निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए −
(क) तू न थमेगा कभी
तू न मुड़ेगा कभी
(ख) चल रहा मनुष्य है
अश्रु-स्वेद-रक्त से लथपथ, लथपथ, लथपथ
(क) इस काव्यांश का अर्थ है कि व्यक्ति को इस कठिनाइयों भरे जीवन में अपने आपसे शपथ लेकर निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए। बिना रूके, बिना पीछे देखे।
(ख) कवि हरिवंश राय बच्चन जी ने मनुष्य को आगे चलते रहने की प्रेरणा दी है क्योंकि संघर्षमय जीवन में कई बार व्यक्ति को आँसू भी बहाने पड़ते हैं, थकने पर पसीने से तर भी हो जाता है। इससे शक्ति भी क्षीण हो जाती है परन्तु मनुष्य को किसी भी स्थिति में घबराकर उपने लक्ष्य से नहीं हटना चाहिए, लक्ष्य की ओर बढ़ते जाना चाहिए।