A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
F. प्रीलिम्स तथ्य: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
ब्रिक्स में छह नए सदस्य देश शामिल होंगे:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: भारत से जुड़े द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह।
प्रारंभिक परीक्षा: ब्रिक्स से सम्बन्धित जानकारी।
मुख्य परीक्षा: द्विपक्षीय और क्षेत्रीय संबंध, भारत की अंतरराष्ट्रीय भागीदारी, वैश्विक समूह और भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते।
प्रसंग:
- इस लेख में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के परिणामों पर चर्चा की गई है, जहां दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने जोहान्सबर्ग घोषणा प्रस्तुत की।
- भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स के विस्तार की घोषणा की और ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात सहित नए सदस्यों का स्वागत किया।
यूक्रेन संघर्ष पर दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति का संबोधन और संदर्भ:
- वर्तमान में जोहान्सबर्ग संपन्न हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में ब्रिक्स अध्यक्ष और दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने शिखर सम्मेलन के परिणाम दस्तावेज़, जोहान्सबर्ग घोषणा प्रस्तुत की हैं ।
- इस सम्मेलन में परोक्ष रूप से यूक्रेन संघर्ष (Ukraine conflict) का उल्लेख किया गया, जिसमें विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की तलाश पर समूह के फोकस पर जोर दिया गया।
- ब्रिक्स से सम्बन्धित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक कीजिए: BRICS
ब्रिक्स का विस्तार एवं नए सदस्य:
- भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स के विस्तार के लिए सिद्धांतों, मानदंडों और प्रक्रियाओं पर समझौते की घोषणा की हैं।
- ब्रिक्स में अर्जेंटीना, मिस्र, ईरान, सऊदी अरब, इथियोपिया और संयुक्त अरब अमीरात का स्वागत किया।
- नए सदस्य ब्रिक्स गतिविधियों में नई गतिशीलता और ऊर्जा का संचार करेंगे।
- ऊर्जा संपन्न खाड़ी के दोनों किनारों का प्रतिनिधित्व करने के कारण ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के शामिल होने का विशेष महत्व है।
- उल्लेखनीय है कि अप्रैल में संबंध सामान्य होने के बाद ईरान और सऊदी अरब संयुक्त रूप से ब्रिक्स में शामिल हो गए।
विस्तार निर्णय एवं पृष्ठभूमि:
- ब्रिक्स विस्तार का निर्णय पिछले विस्तार के 13 साल बाद किया गया जिसमें वर्ष 2010 में दक्षिण अफ्रीका को शामिल किया गया था।
- ब्रिक्स में मूल रूप से ब्राजील, रूस, भारत और चीन शामिल थे, जो शीत युद्ध (Cold War) के बाद की विश्व व्यवस्था को प्रभावित करने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के रूप में गठित हुए थे।
पीएम मोदी की द्विपक्षीय बैठकें और पहल:
- पीएम मोदी ने सेनेगल, मोजाम्बिक, इथियोपिया और ईरान के नेताओं से चर्चा की।
- ब्रिक्स-अफ्रीका आउटरीच और ब्रिक्स प्लस संवाद सत्र में भाषण दिया।
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन ( International Solar Alliance, Coalition for Disaster Resilient Infrastructure) और अन्य पहलों में शामिल होने के लिए भागीदार देशों को विस्तारित निमंत्रण।
बहुपक्षवाद और शांतिपूर्ण संकल्पों के प्रति प्रतिबद्धता:
- राष्ट्रपति रामफोसा ने समावेशी बहुपक्षवाद (multilateralism) और संयुक्त राष्ट्र चार्टर सिद्धांतों सहित अंतरराष्ट्रीय कानून को बनाए रखने की प्रतिबद्धता दोहराई।
- वैश्विक स्तर पर चल रहे संघर्षों पर चिंता व्यक्त करते हुए बातचीत और समावेशी परामर्श के माध्यम से मतभेदों को हल करने के लिए ब्रिक्स के समर्पण पर जोर दिया।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
भारत और उत्तरी समुद्र मार्ग:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय:द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
प्रारंभिक परीक्षा: उत्तरी समुद्री मार्ग के आसपास के जल निकायों पर मानचित्र-आधारित प्रश्न
मुख्य परीक्षा: उत्तरी समुद्री मार्ग का खुलना: रूस के साथ व्यापार और संबंध पर प्रभाव
संदर्भ:
- मरमंस्क, जो एक आर्कटिक हब और उत्तरी समुद्री मार्ग(NSR) का शुरुआती बिंदु है, में भारतीय कार्गो की भागीदारी बढ़ रही है। 2023 के पहले सात महीनों में, भारत की भागीदारी मरमंस्क बंदरगाह पर 8 मिलियन टन में से 35% है।
भारत के लिए आर्कटिक क्षेत्र का महत्व:
- जलवायु प्रभाव: जलवायु परिवर्तन ( climate change) के प्रति आर्कटिक क्षेत्र की संवेदनशीलता भारत की आर्थिक सुरक्षा, जल सुरक्षा और स्थिरता को प्रभावित कर सकती है।
- संसाधन क्षमता: आर्कटिक में पर्याप्त अप्रयुक्त हाइड्रोकार्बन भंडार है, जहाँ कोयला, जस्ता और चांदी के साथ-साथ वैश्विक तेल और गैस भंडार का 40% से अधिक होने का अनुमान है।
- सतत विकास: आर्कटिक विकास के प्रति भारत का दृष्टिकोण संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (UN Sustainable Development Goals) के अनुरूप है, जो उत्तरदायी आर्थिक विकास पर जोर देता है।
मरमंस्क के कार्गो ट्रैफिक में भारत क्यों शामिल है?
- कार्गो शेयर: 2023 के पहले सात महीनों में मरमंस्क बंदरगाह के आठ मिलियन टन कार्गो में से 35% भारत का था।
- आर्थिक हित: उत्तरी समुद्री मार्ग (NSR) यूरोप और एशिया-प्रशांत देशों के साथ भारत के व्यापार के लिए एक छोटा शिपिंग मार्ग प्रस्तुत करता है।
- संसाधन आयात: भारत का रूस से कच्चे तेल और कोयले का बढ़ता आयात बढ़ते कार्गो यातायात में योगदान देता है।
आर्कटिक क्षेत्र के साथ भारत के जुड़ाव का इतिहास:
- आरंभिक जुड़ाव: भारत का आर्कटिक जुड़ाव 1920 में स्वालबार्ड संधि पर हस्ताक्षर करने के समय से है।
- वैज्ञानिक अध्ययन: भारत ने आर्कटिक में वायुमंडलीय, जैविक, समुद्री, जल विज्ञान और हिमनद विज्ञान संबंधी अध्ययनों पर ध्यान केंद्रित करते हुए विभिन्न वैज्ञानिक अध्ययन और अनुसंधान किए हैं।
- अनुसंधान स्टेशन: भारत ने स्वालबार्ड में हिमाद्रि अनुसंधान स्टेशन की स्थापना की और आर्कटिक अनुसंधान के लिए वेधशालाएँ और प्रयोगशालाएँ शुरू कीं।
- पर्यवेक्षक-देश: 2013 में, भारत चीन जैसे अन्य देशों के साथ आर्कटिक परिषद का पर्यवेक्षक-देश बन गया।
उत्तरी समुद्री मार्ग (NSR) के बारे में:
- सबसे छोटा मार्ग: NSR आर्कटिक महासागर में 5,600 किमी का शिपिंग मार्ग है, जो स्वेज या पनामा जैसे पारंपरिक मार्गों की तुलना में यूरोप और एशिया-प्रशांत के बीच कम दूरी का पारगमन प्रदान करता है।
- दूरी में बचत: वैकल्पिक मार्गों की तुलना में NSR संभावित रूप से दूरी में 50% तक की बचत कर सकता है।
- स्वेज नहर रुकावट: 2021 स्वेज नहर रुकावट (2021 Suez Canal blockage) के बाद वैकल्पिक मार्ग के रूप में NSR में रुचि बढ़ी है।
उत्तरी समुद्री मार्ग
स्त्रोत: The Hindu
रूस NSR की नौवहन क्षमता कैसे सुनिश्चित करता है?
- बर्फ तोड़ने में सहायता: आर्कटिक महासागर वर्ष के अधिकांश समय बर्फ से ढका रहता है, इसलिए रूस सुरक्षित नेविगेशन सुनिश्चित करने के लिए बर्फ तोड़ने में सहायता प्रदान करता है।
- परमाणु-संचालित बेड़ा: रूस एक परमाणु-संचालित आइसब्रेकर बेड़े का संचालन करता है, जिसमें सात परमाणु आइसब्रेकर और अन्य को चालू करने की योजना है।
- इन्फ्रास्ट्रक्चर ऑपरेटर: रोसाटॉम स्टेट न्यूक्लियर एनर्जी कॉरपोरेशन नौवहन क्षमता और सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए NSR बुनियादी ढांचे का प्रबंधन करता है।
NSR पर चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री गलियारे (CVMC) का प्रभाव:
- CVMC परियोजना: चेन्नई और व्लादिवोस्तोक को जोड़ने वाली CVMC परियोजना को अंतरराष्ट्रीय कंटेनर पारगमन के लिए NSR से जोड़ने की संभावना तलाशी जा रही है।
- परिवहन समय में कमी: CVMC परिवहन समय को घटाकर 12 दिन कर सकता है, जो मौजूदा सेंट पीटर्सबर्ग-मुंबई मार्ग से काफी कम है।
- कार्गो प्रकार: कोकिंग कोयला, कच्चा तेल, LNG और उर्वरक उन कार्गो में से हैं जिन्हें CVMC के माध्यम से रूस से भारत में आयात किया जा सकता है।
भावी विकास:
- NSR कार्गो लक्ष्य: रूस ने NSR विकास योजना के हिस्से के रूप में 80 मिलियन टन (2024) और 150 मिलियन टन (2030) के कार्गो यातायात लक्ष्य का लक्ष्य रखा है।
- भारतीय भागीदारी: NSR से संबंधित परियोजनाओं में भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए एक रूसी प्रतिनिधिमंडल भारतीय व्यवसायों से जुड़ा हुआ है।
- CVMC कार्यशाला: CVMC परियोजना के प्रभाव और क्षमता पर चर्चा के लिए अक्टूबर में भारत और रूस के हितधारकों को शामिल करने वाली एक कार्यशाला की योजना बनाई गई है।
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
अफ़्रीकी पुनर्जागरण हेतु भारत का जी-20 अवसर:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय:द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
मुख्य परीक्षा: भारत और अफ्रीका संबंध, दक्षिण-दक्षिण सहयोग में भारत की भूमिका
संदर्भ: वर्तमान समय में, अफ्रीका ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका), जी-20 और संयुक्त राष्ट्र महासभा जैसे विभिन्न बहुपक्षीय प्लेटफार्मों के माध्यम से वैश्विक मंच पर अपनी उपस्थिति का दावा कर रहा है। 54 देशों वाला एक महाद्वीप और “वैश्विक दक्षिण” के एक चौथाई से अधिक का प्रतिनिधित्व करने के बावजूद, ब्रिक्स और जी-20 (G-20) के भीतर इसका प्रतिनिधित्व मुख्य रूप से दक्षिण अफ्रीका पर निर्भर करता है, जो अफ्रीकी महाद्वीप से एक विशिष्ट प्रतिनिधि के रूप में खड़ा है।
अफ्रीका में चुनौतियाँ और विघटनकारी:
- अस्तित्वगत चुनौतियाँ: 54 देशों और वैश्विक दक्षिण के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में अफ्रीका को कुशासन, अनियोजित विकास, आदिवासी प्रभुत्व और भ्रष्टाचार जैसी गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
- उभरते विघटनकारी: नई चुनौतियों में इस्लामिक आतंक, अंतर-जनजातीय संघर्ष, जलवायु परिवर्तन, बढ़ती खाद्य मुद्रास्फीति, शहरीकरण और युवा बेरोजगारी शामिल हैं।
- जटिल हस्तक्षेप: आतंकवाद पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से विभिन्न देशों द्वारा किए गए पिछले सैन्य हस्तक्षेपों ने आर्थिक हितों के लिए तानाशाही को सत्ता में बनाए रखते हुए स्थिति को और बदतर कर दिया है।
- जनरलों की वापसी: राजनीतिक अस्थिरता के कारण विभिन्न अफ्रीकी देशों में सैन्य शासन का पुनरुत्थान हुआ है, जिससे ऐसे शासन के खिलाफ की गई प्रगति संकट में पड़ गई है।
अफ्रीका का घटता अंतरराष्ट्रीय समर्थन:
- चीन की बदलती भूमिका: चीन, जो पहले एक प्रमुख अफ्रीकी व्यापारिक भागीदार और निवेशक था, ने आर्थिक मंदी और वस्तुओं की मांग में कमी के कारण अपनी भागीदारी कम कर दी है।
- ऋण संबंधी चिंताएँ: चीन की बेल्ट एंड रोड पहल (Belt and Road Initiative) के कारण कुछ अफ्रीकी देशों में ऋण का स्तर अस्थिर हो गया है, जिसके परिणामस्वरूप संपत्तियों का नियंत्रण चीन को सौंप दिया गया है।
- रूस के साथ अनिश्चितता: वैगनर समूह जैसी संस्थाओं के माध्यम से रूस का समर्थन आंतरिक मुद्दों और अफ्रीकी पहलों में कमजोर भागीदारी के कारण अनिश्चित हो गया है।
- पश्चिमी शक्तियों की सीमाएँ: पारंपरिक औपनिवेशिक शक्तियाँ और आर्थिक मंदी से जूझ रहे अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप के पास खनिज संपदा के दोहन से परे अफ्रीका के साथ जुड़ने की क्षमता सीमित है।
- प्रवासन संबंधी चिंताएँ: यूरोप का अफ्रीका से अवैध प्रवासन को रोकने पर ध्यान महाद्वीप की व्यापक चुनौतियों के साथ उसके जुड़ाव को सीमित करता है।
भारत के मजबूत संबंध:
- ऐतिहासिक संबंध: अफ्रीका के साथ भारत के संबंध ऐतिहासिक हैं, जिनमें रंगभेद के खिलाफ महात्मा गांधी की लड़ाई और संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना में इसकी भूमिका शामिल है।
- विविध जुड़ाव: यद्यपि तेल आयात में कमी आई है, लेकिन 2022-23 में भारत-अफ्रीका व्यापार 98 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया। निवेश में शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, दूरसंचार, आईटी, प्रौद्योगिकी और कृषि शामिल हैं।
- निवेश और सहायता: भारत एक महत्वपूर्ण निवेशक है, जो $12.37 बिलियन से अधिक रियायती ऋण प्रदान करता है। 2015 के बाद से पूरी की गई कई परियोजनाएं और दी गई छात्रवृत्तियां भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती हैं।
- भारतीय प्रवासी: भारतीय मूल के लगभग तीन मिलियन लोग अफ्रीका में रहते हैं, जो उन्हें महाद्वीप पर सबसे बड़ा गैर-मूल जातीय समूह बनाता है।
भारत-अफ्रीका संबंधों को प्रगाढ़ करने की दिशा में भावी कदम:
- ऐतिहासिक अवसर: चूंकि भारत जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है, इसलिए उसके पास अफ्रीका के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने का एक विशिष्ट मौका है।
- व्यापक मंच: भारत अफ्रीका में सुरक्षा और सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक अर्ध-स्थायी मंच स्थापित करने हेतु समान विचारधारा वाले जी-20 भागीदारों और बहुपक्षीय संस्थानों के साथ सहयोग कर सकता है।
- संयुक्त दृष्टिकोण: भारत की रणनीति में राजनीतिक स्थिरता और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए सामाजिक-राजनीतिक संस्थानों के निर्माण के साथ शांति स्थापना प्रयासों का मिश्रण होना चाहिए।
- नवाचारों का लाभ उठाना: भारत JAM ट्रिनिटी (जन धन-आधार-मोबाइल), DBT (प्रत्यक्ष लाभ अंतरण), UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस), और आकांक्षी जिला कार्यक्रम जैसे नवाचारों को साझा करके योगदान कर सकता है।
- विन-विन प्रतिमान: शोषणकारी भागीदारी के बजाय सहभागी विकल्प की पेशकश करके, भारत 21वीं सदी के लिए पारस्परिक रूप से लाभकारी भारत-अफ्रीका पारिस्थितिकी तंत्र निर्मित कर सकता है।
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. वायुसेना की दक्षता बढ़ाने के लिए सरकार स्थानीय स्तर पर हथियार खरीदेगी:
- रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में आयोजित रक्षा अधिग्रहण परिषद (Defence Acquisition Council (DAC)) की बैठक में पूंजी अधिग्रहण प्रस्तावों के लिए आवश्यकता की स्वीकृति (AoN) प्रदान की गई।
- स्वीकृतियों में लगभग ₹7,800 करोड़ के पूंजी अधिग्रहण प्रस्तावों के लिए आवश्यकता की स्वीकृति (Acceptance of Necessity (AoN) ) का अनुदान शामिल था।
- इन मंजूरियों में सैन्य क्षमताओं को मजबूत करने के लिए विभिन्न अधिग्रहण शामिल हैं।
- Mi-17 V5 हेलीकॉप्टरों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए उनमें एक इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (EW) सुइट जोड़ा जाएगा।
- भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड भारतीय वायु सेना की दक्षता में योगदान करते हुए ईडब्ल्यू सुइट प्रदान करेगा।
- जमीन पर मशीनीकृत पैदल सेना और बख्तरबंद रेजिमेंटों के लिए स्वायत्त प्रणालियों का अधिग्रहण किया जाएगा।
- ये प्रणालियाँ मानव रहित निगरानी, रसद वितरण और हताहत निकासी जैसे कार्यों को सक्षम करेंगी।
- लाइट मशीन गन (LMG) के शामिल होने से पैदल सेना बलों की लड़ने की क्षमता बढ़ेगी।
- ब्रिज-लेइंग टैंक (BLT) पेश किए जाएंगे, जिससे मशीनीकृत बलों के लिए तेज आवागमन की सुविधा मिलेगी।
- सेना के लिए मजबूत लैपटॉप और टैबलेट खरीद के लिए प्रोजेक्ट शक्ति के एओएन को मंजूरी दी गई थी।
- सभी खरीद का उद्देश्य आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देते हुए घरेलू स्तर पर आपूर्ति करना है।
- MH-60R हेलीकॉप्टर क्षमताओं को बढ़ाने के लिए, हथियारों की खरीद के लिए AoN दिया गया था।
- नौसेना वर्तमान में MH-60R हेलीकॉप्टर पेश कर रही है, जिनमें से 24 लॉकहीड मार्टिन के साथ 2.2 बिलियन डॉलर मूल्य के अनुबंध का हिस्सा थे।
2. सोडियम-आयन बैटरी पैक बनाने के लिए स्टार्ट-अप AR4, सोडियन सहयोगी:
- कोयंबटूर स्थित स्टार्ट-अप AR4 Tech ने सोडियम आयन बैटरी पैक बनाने के लिए सिंगापुर की सोडियन एनर्जी के साथ हाथ मिलाया है।
- AR4 Tech उत्पादन के लिए चार महीने के भीतर कोयंबटूर में 15,000 वर्ग फुट की फैक्ट्री स्थापित करेगी।
- साझेदारी का लक्ष्य सोडियन की सोडियम-आयन बैटरियों से बैटरी पैक बनाना है।
- आगामी फैक्ट्री में आयातित उपकरण होंगे और यह अर्ध-स्वचालित रूप से संचालित होगा।
- इसमें प्रतिदिन लगभग 100 बैटरी पैक बनाने की क्षमता होगी।
- सोडियन एनर्जी के पास उनके सहयोग के हिस्से के रूप में AR4 Tech में हिस्सेदारी है।
- उत्पादित पैक का उपयोग AR4 टेक द्वारा पारंपरिक पेट्रोल वाहनों, विशेष रूप से दोपहिया वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों (electric vehicles) में बदलने के लिए किया जाएगा।
- सोडियन एनर्जी के सीईओ पी. बाला ने एक सहायक नियामक ढांचे की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए, सोडियम आयन बैटरी पैक के लिए भारत में स्थापित गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों के अभाव का उल्लेख किया।
- सोडियम आयन बैटरी तकनीक उभर रही है और इस क्षेत्र को आगे बढ़ने के लिए अनुकूल नियमों की आवश्यकता है।
- संवर्धित वास्तविकता (AR) से सम्बन्धित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक कीजिए:Augmented Reality (AR)
3. मोदी छोटी ई-कॉम कंपनियों के लिए समान अवसर चाहते हैं:
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ई-कॉमर्स क्षेत्र में बड़े और छोटे विक्रेताओं के बीच निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा के महत्व पर प्रकाश डाला हैं।
- उनका लक्ष्य छोटे व्यवसायों को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं से जुड़ने के लिए सशक्त बनाना हैं।
- पीएम मोदी ने वैश्विक नीति निर्माताओं से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (Micro, Small, and Medium Enterprises (MSMEs)) की जरूरतों पर अधिक ध्यान देने का आग्रह किया।
- एमएसएमई महत्वपूर्ण हैं, जो 60% से 70% रोजगार और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 50% का योगदान देते हैं।
- छोटे व्यवसायों को सशक्त बनाने से न केवल उन्हें लाभ होता है बल्कि समग्र रूप से समाज भी सशक्त होता है।
- भारत की जी20 अध्यक्षता ने वैश्विक व्यापार और मूल्य श्रृंखलाओं में एमएसएमई की भागीदारी बढ़ाने को प्राथमिकता दी।
- “जयपुर पहल” का उद्देश्य एमएसएमई के लिए बाजार और व्यावसायिक जानकारी तक बेहतर पहुंच प्रदान करना है।
- इस पहल का उद्देश्य सीमित बाजार जानकारी के कारण एमएसएमई के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करना है।
- पीएम मोदी ने बड़े और छोटे विक्रेताओं के बीच निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा के महत्व पर जोर दिया।
- उन्होंने उचित मूल्य खोजने और शिकायतों का समाधान करने में उपभोक्ताओं के सामने आने वाली समस्याओं को हल करने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
कथन-I: जी20 (2023) में भारत ने ई-कॉमर्स में एमएसएमई के लिए समान प्रतिस्पर्धा और वैश्विक एकीकरण पर जोर दिया हैं।
कथन-II: एमएसएमई रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद में महत्वपूर्ण योगदान देता है, और उन्हें सशक्त बनाने से सामाजिक सशक्तिकरण होता है।
निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है?
(a) कथन-I और कथन-II दोनों सही हैं और कथन-II कथन-I का सही स्पष्टीकरण है।
(b) कथन-I और कथन-II दोनों सही हैं और कथन-II कथन-I का सही स्पष्टीकरण नहीं है।
(c) कथन-I सही है लेकिन कथन-II गलत है।
(d) कथन-I गलत है लेकिन कथन-II सही है।
उत्तर: a
व्याख्या:
- कथन-II कथन I की सही व्याख्या है क्योंकि यह बताता है कि भारत ई-कॉमर्स में एमएसएमई के लिए समान प्रतिस्पर्धा और वैश्विक एकीकरण पर जोर क्यों दे रहा है।
प्रश्न 2. निम्नलिखित देशों पर विचार कीजिए:
- अर्जेंटीना
- सऊदी अरब
- मिस्र
- नाइजीरिया
- संयुक्त अरब अमीरात
- ईरान
ब्रिक्स उपर्युक्त देशों में से कितने देशों को इस गुट में शामिल होने के लिए आमंत्रित करने पर सहमत हुआ है?
(a) केवल दो
(b) केवल चार
(c) केवल पाँच
(d) सभी छह
उत्तर: c
व्याख्या:
- ब्रिक्स छह देशों-अर्जेंटीना, सऊदी अरब, मिस्र, इथियोपिया, संयुक्त अरब अमीरात और ईरान को इस समूह में शामिल होने के लिए आमंत्रित करने पर सहमत हुआ है।
प्रश्न 3. उत्तरी समुद्री मार्ग (NSR) के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- यह यूरोप और एशिया-प्रशांत देशों के बीच सबसे छोटा शिपिंग मार्ग है।
- एनएसआर आर्कटिक महासागर के चार समुद्रों तक फैला हुआ है।
- यह बैरेंट्स और कारा समुद्र की सीमा से शुरू होता है और बेरिंग जलडमरूमध्य में समाप्त होता है।
उपरोक्त में से कितने कथन गलत हैं?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर: d
व्याख्या:
- यह यूरोप और एशिया-प्रशांत को जोड़ने वाला सबसे छोटा मार्ग है, यह चार आर्कटिक महासागर समुद्रों-बैरेंट्स, कारा, लापतेव और पूर्वी साइबेरियाई को पार करता है। यह बैरेंट्स-कारा समुद्र की सीमा से, यह बेरिंग जलडमरूमध्य के अंत तक फैला हुआ है।
प्रश्न 4. सोडियम आयन बैटरियों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- सोडियम आयन बैटरियां इलेक्ट्रोड के बीच सोडियम आयन की गति का उपयोग करती हैं, और उनका कैथोड सोडियम से बना होता है।
- सोडियम आयन बैटरियां अपने कम ऊर्जा घनत्व के कारण इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए उपयुक्त नहीं हैं।
- लिथियम-आयन बैटरियों की तुलना में सोडियम-आयन बैटरियों में थर्मल रनवे का अनुभव होने की अधिक संभावना होती है।
उपरोक्त में से कितने कथन सही हैं?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर: a
व्याख्या:
- ये सोडियम-आधारित कैथोड के साथ, चार्जिंग और डिस्चार्जिंग के लिए सोडियम आयनों का उपयोग करते हैं। लिथियम-आयन बैटरियों की तुलना में कम ऊर्जा घनत्व और थर्मल रनवे के कम जोखिम के कारण वे अधिक लाभदायक हैं।
प्रश्न 5. . ‘साहेल क्षेत्र’ के नाम से जाना जाने वाला क्षेत्र कभी-कभी निम्नलिखित के संदर्भ में समाचारों में आता है:
(a) हिंद महासागर में समुद्री सुरक्षा
(b) पश्चिम अफ्रीका में कुशासन और भ्रष्टाचार
(c) दक्षिण एशियाई देशों के बीच सीमा विवाद
(d) पश्चिम एशिया में शरणार्थी संकट
उत्तर: b
व्याख्या:
- साहेल क्षेत्र कुशासन, अनियोजित विकास, शासक जनजातियों का प्रभुत्व और भ्रष्टाचार जैसी कई अस्तित्व संबंधी चुनौतियों से गुजर रहा है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. वैश्विक आर्थिक महाशक्ति बनने की भारत की महत्वाकांक्षा में उत्तरी समुद्री मार्ग के महत्व पर चर्चा कीजिए । (Discuss the importance of the Northern Sea Route in India’s ambition to be a global economic superpower? ) (250 शब्द, 10 अंक) [जीएस पेपर II: अंतर्राष्ट्रीय संबंध]
प्रश्न 2. “वर्तमान भू-राजनीतिक माहौल में, भारत के पास अफ्रीका में एक बड़ा अवसर है” क्या आप इससे सहमत हैं? (“In the current geopolitical environment, India has a great opportunity in Africa”. Do you agree?) (150 शब्द, 10 अंक) [जीएस पेपर III: अंतर्राष्ट्रीय संबंध]
(नोट: मुख्य परीक्षा के अंग्रेजी भाषा के प्रश्नों पर क्लिक कर के आप अपने उत्तर BYJU’S की वेबसाइट पर अपलोड कर सकते हैं।)