प्रकृति उस अनंत और विराट स्वरूप को देखकर लेखिका को कैसी अनुभूति होती है?
प्रकृति के उस अनंत और विराट स्वरूप को देखकर लेखिका को असीम आत्मीय सुख की अनुभूति होती है। इन सारे दृश्यों में जीवन के सत्य को लेखिका ने अनुभव किया। इस वातावरण में उसको अद्भुत शान्ति प्राप्त हो रही थी। इन अद्भुत व अनूठे नज़ारों ने लेखिका को पल मात्र में ही जीवन की शक्ति का अहसास करा दिया। उसे ऐसा अनुभव होने लगा मानो वह देश और काल की सरहदों से दूर बहती धारा बनकर बह रही हो और उसके अंतरमन की सारी तामसिकताएँ और सारी वासनाएँ इस निर्मल धारा में बह कर नष्ट हो गई हों और वह चीरकाल तक इसी तरह बहते हुए असीम आत्मीय सुख का अनुभव करती रहे।