बनारस भारत के प्राचीन क्षेत्रों में से एक है। यह तीन हज़ार वर्ष पुराना शहर माना जाता है। इसे वाराणसी के नाम से भी जाना जाता है। यह हिन्दुओं के पवित्र तीर्थ स्थलों में एक है इसलिए भी यह आध्यात्मिक महत्व रखता है। 'वरना' और 'असि' नामक दो नदियों के मध्य होने के कारण इसका नाम वाराणसी पड़ा। प्रसिद्ध संत तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना यहीं पर रहकर की थी। बनारस संगीत तथा अध्यात्म का सदियों से केन्द्र रहा है। काशी विश्वनाथ का प्रसिद्ध मंदिर बनारस में ही स्थित है। मशहूर शहनाई वादन और भारत के ताज उस्ताद बिस्मिला खाँ साहब ने यहीं से अपनी शुरूआत की थी। वह यहाँ के प्रसिद्ध संगीत घराने से थे। इस शहर ने भारत के प्रसिद्ध साहित्यकार प्रेमचंद तथा जयशंकर प्रसाद जैसे हीरे दिए हैं। बनारस की बनारसी साड़ी, बनारसी पान, बनारसी ठग तथा कलाकंद मिठाई यहाँ की प्रसिद्ध चीज़ें हैं।