आपने भी देखा होगा कि मीडिया द्वारा प्रस्तुत की गई घटनाएँ कई बार समस्याएँ बन जाती हैं, ऐसी किसी घटना का उल्लेख कीजिए।
30 अगस्त, 2007 में लाइव इंडिया चैनल ने सर्वोदय विद्यालय की एक अध्यापिका उमा खुराना पर स्टिंग आपरेशन करके पूरे भारत में सनसनी फैला दी थी। चैनल की माने तो, उन पर अपने ही विद्यालय की छात्राओं से वेश्वावृति करवाने का आरोप लगाया गया था। अन्य चैनलों ने भी बिना सच्चाई जाने इस घटना को और बढ़-चढ़कर दिखाया। इसका परिणाम यह हुआ कि दरियागंज इलाके में हिंसा भड़क उठी तथा पूरे दिल्ली शहर में अशांति छा गई। विद्यालय पर तथा उमा खुराना के घर के बाहर पथराव होने लगे। लोग सड़कों पर उतर आए और सरकार और विद्यालय के विरूद्ध जमकर नारे लगाने लगे। इसका परिणाम यह हुआ कि उमा खुराना को तुरंत निलबिंत कर दिया गया। पुलिस ने भी उन्हें गिरफ्तार कर लिया। लोगों ने सामूहिक रूप से उमा खुराना के साथ मारपीट की तथा उनके साथ दुर्व्यव्हार किया। बाद में जब इस विषय पर पुलिस द्वारा हस्तेक्षप किया गया, तो पाया गया कि अध्यापिका पर हुआ स्टिंग आपरेशन फर्ज़ी था। चैनल ने स्टिंग आपरेशन करने वाले प्रकाश सिंह पर यह आरोप लगाकर पल्ला झाड़ लिया कि रिपोर्टर ने हमें अंधेरे में रखा। यदि चैनल इसे प्रसारित करने से पहले इसकी सच्चाई पर ध्यान देता तो उमा खुराना तथा शहर को परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता। मीडिया द्वारा उमा खुराना से माफी माँगकर उनका दुख कम नहीं किया जा सकता है और ना ही उनका खोया हुआ सम्मान वापिस दिलाया जा सकता है।