A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था:

  1. “केरल को वित्तीय संकट से उबरने के लिए, सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र को एकमुश्त पैकेज प्रदान करने के लिए कहा”:

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

विज्ञान:

  1. परमाणु कचरा कैसे उत्पन्न होता है?

सामाजिक न्याय:

  1. “समूह भेदभाव, समानता और न्यायालय का दृष्टिकोण”:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. वर्ष 2019-23 के बीच भारत दुनिया का शीर्ष हथियार आयातक:
  2. उप सहारा अफ्रीका में गरीब लोगों की संख्या में बढ़ोतरी:
  3. ड्रग रेगुलेटर ने मेरोपेनेम, डिसोडियम (Meropenem, Disodium) को लेकर दी चेतावनी:
  4. जनवरी में औद्योगिक विकास दर धीमी होकर 3.8% रह गई:

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

13 March 2024 Hindi CNA
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

“केरल को वित्तीय संकट से उबरने के लिए, सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र को एकमुश्त पैकेज प्रदान करने के लिए कहा”:

अर्थव्यवस्था:

विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था और योजना, संसाधन जुटाने, संवृद्धि, विकास और रोजगार से संबंधित मुद्दे।

मुख्य परीक्षा: केंद्र और राज्य के बीच वित्तीय खींचतान।

संदर्भ:

  • भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने केरल के वित्तीय संकट से जुड़े एक मामले में हस्तक्षेप किया हैं।
  • केरल ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की उधार लेने की शक्तियों की सीमाओं ने उसकी अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान पहुंचाया है।
  • जवाब में, केंद्र सरकार ने केरल के वित्तीय प्रबंधन की आलोचना की और इसे वित्तीय रूप से सबसे अस्वस्थ राज्यों में से एक करार दिया।

न्यायालय की सिफ़ारिशें:

  • न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र से आग्रह किया कि वह केरल को उसके मौजूदा संकट से उबरने में मदद के लिए 31 मार्च से पहले एकमुश्त वित्तीय पैकेज प्रदान करे।
  • न्यायालय ने सुझाव दिया कि हालांकि अब केंद्र इस विषय पर अधिक उदार हो सकता है, लेकिन उसे इसकी भरपाई के लिए भविष्य के बजट में कड़ी शर्तें लगानी चाहिए।
  • हालाँकि केंद्र ने शुरू में यह कहते हुए कि बेलआउट पैकेज संभव नहीं है,इस विचार का विरोध किया था।
  • हालाँकि, वह इस मामले पर सरकार के साथ आगे चर्चा करने और 13 मार्च तक अदालत को रिपोर्ट देने पर सहमत हुई हैं।

न्यायालय में चर्चा:

  • सुनवाई के दौरान केरल का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट के सामने यह मुद्दा उठाया।
  • अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमानी और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एन. वेंकटरमन ने केंद्र का प्रतिनिधित्व करते हुए कहा कि केंद्र ने अन्य राज्यों को इसी तरह की रियायतें देने से इनकार कर दिया है।
  • न्यायमूर्ति कांत ने सुझाव दिया कि केंद्र को समय सीमा से पहले केरल को एक विशेष एकमुश्त पैकेज देना चाहिए, जिसमें अन्य राज्यों पर लगाई गई शर्तों की तुलना में अधिक कठोर शर्तें हों।
  • उन्होंने इन रियायतों को अगले वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में समायोजित करने का प्रस्ताव रखा।
  • केंद्र ने केरल के साथ संघर्ष से बचने की इच्छा व्यक्त की, लेकिन इस बात की जांच करने की आवश्यकता पर जोर दिया कि राज्य आर्थिक रूप से क्यों संघर्ष कर रहा है।

केरल के आरोप और केंद्र की प्रतिक्रिया:

  • केरल के मूल मुकदमे में केंद्र सरकार पर शासन के संघीय ढांचे का उल्लंघन करने और राज्य की अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया था।
  • केंद्र सरकार ने केरल पर खराब वित्तीय स्वास्थ्य और सार्वजनिक वित्त के कुप्रबंधन का आरोप लगाया, जिससे देश की क्रेडिट रेटिंग प्रभावित हुई।

सारांश:

  • सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र से आग्रह किया कि वह केरल को उसके संकट से निपटने के लिए एकमुश्त वित्तीय पैकेज प्रदान करे। यह केंद्रीय सीमाओं के कारण आर्थिक नुकसान के केरल के आरोपों के बीच आया है, जिसका केंद्र द्वारा वित्तीय कुप्रबंधन के दावों द्वारा विरोध किया गया है।

संपादकीय-द हिन्दू

संपादकीय:

परमाणु कचरा कैसे उत्पन्न होता है?

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

विज्ञान:

विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास और उनके अनुप्रयोग और रोजमर्रा की जिंदगी में प्रभाव।

मुख्य परीक्षा: परमाणु अपशिष्ट के निपटान मुद्दे।

विवरण: परमाणु अपशिष्ट का उत्पादन

  • परमाणु अपशिष्ट मुख्य रूप से विखंडन रिएक्टरों में उत्पन्न होता है जब न्यूट्रॉन कुछ परमाणुओं के नाभिक पर बमबारी करते हैं, जिससे उनका अस्थिरता और विघटन होता है, जिसके परिणामस्वरूप रेडियोधर्मी विखंडन उत्पादों और भारी तत्वों का उत्पादन होता है।
  • परमाणु रिएक्टरों से खर्च किए गए ईंधन में रेडियोधर्मी विखंडन उत्पाद और ट्रांसयूरैनिक तत्व होते हैं, जो सुरक्षित निपटान और भंडारण के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियां पेश करते हैं।

परमाणु कचरे का प्रबंधन और भंडारण:

  • अत्यधिक रेडियोधर्मी होने के कारण, प्रयुक्त परमाणु ईंधन को लंबे समय तक नियंत्रण के लिए ड्राई कैस्क स्टोरेज में स्थानांतरित किए जाने से पहले,प्रारंभ में शीतलन उद्देश्यों के लिए पानी के नीचे रखा जाता है।
  • परमाणु ऊर्जा संयंत्रों (nuclear power plants) में तरल अपशिष्ट उपचार सुविधाएं अल्पकालिक रेडियोन्यूक्लाइड युक्त जलीय कचरे का प्रबंधन करती हैं, जिन्हें उपचार के बाद पर्यावरण में छोड़ा जा सकता है।
  • विखंडन उत्पादों से युक्त,उच्च स्तरीय तरल अपशिष्ट को भंडारण के लिए एक स्थिर ग्लास बनाने के लिए विट्रीफाइड किया जाता है। (“विट्रिफाइड” शब्द का अर्थ कांच जैसे पदार्थ में परिवर्तित करना है।)
  • भूमिगत दफन किए गए विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए कंटेनरों में ड्राई कैस्क (Dry cask) स्टोरेज और भूवैज्ञानिक निपटान मानव गतिविधि से दूर दीर्घकालिक भंडारण के सामान्य तरीके हैं।

पुनर्प्रसंस्करण और इसकी चुनौतियाँ:

  • पुनर्प्रसंस्करण में प्रयुक्त किए गए ईंधन में गैर-विखंडनीय सामग्री से विखंडनीय सामग्री को अलग करना शामिल है, जो ईंधन दक्षता को बढ़ा सकता है लेकिन हथियारों के उपयोग योग्य प्लूटोनियम भी प्राप्त कर सकता है।
  • प्रयुक्त ईंधन की खतरनाक प्रकृति के कारण पुनर्प्रसंस्करण सुविधाओं को विशेष सुरक्षा और कर्मियों की आवश्यकता होती है।
  • अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (International Atomic Energy Agency (IAEA)) प्लूटोनियम के उत्पादन से जुड़े प्रसार जोखिमों को रोकने के लिए पुनर्संसाधन सुविधाओं को सख्ती से नियंत्रित करती है।

परमाणु अपशिष्ट प्रबंधन से जुड़े मुद्दे और लागत:

  • परमाणु अपशिष्ट प्रबंधन विभिन्न चुनौतियों का सामना करता है, जिसमें उपचार प्रक्रियाओं में अनिश्चितताएं और 2014 में अपशिष्ट अलगाव पायलट प्लांट (डब्ल्यूआईपीपी) जैसी दुर्घटनाओं का जोखिम शामिल है।
  • अपशिष्ट प्रबंधन की लागत परमाणु ऊर्जा उत्पादन के कुल खर्च को बढ़ाती है, जिसका अनुमान $1.6 से $7.1 प्रति मेगावाट-घंटा (MWh) उत्पादित ऊर्जा के बीच है।
  • देशों को परमाणु कचरे के निर्यात में नियामक समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिसमें पर्यावरणीय अन्याय और अपशिष्ट निपटान की लागत को साझा करने के बारे में नैतिक चिंताएं शामिल हैं।

भारत में परमाणु अपशिष्ट प्रबंधन:

  • अनुसंधान रिएक्टरों और बिजली संयंत्रों से प्रयुक्त हुए ईंधन का प्रबंधन करने के लिए भारत के पास ट्रॉम्बे, तारापुर और कलपक्कम में पुनर्संसाधन संयंत्र हैं।
  • भारतीय परमाणु ऊर्जा स्टेशनों पर उत्पन्न अपशिष्ट निम्न और मध्यवर्ती गतिविधि स्तर का होता है और उपचार और भंडारण सुविधाओं के माध्यम से साइट पर ही प्रबंधित किया जाता है।
  • प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (Prototype Fast Breeder Reactor (PFBR)) के चालू होने में देरी मौजूदा पुनर्संसाधन सुविधाओं की परिचालन दक्षता और रेडियोधर्मी तत्वों के विभिन्न वितरणों के साथ खर्च किए गए ईंधन के प्रबंधन में संभावित जटिलताओं के बारे में चिंता पैदा करती है।

सारांश:

  • विखंडन रिएक्टरों से उत्पन्न परमाणु कचरा, सुरक्षित निपटान के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियाँ पैदा करता है। हैंडलिंग में उच्च लागत और परिचालन अक्षमताओं सहित प्रसार जोखिमों और पर्यावरणीय प्रभाव के बारे में चिंताओं के साथ शीतलन, ड्राई कैस्क स्टोरेज/भंडारण और पुन: प्रसंस्करण शामिल है।

“समूह भेदभाव, समानता और न्यायालय का दृष्टिकोण”:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

सामाजिक न्याय:

विषय: केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा आबादी के कमजोर वर्गों के लिए कल्याण योजनाएं और इन योजनाओं का प्रदर्शन।

मुख्य परीक्षा: अनुसूचित जातियों के उप-वर्गीकरण।

विवरण:

  • भारत के सर्वोच्च न्यायालय की सात-न्यायाधीशों की पीठ द्वारा पंजाब राज्य बनाम दविंदर सिंह मामले में आने वाला फैसला संविधान के तहत सकारात्मक कार्रवाई और आरक्षण के लिए महत्वपूर्ण निहितार्थ रखता है।
  • केंद्रीय प्रश्न इस तथ्य के इर्दगिर्द घूमता है कि क्या राज्य सरकारों को सार्वजनिक रोजगार भर्ती में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribes) के लिए निर्धारित अनुपात के भीतर उप-वर्गीकरण करने का अधिकार है।

पृष्ठभूमि:

  • यह मुद्दा 1975 में पंजाब सरकार द्वारा जारी एक परिपत्र से उपजा है, जिसमें बाल्मीकि और मजहबी सिखों के लिए 50% अनुसूचित जाति सीटें आरक्षित की गईं, जिससे कानूनी चुनौतियां पैदा हुईं।
  • ई.वी. चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश राज्य में सर्वोच्च न्यायालय के 2004 के फैसले ने आंध्र प्रदेश अनुसूचित जाति (आरक्षण का युक्तिकरण) अधिनियम को रद्द कर दिया, यह स्थापित करते हुए कि केवल संसद के पास राष्ट्रपति की अनुसूचित जाति की सूची को संशोधित करने का अधिकार है।

कानूनी तर्क और मिसालें:

  • पंजाब सरकार पंजाब अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग (सेवाओं में आरक्षण) अधिनियम, 2006 को लागू करने पर कायम रही, जिसमें बाल्मीकि और मजहबी सिखों को प्राथमिकता दी गई, जिससे आगे की कानूनी लड़ाई हुई।
  • सर्वोच्च न्यायालय द्वारा चिन्नैया मामले में अपने पहले के फैसले पर सवाल उठाते हुए, इंद्रा साहनी बनाम भारत संघ (Indra Sawhney vs Union of India) जैसे उदाहरणों का हवाला देते हुए, पिछड़े वर्गों के भीतर उप-वर्गीकरण की अनुमति देने की संभावना का सुझाव दिया गया है।
  • पिछली व्याख्याओं से यह संभावित विचलन आरक्षण और समानता पर संविधान के प्रावधानों की नए सिरे से जांच की मांग करता है।

संवैधानिक व्याख्या:

  • मामले की जड़ अनुच्छेद 14 से 16 (Articles 14 to 16) में निहित वास्तविक समानता के प्रति संवैधानिक प्रतिबद्धता में निहित है,जहाँ अनुसूचित जाति जैसे ऐतिहासिक रूप से वंचित समूहों के लिए उपचारात्मक उपायों की आवश्यकता हैं।
  • आरक्षण को समानता के विरोधाभासी के रूप में नहीं बल्कि ऐतिहासिक अन्यायों को संबोधित करके और उचित उपचार सुनिश्चित करके इसके सार को पूरा करने के एक उपकरण के रूप में देखा जाना चाहिए।
  • अनुच्छेद 341, अनुसूचित जाति सूची पर राष्ट्रपति (President’s) के अधिकार को संरक्षित करते हुए, सूचीबद्ध जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण या विशेष उपायों पर स्वाभाविक रूप से रोक नहीं लगाता है।

निहितार्थ और निष्कर्ष:

  • अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के भीतर उप-वर्गीकरण का मूल्यांकन करते समय निष्पक्ष व्यवहार सुनिश्चित करने और विकास में अंतर-समूह भिन्नताओं को संबोधित करने के उद्देश्य पर विचार करना चाहिए।
  • आरक्षण लागू करने की सरकार की शक्ति संवैधानिक समानता प्राप्त करने के कर्तव्य के साथ जुड़ी हुई है, जो सकारात्मक कार्रवाई के लिए एक सूक्ष्म दृष्टिकोण की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है।
  • अंततः, पंजाब राज्य बनाम देविंदर सिंह में सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय सकारात्मक कार्रवाई नीतियों और समानता और न्याय के संवैधानिक सिद्धांतों के साथ उनके संरेखण के प्रक्षेपवक्र को आकार देगा।

सारांश:

  • पंजाब राज्य बनाम देविंदर सिंह मामले में सर्वोच्च न्यायालय का आसन्न फैसला आरक्षण के लिए अनुसूचित जाति के भीतर उप-वर्गीकरण की वैधता को संबोधित करता है, जो संविधान के तहत सकारात्मक कार्रवाई और समानता के लिए महत्वपूर्ण है।

प्रीलिम्स तथ्य:

1. वर्ष 2019-23 के बीच भारत दुनिया का शीर्ष हथियार आयातक:

संदर्भ:

  • स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट ( Stockholm International Peace Research Institute (SIPRI)) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने दुनिया के शीर्ष हथियार आयातक के रूप में अपना स्थान पुनः प्राप्त कर लिया है।

समबन्धित जानकारी:

  • वर्ष 2019 से 2023 के बीच, भारत के हथियारों का आयात पिछली अवधि की तुलना में 4.7% बढ़ा हैं।
  • बावजूद इसके की आयात के 36% हिस्से के साथ रूस भारत का मुख्य हथियार आपूर्तिकर्ता बना हुआ है, यह पांच दशकों में पहली बार हुआ कि रूसी डिलीवरी में भारत के आयात का आधे से भी कम हिस्सा शामिल था।
  • एसआईपीआरआई ने यूक्रेन में संघर्ष (conflict in Ukraine) के साथ, यूरोपीय हथियारों के आयात में 94% की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की हैं।

महत्व:

  • रिपोर्ट में बताया गया है कि इस अवधि के दौरान शीर्ष दस हथियार आयातकों में से नौ एशिया, ओशिनिया या मध्य पूर्व में स्थित थे।
  • भारत के वित्तीय वर्ष 2024-25 के अंतरिम बजट में रक्षा मंत्रालय को ₹6.2 लाख करोड़ आवंटित किए गए, जो देश की अपनी सैन्य क्षमताओं को मजबूत करने पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने को दर्शाता है।

2. उप सहारा अफ्रीका में गरीब लोगों की संख्या में बढ़ोतरी:

संदर्भ:

  • वर्तमान के वैश्विक परिदृश्य में जहां सामान्यतया गरीबी में गिरावट देखी गई है,वहीँ दूसरी ओर उप-सहारा अफ़्रीका के गरीबी के स्तर में वृद्धि,विश्व से अपनी विपरीत प्रवृत्ति के लिए जाना जाता है।

सम्बन्धित जानकारी:

  • विश्व बैंक (World Bank) के हालिया आंकड़ों से इस क्षेत्र के भीतर गरीबी में चिंताजनक वृद्धि का पता चलता है, गरीब व्यक्तियों की संख्या 1990 में 278 मिलियन से बढ़कर 2019 में 397 मिलियन हो गई है।
  • गरीबी में यह वृद्धि, विशेष रूप से वर्ष 2008 के बाद से उल्लेखनीय है, क्योंकि यह उप-सहारा अफ्रीकी देशों में हुए कई संघर्षों के साथ मेल खाती है।
  • इसके विपरीत, दक्षिण एशिया जैसे क्षेत्रों में इसी अवधि में गरीबी में उल्लेखनीय कमी देखी गई है।
  • हालाँकि जनसंख्या हिस्सेदारी के मामले में गरीबी दर में गिरावट आई है, लेकिन चुनौती अभी भी बनी हुई है, खासकर नाजुक और संघर्ष प्रभावित राज्यों में।
  • विश्व बैंक उप-सहारा अफ्रीका में गरीबी उन्मूलन रणनीतियों के अभिन्न घटकों के रूप में अस्थिरता और संघर्ष को संबोधित करने के लिए ठोस प्रयासों की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए स्थिरता और गरीबी उन्मूलन के बीच महत्वपूर्ण संबंध पर जोर देता है।

3. ड्रग रेगुलेटर ने मेरोपेनेम, डिसोडियम (Meropenem, Disodium) को लेकर दी चेतावनी:

संदर्भ:

  • केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (Central Drugs Standard Control Organisation (CDSCO)) ने गैर-अनुमोदित दवाओं, विशेष रूप से “नई दवाओं” के रूप में वर्गीकृत दवाओं के उत्पादन और वितरण के खिलाफ कड़ी चेतावनी जारी की है।

मुद्दा:

  • यह सावधानी पूर्वक कदम मेरोपेनेम (एक जीवाणुरोधी एजेंट) और डिसोडियम ईडीटीए (कैल्शियम अधिभार के इलाज के लिए प्रयुक्त) सहित दवाओं के अनधिकृत निर्माण और बिक्री का संकेत देने वाली रिपोर्टों के बाद उठाया गया है।
  • लाइसेंसिंग प्राधिकारी से उचित अनुमति के बिना किसी भी नई दवा का निर्माण या बिक्री नहीं की जानी चाहिए।
  • नई दवाओं का उत्पादन करने के इच्छुक निर्माताओं को आगे बढ़ने से पहले केंद्रीय लाइसेंसिंग प्राधिकरण से अनुमति लेनी होती है।

महत्व:

  • इस सक्रिय कदम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करके सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा करना है कि बाजार में केवल अधिकृत और विनियमित दवाएं ही उपलब्ध हैं।

4. जनवरी में औद्योगिक विकास दर धीमी होकर 3.8% रह गई:

संदर्भ:

  • भारत की औद्योगिक उत्पादन वृद्धि दिसंबर में 4.24% की संशोधित वृद्धि की तुलना में जनवरी में घटकर 3.8% रह गई, जो विनिर्माण क्षेत्र में मंदी का संकेत है,जो पहले के 3.2% से बढ़कर 4.5% हो गया।

सम्बन्धित जानकारी:

  • इसके साथ ही उपभोक्ता गैर-टिकाऊ वस्तुओं में तीन महीने में दूसरी बार संकुचन हुआ।
  • खनन और बिजली उत्पादन में क्रमशः 5.9 प्रतिशत और 5.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन में 10.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
  • जनवरी में पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन में 4.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई, और मध्यवर्ती वस्तुओं में भी 4.8 प्रतिशत की तेजी से वृद्धि हुई।
  • प्राथमिक वस्तुओं और बुनियादी ढांचे/निर्माण वस्तुओं की वृद्धि दर थोड़ी कम होकर क्रमशः 2.9% और 4.6% हो गई।

महत्व:

  • समग्र विकास के बावजूद, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑप्टिक उत्पादों जैसे कुछ क्षेत्रों में संकुचन दर्ज किया गया, जो भारत के औद्योगिक क्षेत्र के मिश्रित प्रदर्शन को दर्शाता है और विशिष्ट उद्योगों में चल रही चुनौतियों को उजागर करता है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?

1. कुल संपत्ति के हिसाब से एसबीआई भारत का सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक है।

2. एसबीआई का उद्भव 1955 में इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया के राष्ट्रीयकरण से हुआ।

3. एसबीआई भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा शासित है और इसके नियामक ढांचे के तहत काम करता है।

उपर्युक्त कथनों में से कितने सही है/हैं?

(a) केवल 1

(b) केवल 2 और 3

(c) केवल 1,2 और 3

(d) उपरोक्त में से कोई नहीं

उत्तर: c

प्रश्न 2. “खेलो इंडिया” पहल के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?

कथन 1: खेलो इंडिया का लक्ष्य पूरे भारत में खेल बुनियादी ढांचे के विकास को प्रोत्साहित करना है।

कथन 2: यह पहल पूरी तरह से क्रिकेट और हॉकी जैसे पारंपरिक खेलों को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।

कथन 3: खेलो इंडिया में प्रतिभाशाली युवा खिलाड़ियों के लिए उनके प्रशिक्षण और विकास को आगे बढ़ाने के लिए एक छात्रवृत्ति कार्यक्रम शामिल है।

विकल्प:

(a) केवल कथन 1 और 2 सही हैं।

(b) केवल कथन 2 और 3 सही हैं।

(c) केवल कथन 1 और 3 सही हैं।

(d) उपरोक्त सभी कथन सही हैं।

उत्तर: c

प्रश्न 3. भारत में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) और मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?

कथन 1: एमपीसी का प्राथमिक अधिदेश उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति के संदर्भ में सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य के साथ मूल्य स्थिरता बनाए रखना है।

कथन 2: सरकार द्वारा निर्धारित मुद्रास्फीति लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एमपीसी भारत में बेंचमार्क ब्याज दर निर्धारित करने के लिए जिम्मेदार है, जिसे रेपो दर के रूप में जाना जाता है।

कथन 3: वर्तमान में निर्धारित मुद्रास्फीति लक्ष्य +/- 2% के सहनशीलता बैंड के साथ 4% है।

विकल्प:

(a) केवल कथन 1 और 2 सही हैं।

(b) केवल कथन 2 और 3 सही हैं।

(c) केवल कथन 1 और 3 सही हैं।

(d) उपरोक्त सभी कथन सही हैं।

उत्तर: d

प्रश्न 4. भारत में खाद्य मुद्रास्फीति के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

1. खाद्य मुद्रास्फीति एक विशिष्ट अवधि में खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि को संदर्भित करती है।

2. भारत में खाद्य मुद्रास्फीति में योगदान करने वाले कारकों में कृषि उत्पादन को प्रभावित करने वाली प्रतिकूल मौसम स्थितियां शामिल हैं।

3. कृषि उत्पादों पर निर्यात प्रतिबंध लगाकर खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित किया जा सकता है।

उपर्युक्त कथनों में से कितने सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 2 और 3

(c) केवल 1 और 3

(d) 1, 2 और 3

उत्तर: d

प्रश्न 5. ब्लू कार्बन क्या है? PYQ 2021

(a) महासागरों और तटीय पारिस्थितिक तंत्रों द्वारा प्रगृहीत कार्बन

(b) वन जैव मात्रा (बायोमास) और कृषि मृदा में प्रच्छादित कार्बन

(c) पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस में अंतर्विष्ट कार्बन

(d) वायुमंडल में विधमान कार्बन

उत्तर: a

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. वैश्विक स्तर पर परमाणु कचरे के प्रबंधन से जुड़ी चुनौतियाँ क्या हैं? (15 अंक, 250 शब्द)[जीएस-3, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी] (What are the challenges associated with the management of nuclear waste globally? (15 marks, 250 words)[GS-3, Science & Technology])

प्रश्न 2. क्या अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए निर्धारित आरक्षण के अनुपात के भीतर एक उप-वर्गीकरण भारत में अधिक न्यायसंगत सामाजिक-आर्थिक विकास को सक्षम कर सकता है? (15 अंक, 250 शब्द) [जीएस-2, सामाजिक न्याय] (Can a sub-classification within the proportion of reservations prescribed to Scheduled Castes and Scheduled Tribes enable a more equitable socio-economic development in India? (15 marks, 250 words)[GS-2, Social Justice])

(नोट: मुख्य परीक्षा के अंग्रेजी भाषा के प्रश्नों पर क्लिक कर के आप अपने उत्तर BYJU’S की वेव साइट पर अपलोड कर सकते हैं।)