14 मार्च 2023 : समाचार विश्लेषण
A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: राजव्यवस्था एवं शासन:
शिक्षा:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
---|
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
सऊदी-ईरान संबंधों में सुधार को समझना:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: विकसित और विकासशील देशों की नीतियां एवं राजनीति का प्रभाव।
मुख्य परीक्षा: सऊदी अरब और ईरान के बीच तनाव में कमी को समझना।
प्रसंग:
- हाल ही में सऊदी अरब और ईरान चीन की मध्यस्थता में एक समझौते के माध्यम से राजनयिक संबंध बहाल करने पर सहमत हुए हैं।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
- सऊदी अरब और ईरान पश्चिम एशिया की प्रमुख शक्तियाँ हैं। हालाँकि, दोनों देश एक-दूसरे के विरोधी रहे हैं क्योंकि इन दोनों देशों के बीच क्षेत्रीय प्रभुत्व के लिए प्रतिस्पर्धा होती रही है।
- 1979 की ईरानी क्रांति या इस्लामी क्रांति (जिसने ईरानी राजशाही को समाप्त कर दिया और ईरान एक शिया धर्मतांत्रिक गणराज्य बन गया) के बाद सऊदी अरब और ईरान के बीच सांप्रदायिक और वैचारिक मतभेद भी सामने आ गए।
- दोनों देशों के बीच एक शीत युद्ध जैसी स्थिति भी पैदा हो गई थी,क्योंकि उन्होंने पूरे पश्चिम एशिया में अपने प्रतिनिधियों का समर्थन करना शुरू कर दिया था।
- वर्ष 2016 में तेहरान में सऊदी दूतावास पर प्रदर्शनकारियों के हमले के बाद दोनों देशों के बीच औपचारिक संबंध टूट गए, जो सऊदी अरब द्वारा एक शिया धर्मगुरु को फांसी दिए जाने का विरोध कर रहे थे।
सऊदी अरब और ईरान के बीच समझौता:
उपरोक्त मानचित्र पश्चिम एशिया में ईरान और सऊदी द्वारा प्राप्त प्रभाव की सीमा को दर्शाता है:
चित्र स्रोत: The Hindu
- वर्ष 2021 में, सऊदी अरब और ईरान ने एक-दूसरे के साथ सीधे जुड़ना शुरू किया और इराक और फिर ओमान में कई दौर की बातचीत की, जो दोनों पक्षों की बढ़ती आपसी समझ को इंगित करता है कि दोनों देशों के संबंधों में सुधार के लिए राजनयिक संचार को खुला रखा जाना चाहिए।
- दिसंबर 2022 में, चीनी राष्ट्रपति ने रियाद (सऊदी अरब) का दौरा किया और उन्होंने दोनों देशों के बीच संबंध पुनर्स्थापित करने का आग्रह किया।
- जनवरी 2023 में, सऊदी के विदेश मंत्री ने पुष्टि की कि सऊदी ने ईरान से संपर्क किया है और बातचीत का रास्ता खोजने की दिशा में काम कर रहा है और दोनों देशों के बीच सुलह की घोषणा हाल ही में चीन में कई दिनों तक चली गुप्त वार्ता के बाद की गई थी।
- रिपोर्टों के अनुसार, इन वार्ताओं के माध्यम से ईरान ने सऊदी अरब के खिलाफ, विशेष रूप से यमन के हाऊथी-नियंत्रित हिस्सों से और हमलों को रोकने पर सहमति व्यक्त की है।
- ईरान हाऊथी विद्रोहियों का समर्थन करता रहा है, जो यमन में शिया मिलिशिया हैं जबकि सऊदी अरब यमन में सरकारी बलों का समर्थन करता रहा है।
- इसके अलावा, सऊदी अरब ईरान इंटरनेशनल, एक फ़ारसी (आधुनिक फ़ारसी भाषा) समाचार चैनल को नियंत्रित करने के लिए सहमत हो गया है जो ईरानी शासन की आलोचना करता रहा है।
- ईरानी खुफिया विभाग ने इस संगठन को आतंकी संगठन करार दिया है।
- आने वाले दिनों में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के एक-दूसरे की राजधानियों में अपने दूतावासों को फिर से खोलने से पहले सुलह की आधिकारिक शर्तों को पूरा करने और इस पर एक मसौदा तैयार करने की उम्मीद है।
- चीन ईरान और खाड़ी सहयोग परिषद (Gulf Cooperation Council (GCC)) के छह सदस्यों के साथ एक अंतर-खाड़ी सम्मेलन की मेजबानी करना चाहता है जिसमें सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, बहरीन, कुवैत और ओमान शामिल हैं।
दो देशों के बीच सुलह के प्रमुख कारण:
- हाल के वर्षों में, पश्चिम एशिया रणनीतिक पुनर्संरचना का अनुभव कर रहा है।
- उदाहरण के लिए:
- 2020 में यूएई ने इजरायल के साथ अपने संबंधों को सामान्य किया।
- इज़राइल और अन्य अरब देशों ने भी अपनी साझेदारी को स्थापित करने और आगे बढ़ाने की कोशिश की है।
- अमेरिका ने सऊदी अरब और इज़राइल के बीच एक सामान्यीकरण समझौते पर बातचीत करने की भी कोशिश की है।
- वर्ष 2021 में, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और उनके सहयोगियों ने कतर की अपनी असफल घेराबंदी को समाप्त कर दिया।
- अमेरिका, जो इस क्षेत्र में एक पारंपरिक महाशक्ति रहा है, द्वारा पश्चिम एशिया के लिए प्राथमिकता में कमी और ईरान के उदय से उत्पन्न चुनौतियाँ इस क्षेत्र में पुनर्संरेखण के प्रमुख चालक रहे हैं।
- इस चुनौती का समाधान करने के लिए, अमेरिका अपनी पश्चिम एशिया नीति के दो स्तंभों अर्थात् इज़राइल और अरब जगत को ईरान के विरुद्ध एक साथ लाने का प्रयास कर रहा है।
- हालाँकि संयुक्त अरब अमीरात ने अब्राहम समझौते के माध्यम से इस राह को चुना है, विशेष रूप से इजरायल-फिलिस्तीनी क्षेत्रों में बढ़ते तनाव के कारण, सऊदी अरब इजरायल के साथ सामंजस्य स्थापित करने को लेकर संशय में रहा है।
- इसके अलावा सऊदी अरब और अमेरिका के बीच राजनयिक संबंध हाल के दिनों में एक कठिन दौर से गुजर रहे हैं जिसने सऊदी अरब को ईरान समस्या के वैकल्पिक समाधान की तलाश करने के लिए मजबूर किया है।
- इसके अतिरिक्त, ईरान भी अपने सबसे कठिन समय में से एक का अनुभव कर रहा है क्योंकि आर्थिक अलगाव और घरेलू दबाव के कारण इसकी अर्थव्यवस्था लगातार बिगड़ती जा रही है।
- ईरान ने यह भी महसूस किया है कि निकट भविष्य में उसे पश्चिमी प्रतिबंधों से राहत नहीं मिलेगी।
- ईरान ने अब संकट से बाहर आने के लिए चीनी निवेश और समर्थन पर भरोसा किया है और चीन ने ईरान को 20 अरब डॉलर के फंड के कुछ हिस्सों के आहरण की अनुमति दी है जो चीनी बैंकों के पास रोक दिए गए थे।
- इस तरह के संकट के मद्देनजर ईरान का मानना है कि सऊदी अरब के साथ एक समझौता ईरान के लिए आर्थिक अवसर खोल सकता है।
- रणनीतिक रूप से भी, यह समझौता ईरान को अरब देशों और इज़राइल को उसके खिलाफ लामबंद करने के अमेरिका के प्रयास को पटरी से उतारने में मदद करेगा।
समझौते में चीन का शामिल होना और उसका प्रभाव:
- अमेरिका (जिसका पश्चिम एशिया में सैन्य हस्तक्षेप का इतिहास रहा है) के विपरीत चीन का पश्चिम एशिया में रिकॉर्ड साफ़ रहा है।
- हाल के वर्षों में जहाँ अमेरिका और सऊदी अरब के आपसी संबंधों को उतर-चढ़ाव का सामना करना पड़ा है, वहीं दूसरी ओर चीन ने न केवल सऊदी अरब बल्कि ईरान के साथ भी मधुर संबंध बनाए रखे हैं।
- चीन सऊदी तेल का एक प्रमुख खरीदार और ईरान का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार देश है।
- इसने चीन को दोनों देशों के करीब लाने की इजाजत दी है।
- पश्चिम एशिया में चीन के आर्थिक, क्षेत्रीय और रणनीतिक हित हैं और एक वार्ताकार की भूमिका निभाने से क्षेत्र में चीनी हितों को आगे बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी।
- चीन दुनिया का सबसे बड़ा तेल खरीदार है तथा सऊदी अरब और ईरान के बीच सुलह के कारण ऊर्जा बाजार में स्थिरता चीन के लिए फायदेमंद होगी।
- इसके अलावा, सऊदी अरब और ईरान के बीच तनावों में आई हालिया कमी पश्चिम एशियाई क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का संकेत देता है।
- विश्व युद्ध के बाद क्षेत्र में अधिकांश शांति समझौतों जैसे कैंप डेविड समझौता (1978), ओस्लो समझौते (1993), इज़राइल-जॉर्डन संधि (1994), मध्य पूर्व क्वार्टेट (चार देशों का समूह) (2002) और अब्राहम समझौते (2020) ( Abraham Accords) में अमेरिका की उपस्थिति रही है, लेकिन हाल के समझौते में अमेरिका की उपस्थिति नहीं है।
- इस समझौते के माध्यम से चीन ने ग्लोबल साउथ के देशों को इस तरह की कूटनीतिक पहल शुरू करने, उन्हें बनाए रखने की अपनी क्षमता और उनसे होने वाले लाभों का प्रदर्शन किया है।
अमेरिका की प्रतिक्रिया:
- अमेरिका के कई अधिकारियों ने सऊदी अरब और ईरान के बीच सुलह का स्वागत किया है और उन्होंने कहा है कि इस क्षेत्र के दो प्रमुख प्रतिद्वंद्वियों के बीच शांति से क्षेत्र को स्थिर करने और वैश्विक ऊर्जा बाजार को लाभ पहुंचाने में मदद मिलेगी।
- हालाँकि, रणनीतिक दृष्टिकोण से इस समझौते के कारण अमेरिका को महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, जैसा कि अमेरिका द्वारा उम्मीद की जा रही है कि सऊदी अरब इजरायल के साथ संबंधों को सामान्य करेगा और ईरान के खिलाफ एक संयुक्त मोर्चा बनाएगा।
- इसके साथ ही अमेरिका भी पश्चिम एशिया में अपना प्रभाव खोने पर शांति से नहीं बैठेगा, विशेष रूप से चीन के हाथों जो एक क्षेत्र में अपने प्रभाव को मज़बूत कर रहा है।
- वर्ष 1956 के स्वेज संकट (Suez Crisis of 1956) के बाद से अमेरिका ने इस क्षेत्र में अपने प्रभाव और प्रभुत्व का पूरा लाभ उठाया है।
सारांश:
|
---|
संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
भारत के लिए डेटा शासन (गवर्नेंस) व्यवस्था को आकार देने का अवसर:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
राजव्यवस्था एवं शासन:
विषय: सरकार की नीतियां और हस्तक्षेप।
मुख्य परीक्षा: डेटा शासन और डेटा सुरक्षा।
प्रारंभिक परीक्षा: डेटा सशक्तिकरण और संरक्षण संरचना।
विवरण:
- भारत अपनी डिजिटल रणनीतियों और डेटा शासन (गवर्नेंस) में काफी आगे बढ़ चुका है। हालाँकि, जैसे-जैसे देश प्रौद्योगिकी और डिजिटलीकरण के साथ विकसित होता जा रहा है, यह महत्वपूर्ण है कि इसका दृष्टिकोण समावेशी, पारदर्शी, सुरक्षित और सतत विकास के अनुकूल हो।
- G-20 ने डेटा और डिजिटल प्रौद्योगिकियों के तीव्र विकास से जुड़ी चुनौतियों का समाधान करने में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता को मान्यता दी है।
- भारत की G-20 अध्यक्षता भारत को विशेष रूप से डेटा अवसंरचना और डेटा शासन में अपने डिजिटल परिवर्तन को प्रदर्शित करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करती है।
डेटा सशक्तिकरण और संरक्षण संरचना (DEPA):
- डेटा सशक्तिकरण और संरक्षण संरचना (DEPA) एक सहमति प्रबंधन उपकरण है जिसे भारत द्वारा लॉन्च किया गया है।
- DEPA में नागरिकों के डेटा संरक्षण और गोपनीयता में सुधार करने की क्षमता है। यह उन्हें अपनी व्यक्तिगत जानकारी के उपयोग और उसे साझा करने पर अधिक नियंत्रण प्रदान करता है।
- यह डिजिटल तकनीकों और डेटा शासन (गवर्नेंस) में विश्वास पैदा कर सकता है।
यह भी पढ़ें: Digital Data Protection Bill, 2022 – Features, Significance [USPC Notes]
संबद्ध चिंताएं:
- अगर DEPA को ठीक से लागू या प्रबंधित नहीं किया जाता है, तो यह दुरुपयोग और हेराफेरी के जोखिम को बढ़ा सकता है।
- विभिन्न क्षेत्रों और अधिकार क्षेत्रों में DEPA का कार्यान्वयन असंगत हो सकता है। इसके परिणामस्वरूप अप्रभावीता और नागरिकों में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
- सुरक्षा और निजता के अलावा अवसंरचना, कनेक्टिविटी और कुशल मानव कार्यबल की उपलब्धता से जुड़ी चिंताएं भी मौज़ूद हैं।
- स्वास्थ्य सेवा और कृषि जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के संवेदनशील डेटा के दुरुपयोग और व्यावसायीकरण से जुड़ी चिंताएँ भी हैं।
- डेटा प्रदाता के अधिकारों के साथ-साथ उत्पन्न और एकत्र किए गए डेटा के स्वामित्व और शासन के बारे में भी चिंताएं मौज़ूद हैं।
- एक अन्य प्रमुख चिंता डेटा संप्रभुता है।
- डेटा संप्रभुता एक सिद्धांत है जिसमें किसी देश को अपनी सीमाओं के भीतर डेटा संग्रह, भंडारण और उपयोग को नियंत्रित करने का अधिकार है। इसमें अपने डेटा पर नागरिकों के सूचनात्मक आत्मनिर्णय का अधिकार भी शामिल है।
किए गए उपाय और भावी कदम:
- भारत ने भारत डेटा प्रबंधन कार्यालय (IDMO) की स्थापना की।
- यह देश की डिजिटल रणनीतियों और डेटा गवर्नेंस फ्रेमवर्क की देखरेख और कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार है।
- यह ओपन-सोर्स समाधान के विकास को भी बढ़ावा देगा और यह सुनिश्चित करेगा कि डेटा संरचना एक सामाजिक सार्वजनिक वस्तु हो।
- इंडिया स्टैक को इस तरह से डिजाइन और कार्यान्वित किया जाना चाहिए जो भारत की विकास रणनीतियों के अनुरूप हो।
- इंडिया स्टैक एक एकीकृत सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म है जो डिजिटल पब्लिक गुड्स, एप्लिकेशन इंटरफेस प्रदान करता है और डिजिटल समावेशन सुनिश्चित करता है।
- डेटा शासन विकास में एक प्रक्रिया होनी चाहिए जो प्रभावी और जिम्मेदार हो। इसे मौलिक अधिकारों, मूल्यों और मानदंडों के आधार पर निर्मित किया जाना चाहिए।
- नैतिक डेटा प्रशासन प्रथाओं के साथ एक मजबूत डेटा संरक्षण नियामक ढांचा समय की मांग है। इसके लिए एक जवाबदेह निरीक्षण तंत्र की भी आवश्यकता है।
- कई विशेषज्ञों ने सरकारों, निगमों और नागरिकों के बीच डेटा साझा करने की संभावित संपत्ति को कैप्चर करने के लिए डेटा “साइलो” खोलने का सुझाव दिया है। हालांकि, दूसरों का तर्क है कि यह विश्वास और सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है।
- भारत को प्रतिबंधात्मक डेटा संप्रभुता और असीमित डेटा प्रवाह के बीच एक मध्यम मार्ग तलाशना चाहिए। यह डेटा, इसके साझाकरण और साझा करने के उद्देश्य को परिभाषित कर सकता है।
- इसे निजता के मौलिक अधिकार का सम्मान और सुरक्षा करते हुए सभी हितधारकों के हितों को संतुलित करना चाहिए।
- डिजिटल बुनियादी ढांचे और एक लचीली डेटा शासन व्यवस्था के लिए आवश्यक कौशल में निवेश किया जाना चाहिए।
संबंधित लिंक:
Open Data, Open Government Data – About OGD, NDSAP, and Latest News
सारांश:
|
---|
विदेशी विश्वविद्यालयों की वास्तविकता की जांच:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
शिक्षा:
विषय: शिक्षा से संबंधित मुद्दे।
मुख्य परीक्षा: भारत में विदेशी विश्वविद्यालय और संबंधित चिंताएँ।
प्रसंग:
- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने UGC (भारत में विदेशी उच्च शिक्षा संस्थानों के परिसरों की स्थापना और संचालन) विनियम 2023 का मसौदा जारी किया है।
विवरण:
- भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों की स्थापना (establish foreign universities in India) के सरकार के कदम को मिश्रित प्रतिक्रिया मिली है। गुणवत्ता बढ़ाने के लिए कुछ लोगों द्वारा इसकी सराहना की गई है। जबकि अन्य लोगों ने इसे लूट-पाट करने वाली प्रथा करार दिया है।
- आर्थिक पहलू की दृष्टि से भारतीय शिक्षा आकर्षक प्रतीत होती है।
- दस साल पहले, उच्च शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण पर OECD के वैश्विक अध्ययन ने पाया कि “प्रेरणा कितनी भी परोपकारी और प्रबुद्ध क्यों न हो, अपतटीय परिसर स्थापित करने के वित्तीय पहलुओं के प्रबल होने की संभावना है।”
सांख्यिकीय विवरण:
- शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, विदेश जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या 2021 में 4.4 लाख से बढ़कर 2022 में लगभग 7.5 लाख हो गई।
- भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के अनुसार, 2012 से 2022 तक शिक्षा पर खर्च किया गया बाहरी प्रेषण लगभग 5.1 बिलियन डॉलर था।
- उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण (AISHE) ने पाया कि लगभग 4.13 करोड़ छात्र उच्च शिक्षा में नामांकित हैं। मौजूदा 27.3% की तुलना में 2035 तक 50% नामांकन अनुपात के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, छात्रों की संख्या 15 वर्षों में लगभग दोगुनी होनी चाहिए।
- छात्रों के इस समावेशन में से अधिकांश निजी संस्थानों में होने की उम्मीद है (निजी संस्थान में वर्तमान में केवल एक चौथाई नामांकनों को कवर करते हैं)।
यह भी पढ़ें: PIB Summary & Analysis for UPSC IAS Exam for 29th Jan 2023
विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए चुनौतियां:
- भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों को लागत और शुल्क के मामले में खुद को प्रमुख भारतीय विश्वविद्यालयों के समकक्ष रखना चाहिए। उदाहरण के लिए,
- IIT मद्रास में लगभग 7000 छात्र हैं जिनका वार्षिक परिचालन व्यय लगभग ₹1032 करोड़ (2020-21) है।
- छात्रों की फीस आंशिक रूप से इस खर्च को पूरा करती है क्योंकि यह अपने मुख्य कार्यक्रमों के लिए सालाना केवल ₹2 लाख की फीस लेता है।
- यदि यह पूरी तरह से शुल्क आधारित मॉडल को अपनाता है, तो इसकी लागत कम से कम ₹14 लाख प्रति वर्ष होगी।
- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए एक शर्त रखी है कि वे अपने गृह देश में जो सेवाएं प्रदान करते हैं, उसी के अनुरूप सेवाएं भारत में भी प्रदान करेंगे। इसके लिए विदेशी फैकल्टी और महत्वपूर्ण पूंजी की आवश्यकता होगी।
- भारत में स्थानीय शिक्षा बाजार अत्यधिक खंडित है। कुछ संस्थान (जैसे शिव नादर और अजीम प्रेमजी) परोपकारी संगठनों द्वारा समर्थित हैं, जिनकी फीस लगभग ₹1.6 लाख है; जबकि अन्य वॉल्यूम रूट का अनुसरण करते हैं और मध्यम-स्तर का शुल्क लेते हैं। कुछ अन्य प्रकार के संस्थान निश रूट का अनुसरण करते हैं और अपेक्षाकृत अधिक शुल्क लेते हैं।
- यदि संस्थान बढ़े हुए पारिश्रमिक की पेशकश करने वाली कंपनियों के रूप में छात्रों के लिए प्रीमियम का निर्माण कर सकते हैं तो उच्च शुल्क कोई बाधा नहीं होगी। उदाहरण के लिए, IIT के “कम शुल्क और उच्च प्रीमियम” वाले मॉडल के विपरीत IIM मॉडल “उच्च शुल्क और उच्च प्रीमियम” मॉडल है।
- इसके अलावा, उच्च मांग वाले स्नातक तैयार करना भी विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए एक चुनौती है क्योंकि दशकों पुराने प्रतिष्ठित निजी संस्थान IIT और IIM के स्तर तक नहीं पहुंचे हैं।
- खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) देशों में उच्च शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण पर 2019 की वैश्विक शिक्षा निगरानी रिपोर्ट ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि GCC देशों द्वारा विदेशी विश्वविद्यालयों में भारी निवेश करने और उन्हें वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करने के बावजूद, “रोजगार कार्यबल का राष्ट्रीयकरण अप्राप्य रहा है।”
- संयुक्त अरब अमीरात जैसे कुछ देश प्रतिभाशाली छात्रों के लिए 10 साल के वीजा और काम की तलाश करने वाले अन्य लोगों के लिए 5 साल के वीजा की पेशकश करते हैं, जिससे यह बेहतर अवसरों और समृद्ध सांस्कृतिक अनुभवों की तलाश करने वाले छात्रों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बन जाता है।
- यह तर्क दिया जाता है कि विदेशी विश्वविद्यालयों की स्थापना से बाहरी प्रवाह में आमूल-चूल कमी नहीं आएगी। हालाँकि, यह स्थानीय विकल्पों में मामूली वृद्धि कर सकता है और छात्रों को प्रतिष्ठित संस्थानों में पुनर्वितरित कर सकता है।
संबंधित लिंक:
Australia’s Deakin University Campus in India [UPSC Current Affairs]
सारांश:
|
---|
प्रीलिम्स तथ्य:
1. अतिचालक/सुपरकण्डक्टर्स (Superconductors):
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
विषय – विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का विकास एवं उनके अनुप्रयोग और रोजमर्रा की जिंदगी में प्रभाव।
प्रारंभिक परीक्षा: अतिचालकों से संबंधित तथ्यात्मक जानकारी।
प्रसंग:
- एक नवीनतम अध्ययन में लगभग एक हजार वायुमंडलीय दबाव पर नाइट्रोजन-डोप्ड ल्यूटेटियम हाइड्राइड में कमरे के तापमान पर अतिचालकता की खोज की सूचना मिली है।
अतिचालक क्या होते हैं?
- अतिचालक वे पदार्थ हैं जो विद्युत धारा के प्रवाह का प्रतिरोध नहीं करते हैं और इसलिए बिना किसी ऊर्जा हानि के विद्युत को प्रवाहित होने देते हैं।
- वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि अतिचालक वास्तव में क्वांटम घटनाएं प्रदर्शित कर सकते हैं और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसी क्रांतिकारी तकनीकों को सक्षम बना सकते हैं।
- अतिचालकों के कुछ लोकप्रिय उदाहरण हैं- एल्युमीनियम, मैग्नीशियम डाईबोराइड, नाइओबियम, कॉपर ऑक्साइड, येट्रियम बेरियम और आयरन पेनिक्टाइड्स।
- अध्ययनों के अनुसार वे सभी पदार्थ जिन्हें अतिचालकों के रूप में जाना जाता है, विशेष परिस्थितियों में ऐसे गुणों को प्राप्त करते हैं और उन परिस्थितियों के बाहर वे करंट/विद्युत के प्रवाह का प्रतिरोध करते हैं।
- उदाहरण: एल्युमीनियम तब अतिचालक तब बन जाता है जब इसे उसके क्रांतिक तापमान यानी -250°C से कम तापमान पर ठंडा किया जाता है।
- दुनिया भर के शोधकर्ता ऐसे पदार्थ खोजने की दिशा में काम कर रहे हैं जो कुछ वायुमंडलीय दबाव और कमरे के तापमान पर परिवेशी परिस्थितियों में अतिचालक गुणों का प्रदर्शन करते हों।
- अध्ययनों ने संकेत दिया है कि हाइड्रोजन और उस पर आधारित पदार्थों से इस संबंध में बहुत आशा है।
- उदाहरण: 2019 में, जर्मनी में वैज्ञानिकों ने लेन्थेनम हाइड्राइड (LaH10) को -20° C ताप पर लेकिन एक मिलियन से अधिक वायुमंडलीय दबाव में, जो पृथ्वी के केंद्र में दबाव के लगभग बराबर है, एक अतिचालक के रूप में पाया।
कमरे के तापमान पर अतिचालक:
- हाल ही में, अमेरिका में रोचेस्टर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने लगभग एक हजार वायुमंडलीय दबाव पर नाइट्रोजन-डोप्ड ल्यूटेटियम हाइड्राइड में कमरे के तापमान पर अतिचालकता की खोज की सूचना दी है।
- शोधकर्ताओं के अनुसार नाइट्रोजन की उपस्थिति से यह निष्कर्ष निकाला गया।
- नाइट्रोजन-डोप्ड ल्यूटेटियम हाइड्राइड ने क्रिस्टल की कंपन (jiggling) गति पर अतिचालकता का प्रदर्शन किया, और वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि नाइट्रोजन की सही मात्रा कंपन की सही मात्रा को प्रेरित कर सकती है जो कमरे के तापमान पर क्रिस्टल को अस्थिर किए बिना अतिचालकता को प्रेरित कर सकती है।
- हालाँकि, इसकी खोज विवादास्पद हो गई है,क्योंकि डेटा और अन्य घटाव विधियों को संसाधित करने के लिए शोधकर्ताओं द्वारा नियोजित विधियों की वैज्ञानिक आलोचनाएँ की जा रही हैं।
2. ऑस्कर 2023:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 (प्रारंभिक परीक्षा) से संबंधित:
प्रारंभिक परीक्षा:
विषय: विविध।
प्रारंभिक परीक्षा: ऑस्कर पुरस्कार 2023
प्रसंग:
- 95वें अकादमी पुरस्कार समारोह का आयोजन 12 मार्च, 2023 को किया गया।
ऑस्कर पुरस्कार 2023:
- भारतीय वृत्तचित्र (डॉक्यूमेंट्री) “द एलिफेंट व्हिस्परर्स” ने “सर्वश्रेष्ठ वृत्तचित्र लघु (डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट)” के लिए अकादमी पुरस्कार जीता।
- यह पहली बार है कि किसी भारतीय प्रोडक्शन ने इस श्रेणी के तहत यह पुरस्कार जीता है।
- फिल्म RRR के गीत ‘नाटू नाटू’ ने “सर्वश्रेष्ठ मूल गीत” के लिए अकादमी पुरस्कार जीता।
- ‘नाटू नाटू’ इस श्रेणी में ऑस्कर जीतने वाला चौथा गैर-अंग्रेजी गाना है और 2009 में “जय हो” के बाद किसी विदेशी भाषा में पहला गाना है जिसे पुरस्कार मिला है।
- यह पहली बार है जब भारत निर्मित दो प्रस्तुतियों ने सिनेमा जगत का सबसे बड़ा पुरस्कार जीता है।
ऑस्कर पुरस्कारों से संबंधित जानकारी:
- अकादमी पुरस्कार या ऑस्कर पुरस्कार अकादमी ऑफ़ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज (AMPAS) द्वारा प्रतिवर्ष प्रदान किये जाते हैं।
- पहला अकादमी पुरस्कार समारोह 1929 में आयोजित किया गया था।
- ऑस्कर पुरस्कार अंतर्राष्ट्रीय फिल्म उद्योग में कलात्मक प्रतिभा और तकनीकी उत्कृष्टता के लिए प्रदान किए जाते हैं।
- भानु अथैया ऑस्कर पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय थीं।
- भानु अथैया ने 1983 में 55वें अकादमी पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ पोशाक डिजाइन का ऑस्कर जीता था।
- भारत के अन्य विजेताओं की सूची में सत्यजीत रे, ए आर रहमान, रेसुल पुकोट्टी और गुलजार शामिल हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक बना हुआ है: SIPRI रिपोर्ट
- स्वीडिश थिंक टैंक स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2013-2017 और 2018-2022 के बीच आयात में लगभग 11% की गिरावट के बावजूद भारत 2018 से 2022 के बीच दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक बना हुआ है।
- इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2013 से 2022 तक रूस भारत का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता था।
- हालांकि, रूस से कुल आयात का प्रतिशत 64% से गिरकर 45% हो गया है।
- फ्रांस, अमेरिका (11%) को विस्थापित करके भारत के लिए हथियारों का दूसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बन गया है, जिससे रक्षा आयात का करीब 30% आयात किया जाता है।
- नवीनतम रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि:
- वर्ष 2018 से 2022 की अवधि के बीच शीर्ष 10 हथियार निर्यातकों में, भारत रूस, फ्रांस और इज़राइल का सबसे बड़ा हथियार निर्यात बाजार था।
- भारत दक्षिण कोरिया का दूसरा सबसे बड़ा निर्यात बाजार और दक्षिण अफ्रीका का तीसरा सबसे बड़ा बाजार रहा है।
- भारत के बाद सऊदी अरब दूसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक देश है।
- हालाँकि पाकिस्तान और चीन जैसे अपने पड़ोसी देशों के साथ भारत के तनावपूर्ण संबंध हथियारों के आयात के प्रमुख चालक रहे हैं, एवं वर्ष 2013-2017 की अवधि की तुलना में आयात के हिस्से में कमी मुख्य रूप से भारत की धीमी और जटिल हथियार खरीद प्रक्रिया, हथियारों के आपूर्तिकर्ताओं में विविधता लाने के प्रयास और रक्षा क्षेत्र में सरकार द्वारा आत्मनिर्भरता हासिल करने के प्रयासों के कारण है।
2. तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक में एक साथ किए गए सर्वेक्षण में 246 गिद्ध देखे गए:
- फरवरी 2023 में तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक की सीमाओं पर किए गए पहले समकालिक सर्वेक्षण में लगभग 246 गिद्धों को देखा गया था।
- केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक के वन और वन्यजीव विभागों ने पश्चिमी घाट के विभिन्न क्षेत्रों जैसे तमिलनाडु में मुदुमलाई टाइगर रिजर्व (MTR) और सत्यमंगलम टाइगर रिजर्व (STR), केरल में वायनाड वन्यजीव अभयारण्य (WWS) तथा कर्नाटक में बांदीपुर टाइगर रिजर्व (BTR) और नागरहोल टाइगर रिजर्व (NTR) में पहला समकालिक गिद्ध सर्वेक्षण आयोजित किया।
- सर्वेक्षण के दौरान स्वयंसेवकों ने सफेद पूंछ वाले गिद्ध (183) (White-rumped vultures), लंबी चोंच वाले गिद्ध (30) (Long-billed vultures) , लाल सिर वाले गिद्ध (28) (Red-headed vultures) , मिस्र के गिद्ध (3) ( Egyptian vultures) , हिमालयन ग्रिफॉन (1) (Himalayan Griffon) और सिनेरियस गिद्ध (1) (Cinereous vulture) देखे हैं।
- 2000 के दशक के दौरान गिद्धों की संख्या में विनाशकारी गिरावट देखी जा रही है क्योंकि ये प्रजातियां डाइक्लोफिनेक दवा के संपर्क में आ रही हैं जो मुख्य रूप से मवेशियों के लिए दर्द निवारक के रूप में उपयोग की जाती है और विशेषज्ञों का मानना है कि जंगली शवों की उपलब्धता बढ़ाना गिद्धों को फलने-फूलने में मदद करने के लिए आवश्यक प्रमुख कदमों में से एक था।
- तमिलनाडु के गिद्ध से संबंधित अधिक जानकारी के लिए निम्नलिक पर क्लिक कीजिए:Vultures of Tamil Nadu
3. कंबोडिया में लोकतंत्र और समावेशिता के लिए लड़ाई:
- कंबोडियाई राजधानी नोम पेन्ह में सार्वजनिक न्यायालय द्वारा राजद्रोह का दोषी पाए गए विपक्षी नेता केम सोखा (Kem Sokha) को बंदी बनाए जाने की अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और मानवाधिकार समूहों ने आलोचना की है।
- पोल पॉट की तानाशाही और युद्ध के निरंतर चक्रों के प्रभाव ,जो 1991 में आधिकारिक रूप से समाप्त हो गया, के कारण कंबोडिया अपनी अर्थव्यवस्था को निम्न-आय की स्थिति से ऊपर उठाने के लिए संघर्ष कर रहा है।
- इसके अलावा, दक्षिण पूर्व एशियाई देश में लोकतांत्रिक स्वतंत्रता और समावेशी विकास के बारे में चिंताएं बढ़ रही हैं।
- इसके अतिरिक्त, कंबोडिया में बढ़ते चीनी निवेश पर भी चिंता व्यक्त की गई है।
- सिहानोकविले बंदरगाह (Sihanoukville port) शहर को राजधानी नोम पेन्ह से जोड़ने वाला 187 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेसवे 2 बिलियन डॉलर के चीनी निवेश से बनाया गया है जो अब चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (China’s Belt and Road Initiative (BRI)) का एक हिस्सा है।
- वर्तमान में भारत, कंबोडिया के सिएम रीप (Siem Reap) शहर में अंगकोर वाट मंदिर में 12वीं शताब्दी के स्थलों के जीर्णोद्धार में शामिल है।
- भारत यहाँ पर तकनीकी प्रशिक्षण, आजीविका समर्थन और स्थानीय उद्यमिता का समर्थन करने में भी लगा हुआ है।
- हालांकि, स्थानीय लोगों का मानना है कि भारत को कंबोडिया के भीतर लोकतंत्र को बढ़ावा देने में मदद करनी चाहिए क्योंकि लोकतांत्रिक स्वतंत्रता के बिना, विकास की पहल लोगों तक पहुंचने में विफल रहती है।
4. चक्रवात फ्रेडी (Cyclone Freddy):
- चक्रवात फ्रेडी फरवरी में अपनी पहली टक्कर के बाद दक्षिणी अफ्रीका की ओर लौटने के क्रम में मलावी और मोजाम्बिक में शक्तिशाली हवाओं और मूसलाधार बारिश का कारण बन गया है।
- नासा के अनुसार, चक्रवात फ्रेडी ने इतिहास में किसी भी दक्षिणी गोलार्ध के तूफान की तुलना में सबसे अधिक संचित चक्रवात ऊर्जा (ACE) होने का रिकॉर्ड बनाया है।
- संचित चक्रवात ऊर्जा (ACE) एक सूचकांक है जिसका उपयोग उष्णकटिबंधीय चक्रवात से उसके जीवनकाल में जुड़ी पवन ऊर्जा की कुल मात्रा को मापने के लिए किया जाता है।
- फ्रेडी के सबसे लंबे समय तक चलने वाला तूफान बनने की संभावना है और इसने पूर्वोत्तर जिम्बाब्वे, दक्षिण पूर्व जाम्बिया, मलावी और मोजाम्बिक के बड़े क्षेत्रों को प्रभावित किया है।
- विश्व स्तर पर बढ़ते समुद्री स्तर ने उष्णकटिबंधीय चक्रवातों से जुड़े उच्च चरम समुद्री स्तरों में योगदान दिया है और विशेषज्ञ भविष्यवाणी कर रहे हैं कि आने वाले दिनों में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों से जुड़ी औसत तीव्रता, तूफान की तीव्रता और वर्षा की दर में वृद्धि होगी।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. “ड्रैगन फ्रूट” या कमलम के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कितने सत्य हैं? (स्तर – कठिन)
- यह थाईलैंड और मलेशिया जैसे दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का मूल फल है।
- यह एक बारहमासी कैक्टस प्रजाति है।
- भारत इस फल का उत्पादन नहीं करता है, और यह पूरी तरह से दक्षिण पूर्व एशिया से आयात किया जाता है।
विकल्प:
- केवल एक कथन
- केवल दो कथन
- सभी तीनों कथन
- उपर्युक्त कथनों में से कोई नहीं
उत्तर: a
व्याख्या:
- कथन 1 गलत है: ड्रैगन फ्रूट मैक्सिको के रेगिस्तान, मध्य अमेरिका और दक्षिण अमेरिका के देशों का मूल फल है।
- यह पौधा दक्षिण पूर्व एशिया के अन्य देशों जैसे वियतनाम, मलेशिया, थाईलैंड में भी उगाया जाता है।
- कथन 2 सही है: ड्रैगन फ्रूट अवरोही, तेजी से बढ़ने वाली बारहमासी बेल कैक्टस प्रजाति है।
- कथन 3 गलत है: भारत में ड्रैगन फ्रूट का उत्पादन 1990 के दशक की शुरुआत में शुरू हुआ और यह भारत के फल किसानों की पसंदीदा फसल के रूप में लोकप्रियता हासिल कर रहा है।
प्रश्न 2. “नगर वन योजना” के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन-से सत्य हैं? (स्तर – मध्यम)
- इसे आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
- यह “नगर वन” और “नगर वाटिका” के विकास के लिए CAMPA कोष का उपयोग करता है।
- इसकी न केवल शहरी, बल्कि अर्ध-शहरी क्षेत्रों में भी हरित आवरण को बढ़ाने की योजना है।
विकल्प:
- 1 और 2
- 2 और 3
- 1 और 3
- 1, 2 और 3
उत्तर: b
व्याख्या:
- कथन 1 गलत है: नगर वन योजना पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) द्वारा लागू की गई है।
- कथन 2 सही है: योजना “नगर वन” और “नगर वाटिका” के विकास के लिए प्रतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन और योजना प्राधिकरण (CAMPA) के तहत राष्ट्रीय कोषों का उपयोग करती है।
- कथन 3 सही है: योजना के प्रमुख उद्देश्य शहरवासियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार के अलावा वनों और हरित आवरण के बाहर वृक्षों की संख्या में वृद्धि, जैव विविधता में वृद्धि तथा शहरी और उप-शहरी क्षेत्रों में पारिस्थितिक लाभों को बढ़ाना है।
प्रश्न 3. निम्नलिखित में से कौन से देश मलक्का जलडमरूमध्य के बेसिन में शामिल हैं? (स्तर – सरल)
- मलेशिया
- इंडोनेशिया
- ब्रुनेई
- सिंगापुर
- थाईलैंड
विकल्प:
- 1, 2 और 4
- 2, 3, 4 और 5
- 1, 2, 4 और 5
- 1, 2, 3, 4 और 5
उत्तर: c
व्याख्या:
चित्र स्रोत: IILSS – INTERNATIONAL INSTITUTE FOR LAW OF THE SEA STUDIES
प्रश्न 4. सही कथनों की पहचान कीजिए: (स्तर – मध्यम)
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण भारत सरकार की ओर से घरेलू और विदेशी दोनों विरासत स्थलों की मरम्मत में भाग लेता है।
- जल विरासत स्थलों को ASI द्वारा प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के तहत घोषित किया गया है।
विकल्प:
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1, न ही 2
उत्तर: a
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) एक भारतीय सरकारी एजेंसी है जो पुरातात्विक अनुसंधान और देश में सांस्कृतिक ऐतिहासिक स्मारकों के संरक्षण और परिरक्षण के लिए जिम्मेदार है।
- ASI भारत सरकार की ओर से विदेशी विरासत स्थलों की मरम्मत में भी भाग लेता है।
- कथन 2 गलत है: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा एक स्थल को “जल विरासत स्थल” के रूप में घोषित करने के लिए प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के तहत कोई प्रावधान नहीं है।
- जल शक्ति मंत्रालय ने भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्षों के संदर्भ में 75 जल विरासत संरचनाओं (WHS) की पहचान करने के लिए एक समिति का गठन किया था।
प्रश्न 5. संचार प्रौद्योगिकियों के संदर्भ में, LTE (लॉन्ग-टर्म इवॉल्यूशन) और VoLTE (वॉइस ओवर लॉन्ग-टर्म इवॉल्यूशन) के बीच क्या अंतर है/हैं? PYQ 2020 (स्तर – सरल)
- LTE को साधारणतः 3G के रूप में विपणित किया जाता है तथा VoLTE को साधारणतः उन्नत 3G के रूप में विपणित किया जाता है।
- LTE डेटा-ओन्लि तकनीक है और VoLTE वॉइस-ओन्लि तकनीक है।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिएः
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1, न ही 2
उत्तर: d
व्याख्या:
- कथन 1 गलत है: LTE का मतलब लॉन्ग-टर्म इवॉल्यूशन है। यह हाई-स्पीड डेटा कम्युनिकेशन सिस्टम के लिए एक मॉडल है, जिसे 4G भी कहा जाता है।
- VoLTE का मतलब वॉयस ओवर लॉन्ग-टर्म इवॉल्यूशन है और LTE के समान, इसमें 4G नेटवर्क भी हैं जो हाई-स्पीड इंटरनेट सेवाएं प्रदान करने में मदद करता है।
- कथन 2 गलत है: LTE डेटा ओन्लि तकनीक है लेकिन VoLTE डेटा और वॉइस तकनीक दोनों है।
- मूल रूप से VoLTE सिस्टम वॉइस को डेटा स्ट्रीम में परिवर्तित करता है, जिसे फिर डेटा कनेक्शन का उपयोग करके प्रसारित किया जाता है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. सऊदी-ईरान संबंधों में सुधार न केवल इस क्षेत्र के लिए बल्कि भारत के लिए भी शुभ संकेत है। क्या आप इससे सहमत हैं? अपने उत्तर का औचित्य साबित कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द) [जीएस-2, अंतर्राष्ट्रीय संबंध]
प्रश्न 2. अतिचालकता क्या है? समाज में इसके कुछ अनुप्रयोग क्या हैं? (15 अंक, 250 शब्द) [जीएस-3, विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी]