कुएँ में उतरकर चिट्ठियों को निकालने संबंधी साहसिक वर्णन को अपने शब्दों में लिखिए।
भाई द्वारा दी गई चिट्ठियाँ लेखक से कुएँ में गिर गई थी और उन्हें उठाना भी ज़रुरी था। लेकिन कुएँ में साँप था, जिसके काटने का डर था। परन्तु लेखक ने कुएँ से चिट्ठियाँ निकालने का निर्णय लिया। उसने अपनी और अपने भाई की धोतियाँ कुछ रस्सी मिलाकर बाँधी और धोती की सहायता से वह कुएँ में उतरा। अभी 4-5 गज ऊपर ही था कि साँप फन फैलाए हुए दिखाई दिया। उसने सोचा धोती से लटककर साँप को मारा नहीं जा सकता और डंडा चलाने के लिए पर्याप्त जगह नहीं थी। लेखक ने डंडे से चिट्ठियाँ सरकाने का प्रयत्न किया तो साँप डंडे पर लिपट गया। साँप का पिछला हिस्सा लेखक के हाथ को छू गया तो उसने डंडा पटक दिया। उसका पैर भी दीवार से हट गया और धोती से लटक गया। फिर हिम्मत करके उसने कुएँ की मिट्टी साँप के एक ओर फेंकी। डंडे के गिरने और मिट्टी फेंकने से साँप का आसन बदल गया और लेखक चिट्ठियाँ उठाने में सफल रहा। धीरे से डंडा भी उठा लिया और कुएँ से बाहर आ गया। वास्तव में यह एक साहसिक कार्य था।