21 दिसंबर 2022 : समाचार विश्लेषण
A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: पर्यावरण:
D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: भारतीय राजव्यवस्था:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
भारतीय संविधान और राजव्यवस्था:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
एक नवीन वैश्विक जैव विविधता ढांचा:
पर्यावरण:
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण।
प्रारंभिक परीक्षा: जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UNCBD) और कुनमिंग-मॉन्ट्रियल समझौता।
मुख्य परीक्षा: जैव विविधता – इसका महत्व, संरक्षण की आवश्यकता और संरक्षण प्रयासों से जुड़ी चुनौतियाँ।
संदर्भ:
- जैविक विविधता पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UN Convention on Biological Diversity (UNCBD)) के COP15 के दौरान कुनमिंग-मॉन्ट्रियल ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क (Global Biodiversity Framework (GBF)) को अपनाया गया था।
जैव विविधता एवं इसका महत्व:
- जैव विविधता पृथ्वी पर मौजूद विभिन्न प्रकार की प्रजातियों को संदर्भित करती है, जो सभी आपस में जुड़े हुए हैं और पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखने व मनुष्यों को सह-अस्तित्व में सहायता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- जैव विविधता को कभी कभी “जीवन का संजाल” (the web of life) के रूप में संदर्भित किया जाता है।
- जैविक विविधता पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के अनुसार अब तक केवल लगभग 1.75 मिलियन प्रजातियों की पहचान की गई है और उनका अनुमान है कि पृथ्वी पर लगभग 13 मिलियन प्रजातियां मौजूद हो सकती हैं।
- जैव विविधता मनुष्यों को विभिन्न पारिस्थितिक तंत्र सेवाएं प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है जैसे भोजन, वायु, ईंधन, आश्रय, निर्माण सामग्री, जल शोधन, जलवायु का स्थिरीकरण, पौधों का परागण प्रदान करना और बाढ़, सूखा व चरम मौसम की स्थिति जैसी आपदाओं के प्रतिकूल प्रभावों को कम करना।
जैव विविधता के संरक्षण की आवश्यकता:
- महत्वपूर्ण पारिस्थितिक तंत्रों के विघटन से कृषि की विफलता, अनियमित जलवायु पैटर्न और प्रजातियों के व्यापक हानि जैसे गंभीर परिणाम होते हैं जो पृथ्वी के क्षरण को तेज करते हैं।
- जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं (IPBES) पर अंतर सरकारी विज्ञान-नीति मंच के अनुसार वर्ष 2019 वैश्विक जैव विविधता आउटलुक में मूल्यांकन किए गए लगभग 25% पौधों और जानवरों को संकटग्रस्त के रूप में सूचीबद्ध किया गया था।
- यह तथ्य इस बात को इंगित करता है कि करीब दस लाख प्रजातियां विलुप्त होने के जोखिम का सामना कर रही हैं।
जैव विविधता की रक्षा के लिए चुनौतियां:
- यूके सरकार द्वारा कमीशन किए गए कैम्ब्रिज प्रोफेसर द्वारा जैव विविधता के अर्थशास्त्र पर एक समीक्षा में यह स्पष्ट किया गया कि आर्थिक विकास के वर्तमान मॉडल को वर्तमान जीवन शैली को बनाए रखने के लिए लगभग 1.6 पृथ्वी की आवश्यकता होगी।
- प्रोफेसर के अनुसार विकास के मुख्य निर्धारक के रूप में सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product (GDP)) का उपयोग जैव विविधता संरक्षण की रक्षा और विस्तार करने की प्रमुख चुनौती है।
- कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना है कि GDP अर्थशास्त्र के दोषपूर्ण अनुप्रयोग पर आधारित है, इसमें प्रकृति जैसी मूल्यवान संपत्तियों के मूल्यह्रास को शामिल नहीं किया गया है जो संसाधनों के निरंतर दोहन से नष्ट हो जाती है।
कुनमिंग-मॉन्ट्रियल जीबीएफ के बारे में अधिक जानकारी के लिए 20 दिसंबर 2022 का विस्तृत समाचार विश्लेषण पढ़ें।
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
अस्थिर सीमाएँ:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
भारतीय राजव्यवस्था:
विषय: राज्य विधानसभाओं के कार्य, मुद्दे और चुनौतियाँ।
प्रारंभिक परीक्षा: अंतर्राज्यीय सीमा विवाद।
मुख्य परीक्षा: अंतरराज्यीय सीमा विवाद।
प्रसंग:
- कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच अंतरराज्यीय विवाद।
विवरण:
- पिछले कुछ हफ्तों में कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच दोनों राज्यों द्वारा दावा किए गए क्षेत्रों पर विवाद गहरा गया है, जिससे हिंसा भी हो रही है।
- महाराष्ट्र के साथ कर्नाटक के मराठी भाषी क्षेत्रों के विलय के पक्ष में प्रचारकों ने बेलगाम में एक सम्मेलन का आयोजन करके विरोध की आग को भड़का दिया।
- इसमें शामिल होने के इच्छुक महाराष्ट्र के नेताओं को पुलिस ने रोक दिया, जिससे भगदड़ मच गई।
- बेलगाम में विधानसभा का शीतकालीन सत्र आयोजित करने की कर्नाटक की प्रथा (2006 से), इस क्षेत्र पर उसके अधिकार की अभिव्यक्ति है।
- इसके अतिरिक्त कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने महाराष्ट्र में सांगली के 48 गांवों पर राज्य के दावे को दोहराया, जिसका तीव्र खंडन किया गया।
- एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप एवं भड़काऊ बयानों के साथ केंद्रीय गृह मंत्री ने संबंधित मुख्यमंत्रियों से मामले को देखने के लिए उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) के फैसले की प्रतीक्षा करने को कहा है।
- हालाँकि न्यायालय इस मुद्दे पर विचार कर रहा है, लेकिन अब वह केवल इतना कर सकता है, क्योंकि अंतर्निहित कारक जो 1956 में भारतीय राज्यों के भाषाई पुनर्गठन (1956 linguistic reorganization of Indian States ) के साथ उत्पन्न हुए थे, वे तकनीकी और कानूनी समाधानों के लिए अनुगामी नहीं हैं।
- यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि भारत में लगभग सभी राज्यों में भाषाई अल्पसंख्यक शामिल हैं जिन्हें विशेष अधिकार प्रदान किये गए हैं।
- महाराष्ट्र-कर्नाटक विवाद मूल रूप से इस वास्तविकता के गुण दोष की विवेचना की कमी के कारण उत्पन्न हुआ है।
- वर्ष 1957 में महाराष्ट्र सरकार ने कर्नाटक में 814 गाँवों और बेलगावी, करवार और निप्पनी की 3 शहरी बस्तियों पर दावा किया था।
- इसके प्रतिशोध में, कर्नाटक ने न केवल इन दावों का खंडन किया बल्कि महाराष्ट्र के कोल्हापुर, शोलापुर और सांगली जिलों पर भी दावा जताना शुरू कर दिया हैं।
- इसके अलावा महाराष्ट्र और तेलंगाना क्रमशः चंद्रपुर और आसिफाबाद जिलों को लेकर भी आपसी विवाद में उलझे हुए हैं।
- पूर्वोत्तर में राज्यों के बीच सीमा विवादों में कुछ लोगों की जान भी चली गई है।
निष्कर्ष:
- हालांकि किसी भी विवाद पर न्यायालय के फैसले को मानना बुद्धिमानी है, लेकिन एक ऐसी राजनीतिक संस्कृति को अपनाने और बढ़ावा देने से ही सद्भाव प्राप्त किया जा सकता है जो विविधता का सम्मान करती है।
- यह याद रखना चाहिए कि यदि विभाजनकारी राजनीति के माध्यम से विभाजन को भड़काया जाता है, तो इसमें न्यायपालिका भी बहुत कम हस्तक्षेप कर सकती है।
- अंतर्राज्यीय सीमा विवाद से संबंधित विषय पर अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:Inter State Border Dispute: Sansad TV Perspective Discussion of 15 Dec 2022
सारांश:
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हिन्द-प्रशांत प्रतिद्वंद्विता में नवीन सामान्य स्थिति:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: भारत और इसके पड़ोसी संबंध।
मुख्य परीक्षा: हिन्द-प्रशांत प्रतिद्वंद्विता।
विवरण:
- हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में फॉल्ट लाइन्स के पुनर्गठन के साथ विश्व एक ‘नवीन सामान्य स्थिति (new normal)’ को अपना रहा है।
- एक प्रमुख शक्ति के रूप में भारत के उदय के साथ-साथ इसके भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक महत्व को ध्यान में रखते हुए, हिंद महासागर और दक्षिण एशियाई क्षेत्र प्रतिद्वंदिता के केंद्र में हैं।
- आक्रामक चीन और उभरते भारत के बीच बढ़ते तनाव की पृष्ठभूमि में भारत के क्वाड सहयोगी भी इस क्षेत्र में पैठ बना रहे हैं और महत्वपूर्ण बदलाव ला रहे हैं।
क्वाड के बारे में अधिक जानकारी के लिए पढ़ें: Quadrilateral Security Dialogue |QUAD Group| India, Japan, USA, Australia.
चीन की पहुँच का विस्तार:
- चीन लंबे समय से इन क्षेत्रों में अपना प्रभाव दर्ज करने और भारत के प्रभाव, सैन्य शक्ति और स्थिति को सीमित करके तथा अपनी ऊर्जा आपूर्ति और आर्थिक विकास को बनाए रखते हुए रणनीतिक महत्वाकांक्षा को बढ़ाने का प्रयास कर रहा है।
- 2000 के दशक की शुरुआत में दक्षिण एशिया में चीन की पहुंच काफी बढ़ गई थी। इसने ऋण, प्रोत्साहन और वृहद-बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के माध्यम से इस क्षेत्र में अपने रणनीतिक का विस्तार करना शुरू कर दिया। 2013 में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) की शुरुआत के साथ ये प्रयास और अधिक संस्थागत हो गए।
- इसके परिणामस्वरूप चीन की पहुंच हिंद महासागर तक बढ़ गई है और चीन इस क्षेत्र में अपने राजनीतिक और सुरक्षा संबंधों को बढ़ावा दे सकता है, सैन्य जहाजों और पनडुब्बियों को शरण दे सकता है, और कुछ द्वीपों और बंदरगाहों को लीज पर ले सकता है (जैसे श्रीलंका का हंबनटोटा बंदरगाह)।
- 2020 के गालवान संघर्ष के बाद, भारत चीन को पाकिस्तान से बड़ा खतरा मान रहा है।
- यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि यद्यपि दो मोर्चों पर युद्ध की संभावना अभी भी बनी हुई है, लेकिन पाकिस्तान के रणनीतिक अलगाव, आर्थिक और राजनीतिक अपवात (fallout), तथा अफगानिस्तान से सीमा और आतंकी चुनौतियों ने उसके आक्रमण की संभावना को कम कर दिया है।
- जबकि, चीन की व्यापक रणनीतिक और कूटनीतिक उपस्थिति तथा बड़ी महत्वाकांक्षाएं भारत के लिए लगातार चिंता का कारण बनी हुई है।
हंबनटोटा के बारे में अधिक जानकारी के लिए पढ़ें: Hambantota Port: Overview, Facts and India’s Concerns
भारत और क्वाड द्वारा किए गए उपाय:
- भारत ने पड़ोसी देशों के साथ अपने कूटनीतिक प्रयासों को फिर से सक्रिय कर दिया है। उदाहरण के लिए:
- भारत बड़े पैमाने पर आर्थिक सहायता, अनुदान और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के माध्यम से मालदीव की ‘भारत पहले’ नीति का अनुसरण कर रहा है। दोनों देश समुद्री सुरक्षा पर भी सहयोग कर रहे हैं।
- नेपाल ने भारत के साथ अपने समग्र द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने का प्रयास किया है।
- एक वर्ष की अवधि में, भारत ने संकटग्रस्त श्रीलंका को आर्थिक और मानवीय सहायता और $4 बिलियन मूल्य का निवेश प्रदान किया है।
- इस क्षेत्र में भारत के प्रयासों ने क्वाड के अन्य सदस्यों को भी आकर्षित किया है। कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं:
- क्वाड (ऑस्ट्रेलिया, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका) के सभी सदस्य BRI के विकल्प को प्रस्तुत करके चीन को आगे बढ़ाने के लिए निकटता से सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने संकट के दौरान श्रीलंका की सहायता भी की।
- जापान ऋण पुनर्गठन के मुद्दे पर श्रीलंका के साथ बातचीत के अंतिम दौर में है।
- ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका ने मालदीव में अपने दूतावास खोलने और सहयोग के नए क्षेत्रों के लिए प्रतिबद्धता जताई है। इसके अलावा, अमेरिका ने 2020 में मालदीव के साथ एक रक्षा और सुरक्षा ढांचे पर हस्ताक्षर किए।
- इससे पहले 2022 में, नेपाल ने अमेरिका के मिलेनियम चैलेंज कोऑपरेशन (नेपाल कॉम्पैक्ट) की भी पुष्टि की थी, जो चीन के हितों के विरुद्ध था।
श्रीलंका के आर्थिक संकट के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें: Sri Lankan Economic Crisis 2021- Present
उभरती चुनौतियाँ:
- यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि भारत और उसके सहयोगियों के प्रयासों विशेष रूप से भारत के खिलाफ बढ़ते तनाव और क्वाड के माध्यम से दक्षिण एशिया में पैठ बनाने से चीन को रोकने की संभावना नहीं है।
- चीनी निगरानी पोत युआन वांग-5 (अगस्त 2022 में श्रीलंका में डॉक किया गया) ने दिसंबर की शुरुआत में पुनः हिंद महासागर में प्रवेश किया।
- इसी तरह की एक घटना नवंबर में हुई थी, जब युआन वांग श्रृंखला का एक और पोत अग्नि-श्रृंखला मिसाइल के परीक्षण के साथ हिंद महासागर में प्रवेश कर गया था।
- चीन ने इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को संस्थागत बनाने तथा क्वाड और कोलंबो सुरक्षा कॉन्क्लेव जैसी पहलों को चुनौती देने के लिए पहले चीन-हिंद महासागर क्षेत्र मंच की मेजबानी भी की।
- दक्षिण एशिया के देश आर्थिक और राजनीतिक उथल-पुथल का सामना कर रहे हैं। उदाहरण के लिए,
- नेपाल, मालदीव और भूटान विदेशी मुद्रा भंडार की कमी से जूझ रहे हैं।
- बांग्लादेश ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ 4.5 बिलियन डॉलर का बेलआउट समझौता किया।
- श्रीलंका भी आर्थिक संकट से जूझ रहा है।
- ये देश ऊर्जा की कमी, मुद्रास्फीति, और नकारात्मक या धीमी आर्थिक वृद्धि जैसे मुद्दों का भी सामना कर रहे हैं।
- जैसा कि वर्ष 2023 दक्षिण एशिया के एक बड़े हिस्से के लिए एक चुनावी वर्ष है, राजनीतिक अवसरवाद के साथ मिलकर ये आर्थिक संकट इस क्षेत्र में और अधिक अस्थिरता पैदा कर सकती हैं। उदाहरण के लिए, बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन।
अन्य देशों द्वारा संतुलन की कार्रवाई:
- दक्षिण एशियाई देश चीन को पूरी तरह से दरकिनार करने में संकोच करेंगे क्योंकि वे चीन और भारत के साथ संतुलन बनाकर अपनी एजेंसी का प्रयोग करने की उम्मीद करते हैं, जिससे यह प्रतिद्वंदिता एक ‘नवीन सामान्य स्थिति’ में आ जाएगी।
- इस क्षेत्र में नए देशों के प्रवेश करने के साथ यह प्रवृत्ति और बढ़ेगी।
संबंधित लिंक:
Strategic Importance of Indo Pacific: RSTV – Big Picture
सारांश:
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चुनाव आयोग की स्वायत्तता को बनाए रखना:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित
भारतीय संविधान और राजव्यवस्था:
विषय: विभिन्न संवैधानिक पदों पर नियुक्ति, संवैधानिक निकायों के कार्य एवं उत्तरदायित्व।
मुख्य परीक्षा: निर्वाचन आयोग की नियुक्तियाँ।
प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय निर्वाचन आयोग।
विवरण:
- भारत के सर्वोच्च न्यायालय की एक संविधान पीठ ने भारत के चुनाव आयोग (ECI) के गठन और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया से संबंधित एक महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई की।
- नए साल की शुरुआत में इस पर फैसला आने की उम्मीद है।
- न्यायालय के समक्ष निम्नलिखित मुद्दे हैं:
- भारतीय निर्वाचन आयोग में नियुक्तियों पर पूर्ण कार्यकारी नियंत्रण की संवैधानिकता।
- यदि असंवैधानिक है, तो भारतीय निर्वाचन आयोग की स्वतंत्रता और चुनावों की निष्पक्षता को बनाए रखते हुए नियुक्ति की प्रक्रिया।
आधुनिक लोकतंत्र की ‘चौथी शाखा संस्था (Fourth Branch Institution)’:
- आदर्श मत के अनुसार आधुनिक लोकतंत्र के राज्य के 3 “स्तंभ” विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका हैं।
- परंपरागत रूप से चुनाव जैसे प्रशासनिक और क्रियान्वयन संबंधी मुद्दों से संबंधित निकाय कार्यपालिका के क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं।
- हालाँकि, समकालीन समय में, यह एक स्वीकृत तथ्य है कि स्वस्थ संवैधानिक लोकतंत्रों को “चौथी शाखा संस्थानों” (या “अखंड संस्थानों”) की आवश्यकता होती है क्योंकि विभिन्न बुनियादी अधिकार और गारंटी क्रियान्वयन के बुनियादी ढांचे के बिना प्रभावी नहीं हो सकते हैं।
- उदाहरण के लिए, क्रियान्वयन के बुनियादी ढांचे के बिना, सूचना का अधिकार केवल एक कागजी गारंटी बनकर रह जाएगा। अधिकार के प्रवर्तन की निगरानी करने, सार्वजनिक संस्थानों को सार्वजनिक सूचना जारी करने, विवादों को हल करने आदि के लिए पर्याप्त रूप से कर्मचारी युक्त और वित्त पोषित सूचना आयोग की आवश्यकता होती है।
- “चौथे शाखा संस्थानों” को राजनीतिक कार्यपालिका से कार्यात्मक रूप से स्वतंत्र होना चाहिए क्योंकि वे कार्यपालिका के विरुद्ध अधिकारों को लागू करने के साधन हैं। उदाहरण के लिए, नागरिक पारदर्शिता को सुनिश्चित करने हेतु सरकारी विभागों से सार्वजनिक सूचना निकालने के लिए सूचना के अधिकार का उपयोग करते हैं।
- इन मामलों में सरकारों की प्रत्यक्ष रूप से दिलचस्पी होती है। इस प्रकार प्रभावी होने के लिए, सूचना आयोग को सरकार से पूरी तरह से स्वतंत्र होना चाहिए। यह भी तर्क दिया जाता है कि केंद्रीय सूचना आयोग (नियुक्तियों की तरह) पर सरकारी नियंत्रण ने इसे काफी हद तक दंतहीन और अप्रभावी निकाय बना दिया है।
विभिन्न देशों के उदाहरण:
- दक्षिण अफ्रीका और केन्या के संविधानों में “चौथे शाखा संस्थानों” जैसे मानवाधिकार आयोगों, चुनाव आयोगों आदि के लिए समर्पित संवैधानिक प्रावधान हैं, उन्हें “अखंडता संस्थान” कहा जाता है, तथा उन्हें “स्वतंत्र” होने की आवश्यकता होती है। इन निकायों की नियुक्ति प्रक्रिया में आमतौर पर राज्य के विभिन्न पक्षों के कई हितधारक शामिल होते हैं।
- भारतीय संविधान में भारतीय निर्वाचन आयोग, नियंत्रक और महालेखा परीक्षक, लोक सेवा आयोग, और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग जैसे निकायों के लिए समान प्रावधान हैं।
- यद्यपि यह अधिकारियों को हटाने के संबंध में इन संस्थानों को कुछ हद तक स्वतंत्रता प्रदान करता है लेकिन नियुक्ति की शक्ति विशेष रूप से कार्यपालिका के पास होती है।
- दक्षिण अफ्रीका की संवैधानिक अदालत ने अपने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा कि सच्ची और कार्यात्मक स्वतंत्रता प्रभावी रूप से असंभव है यदि नियुक्त करने की शक्ति पूरी तरह से एक व्यक्ति/कार्यालय/इकाई के पास है।
- इसी तरह,विनीत नारायण मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि विधि के शासन को बनाए रखने के लिए, CBI निदेशक की नियुक्ति को तीन सदस्यीय निकाय (जिसमें प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश शामिल हैं) द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए ।
भावी कदम:
- यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि पूरे विश्व में लगभग कोई भी संवैधानिक लोकतंत्र लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए राजनीतिक कार्यपालिका को चुनाव आयोग जैसे महत्वपूर्ण निकाय के कर्मचारियों की नियुक्ति की शक्ति प्रदान नहीं करता है।
- नियुक्ति प्रक्रियाओं में सरकार, विपक्ष, स्वतंत्र विशेषज्ञों और न्यायिक विशेषज्ञों को इस तरह शामिल किया जाना चाहिए कि किसी के पास प्रभुत्व या वीटो शक्ति न हो।
- इसके अलावा, केवल न्यायिक डिक्री द्वारा नियुक्ति प्रक्रिया का निर्माण भी कठिन है। इसके लिए राजनीतिक सहमति, सार्वजनिक विचार-विमर्श और सावधानीपूर्वक तैयार किए गए कानून की आवश्यकता होती है।
- न्यायालय को सावधानीपूर्वक बैंड-एड या स्टॉप-गैप समाधानों से बचना चाहिए। एक संभावित विकल्प में कुछ अंतरिम दिशानिर्देशों का सुझाव देना और विधायिका के लिए अधिक स्थायी, संरचनात्मक समाधान देना है।
- मार्गदर्शक सिद्धांतों में कार्यपालिका से कार्यात्मक और प्रभावी स्वतंत्रता, नियुक्ति के क्षण से सेवानिवृत्ति और उसके बाद तक होना चाहिए।
संबंधित लिंक:
Electoral Reforms In India – Indian Polity
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
1. राज्यसभा नियम पुस्तिका का नियम 267:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
राजव्यवस्था:
विषय: संसद – कामकाज और कार्य संचालन।
प्रारंभिक परीक्षा: राज्यसभा नियम पुस्तिका के नियम 267 से संबंधित जानकारी।
संदर्भ:
- राज्यसभा नियम पुस्तिका का नियम 267 संसद के चल रहे शीतकालीन सत्र (2022) में विवाद का विषय बन गया है।
राज्यसभा नियम पुस्तिका के नियम 267:
- राज्यसभा नियम पुस्तिका का नियम 267 “नियमों के निलंबन” से संबंधित है।
- इस नियम के अनुसार,”कोई भी सदस्य, अध्यक्ष की सहमति से यह प्रस्ताव रख सकता है कि किसी भी नियम को उस दिन की परिषद के समक्ष सूचीबद्ध कार्य से संबंधित किसी प्रस्ताव के लागू होने पर निलंबित किया जा सकता है और यदि प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो विचाराधीन नियम कुछ समय के लिए निलंबित कर दिया जाएगा”।
- नियम मुख्य रूप से किसी सदस्य द्वारा सुझाए गए एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर बहस करने के लिए उस दिन के कार्य को स्थगित करने की अनुमति देता है।
- नियम के अनुसार, केवल सभापति के पास किसी नियम के निलंबन के प्रस्ताव को पेश करने की सहमति देने की शक्ति है और यह सदन को तय करना है कि किसी विशेष नियम को निलंबित किया जाना चाहिए या नहीं।
- इसके अलावा सदन का कोई भी सदस्य नियम 267 के तहत किसी मुद्दे पर चर्चा के लिए सभापति को नोटिस जारी कर सकता है।
- इस प्रावधान के उपयोग का आखिरी उदाहरण 2016 में था जब तत्कालीन सभापति हामिद अंसारी ने “मुद्रा के विमुद्रीकरण” (demonetisation of currency) पर बहस की अनुमति दी थी।
2.तीन और स्थलों को यूनेस्को की अस्थायी सूची में जोड़ा गया:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:
भारतीय कला और संस्कृति:
संदर्भ:
- यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों (UNESCO World Heritage Sites) की अस्थायी सूची में भारत के तीन और स्थलों को जोड़ा गया हैं।
- इन तीन अन्य स्थलों को जोड़ने के साथ यूनेस्को की अनंतिम सूची में भारत के वर्तमान में 52 स्थल शामिल हैं जो भारत की सांस्कृतिक और प्राकृतिक संपदा की समृद्धि पर प्रकाश डालते हैं।
विवरण:
- तीन नई जोड़े गए स्थल इस प्रकार हैं:
- गुजरात का वडनगर शहर।
- गुजरात के मोढेरा में सूर्य मंदिर।
- त्रिपुरा में उनाकोटी की रॉक कट (पहाड़ को काट कर बनाई गई) मूर्तियां।
- वडनगर टाउन: यह गुजरात के मेहसाणा जिले में एक बहुस्तरीय ऐतिहासिक शहर है।
- वडनगर अपने इतिहास के लिए जाना जाता है जिसका विस्तार 8वीं शताब्दी ईसा पूर्व तक जाता है।
- वडनगर शहर में अभी भी बड़ी संख्या में ऐतिहासिक इमारतें हैं जो मुख्य रूप से धार्मिक और आवासीय प्रकृति की हैं।
- मोढेरा का सूर्य मंदिर: मोढेरा में सूर्य भगवान को समर्पित प्रतिष्ठित मंदिर हैं,जो देश के प्रमुख सूर्य मंदिरों में से एक है।
- इस मंदिर वास्तुकला की सोलंकी शैली का एक उत्कृष्ट उदाहरण है जो वास्तुकला की राजस्थानी शैली से मिलता जुलता है।
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archeological Survey of India (ASI)) के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण चालुक्य वंश के भीम प्रथम के शासनकाल के दौरान 1026-27 ईस्वी में किया गया था।
- उनाकोटी की रॉक कट मूर्तियां: उनाकोटी शैव पूजा से जुड़ा एक प्राचीन पवित्र स्थान है।
चित्र स्रोत: The Hindu
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- उनाकोटी में एक जंगली क्षेत्र के बीच स्थित स्थलों में कई कम ऊंचाई वाली रॉक कट मूर्तियां हैं जो प्रकृति और शैली में बहुत ही अनोखी हैं।
भारत में मंदिर वास्तुकला के बारे में अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:Temple Architecture in India
3.वगीर:
रक्षा और सुरक्षा:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां;देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।
प्रारंभिक परीक्षा: वागीर, स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियां और भारतीय नौसेना के पनडुब्बी बेड़े से सम्बंधित जानकारी।
संदर्भ:
- मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड द्वारा पांचवीं स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी, वागीर, नौसेना को सौंपी दी गई है।
- वागीर पनडुब्बी का वर्ष 2020 में जलावतरण किया गया था और फरवरी 2022 में इसका समुद्री परीक्षण शुरू हुआ था।
विवरण:
- अक्टूबर 2005 में हस्ताक्षरित 3.75 बिलियन डॉलर के सौदे के तहत फ्रांस के नौसेना समूह से प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की मदद से मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड द्वारा प्रोजेक्ट -75 (Project-75) के तहत छह स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों का निर्माण किया जा रहा है।
- पहली पनडुब्बी, आईएनएस कलवरी (INS Kalvari) को दिसंबर 2017 में कमीशन किया गया था।
- सितंबर 2019 में दूसरी पनडुब्बी आईएनएस खंडेरी (INS Khanderi) थी।
- मार्च 2021 में तीसरी पनडुब्बी आईएनएस करंज (INS Karanj) हैं।
- नवंबर 2021 में चौथी पनडुब्बी आईएनएस वेला हैं।
- पांचवीं पनडुब्बी आईएनएस वागीर है जिसे जनवरी 2023 में सेवा में शामिल किया जाना है।
- छठी पनडुब्बी आईएनएस वाग्शीर है जिसे जल्द ही भारतीय नौसेना में भी शामिल किया जाएगा।
- भारतीय नौसेना के पास वर्तमान में 15 पारंपरिक और एक परमाणु पनडुब्बी सेवा में है।
पनडुब्बियों के नौसेना बेड़े में निम्न शामिल हैं:
- सात रूसी किलो-श्रेणी की पनडुब्बियां।
- चार जर्मन एचडीडब्ल्यू पनडुब्बियां।
- चार स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियां।
- स्वदेशी परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी INS अरिहंत।
- आईएनएस वागीर से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: INS Vagir
महत्वपूर्ण तथ्य:
1.सरकारी अस्पताल इलाज के लिए वोटर आईडी पर जोर नहीं दे सकते: हाईकोर्ट
- दिल्ली हाईकोर्ट ने बिहार निवासी की एक याचिका पर सुनवाई की जिसमे याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि शहर के सरकारी लोक नायक अस्पताल में केवल दिल्ली के निवासियों को मुफ्त एमआरआई परीक्षण किया जा रहा हैं,जिस पर कोर्ट ने कहा कि दिल्ली के सरकारी अस्पतालों को सभी नागरिकों को उनके निवास स्थान की परवाह किए बिना चिकित्सा उपचार का विस्तार करना चाहिए एवं अस्पताल दिल्ली के बाहर से आने वाले मरीजों को इलाज मुहैया करने से इनकार नहीं कर सकते हैं।
- दिल्ली उच्च न्यायालय ने आगे कहा कि अस्पताल मतदाता पहचान पत्र पर जोर नहीं दे सकते हैं और कहा कि एम्स (AIIMS) या दिल्ली का कोई अन्य अस्पताल नागरिकों को इलाज के लिए राजधानी आने से नहीं रोक सकता है।
- न्यायालय ने अपने पहले के फैसले को भी दोहराया जहां उसने निर्देश दिया था कि सभी नागरिकों को उनके निवास स्थान के लिए बिना किसी विचार के स्वास्थ्य उपचार प्रदान किया जाना चाहिए।
2. हवाई अड्डों पर सुरक्षा जांच में तेजी लाने हेतु नए स्कैनर:
- नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (Bureau of Civil Aviation Security (BCAS)) द्वारा नए तकनीकी मानदंड लाये जा रहे हैं,जो हवाई अड्डों के लिए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को हटाए बिना बैग की जांच करने के लिए आधुनिक उपकरणों को अपनाने का मार्ग प्रशस्त करेगा जिससे हवाई अड्डों पर यात्रियों की लंबी कतारें कम होंगी।
- केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (Central Industrial Security Force (CISF)) के एक अधिकारी ने कहा की भारत में हवाई अड्डों को केबिन बैग की स्क्रीनिंग के लिए तैनात मशीनों की उन्नति और दोहरी एक्स-रे, कंप्यूटर टोमोग्राफी और न्यूट्रॉन बीम तकनीक जैसी आधुनिक तकनीकों को अपनाने की आवश्यकता है।
- पारंपरिक एक्स-रे मशीनें जो वर्तमान में उपयोग में हैं, वो 2-डी छवि उत्पन्न करती हैं, जबकि कंप्यूटर टोमोग्राफी जैसी आधुनिक प्रौद्योगिकियां उच्च रिज़ॉल्यूशन के साथ 3-डी छवि उत्पन्न करती हैं, जो विस्फोटकों का स्वचालित तौर पर बेहतर तरीके से पता लगाने में सक्षम होती हैं।
- इसके अलावा, इन तकनीकों में झूठे अलार्म की दर कम होती है, जिससे अक्सर बैग का अवांछित भौतिक निरीक्षण हो सकता है जिसके परिणामस्वरूप देरी हो सकती है।
- आधुनिकीकरण का प्रयास ऐसे समय में हो रहा है जब देश भर के हवाई अड्डों पर रिकॉर्ड संख्या में हवाई यात्री आ रहे हैं, जो पूर्व-कोविड स्तर से अधिक हो गए हैं और दिल्ली हवाई अड्डे पर हाल ही में अत्यधिक भीड़ देखी गई है, जिसके परिणामस्वरूप यात्रियों की उड़ानें छूट गई।
- दिल्ली एयरपोर्ट पर देरी और अव्यवस्था से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:The delays and chaos at Delhi airport
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. कोहरे का कौन सा एक प्रकार है जो गर्म, आर्द्र वायु के ठंडी सतह पर क्षैतिज रूप से प्रवाहित होने पर निर्मित होता है, जिसके परिणामस्वरूप जल वाष्प संघनित होती है: (स्तर – मध्यम)
(a) विकिरण कोहरा (Radiation fog)
(b) हिमकारी कोहरा (Freezing fog)
(c) अभिवहन/संवहन कोहरा (Advection fog )
(d) पहाड़ी कोहरा (Valley fog)
उत्तर: c
व्याख्या:
- संवहन कोहरा एक प्रकार का कोहरा है जो गर्म, आर्द्र वायु के क्षैतिज रूप से ठंडी सतह पर प्रवाहित होने पर निर्मित होता है जिससे जल वाष्प संघनित होता है।
- विकिरण कोहरा तब निर्मित होता है जब सभी सौर ऊर्जा पृथ्वी से बाहर निकल जाती है और तापमान ओसांक बिंदु तक पहुंच जाता है।
- हिमकारी कोहरा तब निर्मित होता है जब तापमान 32°F (0°C) या उससे कम हो जाता है।
- घाटी में पहाड़ी कोहरा तब निर्मित होता है जब पूर्व में हुई वर्षा से मृदा नम हो जाती है।
प्रश्न 2. उनाकोटि के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – कठिन)
- यह त्रिपुरा में स्थित एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है।
- इस स्थल पर शैव पत्थर पर देवी-देवताओं की आकृतियां और चित्र उकेरे गए हैं।
- उनाकोटी में अशोकाष्टमी मेला का आयोजन पांच साल में एक बार किया जाता है।
उपर्युक्त कथनों में से कितने सही है/हैं?
(a) केवल एक कथन
(b) केवल दो कथन
(c) सभी तीनों कथन
(d) इनमे से कोई भी नहीं
उत्तर: a
व्याख्या:
- कथन 1 गलत है: उनाकोटी त्रिपुरा में मौजूद शैव पूजा से जुड़ा एक प्राचीन पवित्र स्थल है। इस स्थल को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की अस्थायी सूची में जोड़ा गया है।
- कथन 2 सही है: इस स्थल पर शैव पत्थर पर देवी-देवताओं की आकृतियां और चित्र उकेरे गए हैं।
- रॉक कट नक्काशियों में, केंद्र में शिव का सिर और विशाल गणेश आकृतियाँ सबसे प्रमुख हैं।
- केंद्रीय शिव की आकृति को “उनाकोटिश्वर काल भैरव” के रूप में जाना जाता है।
- केंद्रीय शिव के प्रत्येक तरफ, दो पूर्ण आकार की महिला आकृतियाँ हैं जिनमें एक शेर पर खड़ी दुर्गा और दूसरी तरफ एक अन्य महिला की आकृति शामिल है।
- कथन 3 गलत है: अशोकाष्टमी महोत्सव विशेष रूप से उनाकोटी हिल्स में त्रिपुरा के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है यह महोत्सव हर साल मार्च और अप्रैल के महीनों के दौरान मनाया जाता है।
प्रश्न 3. ’30×30 लक्ष्य’ को निम्नलिखित में से किस संदर्भ में समाचारों में देखा जाता है: (स्तर – मध्यम)
(a) वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा कार्रवाई मंच
(b) ब्रिक्स शिखर सम्मेलन
(c) संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता सम्मेलन
(d) ऊर्जा एवं संसाधन संस्थान (TERI) का विश्व सतत विकास शिखर सम्मेलन (WSDS)
उत्तर: c
व्याख्या:
- “30 × 30 लक्ष्य” कुनमिंग-मॉन्ट्रियल ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क (GBF) का एक हिस्सा है जिसे जैविक विविधता पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UNCBD) के COP15 के दौरान अपनाया गया था।
- 30×30 जैव विविधता लक्ष्य के तहत, देशों ने वर्ष 2030 तक दुनिया की 30% भूमि और समुद्र की रक्षा करने की प्रतिज्ञा की हैं।
प्रश्न 4. समृद्धि के लिए भारत-प्रशांत आर्थिक प्रारूप (IPEF) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – कठिन)
- यह एक पहल है जिसका उद्देश्य भारत-प्रशांत क्षेत्र में भाग लेने वाले देशों के बीच आर्थिक साझेदारी को मजबूत करना है।
- इसे अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा 2022 में लॉन्च किया गया था।
- सभी आसियान सदस्य IPEF के सदस्य हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कितने गलत है/हैं?
(a) केवल एक कथन
(b) केवल दो कथन
(c) सभी तीनों कथन
(d) इनमे से कोई भी नहीं
उत्तर: b
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: IPEF एक पहल है जिसका उद्देश्य भारत-प्रशांत क्षेत्र में लचीली, स्थिरता, समावेशिता, आर्थिक विकास, निष्पक्षता और प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के लिए भारत-प्रशांत क्षेत्र में भाग लेने वाले देशों के बीच आर्थिक साझेदारी को मजबूत करना है।
- कथन 2 सही है: IPEF एक अमेरिकी नेतृत्व वाली पहल है जिसे वर्ष 2022 में शुरू किया गया था।
- कथन 3 गलत है: IPEF के वर्तमान सदस्यों में निम्न देश शामिल हैं: ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, फिजी, भारत, इंडोनेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका और वियतनाम।
- आसियान सदस्य: इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रुनेई, वियतनाम, लाओस, म्यांमार और कंबोडिया।
प्रश्न 5. निम्नलिखित में से कौन सा/से सूर्य मंदिरों के लिए विख्यात है/हैं? (PYQ – 2017) (स्तर – कठिन)
- अरसावल्ली
- अमरकंटक
- ओंकारेश्वर
निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए:
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: a
व्याख्या:
- अरसावल्ली सूर्य मंदिर आंध्र प्रदेश में स्थित एक मंदिर है।
- मध्य प्रदेश में अमरकंटक मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।
- भगवान शिव को समर्पित ओंकारेश्वर मंदिर मध्य प्रदेश में स्थित है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. मौजूदा प्रणाली जिसमे भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) की नियुक्तियों की पूर्ण शक्ति कार्यपालिका के पास है, असंतोषजनक है, यह एक ऐतिहासिक समस्या रही है और विधि के शासन को नुकसान पहुंचाती है। चर्चा कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द) (सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र II – राजव्यवस्था)
प्रश्न 2. आक्रामक चीन और उभरते हुए भारत के बीच तनाव बढ़ने के साथ, हिंद महासागर और दक्षिण एशियाई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण परिवर्तन और चुनौतियां होंगी। इस कथन का परीक्षण कीजिए। (10 अंक, 150 शब्द) (सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र II – अंतर्राष्ट्रीय संबंध)