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संविधान के अनुच्छेद 245 और 246 में क्या अंतर है?

अनुच्छेद 245 संसद और राज्यों के विधानमंडलों द्वारा बनाए गए कानूनों की सीमा के बारे में बात करता है। यह संसद को कानून बनाने की शक्ति देता है और विधायी निकाय को उन्हें निरस्त करने की शक्ति भी देता है । जबकि अनुच्छेद 246 संघ और राज्यों के बीच शक्ति के विभाजन से संबंधित है । यह तीन सूचियों (संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची) में उनकी शक्तियों को वर्गीकृत करके संघ और राज्य की शक्तियों का सीमांकन करता है ।

अनुच्छेद 245 : इसके अनुसार, संविधान के उपबंधों के अधीन रहते हुए, भारत की संसद देश के संपूर्ण क्षेत्र अथवा उसके किसी भाग के लिये कानून बना सकती है तथा किसी राज्य का विधानमंडल उस संपूर्ण राज्य अथवा किसी भाग के लिये कानून बना सकता है । संविधान के भाग- XI में अनुच्छेद 245 से 255 तक केन्द्र-राज्य विधायी संबंधों की चर्चा की गई है । हालाँकि इस अनुच्छेद में कुछ शर्तें भी हैं :- 

  • तीन केंद्र-शासित प्रदेशों – अंडमान -निकोबार, लक्षद्वीप और दमन-दीव एवं दादर नगर हवेली के लिए, भारत के राष्ट्रपति को भी ‘शांति, प्रगति और सुशासन’ के लिए नियम बनाने का अधिकार है । ऐसा कानून इतना शक्तिशाली होगा कि यह इन क्षेत्रों के संबंध में संसद द्वारा बनाए गए कानून को भी निरस्त या संशोधित कर सकता है ।
  • पाँचवीं अनुसूची के अनुसूचित क्षेत्रों के मामले में, राज्यपाल यह निर्देश दे सकता है कि कोई विशेष संसदीय कानून ऐसे क्षेत्र पर लागू हो या नहीं । राज्यपाल यह भी निर्देश दे सकते हैं कि क्या ऐसा कानून उपयुक्त संशोधनों और अपवादों के साथ लागू हो सकता है ।
  • छठी अनुसूची के राज्यों (असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम) के मामले में राज्यपाल निर्देश दे सकते हैं कि क्या कोई संसदीय कानून संशोधन के साथ लागू हो या नहीं । इस प्रकार, भारत के पूरे क्षेत्र या किसी भी हिस्से के लिए कानून बनाने की संसद की शक्ति सर्वोपरि नहीं है और इसे संविधान के अन्य प्रावधानों के अधीन पढ़ा जाना चाहिए ।

अनुच्छेद 246 : 

246 (1) – खंड (2) और (3) में किसी भी प्रावधान के होने के बावजूद, संसद के पास सातवीं अनुसूची में सूची 1 में उल्लिखित किसी भी मामले के संबंध में कानून बनाने की विशेष शक्ति है ।

246 (2) – खंड (3) में किसी भी प्रावधान के होने के बावजूद, संसद और, खंड (1) के अधीन, किसी भी राज्य के विधानमंडल को भी, सातवीं अनुसूची की सूची 3 में उल्लिखित किसी भी मामले के संबंध में कानून बनाने की शक्ति है ।

246 (3) – खंड (1) और (2) के अधीन, किसी भी राज्य के विधानमंडल के पास ऐसे राज्य या उसके किसी भाग के लिए सातवीं अनुसूची में सूची 2 में उल्लिखित किसी भी मामले के संबंध में कानून बनाने की विशेष शक्ति है ।

246 (4) – संसद को भारत के किसी भी हिस्से के लिए किसी भी मामले के संबंध में कानून बनाने की शक्ति है, जो किसी राज्य में शामिल नहीं है, भले ही ऐसा मामला राज्य सूची में शामिल हो ।

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