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परंपरागत कृषि विकास योजना

परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) एक पारंपरिक कृषि सुधार कार्यक्रम है जो 2015 में शुरू किया गया था। यह सतत कृषि पर राष्ट्रीय मिशन (National Mission for Sustainable Agriculture) के तहत मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन (एसएचएम) का एक विस्तारित घटक है।

आईएएस परीक्षा 2023 की तैयारी करने वाले उम्मीदवार, परंपरागत कृषि विकास योजना के बारे में अधिक जानने के लिए इस लेख को ध्यान से पढ़ें। इस लेख में हम आपको परंपरागत कृषि विकास योजना की विशेषताओं के बारे में विस्तार से बताएंगे। परंपरागत कृषि विकास योजना के बारे में अंग्रेजी में पढ़ने के लिए Paramparagat Krishi Vikas Yojana पर क्लिक करें।

पीकेवीवाई की मदद से, सरकार का लक्ष्य पारंपरिक कृषि को समर्थन और बढ़ावा देना है, इससे जुड़ी कुछ जरुरी जानकारी नीचे दी जा रही है –

  • जैविक खेती
  • उर्वरकों और कृषि रसायनों पर निर्भरता में कमी
  • उपज में वृद्धि करते हुए मृदा स्वास्थ्य में सुधार।
  • इस प्रकार उत्पादित जैविक खाद्य को आधुनिक विपणन साधनों और स्थानीय बाजारों से जोड़ा जाएगा।

पुनर्गठित परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई), जैविक गांव को क्लस्टर दृष्टिकोण और प्रमाणन की भागीदारी गारंटी प्रणाली को अपनाने के माध्यम से जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई है।

नेशनल मिशन फॉर सस्टेनेबल एग्रीकल्चर (National Mission for Sustainable Agriculture) 

नेशनल मिशन फॉर सस्टेनेबल एग्रीकल्चर, जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC) के प्रमुख मिशनों में से एक है। कृषि पद्धतियों में परिवर्तन भी जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए इस मिशन की शुरूआत की गई थी। यह मिशन कृषि पद्धतियों को व्यापक रूप से सुधारने की कोशिश करता है ताकि राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) के उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सके।

यूपीएससी के लिए पीकेवीवाई के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य

पीकेवीवाई की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, इस योजना के तहत 315 क्षेत्रीय परिषदें सक्रिय हैं। लगभग 8.89 लाख किसान परम्परागत कृषि विकास योजना से जुड़े हैं, और देश में लगभग 5.31 लाख हेक्टेयर क्षेत्र जैविक खेती के अधीन है।

पीकेवीवाई का फंडिंग पैटर्न  

पीकेवीवाई योजना के तहत वित्त पोषण पैटर्न क्रमशः केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा 60:40 के अनुपात में है। इसका मतलब है कि इस योजना के लिए 60 फिसदी अनुदान केंद्र सरकार द्वारा दिया जाएगा और बाकि का 40 फिसदी राज्य सरकारों द्वारा। इसी के साथ उत्तर पूर्वी और हिमालयी राज्यों के मामले में, केंद्रीय सहायता 90 फिसदी होगी, वहीं राज्य सरकारों द्वारा 10 फिसदी अनुदान दिया जाएगा।

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पीकेवीवाई योजना का उद्देश्य

पीकेवीवाई योजना का उद्देश्य पर्यावरण के अनुकूल, कम लागत वाली तकनीकों को अपनाकर रसायनों और कीटनाशकों के अवशेषों से मुक्त कृषि उत्पादों का उत्पादन करना है। जैविक खेती को बढ़ावा देने में पीकेवीवाई के प्रमुख क्षेत्रों में निम्नलिखित शामिल हैं –

  • ग्रामीण युवाओं/किसानों/उपभोक्ताओं/व्यापारियों के बीच जैविक खेती को बढ़ावा देना
  • जैविक खेती में नवीनतम तकनीकों का प्रसार करना
  • भारत में सार्वजनिक कृषि अनुसंधान प्रणाली के विशेषज्ञों की सेवाओं का उपयोग करना
  • एक गांव में कम से कम एक समूह प्रदर्शन का आयोजन किया जाना
जैविक खेती 

जैविक खादों का उपयोग कर के फसलों की पैदावार करना जैविक खेती कहलाता है। पूरी दुनिया के लिए भले ही यह नई तकनीक हो, लेकिन भारत में प्राचीन काल से ही जैविक खेती करने की परंपरा रही है। भारत में परंपरागत रूप से कृषि के लिए जैविक खाद का ही इस्तेमाल किया जाता रहा है। साल 2013 में इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ आर्गेनिक एग्रीकल्चर मूवमेंट (आईऍफओएएम) द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, पूरी दुनिया में करीब दो लाख किसान जैविक खेती करते है, इनमें से लगभग 80 प्रतिशत भारत के किसान हैं। इसलिए जैविक खेती भारत में कोई नई बात नहीं है, यह सदियों से की जाने वाली खेती प्रथाओं की एक निरंतरता है।

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पीकेवीवाई योजना का कार्यान्वयन

PKVY को कृषि विभाग के एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन (डिवीजन) के जैविक खेती सेल और सहयोग और किसान कल्याण (DAC&FW) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।

राज्य स्तर पर, राज्य का कृषि और सहकारिता विभाग पीजीएस-इंडिया सर्टिफिकेशन प्रोग्राम के तहत पंजीकृत क्षेत्रीय परिषदों की भागीदारी के साथ इस योजना को लागू कर रहा है।

जिले स्तर पर, जिले के भीतर क्षेत्रीय परिषदें (आरसी) पीकेवीवाई के कार्यान्वयन में सहयोग देती हैं।

नोट – सरकारी योजनाएं, UPSC Mains GS 2 पेपर का हिस्सा हैं। ऐसी योजनाओं से जुड़ी कार्यान्वयन एजेंसी, योजना के प्रकार (केंद्र द्वारा प्रायोजित या केंद्र-क्षेत्र), संस्थागत ढांचे या योजना से संबंधित वर्तमान मामलों के बारे में अक्सर प्रश्न पूछे जाते हैं। इसलिए, यूपीएससी परीक्षा 2023 की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों को इससे जुड़ी आवश्यक जानकारी पता होना चाहिए।

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