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उर्वरक सब्सिडी

रसायनों की वैश्विक दर में वृद्धि के साथ, केंद्र सरकार ने भारत की 2021-2022 उर्वरक सब्सिडी को 1.55 ट्रिलियन रुपए से अधिक करने की घोषणा की। यह राशि 31 मार्च को समाप्त हुए इस वित्तीय वर्ष के लिए उर्वरक सब्सिडी के बजट से लगभग दोगुनी है। रसायन और उर्वरक मंत्री ने उर्वरकों में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उर्वरक विभाग की पहल की सराहना की है। 

सरकार ने देश के 60% उर्वरक की मांग को पूरा करने के लिए वैकल्पिक उर्वरकों को शामिल करने की योजना बनाई है। वैकल्पिक उर्वरकों का उपयोग करने की पहल को बाजार विकास सहायता (Market Development Assistance) नीति का समर्थित प्राप्त है। एमडीए नीति के विस्तार में बायोगैस, हरी खाद, खाद, घोल आदि जैसे जैविक कचरे को शामिल करने की मांग की गई थी। इस प्रकार, एमडीए की यह नीति स्वच्छ भारत अभियान के लिए भी सहायक होगी। 

आईएएस प्रारंभिक परीक्षा के पेपर में उर्वरक सब्सिडी से संबंधित प्रश्न पूछे जाने की प्रबल संभावना है। इसलिए, उम्मीदवारों को इससे संबंधित तथ्यों को ठीक से जान लेना चाहिए। उर्वरक सब्सिडी के बारे में अंग्रेजी में पढ़ने के लिए Fertilizer Subsidy पर क्लिक करें।

भारत में उर्वरक सब्सिडी 

भारत सरकार, नेशनल फर्टिलाइजर लिमिटेड, राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स लिमिटेड, चंबल फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड जैसी कुछ उर्वरक कंपनियों को वित्तीय सहायता देती है, जो बाजार दरों से नीचे उर्वरक बेचती हैं। वित्त वर्ष 2020 (FY20) में भारत ने 61 मिलियन टन उर्वरकों की खपत की, जो वित्त वर्ष 21 में 5 मिलियन टन बढ़ गई।  

केंद्र उत्पादन लागत के आधार पर उर्वरक सब्सिडी का भुगतान करता है। कंपनियां गैर-यूरिया उर्वरकों पर अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) निर्धारित करती हैं। किसानों को गैर-यूरिया उर्वरकों तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए केंद्र पोषक तत्वों पर प्रति टन सब्सिडी का भुगतान करता है।

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किसानों को उर्वरक सब्सिडी से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य 

केंद्र किसी भी फसल के मौसम के दौरान किसानों द्वारा खरीदे जाने वाले उर्वरकों के बैग की संख्या को सीमित कर रहा है। 

सरकार सब्सिडी प्रणाली के तहत उर्वरक बैग के उपयोग की कुल संख्या को सीमित करने की कोशिश कर रही है, जिसे कोई भी किसान रबी या खरीफ सीजन के दौरान खरीद सकता है। 

इस तरह के प्रयास खुदरा-स्तर के विचलन और चोरी द्वारा उर्वरक की बड़ी खरीद को कम करने के लिए किए जाते हैं। 

केंद्र सरकार ने 100 बैग उर्वरकों की एक उचित सीमा तय की है। इतना उर्वरक 20 एकड़ के खेत में फसल उगाने के लिए पर्याप्त होता है। 

भारत में 100 बोरी से अधिक उर्वरक खरीदने पर किसान को सब्सिडी से सहायता नहीं मिलती है। इसके बाद किसान सामान्य आपूर्ति और मांग आधारित बाजार दरों से नीचे एमआरपी पर उर्वरक खरीदते हैं। 

किसानों द्वारा देय लागत में अंतर किसानों को उर्वरक सब्सिडी के रूप में प्रदान किया जाता है, जो फर्टिलाइजर कंपनी को मिलता है। 

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प्रत्यक्ष लाभ अंतरण 2018 (Direct Benefit Transfer 2018) – 

  • सब्सिडी तंत्र यह तय करता है कि उर्वरक कंपनियों को उर्वरक सब्सिडी किसानों को खुदरा विक्रेताओं द्वारा की गई वास्तविक बिक्री के अधीन है। 
  • उर्वरक विभाग का ई-उर्वरक पोर्टल सभी खुदरा विक्रेताओं के प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) को जोड़ता है। 
  • आधार या किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के सफल अनुमोदन (Approval) के बाद ही किसानों को उर्वरक सब्सिडी दी जाती है। दूसरी ओर, कंपनी को डीबीटी पोर्टल पर पंजीकृत होने के बाद उर्वरक सब्सिडी मिलती है। 

वस्तु और सेवा कर (Goods and Service Tax) – 

  • किसानों को जीएसटी और अन्य टैक्स इनपुट सहित उर्वरकों पर एमआरपी के अलावा अन्य शुल्कों का भुगतान करना होगा। 
  • ट्रैक्टर, कृषि उपकरण, पंप और ड्रिप आदि विभिन्न सिंचाई प्रणालियों जैसे प्रावधानों के लिए लगभग 12% चार्ज किया जाता है। 
  • फसल उत्पादन रसायनों के लिए अतिरिक्त 18% जीएसटी लगता है। 
  • इसके अलावा, डीजल पर उत्पाद शुल्क और मूल्य वर्धित कर लागू होता है। 
  • अन्य व्यवसायों के विपरीत, किसान अपनी बिक्री के आधार पर किसी इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा नहीं कर सकते हैं। 
  • कृषि उपज पर कोई जीएसटी लागू नहीं है। 
ई-उर्वरक पोर्टल के कार्य 

  • वास्तविक और योग्य किसानों को पर्याप्त और समय पर उर्वरकों की पहुंत निश्चित करना। 
  • राज्य कृषि विभाग, जिला कलेक्टर और राज्य विपणन संघ द्वारा उर्वरक की खपत की निगरानी करना। 

ई-उर्वरक पोर्टल के डैशबोर्ड ये रिपोर्ट प्राप्त होती है – 

  • राज्यवार/ जिलेवार शीर्ष 20 खरीदारों की पहचान 
  • राज्यवार/ जिलेवार बारंबार खरीदी करने वाले की पहचान 
  • स्टॉक की उपलब्धता के बारे में जानकारी प्रदान करना 
  • ई-उर्वरक डैशबोर्ड पोर्टल द्वार उर्वरकों की उपलब्धता और आपूर्ति की निगरानी    

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नो डिनायल पॉलिसी 

सरकार की ‘नो डिनायल पॉलिसी’ किसी को भी पीओएस मशीन के साथ कितनी भी मात्रा में उर्वरक खरीदने की अनुमति देती है। यह एक तरह की खामी है, जो वास्तविक और योग्य किसानों को भारत में उर्वरक सब्सिडी का पूरा लाभ प्राप्त करने से रोकती हैं। 

प्रतिबंध योजना में एक और खामी यह है कि एक व्यक्ति प्रत्येक खरीद के दौरान 100 बैग उर्वरक खरीद सकता है। लेकिन सरकार ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि एक व्यक्ति (किसान) कितनी बार उर्वरकों खरीदी का लाभ उठा सकता है।  

भारत में किसान, कृषि और उससे जुड़े अन्य विषय जैसे,- उर्वरक सब्सिडी आदि यूपीएससी परीक्षा 2023 के लिए बेहद महत्वपूर्ण विषय है, इसलिए उम्मीदवारों को इन विषयों का गहन अध्ययन कर लेना चाहिए। यह विषय ज्ञान की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। 

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उर्वरक सब्सिडी के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न 

यूरिया युक्त उर्वरक का गैर कृषि कार्यों में कैसे उपयोग किया जाता है? 

यूरिया पर सूपर-सब्सिडी होने के कारण अनापेक्षित लाभार्थियों द्वारा इसका उपयोग गैर-कृषि कार्यों में भी किया जा सकता हैं। उदाहरण के लिए, पशु चारा निर्माताओं द्वारा यूरिया उर्वरकों को सस्ते प्रोटीन स्रोत के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। 

डायवर्जन को कम करने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं? 

किसानों को प्रति एकड़ उर्वरक अनुदान की स्वीकृति दी जा सकती है, जिसके माध्यम से किसान आवश्यक मात्रा में उर्वरक खरीद सकते हैं। उर्वरक सब्सिडी की राशि फसलों के प्रकार के आधार पर भिन्न की सकती है। 

किसान किसी इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा क्यों नहीं कर सकते?

चूंकि जीएसटी कृषि उपज के लिए लागू नहीं है, इसलिए किसान अपने उत्पाद की बिक्री के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा नहीं कर सकता है।

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