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भारत में भौगोलिक संकेत (जीआई टैग)

भौगोलिक संकेत या जीआई टैग (Geographical Indications) उत्पाद पर इस्तेमाल किया जाने वाला एक संकेत है जो किसी विशिष्ट भौगोलिक स्थान पर उत्पन्न होता है। भारत में भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 (Geographical Indications of Goods (Registration and Protection) Act, 1999) के अनुसार जीआई टैग दिए जाते हैं। जीआई टैग, उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री द्वारा जारी किए जाते हैं। इस तरह के उत्पाद में मूल स्थान की प्रतिष्ठा और गुण होने चाहिए। जीआई टैग, आमतौर पर ग्रामीण, सीमांत और स्वदेशी समुदायों द्वारा पीढ़ियों से उत्पादित उत्पादों पर पंजीकृत होते हैं, जिन्होंने अपने कुछ अद्वितीय गुणों के कारण अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर बड़े पैमाने पर प्रतिष्ठा हासिल की है। जीआई टैग केवल उन पंजीकृत उपयोगकर्ताओं को उत्पाद नाम का उपयोग करने का अधिकार देता है, जो निर्धारित मानकों को पूरा नहीं करते हैं। और दूसरों को उत्पाद नाम का उपयोग करने से रोकता है।

आईएएस परीक्षा 2023 की तैयारी करने वाले उम्मीदवार भौगोलिक संकेत या जीआई टैग के बारे में अधिक जानने के लिए इस लेख को ध्यान से पढ़ें। इस लेख में हम आपको भौगोलिक संकेत या जीआई टैग के बारे में विस्तार से बताएंगे। भौगोलिक संकेत या जीआई टैग के बारे में अंग्रेजी में पढ़ने के लिए Geographical Indications in India पर क्लिक करें।

वस्तुओं का भौगोलिक संकेत (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 

यह अधिनियम, भारत में भौगोलिक संकेतों की सुरक्षा के लिए संसद द्वारा पारित विशिष्ट अधिनियम है। विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के एक सदस्य के रूप में बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार-संबंधित पहलुओं पर समझौते का अनुपालन करने के लिए भारत ने यह अधिनियम पारित किया था। 

जीआई टैग, केवल अधिकृत उपयोगकर्ताओं (या कम से कम भौगोलिक क्षेत्र के अंदर रहने वाले) के रूप में पंजीकृत लोगों को लोकप्रिय उत्पाद के नाम का उपयोग करने की अनुमति सुनिश्चित करता है। 

भारत का पहला जीआई टैग उत्पाद – साल 2004-05 में दार्जिलिंग चाय भारत का पहला जीआई टैग उत्पाद बना था। साल 2020 तक इस सूची में 370 उत्पाद जोड़े जा चुके थे। 

भौगोलिक संकेत

अधिनियम की धारा 2 (1) (ई) के अनुसार, भौगोलिक संकेत को एक संकेत के रूप में परिभाषित किया गया है, जो ऐसे सामानों की पहचान (कृषि वस्तुओं, प्राकृतिक वस्तुओं या विनिर्मित वस्तुओं के रूप में) करता है, जो किसी देश के विशेष क्षेत्र में उत्पन्न या निर्मित होती हैं या उस क्षेत्र या इलाके में, जहां इन वस्तुओं की दी गई गुणवत्ता, प्रतिष्ठा या अन्य विशेषता अनिवार्य रूप से इसके भौगोलिक मूल के कारण होती है।   

भौगोलिक संकेतों में कुछ पंजीकृत कुछ उत्पाद 

  • कृषि सामान – दार्जिलिंग चाय, बैंगलोर ब्लू अंगूर, मालाबार काली मिर्च 
  • निर्मित सामान – पोचमपल्ली इकत, कांचीपुरम रेशम साड़ी, सोलापुरी चादर, बाग प्रिंट और मधुबनी पेंटिंग।

भौगोलिक संकेत – उत्पादों के प्रकार

जीआई टैग का उपयोग निम्न प्रकार के उत्पादों पर किया जाता है।

हस्तशिल्प – उदाहरण – मधुबनी पेंटिंग, मैसूर सिल्क आदि

खाद्य पदार्थ – उदाहरण – तिरुपति लड्डू, रसगुल्ला आदि।

कृषि उत्पाद – बासमती चावल आदि।

इस लेख में आपको भौगोलिक संकेत या जीआई टैग (Geographical Indications), उत्पाद पर इस्तेमाल और इनके महत्व के बारे में विस्तार से जानकारी दी जा रही है। यूपीएससी 2023 और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों के लिए यह विषय अत्यंत महत्वपूर्ण है। IAS परीक्षा की तैयारी करते समय इस लेख में दिए गए तथ्यों का ठीक से अध्ययन कर लेना चाहिए।

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जीआई टैग पंजीकरण की प्रक्रिया 

संबंधित वस्तुओं के उत्पादकों के हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले व्यक्तियों या उत्पादकों के किसी भी संघ या किसी भी कानून द्वारा स्थापित किसी संगठन या प्राधिकरण द्वारा भौगोलिक संकेतक के रजिस्ट्रार के समक्ष पंजीकरण के लिए आवेदन करना होता है। 

आवेदन एक उपयुक्त रूप में किया जाना चाहिए, जिसमें प्रकृति, गुणवत्ता, प्रतिष्ठा या अन्य विशेषताएं हों, जो विशेष रूप से या अनिवार्य रूप से भौगोलिक वातावरण, निर्माण प्रक्रिया, प्राकृतिक और मानवीय कारकों, उत्पादन के क्षेत्र के मानचित्र, भौगोलिक संकेत की उपस्थिति के कारण हों। इसके साथ निर्माताओं की सूची, निर्धारित शुल्क आदि का विवरण भी होना चाहिए। 

इसके बाद इस आवेदन की प्रारंभिक जांच की जाएगी। कुछ त्रुटी या कमी होने की स्थिति में आवेदक को संचार की तारीख से एक महीने की अवधि के अंदर इसका समाधान करना होता है। 

रजिस्ट्रार आवेदन को स्वीकार, आंशिक रूप से स्वीकार या अस्वीकार कर सकता है।

अगर इसके लिए दिए गए आवेदन को अस्वीकार किया जाता है तो रजिस्ट्रार द्वारा अस्वीकृति के लिए लिखित आधार दिया जाएगा।

अस्वीकृत होने के बाद आवेदक को दो माह के अंदर अपना जवाब दाखिल करना होता है। अगर पंजीकरण के लिए फिर से इनकार किया जाता है तो आवेदक इस तरह के फैसले में एक महीने के भीतर अपील कर सकता है। 

स्वीकृति के तीन महीने के अंदर रजिस्ट्रार, जीआई जर्नल में आवेदन को विज्ञापित कर सकता है। 

इसके बाद अगर आवेदन का किसी के द्वारा विरोध नहीं किया जाता है, तो रजिस्ट्रार आवेदक और अधिकृत उपयोगकर्ताओं को पंजीकरण का प्रमाण पत्र प्रदान कर देते हैं।

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भौगोलिक संकेत – कानून और संधियां

भौगोलिक संकेतों के संरक्षण के लिए विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) और विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) द्वारा कई कानून और संधियां बनाई गई हैं। डब्ल्यूआईपीओ के तहत भौगोलिक संकेतों के संरक्षण के लिए अधिनियमित 3 मुख्य संधियां इस प्रकार हैं-

  • पेरिस कन्वेंशन
  • मैड्रिड समझौता
  • लिस्बन समझौता

विश्व व्यापार संगठन के तहत समझौते

भौगोलिक संकेतों के संरक्षण के लिए विश्व व्यापार संगठन के तहत मुख्य समझौते नीचे दिए जा रहे हैं।

  • बौद्धिक संपदा अधिकार (ट्रिप्स) समझौते के व्यापार संबंधी पहलू
  • भौगोलिक संकेत – भारत में पारित कानून
  • भारत सरकार ने वस्तुओं का भौगोलिक संकेत (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 बनाया। यह अधिनियम सितंबर, 2003 में लागू हुआ था।
TG Tag कैसे मिलता है ? 

किसी प्रॉडक्ट के लिए GI Tag हासिल करने के लिए आवेदन करना पड़ता है। इसके लिए वहां उस उत्पाद को बनाने वाली एसोसिएशन इसके लिए अप्लाई कर सकती है। इसके अलावा कोई कलेक्टिव बॉडी भी इसके लिए अप्लाई कर सकती है। वहीं, कुछ जगहों पर जीआई टैग के लिए सरकारी स्तर पर भी आवेदन किया जा सकता है। 

किन बातों का ध्यान रखना होता है ? 

जीआई टैग के लिए अप्लाई करने वालों को यह बताना होगा कि उन्हें टैग क्यों दिया जाए। इसके साथ उन्हें किसी उत्पाद के उस क्षैत्र में पैदा होने या बनने के संबंध में प्रूफ भी देने होते हैं। इसके लिए अप्लाई करने वाले को प्रॉडक्ट की यूनिकनेस और उसकी ऐतिहासिक विरासत के बारे में भी जरुरी जानकारी साझा करनी होगी।

अगर सेम प्रोडक्ट पर कोई दूसरा दावा करता है, तो यह कैसे मौलिक हैं, यह भी साबित करना होगा। इसके बाद संस्था साक्ष्यों और सबंधित तर्कों का परीक्षण करती हैं। अगर संबंधित उत्पाद मानकों पर खरा उतरता है तो उसे जीआई टैग दिया जाता है। 

अप्लाई कहां करना होता है? 

इसके लिए पेटेंट, डिजाइन और व्यापार चिह्नों के नियंत्रक (Controller General of Patents, Designs and Trademarks (CGPDTM)) के ऑफिस में अप्लाई करना होता है। इस संस्था का हेडक्वाटर चेन्नई में है। इसके बाद संस्था द्वारा आवेदन की जांच की जाती है और देखा जाता है कि संबंधित उत्पाद के बारे में आवेदक का दावा कितना सही है। पूरी छानबीन करने और संतुष्ट होने के बाद उस प्रॉडक्ट को जीआई टैग दिया जाता है।

दस साल के लिए मिलता है टैग 

भौगोलिक संकेत या जीआई टैग का सर्टिफिकेट मिलने के बाद इसका उपयोग केवल संबंधित संस्था या समुदाय द्वारा ही किया जा सकता है। भारत में जीआई टैग 10 साल के लिए दिया जाता है, हालांकि 10 साल के बाद इसे रिन्यू कराया जा सकता है। 

लोगो का इस्तेमाल

उदाहरण के लिए, ओडिशा के रसगुल्ला के लिए जो लोगो मिला है, रसगुल्ले के डिब्बे पर उसका इस्तेमाल सिर्फ ओडिशा के लोग ही कर सकते हैं।

जीआई टैग की अहमियत

जीआई टैग मिलने के बाद उस प्रोडक्ट का मूल्य और उसके लोगों की अहमियत बढ़ जाती है। इससे मार्केट में आने वाले नकली प्रॉडक्ट को रोकने में भी मदद मिलती है। वहीं, इससे संबंधित व्यवसाय से जुड़े लोगों को आर्थिक फायदा भी मिलता है।

भारत में भौगोलिक संकेत पंजीकृत उत्पाद

साल 2003 में इस कानून के प्रभाव में आने के बाद वर्ष 2004-05 में जीआई का पंजीकरण शुरू हुआ था। मार्च 2020 तक, भारत ने 361 भौगोलिक संकेत उत्पाद पंजीकृत किए थे। पश्चिम बंगाल की दार्जिलिंग चाय भारत में जीआई टैग प्राप्त करने वाला पहला उत्पाद था। इसके तहत उत्पाद और लोगो दोनों को जीआई टैग दिया जाता है। पहले वर्ष में दार्जिलिंग चाय के अलावा, जीआई टैग प्राप्त करने वाले अन्य उत्पादों में अरनमुला कन्नाडी (केरल की एक हस्तकला), पोचमपल्ली इकत (तेलंगाना की एक हस्तकला) थी। जीआई टैग प्राप्त करने वाले नवीनतम 4 उत्पाद थे डिंडीगुल लॉक्स (तमिलनाडु से निर्मित उत्पाद), तमिलनाडु का एक हस्तकला कंडांगी साड़ी, तमिलनाडु का श्रीविल्लिपुत्तुर पल्कोवा खाद्य सामग्री, और 361वां जीआई उत्पाद (मार्च 2020 तक जीआई टैग प्राप्त करने वाला अंतिम उत्पाद)), काजी नेमू असम का एक कृषि उत्पाद है। भारत में पंजीकृत 361 जीआई उत्पादों में से 15 उत्पाद 9 विभिन्न देशों – इटली, फ्रांस, यूके, यूएसए, आयरलैंड, मैक्सिको, थाईलैंड, पेरू, पुर्तगाल से संबंध रखते हैं।

भौगोलिक संकेत – विभिन्न राज्यों के उत्पाद-

कुछ उत्पाद ऐसे हैं जिनकी उत्पत्ति विभिन्न राज्यों से हुई है, ऐसे में मूल का उल्लेख भारत के रूप में किया जाएगा। 

फुलकारी हस्तशिल्प – पंजाब, हरियाणा, राजस्थान से उत्पत्ति।

वार्ली पेंटिंग – महाराष्ट्र, गुजरात, दमन और दीव।

मालाबार रोबस्टा कॉफी – केरल और कर्नाटक।

भौगोलिक संकेत – भारत में राज्यों के उत्पाद 

कर्नाटक – भारत में इस राज्य से सबसे अधिक उत्वाद जीआई टैग पंजीकृत हैं। यहां के 42 उत्पादों को जीआई टैग मिला हुआ हैं।

तमिलनाडु – यह देश में दूसरा सबसे अधिक जीआई टैग पंजीकृत उत्पादों वाला राज्य हैं। यहां के 35 उत्पादों को जीआई टैग मिला हुआ है।

महाराष्ट्र – यह देश में तीसरा सबसे अधिक जीआई पंजीकृत उत्पादों वाला राज्य हैं। यहां के 30 उत्पादों को जीआई टैग मिला हुआ हैं।

झारखंड – फिलहाल यहां का कोई भी उत्पाद जीआई टैग पंजीकृत नहीं है।

हरियाणा और पंजाब – यहां व्यक्तिगत रूप से पंजीकृत जीआई टैग वाले उत्पाद नहीं हैं।

भौगोलिक संकेत (जीआई) के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

भौगोलिक संकेत की सुरक्षा के कौन से तरीके हैं?

भौगोलिक संकेत की सुरक्षा के तीन मुख्य तरीके हैं – सुई जेनरिस सिस्टम (यानी सुरक्षा के विशेष नियम); सामूहिक या प्रमाणन चिह्नों का उपयोग करना; और प्रशासनिक उत्पाद अनुमोदन योजनाओं सहित व्यावसायिक प्रथाओं पर ध्यान केंद्रित करने वाली विधियां।

भारत में जीआई टैग कौन जारी करता है?

भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 के अनुसार जीआई टैग जारी किए जाते हैं। यह टैग भौगोलिक संकेतक रजिस्ट्री द्वारा उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत जारी किया जाता है। 

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