
  • कथन 2 सही है: यूएनसीसीडी तीन रियो सम्मेलनों में से एक है, अन्य दो जैविक विविधता पर सम्मेलन (UNCBD) और जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) हैं।
  • कथन 3 गलत है: भारत ने वर्ष 2019 में पार्टियों के UNCCD सम्मेलन के केवल एक संस्करण (UNCCD COP 14) की मेजबानी की है। यह पहली बार था जब भारत ने UNCCD COP के एक संस्करण की मेजबानी की थी।

प्रश्न 4. प्रश्न 4. निम्नलिखित में से किस राज्य में ब्रू जनजाति को विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (Particularly Vulnerable Tribal Groups) के रूप में मान्यता प्राप्त है? (स्तर- कठिन)

1. असम

2. त्रिपुरा

3. मिजोरम

सही कूट का चयन कीजिए:

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 2 और 3

(c) केवल 2

(d) 1, 2 और 3

उत्तर: c

व्याख्या:

  • ब्रू (Bru) या रींग (Reang) पूर्वोत्तर भारत का एक स्वदेशी (देशज/स्थानीय) समुदाय है, जो ज्यादातर त्रिपुरा, मिजोरम और असम में निवास करता है। हालाँकि, उन्हें केवल त्रिपुरा में एक विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह के रूप में मान्यता प्राप्त है।

प्रश्न 5. भारतीय इतिहास के संदर्भ में, ‘द्वैध शासन (डायआर्की)’ सिद्धांत किसे निर्दिष्ट करता है? (स्तर-मध्यम)

(a) केन्द्रीय विधानमण्डल का दो सदनों में विभाजन।

(b) दो सरकारों, अर्थात् केन्द्रीय और राज्य सरकारों का शुरू किया जाना।

(c) दो शासक-समुच्चय_ एक लन्दन में और दूसरा दिल्ली में होना।

(d) प्रांतों को प्रत्यायोजित विषयों का दो प्रवर्गों में विभाजन।

उत्तर: d

व्याख्या:

  • द्वैध शासन का अर्थ है प्रांतों के प्रत्यायोजित विषयों का दो श्रेणियों में विभाजन।
  • ब्रिटिश भारत के प्रांतों के लिए भारत सरकार अधिनियम (1919) द्वारा द्वैध शासन (डायआर्की) प्रणाली (दोहरी सरकार) की शुरुआत की गई थी।
  • प्रांतीय विषयों को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया था यथा आरक्षित और स्थानांतरित।
  • आरक्षित विषयों को गवर्नर के पास रखा गया जिन्हें गवर्नर के नौकरशाहों की कार्यकारी परिषद के माध्यम से किया जाना था और हस्तांतरित विषयों को विधान परिषद के भारतीय मंत्रियों के साथ कार्य करने वाले गवर्नर के पास रखा गया।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. डीपफेक से आप क्या समझते हैं? डीपफेक की नैतिक एवं कानूनी चुनौतियों पर चर्चा कीजिए। (10 अंक; 150 शब्द) (जीएस-3; आंतरिक सुरक्षा)

प्रश्न 2. शीघ्र और त्वरित समाधान आज के समय की बढ़ती आवश्यकता है ताकि लोगों को न्याय दिया जा सके। कथन के आलोक में लंबित मामलों को कम करने के उपाय सुझाइए। (10 अंक; 150 शब्द) (जीएस-2; राजव्यवस्था)