05 दिसंबर 2022 : समाचार विश्लेषण
A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: सामाजिक न्याय:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: भारतीय अर्थव्यवस्था:
D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: पर्यावरण:
अंतरराष्ट्रीय संबंध:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
भारतीय रिजर्व बैंक ने ई-रुपी क्यों लांच किया है?
भारतीय अर्थव्यवस्था:
विषय: बैंकिंग क्षेत्र।
प्रारंभिक परीक्षा: ई-रुपी।
मुख्य परीक्षा: डिजिटल रुपया।
संदर्भ:
- भारतीय रिजर्व बैंक ने पायलट आधार पर डिजिटल रुपये की शुरुआत की है।
विवरण:
- भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने भारत के कुछ प्रमुख शहरों में पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर डिजिटल मुद्रा लॉन्च की हैं। इस डिजिटल रूपये को कुछ विशिष्ट सार्वजनिक और निजी बैंकों द्वारा पेश किया जाएगा।
- देश में डिजिटल रुपये का उपयोग व्यक्ति-से-व्यक्ति (person-to-person) के साथ-साथ व्यक्ति-से-व्यापारी (person-to-merchant) सम्बन्धी लेनदेन दोनों के लिए किया जा सकता है।
- RBI से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:RBI – Reserve Bank of India [UPSC Indian Economy Notes]
डिजिटल रुपया:
- ई-रुपी (या डिजिटल रुपया) भारत के केंद्रीय बैंक द्वारा जारी एक डिजिटल मुद्रा है। इसे भारतीय रिज़र्व बैंक की निगरानी वाले डिजिटल वॉलेट में इलेक्ट्रॉनिक रूप से रखा जाएगा।
- इसे भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा कानूनी निविदा के रूप में मान्यता प्राप्त है और इस प्रकार डिजिटल रुपये (e₹-R) को देश में सभी के द्वारा विनिमय के माध्यम के रूप में स्वीकार किया जाएगा।
- हालांकि, इसमें ध्यान देने योग्य बात यह है कि डिजिटल रुपया बैंक में रखी गई जमा राशि से अलग है क्योंकि इस पर केंद्रीय बैंक द्वारा कोई ब्याज नहीं दिया जाएगा। लेकिन, बैंकों में जमा राशि को डिजिटल रुपयों में बदला जा सकता है और इसके विपरीत भी ऐसा किया जा सकता है।
- डिजिटल मुद्रा के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Sansad TV Perspective: RBI’s Digital Currency
डिजिटल रुपये की आवश्यकता:
- RBI के अनुसार डिजिटल रुपया, क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrencies) की तुलना में रुपये को अधिक आकर्षक मुद्रा बना देगा, जो केंद्रीय बैंक द्वारा अवमूल्यन के कारण समय के साथ धीरे-धीरे अपना मूल्य खो देता है।
- दुनिया भर के केंद्रीय बैंक अपनी स्वयं की डिजिटल मुद्राओं को जारी करने के लिए प्रयासरत हैं क्योंकि क्रिप्टोकरेंसी उनकी संप्रभुता को खतरे में डाल सकती है।
- इसके अलावा, भौतिक नकद नोटों के विपरीत डिजिटल मुद्रा का उत्पादन करना अधिक आसान और किफायती होगा।
- इसके अतिरिक्त, भौतिक लेनदेन की तुलना में अधिकारियों द्वारा डिजिटल लेनदेन का अधिक आसानी से पता लगाया जा सकता है।
संबद्ध जोखिम:
- ऐसी आशंकाएं जताई जा रही हैं कि केंद्रीय बैंक द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डिजिटल मुद्राओं की शुरूआत समग्र बैंकिंग प्रणाली को बाधित कर सकती है।
- बैंकों द्वारा दी जाने वाली कम ब्याज दरों के कारण, बड़ी संख्या में लोग अपने बैंक जमा को डिजिटल मुद्राओं में परिवर्तित कर सकते हैं क्योंकि उन्हें ब्याज से होने वाली आय के मामले में ज्यादा नुकसान नहीं होगा।
- इससे बैंकों की नकद धारिता काफी कम हो जाएगी और ऋण देने की उनकी क्षमता में बाधा आएगी।
- बैंकों की ऋण देने की क्षमता उनके वॉलेट में जमा नकदी की मात्रा से निर्धारित होती है।
- ई-रुपी नकदी रहित समाज की ओर संक्रमण/परिवर्तन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
- डिजिटल रुपये के उपयोग में वृद्धि अंततः बैंकों को अपनी ऋण देने की क्षमता का विस्तार करने से पहले पर्याप्त नकदी जमा रखने के दायित्व से मुक्त कर सकती है।
- ऐसे परिदृश्य में बैंक, बैंक भगदड़ (bank run) के जोखिम से मुक्त हो जायेंगे जो आमतौर पर ऋण पुस्तिका के अप्रतिबंधित विस्तार पर एक चेक के रूप में कार्य करता है।
- इस सम्बन्ध में आलोचकों का मानना है कि यदि सरकारों द्वारा वैध आर्थिक गतिविधियों को अवैध माना जाता है तो डिजिटल रुपये की शुरूआत आर्थिक विकास के लिए एक बाधा के रूप में कार्य कर सकती है।
- यह भी तर्क दिया जाता है कि निजी क्रिप्टोकरेंसी के विकल्प के रूप में केंद्रीय बैंक की डिजिटल मुद्राओं का भविष्य दिखावा साबित हो सकता है।
- यह बात ध्यान दिए जाने योग्य है कि निजी क्रिप्टोकरेंसी की लोकप्रियता इसलिए थी इसे मूल्य संचय का एक बेहतर भंडार माना जाता था और फिएट मुद्राओं (fiat currencies) की तुलना में इसकी क्रय शक्ति अधिक स्थिर थी।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
तस्कर ऑनलाइन तरीके से पीड़ितों की तलाश कर रहे हैं:
सामाजिक न्याय:
विषय: बच्चों और महिलाओं से संबंधित मुद्दे।
मुख्य परीक्षा: ऑनलाइन माध्यमों से तस्करी।
प्रारंभिक परीक्षा: मानव तस्करी।
विवरण:
- कोविड-19 ( COVID-19 ) के कारण लगाए गए लॉकडाउन की वजह से बहुत सारे लोग डिजिटल दुनिया तक सीमित होकर रह गए हैं। नतीजतन, तस्कर इन संभावित पीड़ितों को खोजने के लिए गेमिंग प्लेटफॉर्म, ऑनलाइन कक्षाओं, वैवाहिक साइटों, डेटिंग और चैट ऐप और ऋण ऐप को लक्षित कर रहे हैं।
- राजस्थान, पश्चिम बंगाल, झारखंड और मध्य प्रदेश जैसे राज्य पहले से ही तस्करी के प्रमुख केंद्र के रूप में जाने जाते हैं, जहाँ महिलाओं और बच्चों का वेब एप्लिकेशन का उपयोग करके दुर्व्यवहार, ब्लैकमेल और तस्करी की जा रही है।
- उपरोक्त चार राज्यों में Space2Grow और CyberPeace Foundation द्वारा एक अध्ययन किया गया था जिसके अवलोकन इस प्रकार हैं:
- लगभग 44% उत्तरदाताओं ने कोविड-19 के प्रकोप के बाद इंटरनेट का उपयोग करना शुरू किया था।
- लगभग 98% प्रतिभागियों ने इंटरनेट का उपयोग करने के लिए स्मार्टफोन जैसे सस्ते उपकरणों का इस्तेमाल किया।
- लगभग 51% लोग इसका उपयोग स्कूल/कॉलेज के उद्देश्यों के लिए, 56% से अधिक सोशल मीडिया के लिए, लगभग 42% ई-कॉमर्स के लिए और लगभग 35% ऑनलाइन गेमिंग के लिए करते हैं।
- जिन लोगों ने ऑनलाइन वार्तालाप के दौरान असहज महसूस किया, उनमें से लगभग 53% लोगो ने प्रेषक को ब्लॉक कर दिया।
- लगभग 31% ने प्रेषक को अपनी असहजता के बारे में बताया था, जबकि 25% ने ऐसे लोगों को अनदेखा कर दिया, 21% ने अपनी पोस्ट हटा दी, लगभग 16% ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स को हटा/डिलीट कर दिया, जबकि 8% ने प्रेषक के अनुरोध पर भरोसा किया।
- विशेषज्ञों के अनुसार केवल 8% ऐसे लोग हैं जो अत्यधिक जोखिम में हैं।
- इन ऑनलाइन हमलावरों के तरीके में रिश्तों के जरिए किसी को फुसलाना, उनकी सोशल मीडिया तस्वीरों से छेड़छाड़ करके उन्हें ब्लैकमेल करना और ऐसे ऋण की पेशकश करना जिसे नकद में वापस करना मुश्किल होता है, शामिल हैं।
- अमेरिका में स्थित नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइटेड चिल्ड्रन साइबर टिपलाइन रिपोर्ट 2021 के अनुसार, दुनिया भर में बच्चों के साथ ऑनलाइन दुर्व्यवहार की 29.3 मिलियन रिपोर्टों में से लगभग 4.69 मिलियन रिपोर्टें भारत से संबंधित हैं। यह दुनिया में किसी देश के लिए सबसे अधिक है।
- ये ऑनलाइन शिकारी नई और नवीन तकनीकों और डिजिटल प्लेटफॉर्म जैसे गेमिंग साइट्स, इंस्टेंट लोन ऐप और डीपफेक प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहे हैं। वे विश्वास-निर्माण, असंवेदनशीलता, दबाव, आदि जैसी रणनीति का उपयोग करते हैं।
भावी कदम:
- इसके सम्बन्ध में महिलाओं और बच्चों में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है।
- इसके अलावा, कानून प्रवर्तन एजेंसियों और प्रौद्योगिकी प्लेटफार्मों के लिए बेहतर प्रशिक्षण की भी आवश्यकता है। साथ ही, कानून प्रवर्तन अधिकारियों की क्षमता भी बढ़ाई जानी चाहिए।
- ऑनलाइन और मानव इंटरफेस (अंतराफलक) के लिए उन्नत पहचान तंत्र के माध्यम से एक कानूनी निवारक का निर्माण भी इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- एक संगठित आर्थिक अपराध के रूप में चाइल्ड पोर्न पर चर्चा की दिशा को बदलना भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह अरबों डॉलर का फलता-फूलता उद्योग है।
- डिजिटल शक्ति जैसी अन्य पहलें शुरू की जानी चाहिए। सरकार ने ऑनलाइन दुनिया में महिला सुरक्षा के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए डिजिटल शक्ति की शुरुआत की थी।
- तस्करी के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:What is Human Trafficking? What are its Causes. More for UPSC.
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अफगानिस्तान भारत के निवेश के लिए खुला है: तालिबान
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: भारत और उसके पड़ोसी संबंध।
मुख्य परीक्षा: भारत-तालिबान संबंध।
विवरण:
- इस संबंध में जानकारी मिली है कि तालिबान (Taliban) के एक प्रतिनिधिमंडल ने काबुल में भारतीय दूतावास के मिशन के प्रमुख से मुलाकात की और अफगानिस्तान में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के निर्माण और उनके रखरखाव के लिए टीमों को आमंत्रित किया है।
- अफगानिस्तान के शहरी विकास मंत्री ने सूचित किया है कि अफगानिस्तान शहरी बुनियादी ढांचे सहित अन्य क्षेत्रों में भारतीय निवेश के लिए खुला है।
- यह ध्यान देने योग्य बात यह है कि अफगानिस्तान में तालिबान के शासन से पहले कई भारतीय कंपनियां अफगानिस्तान में स्वास्थ्य और बिजली की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के निर्माण और रखरखाव में शामिल थीं।
- हालाँकि, जब तालिबानी बलों ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था तो इन कंपनियों ने अगस्त 2021 में अफगानिस्तान छोड़ दिया था।
- यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि तालिबान प्रशासन और भारत के बीच संबंध अपरिभाषित रहे हैं क्योंकि भारत ने काबुल में वर्तमान प्रशासन को मान्यता नहीं दी है।
- गौरतलब है कि भारतीय सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की संस्थाओं ने पिछले दो दशकों में अफगानिस्तान के बुनियादी ढांचा क्षेत्र में करीब 3 अरब डॉलर का निवेश किया है।
- भारत-अफगानिस्तान संबंधों के बारे में अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:
India-Afghanistan Relations: Overview [UPSC IR Notes]
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
ओपेक+ रूस पर नए प्रतिबंधों के बावजूद वर्तमान स्तर का उत्पादन जारी रखेगा:
विषय: भारत के हितों को प्रभावित करने वाले वैश्विक समूह और समझौते।
मुख्य परीक्षा: ओपेक+ बैठक और रूसी कच्चे तेल पर पश्चिमी प्रतिबंध।
प्रारंभिक परीक्षा: ओपेक+
संदर्भ:
- पश्चिमी गुट द्वारा रूसी कच्चे तेल पर नए प्रतिबंध लगाए जाने के बाद ओपेक+ की बैठक।
विवरण:
- रूस और सऊदी अरब के नेतृत्व में प्रमुख तेल उत्पादक देशों ने रूस के खिलाफ नए प्रतिबंध लगाए जाने से पहले अपने वर्तमान उत्पादन स्तर को बनाए रखने पर सहमति जताई है।
- नए प्रतिबंधों के अनुसार, यूरोपीय संघ, G7 (G7) और ऑस्ट्रेलिया ने रूसी तेल की समुद्री डिलीवरी पर यूरोपीय संघ के प्रतिबंध के साथ-साथ रूसी तेल के लिए 60 डॉलर प्रति बैरल मूल्य सीमा निर्धारित करने पर सहमति व्यक्त की है।
- यह रूसी कच्चे तेल के समुद्री शिपमेंट को यूरोपीय संघ तक सीमित कर देगा। गौरतलब है कि पश्चिमी गुट के कुल तेल आयात में रूसी कच्चे तेल की दो-तिहाई हिस्सेदारी है।
- प्रतिबंधों का उद्देश्य रूस को निधि से वंचित करना है।
- रियाद के नेतृत्व में पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (Organization of the Petroleum Exporting Countries (OPEC)) के 13 सदस्यों के प्रतिनिधियों ने अपने अक्टूबर के फैसले को बनाए रखने पर सहमति जताई है। सदस्य देशों द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि 2023 के अंत तक उत्पादन में प्रति दिन दो मिलियन बैरल की कटौती की जाएगी।
- उत्पादन में कटौती का कारण वैश्विक तेल बाजार का स्थिरीकरण था।
- यह देखा जाना शेष है कि प्रतिबंधों का रूसी आपूर्ति पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
- यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि कोविड से संबंधित प्रतिबंधों की पृष्ठभूमि में बढ़ती मुद्रास्फीति और चीन की कमजोर ऊर्जा मांग के कारण, दो वैश्विक क्रूड बेंचमार्क वर्ष के अपने न्यूनतम स्तर पर कारोबार कर रहे हैं।
रूसी-तेल मूल्य सीमा के बारे में अधिक जानकारी के लिए, यहां क्लिक करें:Sansad TV Perspective: Russian Oil Price Cap
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
पर्यावरण:
खराब मृदा प्रबंधन खाद्य सुरक्षा को नष्ट कर देगा:
विषय: पर्यावरण संरक्षण।
मुख्य परीक्षा: मृदा क्षरण और संरक्षण।
प्रारंभिक: विश्व मृदा दिवस।
संदर्भ:
- 5 दिसंबर विश्व मृदा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
विवरण:
- विश्व मृदा दिवस (WSD) प्रतिवर्ष 5 दिसंबर को मनाया जाता है। विश्व मृदा दिवस 2022 का विषय ‘मृदा: जहां भोजन की शुरुआत होती है’ (Soils: Where food begins) है।
- इसका उद्देश्य स्थायी मृदा प्रबंधन के माध्यम से स्वस्थ मृदा, पारिस्थितिक तंत्र और मानव कल्याण को बनाए रखने के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
- स्वस्थ मृदा का महत्व:
- स्वस्थ मृदा मानव अस्तित्व के लिए अत्यंत आवश्यक है।
- स्वस्थ मृदा स्वस्थ पौधों के विकास में सहायक होती हैं। और भूजल स्तर को बनाए रखने के लिए पोषण और पानी के रिसाव दोनों को बढ़ाती है।
- मृदा कार्बन का भंडारण करके ग्रह की जलवायु को भी नियंत्रित करती है और यह महासागरों के बाद दूसरा सबसे बड़ा कार्बन सिंक है।
- इसके अलावा, स्वस्थ मृदा एक ऐसे परिदृश्य को बनाए रखती हैं जो सूखे और बाढ़ के प्रति अधिक प्रतिरोधी होता है।
- स्वस्थ खाद्य उत्पादन के लिए मृदा स्वास्थ्य महत्वपूर्ण है क्योंकि मृदा खाद्य प्रणालियों का आधार है।
मृदा क्षरण और इसके परिणाम:
- मृदा के प्रमुख खतरे पोषक तत्वों की हानि और प्रदूषण हैं, जो विश्व स्तर पर खाद्य और पोषण सुरक्षा को कमजोर करने के लिए उत्तरदायी हैं।
- मृदा के क्षरण के मुख्य चालक कृषि, खनन, औद्योगिक गतिविधियाँ, अपशिष्ट उपचार, जीवाश्म ईंधन निष्कर्षण और प्रसंस्करण तथा परिवहन उत्सर्जन हैं।
- मृदा के पोषक तत्वों के नुकसान के प्रमुख कारण मृदा अपरदन, अपवाह, निक्षालन और फसल अवशेषों का प्रज्जवलन है।
- मृदा क्षरण प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भारत के कुल भूमि क्षेत्र के 29% को प्रभावित करती है। नतीजतन, यह कृषि उत्पादकता, पानी की गुणवत्ता, जैव विविधता संरक्षण और भूमि पर निर्भर समुदायों के सामाजिक-आर्थिक कल्याण के लिए खतरा है।
- लगभग 3.7 मिलियन हेक्टेयर भूमि मृदा में पोषक तत्वों की कमी (यानी मृदा में कार्बनिक पदार्थ की कमी) से प्रभावित है।
- इसके अलावा, अनियंत्रित उर्वरकों तथा कीटनाशकों के उपयोग और दूषित अपशिष्ट जल के साथ सिंचाई भी मृदा के प्रदूषण को बढ़ाती है।
मृदा संरक्षण पर अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें: Soil Conservation UPSC Notes – About, Soil Conservation Methods, Contour Ploughing, Terrace Farming, Keyline Design, Perimeter Runoff Control, Windbreaks, Cover Crops, Crop Rotation, Soil Conservation Farming, Salinity management, Soil Organisms, Mineralisation, and FAQs
भारत की मृदा संरक्षण रणनीति:
- भारत सरकार द्वारा एक पाँच-आयामी रणनीति अपनाई गई है जिसमें शामिल हैं:
- मृदा को रसायन मुक्त बनाना
- मृदा की जैव विविधता को संरक्षित करना
- मृदा कार्बनिक पदार्थ (SOM) में सुधार करना
- मृदा की नमी को बनाए रखना
- मिट्टी के क्षरण को कम करना और मृदा अपरदन को रोकना।
- मृदा स्वास्थ्य कार्ड (SHC): भारत सरकार ने वर्ष 2015 में इस योजना की शुरुआत की थी। मृदा स्वास्थ्य कार्ड मृदा स्वास्थ्य की वर्तमान स्थिति का आकलन करने में मदद करता है। यह मृदा में आवश्यक परिवर्तन करने हेतु किसानों का मार्गदर्शन करने के लिए मृदा स्वास्थ्य संकेतकों और अन्य संबंधित जानकारी भी प्रदान करता है।
- प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY): मृदा अपरदन को रोकने, प्राकृतिक वनस्पति को पुनर्जीवित करने, वर्षा जल संचयन को मजबूत करने और भूजल तालिका का पुनर्भरण सुनिश्चित करने के लिए योजना शुरू की गई थी।
- इसके अलावा,राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (NMSA) के तहत कई उप-योजनाएँ शामिल हैं जो जैविक खेती और प्राकृतिक खेती जैसी स्वदेशी प्रथाओं को बढ़ावा देती हैं, जिससे रासायन पर निर्भरता कम होती है और छोटे तथा सीमांत किसानों पर मौद्रिक बोझ कम होता है।
- खाद्य और कृषि संगठन (FAO) भी मृदा संरक्षण में भारत सरकार का समर्थन करने के लिए विभिन्न गतिविधियाँ संचालित करता है। उदाहरण के लिए,
- खाद्य और कृषि संगठन राष्ट्रीय वर्षा सिंचित क्षेत्र प्राधिकरण तथा कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय (MoA&FW) के साथ सहयोग कर रहा है ताकि डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करके पूर्वानुमान उपकरण विकसित किया जा सके, जिससे किसानों को विशेष रूप से बारानी क्षेत्रों में फसल चयन में सूचित विकल्प बनाने में मदद मिल सके।
- खाद्य और कृषि संगठन तथा ग्रामीण विकास मंत्रालय मिलकर दीन दयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) के सामुदायिक संसाधन व्यक्ति का समर्थन करते हैं ताकि स्थायी और लचीली प्रथाओं को अपनाने को बढ़ावा दिया जा सके।
- खाद्य और कृषि संगठन 8 लक्षित राज्यों (छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, मिजोरम, ओडिशा, राजस्थान, उत्तराखंड, पंजाब और हरियाणा) में फसल विविधीकरण और भू-दृश्य-स्तरीय योजना को बढ़ाने के लिए काम कर रहा है।
- खाद्य और कृषि संगठन, आंध्र प्रदेश सरकार और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) किसानों को कृषि-पारिस्थितिक दृष्टिकोण और जैविक खेती में संक्रमण हेतु समर्थन देने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।
PMKSY के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें:Pradhan Mantri Krishi Sinchayee Yojana – Government Schemes for UPSC
भावी कदम:
- क्षरित मृदा के प्रबंधन और बहाली के लिए सभी हितधारकों के बीच संचार लिंक को मजबूत किया जाना चाहिए।
- साक्ष्य-आधारित जानकारी का समय पर प्रसार भी आवश्यक है।
- सभी लक्षित लाभार्थियों को सफल संरक्षण प्रथाएं और स्वच्छ तथा टिकाऊ प्रौद्योगिकियां प्रदान की जानी चाहिए।
- नागरिक पेड़ लगाकर, किचन गार्डन का विकास तथा रख-रखाव करके और मौसमी तथा स्थानीय रूप से प्राप्त भोजन का सेवन करके योगदान दे सकते हैं।
संबंधित लिंक:
Soil Health Card Scheme| SHC By Ministry of Agriculture| UPSC Notes
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
हिंद महासागर में चीन की चाल:
अंतरराष्ट्रीय संबंध:
विषय: भारत और उसके पड़ोसी देशों के साथ संबंध।
मुख्य परीक्षा: हिंद महासागर क्षेत्र में चीन द्वारा की गई पहलें।
प्रारंभिक परीक्षा: चीन-हिंद महासागर क्षेत्रीय मंच (फोरम)।
संदर्भ:
- हाल ही में चीन-हिंद महासागर क्षेत्रीय मंच (फोरम) की पहली बैठक कुनमिंग, चीन में आयोजित की गई थी।
- चीन की शीर्ष विकास सहायता एजेंसी- चाइना इंटरनेशनल डेवलपमेंट कोऑपरेशन एजेंसी (CIDCA) ने “चीन-हिंद महासागर क्षेत्रीय मंच” (“China-Indian Ocean Region Forum”) की इस बैठक का आयोजन किया है।
- यह चीन द्वारा की गई एक पहल है जो हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) पर केंद्रित है और यह इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते सामरिक हितों को उजागर करती है।
- चीन-हिंद महासागर क्षेत्रीय मंच (फोरम) को हिंद महासागर क्षेत्र में चीन और हिंद महासागर क्षेत्र के देशों द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित पहले उच्च स्तरीय आधिकारिक विकास सहयोग मंच के रूप में वर्णित किया गया है।
- मंच द्वारा एक संयुक्त प्रेस वक्तव्य जारी किया गया जिसमें कहा गया है कि चीन ने हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में चीन और अन्य देशों के बीच एक समुद्री आपदा रोकथाम और शमन सहयोग तंत्र स्थापित करने का प्रस्ताव रखा है। इस संयुक्त प्रेस वक्तव्य में आगे उल्लेख किया गया है कि सभी पक्ष नीतिगत समन्वय को मजबूत करने, विकास सहयोग बढ़ाने, आपदा प्रतिरोध में सुधार करने और मत्स्य पालन, पर्यटन, नवीकरणीय ऊर्जा और नौवहन जैसे समुद्री संसाधनों के माध्यम से स्थायी तरीके से आर्थिक लाभ बढ़ाने पर सहमत हुए हैं।
- इस मंच में उन्नीस देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। ये देश इस प्रकार हैं: अफगानिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, पाकिस्तान, इंडोनेशिया, म्यांमार, श्रीलंका, मालदीव, ईरान, ओमान, दक्षिण अफ्रीका, केन्या, मोजाम्बिक, तंजानिया, सेशेल्स, मेडागास्कर, मॉरीशस, जिबूती और ऑस्ट्रेलिया।
- हालांकि, इसके बाद में ऑस्ट्रेलिया और मालदीव ने एक बयान जारी कर इस तथ्य पर जोर दिया कि इस फोरम में उनकी भागीदारी आधिकारिक नहीं थी।
भारत का रुख:
- फोरम के एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र में भारत एक प्रमुख देश है और उसे फोरम में आमंत्रित किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि चीन अगले फोरम पर भारत से मिलने के लिए उत्सुक है।
- हालाँकि, भारत इस क्षेत्र में चीन के हालिया कदमों (वांग-5 की हाल की श्रीलंका यात्रा सहित) को सावधानी से देखता है।
- इसके अलावा, भारत इस क्षेत्र के लिए पहले से ही स्थापित फोरम के रूप में हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) का समर्थन करता है। IORA में चीन, जापान, रूस, U.K. और U.S सहित 10 संवाद भागीदारों के साथ 23 सदस्य शामिल हैं।
- IORA से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Indian Ocean Rim Association (IORA) : Definition, Members and Functions | UPSC
हिंद महासागर क्षेत्र के लिए चीन की योजना:
- इस फोरम ने हिंद महासागर क्षेत्र में बीजिंग की बढ़ती रुचि पर प्रकाश डाला है जो समुद्री मार्गों, व्यापार और चीन के आर्थिक हित के लिए महत्वपूर्ण है।
- हिंद महासागर क्षेत्र में एक विस्तृत क्षेत्रीय कूटनीति ऐसे समय में की जा रही है जब चीन हिंद महासागर क्षेत्र के जल में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा रहा है।
- चीन की पहली विदेशी सैन्य सुविधा जिबूती (हॉर्न ऑफ अफ्रीका के पास) में स्थापित की गई थी।
- चीन के ट्रैकिंग पोत, सैन्य जहाज और पनडुब्बियां हिंद महासागर क्षेत्र में बंदरगाहों का बारंबार दौरा कर रहे हैं।
- पिछले दिनों ऐसी रिपोर्टे आई थीं कि PLA नौसेना चीन के समुद्री हितों को सुरक्षित करने के लिए छह विमानवाहक पोत तैनात करेगी जिनमें से दो हिंद महासागर क्षेत्र में तैनात किए जाएंगे।
- इस विषय पर अधिक जानकरी के लिए 27 नवंबर 2022 का यूपीएससी परीक्षा विस्तृत समाचार विश्लेषण पढ़ें।
सारांश:
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प्रारंभिक तथ्य:
जर्मन मंत्री ने ‘कश्मीर विवाद में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका’ पर अपना रुख बदला:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: भारत-जर्मनी संबंध।
प्रारंभिक परीक्षा: भारत-जर्मनी संबंध।
संदर्भ:
- जर्मनी के विदेश मंत्री भारत के दो दिवसीय दौरे पर हैं।
विवरण:
- भारत और पाकिस्तान के बीच जम्मू और कश्मीर विवाद को हल करने में संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की भूमिका पर जर्मनी द्वारा पहले की गई टिप्पणियों से उलट, हाल ही में भारत दौरे पर आए जर्मनी के विदेश मंत्री ने कहा है कि यह दोनों देशों के बीच एक “द्विपक्षीय” विवाद है।
- पश्चिमी प्रतिबंधों और तेल मूल्य सीमा लगाए जाने के बावजूद रूसी तेल आयात के संबंध में भारत के फैसले का जिक्र करते हुए जर्मन विदेश मंत्री ने कहा कि जर्मनी भारत जैसे भागीदारों की “आर्थिक बाधाओं” को समझता है।
- रूसी तेल आयात का मुद्दा भारत और जर्मनी के विदेश मंत्री के बीच चर्चा में उठाया जाएगा।
- पिछले 10 महीनों में भारत में रूसी तेल के आयात में बीस गुना वृद्धि हुई है।
- जर्मन विदेश मंत्री की यह यात्रा वर्ष 2023 की शुरुआत में द्विवार्षिक भारत-जर्मनी शिखर सम्मेलन के लिए जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज़ की भारत यात्रा से पहले हो रही है।
भारत-जर्मनी संबंधों पर अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें: India-Germany Relations: History, Defence and Cultural Ties
महत्वपूर्ण तथ्य:
- भारत ने विमानन सुरक्षा में अब तक की सर्वोच्च रैंकिंग हासिल की
- भारत को अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन ( International Civil Aviation Organization (ICAO)) द्वारा वैश्विक विमानन सुरक्षा रैंकिंग में 48वीं रैंक प्रदान की गई है। यह भारत द्वारा हासिल की गई अब तक की सर्वोच्च रैंक है।
- वर्ष 2018 में, भारत 102 वें स्थान पर था।
- रैंकिंग में, सिंगापुर पहले स्थान पर है, उसके बाद संयुक्त अरब अमीरात और दक्षिण कोरिया क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।
- भारत, चीन से एक स्थान आगे है जो 49वें स्थान पर है।
- इस तथ्य पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि महामारी से बुरी तरह प्रभावित होने के बाद भारत का विमानन क्षेत्र धीरे-धीरे अपने विकास पथ पर वापस आ रहा है।
- ईरान ने नैतिकता पुलिस भंग की:
- दो महीने से अधिक के विरोध के बाद, ईरान ने अपनी नैतिकता पुलिस को खत्म कर दिया है। यह कदम विरोध आंदोलन के लिए काफी महत्व रखता है।
- तेहरान में नैतिकता पुलिस द्वारा गिरफ्तारी के तीन दिन बाद, कुर्द मूल की एक 22 वर्षीय ईरानी महिला की मौत के कारण महिलाओं के नेतृत्व में व्यापक रूप से विरोध प्रदर्शन शुरू किया गया था।
- प्रदर्शनकारी महिलाओं ने अपने हिजाब को जलाकर हिजाब पहनने की अनिवार्यता का विरोध किया था और सरकार विरोधी नारे लगाए थे। विशेषकर तेहरान में हिजाब न पहनने वाली महिलाओं की संख्या में वृद्धि हुई है।
- गौरतलब है कि ईरानी अधिकारी वर्ष 1979 की इस्लामिक क्रांति (जब ईरान की अमेरिका समर्थित राजशाही को उखाड़ फेंका गया था) के बाद से महिलाओं और पुरुषों दोनों के द्वारा सख्त ड्रेस कोड के पालन की निगरानी करते रहे हैं।
- नैतिकता पुलिस को औपचारिक रूप से “गश्त-ए इरशाद” या “मार्गदर्शन गश्ती” के रूप में जाना जाता है, जिसे राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद ने विनम्रता और हिजाब की संस्कृति का प्रसार करने के लिए स्थापित किया था।
- नैतिकता पुलिस ने 2006 में ड्रेस कोड को लागू करने के लिए गश्त शुरू की थी, जिसके तहत महिलाओं को लंबे कपड़े तथा रिप्ड जींस, शॉर्ट्स और “अशोभनीय” माने जाने वाले अन्य परिधानों को धारण करने से प्रतिबंधित किया गया था।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. निम्नलिखित में से कितने ज्वालामुखी प्रशांत “रिंग ऑफ फायर” के अनुदिश स्थित हैं? (स्तर: कठिन)
- सेमरू पर्वत
- एटना पर्वत
- सेंट हेलेंस
- ताल ज्वालामुखी
विकल्प:
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) केवल तीन
(d) सभी चारों
उत्तर: c
व्याख्या:
- द रिंग ऑफ फायर प्रशांत महासागर के किनारों के आसपास ज्वालामुखियों और भूकंपीय गतिविधि, या भूकंपीय स्थलों की एक श्रृंखला है।
- मोटे तौर पर लगभग 90% भूकंप रिंग ऑफ फायर में आते हैं और पृथ्वी पर सभी सक्रिय ज्वालामुखियों का लगभग 75% इस रिंग के अनुदिश स्थित हैं।
- माउंट सेमेरू, सेंट हेलेंस और ताल ज्वालामुखी प्रशांत रिंग ऑफ फायर में स्थित हैं।
- माउंट एटना इटली स्थित सिसिली के पूर्वी तट पर स्थित एक सक्रिय मिश्रित ज्वालामुखी है।
- यह अफ्रीकी प्लेट और यूरेशियन प्लेट के बीच अभिसारी प्लेट मार्जिन के ऊपर स्थित है।
प्रश्न 2. हाल ही में चर्चा में रहा ‘तियांगोंग’ (Tiangong) है: (स्तर: मध्यम)
- एक मॉड्यूलर अंतरिक्ष स्टेशन जिसे एक सहयोगी परियोजना के रूप में निर्मित किया जा रहा है जिसमें शंघाई सहयोग संगठन देशों की अंतरिक्ष एजेंसियां शामिल हैं।
- चीनी चंद्र अन्वेषण कार्यक्रम।
- निम्न भू-क्षा में निर्मित किया जा रहा चीनी अंतरिक्ष स्टेशन।
- मंगल ग्रह के लिए दक्षिण कोरिया का अंतरिक्ष अभियान।
उत्तर: c
व्याख्या:
- तियांगोंग चीन द्वारा विकसित एक अंतरिक्ष स्टेशन है जो पृथ्वी की सतह से 340 और 450 किमी. के बीच निम्न भू-क्षा में चीन के मानवयुक्त अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा संचालित है।
प्रश्न 3. निम्नलिखित में से कौन-सा खाद्य और ईंधन में मुद्रास्फीति को छोड़कर भारतीय अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति की सीमा को दर्शाता है? (स्तर: मध्यम)
(a) हेडलाइन मुद्रास्फीति
(b) अंतर्निहित मुद्रास्फीति
(c) शृंकफ्लेशन’ (Shrinkflation)
(d) कोर मुद्रास्फीति
उत्तर: d
व्याख्या:
- कोर मुद्रास्फीति वस्तुओं और सेवाओं की लागत में परिवर्तन को दर्शाती है। इसमें खाद्य और ऊर्जा मुद्रास्फीति शामिल नहीं किये जाते है,क्योंकि ये बहुत अस्थिर होती है जिसकी वजह से इसमें अक्सर उतार-चढ़ाव होते रहते हैं।
- कोर मुद्रास्फीति = हेडलाइन मुद्रास्फीति – (खाद्य और ईंधन) मुद्रास्फीति।
प्रश्न 4. निम्न में से कितने सुमेलित है/हैं? ( स्तर: कठिन)
समुद्री बंदरगाह परियोजना राज्य
- वधावन बंदरगाह परियोजना महाराष्ट्र
- विझिंजम बंदरगाह परियोजना तमिलनाडु
- तडाडी बंदरगाह परियोजना कर्नाटक
- सागर बंदरगाह परियोजना पश्चिम बंगाल
विकल्प:
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) केवल तीन
(d) सभी चारों
उत्तर: c
व्याख्या:
- वधावन महाराष्ट्र में दहानु के पास एक प्रमुख बंदरगाह है।
- केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में विझिंजम इंटरनेशनल ट्रांसशिपमेंट डीपवाटर मल्टीपरपज सीपोर्ट विकसित किया जा रहा है।
- अघनाशिनी नदी के मुहाने पर तडाडी में एक विशाल बहुउद्देशीय बंदरगाह का निर्माण प्रस्तावित है।
- सागर बंदरगाह पश्चिम बंगाल के सागर द्वीप में प्रस्तावित एक बंदरगाह है।
प्रश्न 5. कायिक कोशिका न्यूक्लीय अंतरण प्रौद्योगिकी (SCNT) का अनुप्रयोग क्या है? ( स्तर: मध्यम)
(a) जैव-डिम्भनाशी का उत्पादन
(b) जैव-निम्नीकरणीय प्लास्टिक का निर्माण
(c) जंतुओं की जननीय क्लोनिंग
(d) रोग मुक्त जीवों का उत्पादन
उत्तर: c
व्याख्या:
- कायिक कोशिका न्यूक्लीय अंतरण प्रौद्योगिकी (SCNT) एक कायिक कोशिका और एक अंड कोशिका से व्यवहार्य भ्रूण बनाने की एक प्रयोगशाला तकनीक है।
- इस तकनीक में एक केन्द्रकरहित डिम्बाणुजनकोशिका (अंडाणु कोशिका से) में एक दाता केन्द्रक (एक कायिक कोशिका से) का प्रत्यारोपण शामिल है।
- इसका उपयोग चिकित्सीय और प्रजनन क्लोनिंग दोनों में किया जाता है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. चीन ने पिछले दो दशकों में हिंद महासागर में अपने आर्थिक, सैन्य और राजनयिक प्रभाव का तेजी से विस्तार किया है। इस बात का परीक्षण कीजिए कि यह भारतीय हितों को किस प्रकार प्रभावित करता है और भारत द्वारा अपने प्रभाव के पारंपरिक क्षेत्र की रक्षा के लिए किए जा रहे जवाबी उपायों पर चर्चा कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) [जीएस 2- अंतर्राष्ट्रीय संबंध]
प्रश्न 2. पृथ्वी पर सभी जीवन रूपों के लिए मृदा स्वास्थ्य महत्वपूर्ण है। मृदा क्षरण से उत्पन्न खतरों का मूल्यांकन करते हुए मृदा स्वास्थ्य के संरक्षण के लिए भारत द्वारा किए जा रहे उपायों का परीक्षण कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) [जीएस 1- भूगोल और जीएस 3- अर्थव्यवस्था और पारिस्थिकी एवं पर्यावरण]