ब्रिटिश शासन के दौर के लिए कहा गया कि-"नया पूँजीवाद सारे विश्व में जो बाज़ार तैयार कर रहा था उससे हर सूरत में भारत के आर्थिक ढाँचे पर प्रभाव पड़ना ही था" क्या आपको लगता है कि अब भी नया पूँजीवाद पूरे विश्व में जो बाज़ार तैयार कर रहा है, उससे भारत के आर्थिक ढ़ाँचे पर प्रभाव पड़ रहा है? कैसे?
इस नए पूँजीवाद ने भारतीय समाज के पूरे आर्थिक और संरचनात्मक आधार का विघटन कर दिया। यह ऐसी व्यवस्था थी जिसका संचालन होता तो बाहर से था, पर इसको भारत पर लाद दिया गया था। भारत ब्रिटिश ढ़ाँचे का औपनिवेशिक और खेतिहर पुछल्ला मात्र रह गया था। बिल्कुल हमारे आर्थिक ढाँचे पर पूँजीवाद का प्रभाव पड़ सकता है। स्थानीय उघोग-धंधे बरबाद हो रहे हैं। भारत की पूँजी बाहर जा रही है। आज भारत का पूरा बाज़ार विदेशी उत्पादनों से भरा हुआ है और हमारा सारा धन पूँजीपतियों के हाथों में जा रहा है।