भारतीय संविधान का अनुच्छेद 80 राज्यसभा की संरचना को निर्दिष्ट करता है । अनुच्छेद 80 के अनुसार, राज्यसभा में शामिल होंगे:
- बारह सदस्यों को राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किया जाना है । राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किए जाने वाले सदस्यों में ऐसे व्यक्ति शामिल होंगे जिन्हें निम्नलिखित मामलों के संबंध में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव हो, अर्थात्:- साहित्य, विज्ञान, कला और समाज सेवा ।
- राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 248 से अधिक प्रतिनिधि नहीं होंगे ।
- राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों द्वारा भरे जाने वाले राज्यों की परिषद में सीटों का आवंटन चौथी अनुसूची में निहित प्रावधानों के अनुसार होगा ।
- राज्य सभा में प्रत्येक राज्य के प्रतिनिधियों का चुनाव राज्य की विधान सभा के निर्वाचित सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा किया जाएगा ।
- राज्यों की परिषद में केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों को इस तरह से चुना जाएगा जैसा कि संसद कानून द्वारा निर्धारित कर सकती है ।
राज्यसभा (Rajya Sabha) संसद की एक स्थायी संस्था है । इसका अर्थ यह है कि इसका विघटन कभी नहीं होता । हालाँकि, इसके एक -तिहाई सदस्य हर दूसरे वर्ष सेवानिवृत्त हो जाते हैं । लेकिन ये एक साथ निवृत नहीं होते, अतः यह सदन हमेशा अस्तित्व में रहता है । खाली हुई सीटें चुनाव के द्वारा फिर भरी जाती हैं और राष्ट्रपति द्वारा हर तीसरे वर्ष के शुरुआत में मनोचयन (nomination) होता है । इस प्रकार राज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल तो 6 वर्ष का होता है , लेकिन यह सदन निरंतर चलता है । सेवा निवृत्त होने वाले सदस्य कितनी बार भी चुनाव लड़ सकते हैं और नामित हो सकते हैं । इसके विपरीत लोकसभा का कार्यकाल सीमित है और यह 5 वर्ष का ही होता है ।
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