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Question

निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए−

'शुद्ध सोने में ताबे की मिलावट या ताँबें में सोना', गाँधीजी के आदर्श और व्यवहार के संदर्भ में यह बात किस तरह झलकती है? स्पष्ट कीजिए।

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Solution

गाँधीजी व्यवहारिकता की कीमत जानते थे। इसीलिए वे अपना विलक्षण आदर्श चला सके। लेकिन अपने आदर्शों को व्यावहारिकता के स्वर पर उतरने नहीं देते थे। वे सोने में तांबा नहीं बल्कि ताँबे में सोना मिलाकर उसकी कीमत बढ़ाते थे। इसलिए उनके आदर्श कालजयी हुए।


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