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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 24 January, 2023 UPSC CNA in Hindi

24 जनवरी 2023 : समाचार विश्लेषण

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था:

  1. संविधान का मूल ढांचा:

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

  1. डार्क स्काई एक प्राकृतिक संसाधन है, और बहुत अधिक प्रकाश इसे प्रदूषित कर रहा है:

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

राजव्यवस्था एवं शासन:

  1. लोकतंत्र एवं इसकी संरचनात्मक विफलता:

भारतीय राजव्यवस्था एवं शासन:

  1. नाबालिगों के लिए डेटा सुरक्षा हेतु एक नए दृष्टिकोण की आवश्यकता है:

शिक्षा:

  1. विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए एक भारत में एक अवसर:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. नोरोवायरस:

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. पांचवीं स्कॉर्पीन पनडुब्बी, INS वागीर को कमीशन किया गया:
  2. परमवीर चक्र पुरस्कार विजेताओं के नाम पर 21 अंडमान द्वीपों का नाम रखा गया:

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

संविधान का मूल ढांचा:

राजव्यवस्था:

विषय: भारत का संविधान – मूल ढांचा/आधारभूत संरचना।

प्रारंभिक परीक्षा: आधारभूत संरचना सिद्धांत से संबंधित तथ्यात्मक जानकारी।

मुख्य परीक्षा: मूल ढांचा सिद्धांत – विकास, महत्व एवं इसके परिणाम।

प्रसंग:

  • भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने “भारतीय संविधान की मूल संरचना” की तुलना ध्रुव तारे से की है, जो एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है और पथ के जटिल दिखाई देने पर सही मार्ग (मार्गदर्शन करता) दिखाता है।
  • CJI ने उपराष्ट्रपति द्वारा आधारभूत संरचना सिद्धांत के संबंध में की गई टिप्पणी कि “आधारभूत संरचना सिद्धांत ने संसदीय संप्रभुता को कमजोर कर दिया”, के जवाब में यह वक्तव्य दिया है।
  • केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य मामले (1973) ( Kesavananda Bharati v/s State of Kerala case (1973)) में 13-न्यायाधीशों की खंडपीठ द्वारा “भारतीय संविधान की मूल संरचना” को 7:6 बहुमत के फैसले के माध्यम से पेश किया गया था।
  • केशवानंद भारती केस को मौलिक अधिकार केस के रूप में भी जाना जाता है।

मूल ढांचा/संरचना सिद्धांत:

  • केशवानंद भारती के फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने माना था कि संसद संविधान की बुनियादी संरचना या प्रमुख आवश्यक विशेषताओं को बदलने के लिए अपनी संवैधानिक शक्ति का उपयोग नहीं कर सकती है।
  • इसलिए संविधान में कहीं भी “मूल ढांचा/संरचना” शब्द का उल्लेख नहीं किया गया है, जिसके पीछे यह विचार था कि संसद उन कानूनों को पेश नहीं कर सकती है जो समय के साथ और कई मामलों में धीरे-धीरे विकसित संविधान की मूल संरचना को बदल देंगे।
  • ग्रैनविल ऑस्टिन की वर्किंग ऑफ ए डेमोक्रेटिक कॉन्स्टीट्यूशन के अनुसार, कहा जाता है कि भारत में मूल संरचना सिद्धांत संवैधानिक व्याख्या का आधार बन गया है।
  • भारतीय संविधान की मूल संरचना से संबंधित अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:Basic Structure of the Indian Constitution

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

डार्क स्काई एक प्राकृतिक संसाधन है, और बहुत अधिक प्रकाश इसे प्रदूषित कर रहा है:

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

विषय: अंतरिक्ष के क्षेत्र में जागरूकता।

प्रारंभिक परीक्षा: डार्क स्काई रिजर्व्स।

मुख्य परीक्षा: स्काईग्लो की घटना एवं इसके परिणाम।

प्रसंग:

  • हाल ही में एक अध्ययन रिपोर्ट जिसका शीर्षक है “नागरिक वैज्ञानिकों ने 2011 से 2022 तक सितारों की दृश्यता में तीव्र वैश्विक कमी की दर्ज की” प्रकाशित की गई थी।

पृष्ठभूमि:

  • दिसंबर 2022 में, लद्दाख के जिला प्रशासन ने चांगथांग वन्यजीव अभयारण्य के भीतर छह बस्तियों को “डार्क-स्काई रिजर्व” के रूप में नामित किया।
  • “डार्क-स्काई रिज़र्व” के रूप में क्षेत्रों को नामित करने का अर्थ है, मुख्य रूप से इन क्षेत्रों में स्थापित खगोलीय वेधशालाओं की स्थापना की उद्देश्यपूर्ति हेतु आसमान को काला (DARK) रखने के प्रयास किए जाते हैं।
  • इसके साथ ही आसमान को एक प्राकृतिक संसाधन के रूप में पहचाना गया जो आसानी से प्रदूषित हो जाता है, क्योंकि स्पेसएक्स के उपग्रहों के स्टारलिंक समूह ने पृथ्वी के चारों ओर जमीन-आधारित टेलिस्कोपों के दृश्य को बाधित करना शुरू कर दिया है।
  • तब से “डार्क-स्काई रिजर्व” की अवधारणा बेहद लोकप्रिय हो गई है।

डार्क स्काई रिजर्व (Dark Sky Reserves):

  • एक डार्क स्काई रिजर्व सार्वजनिक या निजी भूमि है, जिन्हें प्रकाश प्रदूषण को रोकने के लिए विकसित किया गया है और जहाँ विशिष्ट रात्रि संबंधी वातावरण और तारों से युक्त रातें होती हैं ।
  • इंटरनेशनल डार्क स्काई एसोसिएशन (IDSA) के अनुसार, डार्क स्काई रिजर्व में आकाश की गुणवत्ता और प्राकृतिक अंधेरे के न्यूनतम मानदंड के साथ एक मुख्य क्षेत्र और एक परिधीय क्षेत्र शामिल है जो मुख्य क्षेत्रों में डार्क स्काई संरक्षण का समर्थन करता है।

डार्क स्काई रिजर्व्स के प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं:

  • टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल तरीके से खगोल विज्ञान पर्यटन को बढ़ावा देना।
  • खगोलीय अवलोकन की सुविधा प्रदान करना।
  • निशाचर प्रजातियों की रक्षा करना, जो शिकार और चारे के लिए अंधेरे पर निर्भर हैं।
  • लगातार बढ़ते प्रकाश प्रदूषण से रात के आकाश को संरक्षित करने के लिए विभिन्न वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग करना।
  • इंटरनेशनल डार्क स्काई एसोसिएशन (IDSA) ने डार्क स्काई रिजर्व्स की पांच नामित श्रेणियों को निर्दिष्ट किया है, जैसे कि इंटरनेशनल डार्क स्काई पार्क, समुदाय, रिजर्व, अभयारण्य और अर्बन नाइट स्काई प्लेस।
  • डार्क स्काई रिजर्व्स से संबंधित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:Dark Sky Reserves

नई रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष:

  • हाल के एक अध्ययन में जर्मनी और अमेरिका के शोधकर्ताओं ने एक वैश्विक डेटाबेस का अध्ययन किया है कि किसी विशेष स्थान से दिखाई देने वाला सबसे मंद तारा (dimmest star) कौन-सा है।
  • एक अध्ययन के अनुसार गैर-प्राकृतिक प्रकाश ने वर्ष 2011 से 2022 के बीच हर साल रात के आकाश (स्काईग्लो) की चमक को लगभग 9.2% से 10% तक बढ़ा दिया है।
  • इस अध्ययन में यह भी कहा गया है कि स्काईग्लो यूरोप में लगभग 6.5%, उत्तरी अमेरिका में 10.4% और शेष दुनिया में 7.7% चमका था।
  • रिपोर्ट के इन निष्कर्षों को पर्याप्त महत्व दिया गया है,क्योंकि यह उपग्रह-आधारित डेटा का विरोध करता है, जिसने संकेत दिया कि वृद्धि की दर लगभग 2% प्रति वर्ष रही है।
  • नवीनतम अध्ययन में कहा गया है कि इस डेटा के बीच विसंगति इसलिए है क्योंकि उपग्रह एलईडी द्वारा उत्सर्जित नीली रोशनी और जमीन के समानांतर उत्सर्जित प्रकाश को समझने में सक्षम नहीं हैं।
  • एक अध्ययन के अनुसार विभिन्न स्रोतों द्वारा उत्सर्जित दृश्य प्रकाश अलग-अलग होता है, इसलिए नीचे की ओर उत्सर्जित प्रकाश भी आकाश की और जाने का अपना रास्ता खोज सकता है।
  • इसके अलावा, शहरों में अधिकांश सतहें प्रकाश और परावर्तित करती हैं, इसलिए पूरी तरह से नीचे डाली गई रोशनी को भी ऊपर की ओर परावर्तित किया जा सकता है, जिससे प्रकाश प्रदूषण में योगदान होता है।

भारतीय संदर्भ:

  • मार्च 2021 में, हानले (Hanle) में भारतीय खगोलीय वेधशाला के एक इंजीनियर ने लेह के पास चेम्रे मठ में प्रकाश के प्रभाव की तस्वीरें साझा की थीं।
  • साझा किये गई इन चित्रों ने स्पष्ट रूप से इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि जब मठ को रोशन किया जाता है तो कई सितारे अदृश्य हो जाते हैं।
  • इसके अलावा वर्ष 2016 में एक अध्ययन ने इस तथ्य को उजागर किया कि भारत की 19.5% आबादी ने स्काईग्लो का एक ऐसा स्तर देखा जिसमें वे मिल्की वे आकाशगंगा को भी देख पाने में सक्षम नहीं थे और यह मानव आंखों के लिए अंधकार अनुकूलन को प्रस्तुत करना मुश्किल बना देगा।
    • जिसके प्रभाव में मानव आंखों में शंकु कोशिकाओं को उत्तेजित करना शामिल है, जो तभी संभव है जब आसपास रोशनी अच्छी मात्रा में हो।
  • वर्ष 2017 के एक अध्ययन के अनुसार वर्ष 2012 और 2016 के बीच भारत का रोशनीयुक्त क्षेत्र 1.07% बढ़कर 1.09% हो गया और स्थिर रूप से प्रकाशित क्षेत्रों की औसत चमक 1.05% बढ़कर 1.07% हो गई।

स्काईग्लो या कृत्रिम प्रकाश प्रदूषण का प्रभाव:

  • अध्ययनों ने संकेत दिया है कि रात में कृत्रिम प्रकाश न केवल मनुष्यों बल्कि वन्यजीवों पर भी महत्वपूर्ण तरीकों से प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
  • वर्ष 2003 में किए गए एक अध्ययन के अनुसार प्रकाश प्रदूषण समुद्री कछुओं को समुद्र तटों के पास प्रजनन करने (अंडे देने) के लिए आने से रोकता है।
  • एक अन्य रिपोर्ट में पाया गया कि स्काईग्लो पेड़ों की मौसमी विविधताओं को समझने की क्षमता को प्रभावित करता है।
  • 2017 में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि बिल खोदकर घोंसला बनाने वाले युवा समुद्री पक्षी तब तक उड़ान नहीं भरते जब तक कि घोंसले वाली जगह पर अंधेरा न हो जाए।
  • इन अध्ययनों ने यह भी संकेत दिया है कि रात में कृत्रिम प्रकाश के संपर्क में आने पर क्लाउनफ़िश के अण्डों से बच्चे नहीं निकलते हैं, इस प्रकार उनकी संतानों के मारे जाने की संभावना अधिक होती है।
  • वर्ष 2020 में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि स्काईग्लो कीटों के जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करता है और कीटों के शिकारियों को लंबे समय तक शिकार करने की दशा प्रदान करता है।
  • इसके अलावा, रात में कृत्रिम प्रकाश सर्कैडियन लय (जो एक प्राकृतिक और आंतरिक प्रक्रिया है जो सोने-जागने के चक्र को नियंत्रित करती है) को बाधित करता है जिसके कारण मेलाटोनिन का उत्पादन प्रभावित होता है, जो मानव शरीर में एक महत्वपूर्ण हार्मोन है जो नींद, मूड और संज्ञान को नियंत्रित करता है।
  • इसके अलावा वर्ष 2009 में बुलाई गई एक समीक्षा बैठक में निष्कर्ष निकाला गया कि सर्कैडियन व्यवधान ने रात की पाली में काम करने वालों में स्तन कैंसर की संभावना को लगभग 40% बढ़ा दिया है।
  • ऑस्ट्रेलिया में शोधकर्ताओं ने पाया कि है कि रात के आकाश का विलोपन सितारों के साथ स्वदेशी सांस्कृतिक और पारिस्थितिक संबंधों की कड़ी को भी कमजोर करेगा।

सारांश:

  • प्रकाश प्रदूषण को कम करने के लिए एक वैश्विक संधि या एक समझौते की तत्काल आवश्यकता है,क्योंकि मुख्य रूप से कृत्रिम प्रकाश प्रदूषण के कारण होने वाली “स्काईग्लो” की घटना के महत्वपूर्ण पारिस्थितिक, स्वास्थ्य और सांस्कृतिक परिणाम होते हैं।

संपादकीय-द हिन्दू

संपादकीय:

लोकतंत्र एवं इसकी संरचनात्मक विफलता:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था एवं शासन:

विषय: लोकतंत्र।

मुख्य परीक्षा: लोकतंत्र और संबंधित चिंताएं।

विवरण:

  • विकास के एक लंबे इतिहास के बावजूद, लोकतंत्र मूल रूप से 19वीं सदी से 20वीं सदी के दौरान पश्चिमी सृजन है।
  • नियमित और बहुदलीय चुनावों के माध्यम से सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार और शासन 100 वर्ष से अधिक पुराने नहीं हैं। उदाहरण के लिए,
    • संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे सर्वाधिक “उन्नत” लोकतंत्रों में, 1920 के दशक के “सार्वभौमिक मताधिकार” में अफ्रीकी-अमेरिकी नागरिकों को शामिल नहीं किया गया था।
    • इसी तरह, ब्रिटेन, फ्रांस और स्विटज़रलैंड में महिलाओं को क्रमशः 1930, 1944 और 1971 में मतदान का अधिकार प्राप्त हुआ।

यह भी पढ़ें: What are the features of democracy? [Get the Answers at BYJU’S]

हस्तांतरण और पूंजीवाद:

  • सत्ता का हस्तांतरण लोकतंत्र के लिए बुनियादी है और यह व्यक्तिगत तथा समानता के स्तर पर होता है।
  • निरंकुश राजशाही और वंशानुगत अभिजात वर्ग का लगभग पूर्ण उन्मूलन और जनता के लिए आर्थिक संसाधनों, बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि का प्रसार स्वीकृति की मांग करता है।
  • हस्तांतरण और पूंजीवाद के प्रसार के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी है। पूंजीवाद में भूमि, श्रम जैसे संसाधनों के लिए स्वतंत्रता और मध्यकालीन राजशाही के निरंकुश प्रतिबंधों से निष्क्रमण की आवश्यकता होती है। यह आगे एक मुक्त बाजार की धारणा के रूप में विकसित हुआ और इसमें काफी हद तक एकरूपता निहित है।
  • उल्लेखनीय रूप से , मानव इतिहास में समानता के कई उदाहरण हैं, विशेष रूप से अनीश्वरवादी बौद्ध धर्म और ईसाई, इस्लाम और सिख जैसे एकेश्वरवादी धर्मों में, जो सामाजिक समानता के समर्थक थे। हालाँकि, यहाँ समानता का तात्पर्य व्यक्ति को समुदाय या समाज के अधीन करना है।
  • कोई भी समतावादी विचारधारा समतामूलक समाज का निर्माण नहीं कर पाई है। इसने केवल मौजूदा सामाजिक पदानुक्रमों में फेरबदल किया है और समाज के निचले पायदानों के लिए ऊपर की ओर बढ़ने के अवसर पैदा किए हैं।
  • समानता के लिए मानवता की ललक दुनिया के विभिन्न हिस्सों में बार-बार भड़कती रही है। और वर्तमान ललक कुछ संस्थाओं और प्रथाओं के माध्यम से एकरूपता स्थापित करने की है।
  • एकरूपता नियमित बहुदलीय “स्वतंत्र और निष्पक्ष” चुनावों का आचरण है और विशेष रूप से बाजार के लिए स्वतंत्रता की गारंटी देता है।

यह भी पढ़ें: Difference between Communism, Capitalism and Socialism With their Comparisons

चुनाव:

  • चुनावों में बहुसंख्यक-अल्पसंख्यक विभाजन अत्यधिक संदेहात्मक है क्योंकि 50% + 1 (बहुमत) और 50% – 1 (अल्पमत) शायद ही एक निर्णायक जनादेश है।
  • इसके अलावा, दुनिया में कहीं भी ऐसी सरकार ढूंढना मुश्किल है जो बहुमत से शासन करे क्योंकि डाले गए मतों का केवल 30% से 40% ही किसी दल को वैध रूप से शासन करने के लिए बहुमत प्रदान कर सकता है।
  • बहुमत का यह त्रुटिपूर्ण सिद्धांत न केवल “साधारण बहुमत प्रणाली” (First past the post system) के माध्यम से बहुदलीय चुनावों में दिखाई देता है, बल्कि यह संयुक्त राज्य अमेरिका में भी देखा गया था जब डोनाल्ड ट्रम्प ने हिलेरी क्लिंटन को हराया था (2016 में), भले ही हिलेरी क्लिंटन ने डोनाल्ड ट्रम्प से लगभग 2.5 मिलियन अधिक लोकप्रिय मत प्राप्त किए थे।
  • एक व्यक्तिगत मतदाता का वोट विभिन्न कारकों जैसे परिवार, समुदाय, धर्म, संस्कृति और सबसे महत्वपूर्ण रूप से राजनीतिक दलों द्वारा पेश किए गए राजनीतिक विकल्पों से प्रभावित होता है। यह वैयक्तिकता की हानि को दर्शाता है।

भारतीय लोकतंत्र:

  • भारतीय लोकतंत्र आधुनिक है क्योंकि यह बिना शर्त वयस्क मताधिकार और नियमित बहुदलीय चुनाव का प्रावधान करता है।
  • हालाँकि, चुनावी राजनीति की कार्यकारी श्रेणियां मूल रूप से पूर्व-आधुनिक हैं क्योंकि यह जाति, उप-जाति, समुदाय, क्षेत्र, भाषा आदि की पहचान की राजनीति पर आधारित है। उदाहरण के लिए, AJGAR (अहीर, जाट, गुर्जर और राजपूत जातियां) और MY (मुस्लिम और यादव), आदि जैसे संक्षिप्त शब्दों का उपयोग विभिन्न राजनीतिक दलों के मत आधार (अक्सर ‘वोट बैंक’ के रूप में संदर्भित) को दर्शाता है।
  • पंडित जवाहरलाल नेहरू को उम्मीद थी कि शिक्षा और लोकतंत्र इन सक्रिय श्रेणियों को पीछे हटाने में मदद करेंगे और जनता के बीच एक अधिक “आधुनिक” चेतना पैदा करेंगे। हालाँकि, हुआ इसके विपरीत।
  • यह कहा जा सकता है कि इतिहास अभी भी प्रकट हो रहा है और सामाजिक समानता की ललक किसी न किसी रूप में उभरती रहती है।

संबंधित लिंक:

Caste System and Panchayati Raj – UPSC Polity, Governance, Social Issues

सारांश:

  • लोकतंत्र सरकार का सबसे लोकप्रिय रूप है। हालाँकि, इससे जुड़ी कई कमियाँ हैं, जिनमें सबसे लोकप्रिय जाति, उप-जाति, धर्म आदि की सक्रिय शक्तियाँ हैं। इन चिंताओं को दूर करना और अधिक से अधिक सामाजिक समानता प्राप्त करना महत्वपूर्ण है।

नाबालिगों के लिए डेटा सुरक्षा हेतु एक नए दृष्टिकोण की आवश्यकता है:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

भारतीय राजव्यवस्था एवं शासन:

विषय: सरकार की नीतियां और विभिन्न क्षेत्रों में हस्तक्षेप।

मुख्य परीक्षा: डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक 2022 का प्रारूप, और नाबालिगों के लिए इसके प्रावधान।

प्रारंभिक परीक्षा: डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक 2022 ।

प्रसंग: डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक 2022 के प्रारूप में बच्चों के लिए प्रावधान।

विवरण:

  • डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (DPDP) विधेयक, 2022 के मसौदे में 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों के रूप में परिभाषित बच्चों द्वारा सभी डेटा प्रोसेसिंग गतिविधियों के लिए माता-पिता की अनिवार्य सहमति का प्रावधान है।
  • यह तर्क दिया जाता है कि यह दृष्टिकोण दो महत्वपूर्ण मोर्चों पर चूक गया है, जो इस प्रकार हैं:
    • विधेयक नाबालिगों के लिए सुरक्षित और बेहतर सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म को सक्रिय रूप से कहने के बजाय माता-पिता को बच्चे की ओर से सहमति देना अनिवार्य करता है। यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि भारत में डिजिटल साक्षरता कम है और माता-पिता को अक्सर इंटरनेट संचालन करने हेतु अपने बच्चों पर निर्भर रहना पड़ता है।
    • सरकार ने डेटा संरक्षण के मुद्दे में “बच्चे के सर्वोत्तम हितों” (बाल अधिकारों पर अभिसमय, 1989 में दिया गया एक मानक) पर विचार नहीं किया है। यह तर्क दिया जाता है कि विधेयक इस तथ्य की अनदेखी करता है कि किशोर आत्म-अभिव्यक्ति और व्यक्तिगत विकास के लिए इंटरनेट प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हैं। यह प्लेटफॉर्म इन दिनों किशोरों के अनुभव के केंद्र में हैं।
  • हालांकि विधेयक भविष्य में माता-पिता की सहमति आवश्यकताओं, प्रोफाइलिंग, ट्रैकिंग निषेध आदि से छूट की अनुमति देता है। व्हाइटलिस्टिंग/स्वीकार्य सूची प्रक्रिया प्लेटफ़ॉर्म के उपयोग को स्वीकार नहीं करती है। उदाहरण के लिए, इंस्टाग्राम मूल रूप से एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है, लेकिन इसका उपयोग कई कलाकारों द्वारा शैक्षिक और व्यावसायिक विकास उपकरण के रूप में भी किया जाता है।

यह भी पढ़ें: United Nations Convention on the Rights of the Child – CRC Notes for UPSC

विधेयक में अन्य मुद्दे:

  • नाबालिगों के लिए प्रत्येक मंच को ‘सत्यापन योग्य माता-पिता की सहमति’ प्राप्त करने की आवश्यकता होगी। यह प्रावधान प्रत्येक उपयोगकर्ता की आयु के सत्यापन को अनिवार्य करेगा। अभी यह निश्चित किया जाना बाकी है कि सत्यापन योग्यता आईडी प्रूफ, चेहरे की पहचान, संदर्भ-आधारित होगा या अन्य तरीकों पर आधारित होगा।
  • इसके कारण पहले से अधिक व्यक्तिगत डेटा के प्रबंधन की आवश्यकता होगी। इसके अलावा, डेटा उल्लंघनों, पहचान की चोरी आदि का जोखिम बढ़ जाएगा।

मसौदा विधेयक के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें: Digital Data Protection Bill, 2022 – Features, Significance [USPC Notes]

भावी कदम:

  • ट्रैकिंग, निगरानी आदि पर एक व्यापक प्रतिबंध से हटना और प्लेटफ़ॉर्म दायित्वों के लिए जोखिम-आधारित दृष्टिकोण अपनाना महत्वपूर्ण है। नाबालिगों की रक्षा करने और उन्हें नुकसान से बचाने के लिए वांछित सेटिंग्स और सुविधाओं के साथ नाबालिगों का जोखिम मूल्यांकन करना प्लेटफार्मों के लिए अनिवार्य किया जाना चाहिए।
  • सभी सेवाओं के लिए अनिवार्य माता-पिता की सहमति के लिए आयु में 13 वर्ष (अन्य देशों के अनुरूप) तक छूट। यह डेटा संग्रह को कम करेगा और बच्चों को इंटरनेट पहुँच की अनुमति देते हुए उनकी सुरक्षा करेगा।
  • यूनाइटेड किंगडम तथा अमेरिका (कैलिफ़ोर्निया, न्यूयॉर्क, आदि) जैसे देशों में आयु-उपयुक्त डिज़ाइन कोड तैयार किए गए हैं। भारत में इसे अपनाने के लिए, सरकार को ऑनलाइन आदतों, प्राथमिकताओं, डिजिटल साक्षरता आदि के बारे में अधिक जानकारी के लिए बड़े पैमाने पर सर्वेक्षण (बच्चों और माता-पिता दोनों का) करना चाहिए।
  • बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी पूरे समाज पर होनी चाहिए।

संबंधित लिंक:

Digital Personal Data Protection Bill: Sansad TV Perspective Discussion of 16 Nov 2022

सारांश:

  • डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक के मसौदे में किशोरों के लिए माता-पिता की सहमति अनिवार्य है। इससे किशोरों द्वारा इंटरनेट तक मुक्त पहुंच में बाधा आ सकती है और कई अन्य मुद्दे सामने आ सकते हैं। इंटरनेट के क्षेत्र में नाबालिगों के लिए बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु इंटरनेट प्लेटफॉर्म सहित सभी हितधारकों को शामिल करना समय की मांग है।

विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए एक भारत में एक अवसर:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

शिक्षा:

विषय: शिक्षा के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।

मुख्य परीक्षा: भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों की स्थापना।

विवरण:

  • लगभग दो दशकों से उच्च शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण के विभिन्न समर्थकों ने भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों की स्थापना के लिए एक अनुकूल वातावरण और एक सक्षम ढांचा सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया है।
  • हालाँकि, भारत और विदेशी उच्च शिक्षण संस्थानों दोनों में नियामक चिंताओं के कारण इस दिशा में बहुत कुछ हासिल नहीं हुआ है।

यह भी पढ़ें: Sansad TV Perspective: Rules for Foreign Universities

पृष्ठभूमि विवरण:

  • भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों की स्थापना से विदेशी मुद्रा में 28-30 बिलियन डॉलर का बहिर्वाह सीमित हो जाएगा।
  • 2021-22 में विदेश में शिक्षा के लिए विदेशी बहिर्वाह $5.165 बिलियन से अधिक नहीं था।
  • छात्र न केवल डिग्री के लिए बल्कि अनुभव, अध्ययन के बाद के कार्य वीजा, आय के अवसरों और करियर की संभावनाओं के लिए भी विदेशी अध्ययन को प्राथमिकता देते हैं।

संबद्ध चिंताएं:

  • कुछ प्रमुख सरोकार उत्कृष्टता को प्रोत्साहित करने, कदाचारों को रोकने, छात्रों के हितों की रक्षा करने और राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने के बारे में हैं।
  • सांस्कृतिक खतरे के बारे में भी चिंताएं हैं।
  • कई नीति नियोजक और नियामक एक ऐसे ढांचे की स्थापना के प्रति सतर्क हैं जो सर्वश्रेष्ठ को आकर्षित करता है और गैर-जबाबदेह प्रकार के विश्वविद्यालयों को रोकता है।
  • विदेशी परिसरों को उनकी मान्यता, रैंकिंग और प्रतिष्ठा के अनुसार स्थापित करने के संभावित हानिकारक प्रभाव के बारे में भी चिंताएँ मौज़ूद हैं।
  • विशेष रूप से, इस तरह के विदेशी परिसरों वाले देशों को नगण्य लागत पर भूमि को पट्टे पर देकर, बुनियादी ढांचे की अधिकांश लागत को वहन करके और शैक्षणिक, प्रशासनिक और वित्तीय स्वायत्तता की गारंटी देकर आकर्षित करना पड़ा। भारत के लिए इस तरह के प्रोत्साहन को वहन करना कठिन है।
  • हो सकता है कि भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों में अध्ययन करने से छात्रों को अन्य देशों में करियर के अवसर और बेहतर आय की संभावनाएँ खोजने की अनुमति न मिले।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रावधान:

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने एक “विधायी ढांचे” का सुझाव दिया है, लेकिन इसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा एक नियामक मार्ग के माध्यम से क्रियान्वित किया जा रहा है।
  • मसौदा विनियमन दुनिया के शीर्ष 500 शीर्ष विश्वविद्यालयों के लिए दायरे का विस्तार करके मानकों को शिथिल करने को तैयार है। इसके अलावा, यह उनके देश में एक “प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान” होने के लिए पर्याप्त होगा। UGC निष्पक्ष रूप से और पूरी तरह से आवेदनों को संसाधित करेगा और सर्वोत्तम संस्थानों की पहचान करेगा।

यह भी पढ़ें: Education Revolution: Government Move To Allow Foreign Universities A Good Idea, Free Indian Universities Too – BYJU’S

विनियमनों में विरोधाभास:

  • मसौदा नियमन ने सुझाव दिया है कि शिक्षा की गुणवत्ता उनके मूल देश में अवस्थित परिसर में पाठ्यक्रमों की गुणवत्ता के बराबर होनी चाहिए। यह आगे जोर देकर कहता है कि इसे “भारत में उच्च शिक्षा के मानकों और राष्ट्रीय हित को खतरे में डालने वाले किसी भी अध्ययन कार्यक्रम की पेशकश नहीं करनी चाहिए”।
  • एक ओर यह विदेशी संस्थानों को अकादमिक, प्रशासनिक और वित्तीय स्वायत्तता की गारंटी देता है, जबकि दूसरी ओर यह उन्हें UGC और भारत सरकार के नियमों का पालन करने के लिए कहता है।
  • यह आगे इस बात पर प्रकाश डालता है कि विदेशी संस्थानों को “भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध, सार्वजनिक व्यवस्था, शालीनता या नैतिकता के विपरीत” कुछ भी नहीं करना चाहिए। यह तर्क दिया जाता है कि यह सर्वोत्तम विश्वविद्यालयों को रोक सकता है क्योंकि वे आमतौर पर अकादमिक स्वायत्तता को महत्व देते हैं।

निष्कर्ष:

कई चिंताओं के बावजूद, यह आवश्यक है कि भारत के पास विदेशी उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रवेश और संचालन के लिए एक सक्षम ढांचा हो।

संबंधित लिंक:

UPSC Exam Comprehensive News Analysis. Jan 23rd, 2023 CNA. Download PDF

सारांश:

  • भारत अपने यहाँ विदेशी उच्च शिक्षा संस्थानों की स्थापना के लिए उत्सुक है और इस दिशा में कई कदम उठाए हैं। हालाँकि, अभी भी कई मुद्दे हैं जिनका विश्व के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों को आकर्षित करने के लिए समय पर समाधान किया जाना चाहिए।

प्रीलिम्स तथ्य:

1.नोरोवायरस:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

विज्ञान एवं तकनीक:

विषय: विभिन्न रोगों के बारे में जागरूकता।

प्रारंभिक परीक्षा: नोरोवायरस से संबंधित तथ्य।

प्रसंग:

  • केरल के एर्नाकुलम जिले में दो स्कूली बच्चों में नोरोवायरस संक्रमण की पुष्टि हुई है।

नोरोवायरस:

  • नोरोवायरस एक संक्रामक वायरस है जिसे “विंटर वोमिटिंग बग” भी कहा जाता है।
  • नोरोवायरस एक RNA वायरस है जो कैलिसिविरिडी परिवार से संबंधित है।
  • यह एक मानव आंतों का रोगज़नक़ है जो तीव्र आंत्रशोथ का कारण बनता है।
  • नोरोवायरस के कारण होने वाले सबसे आम लक्षणों में दस्त, उल्टी, मतली और पेट दर्द शामिल हैं।
  • नोरोवायरस मुख्य रूप से मल-मौखिक मार्गों से फैलता है जैसे:
  1. संक्रमित व्यक्ति से सीधा संपर्क।
  2. दूषित पानी या भोजन का सेवन करना।
  3. दूषित सतहों को छूना और बिना धुले हाथों का उपयोग करना।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization (WHO)) के अनुसार नोरोवायरस किसी को भी संक्रमित कर सकता है।
  • चूंकि नोरोवायरस जीनस में वायरस शामिल हैं जो मनुष्यों, सूअरों, मवेशियों और चूहों को संक्रमित करते हैं, इसलिए इस संक्रमण के जूनोटिक संचरण की संभावना मौजूद है।
  • नोरोवायरस से संबंधित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:Norovirus

महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. पांचवीं स्कॉर्पीन पनडुब्बी, INS वागीर को कमीशन किया गया:
  • स्कॉर्पीन श्रेणी की पांचवीं पारंपरिक पनडुब्बी INS वगीर को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया।
  • प्रोजेक्ट 75 (Project 75) के तहत मुंबई में मझगांव डॉकयार्ड्स लिमिटेड में छह पारंपरिक डीजल-इलेक्ट्रिक स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों का निर्माण किया जा रहा है।
  • INS वागीर को शामिल करने के साथ भारतीय नौसेना के पास अब सेवा में 16 पारंपरिक और एक परमाणु पनडुब्बी हो गई है जिसमें निम्न शामिल हैं:
  1. सात रूसी किलो (Kilo)-श्रेणी की पनडुब्बियां।
  2. चार जर्मन HDW पनडुब्बियां।
  3. स्कॉर्पीन श्रेणी की पांच पनडुब्बियां।
  4. INS अरिहंत जो स्वदेशी परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी है।
  • इसके अलावा फ्रांसीसी मूल की स्कॉर्पीन श्रेणी की छठी और अंतिम पनडुब्बियां, INS वाग्शीर, जिसे भारत में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के तहत बनाया जा रहा है, वर्तमान में समुद्री परीक्षणों से गुजर रही है और यह वर्ष 2024 में नौसेना को सौंप दी जाएगी।
  • INS वागीर से संबंधित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: INS Vagir
  1. परमवीर चक्र पुरस्कार विजेताओं के नाम पर 21 अंडमान द्वीपों का नाम रखा गया:
  • भारत के प्रधान मंत्री ने 21 परम वीर चक्र पुरस्कार विजेताओं के नाम पर अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में 21 सबसे बड़े अनाम द्वीपों का नाम रखा।
  • वर्ष 2018 में रॉस द्वीप का नाम नेताजी के नाम पर रखा गया, नील द्वीप का नाम बदलकर शहीद द्वीप कर दिया गया और हैवलॉक द्वीप का नाम बदलकर स्वराज द्वीप कर दिया गया था।
  • प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती पूरे देश में “पराक्रम दिवस” (Parakram Divas) के रूप में मनाई जा रही है।
  • प्रधान मंत्री के अनुसार, परम वीर चक्र पुरस्कार विजेताओं के नाम पर 21 द्वीपों का नामकरण “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” के संदेश का प्रचार करता है।
  • प्रधान मंत्री ने आगे कहा कि यह कदम “भारत माता” और “इंडिया फर्स्ट” की भावना को भी प्रज्वलित करेगा।
  • भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सुभाष चंद्र बोस की भूमिका से संबंधित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: Subhash Chandra Bose – Role in Indian Freedom Struggle

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सत्य है/हैं? (स्तर – मध्यम)

  1. ये केवल भारतीय नागरिकों और संस्थानों को दिए जाते हैं।
  2. 2023 का एकमात्र विजेता ओडिशा राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण हैं।

विकल्प:

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. 1 और 2 दोनों
  4. न तो 1, न ही 2

उत्तर: a

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: केंद्र सरकार ने आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में भारत में व्यक्तियों और संगठनों द्वारा प्रदान किए गए योगदान और सेवा को पहचानने और सम्मानित करने के लिए “सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार” के रूप में जाना जाने वाला एक वार्षिक पुरस्कार स्थापित किया है।
  • कथन 2 गलत है: केंद्र सरकार ने 2023 के लिए सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार के लिए ओडिशा राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (OSDMA) और लुंगलेई फायर स्टेशन (LFS), मिजोरम का चयन किया है।

प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कौन-सा/से भारत में सर्वोच्च सैन्य सम्मान है/हैं? (स्तर – सरल)

  1. परम वीर चक्र
  2. अशोक चक्र

विकल्प:

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. 1 और 2 दोनों
  4. न तो 1, न ही 2

उत्तर: c

व्याख्या:

  • परमवीर चक्र (PVC) भारत का सर्वोच्च सैन्य अलंकरण है, जिसे युद्धकाल के दौरान वीरता के विशिष्ट कार्यों को प्रदर्शित करने के लिए दिया जाता है।
  • अशोक चक्र युद्ध के मैदान से दूर वीरता, साहसी कार्रवाई या आत्म-बलिदान के लिए दिया जाने वाला भारत का शांतिकालीन सर्वोच्च सैन्य सम्मान है।

प्रश्न 3. स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-से सही हैं?(स्तर – कठिन)

  1. इन्हें फ्रांस के सहयोग से बनाया जा रहा है।
  2. ये स्टील्थ पनडुब्बियां हैं।
  3. ऐसी 5 पनडुब्बियां अब तक नौसेना में शामिल की जा चुकी हैं।

विकल्प:

  1. 1 और 2
  2. 2 और 3
  3. 1 और 3
  4. 1, 2 और 3

उत्तर: d

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: फ्रांस के नौसेना समूह की तकनीकी सहायता से मझगांव डॉक लिमिटेड (MDL) द्वारा प्रोजेक्ट 75 के तहत स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों का निर्माण किया जा रहा है।
  • कथन 2 सही है: स्कॉर्पीन-श्रेणी की पनडुब्बियों में बेहतर स्टील्थ विशेषताएँ होती हैं, जैसे कम विकिरणित शोर स्तर, उन्नत ध्वनिक साइलेंसिंग तकनीक और बोर्ड पर सटीक-निर्देशित हथियारों से हमला करने की क्षमता।
  • कथन 3 सही है: पांच स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों को आज तक नौसेना में शामिल किया गया है:
    • पहली पनडुब्बी: INS कलवरी ( INS Kalvari) को दिसंबर 2017 में कमीशन किया गया था।
    • दूसरी: सितंबर 2019 में INS खंदेरी ( INS Khanderi)।
    • तीसरी: मार्च 2021 में INS करंज (INS Karanj)।
    • चौथी: नवंबर 2021 में INS वेला।
    • पांचवीं: INS वगीर (INS Vagir) को 23 जनवरी 2023 को सेवा में शामिल किया गया था।
    • छठी और आखिरी: INS वाग्शीर, 2024 में नौसेना को सौंप दी जाएगी।

प्रश्न 4. इम्यून इम्प्रिंटिंग (Immune Imprinting) से आप क्या समझते हैं ? (स्तर – कठिन)

  1. यह श्वेत रक्त कोशिकाओं के आधान की सुविधा के लिए 3-डी प्रिंटिंग तकनीक है।
  2. यह mRNA टीकों के उत्पादन के लिए इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक है।
  3. यह हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रवृत्ति है जिसमें वह पहले की तरह ही एक समान खतरे का सामना करने पर अपनी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को दोहराती है।
  4. यह मां की प्रतिरक्षा प्रणाली की नकल करने की भ्रूण की प्रवृत्ति है।

उत्तर: c

व्याख्या:

  • इम्यून इंप्रिनटिंग शरीर की अपनी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को दोहराने की एक प्रवृत्ति है, जो संक्रमण या टीकाकरण के माध्यम से पूर्व में सामना किए गए संस्करण के आधार पर होती है, जब यह शरीर वैसे ही रोगज़नक़ के नए या थोड़े अलग प्रकार का सामना करता है।
  • इम्यून मूल रूप से इम्प्रिंटिंग प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए एक डेटाबेस के रूप में कार्य करता है, जिससे बार-बार होने वाले संक्रमणों के लिए बेहतर प्रतिक्रिया देने में मदद मिलती है।

प्रश्न 5. खगोलीय दूरियाँ प्रकाश-वर्ष में मापे जाने का कारण निम्नलिखित में से कौन-सा है? (PYQ 2021) (स्तर – सरल)

  1. तारकीय पिंडों के बीच दूरियां परिवर्तित नहीं होती हैं।
  2. तारकीय पिंडों का गुरुत्व परिवर्तित नहीं होता है।
  3. प्रकाश सदैव सीधी रेखा में यात्रा करता है।
  4. प्रकाश की गति (स्पीड) सदैव एकसमान होती है।

उत्तर: d

व्याख्या:

  • कथन 1 गलत है: डॉपलर प्रभाव यह साबित करता है कि ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है।
  • कथन 2 गलत है: गुरुत्वीय शक्ति वस्तु के द्रव्यमान पर निर्भर करती है। द्रव्यमान में परिवर्तन के साथ गुरुत्व में परिवर्तन होता है।
  • कथन 3 गलत है: यद्यपि प्रकाश सीधी रेखा में यात्रा करता है, लेकिन गुरुत्वाकर्षण प्रकाश को मोड़ सकता है।
  • कथन 4 सही है: चूंकि प्रकाश की गति निर्वात में नहीं बदलती है और एक प्रकाश वर्ष वह दूरी है जो प्रकाश एक पृथ्वी वर्ष में निर्वात में तय करता है। इसलिए, प्रकाश की गति एक स्थिरांक है जिसका उपयोग खगोलीय दूरियों को मापने के लिए किया जा सकता है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. अपने वर्तमान स्वरूप में लोकतंत्र में कुछ खामियां हैं, लेकिन यह अभी भी शासन का सबसे अच्छा उपलब्ध रूप है। टिप्पणी कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द) (जीएस II – राजव्यवस्था)

प्रश्न 2. प्रकाश प्रदूषण क्या है? इसके प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ने वाले परिणामों की चर्चा कीजिए। (10 अंक, 150 शब्द) (जीएस III – पर्यावरण)