24 नवंबर 2022 : समाचार विश्लेषण

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

भूगोल:

  1. क्या अल नीनो-ला नीना मौसम का पैटर्न बदल रहा है?

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था:

  1. बाजार की अफवाहों से निपटने के लिए सेबी की योजना:

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

सामाजिक न्याय:

  1. भारत में कुपोषण की समस्या:

शासन:

  1. भारत में सूचना का अधिकार:

अर्थव्यवस्था:

  1. दूध के मूल्य में वृद्धि:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. इसरो ओशनसैट-3, और 8 नैनो उपग्रहों का प्रक्षेपण करेगा:
  2. भारत ने अग्नि-3 परमाणु सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया:
  3. कुकी-चिन (Kuki-Chins) के मुद्दे पर गृह मंत्रालय की विदेश मंत्रालय के साथ बातचीत जारी:

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

बाजार की अफवाहों से निपटने के लिए सेबी की योजना:

अर्थव्यवस्था:

विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति,विकास तथा रोजगार से संबंधित विषय।

प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) से सम्बंधित तथ्य।

मुख्य परीक्षा: बाजार की अफवाहों के मुद्दे को संबोधित करने के लिए सेबी (SEBI’s) के प्रस्ताव।

संदर्भ:

  • भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India (SEBI)) ने हाल ही में अपना एक परामर्श पत्र प्रकाशित किया है जिसमे बाजार की अफवाहों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए विभिन्न उपायों का प्रस्ताव रखा गया है।
  • SEBI ने सेबी (सूचीकरण दायित्व और प्रकटीकरण आवश्यकताएँ) विनियम, 2015 (SEBI (Listing Obligations and Disclosure Requirements) Regulations, 2015) के अनुसार भौतिक घटनाओं और सूचनाओं के लिए मौजूदा प्रकटीकरण आवश्यकताओं की भी समीक्षा की हैं।

मौजूदा विनियमों की समीक्षा की आवश्यकता:

  • सेबी के प्रस्तावों का मुख्य उद्देश्य उन महत्वपूर्ण घटनाओं का समय पर प्रकटीकरण करना/होना सुनिश्चित करना है,जो किसी स्क्रिप (लीगल टेंडर) की कीमत को प्रभावित कर सकता है।
  • सेबी के अनुसार नियामक कार्रवाइयाँ उन घटनाओं के गैर-प्रकटीकरण के खिलाफ इस बात को सुनिश्चित करेंगी कि सूचीबद्ध संस्थाएँ उनके द्वारा जारी भौतिक घटनाओं या सूचनाओं के विवरण को वापस नहीं लें,सेबी का लक्ष्य यह भी सुनिश्चित करना है कि निवेशकों का विश्वास गलत (असत्यापित) अफवाहों से अछूता रहे और ऐसी अफवाहें उनके निर्णय लेने के विचार को प्रभावित न करें।
  • इसके अलावा सूचीबद्ध संस्थाओं ने भी सेबी से उसके द्वारा प्रकटीकरण के लिए अपने मार्गदर्शन में एक निश्चित मात्रा में एकरूपता लाने का आग्रह किया है,जो कि सूचीबद्ध संस्थाओं को यह निर्धारित करने में मदद करता है कि किसी भौतिक घटना या सूचना की मात्रा कितनी है।
  • सेबी ने कंपनियों से सभी तरह की अफवाह सत्यापन की पूछताछ के लिए विशिष्ट और पर्याप्त जवाब देने को कहा है।
  • सेबी का प्रस्ताव है की इन संस्थाओं को ऐसी घटनाओं या सूचनाओं की पुष्टि या अस्वीकरण करना चाहिए।

प्रस्तावित प्रकटीकरण विनियम:

  • सेबी ने प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल न्यूज मीडिया के बढ़ते प्रभाव को स्वीकार करते हुए उसके द्वारा प्रस्ताव रखा गया है कि कंपनियां यह सुनिश्चित करें कि कोई भी अफवाह जो उत्पन्न हो सकती है उसका सत्यापन या खंडन किया जाए।
  • सेबी ने प्रस्ताव दिया है कि पिछले मूल्यांकन वर्ष के अंत में बाजार पूंजीकरण के आधार पर शीर्ष 250 सूचीबद्ध संस्थाओं को ऐसी अफवाहों के उत्पन्न होने पर उनका खंडन करके सूचना पर स्पष्टता प्रदान करने की आवश्यकता है।
  • सेबी ने यह भी प्रस्ताव दिया है कि कंपनियां मूल्य के संदर्भ में अपेक्षित प्रभाव वाली सभी सूचनाओं का खुलासा करें।
  • जिसमे अंतिम लेखापरीक्षित वित्तीय विवरण के अनुसार किसी कम्पनी द्वारा अपने टर्नओवर या नेट वर्थ के 2% का उल्लंघन किया गया हो।
  • कर के बाद लाभ/हानि के निरपेक्ष मूल्य के तीन साल के औसत के 5% को पार किया गया हो।
  • सेबी ने सूचना में समरूपता की कमी या समानता के अभाव को रोकने के लिए, सूचीबद्ध संस्थाओं से आग्रह किया है कि वे कंपनी के प्रबंधन के सदस्यों द्वारा व्यक्तिगत रूप से कंपनी के माध्यम से नहीं बल्कि कंपनी के संबंध में किसी भी संचार को प्रसारित करें।
  • इसके अलावा, कंपनियों को किसी नियामक, वैधानिक या न्यायिक एजेंसी द्वारा कंपनी के प्रबंधन या प्रमोटरों या सहायक कंपनियों के किसी भी प्रमुख सदस्य के खिलाफ शुरू की गई ऐसी किसी भी कार्रवाई का खुलासा करना भी अनिवार्य है।
  • इस तरह की कार्रवाइयों में अन्य बातों के अलावा जांच, निलंबन, जुर्माना लगाना, प्रतिबंध, तलाशी और जब्ती शामिल हो सकती है।
  • सेबी इस तथ्य को भी स्वीकार करता है कि निवेशकों के लिए विभिन्न मीडिया समूहों की ओर से की गई घोषणाओं पर नजर रखना बेहद मुश्किल है, ऐसी स्थिति में सेबी ने कंपनियों को किसी भी रेटिंग की कार्रवाई के बारे में सूचित करने का प्रस्ताव दिया है, भले ही कंपनी द्वारा ऐसी नियंत्रण करने वाली कार्रवाई का अनुरोध नहीं किया गया हो या अनुरोध वापस ले लिया गया हो।
  • सेबी ने अपने नवीनतम प्रस्तावों के माध्यम से प्रमुख प्रबंधन कर्मियों द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता दी है क्योंकि वे कंपनी के कामकाज और मामलों के बारे में निवेशकों में विश्वास पैदा करते हैं।
  • इस प्रकार, सेबी ने प्रस्ताव दिया कि कंपनियों को ऐसे कर्मियों के इस्तीफे के बारे में सात दिनों के भीतर सूचित करना चाहिए।
  • साथ ही, संस्थाओं को सूचना का खुलासा करना अनिवार्य है यदि एमडी या सीईओ के पद पर मौजूद व्यक्ति एक महीने से अधिक समय तक अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए उपलब्ध नहीं हैं।

समयसीमा में संशोधन:

  • अब भौतिक घटनाओं या सूचनाओं के तेजी से प्रकटीकरण की आवश्यकता है, क्योंकि आज के तकनीकी प्रधान समय में ऐसी सूचनाओं के सोशल मीडिया और डिजिटल मीडिया पर तेजी से प्रवेश करने एवं प्रसारित होने की क्षमता होती है।
  • सेबी ने उन विभिन्न उदाहरणों पर ध्यान दिया है जहां मीडिया में पहले से ही जानकारी फैलने के बाद या सेबी द्वारा कंपनी से सवाल पूछने के बाद खुलासे किए गए थे।
  • ऐसे मामलों को रोकने के लिए सेबी ने प्रस्तावित किया है कि सम्बन्घित इकाई के भीतर उत्पन्न होने वाली घटनाओं या सूचनाओं से संबंधित खुलासे 24 घंटे के मौजूदा नियम के बजाय 12 घंटे के भीतर किए जाने चाहिए।
  • बाहरी घटनाओं से उत्पन्न होने वाली घटनाओं के लिए समयरेखा 24 घंटे रहती है।
  • इसके अलावा, निदेशक मंडल की बैठक में किए गए सभी निर्णयों को इसके निष्कर्ष से 30 मिनट के भीतर प्रकट किया जाना चाहिए।
  • बैठक से दो दिन पहले संस्थाओं को अपने किसी भी निवेशक के साथ निर्धारित बैठक के बारे में खुलासा करना भी अनिवार्य है।

सारांश:

  • हाल के वर्षों में, भौतिक घटनाओं और सूचीबद्ध संस्थाओं की जानकारी के बारे में सूचना प्रसारित करने में डिजिटल और सोशल मीडिया का प्रभाव बढ़ रहा है, जिसके परिणामस्वरूप अफवाहें और गलत सूचना तेजी से फैल रही है। इस संदर्भ में सेबी ऐसी अफवाहों को समयबद्ध तरीके से सत्यापित या खंडन करने के उद्देश्य से विभिन्न प्रस्तावों को लेकर आया है जो झूठी बाजार भावना को रोकने में मदद करते हैं।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

क्या अल नीनो-ला नीना मौसम का पैटर्न बदल रहा है?

भूगोल:

विषय: महत्वपूर्ण भूभौतिकीय घटनाएं।

प्रारंभिक परीक्षा: अल नीनो, ला नीना और अल नीनो दक्षिणी दोलन (ENSO) से सम्बंधित तथ्य।

मुख्य परीक्षा: अल नीनो-ला नीना स्थितियों के बदलते पैटर्न का प्रभाव।

संदर्भ:

  • हाल ही में हुए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि जलवायु परिवर्तन लगभग वर्ष 2030 तक अल नीनो-ला नीना मौसम पैटर्न को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करेगा जो कि पहले की गई भविष्यवाणी से 10 साल पहले है।

अल नीनो (El Niño ):

  • अल नीनो एक स्पेनिश शब्द है जिसका अर्थ है “छोटा लड़का” (Little Boy)।
  • अल नीनो मध्य और पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में समुद्री जल के गर्म होने की घटना को संदर्भित करता है जो हर कुछ वर्षों में लगातार होती है।
  • अल नीनो वर्षों के दौरान, भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में सतह का तापमान बढ़ जाता है जिसके परिणामस्वरूप वहां व्यापारिक हवाएँ (trade winds) कमजोर हो जाती हैं।
  • पूर्वी व्यापारिक हवाएं जो आमतौर पर अमेरिका से एशिया की ओर बहती हैं, अल नीनो के कारण अपनी दिशा बदलकर पछुआ हवाओं में बदल जाती हैं, जिससे पश्चिमी प्रशांत से गर्म पानी अमेरिका की ओर आ जाता है।
  • अल नीनो अपवेलिंग की घटना को बाधित करता है, जिसमें पोषक तत्वों से भरपूर पानी सतह की ओर बढ़ता है।(अपवेलिंग-समुद्री जल का उमड़ना या बढ़ना।)
  • यह फाइटोप्लांकटन को प्रभावित करता है जो मछली पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है, क्योंकि मछली फाइटोप्लांकटन का भोजन है जो अंततः संपूर्ण खाद्य श्रृंखला को प्रभावित करता है और कई पारिस्थितिक तंत्रों को बाधित करता है।
  • चूँकि प्रशांत महासागर पृथ्वी का लगभग 33.33% हिस्सा हैं, प्रशांत महासागर में तापमान और हवा के पैटर्न में परिवर्तन वैश्विक मौसम के पैटर्न को प्रभावित करते हैं।
  • अल नीनो आमतौर पर उत्तरी अमेरिका और कनाडा में शुष्क, गर्म सर्दियों का कारण बनता है और यू.एस. खाड़ी तट और दक्षिण-पूर्वी यू.एस. में बाढ़ के जोखिम को बढ़ाता है।
  • अल नीनो इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया में सूखे से भी जुड़ा है।
  • अल नीनो के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:El Niño

ला नीना (La Niña):

  • स्पेनिश में ला नीना का अर्थ है “छोटी लड़की” (“Little Girl”)।
  • ला नीना अल नीनो के विपरीत है।
  • ला नीना भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में समुद्र की सतह के औसत तापमान (SST) की तुलना में ठंडा होता है और व्यापारिक हवाएँ सामान्य से अधिक तेज़ होती हैं जिससे गर्म पानी एशिया की ओर धकेलता है।
  • ला नीना अमेरिकी पश्चिमी तट पर अपवाह में वृद्धि करता है जो पोषक तत्वों से भरपूर पानी को सतह पर लाने में मदद करता है।
  • ला नीना दक्षिणी अमेरिका में शुष्क परिस्थितियों और कनाडा में भारी वर्षा का कारण बनता है।
  • ला नीना ऑस्ट्रेलिया में भारी बाढ़ से भी जुड़ा है।
  • पिछले दो वर्षों में लगातार दो ला नीना घटनाओं के परिणामस्वरूप ऑस्ट्रेलियाई क्षेत्र में तीव्र बाढ़ आई है।
  • ला नीना के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: La Niña

अल नीनो दक्षिणी दोलन (El Niño Southern Oscillation (ENSO)):

  • अल नीनो, ला नीना और दो विपरीत प्रभावों के बीच तटस्थ अवस्था के संयोजन को अल नीनो दक्षिणी दोलन (ENSO) कहा जाता है।अर्थात अल नीनो दक्षिणी दोलन (ENSO) उष्णकटिबंधीय प्रशांत में समुद्र-वायुमंडल प्रणाली की एक आवधिक पारी है जो दुनिया भर में मौसम को प्रभावित करता है।
  • दक्षिणी दोलन उष्णकटिबंधीय प्रशांत क्षेत्र में समुद्र के स्तर के दबावों में बड़े पैमाने पर परिवर्तन को बताते हैं।
  • यह घटना हर 3-7 साल (औसतन 5 साल) में होती है, सामान्य तौर पर इसकी अवधि नौ महीने से दो साल तक होती है। यह बाढ़, सूखा और अन्य वैश्विक घटनाओं से सम्बंधित है।

हाल के अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष:

  • नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, ENSO का पैमाना वैश्विक जलवायु को प्रभावित करने के लिए काफी महत्वपूर्ण है।
  • इस अध्ययन ने ENSO पर 1950 से लेकर अब तक 70 वर्षों के डेटा का विश्लेषण किया है और इसे 58 सबसे उन्नत उपलब्ध जलवायु मॉडल के साथ जोड़ा है।
  • अध्ययन में कहा गया है कि पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में ENSO के कारण बढ़ी हुई समुद्री सतह के तापमान की परिवर्तनशीलता वर्ष 2030 (+/- 6 वर्ष) के आसपास होगी जो मध्य प्रशांत ENSO की तुलना में एक दशक पहले से अधिक है।
  • यदि मध्य प्रशांत और भूमध्यरेखीय प्रशांत को अलग नहीं किया जाता है, तो ENSO के कारण समुद्र की सतह के तापमान में परिवर्तनशीलता पहले की अपेक्षा लगभग 40 साल पहले उभर कर आएगी।
  • EP-ENSO वर्षा प्रतिक्रिया में मजबूत वृद्धि के कारण इक्वेटोरियल पैसिफिक में परिवर्तन सबसे पहले देखा जाएगा, जिसके परिणामस्वरूप SST परिवर्तनशीलता में वृद्धि होगी।
  • शोधकर्ताओं का सुझाव है कि आस्ट्रेलिया के लोगों को अधिक बाढ़ और सूखे के लिए तैयार रहना चाहिए क्योंकि जलवायु परिवर्तन ENSO को बाधित करता है।

भारत के मानसून पर प्रभाव:

  • भारत में, अल नीनो कम वर्षा और अत्यधिक गर्मी से जुड़ा हुआ है, जबकि ला नीना मानसून के दौरान दक्षिण एशिया क्षेत्र में विशेष रूप से भारत के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र और बांग्लादेश में तीव्र वर्षा का कारण बनता है।
  • वर्तमान में, भारत बाकी दुनिया की तरह एक विस्तारित “ट्रिपल डिप ला नीना” (“triple dip La Niña”) का अनुभव कर रहा है।
  • ट्रिपल डिप ला नीना उत्तरी गोलार्ध में तीन सर्दियों के मौसम में लगातार चलने वाली घटना है।
  • वर्ष 1950 के बाद से यह केवल तीसरी बार है जब भारत में ट्रिपल डिप ला नीना का प्रभाव देखा गया है और यही कारण है कि भारत में सितंबर में अतिरिक्त बारिश देखी जा रही है, जबकि यह ऐसा महीना हैं जिसमे आमतौर पर लगातार तीसरे वर्ष मानसून की वापसी होती है।

सारांश:

  • एक नए अध्ययन से पता चला है कि जलवायु परिवर्तन का अल नीनो, ला नीना और ENSO जैसी वैश्विक मौसम की घटनाओं पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ रहा है। मौसम पैटर्न के इस बदलाव का मानव स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा और दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। यह आलेख जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को हल करने की तत्काल आवश्यकता को चिन्हित करता है।

संपादकीय-द हिन्दू

संपादकीय:

भारत में कुपोषण की समस्या:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

सामाजिक न्याय:

विषय: सामाजिक क्षेत्र/स्वास्थ्य-सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।

मुख्य परीक्षा: भारत में भूख और कुपोषण की स्थिति।

संदर्भ:

  • ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2022 की रैंकिंग में भारत के नीचे फिसलने से भारत में कुपोषण की समस्या पर फिर से बहस छिड़ गई है।

विवरण:

  • ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2022 में भारत की रैंकिंग 121 देशों के मध्य 107 (2021 में भारत की रैंकिंग 101 थी) है।
  • ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2022 में युद्धग्रस्त अफगानिस्तान को छोड़कर भारत का दक्षिण एशियाई क्षेत्र के सभी देशों से खराब प्रदर्शन है।
  • इंडेक्स को संयुक्त रूप से ‘कंसर्न वर्ल्डवाइड और वेल्थुंगरहिल्फ़’ द्वारा प्रत्येक वर्ष अक्टूबर में जारी किया जाता है।
  • हंगर इंडेक्स चार घटक संकेतकों – अल्पपोषण, चाइल्ड वेस्टिंग, चाइल्ड स्टंटिंग और चाइल्ड मॉर्टेलिटी पर देशों के प्रदर्शन को मापता है।
  • 2022 का ग्लोबल हंगर इंडेक्स हंगर इंडेक्स (2006 से) का 17वां संस्करण है।
  • देश के बड़े हिस्से में खराब आर्थिक स्थिति, भारत में कृषि की खराब स्थिति, असुरक्षित स्वच्छता प्रथाओं आदि के कारण कुपोषण की स्थिति बरकरार हैं।
  • 2019-21 के भारत के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के अनुसार पांच साल से कम उम्र के बच्चों में 35.5% अपनी उम्र के अनुपात में लंबाई के अनुसार छोटे कद के थे, 19.3% दुर्बल थे, और 32.1% कम वजन के थे।
  • अधिक जानकरी के लिए इस लिंक को क्लिक करें: Global Hunger Index 2022

कुपोषण को दूर करने के उपायों में अंतराल:

  • चिरकालिक कुपोषण की समस्या के समाधान के लिए विशेषज्ञों ने कई दृष्टिकोण सुझाए हैं, जिनमें से कई पहले से लागू केंद्र प्रायोजित योजनाओं में शामिल हैं।
  • हालांकि, उनके वित्त पोषण और कार्यान्वयन में अंतराल बना हुआ है।
  • उदाहरण के लिए, वित्त वर्ष 2022-23 के लिए सक्षम आंगनवाड़ी और प्रधानमंत्री समग्र पोषण योजना (POSHAN) 2.0 योजना का बजट ₹20,263 करोड़ था,जो कि 1% से भी कम है, वित्त वर्ष 2020-21 में हुए वास्तविक खर्च से अधिक है ( दो वर्षों में 1% से कम की वृद्धि)।
  • वित्त वर्ष 2022-23 के लिए पीएम पोषण योजना का बजट ₹10,233.75 करोड़ था, जो वित्त वर्ष 2020-21 के खर्च से 21% कम था।
  • ये आवंटन देश में पोषण में सुधार के लिए आवश्यक धन को नहीं दर्शाते हैं।
  • एक जवाबदेही पहल जिसे बजट संक्षिप्त कहा जाता है जो आवंटन, सार्वजनिक व्यय, आउटपुट और प्रमुख सामाजिक क्षेत्र कार्यक्रमों के परिणामों के रुझानों का विश्लेषण करती है, के अनुसार पूरक पोषण कार्यक्रम की प्रति व्यक्ति लागत 2017 के बाद से नहीं बढ़ी है और पूरी तरह से कम है, जो आवश्यक धन का केवल 41% है।
  • इसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि झारखंड, असम, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में 50% से अधिक बाल विकास परियोजना अधिकारी (CDPO) के पद खाली थे, जो इस तरह के महत्वपूर्ण योजना को सफलतापूर्वक लागू करने में गंभीर जनशक्ति की कमी की ओर इशारा करते हैं।
  • सोशल ऑडिट जो स्कूलों में प्रदान की जाने वाली सेवाओं की गुणवत्ता के सामुदायिक निरीक्षण की सुविधा प्रदान करता है, नियमित रूप से संपादित नहीं किया जाता है।
  • ‘पुत्र वरीयता’ जैसे सामाजिक कारक भी पोषण वरीयताओं के संबंध में घरेलू स्तर के निर्णयों को प्रभावित करते हैं।

नकद हस्तांतरण का प्रभाव:

  • नकद हस्तांतरण आज भारत में सामाजिक क्षेत्र के कई हस्तक्षेपों के लिए एक पसंदीदा समाधान प्रतीत होता है। इसका घरेलू स्तर पर विकल्पों का विस्तार करने का लाभ मिलता है।
  • लेकिन अभी तक भारत में बाल पोषण पर नकद हस्तांतरण का प्रभाव सीमित है। प्रमाण बताते हैं कि जहां नकद हस्तांतरण से घरेलू खाद्य सुरक्षा में सुधार होता है, वहीं जरूरी नहीं है कि वे बेहतर बाल पोषण परिणामों में परिवर्तित हों।
  • नकद हस्तांतरण का प्रभाव भी सीमित है, क्योंकि खाद्य कीमतों में उतार-चढ़ाव होता है और मुद्रास्फीति नकदी के मूल्य को कम कर देता है।

भावी कदम का सुझाव:

  • अत्यधिक संकट का सामना कर रहे क्षेत्रों में नकद हस्तांतरण को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, जहां घरेलू क्रय शक्ति बहुत कम है।
  • अधिक संस्थागत समर्थन प्राप्त करने के मामले में व्यवहार परिवर्तन को प्रोत्साहित करने के लिए भी नकद हस्तांतरण का उपयोग किया जा सकता है।
  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से खाद्य राशन तथा गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं, शिशुओं और छोटे बच्चों के लक्षित समूह के लिए विशेष पूरक आहार आवश्यक हैं।
  • अनुरूप पोषण हस्तक्षेपों के डिजाइन और वितरण में स्थानीय सरकार और स्थानीय सामुदायिक समूहों की अधिक भागीदारी प्रभावी होगी।
  • यदि कुपोषण की अंतरपीढ़िगत प्रकृति से निपटना है तो किशोरियों को लक्षित करने वाले एक व्यापक कार्यक्रम की आवश्यकता है।

सारांश:

  • ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) विशेष रूप से बच्चों के बीच पोषण का एक महत्वपूर्ण संकेतक है, क्योंकि यह बच्चों में बौनापन, दुर्बलता और मृत्यु दर तथा आबादी में कैलोरी की कमी पर विचार करता है। भारत की बहु-आयामी पोषण चुनौती के पीछे प्रमुख पोषण योजनाओं का अल्पवित्तपोषण और अल्प उपयोग प्रमुख कारण हैं।

भारत में सूचना का अधिकार:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

शासन:

विषय: शासन, पारदर्शिता और जवाबदेही से संबंधित महत्वपूर्ण पहलू

मुख्य परीक्षा: भारत में सूचना के अधिकार से संबंधित बुनियादी मुद्दे

संदर्भ:

  • केंद्रीय सूचना आयोग से संबंधित मामलों के हालिया उदाहरण भारत की गिरती पारदर्शिता व्यवस्था को दर्शाते हैं।

परिचय:

  • केंद्रीय सूचना आयोग का प्राथमिक कर्तव्य सूचना के प्रकटीकरण या गैर-प्रकटीकरण का निर्णय करना है।
  • भारतीय नागरिक सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत किसी भी सार्वजनिक निकाय के पास आवेदन दायर कर सकते हैं और 30 दिनों के भीतर उस सार्वजनिक निकाय के सार्वजनिक सूचना अधिकारी द्वारा उत्तर दिया जाना अनिवार्य है।
  • जवाब नहीं मिलने या जवाब से असंतुष्ट होने की स्थिति में नागरिक विभागीय स्तर पर अपील कर सकता है और फिर सूचना आयोग के पास दूसरी और अंतिम अपील कर सकता है।
  • राज्य निकायों से संबंधित दूसरी अपीलों के संबंध में प्रत्येक राज्य का अपना राज्य सूचना आयोग है।
  • सीआईसी ने सार्वजनिक महत्व के कई मामलों में पारदर्शिता की मांग करते हुए आदेश पारित किए थे।
    • राजनीतिक दल आरटीआई अधिनियम के दायरे में हैं, और इसलिए जनता के प्रति जवाबदेह हैं।
    • इसने वर्तमान प्रधानमंत्री की शैक्षणिक योग्यता के प्रकटीकरण का आदेश दिया हैं।
    • CIC ने भारतीय रिजर्व बैंक की ऋण के इरादतन चूककर्ताओं की सूची का खुलासा करने का भी आदेश दिया।

भारत में आरटीआई के लिए हाल की बाधाएं:

  • प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ: आरटीआई (संशोधन) अधिनियम, 2019 ने केंद्र सरकार को केंद्रीय और राज्य दोनों स्तरों पर सूचना आयुक्तों के कार्यकाल और सेवा शर्तों को तय करने की शक्ति दी। केंद्र सरकार में अत्यधिक शक्तियां निहित करके, इस संशोधन ने सीआईसी की स्वायत्तता को बाधित किया है।
  • आयोग ने मंत्रालय के समक्ष आए मामलों में निर्णय हेतु अपने कार्य को सौंपने का एक नया तरीका अपनाया है।
    • अक्सर राष्ट्रीय हित के अस्पष्ट आधार के तहत ज्यादातर मामलों में, मंत्रालय गैर-प्रकटीकरण के अपने पहले के रुख को दोहराता है, जिसके बाद सीआईसी ऐसे आदेशों के मामले में आगे किसी भी चुनौती को स्वीकार करने से इनकार कर देता है और इस प्रकार मामलों को तय करने में अपने कर्तव्य को निभाने से इनकार कर देता है।
    • उदाहरण के लिए, सीआईसी ने फोन टैपिंग मामले में गृह मंत्रालय द्वारा पारित नए गैर-प्रकटीकरण आदेश के तहत इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन की चुनौती को सुनने से इनकार कर दिया।
  • आयोग प्राकृतिक न्याय के नियमों के विरुद्ध काम करता है, जिसमें कहा गया है कि “किसी को भी अपने मामले में न्यायाधीश नहीं होना चाहिए” उसी मंत्रालय को अनुमति देकर जिस पर आरटीआई अधिनियम का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है, अपने स्वयं के मामले में न्यायाधीश के रूप में कार्य करता है और यह तय करता है कि क्या सूचना का प्रकटीकरण आवश्यक है।
  • बैकलॉग और मामलों के निपटान में विलंब:आरटीआई अधिनियम को क्रांतिकारी माने जाने के कारणों में से एक यह था कि एक निश्चित समय में एक जबाव दिया जाना होता था, जिसके विफल होने पर संबंधित सरकारी अधिकारी को दंडित किया जाएगा।
    • अदालती मामलों के विपरीत, आरटीआई मामलों में जटिल कानूनी तर्क शामिल नहीं होते हैं और निर्णय लेने में काफी सरल होते हैं।
    • हालांकि, अधिनियम की यह समयबद्ध प्रकृति विभिन्न कारणों से प्रभावित होती है, जैसे सूचना आयुक्तों की अपर्याप्त संख्या, खराब गुणवत्ता, अधूरी और गलत जानकारी और फील्ड कार्यालयों से जानकारी एकत्र करने के लिए अप्रभावी रिकॉर्ड प्रबंधन प्रणाली और प्रक्रियाएं।
  • उदाहरण के लिए, एक सहकारी बैंक के गैर-निष्पादित आस्तियों और शीर्ष चूककर्ताओं के प्रकटीकरण से संबंधित मामले में, बैंक के प्रथम अपीलीय प्राधिकरण के प्रकटीकरण के आदेश के खिलाफ “स्टे” आदेश जारी करने के लिए मामले को आउट-ऑफ-टर्न सूचीबद्ध किया गया था।
    • स्थगन आदेश पर सुनवाई नहीं हुई और इसके लिए आरटीआई अधिनियम में कोई प्रावधान नहीं है।

सारांश:

  • भारत में सूचना आयोग ने सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता के प्रबल समर्थक के रूप में कार्य किया है। सीआईसी मामलों के हालिया उदाहरण भारत की सूचना व्यवस्था के बारे में विश्वास पैदा नहीं करते हैं। आरटीआई नागरिकों को दिया गया एक शक्तिशाली हथियार है और इसे कमजोर करने से लोकतंत्र और संवैधानिक मूल्य कमजोर होंगे।
  • अधिक जानकारी के लिए इस लिंक को क्लिक करें: Right to Information

दूध के मूल्य में वृद्धि:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था:

विषय: खाद्य सुरक्षा; मुद्रास्फीति

मुख्य परीक्षा: भारतीय परिवारों पर दूध की कीमतों में वृद्धि का प्रभाव

संदर्भ:

  • नई दिल्ली में प्रमुख दूध आपूर्तिकर्ता मदर डेयरी ने 2022 में फुल क्रीम दूध की कीमत में चार बार बढ़ोतरी की है।

दूध और दुग्ध उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी:

  • मदर डेयरी द्वारा 2022 में चौथी बार कीमत बढ़ाने के बाद नई दिल्ली में एक लीटर दूध की कीमत अब ₹64 हो गई है।
  • हाल ही में, अमूल ब्रांड के तहत दूध बेचने वाले गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन ने फुल क्रीम दूध की कीमत में 2 रुपये की बढ़ोतरी की है।
  • तमिलनाडु को-ऑपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स फेडरेशन ने भी फुल क्रीम दूध की कीमत में 12 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की है, जिससे एक लीटर की कीमत 60 रुपये हो गई है।
  • अक्टूबर 2022 में दूध की महंगाई दर 7.7% पर पहुंच गई, जो 7.5 साल में सबसे अधिक है।
  • अक्टूबर 2022 में आइसक्रीम की कीमत में 10.5%, जबकि दही की कीमत में 7.6% की वृद्धि हुई है।

चित्र स्रोत: The Hindu

  • नवंबर 2022 में, भारत में एक लीटर दूध की औसत कीमत, नवंबर 2017 में ₹42 के मुकाबले ₹55 के करीब थी।

असमान वृद्धि:

  • दूध की कीमत में वृद्धि सभी शहरों में एक समान नहीं थी।
  • औसत कीमतें ज्यादातर भारत के उत्तरी, पश्चिमी और उत्तर-पूर्वी शहरों में बढ़ीं। जबकि पूर्वी शहरों में दूध की कीमतों में मामूली बढ़ोतरी हुई।
  • हैदराबाद को छोड़कर दक्षिणी शहरों चेन्नई, बेंगलुरु और एर्नाकुलम में औसत कीमतों में ज्यादा वृद्धि नहीं हुई।
    • हैदराबाद में औसत दूध की कीमतों में तेज वृद्धि दिखाई दी।
  • नवंबर 2022 में दूध की औसत कीमत चेन्नई में सबसे कम ₹40 प्रति लीटर थी।
    • अहमदाबाद में कीमत 58 रुपये प्रति लीटर थी और लखनऊ में यह 62 रुपये प्रति लीटर थी।
    • यह गुवाहाटी और अगरतला जैसे कई उत्तर-पूर्वी शहरों में 65 रुपये प्रति लीटर के स्तर को पार कर गया है।

दूध की कीमत में वृद्धि के कारण:

  • दूध के परिचालन और उत्पादन लागत में बढ़ोतरी हुई है।
  • मवेशियों के चारे जैसे मक्का, बिनौला खली, तेल रहित चावल की भूसी और अन्य चारा सामग्री की कीमत भी बढ़ गई है।
  • इनपुट लागत में वृद्धि को देखते हुए, दूध-क्रय सदस्य संघों ने किसानों को दी जाने वाली कीमतों में सालाना औसतन 8 से 9% की वृद्धि की।
  • डेयरियों को कीमतों में बढ़ोतरी का बोझ उपभोक्ताओं पर डालने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है क्योंकि ऐसे माहौल में खरीद लागत बढ़ रही है जहां महंगाई पहले से ही एक समस्या है।

दूध की कीमतों में वृद्धि का प्रभाव:

  • एक औसत शहरी परिवार प्रति माह दूध पर ₹284 खर्च करता है।
  • सबसे गरीब 5% परिवार एक महीने में दूध और दूध उत्पादों पर केवल ₹86 खर्च करते हैं, जबकि सबसे अमीर 5% परिवार ₹598 खर्च करते हैं – ₹500 से अधिक का अंतर।
  • सबसे गरीब 20% घरों में केवल 52% -62% सदस्य दूध या दही का सेवन करते हैं, जबकि सबसे अमीर 20% घरों में 86% -91% सदस्य ऐसा करते हैं।
    • इस प्रकार, मूल्य वृद्धि का गरीब परिवारों पर अधिक प्रभाव पड़ेगा, जिनमें पहले से ही दूध नहीं पीने वालों की संख्या अधिक है।
  • विशेष रूप से गरीब परिवारों में पुरुषों और महिलाओं के बीच दूध की खपत में भी अंतर है। मूल्य वृद्धि का गरीब परिवारों में महिलाओं पर अधिक प्रभाव पड़ेगा क्योंकि वे मूल्य वृद्धि की भरपाई के लिए सबसे पहले दूध पीना छोड़ देंगी, जिससे असमानता और बढ़ेगी।
  • उच्च दूध खरीद मूल्य उन कंपनियों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं जो बेकरी उत्पाद या दूध या दूध के ठोस पदार्थों का उपयोग करने वाले खाद्य पदार्थ का निर्माण करती हैं।

सारांश:

  • अक्टूबर 2022 में भारत की समग्र खुदरा मुद्रास्फीति में कमी आने के बावजूद दूध और दुग्ध उत्पादों की कीमत 7.5 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई है। मूल्य वृद्धि अलग-अलग क्षेत्रों में भिन्न हैं और महिलाओं तथा गरीब परिवारों पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।
  • अधिक जानकारी के लिए इस लिंक को क्लिक करें: Food Inflation

प्रीलिम्स तथ्य:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

1. इसरो ओशनसैट-3, और 8 नैनो उपग्रहों का प्रक्षेपण करेगा:

  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation (ISRO)) 26 नवंबर को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी-सी54(Polar Satellite Launch Vehicle (PSLV-C54) )) के माध्यम से पृथ्वी अवलोकन उपग्रह – 06 (ईओएस-06(Earth Observation Satellite – 06 (EOS-06))) और आठ नैनो उपग्रहों का प्रक्षेपण करेगा।
  • EOS-6 ओशनसैट (Oceansat) उपग्रहों की श्रृंखला में तीसरी पीढ़ी का उपग्रह है जिसे बेहतर पेलोड विनिर्देशों और अनुप्रयोगों के साथ ओशनसैट-2 अंतरिक्ष यान की सेवाओं को निरंतरता प्रदान करने के लिए लॉन्च किया जा रहा है।
  • इन आठ नैनो उपग्रहों में निम्न शामिल हैं: भूटान के लिए इसरो का नैनो सैटेलाइट-2 (INS-2B), आनंद, एस्ट्रोकास्ट (चार उपग्रह), और दो थायबोल्ट उपग्रह जिन्हें दो अलग-अलग सूर्य-समकालिक ध्रुवीय कक्षाओं में लॉन्च किया जाएगा।
  • आईएनएस-2बी अंतरिक्ष यान में नैनोएमएक्स और एपीआरएस-डिजिपीटर नामक दो पेलोड होंगे।
  • NanoMx अहमदाबाद के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र द्वारा विकसित एक बहु-स्पेक्ट्रल ऑप्टिकल इमेजिंग पेलोड है।
  • एपीआरएस-डिजिपीटर (APRS-Digipeater) पेलोड को सूचना प्रौद्योगिकी और दूरसंचार विभाग-भूटान और यूआर राव सैटेलाइट सेंटर द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है।

2.भारत ने अग्नि-3 परमाणु सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया:

  • भारत ने हाल ही में ओडिशा के अब्दुल कलाम द्वीप से अग्नि-3 इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल का सफल प्रक्षेपण किया हैं।
  • यह परीक्षण सामरिक बल कमांड के तत्वावधान में किए गए नियमित प्रयोगकर्ता प्रशिक्षण लॉन्च का हिस्सा था।
  • मिसाइल का यह लॉन्च एक पूर्व निर्धारित सीमा के लिए किया गया था जिसमे सिस्टम के सभी परिचालन मापदंडों की जांच की गई थी।
  • मिसाइलों की अग्नि श्रृंखला को भारत के परमाणु हथियार वितरण की रीढ़ माना जाता है जिसमें पृथ्वी कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल और लड़ाकू विमान भी शामिल हैं।
  • इसके साथ ही भारत ने अपनी परमाणु तिकड़ी भी पूरी कर ली है और परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत के साथ अपनी दूसरी स्ट्राइक क्षमता का संचालन किया है।
  • भारत की मिसाइलों के प्रकार के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:Types of Missiles of India

3.कुकी-चिन (Kuki-Chins) के मुद्दे पर गृह मंत्रालय की विदेश मंत्रालय के साथ बातचीत जारी:

  • बांग्लादेश से कुकी-चिन समुदाय के 270 से अधिक सदस्य जिन्होंने हाल ही में मिजोरम में प्रवेश किया है, उन्हें राज्य सरकार के रिकॉर्ड में “आधिकारिक रूप से विस्थापित व्यक्ति” माना जा रहा है क्योंकि भारत में शरणार्थियों पर कोई कानून नहीं है।
  • कुकी-चिन समुदाय की आबादी लगभग 3.5 लाख है और बांग्लादेश सुरक्षा बल विद्रोही समूह कुकी-चिन नेशनल आर्मी (Kuki-Chin National Army (KNA)) के खिलाफ लड़ रहे हैं।
  • कुकी-चिन समुदाय की आबादी लगभग 3.5 लाख है और बांग्लादेश सुरक्षा बल विद्रोही समूह कुकी-चिन नेशनल आर्मी ( Kuki-Chin National Army (KNA)) के खिलाफ लड़ रहे हैं।
  • बांग्लादेश से कुकी-चिन समुदाय के लोगो का मिजोरम से भारत में प्रवेश पर गृह मंत्रालय ने कहा है कि इस मुद्दे पर विदेश मंत्रालय (MEA) के साथ चर्चा की जा रही थी क्योंकि गृह मंत्रालय के अनुसार, वैध यात्रा दस्तावेजों के बिना देश में प्रवेश करने वाले विदेशी नागरिकों को अवैध अप्रवासी माना जाता है।
  • कुकी-चिन समुदाय के सदस्यों के समूह, जिसमें शिशु और महिलाएं शामिल थीं, ने बांग्लादेश-मिजोरम सीमा पर सीमा सुरक्षा बल (Border Security Force (BSF)) के गश्ती अड्डे से संपर्क किया और उन्हें मानवीय आधार पर भारत में प्रवेश करने की अनुमति दी गई।
  • अधिकारियों के अनुसार, आने वाले दिनों में ऐसे और शरणार्थियों के आने की उम्मीद है और राज्य सरकार के आदेश के बाद अब तक लगभग चार स्कूलों को आश्रय स्थलों में बदल दिया गया है।
  • कुकी जनजाति विद्रोह के सम्बन्ध में अधिक जानकारी के लिये इस लिंक पर क्लिक कीजिए:Kuki Tribes Insurgency

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. MAARG पोर्टल भारत सरकार की निम्नलिखित में से किस पहल/योजना/परियोजना के तहत शुरू किया गया हैं? (स्तर – मध्यम)

(a) भारतमाला परियोजना

(b) स्टार्टअप इंडिया (Startup India)

(c) कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन (AMRUT)

(d) कुसुम योजना (KUSUM Scheme)

उत्तर: b

व्याख्या:

  • MAARG पोर्टल स्टार्टअप इंडिया का एक नेशनल मेंटरशिप प्लेटफॉर्म है, जो की नए स्टार्ट-अप को आगे बढ़ने एवं फलने-फूलने में मदद और मार्गदर्शन करेगा।

प्रश्न 2. निम्नलिखित युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं? (स्तर – मध्यम)

द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास प्रतिभागी राष्ट्र

1. मित्र शक्ति भारत – नेपाल

2. गरुड़ शक्ति भारत – इंडोनेशिया

3. शक्ति अभ्यास भारत – श्रीलंका

4. वज्र प्रहार भारत – यूएसए

विकल्प:

(a) केवल 2 और 3

(b) केवल 1, 3 और 4

(c) केवल 2 और 4

(d) केवल 2

उत्तर: c

व्याख्या:

  • युग्म 1 सही सुमेलित नहीं है: मित्र शक्ति अभ्यास भारत और श्रीलंका की सेनाओं के बीच होने वाला एक द्विपक्षीय संयुक्त सैन्य अभ्यास है।
  • युग्म 2 सही सुमेलित है: गरुड़ शक्ति भारत और इंडोनेशिया की सेनाओं के विशेष बलों के बीच होने वाला एक द्विपक्षीय अभ्यास है।
  • युग्म 3 सही सुमेलित नहीं है: शक्ति अभ्यास भारत और फ्रांस की सेनाओं के बीच आयोजित होने वाला एक द्विपक्षीय अभ्यास है।
  • युग्म 4 सही सुमेलित है: वज्र प्रहार भारत और अमेरिका के बीच किया जाने वाला एक संयुक्त सैन्य अभ्यास है।

प्रश्न 3. सिख गुरु – गुरु तेग बहादुर के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – कठिन)

1. उन्होंने जपजी साहिब (Japji Sahib) की रचना की।

2. उन्होंने राजा राम सिंह को अहोम राजा के साथ समझौता करने में मदद की।

3. उन्होंने लंगर या सामुदायिक भोजन की व्यवस्था की स्थापना की।

4. उन्हें त्याग मल (Tyag Mal) भी कहा जाता था।

दिए गए कथनों में से कितने गलत हैं/हैं?

(a) केवल एक कथन

(b) केवल दो कथन

(c) केवल तीन कथन

(d) चारों कथन

उत्तर: b

व्याख्या:

  • कथन 1 गलत है: जपजी साहिब की रचना गुरु नानक द्वारा की गई थी।
  • कथन 2 सही है: वर्ष 1668 में असम में गुरु तेग बहादुर ने अहोम के राजा और अंबर के राजा राम सिंह के बीच एक संधि/समझौता करवाने में मदद की थी जिन्हे वहां औरंगजेब ने भेजा था।
  • कथन 3 गलत है: “लंगर” एक गुरुद्वारे में सामुदायिक रसोई को संदर्भित करता है जहां बिना किसी भेद के सभी आगंतुकों को भोजन परोसा जाता है। लंगर की संस्था सबसे पहले गुरु नानक ने शुरू की थी।
  • कथन 4 सही है: जन्म के समय गुरु तेग बहादुर का नाम त्याग मल (Tyag Mal) रखा गया था।

प्रश्न 4. हाल ही में समाचारों में देखे जाने वाले शब्द ‘टेलस्टार (Telstar’),अज़टेका (‘Azteca’), अल रिह्ला (‘Al Rihla’) किस संदर्भ में चर्चा में हैं ? (स्तर – मध्यम)

(a) शीतकालीन ओलंपिक

(b) फीफा विश्व कप

(c) आईसीसी क्रिकेट विश्व कप

(d) हॉकी विश्व कप

उत्तर: b

व्याख्या:

  • टेलस्टार (Telstar’),अज़टेका (‘Azteca’), और अल रिह्ला (‘Al Rihla’) सभी शब्द फीफा विश्व कप में इस्तेमाल होने वाले फुटबॉल के आधिकारिक नाम हैं।

प्रश्न 5. निम्नलिखित में से कौन, विश्व के देशों के लिए ‘सार्वभौम लैंगिक अंतराल सूचकांक (ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स)’ का श्रेणीकरण प्रदान करता है? (PYQ-2017) (स्तर – मध्यम)

(a) विश्व आर्थिक मंच

(b) UN मानव अधिकार परिषद्

(c) UN वूमन

(d) विश्व स्वास्थ्य संगठन

उत्तर: a

व्याख्या:

  • ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स रैंकिंग विश्व आर्थिक मंच/वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (World Economic Forum (WEF)) द्वारा प्रकाशित की जाती है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. सूचना के मुक्त प्रवाह के अलावा और कुछ भी नागरिकों को सशक्त नहीं बनाता है। विस्तार से व्याख्या कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस II – राजव्यवस्था)

प्रश्न 2.अल नीनो और ला नीना भारतीय मानसून पैटर्न/व्यवहार को किस प्रकार प्रभावित करते हैं? टिप्पणी कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस I – भूगोल)