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भारत की प्रमुख जनजातियां

‘जनजाति’, लोगों का एक समूह है जो समान वंशावली और संस्कृति को साझा करते हैं। भारत की जनजातियां देश के लगभग सभी राज्यों में फैली हुई है। अलग- अलग राज्यों में इनके रीति-रिवाज और रहन सहन भी एकदम अलग होते हैं। जनजातियां, भारतीय आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जनजातीय संस्कृति भारत की अमूर्त राष्ट्रीय विरासत का एक अभिन्न अंग है। इसलिए, इस लेख में हम आपको भारत की कुछ महत्वपूर्ण जनजातियों के बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं।

आईएएस परीक्षा 2023 की तैयारी करने वाले उम्मीदवार ‘भारत की प्रमुख जनजातियों  के बारे में अधिक जानने के लिए इस लेख को ध्यान से पढ़ें। इस लेख में हम आपको भारत की प्रमुख जनजातियों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति के साथ उनके जीवन निर्वाह के लिए आने वाली चुनौतियों और सरकार के प्रयासों के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। भारत की प्रमुख जनजातियों के विषय के बारे में अंग्रेजी में पढ़ने के लिए Major Tribes of India पर क्लिक करें।

जनजाति

जनजाति, उस सामाजिक समुदाय को कहा जाता है जो राज्य के विकास से पहले अस्तित्व में था, लेकिन वह राज्य के बाहर निवास करता है। भारत के संविधान में अनुसूचित जनजाति शब्द का प्रयोग हुआ है। इसलिए इसके लिए विशेष प्रावधान लागू किए गए हैं। जनजाति, भारत के आदिवासियों के लिए इस्‍तेमाल होने वाला एक वैधानिक शब्द है।

यूपीएससी 2023 की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों से प्रीलिम्स और मुख्य परीक्षा में देश में रहने वाले आदिवासी समुदाय के बारे में प्रश्न पूछे जाने की बहुत संभावना है। आईएएस परीक्षा में आदिवासी सांस्कृतिक और उनके सामाजिक पहलुओं के बारे में भी सवाल पूछे जाते हैं।

भारत की जनजातीय आबादी

जनजातीय आबादी, पूरे भारत में अलग- अलग हिस्सों में फैली हुई है। देश के लगभग सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के कई इलाकों में आदिवासी समुदाय के लोग निवास करते हैं।

भारत में अधिकतम जनजातीय आबादी वाले राज्य है –

  • मिजोरम (जनसंख्या का 94.4%)
  • लक्षद्वीप (94%)
  • मेघालय (86.1%)
  • नागालैंड (86.5%)

इसके अलावा, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, असम और पश्चिम बंगाल में भी महत्वपूर्ण जनजातीय बस्तियां हैं। अगर व्यापक रुप से देखा जाए तो, अनुसूचित जनजातियां भारत की कुल जनसंख्या का करीब 8.6% हैं। ये तथ्य यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा 2023 की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों के लिए बेहद मददगार साबित होंगे।

इसके साथ ही, भारत में जनजातीय आबादी की स्थिति पर चर्चा करते समय उम्मीदवारों को यह भी जानना चाहिए कि हमारे देश में 700 से अधिक जनजातियां निवास करती हैं जिन्हें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत अधिसूचित किया गया है। ये सभी अलग-अलग राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में निवास करते हैं।

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भारत में पाई जाने वाली प्रमुख जनजातियां

भारत की सबसे अधिक ज्ञात जनजातियों में गोंड, भील, संथाल, मुंडा, खासी, गारो, अंगामी, भूटिया, चेंचू, कोडाबा और ग्रेट अंडमानी जनजातियां शामिल हैं। 

साल 2011 की जनगणना के अनुसार, इन सभी जनजातियों में, भील आदिवासी समूह,  भारत की सबसे बड़ी जनजाति है। यह देश की कुल अनुसूचित जनजातीय आबादी का करीब 38% है।

नीचे प्रमुख राज्य और उनमें निवास करने वाले जनजातियों के समूहों के बारे में जानकारी दी जा रही है –

  

भारतीय राज्य का नाम  निवास करने वाली प्रमुख जनजातियां

 

सिक्किम लेपचा
बिहार  बैंगा, बंजारा, मुण्डा, भुइया, खोंड
मध्य प्रदेश   भील, मिहाल, बिरहोर, गडावां, कमार, नट
उड़ीसा बैगा, बंजारा, बड़होर, चेंचू, गड़ाबा, गोंड, होस, जटायु, जुआंग, खरिया, कोल, खोंड, कोया, उरांव, संथाल, सओरा, मुन्डुप्पतू।
पंजाब गद्दी, स्वागंला, भोट।
अरुणाचल प्रदेश अबोर, अक्का, अपटामिस, बर्मास, डफला, गालोंग, गोम्बा, काम्पती, खोभा मिसमी, सिगंपो, सिरडुकपेन।
अंडमान-निकोबार द्वीप समूह औंगी आरबा, उत्तरी सेन्टीनली, अंडमानी, निकोबारी, शोपन।
तमिलनाडु टोडा, कडार, इकला, कोटा, अडयान, अरनदान, कुट्टनायक, कोराग, कुरिचियान, मासेर, कुरुम्बा, कुरुमान, मुथुवान, पनियां, थुलया, मलयाली, इरावल्लन, कनिक्कर,मन्नान, उरासिल, विशावन, ईरुला।
कर्नाटक  गौडालू, हक्की, पिक्की, इरुगा, जेनु, कुरुव, मलाईकुड, भील, गोंड, टोडा, वर्ली, चेन्चू, कोया, अनार्दन, येरवा, होलेया, कोरमा
केरल  कडार, इरुला, मुथुवन, कनिक्कर, मलनकुरावन, मलरारायन, मलावेतन, मलायन, मन्नान, उल्लातन, यूराली, विशावन, अर्नादन, कहुर्नाकन, कोरागा, कोटा, कुरियियान,कुरुमान, पनियां, पुलायन, मल्लार, कुरुम्बा।
छत्तीसगढ़ कोरकू, भील, बैगा, गोंड, अगरिया, भारिया, कोरबा, कोल, उरांव, प्रधान, नगेशिया, हल्वा, भतरा, माडिया, सहरिया, कमार, कंवर।
त्रिपुरा  लुशाई, माग, हलम, खशिया, भूटिया, मुंडा, संथाल, भील, जमनिया, रियांग, उचाई।
जम्मू-कश्मीर गुर्जर, भरवर वाल।
गुजरात कथोड़ी, सिद्दीस, कोलघा, कोटवलिया, पाधर, टोडिय़ा, बदाली, पटेलिया।

 

उत्तर प्रदेश बुक्सा, थारू, माहगीर, शोर्का, खरवार, थारू, राजी, जॉनसारी।
उत्तरांचल भोटिया, जौनसारी, राजी।
महाराष्ट्र  भील, गोंड, अगरिया, असुरा, भारिया, कोया, वर्ली, कोली, डुका बैगा, गडावास, कामर, खडिया, खोंडा, कोल, कोलम, कोर्कू, कोरबा, मुंडा, उरांव, प्रधान, बघरी।
पश्चिम बंगाल

 

होस, कोरा, मुंडा, उरांव, भूमिज, संथाल, गेरो, लेप्चा, असुर, बैगा, बंजारा, भील, गोंड, बिरहोर, खोंड, कोरबा, लोहरा।
हिमाचल प्रदेश गद्दी, गुर्जर, लाहौल, लांबा, पंगवाला, किन्नौरी, बकरायल।
मणिपुर  कुकी, अंगामी, मिजो, पुरुम, सीमा।
मेघालय  खासी, जयन्तिया, गारो।
असम व नगालैंड बोडो, डिमसा गारो, खासी, कुकी, मिजो, मिकिर, नगा, अबोर, डाफला, मिशमिस, अपतनिस, सिंधो, अंगामी।
झारखण्ड संथाल, असुर, बैगा, बन्जारा, बिरहोर, गोंड, हो, खरिया, खोंड, मुंडा, कोरवा, भूमिज, मल पहाडिय़ा, सोरिया पहाडिय़ा, बिझिया, चेरू लोहरा, उरांव, खरवार, कोल, भील।
आंध्र प्रदेश चेन्चू, कोचा, गुड़ावा, जटापा, कोंडा डोरस, कोंडा कपूर, कोंडा रेड्डी, खोंड, सुगेलिस, लम्बाडिस, येलडिस, येरुकुलास, भील, गोंड, कोलम, प्रधान, बाल्मिक।
राजस्थान मीणा, भील, गरसिया, सहरिया, सांसी, दमोर, मेव, रावत, मेरात, कोली।

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भील जनजाति

भील जनजाति की अपनी भाषा भी है, लेकिन इस समुदाय के अधिकांश सदस्य जहां रहते हैं वहां की आधिकारिक राज्य भाषा भी बोलते हैं। उदाहरण के लिए महाराष्ट्र में रहने वाले जनजाति समुदाय के लोग मराठी भाषा बोलते हैं, वहीं गुजरात में रहने वाली अधितकतर जनजातियां गुजराती भाषा बोलती हैं। कुछ जनजातियों की जड़ें महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, गुजरात के कुछ हिस्सों, राजस्थान और यहां तक कि त्रिपुरा के कुछ हिस्सों में हैं, जो इन्हें भारत की सबसे बड़ी जनजाति बनाती हैं।

इसके अतिरिक्त, भील भारत की अनुसूचित जनजातियों में से एक है जो अपनी कला रुप (भील कला) के लिए बेहद प्रसिद्ध है। इन कलाकृतियों का उद्देश्य जनजाति के सदस्यों के दैनिक जीवन को चित्रित करना है। इस जनजाति के कलाकार नीम के पेड़ की टहनियों और शाखाओं और ब्रश का उपयोग कर के विभिन्न पत्तियों और फूलों से प्राप्त प्राकृतिक रंग वर्णक से सुंदर कलाकृतियां बनाते हैं।

भील कला, देवी-देवताओं और पूर्वजों का विभिन्न रंगों और पैटर्न में पेंटिंग के रुप में डॉट्स से किया गया चित्रण अपने आप में बहुत अनूठा है।

नोट -आईएएस परीक्षा के प्रश्नपत्रों में भील कला और उसके उद्देश्य पर अक्सर सवाल पूछे जाते हैं।

नोट – पूराने समय में भील पेंटिंग का मुख्य उद्देश्य दिवारों को सजाना होता था।

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गोंड जनजाति

गोंड जनजाति, जनसंख्या के आकार के मामले में भीलों के बाद दूसरे स्थान पर है। भारत की दूसरी सबसे बड़ी जनजाति कहलाने वाली गोंड जनजाति आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, बिहार और उड़ीसा जैसे राज्यों में फैली हुई है। गोंड, जनजातीय सदस्यों की एक विशाल आबादी वाला समूह है। यह देश की कुल जनजातीय आबादी का एक बड़ा प्रतिशत (35.6%) है।

गोंड जनजाति

गोंड, भारत की एक प्रमुख जाती हैं। इस समुदाय के अधिकतर लोग विंध्यपर्वत,सिवान, सतपुड़ा पठार, छत्तीसगढ़ मैदान तथा दक्षिण-पश्चिम में गोदावरी नदी के आसपास निवास करते हैं। आस्ट्रोलायड नस्ल तथा द्रविड़ परिवार की यह जनजाति पांचवीं और छठी शताब्दी में दक्षिण से गोदावरी के तटों तक फैल गई थी। 

मध्य भारत के पहाड़ों और जंगलों में निवास करने वाले इन लोगों की जातिय भाषा को गोंडी भाषा कहा जाता है। यह भाषा द्रविड़ परिवार की है और तेलुगु, कन्नड़, तमिल से संबध रखती है। गोंड समुदाय के लोग उत्तर प्रदेश में वाराणसी, चंदौली, सोनभद्र, मीरजपुर,जौनपुर, भदोही, आजमगढ़, गाज़ीपुर, मऊ, देवरिया, बलिया, आदि जनपदों में भी निवास करते हैं।

संथाल

संथाल, गोंड और भील के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा अनुसूचित जनजाति समुदाय है । यह झारखण्ड की सबसे बड़ी जनजति है । 2022 में देश की 15वीं राष्ट्रपति बनी द्रौपदी मुर्मू इसी जनजाति से हैं । वह भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति हैं । 

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान (SCSTRTI) के अनुसार, संथाल शब्द दो शब्दों से बना है: ‘संथा’ और ‘अला’ । ‘संथा’ का अर्थ है शांत और शांतिपूर्ण; जबकि ‘अला’ का अर्थ है मनुष्य ।

संथाल मुख्य रूप से कृषक होते हैं । संथाल आबादी ज्यादातर ओडिशा, झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल में वितरित है । “संथाली” संथालों द्वारा बोली जाने वाली भाषा है और इसकी अपनी लिपि है जिसे ओलचिकी कहा जाता है । संथाली भाषा संविधान की आठवीं अनुसूची में भी शामिल है । संथालों की पारंपरिक चित्रकला को जादो पाटिया कहते हैं । संथालों की प्रमुख ख्याति 1855-56 के संथाल विद्रोह के कारण भी है । कार्ल मार्क्स ने इस विद्रोह को भारत की प्रथम जनक्रांति की संज्ञा दी थी । इसकी चर्चा उन्होंने अपनी बहुचर्चित पुस्तक “द कैपिटल” में भी की है ।

भारतीय जनजातियों पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

‘अनुसूचित जनजाति’ शब्द का क्या अर्थ है?

अनुसूचित जनजाति शब्द का अर्थ, सामाजिक एवं आर्थिक रूप से वंचित लोगों का समूह है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 366 (25) के अनुसार, अनुसूचित जनजातियां “ऐसी जनजातियां या आदिवासी समुदाय या ऐसी जनजातियों या जनजातीय समुदायों के हिस्से या समूह हैं जिन्हें संविधान के प्रयोजनों के लिए अनुच्छेद 342 के तहत अनुसूचित जनजाति माना जाता है।”

आदिवासी समाज में मुखिया कौन होता है?

जनजातीय समुहों में मुखिया एक जनजाति का नेता होता है जो जनजाति के सदस्यों का मार्गदर्शन करता है। वह बंद समाज के संरक्षक के रुप में काम करता है।

आदिवासी संस्कृति भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?

आदिवासी लोग और उनकी संस्कृति भारत के लिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि वे पर्यावरण के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और उसका ज्ञान रखते हैं जो पारिस्थितिक संतुलन को बहाल करने में मदद कर सकते हैं।

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