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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 23 September, 2022 UPSC CNA in Hindi

23 सितंबर 2022 : समाचार विश्लेषण

A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:

  1. किर्गिस्तान-ताजिकिस्तान संघर्ष:

C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

आंतरिक सुरक्षा:

  1. आंध्र-ओडिशा सीमा में माओवादी आंदोलन:

D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E.सम्पादकीय:

शासन:

  1. जनगणना कोई भेड़ों की गिनती नहीं:

राजव्यवस्था:

  1. क्या चुनाव आयोग को पार्टी के आतंरिक चुनावों पर जोर देना चाहिए?:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. राष्ट्रीय खिलौना कार्य योजना:
  2. गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम, 1967 (UAPA):

G.महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. कार्बन डेटिंग (Carbon Dating):

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

किर्गिस्तान-ताजिकिस्तान संघर्ष:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: भारत के हितों पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव

मुख्य परीक्षा: मध्य एशियाई देशों का महत्व।

संदर्भ:

  • हाल ही में किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान के बीच हिंसक सीमा संघर्ष ने सैकड़ों लोगों की जान ले ली और इसमें हजारों घायल हो गए हैं। रूस की मध्यस्थता के जरिए इनके बीच संघर्ष विराम हुआ है।

पृष्ठ्भूमि:

  • गौरतलब है कि किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान 1,000 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं, जिसका एक बड़ा हिस्सा विवादित है।
  • ऐतिहासिक तौर पर किर्गिज़ और ताजिक आबादी को प्राकृतिक संसाधनों पर समान अधिकार प्राप्त थे लेकिन अतीत में भी जल और भूमि संसाधनों के बंटवारे को लेकर दोनों देशों के बीच संघर्ष हुए है ।
  • दोनों प्रक्षेपवक्र और प्रवाह के साथ कई जल चैनल साझा करते हैं,जिसने दोनों देशों में पानी की समान पहुंच को बाधित किया हैं,जिसके परिणामस्वरूप सिंचाई सीजन के दौरान हर साल दोनों देशों के बीच छोटे-मोटे संघर्ष होते रहते हैं।
  • एक साझा ऐतिहासिक इतिहास होने के बावजूद, दोनों देशों की आंतरिक गतिशीलता स्वतंत्र राज्य बनने के बाद से बहुत अलग हो गई है। उनकी इस अस्थिरता को आंतरिक जातीय संघर्ष और वैश्विक चुनौतियों से जोड़ा जा सकता है।
  • वर्ष 2021 में इस तरह के संघर्ष में लगभग 50 लोग मारे गए थे।

Image Source: The Economist

संघर्ष जारी :

  • वोरुख का क्षेत्र दोनों देशों के दावों और पानी तक पहुंच के कारण झगड़े का एक मुख्य कारण है। यह किर्गिस्तान से घिरा एक बहिःक्षेत्र (EXCLAVE) है जो सुगद क्षेत्र के इस्फ़ारा शहर का हिस्सा है।
  • विदेशी अन्तःक्षेत्र (Enclave) की सीमा का स्थान ताजिक और किर्गिज़ सरकारों द्वारा विवादित है।
  • फ़रगना घाटी संघर्ष और लगातार हिंसक विस्फोटों का स्थल बना हुआ है, जिसमें मुख्य रूप से ताजिक, किर्गिज़ और उज़बेक शामिल हैं। इनकी ऐतिहासिक रूप से सामाजिक विशिष्टताएं, आर्थिक गतिविधियां और धार्मिक प्रथाएं एक जैसी थी।
  • किर्गिस्तान के बाटकेन क्षेत्र के करीब 1,50,000 लोग या तो इस क्षेत्र से भाग गए हैं या राज्य द्वारा उन्हें स्थानांतरित कर दिया गया है।

संघर्ष के कारण:

  • असहमति का एक महत्वपूर्ण बिंदु जो ‘मानचित्र’ पर अंकित है उसका उपयोग सीमांकन उद्देश्यों के लिए किया जाना चाहिए।
  • अपने-अपने देशों की आंतरिक गतिशीलता को स्थिर करने और अपने अधिकार को वैध बनाने के प्रयास में एक विशिष्ट प्रकार की विकास परियोजना की कल्पना करके, दोनों देशों के नेताओं ने किसी तरह से संघर्ष को लम्बा खींचने में योगदान दिया है।
  • यह “विकास परियोजना” सोवियत संघ के आधुनिकीकरण के दृष्टिकोण से तुलनीय है,जिसके कारण खानाबदोश आबादी का व्यापक निष्कासन हुआ और अंततः चल रहे संघर्ष के लिए “पर्यावरण चालक” के रूप में कार्य किया। (पर्यावरण चालक-वह परिवेश या परिस्थितियाँ जिसमें कोई व्यक्ति, जानवर या पौधा रहता है या संचालित होता है।)
  • संघर्ष के पर्यावरणीय प्रक्षेपवक्र को घटनाओं द्वारा और उजागर किया जा सकता है,जिसमें दोनों पक्षों के समूहों ने विवादित क्षेत्रों में पेड़ लगाए और उसके बाद दोनों को कृषि उपकरणों को हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हुए एक टकराव में लिप्त देखा गया।
  • सोवियत संघ के विघटन के कारण तत्कालीन मौजूदा जल और भूमि समझौते भंग हो गए, जिससे कई छोटे स्वतंत्र खेतों का निर्माण हुआ, जिससे किसानों के बीच पानी की खपत में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।
  • अत्यधिक सैन्यीकृत सीमाएँ भी तनाव को बढ़ाती हैं।

भावी कदम:

  • संघर्ष को ख़त्म करने के लिए दोनों देशों को साझा मानचित्र पर सहमत होना आवश्यक हैं।
  • बड़ी शक्तियों को ऐतिहासिक विवादों को निपटाने के लिए मध्यस्थ बन कर अंतर्राष्ट्रीय स्तर के असहमति वाले मुद्दों को हल करने के लिए कदम उठाने होंगे।
  • भू-राजनीतिक स्थिरता के लिए व्यक्तिगत राष्ट्रों को अनौपचारिक लघु-स्तरीय शासन प्रणालियों को आगे बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता है।

सारांश:

  • मध्य एशियाई क्षेत्र में चल रहे संघर्ष का वैचारिक आधार विकासात्मक मुद्दों से पुष्ट होता है।यह क्षेत्र जो अपने भूगोल के कारण महत्वपूर्ण राजनीतिक और आर्थिक परिवर्तनों के केंद्र में रहा है, अब 21 वीं सदी में, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के कार्यान्वयन, भारत की कनेक्ट सेंट्रल एशिया नीति, और यूरोपीय संघ की नई केंद्रीय एशिया रणनीति के कारण और भी महत्वपूर्ण हो जाएगा।
  • भारत के लिए मध्य एशिया के सामरिक महत्व के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:Strategic importance of Central Asia to India

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

आंध्र-ओडिशा सीमा में माओवादी आंदोलन:

आंतरिक सुरक्षा:

विषय: वामपंथी उग्रवाद।

मुख्य परीक्षा: एलडब्ल्यूई से निपटने के लिए सरकार की पहल।

संदर्भ:

  • हाल ही में, प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) की आंध्र-ओडिशा सीमा विशेष क्षेत्रीय समिति ( Andhra-Odisha Border Special Zonal Committee (AOBSZC) ) ने एक पत्र जारी कर आदिवासी लोगों से आंदोलन में शामिल होने और इसे पुनर्जीवित करने का आग्रह किया है।

परिचय:

  • आंध्र प्रदेश और ओडिशा क्षेत्र में संवर्ग और लड़ाकुओं की कमी के कारण माओवादी आंदोलन ख़त्म होने के कगार पर है।
  • भाकपा (Maoist-माओवादी) के 18वें स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर प्रकाशित पत्र में यह स्पष्ट है कि भाकपा आंदोलन जिंदा रखने के लिए कितनी बेताब है।
  • हाल की घटनाएं एक बड़े नेतृत्व संकट को दर्शाती हैं,चूंकि लगभग सभी शीर्ष नेता छत्तीसगढ़ भाग गए हैं।

आंध्र-ओडिशा सीमा क्षेत्र में वामपंथी उग्रवाद (Left Wing Extremism (LWE)):

  • वामपंथी उग्रवाद, जिसे नक्सलवाद और माओवाद जैसे कई अन्य नामों से भी जाना जाता है, वामपंथी विचारधाराओं से प्रेरित राज्य के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह का एक रूप है।
  • वामपंथी चरमपंथियों को विश्व स्तर पर माओवादी और भारत में नक्सली के रूप में भी जाना जाता है।
  • भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) पीपुल्स वॉर या पीपुल्स वॉर ग्रुप (People’s War Group (PWG)) से संबंधित माओवादियों ने 1980 के दशक के मध्य में आंध्र-ओडिशा सीमा क्षेत्र में प्रवेश किया था।
  • वर्ष 2004 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) पीपुल्स वॉर और माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर ऑफ इंडिया (एमसीसीआई) का विलय से सीपीआई (माओवादी) बनी जिसने इस क्षेत्र में आंदोलन को मजबूत किया।
  • पार्टी की संयुक्त सैन्य शक्ति रातोंरात 7,000 से अधिक सशस्त्र सदस्यों तक बढ़ गई हैं।
  • इन हथियारों के भंडार में कई उन्नत हथियारों के साथ 6,500 से अधिक हथियार हैं।
  • इसने इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (improvised explosive devices (IED)) के निर्माण और प्रभावी ढंग से उपयोग करने से इसकी ताकत और विशेषज्ञता में वृद्धि हुई हैं।

नक्सल विरोधी ताकतों की सफलता :

  • कई शीर्ष नेता या तो मुठभेड़ों में मारे गए हैं या आत्मसमर्पण कर चुके हैं या केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) बटालियनों और आंध्र प्रदेश एवं ओडिशा के विशिष्ट नक्सल विरोधी बलों जैसे ‘ग्रेहाउंड्स’ (‘Greyhounds’.) जैसे प्रमुख अभियानों में गिरफ्तार किए गए हैं।
  • इन ऑपरेशनों ने नक्सली आंदोलन की ताकत को कम कर दिया है।
  • माओवादियों के संचार नेटवर्क की बढ़ी हुई पुलिस निगरानी ने वीएचएफ उपकरण और सेल फोन के प्रयोग को माओवादियों के लिए मुश्किल बना दिया है।माओवादियों के लिए सबसे बड़ा झटका उनके संचार नेटवर्क पर पुलिस द्वारा कड़ी निगरानी रखना है।जिसके चलते वे मोबाइल फोन और वीएचएफ सेट का उपयोग करने में असमर्थ हैं।
  • सामरिक नक्सल विरोधी अभियानों को अंजाम देने के अलावा,राज्य के दूर-दराज के क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों का विश्वास अर्जित करने के लिए सुरक्षाकर्मी लगातार आउटरीच कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं। इसने कैडरों की नई भर्ती की है और उन्हें एक कठिन कार्य के लिए प्रशिक्षित किया है।
  • उदार समर्पण और पुनर्वास नीति, जिसमें वित्तीय सहायता, माओवादियों को कौशल विकास प्रशिक्षण और घर प्रदान करना शामिल है, भी उग्रवादियों को हथियार डालने और मुख्यधारा में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।

सारांश:

  • आंध्र प्रदेश और ओडिशा क्षेत्र में माओवादी आंदोलन का पतन जारी है। इस क्षेत्र में वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ एक सफल लड़ाई मुख्य रूप से मजबूत खुफिया व्यवस्था और जमीनी अभियानों के कारण है। इनके साथ ही, प्रभावित क्षेत्रों में पर्याप्त और त्वरित विकास माओवादियों को महत्वहीन बना देगा।
  • वामपंथी उग्रवाद पर अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:Left Wing Extremism

संपादकीय-द हिन्दू

सम्पादकीय:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित:

शासन:

जनगणना कोई भेड़ों की गिनती नहीं:

विषय: शासन के महत्वपूर्ण पहलू।

प्रारंभिक परीक्षा: भारत में जनगणना से संबंधित नागरिकों का राष्ट्रीय रजिस्टर, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर तथा सामाजिक-आर्थिक एवं जातिगत जनगणना।

मुख्य परीक्षा: जनगणना कार्यक्रम का महत्व तथा संबंधित चिंताएँ।

संदर्भ:

  • इस लेख में जनगणना कार्यक्रम शुरू करने के महत्व के सन्दर्भ में चर्चा की गई है।

भारत में जनगणना:

  • भारत में पहली जनगणना 1872 में सम्पूर्ण देश में गैर-समसमायिक तरीके से की गई थी।
  • भारत ने विभिन्न रोगों के प्रकोपों, विश्व युद्धों, विभाजन के मुद्दों तथा अन्य चुनौतीयों के बावजूद, 1881 से 2011 तक नियमित रूप से दशकीय जनगणनाएं की हैं।
  • हालाँकि, 2021 की जनगणना को COVID-19 महामारी के कारण स्थगित कर दिया गया है।

जनगणना का महत्व:

  • जनगणना कार्यक्रम देश या उसकी आबादी के बारे में झूठे आख्यानों या धारणाओं को खारिज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं।
    • 1850 से 1860 के दशक के दौरान, यू.एस. में गुलामी-विरोधी प्रचारकों ने गुलामी का समर्थन करने वाले राजनेताओं द्वारा के झूठे आख्यानों के खिलाफ यह साबित करने के लिए कि ग़ुलाम लोगों की संख्या में वृद्धि हुई है, जनगणना के आंकड़ों का इस्तेमाल किया।
    • जनगणना के कारण भारत में धर्म के एक विशेष अनुयायीयों की उच्च प्रजनन दर के संबंध में एक व्यापक धारणा को जनसंख्या विस्फोट के रूप में इंगित किया जा सका।
      • हालांकि, जनगणना के आंकड़ोंसे यह स्पष्टहुआ है कि कुल प्रजनन दर (TFR) तेजी से घटी है तथा TFR में भिन्नता विभिन्न क्षेत्रों एवं सामाजिक-आर्थिक संकेतकों के कारण थी, न कि धर्म या जाति के कारण।
    • 2011 की जनगणना के कारण शहरों और ग्रामीण भारत में तलाक की दरों में भिन्नता की धारणा को खारिज करने में भी मदद मिली है।
      • शहरी तलाक दर (0.89%) जबकि ग्रामीण दर (0.82%) के बराबर है।
  • जनगणना कार्यक्रम राज्य को देश के प्रत्येक व्यक्ति से जुड़ने तथा उनके दैनिक जीवन के मौजूदा मुद्दों को जानने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता हैं।
  • जनगणना में उम्र, लिंग, आर्थिक स्थिति, धर्म और बोली जाने वाली भाषाओं के संबंध में एकत्र की गई प्रमुख जानकारियाँ योजना निर्माण, विभिन्न समस्याओं को दूर करने और मौजूदा कमियों को हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • जनगणना देश का संपूर्ण डेटा है जिसे खुले तौर पर, स्वेच्छा से और सार्वजनिक धन के उपयोग से एकत्र किया जाता है, क्योकि यह सामाज के लिए उपयोगी होता है।
  • भारत में जनगणना ने समय-समय पर बड़ी संख्या में सरकार को विश्वसनीय जानकारीयों की सुविधा प्रदान की है जो देश को व्यवस्थित, अंतर-समसामयिक तुलना करने में सक्षम बनाता है।
  • इसके अलावा, 1961 और 1971 की जनगणनाओं के बीच भारत में लिंग अनुपात में भारी गिरावट जैसे महत्वपूर्ण संकेतकों पर डेटा ने विभिन्न पूर्व और प्रसवोत्तर कारकों की पहचान करने में मदद की, जो “पुत्र पूर्वाग्रह” से ग्रसित थे, जिसके कारण कन्या भ्रूण हत्याएं हुई।

चिंता का कारण:

  • COVID महामारी के बहाने जनगणना कार्यक्रम को स्थगित करने की काफी हद तक आलोचना की गई क्योंकि सरकार ने उसी समय बड़ी संख्या में चुनावी रैलियोंकी इजाजत दी थी।
  • कोरोनावायरस महामारी फैलने से पहले ही जनगणना कार्यक्रम का राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर/पंजी (NRC) के कारण विरोध हो रहा था।
    • इसके अलावा, यदि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) की तैयारी के साथ-साथ जनगणना की जाती है तो इससे अधिक चुनौतियां और बाधाएं उत्पन्न होंगी, NPR देश के सभी नागरिकों का एकीकृत रजिस्टर होगा, जिसमें नागरिक और गैर-नागरिक दोनों शामिल होंगे।
    • इसके अलावा, भारत में 1931 में जाति जनगणना तथा 2011 में, एक सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना (SECC) आयोजित की गई थी, लेकिन कई कारणों से जाति के आंकड़े प्रकाशित नहीं किए गए थे।
  • जनगणना क्रियान्वयन में देरी शिथिलता, अक्षमताओं एवं सच्चाई तथा तथ्यों को समझने की इच्छा की कमी को इंगित करता है।
  • विशेषज्ञ यह भी बताते हैं कि जनगणना को स्थगित करने के साथ-साथ नागरिकों के डेटा को माइन करने के लिए सरकार द्वारा विभिन्न उपायों के साथ-साथ मतदाता सूची को आधार से जोड़ने का प्रयास, आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) नियम, 2022 की शुरूआत तथा व्यक्तिगत डेटा प्रोटेक्शन बिल 2019 को वापस लेना आदि शामिल है।

सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना (SECC) के बारे में अधिक जानकारी के लिए पढ़ें-

सारांश:

  • भारत जिसे सबसे बड़ा लोकतंत्र माना जाता है, वहाँ जनगणना कार्यक्रम एक ऐसे मंच के रूप में कार्य करता है जिसके माध्यम से सरकार देश के नागरिकों से जुड़ सकती है, इसलिए जनगणना कार्यक्रम कोई भेड़ों की गिनती नहीं बल्कि देश कि उच्च प्राथमिकता है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित:

राज्यव्यवस्था:

क्या चुनाव आयोग को पार्टी के आतंरिक चुनावों पर जोर देना चाहिए?:

विषय: विभिन्न संवैधानिक निकायों की शक्तियाँ, कार्य और दायित्व।

प्रारंभिक परीक्षा: भारत में राजनीतिक दलों तथा भारत के चुनाव आयोग के संबंध

मुख्य परीक्षा: पार्टी में लोकतंत्र को लागू करने में अंतर-पार्टी चुनावों की भूमिका और आंतरिक-पार्टी लोकतंत्र में सुधार के लिए विभिन्न सिफारिशें।

संदर्भ:

  • कांग्रेस पार्टी में पार्टी अध्यक्ष पद के लिए चुनाव की तैयारी हो रही है।
  • युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (YSRCP) ने जुलाई 2022 में आंध्र प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री को पार्टी के अध्यक्ष के रूप में चुना, लेकिन भारत के चुनाव आयोग (ECI) ने “स्थायी अध्यक्ष” के इस विचार को लोकतंत्र विरोधी बताते हुए खारिज कर दिया।

भारत में राजनीतिक दल:

  • यह जानते हुए कि भारत के संविधान में कहीं भी “राजनीतिक दल” शब्द का उल्लेख या वर्णन नहीं किया गया है, के बावजूद भी देश का लोकतंत्र पार्टी के नेतृत्व वाला लोकतंत्र है या राजनीतिक दलों पर आधारित लोकतंत्र है।
  • एक “राजनीतिक दल” की परिभाषा को पहली बार संविधान में केवल 1985 में अपघटन विरोधी कानून Anti-defection Law) के माध्यम से पेश किया गया था।
  • भारतीय राजनीतिक दल विभिन्न प्रकार के हैं:
    • कुछ पार्टियों का संगठन कैडर-आधारित होता हैं जो एक वैचारिक लक्ष्य या सिद्धांतों पर आधारित होता हैं
    • जबकि कुछ अलग-अलग राय वाले व्यक्तियों का अव्यवस्थित संगठन होता हैं, लेकिन वे संघ के भीतर एक कोर आदर्श के अनुसार काम करते हैं।
    • कुछ अन्य अभी भी सामाजिक या क्षेत्रीय दरारों को प्रतिबिंबित करते हैं।
  • इसके अलावा, भारत में सभी नियम और विनियम राजनीतिक दलों की तुलना में उम्मीदवारों पर अधिक लागू होते हैं।

भारत में राजनीतिक दलों (Political Parties in India) के बारे में अधिक जानकारी के लिए पढ़े:

पार्टी में आंतरिक चुनावों की आवश्यकता:

  • एक संघीय और बहु-पक्षीय प्रणाली में भारत की राजनीति के बढ़े हुए विखंडन का कारण यह है कि अक्सर कुछ करिश्माई व्यक्तियों या उनके परिवारों द्वारा दलों का नेतृत्व किया जाता रहा है, क्योंकि वे पार्टी के वित्तपोषण संरचनाओं को प्रभावित करने वाले होते हैं। इसलिए आंतरिक पार्टी चुनाव आवश्यक हो जाते है।
  • राजनीतिक दलों में आंतरिक चुनावों को मजबूत व्यक्तियों या राजनीतिक परिवारों द्वारा नियंत्रित होने की जगह गतिशीलता की कुंजी माना जाता है।
  • लोकतांत्रिक देशों में, लोकतंत्र के आदर्शों को हर स्तर पर परिलक्षित किया जाना चाहिए और राजनीतिक दलों जो लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, को भी अपने पदों के लिए औपचारिक और आवधिक चुनावों के माध्यम से लोकतांत्रिक तरीके से काम करना चाहिए।
  • जैसा कि भारत में अधिकांश राजनीतिक दलों में विचारों और नेतृत्व के संबंध में समरूपता की कमी है, आंतरिक चुनाव, बैठकों और विचारों का अदान-प्रदान पार्टी के सदस्यों के बीच आम सहमति बनाने के लिए अधिक महत्वपूर्ण है।

क्या चुनाव आयोग द्वारा आंतरिक चुनावों को अनिवार्य किया जा सकता है?

  • विभिन्न वाद, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (RP अधिनियम) की धारा 29 A में से कोई भी प्रावधान ECI को पार्टी की आंतरिक संरचनाओं, संगठनों या चुनावों को विनियमित करने की शक्ति प्रदान नहीं करता है।
  • कोई कानून या कोई वैधानिक शक्ति नहीं होने के बावजूद, चुनाव आयोग ने पार्टियों को चुनाव कराने के लिए राजी करने तथा उनके नेतृत्व का नवीनीकरण सुनिश्चित करने के लिए RP अधिनियम की धारा 29 A के तहत पार्टियों के पंजीकरण के लिए जारी दिशा-निर्देशों का लगातार उपयोग किया है।
  • चुनाव आयोग ने अतीत में कार्यकारी आदेशों के माध्यम से राजनीतिक दलों के भीतर संगठनात्मक चुनाव कराने का आदेश दिया है।
  • हालांकि, चुनाव आयोग पार्टियों द्वारा अपनाए गए चुनाव के परिणाम या प्रक्रिया पर सवाल नहीं उठाता है। यह सिर्फ राजनीतिक दलों से अपने पार्टी संविधान का पालन करने की अपेक्षा करता है, जिसकी एक प्रति पार्टियों के पंजीकृत होने पर ECI को प्रस्तुत की जाती है।
  • पंजीकृत राजनीतिक दलों को अपने नेतृत्व में बदलाव के बारे में ECI को सूचित करना अनिवार्य है तथा चुनाव के दौरान एवं गैर-चुनाव अवधि में किए गए खर्च के बारे में एक दस्तावेज भी जमा करना होता है। हालांकि, अनुपालन न करने पर कार्रवाई का कोई प्रावधान नहीं है।

आंतरिक-पार्टी लोकतंत्र और राजनीतिक दलों के बेहतर कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए सिफारिशें:

  • नए कानूनों को बनाने के बजाय, मौजूदा कानूनों की नवीनता और पुनर्व्याख्या की आवश्यकता है जो ECI को आंतरिक-पार्टी लोकतंत्र को लागू करने के लिए अधिक शक्ति प्रदान करेंगे।
  • साथ ही, चुनाव आयोग को राजनीतिक दलों को विनियमित करने हेतु नवीन तरीकों को अपनाना चाहिए।
  • कुछ व्यक्तियों को निर्विरोध निर्वाचित करने की मनमानी को रोकने के प्रयास करने होंगे क्योंकि सर्वसम्मति से निर्वाचित होना भी एक वैध चुनाव माना जाता है।
  • इसके अलावा, 1999 में, विधि आयोग की रिपोर्ट ने सिफारिश की कि सरकार को राजनीतिक दलों के राज्य के वित्त पोषण पर विचार करना चाहिए क्योंकि ये राजनीतिक दल वर्तमान में कॉरपोरेट्स या निजी व्यक्तियों से धन प्राप्त करते हैं, जो ज्यादातर अवसरवादी होते हैं।

सारांश:

  • भारत में अधिकांश राजनीतिक दल अपनी आंतरिक संरचनाओं और संगठनों की केंद्रीकृत प्रकृति के कारण अपने पार्टी के संवैधानिक मानदंडों का पालन करने में विफल रहे हैं। इसे लोकतंत्र के कामकाज के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती माना जा रहा है। इसलिए आंतरिक-पार्टी चुनावों को लागू करने की आवश्यकता है जो राजनीतिक दलों के भीतर अधिक जवाबदेही लोकतंत्र सुनिश्चित कर सके।

प्रीलिम्स तथ्य:

1. राष्ट्रीय खिलौना कार्य योजना:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था:

विषय: स्वदेशी खिलौनों का निर्माण एवं इसका महत्व।

प्रारंभिक परीक्षा: रोजगार सृजन हेतु सरकार द्वारा की गई पहल।

संदर्भ:

  • केंद्र सरकार ने हाल ही में स्वदेशी खिलौनों का एक राज्य-वार राष्ट्रीय भंडार संकलित किया है और इसे अपने विशेष पोषण अभियान के हिस्से के रूप में सभी राज्यों के साथ साझा किया है।

पृष्ठ्भूमि:

  • वर्ष 2020 में, प्रधानमंत्री मोदी ने एक बच्चे की सोच को आकार देने के लिए खिलौनों के महत्व पर जोर दिया और स्वदेशी खिलौनों के निर्माण को बढ़ाने के लिए कई तरह के सुझाव दिए।
  • उन्होंने बच्चों के सर्वांगीण विकास और संवृद्धि के लिए सभी आंगनवाड़ी केंद्रों और स्कूलों में खिलौनों को एक शैक्षणिक उपकरण के रूप में उपयोग करने की सिफारिश की थी।
  • उन्होंने प्रस्तावित किया था कि युवा लोगों को खिलौनों का डिजाइन विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए जो देश के लक्ष्यों और उपलब्धियों में गर्व की भावना को बढ़ावा दे सके।
  • साथ ही नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बड़े पैमाने पर खेल और गतिविधि-आधारित शिक्षा को शामिल किया गया है।
  • इस सम्बन्ध में केंद्र सरकार ने घरेलू खिलौना उद्योग को प्रतिस्पर्धी बनाने की दृष्टि से 15 मंत्रालयों को शामिल करके एक राष्ट्रीय खिलौना कार्य योजना तैयार की है।

कार्य योजना:

  • केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) शिक्षा से लेकर कपड़ा और रेलवे तक कई मंत्रालयों को शामिल कर एक व्यापक योजना पर काम कर रहा है।
  • कार्ययोजना के तहत स्कूली शिक्षा विभाग पढ़ाई के लिए खिलौनों के इस्तेमाल पर काम कर रहा है।
  • इन स्थानीय एवं स्वदेशी खिलौनों का उपयोग आंगनवाड़ी केंद्रों में जागरूकता पैदा करने और बच्चों व उनके परिवारों को स्वस्थ जीवन और अच्छी पोषण प्रथाओं के बारे में शिक्षित करने के लिए किया जा रहा है।

2. गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम, 1967 (UAPA):

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

शासन:

विषय:आंतरिक सुरक्षा की चुनौती से निपटने हेतु संस्थागत ढांचा।

प्रारंभिक परीक्षा: एनआईए (NIA), यूएपीए (UAPA)।

संदर्भ:

  • हाल ही में, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (National Investigation Agency) ने देश भर में 93 स्थानों पर छापेमारी की और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) संगठन से जुड़े लगभग 45 लोगों को गिरफ्तार किया हैं।

परिचय:

  • एनआईए और प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate (ED) (ED)) ने देश भर में कई स्थानों पर छापेमारी कर 20 सितंबर, 2022 के कोर्ट वारंट के आधार पर पीएफआई से जुड़े लगभग 45 लोगों को गिरफ्तार किया हैं।
  • एनआईए (NIA) ने दावा किया कि पीएफआई “मुस्लिम युवाओं को आईएसआईएस जैसे प्रतिबंधित संगठनों में भर्ती कर रहा है और पीएफआई पर अपने सदस्यों को आतंकी कृत्यों को अंजाम देने के लिए प्रशिक्षण प्रदान करने का भी आरोप है।
  • जून 2022 में, ईडी ने खाड़ी देशों में सुव्यवस्थित नेटवर्क के माध्यम से गुप्त रूप से धन जुटाने के लिए पीएफआई के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी।
  • इसने धन शोधन निवारण अधिनियम, 2022 (Prevention of Money Laundering) के तहत 68.62 लाख रुपये जब्त किए हैं।

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (Popular Front of India):

  • पीएफआई का गठन 2006 में राष्ट्रीय विकास मोर्चा (National Development Front (NDF)) के उत्तराधिकारी के रूप में हुआ था।
  • इसने केरल में राष्ट्रीय विकास मोर्चा, तमिलनाडु में मनिथा नीति पसराय, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और अन्य संगठनों के साथ विलय करके एक बहु-राज्य आयाम प्राप्त किया हैं।
  • स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (Students Islamic Movement of India (SIMI)) पर प्रतिबंध के बाद उभरे पीएफआई ने खुद को एक ऐसे संगठन के रूप में पेश किया है जो अल्पसंख्यकों, दलितों और हाशिए के समुदायों के अधिकारों के लिए लड़ता है।
  • पीएफआई ने खुद कभी चुनाव नहीं लड़ा है।
  • पीएफआई अपने सदस्यों का रिकॉर्ड नहीं रखता है जिससे गिरफ्तारी करने के बाद कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए संगठन के अपराधों को रोकना मुश्किल हो जाता है।
  • वर्ष 2009 में सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (Social Democratic Party of India (SDPI)) नामक एक राजनीतिक संगठन मुस्लिम, दलितों और अन्य हाशिए के समुदायों के राजनीतिक मुद्दों को उठाने के उद्देश्य से पीएफआई से निकला।
  • पीएफआई एसडीपीआई (Social Democratic Party of India (SDPI)) की राजनीतिक गतिविधियों के लिए जमीनी कार्यकर्ताओं को उपलब्ध करवाती है।
  • पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न राज्यों द्वारा पीएफआई और उसके नेताओं व सदस्यों के खिलाफ कई हिंसक कृत्यों में शामिल होने पर बड़ी संख्या में आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं।
  • गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Unlawful Activities (Prevention) Act

महत्वपूर्ण तथ्य:

1.कार्बन डेटिंग (Carbon Dating):

  • हाल ही में, वाराणसी जिला अदालत ने अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति को एक याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर के अंदर विवादित ढांचे की कार्बन-डेटिंग की मांग की गई थी।

कार्बन डेटिंग:

  • कार्बन डेटिंग 50,000 साल पुरानी जैविक वस्तुओं की डेटिंग के लिए विशिष्ट तरीकों में से एक है।
  • इस पद्धति को 1946 में अमेरिकी भौतिक विज्ञानी विलार्ड एफ. लिब्बी (Willard F. Libby) द्वारा विकसित किया गया था।
  • यह विधि हजारों वर्षों में कार्बन-14 समस्थानिकों के विकिरण क्षय की अवधारणा पर आधारित है।
  • रेडियोधर्मी अणु क्षयकारी परमाणुओं के परमाणु क्रमांक और द्रव्यमान के आधार पर एक विशिष्ट दर पर क्षय होते हैं।
  • इस स्थिरांक का उपयोग रेडियोधर्मी समस्थानिकों के अनुपात से जीव की मृत्यु के समय इन समस्थानिकों की अनुमानित प्रारंभिक सांद्रता के माध्यम से क्षय सामग्री की अनुमानित आयु निर्धारित करने के लिए किया जा सकता है।
  • वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला है कि वातावरण में कार्बन -12 और कार्बन -14 समस्थानिकों के अनुपात में बहुत कम परिवर्तन हुआ है, जिसका अर्थ है कि इन दोनों के बीच का संबंध बहुत कुछ वैसा ही होना चाहिए जैसा आज है।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – मध्यम)

  1. भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) की स्थापना भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण अधिनियम,1997 द्वारा की गई थी।
  2. ट्राई अधिनियम को 2000 में संशोधित किया गया था जिसके तहत ट्राई के न्यायिक और विवाद निपटान के लिए एक दूरसंचार विवाद निपटान और अपीलीय न्यायाधिकरण (टीडीसैट) की स्थापना की गई।
  3. ट्राई में एक अध्यक्ष, दो पूर्णकालिक सदस्य और दो अंशकालिक सदस्य होते हैं, जिनकी नियुक्ति भारत सरकार द्वारा की जाती है।

सही कथन का चयन कीजिए:

(a) केवल 2 और 3

(b) केवल 1

(c) केवल 1 और 3

(d) उपर्युक्त सभी

उत्तर: d

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: दूरसंचार सेवाओं को विनियमित करने के लिए, जिसमें दूरसंचार सेवाओं के लिए टैरिफ का निर्धारण/संशोधन आदि के लिए भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (Telecom Regulatory Authority of India (TRAI) ) की स्थापना 20 फरवरी, 1997 को संसद के एक अधिनियम द्वारा की गई थी, इसे भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण अधिनियम, 1997 कहा भी जाता है। पहले यह शक्तिया केंद्र सरकार के पास थीं।
  • कथन 2 सही है: ट्राई अधिनियम को 24 जनवरी 2000 से प्रभावी एक अध्यादेश द्वारा संशोधित किया गया था, जिसके तहत ट्राई के न्यायिक और विवाद निपटान के लिए एक दूरसंचार विवाद निपटान और अपीलीय न्यायाधिकरण (टीडीसैट) की स्थापना की गई।
  • कथन 3 सही है: ट्राई के संगठन में एक अध्यक्ष,दो पूर्णकालिक सदस्य और दो अंशकालिक सदस्य होते हैं, जिनकी नियुक्ति भारत सरकार द्वारा की जाती है।
  • सदस्यों को दूरसंचार, उद्योग, वित्त, लेखा, कानून, प्रबंधन और उपभोक्ता मामलों में विशेष ज्ञान या पेशेवर अनुभव होना चाहिए।
  • केवल उन वरिष्ठ या सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारियों को सदस्य के रूप में नियुक्त किया जा सकता है जिन्होंने केंद्र या राज्य सरकारों के सचिव / अतिरिक्त सचिव के रूप में कम से कम तीन साल तक सेवा/कार्य किया हो।

प्रश्न 2. भारत में ‘1098 हेल्पलाइन नंबर’ निम्नलिखित में से किससे संबंधित है? (स्तर – सरल)

(a) महिला अधिकार

(b) बच्चों की हेल्पलाइन

(c) अल्पसंख्यक कल्याण

(d) आदिवासी हेल्पलाइन

उत्तर: b

व्याख्या:

  • सहायक और सहायता की आवश्यकता वाले बच्चों के लिए ‘1098 हेल्पलाइन नंबर’ 24/7/365 निःशुल्क, आपातकालीन फोन सेवा है।
  • एक गैर सरकारी संगठन चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन (CHILDLINE India Foundation (CIF)) केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा समर्थित नोडल एजेंसी है जो पूरे देश में “चाइल्डलाइन 1098” सेवा की स्थापना, प्रबंधन और निगरानी के लिए जिम्मेदार है।

प्रश्न 3. निकाह हलाला के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – मध्यम)

  1. तीन तलाक को सुप्रीम कोर्ट द्वारा अवैध करार देने का बाद भारत में मुस्लिम महिलाओं का विवाह अधिकार संरक्षण नियम पारित हुआ लेकिन निकाह हलाला पर अभी भी चुप्पी है।
  2. कुरान एक आदमी को अपनी पत्नी को अधिकतम दो बार तलाक देने की अनुमति देता है।
  3. सऊदी अरब में जहां तलाक के मामले बढ़ रहे हैं, वहीं हलाला के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।

सही कथन का चयन कीजिए:

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 2 और 3

(c) केवल 1 और 3

(d) उपर्युक्त सभी

उत्तर: a

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: निकाह हलाला एक मुस्लिम पर्सनल लॉ है जिसमें एक महिला को अपने पहले पति के पास लौटने के लिए दूसरे पुरुष के साथ शादी करना और सोना जरुरी है।
  • मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 के तहत तीन तलाक को अवैध घोषित किया गया है। लेकिन अधिनियम तीन तलाक के परिणामस्वरूप होने वाले हलाला निकाह पर मौन है।
  • कथन 2 सही है: इस्लाम की पवित्र पुस्तक कुरान में विवाह, बच्चे के पालन-पोषण, तलाक, वैवाहिक दायित्वों, विवाहित जोड़ों के बीच सुलह और विरासत के मुद्दों से संबंधित कई छंद हैं। कुरान एक आदमी को अपनी पत्नी को अधिकतम दो बार तलाक देने की अनुमति देता है। इन दोनों हालातों में कम से कम एक मासिक धर्म चक्र का अंतर होना आवश्यक माना गया हैं।
  • कथन 03 गलत है: सऊदी अरब में, जहां तलाक बढ़ रहे हैं,वहीँ हलाला का कोई मामला सामने नहीं आया है। यूएई, कुवैत और यमन में भी इस प्रकार का कोई मामला सामने नहीं आया है।

प्रश्न 4. 1997 का विनीत नारायण मामला निम्नलिखित में से किससे संबंधित था? (स्तर – सरल)

(a) सीबीआई में सुधार।

(b) उच्च न्यायालयों की न्यायिक समीक्षा शक्तियों की पुनर्स्थापना।

(c) सरकार द्वारा शुरू किए गए EWS कोटा को समाप्त करना।

(d) भारत में हाथ से मैला ढोने पर प्रतिबंध।

उत्तर: a

व्याख्या:

  • विनीत नारायण बनाम भारत संघ मामले में 1997 के फैसले में जिसे जैन हवाला मामले के रूप में जाना जाता है, ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (Central Bureau of Investigation) में व्यापक बदलाव किए थे।
  • सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) को सीबीआई निदेशक का कार्यकाल दो साल और वैधानिक दर्जा तय करने का निर्देश दिया था।

प्रश्न 5. अप्रैल 2016 में निम्नलिखित में से किसने अपने नागरिकों के लिए ‘सामान्य डेटा संरक्षण अधिनियम’ नाम से डेटा संरक्षण और गोपनीयता पर एक कानून बनाया तथा 25 मई, 2018 से इसे लागू किया? (CSE प्रारंभिक परीक्षा-2019)(स्तर – मध्यम)

(a) ऑस्ट्रेलिया

(b) कनाडा

(c) यूरोपियन संघ

(d) संयुक्त राज्य अमेरिका

उत्तर: c

व्याख्या:

  • यूरोपीय संघ के कानून में सामान्य डेटा संरक्षण विनियमन यूरोपीय संघ और यूरोपीय आर्थिक क्षेत्र (European Economic Area (EEA)) के नागरिकों के लिए डेटा संरक्षण और गोपनीयता पर एक विनियमन है।
  • यह यूरोपीय संघ और ईईए क्षेत्रों के बाहर व्यक्तिगत डेटा के निर्यात को भी संबोधित करता है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

प्रश्न 1. भारत की राजनीतिक व्यवस्था में आंतरिक दलीय लोकतंत्र की आवश्यकता का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस-2; राजव्यवस्था)

प्रश्न 2. किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान के बीच हालिया झड़पों के पीछे क्या कारण हैं? इस क्षेत्र में भारत के हित क्या हैं? (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस-2; अंतर्राष्ट्रीय संबंध)