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भारत के प्रमुख खनिज

खनिज एक प्राकृतिक अकार्बनिक तत्व या यौगिक है। इसमें विशिष्ट रासायनिक संरचना, क्रिस्टल रूप और भौतिक गुणों के साथ-साथ एक व्यवस्थित आंतरिक संरचना होती है। धरती पर पाए जाने वाले सामान्य खनिजों में अभ्रक, उभयचर, ओलिविन, क्वार्ट्ज, फेल्डस्पार, और कैल्साइट शामिल होते हैं।

विभिन्न खनिज चट्टानों में निहित पृथ्वी की पपड़ी बनाते हैं। इन खनिजों से पर्याप्त शोधन के बाद धातुएं निकाली जाती हैं। ज्याजातर खनिज सजातीय घटकों से बने होते हैं। लेकिन पृथ्वी की चट्टानें आमतौर पर कई खनिजों से बनी होती हैं, जो विभिन्न अनुपातों में होते हैं। हालांकि कुछ चट्टानें, जैसे चूना पत्थर आदि पूरी तरह से एक ही खनिज से बनी होती हैं। खनिज अक्सर आग्नेय और रूपांतरित चट्टानों की दरारों, भ्रंशों और जोड़ों में पाए जाते हैं।

आईएएस परीक्षा 2024 की तैयारी करने वाले उम्मीदवार भारत में खनिजों के बारे में अधिक जानने के लिए इस लेख को ध्यान से पढ़ें। इस लेख में हम आपको भारत में खनिज की उपलब्धता और उनकी विशेषताओं के बारे में विस्तार से बताएंगे। भारत में खनिज विषय के बारे में अंग्रेजी में पढ़ने के लिए Major Minerals In India पर क्लिक करें।

खनिज किसे कहते है? 

खनिज एक भौतिक पदार्थ होता हैं, जिसे खदानों से खोद कर निकाला जाता है। भारत  में पाए जाने वाले कुछ बेहद उपयोगी खनिज पदार्थों के नाम हैं – कोयला, लोहा, अभ्रक, नमक, जस्ता, चूना पत्थर और बॉक्साइट (जिससे अलुमिनियम बनता है) इत्यादि। 

भारत में खनिज संपदा 

भारत में खनिजों का विशाल भंडार है, जिससे कई उद्योगों को कच्चे माल की प्राप्ति होती है। भूगर्भीय सर्वेक्षण विभाग के मुताबिक भारत में करीब 50 क्षेत्रों को खनिज संपदा वाले क्षैत्रों के रुप में चिन्हित किया गया है। इन क्षेत्रों के करीब 400 जगहों पर खनिज संपदा मिलती है। लौह-अयस्क का भारत में एक विशाल भंडार है। इसके अलावा भारत, टाइटेनियम, मैग्नासाईट, केनाईट, सिलिमनाईट, मैंगनीज, क्रोमाईट, परमाणु-खजिनों अभ्रक और बॉक्साइट के मामले में आत्मनिर्भर है। भारत इन उपलब्ध खनिजों का खनन कर हर साल बड़ी मात्रा में निर्यात भी करता है। 

भारत में खनिज सम्पदा का वितरण 

हमारे देश में खनिज संपदा का वितरण बेहद असमान है। भारत के गुजरात और असम में पेट्रोलियम के बड़े भंडार हैं। वहीं, राजस्थान में अधात्त्विक खनिजों के भंडार मौजूद हैं। 

झारखंड राज्य में दामोदर घाटी प्रदेश में खजिनों का बड़ा भंडार है। हालांकि यहां पेट्रोलियम की उपलब्धता नहीं है। वहीं, मंगलौर से कानपुर की रेखा के पश्चिमी भाग के प्रायद्वीपीय क्षेत्र में खनिज के भंडार बहुत कम हैं। इसके पूर्व में कोयला, अभ्रक के साथ-साथ कई धात्त्विक एवं गैर-धात्त्विक खनिजों के बड़े भंडार हैं। 

भारत के कई राज्यों जैसे उत्तरप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, त्रिपुरा, नागालैंड, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, और पश्चिम बंगाल में खनिज भंड़ा नही के बारबर है। इसके विपरित तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, राजस्थान और मेघालय में खनिज संपदा से संपन्न कई भंडार मौजूद हैं। वहीं, बिहार और मध्य प्रदेश में भी धात्त्विक एवं अधात्त्विक खनिजों तथा कोयला का उत्पादन होता है।

भारत में प्रमुख खनिज उत्पादक बेल्ट

भारत में, अधिकांश धात्विक खनिज प्रायद्वीपीय पठार पर प्राचीन क्रिस्टलीय चट्टानों में पाए जाते हैं। दामोदर, सोन, महानदी और गोदावरी घाटियों में 97% से अधिक कोयले के भंडार पाए जाते हैं। पेट्रोलियम भंडार असम, गुजरात और मुंबई की उच्च तलछटी घाटियों (अरब सागर में अपतटीय स्थित) में पाए जाते हैं। कृष्णा-गोदावरी और कावेरी घाटियों में नए निक्षेपों की खोज की गई है। भारत में, खनिज तीन बड़े क्षेत्रों में केंद्रित हैं।  

पठार क्षेत्र, उत्तर-पूर्वी भारत – झारखंड के छोटानागपुर, ओडिशा के पठार, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ के कुछ खंड इस क्षेत्र में शामिल हैं। इसमें लौह अयस्क, कोयला, मैंगनीज, बॉक्साइट और अभ्रक सहित खनिजों की एक विस्तृत श्रृंखला मिलती है।

दक्षिण-पश्चिमी पठार – यह बेल्ट कर्नाटक, गोवा और तमिलनाडु और केरल के ऊपरी इलाकों में फैला हुआ है। इस क्षेत्र में बॉक्साइट तथा लौह धातु प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। हालांकि, यहां उच्च श्रेणी का लौह अयस्क, मैंगनीज और चूना पत्थर भी मिलता है। नेवेली लिग्नाइट को छोड़कर, यह क्षेत्र कोयले के भंडार से सघन रूप से भरा हुआ है। इस क्षेत्र में खनिज भंडार उतने विविध नहीं हैं जितने कि उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में हैं। केरल में मोनाजाइट और थोरियम उपलब्ध हैं, साथ ही बॉक्साइट मिट्टी भी उपलब्ध है। वहीं, गोवा में लौह अयस्क के भंडार पाए जाते हैं।

उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र – यहां अरावली पर्वतों के किनारे धारवाड़ शैलों से संबंधित खनिज पदार्थ पाए जाते हैं। यहां कॉपर और जिंक हमेशा से महत्वपूर्ण खनिज रहे हैं। राजस्थान में बलुआ पत्थर, ग्रेनाइट और संगमरमर जैसी निर्माण सामग्री में प्रचुर मात्रा में मौजूद है। यहां जिप्सम और मुल्तानी मिट्टी के बड़े भंडार भी हैं। सीमेंट उद्योग इस क्षेत्र में पाए जाने वाले डोलोमाइट और चूना पत्थर को कच्चे माल के रूप में उपयोग करता है। गुजरात अपने तेल और गैस भंडार के लिए प्रसिद्ध है। गुजरात और राजस्थान दोनों में नमक का विशाल भंडार मौजूद है।

हिमालयी बेल्ट को तांबा, सीसा, जस्ता, कोबाल्ट और टंगस्टन के भंडार के लिए जाना जाता है। असम घाटी में खनिज तेल संसाधन पाए जा सकते हैं। मुंबई तट के अपतटीय स्थान भी तेल संसाधनों (मुंबई हाई) के मामले में समृद्ध हैं।

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भारत में खनिज उद्योग

  • भारत में आजादी के बाद से पिछले 7 दशकों में सभी खनिजों के उत्पादन का मूल्य साल 2017-18 में 1,12,632 करोड़ रुपए के स्तर को छू गया था।
  • इस दौरान पेट्रोलियम (कच्चा), बॉक्साइट, क्रोमाइट, तांबा अयस्क, लौह अयस्क, सीसा एवं जस्ता, मैंगनीज अयस्क, चांदी, हीरा, चूना पत्थर, कोयला, लिग्नाइट आदि प्रमुख खनिजों का उत्पादन बढ़ा है।
  • भारत में साल 1947 की तुलना में सोना, कायनाइट आदि के उत्पादन में गिरावट आई है।
  • हमारे देश में साल 2017-18 में 675 मिलियन टन कोयले का उत्पादन हुआ था।
  • इस दौरान गैर-धात्विक खनिजों जैसे चूना पत्थर का उत्पादन 339 मिलियन टन था।

भारत में पाए जाने वाले प्रमुख खनिजों की सूची

यूपीएससी परीक्षा 2023 के लिए भारत के कुछ प्रमुख खनिजों की सूची नीचे दी गई हैं – 

  • यूरेनियम
  • कोयला
  • सोना
  • कच्चा लोहा
  • नेतृत्व करना
  • जस्ता
  • मैगनीशियम
  • टंगस्टन
  • हीरा
  • स्फतीय
  • क्वार्ट्ज
  • अभ्रक

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भारत के प्रमुख खनिज और उनके पाई जाने वाली जगह
खनिज का नाम   प्राप्ति स्थान
लौह-अयस्क  ओडिशा (सोनाई, क्योंझर, मयूरभंज), झारखंड (सिंहभूम, हजारीबाग, पलामू, धनबाद), छत्तीसगढ़ (बस्तर, दुर्ग, रायपुर, रायगढ़, बिलासपुर), मध्य प्रदेश (जबलपुर), कर्नाटक (बेलारी, चिकमंलुर, चीतल दुर्ग) महाराष्ट्र (रत्नागिरि, चांदा), तमिलनाडु (सलेम, तिरुचिरापल्ली), गोव
मैंगनीज  ओडिशा (सुन्दरगढ़, सम्बलपुर, बोलंगीर, क्योंझर, कालाहांडी, कोरापुट), महाराष्ट्र (नागपुर और भंडारा), मध्य प्रदेश के (बालाघाट, छिंदवाड़ा), कर्नाटक (शिमोगा, बेलारी, चित्रदुर्ग, बीजापुर), आन्ध्र प्रदेश (श्रीकाकूलम), गुजरात (पंचमहल, बड़ौदा), झारखंड (सिंहभूम) एवं राजस्थान (बांसवाड़ा)
कोयला झारखंड (धनबाद, सिंहभूम, गिरिडीह), पश्चिम बंगाल (रानीगंज, आसनसोल), छत्तीसगढ़ (रायगढ़), ओडिशा (देसगढ़ तथा तलचर), असम (माकूम, लखीमपुर), महाराष्ट्र (चांदा), तेलंगाना (सिंगरेनी) मेघालय, जम्मू-कश्मीर, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश (नामचिक, नामफुक)
तांबा

 

झारखंड (सिंहभूम, हजारीबाग), राजस्थान (खेतड़ी, झुंझुनू, भीलवाड़ा, अलवर एवं सिरोही), महाराष्ट्र (कोल्हापुर), कर्नाटक (चीतल दुर्ग हासन, रायचूर), मध्य प्रदेश (बालाघाट), आन्ध्र प्रदेश (अग्नि गुंडल)
बॉक्साइट ओडिशा, झारखंड (कोडरमा, हजारीबाग), बिहार (गया, एवं मुंगेर), महाराष्ट्र (नागपुर, भंडारा तथा रत्नागिरी), राजस्थान (अजमेर, शाहपुर), आन्ध्र प्रदेश (नेल्लोर)
सोना  कर्नाटक (कोलार तथा हट्टी की खान), आन्ध्र प्रदेश (रामगिरि खान, अनन्तपुर), तेलंगाना (वारंगल), तमिलनाडु (नीलगिरी एवं सलेम), झारखंड (हीराबुदनी खान सिंहभूम)
अभ्रक आन्ध्र प्रदेश (नेल्लोर जिला), झारखंड (पलामू), गुजरात (खेड़ा), मध्य प्रदेश (कटनी, बालाघाट, जबलपुर), छत्तीसगढ़ (बिलासपुर) राजस्थान
जस्ता राजस्थान (उदयपुर), ओडिशा, जम्मू-कश्मीर (उत्पादन में द्वितीय स्थान)
चांदी राजस्थान (जवार खान) कर्नाटक (चित्रदुर्ग, बेलारी), आन्ध्र प्रदेश (कुडप्पा गुटूर), झारखंड (संथालपरगना, सिंहभूम)।
पेट्रोलियम असम (डिग्बोई, सूरमा घाटी), गुजरात (खम्भात, अंकलेश्वर) महाराष्ट्र (बॉम्बे)
मैग्नेजाइट उत्तराखंड, राजस्थान , तमिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश
हीरा   मध्य प्रदेश (मझगावां खान, पन्ना जिला)
यूरेनियम झारखंड (रांची, हजारीबाग, सिंहभूम)
थोरियम पाइराइट्स   राजस्थान (पाली, भीलवाड़ा)
टंगस्टन

क्रोमाइट 

राजस्थान , तमिलनाडु, कर्नाटक

झारखंड एवं ओडिशा

सीसा  झारखंड, राजस्थान।
लिग्नाइट तमिलनाडु, राजस्थान
टिन   छत्तीसगढ़

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नोट – पर्यावरण पर खनन के हानिकारक प्रभाव क्या हैं जिन्हें आपको अपनी UPSC प्रारंभिक परीक्षा 2023 के लिए जानना चाहिए।

खनन के हानिकारक प्रभाव

खनन से हमारे पर्यावरण पर बेहद हानिकारक प्रभाव पड़ता है। खदानों में दिन-रात होने वाले खनन की वजह से रेत के कण वायु में मिलकर उसे दूषित कर देते हैं। इससे इंसानों और अन्य पशु-पक्षियों को सांस लेने में परेशानी होती है। इस प्रदुषित वायु में सांस लेने से इंसानों के फेफड़ों और आंखों को भारी नुकसान पहुंचता है और वो कई घातक बीमारियों का शिकार हो जाते हैं

खनन में प्रयोग किया जाने वाला बारूद और अन्य रसायन भी वायु को प्रदूषित करते हैं। जानकारी के मुताबिक राजस्थान में अरावली पर्वत माला खनन के कारण खोखली हो रही है। वहीं, कई जगहों पर खनन से पहाड़ों को भी भारी नुकसान पहुंच रहा है। जिससे वन्य जीवों की कई प्रजातियां विलुप्ति होने की कगार पर पहुंच गई हैं।

खनन से पर्यावरण पर पड़ने वाले घातक प्रभाव

अंधाधुंध होने वाले खनन ने कई पर्यावरणीय समस्याओं को जन्म दे दिया है। इससे भूमि का कटाव, धूल और नमक से भूमि की उपज में परिवर्तन, जल का खारा होना आदि नुकसान होते हैं। खनन से वन्य क्षेत्रों में जल प्रदूषण भी बढ़ता हैं। खनन के कुछ घातक प्रभाव नीचे दिए जा रहे हैं –

  • खनिज संपन्न क्षेत्रों में, उच्च कणों वाले पदार्थ के साथ दूषित हवा एक गंभीर समस्या है।
  • राजस्थान में मकराना मार्बल खदानों ने पर्यावरण को प्रदूषित किया है।
  • कर्नाटक में ग्रेनाइट की खानों ने धरती में एक बड़ा गड्ढा छोड़ दिया है और कोयले के खनन ने दामोदर नदी को गंभीर रूप से प्रदूषित कर दिया है।
  • खनन कार्यों के परिणामस्वरूप जैव विविधता और सांस्कृतिक विरासत का नुकसान हुआ है।
  • धाराओं और नदियों का पानी अम्लीय हो जाता है और पीने के लिए असुरक्षित हो जाता है।
  • अभ्रक आदि जैसे कुछ खनिजों के खनन से श्रमिकों और निवासियों दोनों में फाइब्रोसिस, न्यूमोकोनिओसिस और सिलिकोसिस जैसी गंभीर बीमारियां पैदा होने का खतरा रहता है।

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भारत में खनिजों से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य

  • भारत की खनिज क्षमता दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के बराबर है।
  • भारत में 95 प्रकार (इनमें 4 हाइड्रोकार्बन ऊर्जा खनिज, 5 परमाणु खनिज, 10 धात्विक खनिज, 21 गैर-धात्विक खनिज एवं 55 छोटे खजिन शामिल है) के खनिजों का उत्पादन होता है।
  • भारत में बड़ी खनिज क्षमता के बावजूद इसका खनन क्षेत्र अभी भी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है।
  • भारत में अब तक केवल 10% स्पष्ट भूवैज्ञानिक क्षमता (OGP) वाले खनन क्षेत्रों की खोज हो सकी है।
  • भारत में OGP के केवल 5% क्षेत्र पर खनन कार्य किया जा रहा है।
  • खनन क्षेत्र का भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में केवल 1.75% का योगदान है।  
  • भारत करीब 2.5 लाख करोड़ रुपए मूल्य के खनिजों का हर साल आयात करता है।

भारत में प्रमुख खनिजों पर यूपीएससी परीक्षा में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न 

खनन गतिविधियों और मानव बस्तियों के बीच मुख्य मुद्दे क्या रहे हैं?

खनन के लिए बड़े पैमाने पर पुनर्वास के परिणामस्वरूप लोग सरकारी तंत्र से अलग-थलग और अविश्वासी हो जाते हैं। इससे विस्थापितों में सरकार के प्रति नाराजगी और शिकायतें बढ़ती हैं। इसका एक मुख्य कारण अप्रभावी पुनर्वास प्रयास भी है। खनन के लिए किए जाने वाले पुनर्वास से जंगलों में रहने वाले समुदायों को अपनी आदिवासी जीवन शैली और अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को भी छोड़ना पड़ता है। इन सभी नुकसानों के कारण समय-समय पर आंदोलन और विद्रोह होते रहे हैं। 

यूपीएससी पाठ्यक्रम के अनुसार भारत में प्रमुख खनिज (major minerals) और गौण खनिज (minor minerals) क्या हैं?

उत्पादन मूल्य का अनुमान लगाने के लिए खनन और उत्खनन उद्योग को दो बुनियादी श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है, – प्रमुख खनिज (major minerals) और गौण खनिज (minor minerals। केंद्र सरकार खान और खनिज (विनियमन और विकास) अधिनियम, 1957 की धारा I (ए) के तहत गौण खनिजों की घोषणा करती है। उन्हें नियमित आधार पर भारतीय राजपत्र में संशोधित और प्रकाशित किया जाता है। कोयला, लिग्नाइट, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस ईंधन इन खनिजों के उदाहरण हैं, जबकि अन्य महत्वपूर्ण खनिजों में धात्विक खनिज जैसे परमाणु खनिज और गैर-धात्विक खनिज शामिल हैं।

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