अधोलिखितेषु वाक्येषु कर्तृपदं क्रियापदं च चित्वा लिखत-
वाक्यानि |
कर्ता |
क्रिया |
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यथा |
सन्त: मधुरसूक्तरसं सृजन्ति। |
सन्त: |
सृजन्ति |
(क) |
निर्गुणं प्राप्य भवन्ति दोषा:। |
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(ख) |
गुणज्ञेषु गुणा: भवन्ति। |
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(ग) |
मधुमक्षिका माधुर्यं जनयेत्। |
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(घ) |
पिशुनस्य मैत्री यश: नाशयति। |
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(ङ) |
नद्य: समुद्रमासाद्य अपेया: भवन्ति। |
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वाक्यानि |
कर्ता |
क्रिया |
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यथा |
सन्त: मधुरसूक्तरसं सृजन्ति। |
सन्त: |
सृजन्ति |
(क) |
निर्गुणं प्राप्य भवन्ति दोषा:। |
दोषा: |
भवन्ति |
(ख) |
गुणज्ञेषु गुणा: भवन्ति। |
गुणा: |
भवन्ति |
(ग) |
मधुमक्षिका माधुर्यं जनयेत्। |
मधुमक्षिका |
जनयेत् |
(घ) |
पिशुनस्य मैत्री यश: नाशयति। |
मैत्री |
नाशयति |
(ङ) |
नद्य: समुद्रमासाद्य अपेया: भवन्ति। |
नद्य: |
भवन्ति |