दिन-प्रतिदिन के जीवन में हर कोई बच्चों को काम पर जाते देख रहा/रही है, फिर भी किसी को कुछ अटपटा नहीं लगता। इस उदासीनता के क्या कारण हो सकते हैं?
आज का मनुष्य इतना आत्मकेन्द्रित हो चुका है कि उसके पड़ोस की घटना की खबर भी उसे कभी-कभी ही लगती है। मनुष्य अपनी परेशानियों को सुलझाने में इतना व्यस्त है कि किसी और कि परेशानी की तरफ़ देखने तक की फुर्सत नहीं है। लोगों को कम कीमत में अच्छे श्रमिक मिल जाते हैं। इसलिए इसके विरुद्ध कदम उठाकर वे स्वयं को इस सुख से वंचित नहीं करना चाहते हैं।