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29 दिसंबर 2023 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. भारत के इस्पात क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि, दूसरा सबसे बड़ा वैश्विक उत्पादक देश बना
  2. औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (2016=100)- नवंबर 2023
  3. गुजरात के सूरत में 12वें दिव्य कला मेला-2023 का उद्घाटन

1. भारत के इस्पात क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि, दूसरा सबसे बड़ा वैश्विक उत्पादक देश बना

सामान्य अध्ययन: 3

आर्थिक विकास

विषय: योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति एवं विकास से संबंधित विषय

प्रारंभिक परीक्षा: उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना, हरित इस्पात निर्माण, प्रधानमंत्री गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान, राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन परियोजना

मुख्य परीक्षा: हालिया पहलों की आर्थिक विकास में भूमिका

प्रसंग:

  • इस्पात क्षेत्र निर्माण, अवसंरचना, ऑटोमोबाइल, इंजीनियरिंग और रक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पिछले कुछ वर्षों में, देश के इस्पात क्षेत्र में जबरदस्त वृद्धि देखी गई है और भारत इस्पात उत्पादन में एक वैश्विक शक्ति तथा दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक देश बनकर उभरा है।

विवरण:

  • उत्पादन और खपत
    • चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों (अप्रैल-नवंबर 2023) में इस्पात क्षेत्र का उत्पादन प्रदर्शन बहुत सराहनीय रहा है।
    • घरेलू तैयार इस्पात उत्पादन पिछले वर्ष की इसी अवधि की 78.498 मिलियन टन की तुलना में 89.711 मिलियन टन रहा, जो 14.3 प्रतिशत ज्यादा है।
    • घरेलू इस्पात खपत 87.066 मिलियन टन है, जो 75.765 मिलियन टन के सीपीएलवाई की तुलना में 14.9 प्रतिशत ज्यादा है।
    • घरेलू कच्चे इस्पात का उत्पादन 14.7 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 94.114 मिलियन टन है, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में 82.072 मिलियन टन उत्पादन हुआ था।
  • आयात और निर्यात
    • अप्रैल-नवंबर 2023 की अवधि में, तैयार इस्पात का आयात पिछले वर्ष के 3.751 मिलियन टन से बढ़कर चालू वर्ष में 4.253 मिलियन टन हो गया है, जिसमें 13.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

इस्पात क्षेत्र के विकास के लिए हाल में की गई कुछ पहलें:

  • उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना- सरकार ने पूंजी निवेश को आकर्षित करके और इस्पात क्षेत्र में प्रौद्योगिकी उन्नयन को बढ़ावा देकर देश में ‘स्पेशियलिटी स्टील’ के विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए 6322 करोड़ रुपये के पांच वर्षीय वित्तीय परिव्यय के साथ उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के अंतर्गत ‘स्पेशियलिटी स्टील’ को शामिल करने को मंजूरी प्रदान की है। 17.03.2023 को, सरकार ने पीएलआई योजना के अंतर्गत 57 परियोजनाओं को कवर करने वाली 27 कंपनियों के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
  • नगरनार एकीकृत इस्पात संयंत्र – एनएमडीसी का 3 एमटीपीए क्षमता का ग्रीनफील्ड एकीकृत इस्पात संयंत्र, छत्तीसगढ़ में जगदलपुर से 16 किलोमीटर दूर स्थित नगरनार में स्थापित किया गया है। नगरनार एकीकृत इस्पात संयंत्र की स्थापना का निर्णय लौह अयस्क भंडार के साथ इसकी सहलग्नता और निवेश योग्य अधिशेष की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। संयंत्र 24 अगस्त, 2023 से चालू हो चुका है और अंतिम उत्पाद के रूप में हॉट रोल्ड (एचआर) कॉइल का उत्पादन शुरू कर दिया है।
  • हरित इस्पात निर्माण- सीओपी-26 में उल्लिखित नेट-जीरो उत्सर्जन के प्रति भारत की प्रतिबद्धताओं के अनुरूप, इस्पात मंत्रालय ने इस्पात क्षेत्र के डीकार्बोनाइजेशन की दिशा में विभिन्न कदम उठाए हैं।
  • इस्पात मंत्रालय ने इस्पात क्षेत्र के डीकार्बोनाइजेशन के विभिन्न स्तरों पर चर्चा, विचार-विमर्श और सिफारिश करने के लिए उद्योगों, शिक्षाविदों, थिंक टैंकों, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी निकायों, विभिन्न मंत्रालयों और अन्य हितधारकों की भागीदारी के साथ 13 कार्यबल गठित किए हैं।
  • नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने हरित हाइड्रोजन उत्पादन और उपयोग के लिए एक राष्ट्रीय हरित मिशन की घोषणा की है। इस्पात क्षेत्र को भी इस मिशन में हितधारक बनाया गया है।
  • इस्पात क्षेत्र ने आधुनिकीकरण और विस्तार परियोजनाओं में वैश्विक स्तर पर उपलब्ध सर्वश्रेष्ठ उपलब्ध प्रौद्योगिकियों (बीएटी) को अपनाया है।
  • इस्पात मंत्रालय का प्रधानमंत्री गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के साथ जुड़ाव – इस्पात मंत्रालय ने बीआईएसएजी-एन की क्षमताओं को प्रधानमंत्री गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के साथ एकीकृत किया है, इस्पात उत्पादन सुविधाओं में अंतर्दृष्टि प्राप्त करने के लिए 2000 से ज्यादा इस्पात इकाइयों के जियो-लोकेशन अपलोड किए गए हैं। यह जानकारी रेलवे लाइनों का विस्तार, अंतर्देशीय जलमार्गों, राजमार्गों, बंदरगाहों और गैस पाइपलाइन संपर्क योजनाओं को तैयार करने में सहायता प्रदान करेगा।
  • मंत्रालय ने लौह अयस्क, मैंगनीज अयस्क खानों और लौह अयस्क घोल पाइपलाइनों के आंकड़ों को भी मैप किया है, जिससे महत्वपूर्ण कच्चे माल के स्रोतों की बेहतर दृश्यता और प्रबंधन प्राप्त होता है। मंत्रालय ने 22 प्रमुख अवसंरचनाओं में कमियों की पहचान की है जिन्हें व्यापक और एकीकृत अवसंरचना विकास के लिए अन्य मंत्रालयों के सहयोग से संबोधित करने की आवश्यकता है। इसके अलावा, इस्पात मंत्रालय ने प्रधानमंत्री गति शक्ति-राष्ट्रीय मास्टर प्लान में केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों (सीपीएसई) के सदस्यों को भी शामिल किया है।
  • इस्पात मंत्रालय को 2022 की राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति के अनुरूप कुशल लॉजिस्टिक्स (एसपीईएल) के लिए क्षेत्रीय योजना बनाने का अधिदेश प्राप्त है। कुशल लॉजिस्टिक्स (एसपीईएल) के लिए क्षेत्रीय योजना के लिए प्रारंभिक मसौदा प्रमुख इस्पात उत्पादकों और संघों के बीच परिचालित की गई थी और इसे सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध कराया गया था, जिससे एक सुविज्ञ कार्यनीति सुनिश्चित की जा सके। हितधारकों से प्राप्त सुझावों की जांच की जा रही है और अंतिम रूप दिए गए एसपीईएल को उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग के माध्यम से सचिवों के अधिकार प्राप्त समूह के सामने प्रस्तुत किया जाएगा।
  • स्टील स्क्रैप रीसाइक्लिंग नीति – स्टील स्क्रैप रीसाइक्लिंग नीति (एसएसआरपी) को 2019 में अधिसूचित किया गया है, जो एंड ऑफ लाइफ व्हीकल (ईएलवी) यानी कबाड़ गाड़ियों सहित विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न लौह स्क्रैप का वैज्ञानिक प्रसंस्करण और रीसाइक्लिंग करने के लिए देश में धातु स्क्रैपिंग केंद्रों की स्थापना को सुविधाजनक बनाने और बढ़ावा देने के लिए एक रूपरेखा प्रदान करता है।
  • इस दिशा में इस्पात मंत्रालय के अधीन सीपीएसई, एमएसटीसी लिमिटेड ने महिंद्रा एक्सेलो के साथ संयुक्त उद्यम (जेवी) में एमएसटीसी महिंद्रा रीसाइक्लिंग प्राइवेट लिमिटेड (एमएमआरपीएल) की स्थापना की है। अब तक, संयुक्त उद्यम ने ग्रेटर नोएडा, चेन्नई, पुणे, इंदौर, अहमदाबाद, हैदराबाद, गुवाहाटी और बेंगलुरु में आठ (8) वाहन स्क्रैपिंग केंद्र स्थापित किए हैं।
  • राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन परियोजनाओं की सुविधा – इस्पात मंत्रालय इस्पात कंपनियों की राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन परियोजनाओं से संबंधित मुद्दों को संबंधित केंद्र/राज्य सरकारों, मंत्रालयों/विभागों के साथ सक्रिय रूप से उठाता रहता है।
  • इस्पात का उपयोग – सरकार ने राष्ट्रीय इस्पात नीति 2017 प्रतिपादित की है, जिसमें 2030-31 तक मांग एवं आपूर्ति दोनों पक्षों पर भारतीय इस्पात उद्योग के लिए दीर्घकालिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए व्यापक रूपरेखा तैयार की गई है।
  • सरकार द्वारा गति-शक्ति मास्टर प्लान, विनिर्माण क्षेत्र के लिए ‘मेक-इन-इंडिया’ पहल के माध्यम से अवसंरचना विकास पर बल दिया जा रहा है और सरकार की अन्य प्रमुख योजनाओं से देश में इस्पात की मांग और खपत को बढ़ावा मिलेगा। इस संबंध में उठाए गए कदमों में निम्नलिखित शामिल हैं:
  • इस्पात मंत्रालय ने आवास और निर्माण क्षेत्र में इस्पात के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए मकानों और लंबी सीमा के सड़क पुलों के निर्माण के लिए इस्पात इंटेंसिव डिजाइनों के विकास के लिए उद्योग और तकनीकी संस्थानों (आईआईटी/एनआईटी) के विशेषज्ञों की एक समिति गठित की है।
  • इस्पात मंत्रालय ने इस्पात इंटेंसिव निर्माण हेतु कोड के विकास के लिए भारतीय मानक ब्यूरो के साथ काम किया है। भारतीय मानक ब्यूरो ने सूचित किया है कि इस्पात उद्योग के सदस्यों वाली एक समिति का गठन किया गया है और कोड का विकास अग्रिम चरण में है।
  • घरेलू खपत के लिए विशेष इस्पातों की उपलब्धता को बढ़ावा देने हेतु सरकार ने देश में विशेष इस्पात के विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए विशेष इस्पात उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना भी अधिसूचित की है।
  • सरकारी बजट के माध्यम से अनुसंधान एवं विकास- इस्पात मंत्रालय लौह और इस्पात क्षेत्र के सामने आने वाले ज्वलंत मुद्दों का समाधान करने के लिए नई वैकल्पिक प्रक्रियाओं और प्रौद्योगिकियों के विकास हेतु अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिष्ठित शैक्षिक संस्थानों, अनुसंधान प्रयोगशालाओं और इस्पात कंपनियों से संयुक्त सहयोगात्मक रूप में अनुसंधान एवं विकास परियोजना प्रस्ताव आमंत्रित करता है, जैसे कि जलवायु परिवर्तन (हरित इस्पात उत्पादन, एच2 आधारित इस्पात उत्पादन, सीसीयूएस आदि)
  • अपशिष्ट उपयोग, संसाधन दक्षता आदि को संबोधित करने के लिए अनुसंधान एवं विकास योजना के अंतर्गत “लौह एवं इस्पात क्षेत्र में अनुसंधान एवें विकास को बढ़ावा” देने हेतु वित्तीय सहायता।
  • अनुसंधान एवं विकास योजना के अंतर्गत वित्तपोषण हेतु विचार किए जाने वाले अनुसंधान एवं विकास प्रस्तावों पर सहयोग और वित्तीय योगदान दोनों के लिए औद्योगिक भागीदारी अनिवार्य है।
  • वित्त वर्ष 2023 के दौरान, सरकारी बजट से 239.63 लाख रुपये की वित्तीय सहायता के साथ 360.48 लाख रुपये की कुल लागत की कुल 4 आर एंड डी परियोजनाओं को मंजूरी प्रदान की गई है। इसके अतिरिक्त, वर्तमान में इस्पात मंत्रालय की 14 अनुसंधान एवं विकास परियोजनाएं चल रही हैं।
  • इस्पात और इस्पात उत्पाद (गुणवत्ता नियंत्रण) आदेश- इस्पात मंत्रालय ने इस्पात गुणवत्ता नियंत्रण आदेश लागू किया है, जिससे उद्योग, प्रयोक्ताओं और जनता को गुणवत्तापूर्ण इस्पात की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए घरेलू और आयात दोनों द्वारा घटिया/दोषपूर्ण इस्पात उत्पादों पर प्रतिबंध लगाया जा सके। आदेश के अनुसार, यह सुनिश्चित किया जाता है कि अंतिम उपयोगकर्ताओं को केवल प्रासंगिक बीआईएस मानकों के अनुरूप गुणवत्ता वाले इस्पात उपलब्ध कराए जाएं।
  • आज की तारीख में, कार्बन इस्पात, मिश्र धातु इस्पात और स्टेनलेस स्टील को शामिल करते हुए गुणवत्ता नियंत्रण आदेश के अंतर्गत 145 भारतीय मानकों को अधिसूचित किया गया है। इसके अलावा, इस्पात गुणवत्ता नियंत्रण आदेश के उल्लंघन को रोकने के लिए इस्पात से बने सामान और वस्तुएं जैसे स्टेनलेस स्टील पाइप और ट्यूब, ट्रांसफार्मर के लैमिनेशन/कोर, टिन प्लेट और टिन मुक्त इस्पात के उत्पाद आदि भी अधिसूचित किए गए हैं।
  • लौह एवं इस्पात क्षेत्र में सुरक्षा: लौह एवं इस्पात क्षेत्र के लिए सुरक्षा दिशा-निर्देश तैयार करना – हितधारकों, शिक्षाविदों आदि के साथ व्यापक परामर्श करने के बाद, लौह एवं इस्पात क्षेत्र के लिए 25 सामान्य न्यूनतम सुरक्षा दिशा-निर्देशों का एक सेट तैयार किया गया है। ये सुरक्षा दिशा-निर्देश वैश्विक मानकों के अनुरूप हैं और लौह एवं इस्पात उद्योग में सुरक्षा पर आईएलओ आचार कोड की अपेक्षाओं के अनुरूप हैं।
  • “सुरक्षा और स्वास्थ्य सिद्धांतों और परिभाषाओं” पर विश्व इस्पात संघ के मार्गदर्शन दस्तावेज़ से भी इनपुट प्राप्त किया गया है।
  • भारतीय इस्पात उद्योग और इसके संघों के हितधारकों से आग्रह किया गया है कि वे इन दिशा-निर्देशों को पूर्ण रूप से अपनाएं जिससे कार्यबल के लिए सुरक्षित माहौल में काम करना सुनिश्चित किया जा सके। लौह एवं इस्पात उद्योग ने श्रम एवं रोजगार मंत्रालय से सुरक्षा दिशा-निर्देशों को अनिवार्य रूप से अपनाने की सुविधा प्रदान करने का भी अनुरोध किया गया है।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1. औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (2016=100)- नवंबर 2023

  • श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के संबद्ध कार्यालय श्रम ब्यूरो द्वारा देश के 88 महत्वपूर्ण औद्योगिक केंद्रों के 317 बाजारों से एकत्रित खुदरा मूल्यों के आधार पर हर महीने औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का संकलन किया जाता है।
  • यह सूचकांक 88 केंद्रों और अखिल भारतीय स्तर के लिए संकलित किया जाता है और आगामी महीने के अंतिम कार्यदिवस पर जारी किया जाता है।
  • इस प्रेस विज्ञप्ति में नवंबर, 2023 महीने का सूचकांक जारी किया जा रहा है।
  • नवंबर 2023 के लिए अखिल भारतीय सीपीआई-आईडब्ल्यू 0.7 अंक बढ़कर 139.1 (एक सौ उनतालीस दशमलव एक) हो गया।
  • एक महीने के प्रतिशत परिवर्तन के आधार पर, पिछले महीने की तुलना में इसमें 0.51 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि एक साल पहले इसी महीने के दौरान यह स्थिर रहा।
  • वर्तमान सूचकांक में दर्ज वृद्धि में सबसे अधिक योगदान खाद्य और पेय पदार्थ समूह का रहा, जिसने कुल परिवर्तन में 0.65 प्रतिशत अंक का योगदान दिया।
  • मदों के स्तर पर, चावल, गेहूं, गेहूं का आटा, ज्वार, अरहर दाल/तूर दाल, उड़द दाल, मुर्गी के अंडे, तिल का तेल, ताजा नारियल पल्प के साथ, गाजर, ड्रम-स्टिक, फ्रेंच बीन, लहसुन, भिंडी, प्याज, टमाटर, चीनी, जीरा, पका हुआ भोजन, जर्दा/किमाम/सुरती/गुटखा, तंबाकू पत्ता, सिलाई शुल्क, रेडीमेड ट्राउजर पैंट, चमड़े के सैंडल/चप्पल/स्लिपर्स, घरेलू बिजली शुल्क, स्कूल/आईटीआई की पुस्तकें, कॉलेज की ट्यूशन और अन्य फीस आदि सूचकांक में वृद्धि के लिए सहायक रहे।
  • हालांकि, ताजा मछली, पोल्ट्री/चिकन, सोयाबीन तेल, सूरजमुखी का तेल, सेब, केला, अंगूर, संतरा, शिमला मिर्च, फूलगोभी, हरी मिर्च, अदरक, नींबू, मटर, एलोपैथिक दवाइयां आदि ने सूचकांक में दर्ज वृद्धि को नियंत्रित किया।
  • केंद्र-स्तर पर तिरुनेलवेली के सूचकांक में अधिकतम 4.1 अंक की वृद्धि दर्ज की गई।
  • नवंबर 2023 के लिए वर्ष-दर-वर्ष मुद्रास्फीति 4.98 प्रतिशत रही जबकि पिछले महीने यह 4.45 प्रतिशत थी और एक वर्ष पहले इसी महीने में यह 5.41 प्रतिशत थी।
  • इसी तरह, खाद्य-स्फीति दर पिछले महीने के 6.27 प्रतिशत की तुलना में 7.95 प्रतिशत रही जबकि एक वर्ष पहले इसी महीने के दौरान यह 4.30 प्रतिशत थी।

2. गुजरात के सूरत में 12वें दिव्य कला मेला-2023 का उद्घाटन

  • राष्ट्रीय दिव्यांगजन वित्त और विकास निगम के तहत भारत सरकार का सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय का दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग देश भर में दिव्यांग उद्यमियों/कारीगरों के उत्पादों और शिल्प कौशल को प्रदर्शित करने वाला एक अनूठा कार्यक्रम सूरत, गुजरात में ‘दिव्य कला मेला’आयोजित कर रहा है।
  • यह आयोजन जम्मू और कश्मीर, उत्तर पूर्वी राज्यों सहित देश के विभिन्न हिस्सों से जीवंत उत्पादों के रूप में आगंतुकों के लिए हस्तशिल्प, हथकरघा, कढ़ाई के काम और पैकेज्ड फूड आदि एक आकर्षक अनुभव पेश करेगा।
  • यह दिव्यांगजनों के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक अनूठी पहल है।
  • दिव्य कला मेला दिव्यांगजनों (पीडब्ल्यूडी) के उत्पादों और कौशल के विपणन और प्रदर्शन के लिए एक बड़ा मंच प्रस्तुत करता है।
  • लगभग 20 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लगभग 100 दिव्यांग कारीगर/कलाकार और उद्यमी अपने उत्पादों और कौशल का प्रदर्शन करेंगे।
  • निम्नलिखित व्यापक श्रेणी में उत्पाद यहां उपलब्ध होंगे:
    • गृह सजावट और जीवन शैली, कपड़े, स्टेशनरी और पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद, पैकेज्ड भोजन और जैविक उत्पाद, खिलौने और उपहार, व्यक्तिगत सहायक उपकरण – आभूषण, क्लच बैग।
  • यह सभी के लिए ‘वोकल फॉर लोकल’ बनने का अवसर होगा और दिव्यांग कारीगरों द्वारा उनके अतिरिक्त दृढ़ संकल्प से बनाए गए उत्पादों को देखा/खरीदा जा सकेगा।

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