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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 21 February, 2023 UPSC CNA in Hindi

21 फरवरी 2023 : समाचार विश्लेषण

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

  1. ऑटिज़्म (आत्मकेंद्रित) विकारों का माइक्रोबायोम संबंध:
  2. क्या हम ग्लोबल वार्मिंग को धीमा करने के लिए चाँद की धूल का उपयोग कर सकते हैं?

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

सामाजिक न्याय:

  1. महिलाओं के लिए एक सुरक्षित कार्यस्थल बनाने की दिशा में धीमी प्रगति:
  2. वैवाहिक आयु बढ़ाने के लिए सिर्फ कानून पर्याप्त नहीं है क्योंकि प्रवर्तन कमज़ोर है:

शासन:

  1. डेटा संरक्षण विधेयक के साथ समस्याएं:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. मेलोनी की यात्रा के दौरान भारत और इटली की नजर रक्षा समझौते पर रहेगी:
  2. विवाह की समान आयु करने के लिए केवल संसद ही कानून में संशोधन कर सकती है:

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

ऑटिज़्म (आत्मकेंद्रित) विकारों का माइक्रोबायोम संबंध:

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

विषय: विभिन्न रोगों के प्रति जागरूकता।

प्रारंभिक परीक्षा: ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर/विकार (Autism spectrum disorder)।

मुख्य परीक्षा: मानव स्वास्थ्य, रोगों और माइक्रोबायोम के बीच की कड़ी को समझने में वैज्ञानिक प्रगति।

प्रसंग:

  • इस लेख में गट माइक्रोबायोम संयोजन (gut microbiome composition) और ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर के बीच संबंध स्थापित करने की कोशिश की गई है।

ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर/आत्मकेंद्रित स्पेक्ट्रम विकार (ASD):

  • ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) मस्तिष्क में अंतर के कारण होने वाली एक न्यूरोडेवलपमेंटल अक्षमता है।
  • ASD एक जटिल विकासात्मक विकार है जिसके लक्षण सामाजिक मेल-मिलाप तथा मौखिक और अमौखिक संचार में कठिनाई, दोहराव वाला व्यवहार, और रुचि के प्रति फोकस की कमी हैं।
  • ASD को “उद्विकास-संबंधी विकार” कहा जाता है क्योंकि इसके लक्षण आमतौर पर बच्चे के पहले 2 वर्षों में दिखाई देते हैं।
  • ऑटिज़्म को “स्पेक्ट्रम” विकार भी कहा जाता है क्योंकि लोगों द्वारा अनुभव किए जाने वाले लक्षणों के प्रकार और गंभीरता में व्यापक भिन्नता होती है।
  • वर्तमान में, ASD का उपचार करने या इसे फिर से सामान्य करने के लिए कोई चिकित्सा उपलब्ध नहीं है।

गट माइक्रोबायोम और ऑटिज़्म के बीच की कड़ी:

  • हालांकि शोधकर्ता अभी भी ASD के कारण को पूरी तरह से स्थापित नहीं कर पाए हैं, ऐसी रिपोर्टें हैं जो कहती हैं कि आंत्र-मस्तिष्क अक्ष (gut-brain axis) की ASD विकसित करने में प्रमुख भूमिका हो सकती है।
  • व्याधिनिदान-विज्ञान (Aetiology) उन कारकों का अध्ययन है जो किसी विकार या विकलांगता या बीमारी का कारण बनते हैं।
  • हाल के दिनों में, शोधकर्ताओं द्वारा मानव माइक्रोबायोम पर व्यापक अध्ययन किए गए हैं जिन्हें जीन-अनुक्रमण प्रौद्योगिकियों और अत्याधुनिक जैव सूचनात्मक विश्लेषण में प्रगति द्वारा समर्थन प्राप्त हुआ है।
  • गट माइक्रोबायोम का मनुष्यों की प्रतिरक्षा में बदलाव (इम्यून मॉड्यूलेशन) और चयापचय गतिविधियों पर बड़ा प्रभाव पाया गया है और क्रोहन रोग, सीलिएक रोग और ऑटिज़्म जैसे विभिन्न रोगों के संबंध में गट माइक्रोबायोम संयोजन में अंतर देखा गया है।
  • इम्यून मॉड्यूलेशन शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा किए गए कार्यों को संदर्भित करता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इसकी प्रतिक्रिया खतरे के अनुपात में है।
  • गट माइक्रोबायोम और मेजबान पर्यावरण के बीच गतिशील क्रॉस-टॉक पर किए गए अध्ययन में ASD लक्षणों के आपस में संभावित संबंध पाए गए हैं।
  • उदाहरण: असामान्य एंटीजन जो एक विकृत आंत्र अवरोध से होकर प्रवेश करता है, ऐसे एंटीजनों को मस्तिष्क के आसपास के अवरोध से होकर प्रवेश करने देता है जो प्रतिक्रियाओं की एक श्रृंखला का कारण बन सकता है जो ASD के लक्षणों को और गंभीर कर देता है।
  • इस शोध की रिपोर्ट ने संकेत दिया है कि यदि गट माइक्रोबायोम प्रत्यक्ष भूमिका नहीं निभाते हैं, तो गट माइक्रोबायोम में विद्यमान असामान्यताएं विषाक्त मेटाबोलाइट्स को प्रेरित कर सकती हैं और व्यक्ति को न्यूरोट्रांसमीटर बनाने के लिए आवश्यक मेटाबोलाइट्स को संश्लेषित करने से रोक सकती हैं जो अनुभूति, व्यवहार, मनोदशा और नींद से संबंधित हैं।
  • उदाहरण के लिए, अनुसंधान में दोनों तरह के बच्चों अर्थात जिन्हें ASD है जिन्हें ASD नहीं है, का अध्ययन किया गया था:
  • ASD से पीड़ित बच्चों की गट माइक्रोबायोम में डिसबायोसिस (असंतुलन) देखा गया था।
  • ASD से पीड़ित बच्चों की आंत में फाइलम फर्मिक्यूट्स के बैक्टीरिया का अंश अधिक देखा गया।
  • ASD से पीड़ित बच्चों में आंत माइक्रोबायोम में लैक्टोबैसिलेसी, बिफीडोबैक्टीरिया और वीलोनेलेसेई जैसे बैक्टीरिया भी प्रचुर मात्रा में मौजूद थे।
  • इसके अलावा ASD से पीड़ित बच्चों में शॉर्ट-चेन फैटी एसिड (short-chain fatty acids (SCFA)) का उत्पादन करने वाले बैक्टीरिया जैसे फेकैलिबैक्टीरियम और रोजबुरिया की मात्रा कम पाई गई जो बताता है कि SCFA के निम्न स्तर से मस्तिष्क के कार्य और व्यवहार में असंतुलन हो सकता है।

भावी कदम:

  • हाल के निष्कर्ष बताते हैं कि ASD से प्रभावित बच्चों में आंत को ठीक करने से विषाक्त बोझ कम हो सकता है साथ ही इससे आवश्यक न्यूरोट्रांसमीटर संश्लेषण (कृत्रिम रचना) मार्गों को पूरा करने में मदद मिल सकती है।
  • इसके अलावा, ASD से पीड़ित बच्चों में गट माइक्रोबायोम में संतुलन (गट डिसबायोसिस की स्थिति को उलटना) से बीमारी से जुड़ी विभिन्न समस्याओं का समाधान करने की क्षमता है।
  • फैकल माइक्रोबियल ट्रांसप्लांटेशन (FMT) को गट डिसबायोसिस की स्थिति को उलटने के सबसे आशाजनक तरीकों में से एक माना जाता है।
  • FMT के तहत स्वस्थ व्यक्तियों के मल के नमूनों को प्रभावित बच्चों की बड़ी आंतों में प्रत्यारोपित किया जाता है।
  • FMT पर 2017 में ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए एक अध्ययन में बताया गया है कि इस हस्तक्षेप से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल और ASD से संबंधित दोनों लक्षणों में सुधार हुआ है।
  • FMT न्यूनतम जोखिम के साथ एक लागत प्रभावी दृष्टिकोण भी है। हालाँकि, इसे अपनाने के लिए सभी हितधारकों के बीच आम सहमति बनाने की आवश्यकता है।
  • विश्व ऑटिज़्म जागरूकता दिवस से संबंधित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: World Autism Awareness Day

सारांश:

  • WHO के अनुसार, ASD 100 बच्चों में से एक को प्रभावित करता है और इसका इन बच्चों की संज्ञानात्मक क्षमताओं और जीवन की गुणवत्ता पर महत्वपूर्ण नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। हालाँकि,अग्रिम अध्ययनों से पता चला है कि FMT जैसे दृष्टिकोणों के माध्यम से गट माइक्रोबायोम को संतुलित करना ASD से जुड़ी कई समस्याओं को कम कर सकता है। हालांकि, इस तरह की कोई भी कार्रवाई करने से पहले वैज्ञानिक समुदाय के साथ-साथ सभी हितधारकों के बीच आम सहमति बनाने की आवश्यकता है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

क्या हम ग्लोबल वार्मिंग को धीमा करने के लिए चाँद की धूल का उपयोग कर सकते हैं?

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

विषय: अंतरिक्ष के क्षेत्र में जागरूकता।

प्रारंभिक परीक्षा: मून डस्ट कूलर और सोलर रेडिएशन मैनेजमेंट (SRM) से संबंधित जानकारी।

मुख्य परीक्षा: सौर विकिरण प्रबंधन (SRM) प्रस्तावों का समालोचनात्मक मूल्यांकन।

प्रसंग:

  • ऐसा कहा जाता है कि वर्ष 1816 में माउंट टैम्बोरा के ज्वालामुखी विस्फोट के बाद का एक वर्ष गर्मी रहित था, क्योंकि इस विस्पोट ने सल्फेट्स और अन्य एरोसोल को समताप मंडल में उत्सर्जित किया था जिसने वातावरण को ठंडा कर दिया था।
  • इसने लोगों को ग्लोबल वार्मिंग को धीमा करने के लिए कृत्रिम रूप से समान तरीकों का उपयोग करने की संभावना की जांच करने के लिए प्रोत्साहित किया है।

मून डस्ट कूलर (Moon dust coolers):

  • हाल ही में PLoS क्लाइमेट जर्नल में प्रकाशित एक पेपर में अमेरिका के शोधकर्ताओं ने चंद्रमा से टनों (भार का मात्रक) धूल को अंतरिक्ष में एक बिंदु पर लॉन्च करने का विचार प्रस्तावित किया है, जहां पृथ्वी और सूर्य के गुरुत्वाकर्षण बल एक दूसरे को शून्य कर देते हैं।
  • धूल को ऐसे बिंदु पर छोड़ने से यह सुनिश्चित होगा कि यह धूल उस क्षेत्र पर विस्तृत रहेगी, जो पृथ्वी पर छाया डालने में मदद करता है और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए सूर्य के प्रकाश को मंद करता है।
  • समताप मंडल में एरोसोल, विशेष रूप से वे जो सौर विकिरणों का प्रकीर्णन करते हैं (जैसे सल्फेट), का शीतलन प्रभाव होता है।
  • यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि 1816 के विस्फोट के बाद ग्रीष्म रहित वर्ष ने दुनिया भर में फसल की पैदावार को काफी प्रभावित किया जिसने बीमारी और भुखमरी की स्थिति को जन्म दिया।
  • इसके अतिरिक्त, विभिन्न जलवायु मॉडलों ने भी पुष्टि की है कि समतापमंडलीय एरोसोल के कारण पृथ्वी पर आने वाले सूर्य प्रकाश के मंद होने से फसल की उपज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
  • हालांकि कुछ अध्ययनों ने तर्क दिया है कि इस तरह के सूखे हानिकारक नहीं होंगे और ऐसे सौर विकिरण प्रबंधन (Solar radiation management (SRM)) से देशों के सकल घरेलू उत्पाद सकारात्मक रूप से प्रभावित होंगे।

सौर विकिरण प्रबंधन (SRM):

चित्र स्रोत: Phys.org

  • सौर विकिरण प्रबंधन (SRM) एक प्रकार की जलवायु इंजीनियरिंग है जिसका उद्देश्य सूर्य के प्रकाश को परावर्तित करके ग्लोबल वार्मिंग को कम करना या धीमा करना है।

SRM के प्रस्तावित तरीकों में ग्रहीय एल्बिडो को निम्न प्रकार से बढ़ाना शामिल है:

  • अंतरिक्ष में परावर्तक गुब्बारे, सनशेड या दर्पण स्थापित करना।
  • सूर्य की अधिक गर्मी को वापस अंतरिक्ष में भेजने के लिए ऊष्मा-विक्षेपक एरोसोल को सीधे पृथ्वी के समताप मंडल में प्रविष्ठ करना।
  • मरीन क्लाउड ब्राइटनिंग में बादलों की परावर्तकता बढ़ाने के लिए समुद्र से खारे पानी के कणों को बदल की परतों में प्रविष्ठ करना शामिल है।
  • सतह-आधारित दृष्टिकोण अपनाना जैसे छतों को सफेद करना, अधिक परावर्तक फसलें उगाना आदि।
  • इसके साथ ही इंजीनियरिंग परियोजनाओं के माध्यम से प्राकृतिक ऊष्मा परावर्तक जैसे समुद्री बर्फ, हिम और हिमनदों की रक्षा करने जैसे पुनर्स्थापनात्मक तरीकों को अपनाना।
  • ग्लोबल वार्मिंग को धीमा करने के लिए SRM को एक तीव्र और सस्ता तरीका कहा जाता है।

SRM से जुड़ी चिंताएं:

  • महाद्वीपीय पैमाने पर अपनाए जाने पर ये तरीके सबसे अच्छे होते हैं न कि क्षेत्रीय पैमाने पर।
  • इस प्रकार ये उपाय क्षेत्रीय रूप से लू और सूखे के प्रतिकूल प्रभावों की भरपाई नहीं कर सकते हैं।
  • अत्याधुनिक जलवायु मॉडल की उपलब्धता के बावजूद, इन मॉडलों में सौर विकिरण में परिवर्तन का अनुमान लगाने के लिए केवल तापमान प्रतिक्रिया का अनुकरण करने का ही कौशल है और ये मॉडल सौर विकिरण की वर्षा के प्रति प्रतिक्रिया का अनुमान लगाने के लिए अपर्याप्त हैं।
  • इसलिए सूर्य के प्रकाश को अवरुद्ध करने के परिणामस्वरूप वर्षा के पैटर्न में संभावित परिवर्तनों के बारे में अभी भी अनिश्चितता है जिसके सूखे और फसल के नुकसान के रूप में अनपेक्षित परिणाम हो सकते हैं।
  • विभिन्न प्राकृतिक और सामाजिक वैज्ञानिकों ने SRM तकनीक और उसकी क्रिया प्रणाली के बारे में चिंता जताई है।
  • एरोसोल-लोडिंग (लदान) दृष्टिकोण के संबंध में भी चिंताएँ जताई जा रही हैं, क्योंकि जब एक बार इसका छिड़काव बंद कर दिया जाता है और एयरोसोल वायुमंडल से समाप्त हो जाते हैं तो इसका उलट प्रभाव होगा।

साथ ही इसके संबंध में अन्य सवाल उठते हैं, जैसे:

  • कौन तय करेगा कि एयरोसोल कब, कहां और कैसे स्थापित किए जाएं?
  • इसके अनपेक्षित परिणामों की निगरानी कौन करेगा?
  • क्या कोई देश उत्तरदायित्व वहन करेगा यदि वह किसी अन्य देश में वर्षा को प्रभावित करने वाला प्रयोग करता है?
  • हुए नुकसान की भरपाई क्या हो सकती है?
  • सौर विकिरण प्रबंधन (SRM) से संबंधित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: Solar radiation management (SRM)

सारांश:

  • वर्तमान में जब दुनिया भर के देश ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए विभिन्न अभिनव उपायों पर विचार कर रहे हैं, ऐसे समय में SRM को बढ़ते तापमान को कम करने के लिए एक प्रभावी और अपेक्षाकृत सस्ती विधि के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि इसके अनपेक्षित परिणामों और वैश्विक मौसम पैटर्न को अस्थिर करने की उनकी क्षमता के बारे में आशंकाएं जताई जा रही हैं जो विभिन्न सौर जियोइंजीनियरिंग विधियों से जुड़ी वैश्विक खाद्य सुरक्षा को कमजोर कर सकती हैं।

संपादकीय-द हिन्दू

संपादकीय:

महिलाओं के लिए एक सुरक्षित कार्यस्थल बनाने की दिशा में धीमी प्रगति:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

सामाजिक न्याय:

विषय: महिलाओं से संबंधित मुद्दे।

मुख्य परीक्षा: कार्यस्थल पर महिलाओं के खिलाफ हिंसा।

प्रारंभिक परीक्षा: विशाखा दिशानिर्देश।

प्रसंग:

  • भारतीय खिलाड़ियों (पहलवानों) द्वारा यौन उत्पीड़न का आरोप।

विवरण:

  • कुछ महिला पहलवानों द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। प्रभावित लोग दिल्ली में धरने पर बैठे थे।
  • इससे पता चलता है कि पहलवानों को आंतरिक शिकायत समिति के बारे में या तो जानकारी नहीं थी या समिति काम नहीं कर रही थी।
  • विशाखा दिशानिर्देशों के अनुसार, उत्पीड़न के मामलों की रिपोर्टिंग का सरकारी और निजी दोनों संस्थानों में समान रूप से पालन किया जाना चाहिए।
  • इस मामले की जांच के लिए एक महिला ओलंपिक पदक विजेता की अध्यक्षता में ‘निरीक्षण समिति’ का गठन किया गया है।
  • इसी तरह के एक मामले में, एक प्रमुख महिला पत्रकार को अभियुक्तों द्वारा मानहानि के आरोपों का सामना करना पड़ा। हालांकि, उसे फरवरी 2021 में बरी कर दिया गया था।
  • महिलाओं के यौन उत्पीड़न (sexual harassment of a woman) के खिलाफ कुछ प्रावधान:
    • भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 509 में एक महिला की शील (Modesty) का अनादर करने के खिलाफ प्रावधान किए गए हैं।
    • 2013 में ‘यौन उत्पीड़न’ से संबंधित अपराधों के लिए आईपीसी की धारा 354-A शामिल की गई थी।
    • विशाखा दिशा निर्देश 1997 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तैयार किए गए थे।

विशाखा मामले पर अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें: Vishakha Case Summary (1997) – Important SC Judgements for UPSC

यौन हिंसा के बारे में कुछ सांख्यिकीय विवरण:

  • अनुकूल वातावरण के कारण प्रत्यक्ष हिंसा के मामलों की रिपोर्टिंग में सुधार हुआ है।
  • हालाँकि, अप्रत्यक्ष हिंसा के मामलों का समाधान अभी भी ठीक तरीके से नहीं किया जा रहा है क्योंकि यह हमारे सामाजिक और आर्थिक ढांचे में गहराई से अंतर्निहित है। यह कार्यस्थलों पर अधिक दिखाई देता है जैसे पुरुषों और महिलाओं के बीच रोजगार असंतुलन और उच्च पदों पर महिलाओं की कम संख्या।
    • यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि महिला कर्मचारियों की संख्या महत्वपूर्ण है क्योंकि समर्थकों की पर्याप्त संख्या होने पर शिकायत करने का साहस प्राप्त होता है।
    • इसके अलावा, अगर नेतृत्व के पदों पर पर्याप्त महिलाएं नहीं हैं तो इससे अधीनस्थ महिलाओं में विश्वास पैदा नहीं होगा। वे अपनी शिकायतों को दर्ज कराने में भी संकोच का अनुभव करेंगी।
  • आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) 2020-21 के अनुसार, महिला श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) 2017-18 में 17.5% से बढ़कर 2020-21 में 25.1% हो गई।
    • LFPR जनसंख्या में कुल व्यक्तियों (नियोजित और बेरोजगार या जो रोजगार की तलाश में हैं) के बीच श्रम बल में संलग्न व्यक्तियों के प्रतिशत को संदर्भित करता है।
  • कामगार जनसंख्या अनुपात (WPR) भी 2017-18 में 16.5% से बढ़कर 2020-21 में 24.2% हो गया है।
    • WPR का तात्पर्य कुल जनसंख्या में कार्यरत व्यक्तियों के प्रतिशत से है।
  • हालांकि, यह अभी भी पुरुष LFPR से काफी कम है। इसके अलावा, अप्रैल-जून 2022 के तिमाही बुलेटिन में दर्शाए गए महिलाओं के LFPR और WPR उत्साहजनक नहीं हैं।

यह भी पढ़ें: Women in Workforce: RSTV – Big Picture Analysis for UPSC IAS exam.

संबद्ध चिंताएं:

  • कार्यबल में महिलाओं की कम भागीदारी के प्रमुख कारकों में से एक एक सक्षम तथा सुरक्षित कार्य वातावरण का अभाव है।
  • शिकायत निवारण तंत्र या तो मौजूद नहीं है या अप्रभावी है।
  • महिलाएं शोषण के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं क्योंकि अनुचित माँग पूरी न करने पर उन्हें नौकरी से निकाले जाने का डर दिखाकर आसानी से धमकाया जा सकता है।
  • यह देखा गया है कि जब भी वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ आरोप लगाए जाते हैं, तो अभियुक्त नियत प्रक्रिया को रोकने की कोशिश करता है या पीड़ित को बदनाम करने के लिए उन पर झूठे आरोप लगाए जाते हैं।

भावी कदम:

  • बचपन के दौरान चरित्र निर्माण के प्रारंभिक चरण में पुरुषों और महिलाओं को समान मानने की मानसिकता विकसित करना महत्वपूर्ण है।
  • ‘प्रकृति बनाम पालन-पोषण’ नामक अपराधशास्त्र के सिद्धांत के अनुसार, बच्चों के विकास के दौरान सामाजिक अनुकूलन, परिवार का वातावरण और प्रारंभिक स्कूली शिक्षा महत्वपूर्ण हैं। उदाहरण के लिए,
    • यदि माता-पिता दोनों एक-दूसरे का सम्मान नहीं करते हैं या अपनी लड़कियों और लड़कों के साथ अलग-अलग व्यवहार करते हैं, तो बच्चे असमानता को एक सामान्य घटना के रूप में अपनाएंगे।
    • यह आगे चलकर पुरुषों में आपराधिक प्रवृत्ति के विकास को बढ़ावा देगा।
  • एक सुरक्षित और महिलाओं के अनुकूल कार्य वातावरण सुनिश्चित करना नियोक्ता की जिम्मेदारी है।
  • आंतरिक शिकायत समिति का गठन किया जाना चाहिए और शिकायत निवारण के कानून और प्रक्रिया के बारे में जागरूकता फैलाई जानी चाहिए।
  • मध्यम अवधि में, निम्नलिखित उपाय किए जाने चाहिए:
    • महिला महिला श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) में सुधार।
    • नेतृत्व के पदों पर महिलाओं की संख्या बढ़ाना।
    • ड्रॉप-आउट रोकने के लिए मातृत्व अवकाश जैसे प्रोत्साहन प्रदान करना।
  • दीर्घावधि में, अप्रत्यक्ष हिंसा को समाप्त करने के लिए मौजूदा सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक ढांचे में बदलाव लाना महत्वपूर्ण है।

संबंधित लिंक:

List of Women Empowerment Schemes in India

सारांश:

  • कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न के समाधान हेतु विभिन्न प्रावधानों के बावजूद, महिलाओं के लिए सुरक्षित कार्य वातावरण बनाने में धीमी प्रगति हुई है। महिलाओं के खिलाफ गहराई तक जड़ें जमा चुकी संरचनात्मक और सांस्कृतिक हिंसा को संबोधित करने के लिए समाज को समग्र रूप से काम करना चाहिए।

वैवाहिक आयु बढ़ाने के लिए सिर्फ कानून पर्याप्त नहीं है क्योंकि प्रवर्तन कमज़ोर है:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

सामजिक न्याय:

विषय: महिलाओं और बच्चों से संबंधित मुद्दे।

मुख्य परीक्षा: महिलाओं की वैवाहिक आयु बढ़ाना।

प्रसंग:

  • महिलाओं की वैवाहिक आयु बढ़ाने की मांग वाली याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय।

विवरण:

  • सर्वोच्च न्यायालय ने उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें भारत में महिलाओं के विवाह की न्यूनतम आयु 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष करने की मांग की गई थी। भारत के मुख्य न्यायाधीश ने आगे कहा कि कानून में संशोधन करने की शक्ति संसद के पास है।
  • बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक (Prohibition of Child Marriage (Amendment) Bill) लोकसभा में दिसंबर 2021 में प्रस्तुत किया गया था। इसमें महिलाओं के लिए विवाह की आयु 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष करने का प्रस्ताव रखा गया था।
  • विधेयक को संसदीय स्थायी समिति के पास भेजा गया है।
  • महिलाओं की वैवाहिक आयु बढ़ाने का उद्देश्य युवा महिलाओं की श्रम शक्ति में कम भागीदारी से संबंधित समस्या का समाधान करना है।

संबंधित आकड़े:

  • 2019-21 में 20-24 वर्ष की आयु वर्ग की लगभग 23% महिलाओं का विवाह 18 वर्ष की आयु से पहले कर दिया गया था (विवाह की कानूनी आयु 18 वर्ष होने के बावजूद)।
    • यह हिस्सा बिहार और पश्चिम बंगाल में 40% से अधिक था।
    • केरल, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड में यह 10% से कम है।

चित्र 1: 20 से 24 वर्ष की आयु की उन महिलाओं का हिस्सा जिनका विवाह उनके 18वें जन्मदिन से पहले हो गया था।

स्रोत: The Hindu

  • हालाँकि, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Records Bureau(NCRB)) के अनुसार, 2021 में बाल विवाह निषेध अधिनियम के तहत केवल 1050 मामले दर्ज किए गए थे।
  • इसके अलावा, 2019-21 में 25 से 29 वर्ष की आयु की 60% से अधिक महिलाओं का विवाह 21 वर्ष की आयु पूर्ण करने से पहले कर कर दिया गया था। यह हिस्सा बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे पूर्वी राज्यों में 70% से अधिक है।
    • यह आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और त्रिपुरा राज्यों में 65% से अधिक था।
    • वास्तव में गोवा (ऐसी महिलाओं की सबसे कम हिस्सेदारी वाला राज्य) में, पांच में से एक महिला का विवाह उनके 21वें जन्मदिन से पहले हो गया था।

चित्र 1: 25 से 29 वर्ष की आयु की उन महिलाओं का हिस्सा जिनका विवाह उनके 21वें जन्मदिन से पहले हो गया था।

स्रोत: द हिंदू

लेख की विस्तारपूर्वक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: 15 Feb 2023: UPSC Exam Comprehensive News Analysis

निष्कर्ष:

यह सुझाव दिया जाता है कि कानूनों में बदलाव करने के बावजूद प्रवर्तन कमजोर रह सकता है। महिलाओं को बेहतर स्तर की शिक्षा प्रदान करके उनकी निर्णय निर्माण शक्ति को बढ़ाना एक आवश्यक कदम है।

संबंधित लिंक:

11 Feb 2023: UPSC Exam Comprehensive News Analysis

सारांश:

  • यह पाया गया है कि महिलाओं के विवाह की कानूनी आयु 18 वर्ष होने के बावजूद, अभी भी महिलाओं के एक बड़े हिस्से का विवाह उनके 18वें जन्मदिन से पहले कर दिया जाता है। यह अनुशंसा की जाती है कि कानूनी उपाय के अलावा, युवा महिलाओं को शिक्षा और आजीविका के अवसरों के माध्यम से सशक्त बनाया जाना चाहिए।

डेटा संरक्षण विधेयक के साथ समस्याएं:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

शासन:

विषय: सरकार की नीतियां और हस्तक्षेप।

मुख्य परीक्षा: व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक।

प्रारंभिक परीक्षा: डेटा संरक्षण विधेयक।

विवरण:

  • लोगों के ‘निजता के अधिकार’ (Right to Privacy) और सूचना के अधिकार (दोनों मौलिक अधिकार हैं) की सुरक्षा और संतुलन के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (DPDP) विधेयक का मसौदा तैयार किया गया है।

विधेयक के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें: Digital Data Protection Bill, 2022 – Features, Significance [USPC Notes]

DPDP विधेयक के मुद्दे:

  • सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम से संबंधित चिंताएं:
    • यह तर्क दिया जाता है कि विधेयक का उद्देश्य RTI अधिनियम को कमजोर करना है। कल्याणकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने और संवीक्षा/सामाजिक लेखापरीक्षा हेतु, लोगों की प्रासंगिक और विस्तृत जानकारी तक पहुंच होनी चाहिए।
    • DPDP विधेयक RTI अधिनियम की धारा 8(1)(j) में संशोधन करने और सभी व्यक्तिगत सूचनाओं को RTI अधिनियम के दायरे से बाहर करने का प्रयास करता है।
      • वर्तमान में, व्यक्तिगत जानकारी प्रदान करने से इनकार करने के लिए धारा 8(1)(j) लागू की जा सकती है, यदि मांगी गई जानकारी किसी सार्वजनिक गतिविधि या सार्वजनिक हित से संबंधित नहीं है या इसमें निजता के अनुचित आक्रमण का कारण बनने की क्षमता है और जन सूचना अधिकारी इस बात से संतुष्ट है कि ऐसा कोई जनहित संबंधित कारण नहीं है जो प्रकटीकरण को न्यायोचित ठहराता हो।
    • यह भी तर्क दिया गया है कि धारा 8(1) के प्रावधान की गलत व्याख्या की गई है, जिसमें कहा गया है कि “सूचना जिसे संसद या राज्य विधानमंडल को अस्वीकार नहीं किया जा सकता है, किसी भी व्यक्ति को इनकार नहीं किया जाएगा।” इसे केवल आरटीआई कानून की निजता छूट पर ही लागू माना जाता है।
    • यह सुझाव दिया जाता है कि DPDP विधेयक को आरटीआई अधिनियम के प्रावधानों और उद्देश्यों के अनुरूप होना चाहिए। इसके अलावा, यह निजता पर न्यायमूर्ति ए.पी. शाह की रिपोर्ट के अनुरूप होना चाहिए।
  • विधेयक कार्यपालिका को कई मुद्दों पर नियमों का मसौदा तैयार करने का अधिकार देता है, जिससे केंद्र सरकार को कईं व्यापक विवेकाधीन शक्तियां प्राप्त हो जाएंगी। उदाहरण के लिए, धारा 18 केंद्र सरकार को अधिसूचना के माध्यम से किसी भी सरकारी या निजी क्षेत्र की संस्थाओं को छूट देने का अधिकार देती है।
  • यह भी देखा गया है कि विधेयक डेटा संरक्षण बोर्ड की स्वायत्तता की गारंटी नहीं देता है। केंद्र सरकार बोर्ड के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की शक्ति, संरचना, चयन और निष्कासन का निर्धारण करेगी।
    • डेटा संरक्षण बोर्ड कानून के प्रावधानों के प्रवर्तन के लिए जिम्मेदार संस्था है।
    • इसके पास दीवानी न्यायालय की शक्ति है और यह ₹500 करोड़ तक का जुर्माना लगा सकती है।
  • विधेयक के अनुसार, डेटा संरक्षण बोर्ड ‘मूलतः डिजिटल’ होगा। इसका तात्पर्य है कि इसका कामकाज (शिकायतों की प्राप्ति और निपटान) प्रमुख रूप से डिजिटल तरीके से होगा।
    • हालाँकि, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) में इस बात पर प्रकाश डाला गया था कि भारत में केवल 33% महिलाओं ने ही अभी तक इंटरनेट का उपयोग किया है।
    • भारत में आबादी के एक बड़े हिस्से की इंटरनेट तक पहुंच नहीं है।

संबंधित लिंक:

Digital Personal Data Protection Bill: Sansad TV Perspective Discussion of 16 Nov 2022

सारांश:

  • डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक के मसौदे में निजता और सूचना के अधिकार से जुड़े कई मुद्दे हैं। यह सुझाव दिया जाता है कि इसे कठोर पूर्व-विधायी परामर्श प्रक्रिया से गुजरना चाहिए और इसे देश का एक मजबूत और प्रभावी डेटा संरक्षण कानून बनाने के लिए इसमें आवश्यक परिवर्तन किए जाने चाहिए।

प्रीलिम्स तथ्य:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

1. मेलोनी की यात्रा के दौरान भारत और इटली की नजर रक्षा समझौते पर रहेगी:

  • इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी की भारत यात्रा के दौरान उम्मीद की जा रही है कि दोनों देश इतालवी नौसैनिकों की गिरफ्तारी और अन्य मुद्दों पर पूर्व में उपजे विभिन्न तनावों को दूर करेंगे और द्विपक्षीय रक्षा सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा करेंगे।
  • भारत और इटली के बीच द्विपक्षीय संबंधों में वर्ष 2012-2015 के दौरान भारतीय तट पर केरल के मछुआरों की हत्या के लिए दो इतालवी नौसैनिकों की गिरफ्तारी के कारण गिरावट/तल्खी देखी गई थी।
  • इसी क्रम में इटली ने वर्ष 2015 में मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (Missile Technology Control Regime (MTCR)) में शामिल होने के लिए भारत के आवेदन को भी वीटो कर दिया था और यूरोपीय संसद में भारत को मानवाधिकार उल्लंघनकर्ता के रूप में नामित करने की दिशा में काम किया था।
  • इसके बाद भारत सरकार ने इन नौसैनिकों को वापस इटली भेजने का फैसला किया और उसके बाद इस मामले को स्थायी मध्यस्थता न्यायालय (Permanent Court of Arbitration (PCA)) में पारस्परिक रूप से सुलझा लिया गया था।
  • जॉर्जिया मेलोनी वर्ष 2017 में पाओलो जेंटिलोनी और वर्ष 2018 में ग्यूसेप कॉन्टे के बाद पिछले दशक में भारत का दौरा करने वाले तीसरे इतालवी प्रधानमंत्री होंगी।
  • इतालवी प्रधानमंत्री के दौरे के संबंध में आ रही रिपोर्टों के अनुसार, दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग पर एक सामान्य समझौते पर चर्चा की जा रही है और यह समझौता इटली की हिंद-प्रशांत रणनीति के अनुरूप है।
  • अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे के संबंध में उपजे विवाद, जिसने संबंधित देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों और रक्षा सहयोग को प्रभावित किया था, के बावजूद भी इटली कुछ मायनों में भारत के रक्षा उद्योग में शामिल रहा है।
  • इटली का फिनकैंटिएरी INS विक्रांत, जो भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत है, के लिए प्रौद्योगिकी उन्नयन और क्षमता वृद्धि के लिए तकनीकी विशेषज्ञता प्रदाता है।
  • नवंबर 2021 में, भारत के केंद्रीय रक्षा मंत्रालय ने वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे में शामिल इतालवी रक्षा कंपनी लियोनार्डो पर से प्रतिबंध हटा दिया।
  • भारत और इटली हिंद महासागर क्षेत्र और हिंद-प्रशांत में बहुपक्षीय मंचों में भी संलग्न हैं।
  • एनरिका लेक्सी केस से संबंधित अधिक जानकारी के लिए 04 जुलाई 2020 का यूपीएससी परीक्षा विस्तृत समाचार विश्लेषण का लेख देखें।

2. विवाह की समान आयु करने के लिए केवल संसद ही कानून में संशोधन कर सकती है:

  • सर्वोच्च न्यायालय ने महिलाओं की शादी की न्यूनतम उम्र 18 से बढ़ाकर 21 करने की मांग वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि शादी की उम्र एक समान करने के लिए केवल संसद ही कानून में संशोधन कर सकती है क्योंकि यह संसद के विवेक पर छोड़ दिया गया है।
  • भारत के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने माना है कि यह नहीं माना जाना चाहिए कि न्यायपालिका संविधान की एकमात्र संरक्षक है क्योंकि संसद समान रूप से संविधान की संरक्षक है।
  • याचिकाकर्ता ने विवाह की न्यूनतम आयु को बढ़ाकर 21 वर्ष करने के लिए एक विधायी संशोधन की मांग करते हुए कहा कि 18 वर्ष का प्रावधान मनमाना था।
  • हालाँकि,शीर्ष अदालत के अनुसार एक सामान्य कानून यह है कि अदालत संविधान के अनुच्छेद 32 (Article 32 of the Constitution) के तहत संसद या राज्य विधानसभाओं को शक्ति का प्रयोग करने के लिए सौंपे गए मामले पर कानून बनाने के लिए संसद को परमादेश जारी नहीं कर सकती है।
  • बाल विवाह निषेध अधिनियम से संबंधित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:Prohibition of Child Marriage Act

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न1. निम्नलिखित कथनों में से कौन से सही हैं? (स्तर – सरल)

  1. एससीओ की स्थापना वर्ष 2001 में हुई थी।
  2. वर्ष 2023 का एससीओ शिखर सम्मेलन उज्बेकिस्तान के समरकंद में आयोजित किया जाएगा।
  3. भारत और पाकिस्तान, दोनों एससीओ के सदस्य हैं।

विकल्प:

  1. 1 और 2
  2. 2 और 3
  3. 1 और 3
  4. 1, 2 और 3

उत्तर: c

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: शंघाई सहयोग संगठन (SCO) 15 जून 2001 को शंघाई में स्थापित एक अंतरसरकारी संगठन है।
  • कथन 2 गलत है: एससीओ 2023 शिखर सम्मेलन भारत के गोवा में आयोजित किया जाएगा।
  • वर्ष 2022 का एससीओ शिखर सम्मेलन उज्बेकिस्तान के समरकंद में आयोजित किया गया था।
  • कथन 3 सही है: भारत और पाकिस्तान दोनों 2017 में एससीओ में शामिल हुए थे।
    • एससीओ सदस्य देश: चीन, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान।

प्रश्न 2. निम्नलिखित कथनों में से कितने सही हैं? (स्तर – कठिन)

  1. एनडीआरएफ की स्थापना वर्ष 2006 में हुई थी।
  2. इसमें केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के कर्मचारी शामिल होते हैं।
  3. एनडीआरएफ केवल प्राकृतिक आपदाओं के दौरान प्रतिक्रिया और राहत कार्य के लिए जिम्मेदार है, जबकि भारतीय सेना मानव निर्मित आपदाओं से निपटती है।
  4. एनडीआरएफ में 16 बटालियन हैं।
  5. इसमें एक एयर विंग भी है।

विकल्प:

  1. केवल दो कथन
  2. केवल तीन कथन
  3. केवल चार कथन
  4. सभी पाँचों कथन

उत्तर: b

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: NDRF की स्थापना 19 जनवरी 2006 को एक मल्टी-स्किल्ड (कईं कौशलों से युक्त) स्टैंड-अलोन आपदा प्रतिक्रिया बल के रूप में की गई थी।
  • कथन 2 सही है: NDRF में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) जैसे केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP), सीमा सुरक्षा बल (BSF), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF), और सशस्त्र सीमा बल (SSB) के कर्मचारी प्रतिनियुक्ति पर शामिल होते हैं।
  • कथन 3 गलत है: NDRF एक मल्टी-स्किल्ड (कईं कौशलों से युक्त) स्टैंड-अलोन आपदा प्रतिक्रिया बल है जो प्राकृतिक और साथ ही मानव निर्मित आपदाओं दोनों के दौरान प्रतिक्रिया और राहत कार्य के लिए जिम्मेदार है।
  • कथन 4 सही है: वर्तमान में NDRF में BSF, CISF, CRPF, ITBP, SSB और असम राइफल की 16 बटालियनें शामिल हैं।
  • कथन 5 सही नहीं है: NDRF के पास अपना एयर विंग नहीं है।

प्रश्न 3. निम्नलिखित कथनों में से कितने सही है/हैं? (स्तर – मध्यम)

  1. 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस घोषित किया गया है।
  2. भारत की 8वीं अनुसूची में 22 भाषाओं को मान्यता दी गई है।
  3. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 350A राज्य को मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा की सुविधा प्रदान करने का निर्देश देता है।

विकल्प:

  1. केवल एक कथन
  2. केवल दो बयान
  3. सभी तीन बयान
  4. कोई भी नहीं

उत्तर: c

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: 1999 में यूनेस्को ने घोषणा की कि 21 फरवरी को दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
  • कथन 2 सही है: भारत में 22 आधिकारिक भाषाएँ हैं और वे भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची के अंतर्गत आती हैं।
  • कथन 3 सही है: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 350A के अनुसार,
    • प्रत्येक राज्य और राज्य के भीतर प्रत्येक स्थानीय प्राधिकारी भाषाई अल्पसंख्यक-वर्गों के बालकों को शिक्षा के प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा की पर्याप्त सुविधाओं की व्यवस्था करने का प्रयास करेगा।
    • राष्ट्रपति किसी राज्य को ऐसे निदेश दे सकेगा जो वह ऐसी सुविधाओं का उपबंध सुनिश्चित कराने के लिए आवश्यक या उचित समझता है।

प्रश्न 4. सही कथनों की पहचान कीजिए: (स्तर – सरल)

  1. यूरोपीय संघ की तरह, भारत के पास इसके विभिन्न क्षेत्रों के लिए उत्सर्जन व्यापार योजना है।
  2. भारत का लक्ष्य हमारे सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 2030 तक 45% तक कम करना है।

विकल्प

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. 1 और 2 दोनों
  4. न तो 1, न ही 2

उत्तर: b

व्याख्या:

  • कथन 1 गलत है: ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) विधेयक पेश करने के बाद, केंद्र सरकार अब उत्सर्जन व्यापार योजना (ETS) को अधिसूचित करने के अंतिम चरण में है जिसमें प्रदूषणकारी उद्योगों को ऊर्जा दक्षता के कुछ मानकों को प्राप्त करने की आवश्यकता होगी और उद्योग को इन सुधारों का ‘व्यापार’ करने की अनुमति होगी।
  • कथन 2 सही है: भारत ने अपने सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता (GDP की प्रति इकाई उत्सर्जन) को 2030 तक 45% (2005 के स्तर का) तक कम करने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की है।

प्रश्न 5. “यदि वर्षावन और उष्णकटिबंधीय वन पृथ्वी के फेफड़े हैं, तो निश्चित ही आर्द्रभूमियाँ इसके गुर्दे की तरह काम करती है।” निम्नलिखित में से आर्द्रभूमियों का कौन-सा एक कार्य उपर्युक्त कथनों को सर्वोत्तम रूप से प्रतिबिंबित करता है? (PYQ 2022) (स्तर – मध्यम)

  1. आर्द्रभूमियों के जल चक्र में सतही अपवाह, अवमृदा अंतःस्रवण और वाष्पन शामिल होते हैं।
  2. शैवालों से वह पोषक आधार बनता है, जिस पर मत्स्य, परुषकवची (क्रिश्टेशियाई), मृदुकवची (मोलस्क), पक्षी, सरीसृप और स्तनधारी फलते-फूलते हैं।
  3. आर्द्रभूमियाँ अवसादन संतुलन और मृदा स्थिरीकरण बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
  4. जलीय पादप भारी धातुओं और पोषकों के आधिक्य को अवशोषित कर लेते हैं।

उत्तर: d

व्याख्या:

  • जलीय पादपों द्वारा भारी धातुओं और पोषकों को अवशोषित करने की क्षमता के कारण आर्द्रभूमियों को पृथ्वी के गुर्दे कहा जाता है।
  • पादप इन पोषक तत्वों का उपयोग पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को विकसित करने और उसे सहयोग करने के लिए करते हैं।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. महिला श्रम बल भागीदारी दर को बाधित करने वाले कारकों की चर्चा कीजिए और इससे निपटने के उपाय सुझाइये। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस II – सामाजिक न्याय)

प्रश्न 2. लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम आयु बढ़ाने के बजाय उनकी शिक्षा और अन्य सामाजिक संकेतकों पर ध्यान केंद्रित करके बाल विवाह की समस्या को अधिक प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है। क्या आप इससे सहमत हैं? विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस II – सामाजिक न्याय)