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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 01 February, 2023 UPSC CNA in Hindi

01 फरवरी 2023 : समाचार विश्लेषण

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

सामाजिक न्याय:

  1. अलगाव: उत्पाद, प्रक्रिया, मानवता, समाज से श्रम का अलगाव

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

भारतीय अर्थव्यवस्था:

  1. सौर ऊर्जा भारत के लिए सर्वश्रेष्ठ विकल्प नहीं है:

अंतरराष्ट्रीय संबंध:

  1. म्यांमार में आशा की तलाश:
  2. नीतिगत मूर्खता:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. PM CARES फंड को PM के राष्ट्रीय राहत कोष की तरह प्रशासित किया जाता है: HC
  2. डोभाल, सुलिवन ने अमेरिका में तकनीकी वार्ता की; जयशंकर ने दिल्ली में नूलैंड से मुलाकात की:
  3. आंध्र प्रदेश की राजधानी को कुछ महीनों में वाईज़ेग (विशाखापत्तनम) में स्थानांतरित कर दिया जाएगा: जगन

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अलगाव: श्रमिक का उत्पाद, प्रक्रिया, मानवता, समाज से अलगाव

सामाजिक न्याय:

विषय: मानव संसाधन से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।

मुख्य परीक्षा : कार्ल मार्क्स द्वारा दिया गया अलगाव का सिद्धांत, अलगाव के रूप एवं इसकी आलोचना।

प्रसंग:

  • इस लेख में वर्तमान स्थिति में कार्ल मार्क्स के “अलगाव के सिद्धांत” की प्रयोज्यता का परीक्षण और आलोचनात्मक मूल्यांकन किया गया है।

अलगाव का सिद्धांत :

  • अलगाव का यह विचार युवा मार्क्स द्वारा फ्रेडरिक हेगेल के अपने अध्ययन से विकसित किया गया था।
  • कार्ल मार्क्स ने अपनी पुस्तक “इकोनॉमिक एंड फिलोसोफिकल मैनुस्क्रिप्ट्स” (Economic and Philosophical Manuscripts) में पहली बार अलगाव के विचार को समझाया। बाद में, उन्होंने अपनी पुस्तक “दास कैपिटल” में इस विचार को विस्तार से बताया।
  • मेरियम-वेबस्टर डिक्शनरी के अनुसार अलगाव का तात्पर्य किसी वस्तु या पूर्व में किसी से भी लगाव की स्थिति से किसी व्यक्ति का मोगभंग होना या अलगाव होने से है।
  • हालाँकि मार्क्स के अनुसार अलगाव का अर्थ अपने स्वयं के परिश्रम से अलग होने और उस पर अपने अधिकार की हानि की भावना को दर्शाता है।

अलगाव के प्रकार:

  • कार्ल मार्क्स ने चार प्रकार के अलगाव की चर्चा की, जिसमें शामिल हैं:
  • अपने परिश्रम से उत्पादित उत्पाद से श्रमिक का अलगाव: अलगाव के इस रूप में, एक श्रमिक न तो किसी उत्पाद के डिजाइन और निर्माण में शामिल होता है और न ही उसका उस उत्पाद पर किसी प्रकार का नियंत्रण या स्वामित्व होता है।
    • इसके अलावा, श्रमिक को आमतौर पर अपने वेतन के अलावा उस उत्पाद के अस्तित्व से कोई लाभ भी नहीं मिलता है।
    • क्योंकि यह उत्पाद श्रमिक के अपने उपयोग के लिए नहीं बल्कि पूंजीपति के लिए लाभ उत्पन्न करने के उद्देश्य से बनाया जाता है।
    • इसलिए कहा जाता है कि श्रमिक अपने स्वयं के परिश्रम से उत्पादित उत्पाद से विमुख हो जाता है।
  • श्रम की प्रक्रिया से श्रमिक का अलगाव: अलगाव का यह रूप परिश्रम से उत्पादित उत्पाद से अलगाव से निकटता से संबंधित है।
  • अलगाव के इस रूप के अनुसार, डिजाइन और निर्माण में शामिल नहीं होने के बावजूद, श्रमिकों को अक्सर लंबे समय तक खराब परिस्थितियों में काम करने के लिए मजबूर किया जाता है, और कम मजदूरी में उसी कार्य को बार बार किये जाने के लिए मजबूर किया जाता है।
  • श्रमिकों का उत्पादन पर नियंत्रण नहीं होता है और उन्हें जीवित रहने/आजीविका हेतु साधन के लिए काम करने के लिए मजबूर किया जाता है।
  • अपने गैटुंगस्वेसेन (प्रजाति-सार) से श्रमिक का अलगाव: गैटुंगस्वेसेन या प्रजाति-सार मार्क्स की मानव प्रकृति की परिभाषा है जिसमें व्यक्ति की क्षमता अंतर्निहित होती है।
  • अलगाव के इस रूप के अनुसार, श्रमिक अपनी अंतर्निहित पहचान और आत्म-विकास के अवसर खो देता है।
  • यह अक्सर श्रमिक के लिए मनोवैज्ञानिक असंतोष का कारण बनता है।
  • अन्य श्रमिकों से श्रमिक का अलगाव: अलगाव के इस रूप के अनुसार, उत्पादन के एक पूंजीवादी तरीके में श्रमिक जितना अधिक वस्तु का उत्पादन करते हैं वे हमेशा उतनी ही सस्ती वस्तु बन जाते हैं।
    • इसके अलावा उसकी मानसिक और शारीरिक ऊर्जा थोपे गए या जबरन काम के कारण समाप्त हो जाती है और उसके पास दूसरों के साथ बातचीत करने का समय नहीं बचता है।
    • श्रमिक भी अपनी नौकरी बचाने के लिए एक-दूसरे के प्रतिस्पर्धी बनने लगते हैं।

अलगाव पर अन्य दृष्टिकोण:

  • लेखकों ने अलगाव की अवधारणा को शक्तिहीनता, अर्थहीनता, आदर्शहीनता, आत्म-अलगाव और सामाजिक अलगाव से जोड़कर सामाजिक-मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य प्रदान करने का प्रयास किया है।
  • विशेषज्ञों के अनुसार अलगाव के इन रूपों के कई कारण हो सकते हैं जिनमें शामिल हैं:
  1. नौकरशाही और संगठनात्मक संरचनाएं
  2. स्वामित्व का अभाव
  3. सामाजिक अव्यवस्था
  4. प्रौद्योगिकी का अभाव
  5. ख़राब प्रबंधन।
  • कुछ लेखकों का मत है कि असेम्बली-लाइन श्रमिक (प्रोडक्शन लाइन श्रमिक) सबसे अधिक अलगाव की भावना का अनुभव करते हैं और चिकित्सक या शिक्षक जैसे कार्यकर्ता/पेशेवर कम अलगाव का अनुभव करते हैं।
  • कुछ लेखकों का यह भी मानना है कि संगठनात्मक ढांचे में अलगाव शायद सबसे कम होगा जहां सदस्यों के पास अपनी भूमिकाओं में आत्म-पूर्ति के लिए नियंत्रण और अवसर मौजूद होते हैं।
  • अलगाव/ विसंबंधन का यह विचार मार्क्स के विचार से भिन्न है क्योंकि यह विचार अधिक सुधारवादी दृष्टिकोण लिए प्रस्तुत किए गए है जबकि मार्क्स ने निजी संपत्ति को समाप्त करना और सामाजिक तथा आर्थिक संरचनाओं को बदलना आवश्यक समझा।
  • इसके अतिरिक्त, अलगाव के विचार का उपयोग राजनीतिक आयाम में भी किया जाता है, जिसमें मतदाताओं का अलगाव विभिन्न सरकारी नीतियों पर लोगों के असंतोष के प्रमुख कारणों में से एक है।

आलोचना:

  • मार्क्स की इस व्याख्या की आलोचना इसलिए की गई है क्योंकि इसे इसके परिणामों के संदर्भ में तैयार नहीं किया गया और न ही इस संदर्भ में कि इसका कैसे समाधान या उन्मूलन किया जा सकता है।
  • इसके अलावा साम्यवाद का समाधान अभी तक नहीं हुआ है, और निकट भविष्य में इसकी उम्मीद भी नहीं की जा सकती है।
  • मार्क्स के अलगाव के विचार ने श्रम बाजार, और अपने समय की रहने और काम करने की स्थिति का एक सिंहावलोकन प्रदान किया है। हालांकि, उनमें से ज्यादातर आधुनिक समय में काफी बदल गए हैं।
  • वर्तमान में, श्रम कानून दुनिया भर में मौजूद हैं, जिसके कारण श्रम का बहुत अधिक विभाजन हुआ है।
  • वर्तमान में, केवल कुछ श्रमिकों को ही कार्य करने की ख़राब स्थितियों का सामना करना पड़ता है न कि सभी को।
  • इसके अलावा, विभिन्न वर्गों पर श्रम का प्रभाव उन देशों पर निर्भर करता है जिनमें वे रहते हैं।
  • आलोचकों का यह भी तर्क है कि मार्क्सवाद की अवधारणा केवल वर्ग पर केंद्रित है और यह अलगाव के विभिन्न अन्य प्रमुख रूपों की उपेक्षा करती है।
  • आलोचक बताते हैं कि मार्क्स ने अलगाव के विचार का अध्ययन केवल श्रम और निजी संपत्ति के आदान-प्रदान के संदर्भ में किया था।
  • हालाँकि अलगाव की अवधारणा को जातीयता, नस्ल, जाति और लिंग के आधार पर समाज के अलगाव से भी जोड़ा जा सकता है।
  • रिकोइर जैसे विशेषज्ञों ने तर्क दिया है कि चूंकि अलगाव का विचार लोकप्रिय है, इसलिए इसे अक्सर अवधारणा की वैज्ञानिक और विश्लेषणात्मक क्षमता को कम करने वाले अलगाव के व्यक्तिपरक अनुभवों में प्रयोग किया जाता है।
  • अल्थुसर जैसे दार्शनिकों द्वारा भी सिद्धांत की इसके अनिवार्यतावाद के कारण आलोचना की जाती है।
  • आधुनिक समय के विशेषज्ञ भी मानते हैं कि मार्क्स का अलगाव का सिद्धांत अविकसित और अस्थायी है।
  • इसके अलावा, विशेषज्ञों के अनुसार, अलगाव की यह अवधारणा पितृसत्तात्मकता के खतरे से ग्रस्त है।

सारांश:

  • कार्ल मार्क्स द्वारा अलगाव की अवधारणा सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक सिद्धांतों में सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली अवधारणाओं में से एक है। हालांकि आधुनिक समय के सिद्धांतकारों का मानना है कि वर्तमान सामाजिक और राजनीतिक दर्शन में अवधारणा प्रचलन से बाहर है, फिर भी कई अन्य विशेषज्ञ समकालीन दुनिया में इस अवधारणा को समझते हैं और लागू करते हैं।

संपादकीय-द हिन्दू

संपादकीय:

सौर ऊर्जा भारत के लिए सर्वश्रेष्ठ विकल्प नहीं है:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

भारतीय अर्थव्यवस्था:

विषय: ऊर्जा-नवीकरणीय ऊर्जा।

मुख्य परीक्षा: सौर ऊर्जा और उससे संबंधित चिंताएं।

प्रारंभिक परीक्षा: सौर ऊर्जा।

विवरण:

  • कार्बन-लिमिटिंग के बाहरी दबाव और नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने के बढ़ते उत्साह के परिणामस्वरूप भारत में सौर ऊर्जा पर बहुत अधिक दबाव डाला गया है।
  • हालांकि लेखक द्वारा यह तर्क दिया गया है कि सौर ऊर्जा सर्वोत्तम विकल्प नहीं है और इससे जुड़ी कुछ गलत धारणाएं हैं।

यह भी पढ़ें: National Solar Mission – Target of 100 GW Solar Power by 2022

सौर ऊर्जा से जुड़ी भ्रांतियां:

  • यह सुझाव दिया गया है कि सौर ऊर्जा की स्तरित लागत कम हो रही है और यह कोयले के बराबर है।
    • हालाँकि, यह एक त्रुटिपूर्ण गणना है क्योंकि तुलना लोड सेंटर पर की जाती है, न कि पीथ पर, जिसकी लागत लोड सेंटर की तुलना में लगभग आधी होती है।
    • एक अन्य दोष किसी वस्तु की तुलना उसी के जैसी वस्तु से नहीं करना है, क्योंकि कोयले से बिजली निरंतर प्राप्त होती है और सौर बिजली आंतरायिक (रुक-रुक कर प्राप्त होना) होती है। इसके अलावा, सौर ऊर्जा के लिए बैटरी भंडारण की लागत को भी जोड़ा जाना चाहिए।
    • यह भी सुझाव दिया गया है कि कोयले की प्रतिच्छाया कीमत (या वास्तविक आर्थिक मूल्य) इसके बाजार मूल्य से कम है क्योंकि खनन में श्रम की लागत शून्य की प्रतिच्छाया कीमत वहन करती है (क्योंकि खनन श्रमिक अकुशल हैं जो अन्यथा भी बेरोजगार ही होते)।
  • कुछ शोधकर्ताओं ने कुछ ऐसे तरीके ईजाद किए हैं जो स्पष्ट रूप से कोयला आधारित बिजली को अव्यवहार्य बनाते हैं।
    • उदाहरण के लिए, कण (PM2.5) प्रदूषण के कारण होने वाली मौतों के संदर्भ में कार्बन उत्सर्जन की लागत की मात्रा निर्धारित करना। सांख्यिकीय जीवन के मूल्य पर पहुंचने के लिए मौतों की संख्या को एक आंकड़े से गुणा किया जाता है, जिसे बाद में कार्बन की लागत में जोड़ा जाता है।
  • दूसरी ओर सौर ऊर्जा को भंडारण बैटरी लागत को छोड़कर, सब्सिडी और रियायतें प्रदान करके और इसे राज्य की नीतियों के माध्यम से उद्योग और डिस्कॉम पर थोप कर वित्तीय रूप से व्यवहार्य बनाया जाता है।

यह भी पढ़ें: Thermal Power Plants in India | List of Indian Thermal Plants

भावी कदम:

  • नवीकरणीय ऊर्जा के लिए वृहद् जलविद्युत एक बेहतर विकल्प है क्योंकि इसमें कार्बन उत्सर्जन और लागत दोनों कम हैं।
  • विशेष रूप से, अमेरिका और यूरोप ने क्रमशः अपनी क्षमता का 90% और 98% उपयोग किया है। दूसरी ओर, भारत ने अपनी जलविद्युत क्षमता का केवल 15% ही उपयोग किया है।
  • हालांकि चीन नवीकरणीय ऊर्जा पर निर्भर है, लेकिन यह कोयले और जलविद्युत पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है। उदाहरण के लिए, यांग्त्ज़ी पर थ्री गोर्ज़ेस परियोजना दुनिया की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना है।
  • हालाँकि, भारत में कुछ चुनौतियाँ हैं जैसे:
    • भारत में बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं का पर्यावरणविदों द्वारा विरोध किया जाता है।
    • राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम लिमिटेड (NTPC लिमिटेड) को नवीनीकरण के लिए विविधतापूर्ण बनाया गया है, जो इसकी मुख्य क्षमता नहीं है।
  • इन मुद्दों का नीति निर्माताओं द्वारा जल्द से जल्द समाधान करने की आवश्यकता है।

संबंधित लिंक:

List of Largest Solar Power Plants in India (2023) – Renewable Energy Source

सारांश:

  • नवीकरणीय ऊर्जा टोकरी में सौर ऊर्जा पर बहुत अधिक दबाव है। हालांकि, इसकी वित्तीय व्यवहार्यता की गणना करते समय कई पहलुओं की अनदेखी की जाती है। यह सुझाव दिया गया है कि भारत को वृहद् जलविद्युत और कोयला परियोजनाओं को नहीं छोड़ना चाहिए और अपनी ऊर्जा टोकरी को मजबूत करना चाहिए।

म्यांमार में आशा की तलाश:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतरराष्ट्रीय संबंध:

विषय: भारत के हितों पर विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव।

मुख्य परीक्षा: म्यांमार में राजनीतिक स्थिति।

प्रसंग:

  • 2021 में म्यांमार में हुए सैन्य तख्तापलट को दो साल बीत चुके हैं।

विवरण:

  • दो साल पहले 2021 में म्यांमार में सेना ने तख्तापलट कर निर्वाचित नेताओं से सत्ता छीन ली थी। इसने 2008 के संविधान का उल्लंघन करते हुए देश के सीमित लोकतंत्र को पटरी से उतार दिया, जिसे जनरलों द्वारा लोगों को दिया गया था।

तख्तापलट के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें: Myanmar Coup d’état 2021: Background and Events [UPSC Notes]

म्यांमार में वर्तमान परिदृश्य:

  • म्यांमार में वर्तमान में तीन धड़े हैं:
    • सेना जो प्रमुख शहरों में सत्ता में है।
    • विपक्ष जिसे राष्ट्रीय एकता सरकार (NUG) कहा जाता है एवं ग्रामीण इलाकों में इसके सहयोगी।
    • भौगोलिक परिधि पर जातीय समूह। इन समूहों को आगे सेना-समर्थक, NUG-समर्थक, या तटस्थ में विभाजित किया गया है।
  • म्यांमार के कई हिस्सों में अक्सर झड़पें होती हैं और यहाँ व्यापक असुरक्षा व्याप्त है। वायु सेना नागरिकों पर बमबारी करती है, जबकि जनता के मिलिशिया सरकारी सैनिकों और पुलिसकर्मियों को मारते हैं।
  • बातचीत की संभावना को नकार दिया गया है क्योंकि सेना और NUG के बीच समझौता और सुलह की कोई इच्छा नहीं है। दोनों ने एक-दूसरे को ‘आतंकवादी’ करार दिया हुआ है।
  • आंग सान सू की (Aung San Suu Kyi) एकान्त कारावास में 33 साल की लंबी जेल की सजा काट रही हैं।
  • आर्थिक स्थिति:
    • देश की GDP में भारी गिरावट देखने को मिल रही है।
    • गरीबी, बेरोजगारी और मंहगाई बढ़ी है।
    • इसके अलावा, मुद्रा में तीव्र गिरावट देखी जा रही है।

वैश्विक प्रतिक्रिया:

  • पश्चिमी देशों के अनुसार, यह एक दमनकारी और सत्ता की भूखी सेना द्वारा नागरिकों को दबाने और उन्हें उनके लोकतांत्रिक अधिकारों से वंचित करने का प्रत्यक्ष कारण है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र (UN) में सेना के कृत्य की निंदा की, जुंटा (Junta) के खिलाफ प्रतिबंध लगाए, और विपक्ष को भौतिक सहायता प्रदान की।
  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने 21 दिसंबर 2022 को स्थिति के बारे में गहरी चिंता व्यक्त करते हुए और सभी राजनीतिक कैदियों की रिहाई का आग्रह करते हुए संकल्प 2669 को अपनाया। इसमें केवल चीन, रूस और भारत ने भाग नहीं लिया। इस दुर्लभ एकता के बावजूद, संयुक्त राष्ट्र सेना को स्थानांतरित करने में विफल रहा है।
  • संयुक्त राष्ट्र के समर्थन से आसियान (ASEAN) म्यांमार में मध्यस्थ की भूमिका निभाने का इच्छुक है, लेकिन म्यांमार सरकार ने आसियान के साथ सहयोग करने से इनकार कर दिया है। आसियान के ‘पांच सूत्री आम सहमति’ के फॉर्मूले को म्यांमार ने अप्रैल 2021 में स्वीकार कर लिया था, लेकिन बाद में इसे अस्वीकार कर दिया गया था।
  • यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि आसियान खुद आंतरिक गड़बड़ी से पीड़ित है और नए अध्यक्ष (इंडोनेशिया) को इस मुद्दे को संभालने में अपनी सीमाओं का एहसास है।
  • चीन और रूस म्यांमार सरकार के साथ अपने सहयोग को मजबूत कर रहे हैं। रूस पर पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण, उसे म्यांमार के जनरलों में एक इच्छुक साथी मिल गया है, जिन्हें रूसी हथियारों, प्रशिक्षण और राजनीतिक समर्थन की आवश्यकता है। चीन के भी इस क्षेत्र में आर्थिक से लेकर रणनीतिक डोमेन तक व्यापक हित है।

भारत का रुख:

  • भारत एक स्थिर और समृद्ध म्यांमार चाहता है जहां लोकतंत्र पनपे। हालांकि, वर्तमान सरकार से समझौते की भारत की नीति इसे जनरलों के साथ व्यापार करने के लिए मजबूर करती है, जो NUG को परेशान कर रहा है।
  • भारत के सुरक्षा और आर्थिक हित भी हैं। उदाहरण के लिए, इसे म्यांमार में शरण लिए हुए भारतीय विद्रोही समूहों से निपटने के लिए सहायता की आवश्यकता है; अपनी मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को संभालने के लिए अधिकारियों के सहयोग की आवश्यकता होती है; आदि। इसके अलावा, इसका उद्देश्य म्यांमार में चीन के प्रभाव को विनियमित करना है।
  • भारत दुविधा में है, क्योंकि भारत के म्यांमार विशेषज्ञ विरोधाभासी सलाह देते हैं:
    • एक समूह चाहता है कि भारत वर्तमान सरकार के साथ काम करे।
    • जबकि, अन्य समूह NUG और जातीय समूहों के साथ सहयोग करने की वकालत करते हैं। वह यह भी चाहता है कि भारत मध्यस्थ की भूमिका निभाए।
  • भारत के पास विकल्प सीमित हैं और उसका मानना है कि राजनीतिक समस्या की जड़ म्यांमार की मिट्टी में है, इसे म्यांमार के नेतृत्व द्वारा सुलझाना चाहिए।

निष्कर्ष:

  • म्यांमार में अगस्त 2023 में चुनाव होने हैं। विपक्ष की इसे बाधित करने की योजना, चुनाव की विश्वसनीयता और चुनाव के लिए सेना की प्रतिक्रिया जैसी विभिन्न चुनौतियों के कारण स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की संभावना विकट है।

संबंधित लिंक:

India-Myanmar Relations: Importance, Background for UPSC International Relations

सारांश:

  • म्यांमार 2021 के तख्तापलट के बाद अपनी राजनीति और अर्थव्यवस्था दोनों में गंभीर मुद्दों का सामना कर रहा है। वैश्विक प्रतिक्रिया भी विविध है और निकट भविष्य में बेहतर स्थिति की कोई उम्मीद नहीं है। यह सलाह दी जाती है कि देश के नेतृत्व के बीच बातचीत और समझौते के जरिए मामले को सुलझाया जाए।

नीतिगत मूर्खता:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतरराष्ट्रीय संबंध:

विषय: भारत के हित पर विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव।

मुख्य परीक्षा: आतंकवाद से निपटने के लिए पाकिस्तान का दृष्टिकोण।

प्रसंग:

  • 30 जनवरी 2023 को पेशावर में एक बम धमाका हुआ।

विवरण:

  • पाकिस्तान ने अगस्त 2021 में काबुल पर तालिबान (Taliban) के कब्जे का समर्थन करते हुए कहा था कि “अफगानिस्तान ने गुलामी की बेड़ियों को तोड़ दिया है”। इसे अफगान गृह युद्ध के विजेताओं में से एक माना जाता था।
  • विशेष रूप से, पाकिस्तान ने अतीत में तालिबान नेतृत्व को शरण दी थी।
  • हालाँकि, तालिबान की जीत के बाद, सुन्नी इस्लामवादी विद्रोह के पाकिस्तानी संस्करण तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) को भी प्रोत्साहन मिला।
  • नतीजतन, पाकिस्तान में आतंकवादी हमले बढ़ गए, खासकर अफगानिस्तान की सीमा से लगे खैबर पख्तूनख्वा क्षेत्र में।
  • 30 जनवरी को पेशावर के अत्यधिक सुरक्षित पुलिस लाइन क्षेत्र की एक मस्जिद में हुए विस्फोट में लगभग 100 लोग मारे गए। यह पिछले कुछ वर्षों में सबसे घातक हमला था और यह इस बात की याद दिलाता है कि कैसे “अच्छे तालिबान” का समर्थन करने और “बुरे तालिबान” से लड़ने की पाकिस्तान की रणनीति उलटी पड़ गई है।
  • शुरू में TTP के एक गुट ने हमले की जिम्मेदारी ली थी, लेकिन बाद में एक प्रवक्ता ने अपनी भूमिका से इनकार कर दिया। यह समूह के भीतर विभाजन को दर्शाता है। यह पाया गया है कि यह बम धमाका एक TTP हमला था क्योंकि यह उसके गढ़ में हुआ था और किसी अन्य समूह ने इसकी जिम्मेदारी नहीं ली है।
  • TTP और अफगान तालिबान के बीच संगठनात्मक अंतर के बावजूद, वे वैचारिक रूप से समान हैं।
  • 2014 में पेशावर की स्कूल में हुई बमबारी (जिसमें लगभग 150 लोग मारे गए) के बाद पाकिस्तानी सेना ने समूह पर कार्रवाई की। लेकिन अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद, सीमा क्षेत्र में उग्रवाद की गतिशीलता फिर से बदल गई।
  • TTP की भागीदारी की नीति सरकार द्वारा अपनाई गई थी और अफगान तालिबान ने TTP और पाकिस्तान के बीच वार्ता की मेजबानी की जिसके कारण संघर्ष विराम हुआ।
  • नवंबर 2022 में साल भर चलने वाला युद्धविराम टूट गया। कई लोगों का मानना है कि TTP ने युद्धविराम का इस्तेमाल फिर से संगठित होने के लिए किया और अब वह अधिक ताकत के साथ आतंक फैला रहा है।
  • पेशावर विस्फोट पाकिस्तान में बड़ी राजनीतिक अस्थिरता के समय हुआ है। वर्तमान में, मुद्रा गिर रही है, विदेशी भंडार कम हो रहा है, मुद्रास्फीति बढ़ रही है और बिजली की स्थिति गंभीर बनी हुई है।
  • इस हमले ने देश के लिए एक और सुरक्षा चुनौती पैदा कर दी है।

यह भी पढ़ें: International Relations This Week: Developments in Pakistan, Developments in Sri Lanka Download PDF

भविष्य की कार्रवाई:

  • पाकिस्तान को यह महसूस करना चाहिए कि आतंकवाद और उग्रवाद को चुनिंदा तरीके से पनाह देने की उसकी नीति ने देश के लिए बहुत ज्यादा नुकसान किया है।
  • आतंकवाद के प्रति इसके दृष्टिकोण में आमूल-चूल परिवर्तन की आवश्यकता है। इसे TTP को लक्षित करना चाहिए जो आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा है।

संबंधित लिंक:

UN Global Counter-Terrorism Strategy (GCTS) – UPSC Notes

सारांश:

  • पेशावर आतंकी हमले ने एक बार फिर आतंकवाद को समर्थन देने की पाकिस्तान की रणनीति की खामियों को उजागर किया है। इससे पहले से ही राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता से जूझ रहे देश की स्थिति और खराब हो गई है। इस प्रकार यह सुझाव दिया जाता है कि पाकिस्तान को अपने दृष्टिकोण पर फिर से विचार करना चाहिए और उचित कदम उठाने चाहिए।

प्रीलिम्स तथ्य:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. पीएम केयर्स (PM CARES) फंड को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष की तरह ही प्रशासित किया जाता है: HC
  • प्रधान मंत्री कार्यालय (PMO) ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया है कि PM CARES फंड को प्रधान मंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (PMNRF) के समान तरीके से प्रशासित किया जाता है क्योंकि दोनों की अध्यक्षता प्रधान मंत्री करते हैं।
  • PMO ने कहा है कि PM CARES फंड जिसे 2020 में कोविड महामारी के मद्देनजर बनाया गया था, को सरकारी फंड नहीं माना जा सकता है क्योंकि इसमें प्राप्त होने वाला दान भारत के समेकित निधि में शामिल नहीं होता है।
  • PMO ने आगे कहा है कि PM CARES फंड को “पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट” के रूप में बनाया गया है और किसी तीसरे पक्ष की जानकारी को उसकी स्थिति के बावजूद अलग नहीं किया जा सकता है।
  • PM CARES फंड को संविधान के तहत “राज्य” घोषित करने और सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम के तहत “सार्वजनिक प्राधिकरण” घोषित करने की मांग करते हुए भारत के न्यायालयों में याचिकाएँ दायर की गई हैं।
  • PMNRF और PM CARES फंड के बीच अंतर के बारे में अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: Difference between PMNRF and PM CARES Fund
  1. डोभाल, सुलिवन ने अमेरिका में तकनीकी वार्ता की; जयशंकर ने दिल्ली में नूलैंड से मुलाकात की:
  • भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने अपने अमेरिकी समकक्ष, जेक सुलिवन और अमेरिका के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज (iCET) संवाद पर पहल के उद्घाटन संस्करण के दौरान मुलाकात की।
  • मई 2022 में टोक्यो में आयोजित क्वाड बैठक में भारतीय प्रधान मंत्री और अमेरिकी राष्ट्रपति के बीच बैठक के दौरान iCET संवाद की घोषणा की गई थी।
  • iCET संवाद भारत और अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषदों द्वारा चलाया जा रहा है।
  • iCET वार्ता में मुख्य रूप से महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और सह-उत्पादन में बाधाओं को दूर करने के विभिन्न साधनों पर ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद है।
  • iCET संवाद बैठकें अमेरिका की राज्य अवर सचिव विक्टोरिया नूलैंड की दिल्ली की यात्रा के साथ शुरू हुईं, जहां उन्होंने भारतीय विदेश मंत्री और विदेश सचिव से मुलाकात की।
  • हाल ही के दिनों में दोनों देशों के बीच अमेरिका-भारत रणनीतिक संबंधों को गहरा करने, विभिन्न वैश्विक चुनौतियों और मुद्दों पर सहयोग करने और दक्षिण एशियाई, हिंद महासागर और हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में महत्वपूर्ण विकास पर दोनों देशों के बीच काफी विचार-विमर्श हुआ है।
  • इसके अलावा, क्वाड, I2U2, इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क और इंडो-पैसिफिक मैरीटाइम डोमेन अवेयरनेस इनिशिएटिव जैसी विभिन्न पहलें, जो हाल के वर्षों में आम रणनीतिक हितों को प्रदर्शित करती हैं, शुरू की गई हैं।
  1. आंध्र प्रदेश की राजधानी को कुछ महीनों में वाईज़ेग (विशाखापत्तनम) में स्थानांतरित कर दिया जाएगा: जगन
  • आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि राज्य की राजधानी को विशाखापत्तनम में स्थानांतरित किया जाएगा।
  • इस समय यह घोषणा इसलिए महत्वपूर्ण हो गई है क्योंकि राजधानी के मुद्दे पर कई याचिकाएं उच्चतम न्यायालय में लंबित हैं।
  • आंध्र प्रदेश में मौजूदा सरकार की तीन-राजधानी योजना को उच्च न्यायालय द्वारा खारिज किए जाने के बाद राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया था।
  • उच्च न्यायालय ने कहा था कि अमरावती को राज्य की राजधानी के रूप में विकसित किया जाना चाहिए, जैसा कि पिछली राज्य सरकार ने प्रस्तावित किया था।
  • इस मुद्दे पर अधिक जानकारी के लिए 04 मार्च 2022 का यूपीएससी परीक्षा विस्तृत समाचार विश्लेषण देखें।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. निम्नलिखित में से कौन सा/से क्वाड समूह का हिस्सा है/हैं? (स्तर – सरल)

  1. यू. के.
  2. ऑस्ट्रेलिया
  3. अमेरीका
  4. भारत

निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए:

  1. 1 और 4
  2. 2 और 3
  3. 2, 3 और 4
  4. 1, 2, 3 और 4

उत्तर: c

व्याख्या:

  • क्वाड्रीलेटरल सिक्यूरिटी डायलॉग (Quadrilateral Security Dialogue (QSD)) या क्वाड (QUAD) समूह एक अनौपचारिक रणनीतिक मंच है जिसमें भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं।

प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कौन सा/से सत्य है/हैं? (स्तर – मध्यम)

  1. रुपये में गिरावट घरेलू आयातकों के लिए फायदेमंद है।
  2. यदि भुगतान संतुलन ऋणात्मक है, तो रुपये का अवमूल्यन मुद्रास्फीति का कारण बन सकता है।

विकल्प:

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. 1 और 2 दोनों
  4. न तो 1, न ही 2

उत्तर: b

व्याख्या:

  • कथन 1 गलत है: रुपये का मूल्यह्रास आयातकों के लिए बुरा है क्योंकि आयातित सामान और सेवाएं अधिक महंगी हो जातीं।
  • कथन 2 सही है: यदि भुगतान संतुलन ऋणात्मक है, तो मुद्रा मूल्यह्रास मुद्रास्फीति का कारण बनता है क्योंकि आयात अधिक महंगा हो जाता है।

प्रश्न 3. निम्नलिखित में से कौन सा/से सत्य है/हैं? (स्तर – मध्यम)

  1. राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता भारत के प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है।
  2. इसकी संरचना 3-स्तरीय है।
  3. यह PMO के अधीन एक कार्यकारी कार्यालय है।

विकल्प:

  1. 1 और 2
  2. 2 और 3
  3. 1 और 3
  4. 1, 2 और 3

उत्तर: b

व्याख्या:

  • कथन 1 गलत है: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (National Security Advisor (NSA)) राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) की अध्यक्षता करता है।
  • कथन 2 सही है: भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) एक त्रिस्तरीय संरचना है। तीन स्तरों में शामिल हैं:
    • सामरिक नीति समूह
    • राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड
    • सचिवालय, जिसका प्रतिनिधित्व संयुक्त आसूचना समिति द्वारा किया जाता है
  • कथन 3 सही है: राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) PMO के अंतर्गत एक कार्यकारी कार्यालय है।

प्रश्न 4. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय है: (स्तर – सरल)

  1. संयुक्त राष्ट्र का एक अंग
  2. एक स्वतंत्र वैश्विक निकाय
  3. ओईसीडी का सर्वोच्च न्यायालय
  4. विश्व बैंक की मध्यस्थता शाखा

उत्तर: a

व्याख्या:

  • अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय संयुक्त राष्ट्र (UN) का प्रमुख न्यायिक अंग है।
  • यह संयुक्त राष्ट्र के चार्टर द्वारा जून 1945 में स्थापित किया गया था और इसने अप्रैल 1946 में काम करना शुरू किया था।
  • न्यायालय का मुख्यालय हेग, नीदरलैंड में है।

प्रश्न 5. निम्नलिखित में से कौन-सा/से सूर्य मंदिरों के लिए विख्यात है/हैं? (स्तर – कठिन) PYQ 2017

  1. अरसवल्ली
  2. अमरकंटक
  3. ओंकारेश्वर

नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:

  1. केवल 1
  2. केवल 2 और 3
  3. केवल 1 और 3
  4. 1, 2 और 3

उत्तर: a

व्याख्या:

  • अरसवल्ली सूर्य मंदिर आंध्र प्रदेश में स्थित एक मंदिर है।
  • मध्य प्रदेश में अमरकंटक मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।
  • भगवान शिव को समर्पित ओंकारेश्वर मंदिर मध्य प्रदेश में स्थित है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. पाकिस्तान एक गंभीर आर्थिक चुनौती के साथ गंभीर आंतरिक सुरक्षा संकट का सामना कर रहा है। दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लिए इसके प्रभावों का परीक्षण कीजिए।(250 शब्द, 15 अंक) (जीएस II – अंतर्राष्ट्रीय संबंध)

प्रश्न 2. सौर ऊर्जा के गुणों और दोषों का मूल्यांकन कीजिए। क्या भारत के लिए स्वच्छ नवीकरणीय ऊर्जा की ओर रुख करना सही विकल्प है?(250 शब्द, 15 अंक) (जीएस III – आधारभूत संरचना: ऊर्जा)