'जब तुम मेरे साथ रहती हो, तो अक्सर मुझसे बहुत-सी बातें पूछा करती हो।' यह वाक्य दो वाक्यों को मिलाकर बना है। इन दोनों वाक्यों को जोड़ने का काम जब - तो (तब) कर रहे हैं, इसलिए इन्हें योजक कहते हैं। योजक के रूप में कभी कोई बदलाव नहीं आता, इसलिए ये अव्यय का एक प्रकार होते हैं। नीचे वाक्यों को जोड़ने वाले कुछ और अव्यय दिए गए हैं। उन्हें रिक्त स्थानों में लिखो। इन शब्दों से तुम भी एक-एक वाक्य बनाओ-
(क) कृष्णन फ़िल्म देखना चाहता है.................मैं मेले में जाना चाहती हूँ।
(ख) मुनिया ने सपना देखा.............वह चंद्रमा पर बैठी है।
(ग) छुट्टियों में हम सब.............दुर्गापुर जाएँगे............जालंधर।
(घ) सब्ज़ी कटवा कर रखना.............घर आते ही मैं खाना बना लूँ।
(ङ) .............मुझे पता होता कि शमीम बुरा मान जाएगा............मैं यह बात न कहता।
(च) मालती ने तुम्हारी शिकायत नहीं............. तारीफ़ ही की थी।
(छ) इस वर्ष फ़सल अच्छी नहीं हुई है.............अनाज महँगा है।
(ज) विमल जर्मन सीख रहा है ........... फ्रेंच।
बल्कि/इसलिए/परंतु/कि/यदि/तो/नकि/या/ताकि
(क) कृष्णन फ़िल्म देखना चाहता है परन्तु मैं मेले में जाना चाहती हूँ।
(ख) मुनिया ने सपना देखा कि वह चंद्रमा पर बैठी है।
(ग) छुट्टियों में हम सब तो दुर्गापुर जाएँगे नकि जलंधर।
(घ) सब्ज़ी कटवा कर रखना ताकि घर आते ही मैं खाना बना लूँ।
(ङ) यदि मुझे पता होता कि शमीम बुरा मान जाएगा तो मैं यह बात न कहता।
(च) मालती ने तुम्हारी शिकायत नहीं बल्कि तारीफ़ ही की थी।
(छ) इस वर्ष फ़सल अच्छी नहीं हुई है इसलिए अनाज महँगा है।
(ज) विमल जर्मन सीख रहा है नकि फ्रेंच।