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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 26 December, 2022 UPSC CNA in Hindi

26 दिसंबर 2022 : समाचार विश्लेषण

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था:

  1. न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति आयु:

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

  1. इंटरनेट पर “डार्क पैटर्न”:

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

राजव्यवस्था:

  1. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 200:

शासन:

  1. ऑनलाइन गैम्बलिंग का खतरा:

पर्यावरण एवं जैव विविधता:

  1. वन अधिकार और विरासत संरक्षण:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. वीर बाल दिवस (Veer Baal Diwas):
  2. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और प्रदूषित नदियाँ:

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. श्रीमुखलिंगम मंदिर:

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

इंटरनेट पर “डार्क पैटर्न”:

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

विषय: विभिन्न क्षेत्रों में जागरूकता- आईटी और कंप्यूटर।

मुख्य परीक्षा: डिजिटल प्लेटफॉर्म और बड़ी टेक कंपनियों के साथ गोपनीयता के मुद्दे।

संदर्भ:

  • इस लेख में तकनीकी फर्मों द्वारा अपनाई जाने वाली “डार्क पैटर्न” नामक भ्रामक रणनीति पर चर्चा की गई है।

डार्क पैटर्न क्या हैं?

  • “डार्क पैटर्न” शब्द को पहली बार UI/UX (यूजर इंटरफेस/यूजर एक्सपीरियंस) एक विशेषज्ञ हैरी ब्रिग्नुल द्वारा उन तरीकों का वर्णन करने के लिए गढ़ा गया था जिसमें सॉफ्टवेयर उपयोगकर्ताओं को चालाकी से ऐसे काम करने के लिए प्रेरित कर सकता है जो वे नहीं करना चाहते, या ऐसे व्यवहार को हतोत्साहित करना जो कंपनी के लिए बुरा है।
  • ऐसे पैटर्न अनैतिक उपयोगकर्ता इंटरफ़ेस डिज़ाइन होते हैं जो जानबूझकर आपके इंटरनेट व्यवहार को कठिन बनाते हैं या आपका शोषण भी करते हैं।
  • ये डिज़ाइन को नियोजित करने वाली कंपनी या प्लेटफ़ॉर्म को लाभ पहुंचाने के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं।

चित्र स्रोत: netsolutions

कंपनियां डार्क पैटर्न का उपयोग किस प्रकार करती हैं?

  • Apple, Amazon, Skype, Facebook, LinkedIn, Microsoft, और Google जैसी विभिन्न बड़ी टेक कंपनियाँ अपने स्वयं के लाभ हेतु उपयोगकर्ता व्यवहार को सीमित करने के लिए डार्क पैटर्न का उपयोग करती हैं।
    • उदाहरण के लिए जब आप मेलिंग सूची (mailing list) से अपनी सदस्यता समाप्त करना चाहते हैं, तो कंपनी “अनसब्सक्राइब” बटन को छोटा, कम-वैषम्य/भिन्न बनाती है, तथा ईमेल के निचले भाग के टेक्स्ट के पैराग्राफ में दफन (छुपा देना) कर आपके और रद्दीकरण के बीच सूक्ष्म बाधा उत्पन्न करती है।
    • अमेज़ॅन प्राइम सब्सक्रिप्शन को रद्द करने की प्रक्रिया को भ्रामक, बहु-चरणीय बनाने की वजह से अमेज़ॅन यूरोपीय संघ में आलोचना के घेरे में आ गया है।
    • उपभोक्ता नियामकों के साथ संवाद करने के बाद अमेज़ॅन ने इस साल यूरोपीय देशों में ऑनलाइन ग्राहकों के लिए सब्सक्रिप्शन को रद्द करने की प्रक्रिया को आसान बना दिया है।
    • किसी वीडियो के अंतिम कुछ सेकंड में अन्य वीडियो के थंबनेल द्वारा अस्पष्ट (ढक) कर दिए जाते हैं,जैसा कि YouTube उपयोगकर्ताओं को YouTube प्रीमियम के लिए साइन अप करने के लिए परेशान किया जाता है, जो की उपयोगकर्ता के व्यवहार में उनके द्वारा किये जाने वाला हस्तक्षेप है।
  • यू.एस. में, संघीय व्यापार आयोग (Federal Trade Commission [FTC]) ने डार्क पैटर्न और उनके द्वारा उत्पन्न जोखिमों पर ध्यान आकृष्ट किया है। इसने 30 से अधिक डार्क पैटर्न सूचीबद्ध किए जो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और ई-कॉमर्स साइटों पर एक मानक क्रियाकलाप/व्यवहार है।
  • इनमें ऑनलाइन सौदों के लिए “आधारहीन” उलटी गिनती, स्पष्ट प्रिंट में शर्तों को दिखाती हैं,जो सब्सक्रिप्शन की लागत में वृद्धि करती हैं, इसके साथ ही रद्दीकरण बटन को देखना या क्लिक करना कठिन बनाना, विज्ञापनों को समाचार रिपोर्ट या सेलिब्रिटी एंडोर्समेंट के रूप में प्रदर्शित करना, ऑटो-प्ले वीडियो, उपयोगकर्ताओं को अकाउंट बनाने के लिए मजबूर करना शामिल है। नि: शुल्क परीक्षण समाप्त होने के बाद क्रेडिट कार्ड से स्वत रिचार्ज हो जाना और जानकारी छिपाने के लिए फीके रंगों का उपयोग करना जिनके बारे में यूजर्स (उपयोगकर्ताओं) को पता होना चाहिए।
  • एक उदाहरण के रूप में एफटीसी रिपोर्ट ने 2014 में अमेज़ॅन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की,जिसमे कथित रूप से बच्चों के लिए एक “मुफ्त” ऐप के लिए जिसने अपने युवा उपयोगकर्ताओं को इन-ऐप की खरीदारी करने के लिए मूर्ख बनाया, जिसके लिए उनके माता-पिता को भुगतान करना पड़ा।

डार्क पैटर्न उपयोगकर्ता के अनुभव को कैसे प्रभावित करते हैं?

  • डार्क पैटर्न इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के क्रिया विधियों को खतरे में डालते हैं और बिग टेक कंपनियों द्वारा डेटा और वित्तीय शोषण के प्रति उनकी संवेदनशीलता को बढ़ाते हैं।
  • डार्क पैटर्न उपभोक्ताओं को बरगलाते हैं, ऑनलाइन बाधाओं को पेश करते हैं, नियमित कार्यों को पूरा करने में देरी करते हैं, उन्हें अवांछित सेवाओं या उत्पादों के लिए साइन अप करने के लिए मजबूर करते हैं, और उन्हें अधिक पैसे देने या अधिक व्यक्तिगत जानकारी का खुलासा करने के लिए मजबूर करते हैं, जो कि उनका मूल रूप उद्देश्य होता है।
  • FTC के अनुसार, जैसे-जैसे इन उपकरणों का उपयोग बढ़ता हैं वैसे वैसे डार्क पैटर्न संभवतः संवर्धित वास्तविकता (AR) और आभासी वास्तविकता (VR) प्लेटफार्मों का अनुसरण करते हैं।

सारांश:

  • डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म डार्क पैटर्न का उपयोग करके उपयोगकर्ता द्वारा उपयोग की जा रही सेवाओं और उनके ब्राउज़िंग पर उनके कार्यकलाप पर उनके नियंत्रण के बारे में पूरी जानकारी का अधिकार छीन लेते हैं। इंटरनेट उपयोगकर्ता जो अपने दैनिक जीवन में डार्क पैटर्न को पहचानने और मान्यता देने में सक्षम हैं, वे अधिक उपयोगकर्ता-अनुकूल प्लेटफॉर्म चुन सकते हैं जो उनके चयन और गोपनीयता के अधिकार का सम्मान करते हैं।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति आयु:

राजव्यवस्था:

विषय: कार्यपालिका और न्यायपालिका की संरचना, संगठन और कार्यप्रणाली।

मुख्य परीक्षा: न्यायाधीशों की बढ़ती सेवानिवृत्ति की आयु का प्रभाव।

संदर्भ:

  • हाल ही में न्याय विभाग ने कार्मिक, कानून और न्याय पर संसदीय पैनल के समक्ष एक प्रस्तुति दी हैं।

विवरण:

  • न्याय विभाग ने कार्मिक, कानून और न्याय पर संसदीय पैनल के समक्ष एक प्रस्तुति दी, जिसकी अध्यक्षता भाजपा सांसद और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी द्वारा की गई थी।
  • इस प्रस्तुति में उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों (Supreme Court and high court) की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने की संभावना सहित न्यायिक प्रक्रियाओं और सुधारों का विवरण शामिल था।
  • जुलाई 2022 में केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने संसद को सूचित किया था कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं है।

न्याय विभाग द्वारा सुझाए गए प्रमुख उपाय:

  • न्याय विभाग ने पैनल को बताया कि सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने से गैर-निष्पादित न्यायाधीश लंबे समय तक पद पर रह सकते हैं और अन्य सरकारी कर्मचारियों के समान अनुरोध करने पर इसका दूरगामी प्रभाव हो सकता है।
  • इसने यह भी सुझाव दिया कि लंबित मामलों को कम करने और न्यायपालिका में पारदर्शिता लाने के साथ-साथ न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने पर विचार किया जाना चाहिए।
  • इसमें कहा गया है कि सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने से ट्रिब्यूनल सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को पीठासीन अधिकारियों या न्यायिक सदस्यों के रूप में रखने से वंचित हो सकते हैं।

न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति आयु:

  • भारत में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष है जबकि उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए यह 62 वर्ष है।
  • वेंकटचलैया रिपोर्ट (संविधान के कामकाज की समीक्षा करने के लिए राष्ट्रीय आयोग की रिपोर्ट, 2002) ने सिफारिश की कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाकर 65 वर्ष और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की आयु बढ़ाकर 68 वर्ष की जानी चाहिए।
  • उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाकर 65 वर्ष करने के लिए 2010 में 114 वां संशोधन विधेयक पेश किया गया था।
  • हालाँकि, इसे संसद पटल पर विचार हेतु नहीं रखा गया था और 15 वीं लोकसभा के विघटन के साथ ही यह समाप्त हो गया था।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय के साथ-साथ ग्रीस और ऑस्ट्रिया में संवैधानिक न्यायालयों में न्यायाधीशों को आजीवन नियुक्त किया जाता है।
  • बेल्जियम, डेनमार्क, आयरलैंड, नीदरलैंड, नॉर्वे और ऑस्ट्रेलिया में न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु 70 वर्ष है।

सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने का महत्व:

  • 31 दिसंबर 2021 तक भारत में न्यायाधीश-जनसंख्या अनुपात 21.03 के साथ सबसे कम है।
  • इसलिए, सेवानिवृत्ति की आयु में वृद्धि न्यायपालिका को लंबित मामलों की भारी संख्या से निपटने में सक्षम बनाएगी।
  • यह अनुभवी न्यायाधीशों के एक मजबूत प्रतिभा पूल की निरंतर उपस्थिति भी सुनिश्चित करेगा।
  • यह आसन्न मुकदमेबाजी के खिलाफ एक मार्ग होगा।क्योंकि जैसे-जैसे भारतीय अर्थव्यवस्था का आकर बढ़ रहा है, वैसे वैसे मुकदमों का आबादी से अनुपात भी तेजी से बढ़ेगा।
  • यह सेवानिवृत्ति के बाद के असाइनमेंट (कार्य) को अनाकर्षक बना देगा और इसके परिणामस्वरूप विधि के शासन और न्यायपालिका की स्वतंत्रता को मजबूत करेगा, जो दोनों ही लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।

सारांश:

  • न्याय विभाग ने हाल ही में न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु में वृद्धि पर अपनी चिंता व्यक्त की क्योंकि अन्य सरकारी कर्मचारियों के समान अनुरोध करने से इसका प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए, इस मुद्दे की समग्रता से जांच करना विवेकपूर्ण निर्णय होगा।

संपादकीय-द हिन्दू

संपादकीय:

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 200:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था:

विषय: भारतीय संविधान।

मुख्य परीक्षा: भारतीय राजव्यवस्था में राज्यपाल की भूमिका।

संदर्भ:

  • इस आलेख में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 200 के संबंध में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई है।

अनुच्छेद 200 क्या है:

  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 200 राज्य विधायिका द्वारा पारित विधेयकों को दी जाने वाली सहमति के संबंध में राज्यपाल की शक्तियों और राज्यपाल की अन्य शक्तियों जैसे राष्ट्रपति के विचार के लिए विधेयक को सुरक्षित रखने से संबंधित है।
  • जब कोई विधेयक राज्य विधानमंडल द्वारा पारित किया गया है, तो इसे राज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा और राज्यपाल निम्नलिखित कार्रवाई कर सकता है,
    • अपनी सहमति दे सकता है
    • अपनी सहमति को रोक कर रख सकता है
    • विधेयक को वापस कर सकता है
    • राष्ट्रपति के विचार के लिए विधेयक को सुरक्षित रख सकता है (ऐसे मामलों में जहां राज्य विधानमंडल में प्रस्तुत किया गए विधेयक से राज्य उच्च न्यायालय की स्थिति संकटपूर्ण हो सकती है।)
  • राज्यपाल किसी भी विधेयक को राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित रख सकता है, राज्यपाल की राय में उच्च न्यायालय की शक्तियों का ऐसा अल्पीकरण होगा कि वह स्थान, जिसकी पूर्ति के लिए वह न्यायालय इस संविधान द्वारा परिकल्पित है, संकटापन्न हो जाएगा।

अनुच्छेद 200 के पीछे तर्क:

  • अनुच्छेद 200 के पीछे वास्तविक उद्देश्य राज्यपाल को नियंत्रण और संतुलन के रूप में कार्य करने की अनुमति देना था, ताकि राज्य द्वारा अधिनियमित कानून को केंद्रीय कानूनों के प्रतिकूल होने से बचाया जा सके।
  • कुछ राज्य सरकारों ने सरकारिया आयोग के समक्ष एक राय व्यक्त की कि “राज्यपाल जल्दबाजी में निर्मित कानूनों के विरुद्ध सुरक्षा-वाल्व के रूप में कार्य करेगा और उनके संचालन से राज्य सरकार और विधानमंडल को इस पर पुनर्विचार करने में सक्षम बनाया जाएगा”।

अनुच्छेद 200 के विभिन्न मुद्दे:

  • अनुच्छेद 200 में विधान सभा द्वारा भेजे गए विधेयकों को स्वीकृति प्रदान करने हेतु राज्यपाल के लिए समय सीमा निर्धारित नहीं है।
  • विभिन्न राज्यों के राज्यपालों द्वारा इस अनुच्छेद का उपयोग लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकारों के जनादेश को अस्पष्ट करने के लिए किया गया है।
    • केवल तमिलनाडु में, लगभग 20 विधेयकों को राज्यपाल की स्वीकृति का इंतजार है। तेलंगाना और पश्चिम बंगाल में भी स्थिति समान है।
  • जब कोई राज्यपाल विधायिका द्वारा अधिनियमित विधेयक पर हस्ताक्षर करने से इनकार करता है, तो वह सीधे तौर पर गैरकानूनी तरीकों का उपयोग करके संविधान के संघीय ढांचे को कमजोर कर रहा है।
  • यहां तक कि राष्ट्रपति भी उन विधेयकों को स्वीकृति देने में काफी देर कर रहे हैं, जिन्हें राज्यपाल ने राष्ट्रपति के विचारार्थ टाल दिया था।
    • उदाहरण के लिए, मई 2022 में राष्ट्रपति को भेजे जाने के बाद राष्ट्रपति ने अभी तक तमिलनाडु विधानसभा द्वारा पारित राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET)-छूट विधेयक पर कार्रवाई नहीं की है।
  • संविधान के अनुच्छेद 201 के तहत विधेयक के परिणाम पर निर्णय लेने हेतु राष्ट्रपति के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है।

सुधारों के लिए विभिन्न मांगे:

  • पुरुषोत्तम नंबूदिरि बनाम केरल राज्य (1962) में, सर्वोच्च न्यायालय की एक संविधान पीठ ने स्पष्ट किया कि संविधान में कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है जिसके भीतर राज्यपाल को विधेयकों को स्वीकृति प्रदान करनी चाहिए।
  • हालाँकि, न्यायालय ने यह सुनिश्चित किया है कि राज्यपाल को विधानमंडल की इच्छा का सम्मान करना चाहिए और राष्ट्रपति या राज्यपाल केवल मंत्रिपरिषद के अनुरूप कार्य कर सकते हैं।
  • न्यायमूर्ति वेंकटचलैया की अध्यक्षता में ‘संविधान के कामकाज की समीक्षा के लिए राष्ट्रीय आयोग’ ने सिफारिश की कि “एक समय-सीमा होनी चाहिए – छह महीने की अवधि – जिसके भीतर राज्यपाल को निर्णय लेना चाहिए कि विधेयक पर सहमति देना है या राष्ट्रपति के विचार के लिए विधेयक को आरक्षित करना है ।”
  • सरकारिया आयोग ने सुझाव दिया कि विधेयक के प्रारूप के चरण में राज्यपाल के साथ पूर्व परामर्श करके और इसके निपटान के लिए समय-सीमा निर्धारित करके देरी से बचा जा सकता है।

भावी कदम:

  • प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान करने में अनुचित विलम्ब विधि के शासन का उल्लंघन होगा। इसलिए, इसका तात्पर्य यह है कि राज्यपाल को ‘उचित समय’ के भीतर सहमति देनी होगी या उसे अस्वीकार करना होगा।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने दल बदल विरोधी कानून पर एक मामले में कहा कि अध्यक्ष को ‘उचित समय’ के भीतर दलबदलू विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर कार्रवाई करनी चाहिए।
    • उसी फैसले में यह स्पष्ट किया गया कि अयोग्यता याचिकाओं के मामले में उचित समय तीन महीने है।
  • संविधान को प्रासंगिक रूप से यह अर्थ प्रदान करने के लिए पढ़ा जाना चाहिए कि राज्यपाल को उपरोक्त निर्णय के अनुरूप उचित समय-तीन महीने के भीतर विधेयकों पर कार्रवाई करनी चाहिए।

सारांश:

  • विधायिका द्वारा पारित विधेयक को स्वीकृति देना विधायी प्रक्रिया का एक हिस्सा है न कि कार्यपालिका शक्ति का। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 200 का उपयोग विभिन्न राज्यों के राज्यपालों द्वारा पूरे विधायी अभ्यास को बेअसर करने के लिए किया गया है जो लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकारों के जनादेश को अस्पष्ट करता है।

ऑनलाइन गैम्बलिंग का खतरा:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित

शासन:

विषय: विकास के लिए सरकार की नीतियां और हस्तक्षेप

मुख्य परीक्षा: ऑनलाइन गैम्बलिंग का प्रभाव

संदर्भ:

  • ऑनलाइन जुए पर प्रतिबंध लगाने का तमिलनाडु सरकार का अध्यादेश 27 नवंबर, 2022 को समाप्त हो गया क्योंकि राज्यपाल संबंधित बिल को स्वीकृति नहीं मिली है।

भूमिका:

  • ऑनलाइन गैम्बलिंग पर प्रतिबंध लगाने वाला तमिलनाडु सरकार का अध्यादेश 27 नवंबर, 2022 को समाप्त हो गया क्योंकि राज्यपाल ने संबंधित तमिलनाडु ऑनलाइन गैम्बलिंग का निषेध और ऑनलाइन खेलों के विनियमन विधेयक को मंजूरी नहीं दी।
  • राज्यपाल के कार्यालय ने इस बारे में कुछ संदेह जताया है और कानूनी विशेषज्ञों से राय मांगी है।
  • राज्यपाल ने ई-गेमिंग फेडरेशन के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात की, जहां उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि सर्वोच्च न्यायालय और मद्रास उच्च न्यायालय ने पोकर और रम्मी की पहचान कौशल के खेल के रूप में की थी।
  • विधेयक को पहले 19 अक्टूबर 2022 को तमिलनाडु विधानसभा में पारित किया गया था।
  • विधेयक को स्वीकृति देने में देरी के संबंध में राज्यपाल से स्पष्टीकरण मांगा गया और राज्य सरकार ने राज्य में ऑनलाइन गैम्बलिंग पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक कानून की आवश्यकता पर बल दिया।

ऑनलाइन गैम्बलिंग का प्रभाव:

  • कई ऑनलाइन गेम प्रकृति में व्यसनकारी है और जब इसमें धन शामिल होता है तो यह अन्य मुद्दों का कारण बन सकता है।
  • आभासी खेलों के आदी, धन की हानि और ऋण के जाल में फंसने के कारण आत्महत्या कर लेते हैं।
    • एक आधिकारिक अनुमान के मुताबिक, पिछले डेढ़ साल में 32 लोगों ने आत्महत्या की और तमिलनाडु में हत्या का एक मामला सामने आया।
  • कथित तौर पर कुछ ऐसी घटनाएं हुई हैं जहां युवा लोगों ने ऑनलाइन गेम में हुई हानि और बढ़ते कर्ज के कारण चोरी और हत्या सहित अन्य अपराध किए हैं।
  • कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि ऑनलाइन गेम होस्ट करने वाली वेबसाइटें उनमें हेराफेरी कर सकती हैं, और यह संभव है कि उपयोगकर्ता अन्य लोगों के विरुद्ध न खेलकर “बॉट्स” के रूप में जाने जाने वाले कंप्यूटर प्रोग्राम के विरुद्ध खेल रहे हों, जिसका अर्थ है कि उपयोगकर्ता को जीतने के लिए गेम खेलने का कोई उचित मौका नहीं है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने “गेमिंग डिसऑर्डर” को मानसिक स्वास्थ्य स्थिति के रूप में शामिल करने की योजना की घोषणा की थी।

भारत में ऑनलाइन गेमिंग से जुड़े कानून:

  • भारतीय संविधान में राज्य सरकारों को स्वयं के कानून बनाने का प्रावधान है और राज्य कानूनों के बीच कोई एकरूपता नहीं है और ज्यादातर वास्तविक गैंबलिंग से निपटते हैं जबकि ऑनलाइन गैंबलिंग दायरे से बाहर रहता है।
    • सट्टेबाजी और गैंबलिंग राज्य सूची के भाग II में है।
  • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 67 अस्पष्ट रूप से ऑनलाइन गैंबलिंग से संबंधित है जो व्यक्तियों को “भ्रष्ट” करने वाली सामग्री के ऑनलाइन प्रसारण और प्रकाशन पर रोक लगाती है।
  • रम्मी और घुड़दौड़ को न्यायालयों द्वारा कौशल के खेल के रूप में वर्गीकृत किया गया है जो गेमिंग कानूनों के दायरे में नहीं आते हैं
  • भारत में गैंबलिंग एक गैर-संज्ञेय और जमानती अपराध है।

वैकल्पिक कदम:

  • ऑनलाइन खेलों का नियमन पूर्ण प्रतिबंध से बेहतर है क्योंकि यह पहले से ही बड़े पैमाने पर हो रहा है।
  • नीति आयोग ने ‘भारत में ऑनलाइन फैंटेसी स्पोर्ट्स प्लेटफॉर्म के यूनिफॉर्म नेशनल-लेवल रेगुलेशन के लिए गाइडिंग प्रिंसिपल्स’ शीर्षक से एक मसौदा रिपोर्ट प्रस्तुत की, और फंतासी गेमिंग को नियंत्रित करने के लिए एक स्व-नियामक संगठन के गठन की सिफारिश की है।
  • सरकारी विनियमन धन-शोधन विरोधी प्रक्रियाओं में मदद कर सकता है, और नाबालिगों को रियाल मनी गेम तक पहुँचने से रोक सकता है।
  • विज्ञापनों के प्रति बच्चों की संवेदनशीलता और भेद्यता को ध्यान में रखते हुए, एक व्यथित व्यक्ति केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) से संपर्क कर सकता है यदि वह ऑनलाइन गेम के किसी भी विज्ञापन को भ्रामक मानता है।
  • उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 21 के अनुसार, CCPA किसी भी भ्रामक विज्ञापन के लिए निर्माताओं, विज्ञापनदाताओं और एंडोर्सर्स पर 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगा सकता है।
  • राज्य और केंद्र सरकारों को ऑनलाइन गेमिंग व्यवसाय की पूरी क्षमता का एहसास करने के लिए उद्योग हितधारकों के सहयोग से विशिष्ट दिशा निर्देश विकसित करने के लिए सहयोग करना चाहिए।

सारांश:

  • भारतीय संविधान में राज्य सरकारों को ऑनलाइन गैम्बलिंग के संबंध में अपने स्वयं के कानून बनाने का प्रावधान है और राज्य कानूनों में एकरूपता नहीं है। ऑनलाइन गैम्बलिंग के इस खराब नियमन के परिणामस्वरूप जीवन और राजस्व का नुकसान हुआ है। इस प्रकार, नीति निर्माताओं को बेहतर नीति डिजाइन और प्रवर्तन के लिए हितधारकों के साथ जुड़ना चाहिए।

वन अधिकार और विरासत संरक्षण:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

पर्यावरण एवं जैव विविधता:

विषय: जैव विविधता संरक्षण-राष्ट्रीय दिशानिर्देश, विधान और अन्य कार्यक्रम।

मुख्य परीक्षा: वन अधिकार अधिनियम के मुद्दे।

संदर्भ:

  • इस लेख में वनवासियों द्वारा संरक्षित क्षेत्रों में सामना किए जाने वाले विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई है।

विवरण:

  • विशिष्ट क्षेत्रों को विश्व विरासत स्थलों के रूप में मान्यता देने से पूर्व, यूनेस्को द्वारा इस घोषणा से वहां के जीवन और आजीविका पर पड़ने वाले संभावित प्रभाव के संदर्भ में वहां के निवासियों की राय ली जाती है।
  • हाल ही में कर्नाटक में विश्व धरोहर स्थलों के समीप स्थित ग्राम पंचायतों के विभिन्न हितधारकों के बीच हुई बैठक में पता चला की अधिकांश हितधारकों को यूनेस्को द्वारा विरासत स्थल की घोषणा के संदर्भ में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के बारे में जानकारी नहीं थी।
  • बैठक में भाग लेने वाले प्राथमिक हितधारक अनुसूचित जनजातियाँ (ST) थीं। अन्य पारंपरिक वन निवासियों में अनुसूचित जाति (SC), अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और सामान्य वर्ग के लोग शामिल थे।

वन अधिकार अधिनियम:

  • वन अधिकार अधिनियम (Forest Rights Act ) या अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribes) और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम उन समुदायों के अधिकारों से संबंधित है,जो वनों (अनुसूचित जनजातियों सहित), भूमि और अन्य संसाधनों का उपयोग करते हैं, एवं देश में औपनिवेशिक युग से चले आ रहे वन कानूनों में हो रहे परिवर्तनों के कारण वर्षों से वंचित हैं।

वन अधिकार अधिनियम के मुद्दे:

  • अधिकांश वनवासियों ने एक एकड़ से अधिक भूमि का दावा नहीं किया, जो वन अधिकार अधिनियम (FRA) के तहत अनुमत चार हेक्टेयर की सीमा के करीब भी नहीं है।

ST के मामले में, इनके FRA के तहत अधिकारों की अस्वीकृति निम्न कारण हैं;

  • तजा अतिक्रमण;
  • दावा की गई भूमि पर नहीं रहने वाले दावेदार;
  • दावा की गई भूमि ‘पैसारी भूमि’ (बंजर भूमि और वन भूमि जिसे संरक्षित वन या आरक्षित वन के रूप में अधिसूचित नहीं किया गया है) या राजस्व भूमि है; और
  • इसमें एक ही परिवार द्वारा कई आवेदन किये गए हैं।
  • अन्य पारंपरिक वनवासियों के मामले में मुख्य रूप से 75 वर्षों तक वन भूमि पर निर्भरता और निवास का साक्ष्य प्रस्तुत करने में विफलता थी।
  • अधिकांश वनवासी विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के तहत दी जाने वाली बुनियादी सुविधाओं और अन्य सरकारी लाभों से वंचित थे क्योंकि उनके पास भूमि के शीर्षक के साथ आवश्यक ‘अधिकार, किरायेदारी और फसल का रिकॉर्ड’ उपलब्ध नहीं है।

संरक्षित क्षेत्रों के मुद्दे:

  • वहां सड़क मरम्मत जैसे विकास कार्यों को रोक दिया गया है।
  • वहां सामान्य खेती की अनुमति नहीं है क्योंकि उर्वरकों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया हुआ है।
  • लोगों को मरम्मत कार्य करने या भूमि को स्थानांतरित करने के लिए अपने घरों पर गिरने वाले पेड़ों को काटने से मना किया जाता है।
  • पशुओं के बढ़ते गुस्से/उग्रवाद से खेती करने वाले वनवासियों की फसलों को नुकसान हो रहा है।
  • जिनके पास जमीन के कागज नहीं है उन्हें नुकसान का मुआवजा नहीं दिया जाता है।
  • लोग अपनी संस्कृति और धार्मिक जड़ों के विलुप्त होने के डर से जमीन से लगाव के आधार पर ‘पुनः स्थापित’ करने से इनकार करते हैं।

भावी कदम:

  • जैव विविधता का संरक्षण करने वाली सरकारी एजेंसियों को दशकों और सदियों से जंगल में रहने वाले लोगों के बीच संघर्ष से बचने के लिए सरकार को वन अधिकार अधिनियम में और अधिक स्पष्टता लानी चाहिए।
  • जंगल में रहने के इच्छुक वनवासियों को वहां रहने की अनुमति दी जानी चाहिए, जबकि जो लोग विकास का लाभ उठाना चाहते हैं, उन्हें उनकी पसंद के अनुसार एक नई जगह और एक उपयुक्त पैकेज के अनुसार स्थानांतरित किया जाना चाहिए।
  • ‘संरक्षित’ क्षेत्र की घोषणा स्थानीय आबादी से परामर्श के बाद ही की जानी चाहिए।

सारांश:

  • वनवासियों के अधिकारों को सुनिश्चित करने और संरक्षण के प्रयासों को पूरा करने के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए यूनेस्को विरासत स्थलों की संभावित घोषणा से पहले संरक्षित क्षेत्रों के संबंधित हितधारकों के साथ लोकतांत्रिक और पारदर्शी परामर्श किया जाना चाहिए।

प्रीलिम्स तथ्य:

1.वीर बाल दिवस (Veer Baal Diwas):

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

भारतीय इतिहास:

विषय: इतिहास-अठारहवीं शताब्दी से लेकर वर्तमान तक का भारतीय इतिहास – महत्वपूर्ण व्यक्तित्व।

प्रारंभिक परीक्षा: वीर बाल दिवस, साहिबजादों और गुरु गोबिंद सिंह।

संदर्भ:

  • शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (Shiromani Gurdwara Parbandhak Committee (SGPC)) ने 25 दिसंबर,2022 को सिख समुदाय से गुरु गोबिंद सिंह के पुत्रों के शहादत दिवस को ‘वीर बाल दिवस’ के बजाय ‘साहिबजादे शहादत दिवस’ के रूप में मनाने को कहा है।

पृष्ठभूमि:

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनवरी 2022 में घोषणा की थी कि 26 दिसंबर को गुरु गोबिंद सिंह के दो बेटों साहिबजादा जोरावर सिंह जी और साहिबजादा फतेह सिंह जी की शहादत को ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा।
  • शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने पहले भी इस दिन के नाम पर आपत्ति जताई थी और सरकार से इसका नाम बदलकर ‘साहिबजादे शहादत दिवस’ करने का आग्रह किया था।

चार साहिबजादे:

  • गुरु गोबिंद सिंह के चार बेटे थे, जिन्हें “चार साहिबजादे” कहा जाता था।
  • अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह।
  • साहिबजादों को सिखों के बीच वर्ष 1699 में गुरु गोबिंद सिंह द्वारा शुरू किए गए एक कुलीन योद्धा समूह खालसा में दीक्षा दी गई थी।
  • चारों साहिबजादों को 19 साल की उम्र से पहले ही मुगल सेना ने मार डाला था।
  • चार साहिबजादे में से दो सबसे छोटे जोरावर सिंह और फतेह सिंह को सरहिंद के नवाब वजीर खान ने 26 दिसंबर 1705 को ईंटों में जिंदा चुनवा दिया था जिससे उनकी मृत्यु हो गई थी क्योंकि उन्होंने मुसलमान बनने से इनकार कर दिया था।
  • चार साहिबजादों के शहीद होने से पहले, उन्हें सर्दियों के मौसम में उनकी दादी माता गुजरी (Mata Gujari) के साथ “ठंडा बुर्ज” नामक एक ठंडे टॉवर में रखा गया था।
  • दो बड़े राजकुमारों, अजीत सिंह और जुझार सिंह ने चमकौर युद्ध (Chamkaur Battle) में लड़ाई लड़ी और अपनी शहादत प्राप्त की।

चमकौर का युद्ध:

  • चमकौर का युद्ध सन 1704 में गुरु गोबिंद सिंह के नेतृत्व वाले खालसा समूह और सरहिंद के नवाब वजीर खान के नेतृत्व वाली मुगलों की गठबंधन सेना के बीच लड़ा गया था।
  • जब गुरु गोबिंद सिंह अपने शिष्यों के साथ सरसा नदी (Sarsa river) पार कर रहे थे, तब मुगलों और पहाड़ी सरदारों ने हमला कर दिया, जिससे लड़ाई शुरू हो गई थी।
  • यह लड़ाई 21 से 23 दिसंबर, 1704 के बीच तीन दिनों तक लड़ी गई थी।
  • एक युद्ध में गुरु गोबिंद सिंह (Guru Gobind Singh ) ने अपने दो बड़े पुत्रों को खो दिया था।
  • गुरु ने दावा किया कि उन्हें गर्व है कि उनके पुत्र युद्ध में लड़ते हुए मारे गए।
  • गुरु गोबिंद सिंह ने अपने विजय पत्र जफरनामा में इस लड़ाई का जिक्र किया है।

2.केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और प्रदूषित नदियाँ:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

पर्यावरण:

विषय: पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण।

प्रारंभिक परीक्षा: बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (Biochemical oxygen demand (BOD))।

संदर्भ:

  • सीपीसीबी (Central Pollution Control Board -CPCB) की हालिया रिपोर्ट में कम प्रदूषित नदी के हिस्सों को दर्शाया गया है।

मुख्य विवरण:

  • CPCB की एक हालिया रिपोर्ट बताती है कि भारत की नदियों में प्रदूषित हिस्सों की संख्या वर्ष 2018 में 351 से घटकर 2022 में 311 रह गई है।
  • लेकिन व्यावहारिक रूप से अधिकांश प्रदूषित हिस्सों की संख्या लगभग अपरिवर्तित है।
  • CPCB नेटवर्क देश भर में 4,484 स्थानों पर पानी की गुणवत्ता की निगरानी करता है।
  • 3 मिलीग्राम प्रति लीटर (मिलीग्राम / एल) से अधिक बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (Biochemical oxygen demand (BOD)) वाले स्थानों को प्रदूषित स्थानों के रूप में पहचाना जाता है।
  • एक सतत अनुक्रम में एक नदी पर पहचाने गए दो या अधिक प्रदूषित स्थानों को “प्रदूषित नदी खंड” (polluted river stretch) माना जाता है।
  • 3 mg/l से कम बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड का मतलब है कि नदी का फैलाव “बाहरी स्नान” के लिए उपयुक्त है।
  • इसके अलावा, 30 mg/l से अधिक BOD वाले हिस्सों //भागों को “प्राथमिकता 1” (P1) माना जाता है, जिसका अर्थ है, ये भाग सबसे प्रदूषित और इस प्रकार इन्हे सबसे तत्काल उपचार की आवश्यकता है।
  • गुजरात और उत्तर प्रदेश में “प्राथमिकता 1” नदी के फैलाव (6) की संख्या सबसे अधिक थी, जबकि महाराष्ट्र में 55 के सबसे प्रदूषित नदी खंड थे, इसके बाद मध्य प्रदेश (19), बिहार (18), केरल (18), कर्नाटक ( 17) और उत्तर प्रदेश (17) का स्थान आता है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

1. श्रीमुखालिंगम मंदिर:

  • आंध्र प्रदेश के श्रीमुखालिंगम मंदिर के मुख्य पुजारी ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India (ASI)) से मंदिर को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल करने का आग्रह किया है।
  • इस मंदिर का निर्माण कलिंग स्थापत्य शैली (Kalinga architectural style) में करवाया गया था और यह मंदिर वामसाधारा नदी (Vamsadhara River) के किनारे स्थित है।
  • यह मंदिर भगवान श्रीमुख लिंगेश्वर को समर्पित है।
  • इस मंदिर का निर्माण 9वीं शताब्दी ईस्वी में पूर्वी गंग राजवंश के राजाओं द्वारा किया गया था।
  • श्रीमुखालिंगम का मुख्य मंदिर कलिंग के अनंतवर्मन चोडगंग देव के परदादा, पूर्वी गंग राजवंश के राजा कामरानव देव द्वितीय द्वारा बनाया गया था।
  • इसके बाद में 17वीं शताब्दी में परलाखेमुंडी स्टेट के महाराजा ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था।
  • भारत में यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों पर अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक कीजिए:UNESCO World Heritage Sites in India

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. एम्परर/सम्राट पेंगुइन (Emperor Penguins) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर-कठिन)

1. यह सभी जीवित पेंगुइन प्रजातियों में सबसे लंबा और भारी है।

2. यह एकमात्र पेंगुइन प्रजाति है जो अंटार्कटिक की सर्दियों के दौरान प्रजनन करती है।

3. वे IUCN की रेड लिस्ट/लाल सूची में गंभीर रूप से विलुप्तप्राय/संकटग्रस्त प्रजाति के रूप में सूचीबद्ध हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कितने गलत हैं/हैं?

(a) केवल एक कथन

(b) केवल दो कथन

(c) सभी तीनों कथन

(d) इनमे से कोई भी नहीं

उत्तर: a

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: एम्परर/सम्राट पेंगुइन सभी जीवित पेंगुइन प्रजातियों में सबसे लंबा और भारी जीव है और अंटार्कटिका के लिए स्थानिक (देशज) है।
  • कथन 2 सही है: पेंगुइन की 17 प्रजातियों में से केवल एम्परर पेंगुइन चरम अंटार्कटिक सर्दियों के दौरान प्रजनन करती हैं, जब तापमान -50C से नीचे गिर सकता है और हवाएं 300 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच सकती हैं।
  • कथन 3 गलत है: उन्हें IUCN की लाल सूची में लगभग विलुप्तप्राय/संकटग्रस्त (Near Threatened) के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।

प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कितनी योजनाएं एवं पहलें विशेष रूप से लैंगिक असंतुलन को दूर करने और महिला वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से शुरू की गई हैं? (स्तर-कठिन)

1. मानक कार्यक्रम (MANAK Programme)

2. किरण योजना (KIRAN Scheme)

3. सर्ब-पावर योजना (SERB-POWER Scheme)

4. निधि कार्यक्रम (NIDHI Programme)

विकल्प:

(a) केवल एक

(b) केवल दो

(c) केवल तीन

(d) सभी चारों

उत्तर: b

व्याख्या:

  • विकल्प 1 गलत है-मानक कार्यक्रम: योजना का उद्देश्य स्कूली बच्चों के बीच रचनात्मकता और नवीन सोच की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए विज्ञान और सामाजिक अनुप्रयोगों में निहित एक मिलियन मूल विचारों/नवाचारों को लक्षित करना है।
  • विकल्प 2 सही है: द नॉलेज इंवॉल्वमेंट इन रिसर्च एडवांसमेंट थ्रू नर्चरिंग (KIRAN) योजना विज्ञान में महिलाओं को बढ़ावा देने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) द्वारा शुरू की गई कई अग्रणी पहलों में से एक है।
  • विकल्प 3 सही है: विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (SERB), विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक सांविधिक निकाय, ने “एसईआरबी-पावर (खोज अनुसंधान में महिलाओं के लिए अवसरों को बढ़ावा देना)” जैसी कई योजनाएं शुरू की हैं।जिसे विशेष रूप से महिला वैज्ञानिकों के लिए उच्चतम स्तर पर अनुसंधान एवं विकास करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • विकल्प 4 गलत है: NIDHI (नेशनल इनिशिएटिव फॉर डेवलपमेंट एंड हारनेसिंग इनोवेशन-NIDHI (National Initiative for Development and Harnessing Innovations)) भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) द्वारा शुरू किया गया एक व्यापक कार्यक्रम है, जो ज्ञान-आधारित नवाचारों और प्रौद्योगिकी द्वारा संचालित विचारों को उपयोगी स्टार्ट-अप में विकसित करने के लिए शुरू किया गया है।

प्रश्न 3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर-मध्यम)

  1. सुशासन सूचकांक प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (DARPG) द्वारा तैयार किया जाता है।
  2. सुशासन सूचकांक में 10 क्षेत्रों पर विचार किया जाता हैं, जिन्हे कुल 50 संकेतकों पर मापा जाता है।
  3. भारत का पहला “जिला सुशासन सूचकांक” जम्मू और कश्मीर के जिलों के लिए जारी किया गया।

उपर्युक्त कथनों में से कितने सही हैं?

  1. केवल एक कथन
  2. केवल दो कथन
  3. तीनों कथन
  4. इनमे से कोई भी नहीं

उत्तर: c

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: केंद्र ने 25 दिसंबर 2021 को राष्ट्रीय सुशासन सूचकांक लॉन्च किया,जिसका उद्देश्य सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शासन की स्थिति की तुलना करने के लिए मात्रात्मक डेटा प्रदान करना, उन्हें शासन में सुधार और परिणामोन्मुखी दृष्टिकोण और प्रशासन में बदलाव के लिए उपयुक्त रणनीति तैयार करने और लागू करने में सक्षम बनाना हैं। इसे प्रशासन सुधार और लोक शिकायत विभाग (DARPG) द्वारा तैयार किया जाता है।
  • कथन 2 सही है: सुशासन सूचकांक में दस क्षेत्र और 58 संकेतक शामिल हैं।

चित्र स्रोत: darpg.gov

  • कथन 3 सही है: भारत का पहला “जिला सुशासन सूचकांक” जम्मू और कश्मीर के जिलों के लिए जारी किया गया हैं। यह सूचकांक जम्मू और कश्मीर सरकार के सहयोग से प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (DARPG) द्वारा तैयार किया गया है।

प्रश्न 4. प्रसाद योजना ( PRASHAD scheme) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर-मध्यम)

  1. यह पर्यटन मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है।
  2. यह योजना धार्मिक पर्यटन अनुभव को समृद्ध करने के लिए सम्पूर्ण भारत में तीर्थ स्थलों की पहचान और विकास पर केंद्रित है।
  3. यह योजना आंशिक रूप से संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन द्वारा वित्त पोषित है।

विकल्प:

(a) केवल एक कथन

(b) केवल दो कथन

(c) सभी तीनों कथन

(d) इनमे से कोई भी नहीं

उत्तर: b

व्याख्या:

  • कथन 1 और 2 सही हैं: चिन्हित तीर्थ स्थलों के समग्र विकास के उद्देश्य से वर्ष 2014-15 में पर्यटन मंत्रालय द्वारा ‘तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक, विरासत संवर्धन अभियान का राष्ट्रीय मिशन ( ‘National Mission on Pilgrimage Rejuvenation and Spiritual Augmentation Drive (PRASAD))’ शुरू किया गया था।
  • कथन 3 गलत है: इस योजना के तहत सार्वजनिक वित्त पोषण के घटकों के लिए, केंद्र सरकार 100% निधि प्रदान करेगी और परियोजना की स्थिरता में सुधार के लिए योजना कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (Corporate Social Responsibility (CSR) ) और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (Public-Private Partnership (PPP)) को भी शामिल करना चाहती है।

प्रश्न 5. स्मार्ट इण्डिया हैकथॉन 2017 के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (CSE-PYQ-2017) (स्तर-मध्यम)

  1. यह हमारे देश के प्रत्येक शहर को एक दशक में स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने के लिए केंद्र द्वारा प्रायोजित एक स्कीम है।
  2. यह हमारे देश की अनेक समस्याओं का समाधान करने के लिए नई डिजिटल प्रौद्योगिकी नवप्रवर्तनाें के अभिज्ञान की एक पहल है।
  3. यह एक कार्यक्रम है जिसका लक्ष्य एक दशक में हमारे देश में सभी वित्तीय लेन-देनों को पूरी तरह से डिजिटल करना है।

निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए:

(a) केवल 1 और 3

(b) केवल 2

(c) केवल 3

(d) केवल 2 और 3

उत्तर: b

व्याख्या:

  • स्मार्ट इंडिया हैकथॉन एक राष्ट्रव्यापी पहल है जो छात्रों को हमारे दैनिक जीवन में आने वाली कुछ दबाव वाली समस्याओं को हल करने के लिए एक मंच प्रदान करती है, और इस प्रकार उत्पाद नवाचार की संस्कृति और समस्या को सुलझाने की मानसिकता पैदा करती है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. संविधान विधेयक पर गवर्नर की सहमति या अस्वीकृति हेतु समय सीमा पर मौन है। इस कथन के आलोक में संविधान के प्रासंगिक प्रावधानों की व्याख्या करते हुए इसमें निहित सुधारों का सुझाव दीजिए। (250 शब्द, 15 अंक) [सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र -2, राजव्यवस्था]

प्रश्न 2. भारत में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग क्यों फलफूल रहा है? तमिलनाडु सरकार द्वारा ऑनलाइन जुए पर प्रतिबंध लगाने के कारणों पर चर्चा कीजिए। (150 शब्द, 10 अंक) [सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र -2, शासन]