The correct option is B
2 and 3 only
केवल 2 और 3
Statement 1 is correct
The President must revoke a proclamation if the Lok Sabha passes a resolution disapproving its continuation.
Statement 2 is incorrect Rajya Sabha plays no direct role in revocation of an emergency proclamation
Statement 3 is incorrect A proclamation of emergency may be revoked by the President at any time by a subsequent proclamation.
Extra information
A proclamation of emergency may be revoked by the President at any time by a subsequent proclamation. Such a proclamation does not require the parliamentary approval. Further, the President must revoke a proclamation if the Lok Sabha passesa resolution disapproving its continuation. This safeguard was introduced by the 44th Amendment Act of 1978. Before the amendment, a proclamation could be revoked by the president on his own and the Lok Sabha had no control in this regard. The 44th Amendment Act of 1978 also provided that, where one-tenth of the total number of members of the Lok Sabha give a written notice to the Speaker (or to the president if the House is not in session), a special sitting of the House should be held within 14 days for the purpose of considering a resolution disapproving the continuation of the proclamation.
A resolution of disapproval is different from a resolution approving the continuation of a proclamation in the following two respects:
1. The first one is required to be passed by the Lok Sabha only, while the second one needs to be passed by both Houses of Parliament.
2. The first one is to be adopted by a simple majority only, while the second one needs to be adopted by a special majority.
कथन 1 सही है
यदि लोकसभा ने अपनी निरंतरता को अस्वीकार करते हुए प्रस्ताव पारित किया तो राष्ट्रपति को घोषणा रद्द करनी चाहिए।
कथन 2 गलत है
आपातकालीन उद्घोषणा के निरसन में राज्यसभा कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं निभाती है
कथन 3 गलत है
किसी उद्घोषणा द्वारा किसी भी समय राष्ट्रपति द्वारा आपातकाल की घोषणा रद्द की जा सकती है ।
अतिरिक्त जानकारी
आपातकाल की उद्घोषणा किसी भी समय राष्ट्रपति द्वारा रद्द की जा सकती है ।
इस तरह की उद्घोषणा
को संसदीय अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होती है। इसके अलावा राष्ट्रपति को घोषणा रद्द करनी चाहिए अगर लोकसभा से संकल्प की निरंतरता को अस्वीकार कर दिया जाता है । यह नियम 1978 के 44 वें संशोधन अधिनियम द्वारा बनाया गया था । संशोधन से पहले घोषणा को राष्ट्रपति अपने दम पर निरस्त कर सकता था और लोक सभा का इस संबंध में कोई नियंत्रण नहीं था । 44 वां संशोधन अधिनियम 1978 में यह भी प्रावधान किया की यदि लोकसभा के कुल सदस्य संख्या संख्या का दसवां हिस्सा अध्यक्ष को लिखित में (या राष्ट्रपति को यदि सदन सत्र में नहीं है) में देते हैं कि निराकरण के लिए हाउस कि एक विशेष बैठक 14 दिनों के भीतर आयोजित कि जानी चाहिए ।
उद्घोषणा की अस्वीकृति का संकल्प व स्वीकृत संकल्प की निरंतरता निम्नलिखित दो मामलों में अलग हैं ::
1. पहले एक को लोक सभा द्वारा पारित करने की आवश्यकता होती है, जबकि दूसरे को संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित करने की आवश्यकता होती है।
2. पहले वाले को केवल एक साधारण बहुमत द्वारा अपनाया जाता है, जबकि दूसरे को विशेष बहुमत द्वारा अपनाया जाता है।